भारत के औषधि नियन्त्रण महानिदेशक (Drug Controller General of India-DCGI) ने मध्यम श्रेणी के कोविड-19 लक्षणों वाले रोगियों के उपचार के लिए जाईडस कैडिला द्वारा निर्मित वाईराफिन (Virafin) के सीमित उपयोग की आपात स्वीकृति दे दी है। इस दवा का उपयोग करने के बाद 91.5 प्रतिशत रोगियों का आरटी-पीसीआर परीक्षण सातवें दिन नेगेटिव मिला और रोगियों में अतिरिक्त ऑक्सीजन लेने की जरुरत में उल्लेखनीय कमी आई।
केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि चिकित्सकीय अध्ययनों से यह जानकारी मिली है कि कोविड संक्रमित रोगियों में से बड़ी संख्या में जिन रोगियों को त्वचा के नीचे इंजेक्शन के रूप में वाईराफिन दी गई उनकी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट एक सप्ताह बाद निगेटिव आई, जो कि अन्य एंटी -वाइरल दवाओं की तुलना में बेहतर परिणाम है।
अध्ययनों से वाईराफिन की सुरक्षित होने, सहनशीलता और प्रभावशीलता की पुष्टि हुई है। अध्ययनों से यह भी जानकारी मिली कि वाईराफिन वाइरल लोड में कमी लाने के साथ-साथ इस रोग का बेहतर तरीके से उपचार करने में कारगर है। इसमें पूरक ऑक्सीजन की आवश्यकता में कमी लाना शामिल है, जिससे ऑक्सीजन का स्तर घटने के कारण सांस लेने में हो रही कठिनाइयों को कम किया जा सकता है।
Just like the ‘whole of society’ & ‘whole of govt’, our scientists keep on contributing to the fight against #COVID19
GoI is committed to supporting each & every positive endeavour to end this #pandemic#Unite2FightCorona #Virafin @PMOIndia @DBTIndia @ZydusUniverse @BIRAC_2012 https://t.co/K0mu1GazYr
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) April 24, 2021
इस उपलब्धि की चर्चा करते हुए केंद्र सरकार की जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने कहा कि – सरकार कोविड-19 महामारी के विरुद्ध शमन रणनीतियों और हस्तक्षेप की दिशा में काम करने के लिए देश में उद्योगों को हर संभव सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। वाईराफिन को दी गई आपात स्वीकृति इस दिशा में एक नया पड़ाव है।
कैडिला हैल्थकेयर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ.शर्विल पी.पटेल ने कहा कि – यह अनुभूति हो रही है कि अब हम एक ऐसा उपचार देने में सक्षम हैं जिससे वायरल लोड को काफी हद तक कम किया जा सकता है और इस संक्रमण की शुरुआत में ही इस रोग का बेहतर ढंग से उपचार में मदद मिल सकती है। यह ऐसे समय आई है जब रोगियों को इसकी आवश्यकता है।