राज्यसभा में कृषि विधेयकों को पारित करने के दौरान विपक्षी सांसदों के व्यवहार से क्षुब्ध उपसभापति हरिवंश ने राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति को भावुक पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि ‘राज्यसभा में जो कुछ हुआ, उससे पिछले दो दिनों से गहरी आत्मपीड़ा, तनाव और मानसिक वेदना में हूं। मैं पूरी रात सो नहीं पाया।’ उन्होंने घोषणा की है कि वह इसे लेकर एक दिन के उपवास पर रहेंगे।
उच्च सदन की मर्यादा और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई
उन्होंने लिखा है कि ‘सदन के माननीय सदस्यों द्वारा लोकतंत्र के नाम पर हिंसक व्यवहार हुआ। आसन पर बैठे व्यक्ति को भयभीत करने की कोशिश हुई। उच्च सदन की हर मर्यादा और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई गयी।’ उन्होंने आगे लिखा कि लोग आएंगे- जायेंगे। ‘ समय और काल के सन्दर्भ में न उनकी स्मृति होगी न गणना। पर लोकतंत्र का यह मंदिर ‘ सदन’ हमेशा समाज और देश के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘मैं मानता हूँ कि मेरा निजी कोई महत्व नहीं है। पर इस पद का है।’
हरिवंश ने कहा कि ‘मुझे लगा कि उच्च सदन के मर्यादित पीठ पर मेरे साथ जो अपमानजनक व्यवहार हुआ, उसके लिए मुझे एक दिन का उपवास करना चाहिए। शायद मेरे उपवास से सदन में इस तरह के आचरण करने वाले माननीय सदस्यों के भीतर आत्मशुद्धि का भाव जागृत हो।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा सभी देशवासी पत्र जरूर पढ़ें
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सभा के सभापति हरिवंश द्वारा राष्ट्रपति को लिखे पत्र की सराहना करते हुए एक ट्वीट किया है। ट्वीट में मोदी ने कहा है, ‘माननीय राष्ट्रपति जी को माननीय हरिवंश जी ने जो पत्र लिखा, उसे मैंने पढ़ा। पत्र के एक-एक शब्द ने लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था को नया विश्वास दिया है। यह पत्र प्रेरक भी है और प्रशंसनीय भी। इसमें सच्चाई भी है और संवेदनाएं भी। मेरा आग्रह है, सभी देशवासी इसे जरूर पढ़ें।’