केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे की कमी को पूरा करने के लिए शुक्रवार को राज्यों को 5,000 करोड़ रुपये की 17वीं किश्त जारी की है। अभी तक, राज्यों को कुल अनुमानित जीएसटी मुआवजे की कमी की 91 प्रतिशत यानी एक लाख करोड़ रूपये की राशि जारी की जा चुकी है।
भारत सरकार ने जीएसटी कार्यान्वयन के कारण पैदा हुई 1.10 लाख करोड़ रुपये की कमी को पूरा करने के लिए पिछले वर्ष अक्टूबर में एक विशेष उधार विंडो स्थापित की थी। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से भारत सरकार द्वारा इस विंडो के माध्यम से ऋण लिया जा रहा है। 23 अक्टूबर, 2020 से शुरू होने के बाद अब तक ऋण के 17 दौर पूरे हो चुके हैं।
विशेष विंडो के तहत, भारत सरकार 3 साल और 5 साल के कार्यकाल के लिए सरकारी स्टॉक में उधार ले रही है। प्रत्येक टेनर के तहत किए गए उधार को जीएसटी क्षतिपूर्ति की कमी के अनुसार सभी राज्यों में समान रूप से विभाजित किया गया है। वर्तमान जारी राशि के साथ, 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 5 साल के लिए लंबित जीएसटी अनुपात समाप्त हो गया है। ये राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश को पहली किस्त से जीएसटी क्षतिपूर्ति जारी की जा रही थी।
इस सप्ताह जारी की गई राशि राज्यों को उपलब्ध कराई गई धनराशि की 17वीं किश्त थी। इस सप्ताह यह राशि 5.5924 प्रतिशत की ब्याज दर पर उधार ली गई है। अभी तक केंद्र सरकार द्वारा इस विशेष उधार विंडो के माध्यम से 4.8307 प्रतिशत की औसत ब्याज दर पर 1,00,000 करोड़ रुपये की राशि उधार ली गई है।
जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण राजस्व में हुई कमी को पूरा करने के लिए विशेष ऋण विंडो के माध्यम से धन उपलब्ध कराने के अलावा भारत सरकार ने जीएसटी मुआवजे की कमी को पूरा करने के लिए विकल्प-1 चुनने वाले राज्यों को उनके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.50 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति भी दी है, ताकि इन राज्यों की अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद की जा सके। सभी राज्यों ने विकल्प-1 के लिए अपनी प्राथमिकता दी है। इस प्रावधान के तहत 28 राज्यों को 1,06,830 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 0.50 प्रतिशत) की पूरी अतिरिक्त राशि उधार लेने की अनुमति दी गई है।
उत्तराखंड के हिस्से आया ये
उत्तराखंड को जीएसडीपी की 0.50 प्रतिशत की अतिरिक्त ऋण की अनुमति के रूप में अब तक 1405 करोड़ और विशेष विंडो के मार्फत 2227.49 की धनराशि जारी की गयी है।
उत्तराखंड देश के उन सात राज्यों में शामिल हो गया है, जिसने केंद्र सरकार द्वारा ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों को लेकर तय किये गए मानकों को पूरा कर लिया है। सुधार प्रक्रिया के हिस्से के रूप में उत्तराखंड ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा तय किए गए सकल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) हानियों में कमी अथवा औसत आपूर्ति लागत और औसत राजस्व प्राप्ति (एसीएस-एआरआर) में अंतर को कम करने के लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल किया है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। वित्त मंत्रालय एटीएंड सी हानियों में कमी के राज्य के लिए निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.05 प्रतिशत के बराबर राशि और एसीएस-एआरआर में अंतर में कमी का लक्ष्य हासिल करने पर अतिरिक्त जीएसडीपी के 0.05 प्रतिशत राशि की अतिरिक्त उधारी लेने की राज्यों को अनुमति दे रहा है।
उत्तराखंड ने एटीएंडसी हानियों और एसीएस-एआरआर अंतर में कमी के दोनों लक्ष्यों को हासिल किया है। राज्य में एटीएंडसी हानियां 19.35 प्रतिशत के लक्ष्य के विरुद्ध 19.01 प्रतिशत कम हो गई हैं। एसीएस-एआरआर में अंतर राज्य में प्रति इकाई 0.40 के लक्ष्य के मुकाबले 0.36 रुपए प्रति यूनिट तक कम हो गया है।
उत्तराखंड के अलावा जिन अन्य राज्यों ने ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों की प्रक्रिया पूरी की है, उनमें आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, गोवा, कर्नाटक व राजस्थान शामिल हैं। इससे पूर्व उत्तराखंड देश के उन 15 राज्यों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने कारोबार में सुगमता से जुड़े सुधारों (Ease of doing business) को लेकर केंद्र द्वारा तय मानकों को पूरा कर दिखाया है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी की वजह से संसाधन जुटाने की चुनौती को देखते हुए भारत सरकार ने पिछले वर्ष मई में राज्यों के लिए उधारी लेने की सीमा राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 2 प्रतिशत तक बढ़ा दी थी।
इस विशेष राशि में से आधी पूंजी यानी कि जीएसडीपी की एक प्रतिशत राशि जुटाने की अनुमति राज्य सरकारों को तब दी जा रही है, जब वे नागरिकों की सुविधा को लेकर केंद्र सरकार द्वारा तय मानकों कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने नागरिक केंद्रित चार सुधार कार्यक्रम चिन्हांकित किये हैं। इनमें एक देश, एक राशन कार्ड व्यवस्था लागू करना, कारोबार में सुगमता से जुड़े सुधार, शहरी स्थानीय निकाय/उपयोगिता सुविधाओं में सुधार और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार।
उत्तराखंड भी कारोबार में सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) सुधारों को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले राज्यों की श्रेणी में आ गया है। इस सुधार प्रक्रिया को पूरा करने के बाद राज्य को खुले बाजार से 702 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति मिल गई है। उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश व गुजरात द्वारा भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार के बाद इस श्रेणी में आने वाले राज्यों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी है। मंत्रालय के अनुसार इससे पहले, आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना इस श्रेणी में शामिल हो चुके हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सहायता प्रदान करने वाले सुधारों को पूरा करने पर इन 15 राज्यों को 38,088 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण जुटाने की अनुमति दी गई है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस देश में निवेश के अनुकूल कारोबार के माहौल का महत्वपूर्ण सूचक है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार राज्य अर्थव्यवस्था की भविष्य की प्रगति तेज करने में समर्थ बनाएंगे। इसलिए भारत सरकार ने पिछले वर्ष मई में यह निर्णय लिया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार करने वाले राज्यों को अतरिक्त ऋण जुटाने की सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा कुछ मानक तय किये गए हैं।
भारत सरकार ने जीएसटी राजस्व में आई कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को 10वीं साप्ताहिक किस्त के तहत 6000 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इस किस्त के बाद राज्यों की जीएसटी राजस्व के संग्रह में आई कमी की 50 फीसदी भरपाई हो गई है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार भारत सरकार ने विगत वर्ष अक्टूबर में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से जीएसटी राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिए विशेष उधारी खिड़की (Special Borrowing Window) का गठन किया था। जिसके तहत 1.10 लाख करोड़ रुपये की पूंजी केंद्र सरकार मुहैया करा रही है। राज्यों की ओर से केंद्र सरकार कर्ज ले रही है। केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को पहली किस्त जारी की थी और 4 जनवरी को दसवीं किस्त जारी की गई।
इस हफ्ते केंद्र सरकार ने यह रकम 4.1526 प्रतिशत ब्याज दर पर उधार ली है। केंद्र सरकार, विशेष उधारी खिड़की के तहत अब तक 60 हजार करोड़ रुपये उधार के रूप में ले चुकी है। जिस पर उसे औसतन 4.6892 फीसदी का ब्याज चुकाना होगा।
जीएसटी के कारण राजस्व में आई कमी को पूरा करने के लिए विशेष उधारी खिड़की के अलावा भारत सरकार राज्यों को अपने सकल घरेलू उत्पाद (Gross States Domestic Product, GSDP) का 0.50 फीसदी अतिरिक्त राशि के रूप में उधार लेने का भी विकल्प दे रही है। इसके तहत 28 राज्यों को 1,06,830 करोड़ की अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति दी गई है।
दसवीं किस्त मिला कर उत्तराखंड के हिस्से अब तक 1436.55 करोड़ की धनराशि आई है, जबकि GSDP का 0.50 फीसदी अतिरिक्त राशि के रूप में उधार लेने के प्रावधान के तहत उत्तराखंड को 1405 करोड़ की अनुमति मिली है। उत्तर प्रदेश को अब तक 3725.41, महाराष्ट्र को 7428.29, कर्नाटक को 7694.69, मध्य प्रदेश को 2816.91, हरियाणा को 2699.05, हिमाचल प्रदेश को 1064.87, गुजरात को 5719.15, बिहार को 2421.54, दिल्ली को 3637.32, पश्चिम बंगाल को1458.37, पंजाब को 2751.20, राजस्थान को 2160.37, जम्मू एवं कश्मीर को 1408.98 करोड़ रूपये की धनराशि जारी की गई है।
उत्तर-पूर्व के 5 राज्य अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम में में जीएसटी लागू करने के दौरान राजस्व में कमी नहीं आई है। लिहाजा, इन राज्यों को धनराशि जारी नहीं की गई।
केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना के तहत 9,879.61 करोड़ रुपये के बराबर की परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं। 27 राज्यों ने इस योजना का लाभ उठा लिया है। योजना की पहली किस्त के रूप में राज्यों को 4,939.81 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक 1501 करोड़ रूपये की अनुमोदित राशि के सापेक्ष 750.50 करोड़ जारी किए गए हैं। उत्तराखंड को 434.11 करोड़ की अनुमोदित राशि के सापेक्ष 217.6 करोड़ जारी किये गए।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शनिवार को जानकारी दी है कि तमिलनाडु के अतिरिक्त सभी राज्यों ने पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता की हाल ही में घोषित योजना का लाभ उठा लिया है। इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 12 अक्तूबर को आत्म निर्भर भारत पैकेज के एक हिस्से के रूप में की गई थी।
योजना का उद्देश्य उन राज्य सरकारों को पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देना है, जो कोविड-19 महामारी की वजह से कर राजस्व में हुई कमी के कारण इस वर्ष कठिन वित्तीय परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के बावजूद वर्ष 2020-21 में पूंजीगत व्यय के संबंध में राज्य सरकारों को विशिष्ट सहायता देने का निर्णय लिया था।
इस योजना को लेकर राज्य सरकारों की ओर से जोरदार प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। पूंजीगत व्यय परियोजनाओं को स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, जलापूर्ति, सिंचाई, बिजली, परिवहन, शिक्षा, शहरी विकास जैसे अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों में अनुमोदित किया गया है। इस योजना के तीन हिस्से हैं। योजना का भाग-1 पूर्वोत्तर क्षेत्र को कवर करता है। इस हिस्से के तहत, पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को 650 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं।
योजना के भाग-2 में अन्य सभी राज्य शामिल किए गए हैं। इन राज्यों के लिए 7500 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। राशि का आवंटन राज्यों के बीच वर्ष 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की अंतरिम मंजूरी के अनुरूप केन्द्रीय कर में उनके हिस्से के अनुपात में किया गया है।
भाग-3 का लक्ष्य राज्यों में विभिन्न लोक केन्द्रित सुधारों को बढ़ावा देना है। इस भाग के तहत, 2000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। यह राशि केवल उन्हीं राज्यों को उपलब्ध होगी, जिन्होंने सुधार संबंधित अतिरिक्त उधारी अनुमतियों के संबंध में वित्त मंत्रालय द्वारा दिनांक 17 मई के पत्र में निर्दिष्ट चार सुधारों में से कम से कम तीन सुधार कार्यान्वित किए हैं। ये चार सुधार हैं- एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (One Nation One Ration Card), व्यवसाय करने की सुगमता सुधार (Ease of doing Business), शहरी स्थानीय निकाय/उपयोगिता सुधार तथा बिजली क्षेत्र सुधार।
भारत सरकार (Government of India) के वित्त वर्ष 2021-22 (Fiscal Year 2021-22) के बजट (Budget) के लिए आम आदमी भी अपने सुझाव, विचार अथवा प्रस्ताव दे सकता है। इसके लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय रविवार को एक ऑनलाइन माइक्रोसाइट लॉन्च करेगा। वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) द्वारा जारी एक वक्तव्य में यह जानकारी दी गई है।
वित्त मंत्रालय ने बजट बनाने की प्रक्रिया में आम आदमी की भागीदारी बढ़ाने और इसे ज्यादा लोकतांत्रिक बनाने के लिए यह फैसला किया है। इसके लिए भारत सरकार ने माई जीओवी (https://www.mygov.in/mygov-survey/inviting-suggestions-budget-2021-22/) प्लेटफॉर्म पर एक माइक्रोसाइट (ऑनलाइन पोर्टल) लॉन्च किया है। यह पोर्टल 15 नवंबर से लाइव हो जाएगा। इस माइक्रोसाइट पर लोग 2021-22 के बजट के लिए अपने विचार, सुझाव भेज सकेंगे।
ऐसा करने के लिए उन्हें माई जीओवी प्लेटफॉर्म पर अपना पंजीकरण कराना होगा। वित्त मंत्रालय के अनुसार लोगों के द्वारा भेजे गए सुझाव का भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय व विभाग मूल्यांकन करेंगे। अगर किसी विषय पर जरूरी हुआ तो संबंधित लोगों से उनके पंजीकृत ई-मेल और मोबाइन नंबर के जरिए संपर्क भी किया जाएगा। यह पोर्टल 30 नवंबर तक सुझावों के लिए खुला रहेगा।
उल्लेखनीय है की पिछले कई वर्षों से वित्त मंत्रालय, सालाना बजट पेश करने से पहले उद्योग व व्यापार जगत के संगठनों और विशेषज्ञों से बजट पूर्व बैठकें कर उनकी सलाह लेता है। मगर इस बार महामारी को देखते हुए वित्त मंत्रालय को बजट पूर्व बैठकों को परंपरागत तरीके से करने की बजाय अलग तरह से करने के सुझाव मिल रहे हैं।
लोगों के सुझाव के आधार पर वित्त मंत्रालय ने फैसला किया है कि विभिन्न संस्थानों, विशेषज्ञों से सुझाव प्राप्त करने के लिए एक अलग E-Mail ID बनाई जाए। जहां पर लोग अपने सुझाव भेज सकेंगे। वित्त मंत्रालय के अनुसार E-Mail ID जल्द ही जारी की जाएगी।