देवस्थानम बोर्ड को लेकर केदारनाथ में अनशन जारी..
उत्तराखंड: देवस्थानम बोर्ड के विरोध में केदारनाथ में तीर्थपुरोहित समाज का क्रमिक अनशन 28वें दिन सोमवार को भी जारी रहा। वहीं आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता कर्नल अजय कोठियाल का कहना हैं कि चारधाम देवस्थानम बोर्ड पर सियासत करने के बजाय सरकार तत्काल बोर्ड को भंग करे। चारधामों के तीर्थपुरोहितों के हितों से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार बोर्ड के नाम पर तीर्थपुरोहितों के साथ जनता को भी भ्रमित कर रही है।
कर्नल अजय कोठियाल का कहना हैं कि प्रदेश सरकार देवस्थानम बोर्ड को भंग करने के नाम पर कभी पुनर्विचार तो कभी समिति बनाने की बात कह कर तीर्थपुरोहितों को गुमराह कर रही है। देवस्थानम बोर्ड बनाकर सरकार हजारों सालों से चली आ रही सांस्कृतिक परंपराओं पर कानूनी चाबुक चलाना चाहती है।
केदारनाथ धाम में अभी भी तीर्थपुरोहित बोर्ड भंग करने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार सेम मुखेम को प्रदेश का छठवां धाम बनाने पर विचार कर रही है। पहले से ही धाम प्रदेश में स्थापित हैं, उनके तीर्थपुरोहितों के हक पर सरकार ने बोर्ड गठित कर डाका डालने का काम किया है। सरकार जल्द ही अध्यादेश लाकर देवस्थानम बोर्ड को भंग करे।
मुख्यमंत्री से वार्ता करने के बाद 13 सितंबर को जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग में प्रस्तावित प्रदर्शन स्थगित कर दिया गया है, लेकिन बोर्ड भंग होने तक केदारनाथ में क्रमिक अनशन जारी रहेगा। तीर्थपुरोहितों का कहना हैं कि सरकार मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं करती तो दोबारा उग्र आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।
केदारनाथ में केदार सभा के महामंत्री कुबेरनाथ पोस्ती के नेतृत्व में आंदोलन जारी रहा। इस दौरान क्रमिक अनशन पर बैठे आंदोलनकारी तीर्थपुरोहितों का कहना था कि देवस्थानम बोर्ड भंग होने के साथ ही आंदोलन भी खत्म किया जाएगा। उन्होंने सरकार पर बोर्ड गठन के नाम पर चारधाम यात्रा व्यवस्था को प्रभावित करने का आरोप लगाया। उनका कहना हैं कि कोरोनाकाल के चलते दो वर्ष से चारधाम यात्रा ठप है।
इस कारण धामों से जुड़े हक-हकूकधारी, व्यापारी व अन्य लोगों की आजीविका ठप पड़ी है, लेकिन सरकार की ओर से इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने जनहित में यात्रा का संचालन शुरू करने की मांग भी की। इस मौके पर राजकुमार शुक्ला, शशि अवस्थी, मनोज तिवारी, विमल तिवारी, रमाकांत शर्मा समेत अन्य मौजूद थे।
इधर, केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला का कहना हैं कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से हुई वार्ता व सफल आश्वासन के बाद जिला मुख्यालय में प्रस्तावित जुलूस-प्रदर्शन को स्थगित कर दिया गया है, लेकिन केदारनाथ में मांगपूर्ति तक आंदोलन जारी रहेगा।
केदारनाथ के लिए पुराने मार्ग से भी शुरू होगी आवाजाही..
उत्तराखंड: वर्ष 2013 की आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक आठ किमी पैदल मार्ग नेस्तनाबूद हो गया था। इसके बाद रामबाड़ा से दायीं ओर की पहाड़ी पर नए मार्ग का निर्माण हुआ और अब पुराने मार्ग के पुनर्निर्माण की योजना है। इसका प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया है और स्वीकृति मिलते ही इस पर कार्य शुरू हो जाएगा। मार्ग बनने के बाद धाम के लिए रामबाड़ा से केदारनाथ तक वन-वे व्यवस्था लागू करने का विकल्प भी खुल जाएगा। यह पैदल मार्ग पुराने पैदल मार्ग से लगभग एक किमी अधिक लंबा होगा।
आपको बता दे कि जून 2013 की केदारनाथ आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक पैदल मार्ग मंदाकिनी नदी के सैलाब में समा गया था। जिस पहाड़ी से यह मार्ग गुजरता था, उस पर भूस्खलन जोन भी विकसित हो गए थे। ऐसे में प्रशासन ने दायीं ओर की पहाड़ी पर रामबाड़ा से केदारनाथ तक नौ किमी नए पैदल मार्ग का निर्माण कराया। वर्तमान में इसी मार्ग से आवाजाही होती है। लेकिन, इस मार्ग पर हिमखंड सक्रिय रहते हैं और यात्राकाल में उनके टूटकर मार्ग पर आने का खतरा बना रहता है। साथ ही इस मार्ग पर चढ़ाई भी काफी तीखी है, जिससे आवाजाही में यात्रियों को खासी दिक्कतें होती हैं।
यही वजह है कि आपदा में बहे मार्ग के पुनर्निर्माण की मांग समय-समय पर उठती रही है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में इस मार्ग का पुनर्निर्माण भी शामिल है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, लोनिवि शाखा केदारनाथ के सहायक अभियंता राजवेंद्र सिंह का कहना हैं कि इसके तहत केदारनाथ से गरुड़चट्टी तक 3.5 किमी मार्ग बन चुका है।
अब रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक 5.3 किमी मार्ग निर्माण का प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया है। अब यह मार्ग लगभग नौ किमी लंबा होगा, जबकि पूर्व में इसकी लंबाई आठ किमी थी। बताया कि इस पहाड़ी पर मंदाकिनी नदी से लगभग 1.5 किमी ऊपर तक भूस्खलन जोन सक्रिय हैं। इसे देखते हुए कार्यदायी संस्था ने पैदल मार्ग को भूस्खलन जोन के ऊपर से बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है।
रामबाड़ा से केदारनाथ तक पुराने पैदल मार्ग के निर्माण से यात्रियों को काफी फायदा होगा। घोड़ा-खच्चर और पैदल यात्रियों के एक साथ गुजरने के कारण मार्ग पर काफी भीड़ हो जाती है। ऐसे में घोड़ा-खच्चर की टक्कर से हादसे भी होते रहते हैं। साथ ही पैदल यात्रियों को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। घोड़ा-खच्चर की लीद से मार्ग पर गंदगी व कीचड़ भी होता है, ऐसे में नया मार्ग यात्रा को सुलभ बनाने का कार्य करेगा।
जानिए क्या हट जाएगा अब चारों धामों से प्रतिबंध..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर लगा ग्रहण शायद अब हट जाएगा। मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले श्रीनगर में इस बात के संकेत दिए हैं। उनका कहना हैं कि मामला हाईकोर्ट में है, लेकिन सरकार इस दिशा में विचार कर रही है। कोरोना महामारी के कारण उत्तराखंड के प्रसिद्ध चारों तीर्थस्थल बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा के दो सीजन बर्बाद हो गए।
जिसका खामियाजा अब तक यात्रा से जुड़े तमाम वर्ग के लोगों को भुगतना पड़ रहा हैं। हरिद्वार से लेकर चारों धामों तक जिनकी आजीविका इस यात्रा पर निर्भर है वे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। साल 2020 में तो सरकार ने 1 जुलाई से कुछ प्रतिबंधों के साथ यात्रा को खोल दिया था। लेकिन इस साल शुरूआत से ही इस पर रोक है। केवल स्थानीय लोगों को ही वहां जाने की सीमित अनुमति मिली है। उसमें भी वह लोग मंदिरों में दर्शनों के लिए प्रवेश नहीं कर सकते हैं।
यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों से खासकर बद्रीनाथ और केदारनाथ में तीर्थ पुरोहित, हकहकूकधारी, पंडा समाज और व्यापारी वर्ग आंदोलित है। चार दिन पहले ही बद्रीनाथ में संत धर्मराज भारती ‘मौनी बाबा’ ने यात्रा और मंदिर में प्रवेश से रोक हटाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया। ऐसे वक्त में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का श्रीनगर में दिया गया बयान आम लोगों के लिए सुकून भरा है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जन आशीर्वाद रैली के दौरान कहा कि चारधाम यात्रा के रुकने से इन क्षेत्रों का जनजीवन प्रभावित है। मामला कोर्ट में होने से फैसला नहीं हो पा रहा है। लेकिन अब सरकार जल्द ही इसका रास्ता निकालेगी। जिसके बाद अब लोगों में चारधाम यात्रा को लेकर कुछ उम्मीद जगी है।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने गुरुवार को सचिवालय में बद्रीनाथ-केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों को निर्धारित समय सीमा में पूर्ण कर लिया जाए।
उन्होंने केदारनाथ धाम हेतु लोक निर्माण विभाग द्वारा जुलाई, 2021 के प्रथम सप्ताह तक समुचित स्टाफ की तैनाती किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने मंदाकिनी नदी पर निर्मित सुरक्षा दीवार की सुदृढ़ता एवं वर्तमान स्थिति की जांच रिपोर्ट एक माह के भीतर प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए गए। जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग ने बताया कि केदारनाथ में सम्बन्धित व्यक्तियों हेतु भूमिधरी के अधिकार का शासनादेश हो गया है। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि उनके म्यूटेशन की कार्यवाही भी शीघ्र पूर्ण की जाए।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बद्रीनाथ धाम में कराए जाने वाले कार्यों को ससमय प्रारम्भ कर निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत कार्यों को पूर्ण करने हेतु कार्य योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने सभी कार्यों में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिए जाने के भी निर्देश दिए।
इस अवसर पर सचिव अमित नेगी, दिलीप जावलकर, एस.ए. मुरुगेशन, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन, वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बन्धित जनपदों से जिलाधिकारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
धारा-144 के बीच शुक्रवार को बाबा केदार की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर से सादगीपूर्वक केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान कर गई। डोली अपने पहले पड़ाव गौरीकुंड पहुंच गई है। वहां से डोली शनिवार को केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी। केदारनाथ मंदिर के कपाट 17 मई को खोले जाएंगे।
ऐतिहासिक ओंकारेश्वर मंदिर में परम्पराओं व वैदिक विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद बाबा केदार की डोली ने आज पूर्वाह्न केदारनाथ के लिए प्रस्थान किया। कोरोना महामारी के चलते डोली के दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ ना जुटने पाए, इसके लिए रुद्रप्रयाग के जिला प्रशासन ने कर्फ्यू के साथ-साथ ऊखीमठ समेत पूरे यात्रा मार्ग पर धारा-144 लागू की हुई है।
डोली के साथ केदारनाथ जाने के लिए प्रशासन ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के 14 अधिकारी/ कर्मचारी और 14 हक़-हकूकधारियों को ही अनुमति दी गई है। इस अवसर पर रावल भीमाशंकर लिंग, उप जिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी. सिंह, कार्याधिकारी एनपी जमलोकी, पुजारी बागेश लिंग, डोली प्रभारी युद्धवीर पुष्पवान आदि उपस्थित थे।
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि 17 मई को प्रात:पांच बजे श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। प्रदेश सरकार ने कोरोना के चलते फिलहाल के लिए चारधाम यात्रा को स्थगित रखा है। लिहाजा, केवल मंदिर के कपाट खोले जाएंगे और मंदिर के पुजारी ही नियमित पूजा- अर्चना करेंगे।
यमुनोत्री के कपाट खुले
अक्षय तृतीया के अवसर पर शुक्रवार को ही अभिजीत मुहुर्त 12 बजकर 15 मिनट पर श्री यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए। आज प्रात: श्री यमुनोत्री जी की चलविग्रह डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल खरशाली( खुशीमठ) से प्रस्थान किया। उनको विदा करने छोटे भाई शनिदेव महाराज यमुनोत्री धाम पहुंचे।
यमुनोत्री धाम के कपाट भी चुनिंदा तीर्थ पुरोहितो व पुलिस -प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में खुले। इस अवसर पर मंदिर समिति अध्यक्ष व बड़कोट के उपजिलाधिकारी चतरसिंह चौहान, सचिव सुरेश उनियाल, पवन उनियाल, कृतेश्वर उनियाल आदि मौजूद रहे।
कल खुलेंगे गंगोत्री के कपाट
मां गंगा की चलविग्रह डोली ने आज दोपहर शीतकालीन गद्दीस्थल मुखवा (मुखीमठ) से गंगोत्री धाम के लिए प्रस्थान किया। डोली आज रात्रि प्रवास हेतु भैरव घाटी पहुंचेगी और कल सुबह गंगोत्री धाम पहुंचेगी। शनिवार 15 मई को प्रात: 7 बजकर 31 मिनट पर श्री गंगोत्री धाम के कपाट खुलेंगे। इस अवसर पर भटवाड़ी के उप जिलाधिकारी देवेन्द्र सिंह नेगी, देवस्थानम बोर्ड के विशेष कार्याधिकारी राकेश सेमवाल, गंगोत्री मंदिर समिति अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल आदि उपस्थित थे।
18 मई को खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट
हिन्दुओं के एक अन्य विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार १८ मई को प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर खुलेंगे। इससे पहले 16 मई को आदिगुरु शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ बद्रीनाथ के रावल ईश्वरीप्रसाद नंबूदरी पांडुकेश्वर स्थित श्री योगध्यान बदरी मंदिर पहुंचेगे और वहां से 17 मई की शाम को श्री बद्रीनाथ धाम पहुंचेगे।
घर बैठे दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण प्रदेश सरकार द्वारा श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा पर रोक लगायी गयी है। स्थिति सामान्य होते ही चारधाम यात्रा शुरू हो सकेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द स्थितियां सामान्य होंगी। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं को चारों धामों के वर्चुअल दर्शन कराने हेतु देवस्थानम बोर्ड को कहा गया है। देवस्थानम बोर्ड शीघ्र ही वर्चुअल दर्शन की व्यवस्था करेगा।
,… श्री केदारनाथ तथा श्री बद्रीनाथ धाम के वर्चुअल दर्शन कराएंगे। जहां तक अनुमति होती है, भक्तगण वहां तक इन धामों के दर्शनों का लाभ घर बैठे ही प्राप्त कर सकेंगे। वर्तमान समय में सच्ची देशभक्ति यही है कि आप सभी वैक्सीन अवश्य लगाएं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। 2/3
— Satpal Maharaj (@satpalmaharaj) May 13, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप श्री बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक नगरी के रूप में विकसित करने के लिए भारत सरकार के तेल व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों और उत्तराखंड सरकार के श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच गुरूवार को लगभग 100 करोड़ के कार्यों के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।
वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय तेल व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। तेल व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सार्वजनिक प्रतिष्ठान – इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, ओएनजीसी तथा गैस ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया द्वारा बद्रीनाथ धाम में पहले चरण की विकास गतिविधियों में 99.60 करोड़ रूपये की धनराशि दी जाएगी।
Oil PSUs have committed ₹100 crore towards the Badrinath development master plan and will be undertaking several works for the beautification of the temple & its surroundings, including pilgrim and environment-friendly amenities, water supply, sewage management among others. pic.twitter.com/UINWqsZola
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) May 6, 2021
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि उत्तराखंड स्थित चार धाम आध्यात्मिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक कारणों से लाखों लोगों के हृदय के निकट है। उन्होंने कहा कि तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठान न केवल बद्रीनाथ का विकास कार्य करेंगे, बल्कि केदारनाथ, उत्तरकाशी, यमुनोत्री तथा गंगोत्री के विकास का हिस्सा भी बनेंगे।
तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधान ने कहा कि ये प्रतिष्ठान बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक नगर के रूप में विकसित करने के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को साकार करने के लिए आगे आए हैं। पर्यटन प्रमुख उद्योग है, जो राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बद्रीनाथ जैसे स्थलों के विकास से और अधिक संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री तीरथ ने कहा प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद केदारनाथ में पुनर्निर्माण के कार्य शुरू हुए थे जो कि अब अपने अंतिम चरणों में हैं। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने बद्रीनाथ धाम के कायाकल्प का भी निर्णय लिया। बद्रीनाथ में आगामी 100 वर्षों की आवश्यकताओं के मद्देनजर सुविधाओं का विकास चरणबद्ध तरीके से किया जाना है। उन्होंने बद्रीनाथ धाम के विकास में सहयोग के लिए केंद्र सरकार का आभार भी जताया।
प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि श्री बद्रीनाथ धाम का धार्मिक के साथ ही आर्थिक महत्व भी है। यहां से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है। उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण कार्यो के दौरान हमें इस बात का भी ध्यान रखना है कि यहां पर पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
उत्तराखंड में कोविड के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा को स्थगित करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि धामों के कपाट निर्धारित समय पर ही खुलेंगे और तीर्थ-पुरोहित मंदिरों में नियमित रूप से पूजा-पाठ करेंगे। लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर चारधाम यात्रा को स्थगित रखने का निर्णय लिया गया है।
उल्लेखनीय है की प्रदेश में स्थित चारधामों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री की यात्रा अगले माह 14 मई से शुरू होनी थी। परंपरानुसार 14 मई को गंगोत्री व यमुनोत्री, 17 मई को केदारनाथ तथा 18 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने हैं। मगर इस बार कोविड की परिस्थितियों के मद्देनजर राज्य सरकार ने चारधामों के कपाट निर्धारित तिथियों पर खोलने की घोषणा के साथ यात्रा पर आम श्रद्धालुओं के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखंड में भी लगातार कोविड के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। लोगों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। राज्य सरकार की ओर से कोविड-19 से लड़ाई के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) April 29, 2021
गुरूवार को अपने कैंप कार्यालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा को स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा की किसी को अनुमति नहीं होगी। केवल तीर्थ पुरोहितों को ही नियमित पूजा-पाठ की अनुमति होगी। स्थानीय लोग भी मंदिरों में पूजा-पाठ के लिए नहीं जा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि चारधाम के पट नियमित समय पर ही खुलेंगे और तीर्थ-पुरोहित ही पूजा करेंगे। बाकी देश के लोगों के लिए चारधाम यात्रा अभी बंद है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस समय कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। उत्तराखण्ड में भी लगातार कोविड के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे समय में सरकार पूरी तरह से सजग है और इसी क्रम में तय हुआ है कि अभी चारधाम यात्रा को स्थगित रखा जाए। उन्होंने कहा कि लोगों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। राज्य सरकार की ओर से कोविड-19 से लड़ाई में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन व राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और राज्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान गडकरी ने बताया कि रुद्रप्रयाग में राष्ट्रीय राजमार्ग पर टनल निर्माण के लिए 225 करोड़ की स्वीकृति दे दी गई है।
गडकरी से भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में रोड़ कनेक्टविटी के विकास में महत्वपूर्ण सहयोग के लिए केंद्रीय मंत्री का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री के अनुरोध पर केंद्रीय मंत्री ने आईएसबीटी, देहरादून की सड़क परियोजना के लिए 48 करोड़ रूपए की स्वीकृति पर सहमति दी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि रूद्रप्रयाग में टनल निर्माण के लिए लगभग 225 करोड़ रूपए स्वीकृत हो गए हैं। इस पर आवश्यक कार्यवाही शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही उत्तराखण्ड में नए राष्ट्रीय राजमार्ग में बाईपास की गई पुरानी सड़कों के सुदृढ़ीकरण के लिए भी 69 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने हरिद्वार-देहरादून एनएच पर जोगीवाला में जाम की समस्या को दूर करने पर सहमति व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से इसका प्रस्ताव जल्द भेजने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषिकेश-भानियावाला मोटर मार्ग चारधाम यात्रा में शोर्ट लिक मार्ग है। जौलीग्राट एयरपोर्ट भी ऋषिकेश भानियावाला के मध्य स्थित है । वर्तमान में यह केवल दो लेन मार्ग है। इस मार्ग के व्यापक महत्व को देखते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से इसे राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में केंद्रीय सड़क व अवस्थापना निधि के अंतर्गत मंत्रालय को प्रेषित 219 करोड़ रूपए के प्रस्तावों की शीघ्र स्वीकृति का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने उत्तराखण्ड में 6 राजमार्गो (कुल लम्बाई 524 किमी) को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए जाने की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है। इनमें लक्ष्मणझूला-दुगड्डा-नैनीडाडा-मोहन- रानीखेत(274किमी), पाण्डुआखाल -नागचूलाखाल उफरैखाल-बैजरो (64 किमी), खैरना-रानीखेत (34 किमी), बुआखाल-देवप्रयाग (49 किमी), देवप्रयाग-गजा-खाड़ी (70 किमी), बिहारीगढ़-रोशनाबाद (33 किमी) शामिल है। मुख्यमत्री ने केंद्रीय मंत्री से इन्हें जल्द से जल्द राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में अधिसूचित किये जाने का अनुरोध किया।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव राधिका झा, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डा.पराग मधुकर धकाते व केंद्र सरकार के अधिकारी उपस्थित थे।
72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ में उत्तराखंड की ओर से केदारखंड की झांकी प्रदर्शित की गई। उत्तराखंड की झांकी का तालियों की गड़गड़ाहट से लोगों ने स्वागत किया। झांकी के अग्रभाग में उत्तराखण्ड का राज्य पशु कस्तूरी मृग दर्शाया गया था जो कि उत्तराखण्ड के वनाच्छादित हिम शिखरों में 3600 से 4400 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। इसके साथ ही झांकी में प्रदेश का राज्य पक्षी मोनाल व राज्य पुष्प ब्रह्मकमल भी दिखाया गया था। मोनाल पक्षी व ब्रह्मकमल केदारखण्ड के साथ-साथ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
झांकी के पिछले हिस्से में बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक केदारनाथ धाम की प्रतिकृति बनाई गयी थी। साथ में केदारनाथ धाम में यात्रियों को यात्रा करते हुए तथा श्रद्धालुओं को भक्ति में लीन दिखाया गया था। मंदिर के ठीक पीछे विशालकाय दिव्य शिला को प्रदर्शित किया गया था। इसी दिव्य शिला की वजह से वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ मंदिर सुरक्षित रहा था। प्रदेश के सूचना व लोकसंपर्क विभाग के उपनिदेशक के.एस.चौहान के नेतृत्व में 12 सदस्यीय कलाकारों के दल ने झांकी में अपना प्रदर्शन किया।
मुख्यमंत्री ने ट्विटर व फेसबुक पर साझा किया वीडियो
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने राजपथ पर निकली प्रदेश की झांकी की ट्विटर व फेसबुक पर वीडियो साझा करते हुए कलाकारों को शुभकामनाएं दी हैं।
राजधानी देहरादून में राज्यपाल ने परेड की सलामी
देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित मुख्य समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने ध्वज फहरा कर परेड की सलामी ली। इस अवसर पर सेना, आईटीबीपी, पुलिस, पीएसी, होमगार्ड, पीआरडी के जवानों ने मार्चपास्ट करते हुए राज्यपाल को सलामी दी। राज्य के लोक कलाकारों ने सुन्दर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। समारोह में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, सांसद महारानी मालाराज्य लक्ष्मी शाह, नरेश बंसल, मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक खजान दास, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार आदि उपस्थित थे।
ग्रीष्मकालीन राजधानी में विधानसभा अध्यक्ष ने फहराया तिरंगा
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण स्थित विधानसभा परिसर में ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर अग्रवाल ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री राहत कोष में 10 लाख रुपए का योगदान देने वाली चमोली जिले की देवकी भंडारी समेत विभिन्न विद्यालयों के 10 मेधावी छात्रों सम्मानित किया। कार्यक्रम में स्थानीय विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी, एडीएम अनिल चिनियाल, पुलिस क्षेत्राधिकारी विमल प्रसाद, समीर मिश्रा, अरुण मैठाणी, महावीर सिंह रावत आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने सरकारी आवास व भाजपा मुख्यालय में किया ध्वजारोहण
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देहरादून स्थित मुख्यमंत्री आवास में ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उपस्थित अधिकारियों, कार्मिकों एवं पुलिस के जवानों को संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में भी ध्वजारोहण किया। कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह व नरेश बंसल, विधायक खजानदास, विनय रुहेला, मधु भट्ट आदि उपस्थित।
वर्षा व बर्फवारी के बीच विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट सोमवार को भैयादूज के अवसर पर शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं । कपाट बंद करने से पहले मंदिर तड़के तीन बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया था। इसके बाद मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने बाबा की समाधि पूजा संपन्न की और साढ़े छ: बजे भगवान भैरवनाथ को साक्षी मानकर मंदिर के गर्भगृह को बंद कर दिया। वैदिक विधि-विधान के साथ साढ़े आठ बजे मंदिर का सभा मंडप व मुख्य द्वार बंद किया गया। कपट बंद होने के साथ ही भगवान केदारेश्वर की चल-उत्सव डोली अपने शीतकालीन प्रवास स्थल उखीमठ के लिए रवाना हो गई।
कपाट बंद होने के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड के औद्योगिक सलाहकार डॉ के.एस. पंवार उपस्थित रहे।
इसके अलावा मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मनुज गोयल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी. सिंह, पुलिस अधीक्षक नवनीत भुल्लर, मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर पुष्पवान सहित तीर्थ पुरोहित एवं हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे । देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि इस यात्रा वर्ष 1,350,23 श्रद्धालुओं ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किए।
बाबा के जय घोष के साथ डोली ने अपने प्रथम पड़ाव रामपुर हेतु प्रस्थान किया, जहां देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एन.पी.जमलोकी, कोषाध्यक्ष आर सी तिवारी एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल उत्सव डोली की अगवानी करेंगे। 17 नवंबर मंगलवार को उत्सव डोली श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी और 18 नवंबर को उखीमठ स्थित शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएगी। उखीमठ में ही बाबा केदारनाथ की शीतकालीन पूजा होती है।
कपाट बंद होने के अवसर पर केदारनाथ धाम में बारिश व बर्फबारी के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई दी। बर्फबारी के बीच बाबा की डोली सेना के बेंड की धुन पर केदारनाथ से रवाना हुई। बर्फबारी के कारण उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री अपने निर्धारित समय पर बद्रीनाथ के लिए उड़ान नहीं भर सके।