72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ में उत्तराखंड की ओर से केदारखंड की झांकी प्रदर्शित की गई। उत्तराखंड की झांकी का तालियों की गड़गड़ाहट से लोगों ने स्वागत किया। झांकी के अग्रभाग में उत्तराखण्ड का राज्य पशु कस्तूरी मृग दर्शाया गया था जो कि उत्तराखण्ड के वनाच्छादित हिम शिखरों में 3600 से 4400 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। इसके साथ ही झांकी में प्रदेश का राज्य पक्षी मोनाल व राज्य पुष्प ब्रह्मकमल भी दिखाया गया था। मोनाल पक्षी व ब्रह्मकमल केदारखण्ड के साथ-साथ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
झांकी के पिछले हिस्से में बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक केदारनाथ धाम की प्रतिकृति बनाई गयी थी। साथ में केदारनाथ धाम में यात्रियों को यात्रा करते हुए तथा श्रद्धालुओं को भक्ति में लीन दिखाया गया था। मंदिर के ठीक पीछे विशालकाय दिव्य शिला को प्रदर्शित किया गया था। इसी दिव्य शिला की वजह से वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ मंदिर सुरक्षित रहा था। प्रदेश के सूचना व लोकसंपर्क विभाग के उपनिदेशक के.एस.चौहान के नेतृत्व में 12 सदस्यीय कलाकारों के दल ने झांकी में अपना प्रदर्शन किया।
मुख्यमंत्री ने ट्विटर व फेसबुक पर साझा किया वीडियो
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने राजपथ पर निकली प्रदेश की झांकी की ट्विटर व फेसबुक पर वीडियो साझा करते हुए कलाकारों को शुभकामनाएं दी हैं।
राजधानी देहरादून में राज्यपाल ने परेड की सलामी
देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित मुख्य समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने ध्वज फहरा कर परेड की सलामी ली। इस अवसर पर सेना, आईटीबीपी, पुलिस, पीएसी, होमगार्ड, पीआरडी के जवानों ने मार्चपास्ट करते हुए राज्यपाल को सलामी दी। राज्य के लोक कलाकारों ने सुन्दर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। समारोह में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, सांसद महारानी मालाराज्य लक्ष्मी शाह, नरेश बंसल, मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक खजान दास, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार आदि उपस्थित थे।
ग्रीष्मकालीन राजधानी में विधानसभा अध्यक्ष ने फहराया तिरंगा
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण स्थित विधानसभा परिसर में ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर अग्रवाल ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री राहत कोष में 10 लाख रुपए का योगदान देने वाली चमोली जिले की देवकी भंडारी समेत विभिन्न विद्यालयों के 10 मेधावी छात्रों सम्मानित किया। कार्यक्रम में स्थानीय विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी, एडीएम अनिल चिनियाल, पुलिस क्षेत्राधिकारी विमल प्रसाद, समीर मिश्रा, अरुण मैठाणी, महावीर सिंह रावत आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने सरकारी आवास व भाजपा मुख्यालय में किया ध्वजारोहण
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देहरादून स्थित मुख्यमंत्री आवास में ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उपस्थित अधिकारियों, कार्मिकों एवं पुलिस के जवानों को संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में भी ध्वजारोहण किया। कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह व नरेश बंसल, विधायक खजानदास, विनय रुहेला, मधु भट्ट आदि उपस्थित।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में साल 2020 में उत्तराखंड में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। बातें कम, काम ज्यादा की तर्ज पर इस वर्ष राज्य में तेजी से विकास कार्य हुए। एक ओर वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ाई लड़ी गई, वहीं राज्य को नई दिशा देने वाले फैसले लिए गए। इस वर्ष जनभावनाओं का सम्मान देखा गया तो वर्षों से लम्बित परियेाजनाओं को पूरा होते हुए भी देखा गया। यदि इस वर्ष की महत्वपूर्ण घटनाओं पर नजर डालें तो उत्तराखंड में वर्ष 2020 में विकास ने निश्चित रूप से गति पकड़ी है। आइये जानते हैं सरकार की इस साल की उपलब्धियों के बारे में।
गैरसैंण बनी ग्रीष्मकालीन राजधानी
गैरसैैंण राज्य आंदोलन की मूल भावना थी। गैरसैंण प्रतीक है, समूचे पर्वतीय क्षेत्रों के विकास का। इसी भावना और सोच के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने गैरसैंण-भराड़ीसैंण को उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। इस वर्ष 4 मार्च को मुख्यमंत्री ने गैरसैंण में आयेाजित बजट सत्र के दौरान उत्तराखण्डवासियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए गैरसैण-भराड़ीसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा की और 8 जून को बाकायदा अधिसूचना जारी कर दी गई।
चार धाम देवस्थानम बोर्ड का विधिवत गठन
राज्य गठन के बाद किया गया सबसे बड़ा साहसिक और ऐतिहासिक फैसला है, देवस्थानम बोर्ड बनाना। 15 जनवरी 2020 को विधिवत रूप से ‘उत्तराखण्ड चार धाम देवस्थानम बोर्ड’ का गठन किया गया। भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें तीर्थ पुरोहित और पण्डा समाज के लोगों के हक-हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है। देवस्थानम बोर्ड का गठन भविष्य की जरूरतों को देखते हुए किया गया है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
वर्ष 2020 में त्रिवेंद्र सरकार की एक बड़ी देन है ‘मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना’। 28 मई को प्रारम्भ की गई यह योजना कोराना काल में वापस आए प्रवासियों और राज्य के युवाओं को सम्मानजनक तरीके से आजीविका प्रदान करने का बड़ा माध्यम बन रही हैै। एमएसएमई के तहत ऋण और अनुदान की व्यवस्था है। इसमें विनिर्माण में 25 लाख रूपये और सेवा क्षेत्र में 10 लाख रूपये तक की परियोजनाओं पर ऋण की व्यवस्था है।
किसानों की खुशहाली
इस वर्ष राज्य सरकार ने किसानों के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए। पं.दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना में बिना ब्याज के किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे ऋण की सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रूपए कर दिया गया है। इसी प्रकार स्वयं सहायता समूह पांच रूपए तक का ब्याज मुक्त ऋण का लाभ ले सकते हैं। प्रदेश में पहली बार गन्ना किसानों का 100 प्रतिशत भुगतान, किया गया है।
केवल 1 रूपए में ग्रामीण घरों में पानी का कनेक्शन
प्रदेश में ग्रामीण घरों को पीने के पानी का कनेक्शन केवल 1 रूपए में दिया जा रहा है जो कि पहले 1360 रूपए था। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के हर घर को नल से जल के मिशन को प्रदेश में तेजी से आगे बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इसी प्रकार मुख्यमंत्री ने शहरी क्षेत्रों में भी गरीब परिवारों को केवल 100 रुपये में पानी का कनेक्शन देने का निर्णय लिया है जो कि पहले 6000 रुपये था।
गुड गर्वनेंस के लिए ई गर्वनेंस
जनवरी माह में प्रदेश मंत्रीमण्डल की पहली ई-केबिनेट बैठक हुई। राज्य में ई-आफिस की प्रक्रिया में भी तेजी लाई गई। सचिवालय के लगभग सभी अनुभागों में ई-आफिस शुरू किया जा चुका है। 3773 फाईलें ई-आफिस के माध्यम से बना दी गई हैं। सचिवालय के साथ ही 27 विभाग ई-आफिस प्रणाली के अन्तर्गत आ चुके हैं। कई जिलों के जिलाधिकारी कार्यालयों में ई-आफिस प्रणाली शुरू। राज्य के हर न्याय पंचायत से ई-पंचायत सेवा उपलब्ध कराने वाला उत्तराखण्ड देश का तीसरा राज्य बन गया है।
हेल्थ सिस्टम को मजबूती और कोरोना से जंग
कोराना काल में राज्य में हेल्थ सिस्टम को काफी मजबूत किया गया है। राज्य में पर्याप्त संख्या में कोविड अस्पताल, आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, आक्सीजन सपोर्ट बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। अटल आयुष्मान योजना में लगभग 40 लाख लोगों के गोल्डन कार्ड और 2 लाख 12 हजार मरीजों को निःशुल्क उपचार, जिन पर 203 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया गया है। राज्य और जिला स्तर पर कोविड-19 वैक्सीन वितरण और भण्डारण के लिये टास्क फोर्स गठित की गई है। इसका आवश्यक डाटा संकलित किया जा चुका है, अन्य तैयारियां गतिमान हैं।
देहरादून। उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड का मुख्यालय प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में स्थापित किया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चमोली की जिलाधिकारी को इसके लिए जमीन तलाशने के निर्देश दिए।
गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसानों को बाजार उपलब्ध कराने हेतु राज्य में 04 नई फैक्ट्रियां स्थापित की जाएं। साथ ही, चाय बागानों से उत्पादित हरी पत्तियों के न्यूनतम विक्रय मूल्य को निर्धारित करने हेतु एक समिति भी गठित हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बोर्ड टी-गार्डन विकसित करे और इन्हें काश्तकारों को सौंपा जाए। टी-गार्डन काश्तकारों को सौंपने के बाद उन्हें तकनीकी विशेषज्ञता भी उपलब्ध करायी जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य में जो निजी चाय फैक्ट्रियां किसी भी कारण से बंद हैं, उन्हें चलाने हेतु प्रयास किए जाएं। यदि निजी फैक्ट्रियों के मालिक इन्हें चलाने में सक्षम नहीं हैं तो, बोर्ड इन्हें चलाने का प्रयास करे। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने बोर्ड की बैठक, वर्ष में 04 बार आयोजित करने के भी निर्देश दिए।
बैठक में अवगत कराया गया कि बोर्ड द्वारा वर्तमान तक विभिन्न स्थानों कुल 1387 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर चाय प्लान्टेशन किया जा चुका है। उत्तराखण्ड के 09 पर्वतीय जनपदों (बागेश्वर, चम्पावत, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, टिहरी) के 28 विकास खण्डों में स्वयं संचालित योजना, स्पेशल कम्पोनन्ट प्लान, मनरेगा के अन्तर्गत चाय विकास कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इन क्षेत्रों के 3,882 काश्तकार ने राजकीय/गैर राजकीय भूमि को लीज पर लेकर चाय प्लान्टेशन किया है। इसमें अनुमानित 4,000 श्रमिक कार्यनियोजित किये गये हैं, जिसमें 70 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी हैं।
वर्तमान में बोर्ड द्वारा निर्मित की जा रही चाय को उत्तराखण्ड टी ब्राण्ड नेम से रजिस्टर करते हुए बेचा जा रहा है। बोर्ड द्वारा जैविक/अजैविक आर्थोडोक्स ब्लैक व ग्रीन टी तैयार कर, स्थानीय स्तर पर स्वयं के शो-रूम, दुकानदारों य पोस्टल सेवा एवं कोलकाता ऑक्सन हाउस के माध्यम से बिक्री की जा रही है।
बैठक में उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल, उपाध्यक्ष चाय विकास बोर्ड गोविन्द सिंह पिल्खवाल, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, प्रमुख सचिव आनन्द वर्धन, सचिव उद्यान हरबंस सिंह चुघ सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड राज्य स्थापना की 20 वीं वर्षगांठ पर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में भी कार्यक्रमों की धूम
उत्तराखंड राज्य स्थापना की 20 वीं वर्षगांठ पर प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण में भी कार्यक्रमों की धूम रहेगी। स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दो दिन तक गैरसैंण में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे। विगत 4 मार्च को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए जाने के बाद से त्रिवेंद्र सरकार लगातार गैरसैंण को तवज्जो देने में लगी हुई है। त्रिवेंद्र ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पहले अस्थाई राजधानी देहरादून और फिर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधान भवन में ध्वजारोहण कर इतिहास ही नहीं रचा, अपितु गैरसैंण को लेकर ताबड़तोड़ घोषणाएं कर विपक्षियों पर भी बढ़त कायम की।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में राज्य स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की विस्तृत रुप रेखा तय की गई। मुख्यमंत्री ने स्थापना दिवस के कार्यक्रमों को राज्य मुख्यालय के साथ ही सभी जिला मुख्यालयों में भी सादगी के साथ गरिमामय ढंग से आयोजित किए जाने पर बल दिया। बैठक में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत, सचिव वित्त अमित नेगी, सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा एवं अपर सचिव मुख्यमंत्री तथा महानिदेशक सूचना डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट उपस्थित थे।
बैठक में तय किया गया कि राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर 8 से 11 नवम्बर तक
राजधानी देहरादून समेत सभी जनपदों के मुख्य राजकीय भवनों को प्रकाशमान किया जाएगा। स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की शुरुआत 8 नवम्बर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र द्वारा माउण्टेन बाईक रैली के शुभारंभ के साथ होगी। इसी दिन राज्य के समस्त महाविद्यालयों में फ्री वाई-फाई कनेक्टिविटी से जोड़ने की शुरुआत मुख्यमंत्री द्वारा डोईवाला से की जाएगी। यहीं पर आयोजित कार्यक्रम से मुख्यमंत्री टिहरी झील पर निर्मित प्रसिद्ध डोबरा-चांठी पुल का लोकार्पण भी करेंगे।
राज्य स्थापना दिवस 9 नवम्बर को सबसे पहले उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसके लिए देहरादून स्थित शहीद स्मारक में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। शहीदों को श्रद्धांजलि के बाद देहरादून पुलिस लाईन में राज्य स्थापना परेड आयोजित होगी। इसमें उत्तराखण्ड पुलिस के जवानों द्वारा प्रतिभाग किया जाएगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सूचना विभाग द्वारा प्रकाशित विकास पुस्तिका का भी विमोचन करेंगे।
राजधानी देहरादून में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद मुख्यमंत्री 9 नवम्बर को ही अपराह्न में गैरसैंण (भराड़ीसैंण) पहुंचेंगे। गैरसैंण में आईटीबीपी एवं पुलिस बल की परेड आयोजित होगी। तत्पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रमों होंगे। 10 नवम्बर को मुख्यमंत्री गैरसैंण के निकट दूधातोली जाएंगे। वहां वे पेशावर कांड के नायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की समाधि में पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। मुख्यमंत्री गैरसैंण में विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास भी करेंगे।
बैठक में यह भी तय किया गया कि राज्य स्थापना पर समस्त जिला मुख्यालयों में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए सभी कार्यक्रमों में सोशल डिस्टेंसिंग तथा अन्य बचाव सम्बन्धी दिशा-निर्देश का कड़ाई से अनुपालन किया जाएगा। राज्य स्थापना समारोह के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों हेतु सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। इस हेतु महानिदेशक सूचना डॉ0 मेहरबान सिंह बिष्ट को नामित किया गया है।
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर ऐतिहासिक पहल कर चुके उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस मुद्दे पर फ्रंट फुट पर खेलते दिखाई दे रहे हैं। आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने पहले अस्थाई राजधानी देहरादून और फिर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधान भवन में ध्वजारोहण कर इतिहास ही नहीं रचा, अपितु गैरसैंण को लेकर ताबड़तोड़ घोषणाएं कर विपक्षियों पर भी बढ़त कायम कर ली। त्रिवेंद्र ने आज गैरसैंण को लेकर की गईं घोषणाओं और वहां ध्वजारोहण कर राजधानी के मुद्दे को लेकर अपने इरादों को भी साफ़ कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि, उत्तराखण्ड राज्य के गठन से पहले से ही गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाए जाने की मांग उठती रही है। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के समय भी गैरसैंण को ही राज्य की प्रस्तावित राजधानी माना गया। गैरसैंण को तब अधिक महत्व मिला, जब वर्ष 1991 में उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार गठित हुई और कल्याण सरकार ने गैरसैंण में अपर शिक्षा निदेशक के कार्यालय का उद्घाटन किया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कल्याण सिंह सरकार ने ही उत्तराखंड पृथक राज्य निर्माण के संबंध में उत्तर प्रदेश विधान सभा में संकल्प प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था।
अलग राज्य निर्माण को लेकर उत्तराखंड के साथ कई अजीब विडंबना भी जुड़ी रही हैं। वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह यादव सरकार ने प्रस्तावित राज्य की राजधानी निर्माण के मुद्दे का राजनीतिक लाभ लेने के लिए अपने कैबिनेट मंत्री रमाशंकर कौशिक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की। इस समिति ने गैरसैंण को प्रस्तावित राज्य की राजधानी के रूप में अपनी संस्तुति दी। मुलायम सरकार ने एक ओर जहां राज्य निर्माण के बिना ही राजधानी मामले में अपनी सक्रियता प्रदर्शित की, वहीं दूसरी तरफ राज्य निर्माण की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों के साथ मुजफरनगर में जघन्य व घृणित कांड को अंजाम दिया।
केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में सरकार के गठन के बाद उत्तराखंड राज्य के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ। 9 नवम्बर, 2000 को उत्तराखण्ड को अलग राज्य के रूप में मान्यता मिली। केंद्र सरकार ने राजधानी के मुद्दे पर जन भावनाओं और आधारभूत ढांचे को ध्यान में रखकर देहरादून को अस्थाई राजधानी के रूप में घोषित किया। मगर राज्य निर्माण के बाद गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने की मांग विभिन्न स्तरों पर उठती रही।
वर्ष 2001 में उत्तराखंड की नित्यानंद स्वामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने जस्टिस वीरेंद्र दीक्षित की अध्यक्षता में राजधानी के मुद्दे को लेकर एक आयोग का गठन किया। अगले वर्ष प्रदेश में पहली बार विधान सभा चुनाव हुए। चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार गठित हुई। कांग्रेस सरकार के पूरे पांच साल के दौरान आयोग विस्तार पाता रहा और उसने कोई रिपोर्ट नहीं दी। वर्ष 2007 के विधान सभा चुनावों में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। एक सदस्यीय दीक्षित आयोग ने राजधानी पर अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपी, जिसे 17 अगस्त 2008 को विधानसभा में पेश किया गया। दीक्षित आयोग ने देहरादून तथा काशीपुर को राजधानी के लिए योग्य पाया था।
मगर जन भावनाओं के चलते दीक्षित आयोग की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई। गैरसैंण को राजधानी बनाने के पक्षधर यह मानते हैं कि पहाड़ी राज्य की राजधानी अगर पहाड़ में स्थित होगी तो वहां के विकास को नयी गति मिलेगी। गैरसैंण भावनात्मक मुद्दा होने के साथ ही राजनीतिक रंग भी लेता रहा। वर्ष 2012 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण में एक कैबिनेट बैठक का आयोजन किया। इसके बाद बहुगुणा सरकार ने गैरसैंण से लगभग 12 किमी दूर स्थित भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन, सचिवालय, ट्रांजिट हॉस्टल और विधायक आवास का शिलान्यास किया। विधान सभा आदि के निर्माण के बावजूद गैरसैंण को लेकर असमंजस बरक़रार रहा। इस बीच वहां विधान सभा के सत्र भी आयोजित होते रहे।
गैरसैंण के इतिहास में इस वर्ष 4 मार्च का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान उसे राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में घोषित कर दिया। गैरसैंण में ही आयोजित हुए बजट सत्र में जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को राजधानी बनाने की घोषणा की थी तो उन्होंने भावुक होकर कहा था कि “ये फैसला काफी सोच-समझकर लिया गया है”। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप विगत 8 जून को प्रदेश सरकार ने ग्रीष्मकालीन राजधानी को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी। त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के साथ- साथ इसे ई-राजधानी के रूप में विकसित करने की योजना भी बनाई है, ताकि गैरसैंण में विधान सभा सत्र के आयोजन के दौरान फाइलों को अनावश्यक रूप से इधर-उधर नहीं ढोना पढ़े।
इस बीच कोरोना महामारी के कारण उपजी परिस्थितियों के चलते प्रदेश सरकार गैरसैंण को लेकर अपनी योजनाओं को गति नहीं दे सकी, तो कांग्रेस ने मौके का फायदा उठाते हुए मुद्दे को लपकने की कोशिश की। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गैरसैंण की यात्रा कर भाजपा सरकार पर सवाल दागे। मगर तब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने अपने अंदाज में उनसे यही सवाल किया कि जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने राजधानी के विषय पर कोई निर्णय क्यों नहीं लिया ? मगर आज स्वतंत्रता दिवस के दिन त्रिवेंद्र ने गैरसैंण व आसपास के क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं व अन्य तमाम घोषणाएं कर राजनीतिक तौर पर बढ़त हासिल कर दी है। मुख्यमंत्री ने गैरसैण को लेकर घोषणाएं राजधानी देहरादून में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में की और इसके बाद वे विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल समेत अन्य प्रमुख लोगों के साथ गैरसैंण पहुंचे। गैरसैंण में विधान सभा भवन के सम्मुख ध्वजारोहण कर उन्होंने कई योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने आज ट्वीट कर इस अवसर को ऐतिहासिक बताया। मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को लेकर जो प्रमुख घोषणाएं की, उनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गैरसैंण में 50 बेड्स के सब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की स्थापना, विधानसभा परिसर में मिनी सचिवालय की स्थापना, स्थानीय हॉस्पिटल में टेलीमेडिसिन की सुविधा, क्षेत्र में पंपिंग पेयजल पाइप लाइन का निर्माण, जियो ओएफसी नेटवर्किंग का विस्तार, कोल्ड स्टोरेज की स्थापना आदि प्रमुख हैं।