टाइगर रिजर्व में निर्माण पर कोर्ट के आदेश के बाद से बना संशय..
उत्तराखंड: प्रदेश के वन महकमे ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पत्र लिखकर टाइगर रिजर्व, राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव विहार में निर्माण कार्यों पर लगी रोक के संबंध में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। आठ फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद संशय की स्थिति बनी हुई है। इससे पूर्व में स्वीकृत कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं और इनके निर्माण की लागत प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के तहत पाखरो टाइगर सफारी निर्माण के मामले सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टाइगर रिजर्व, वन्यजीवों के अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों के मुख्य क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी थी।
केंद्र सरकार की सैद्धांतिक और विधिवत स्वीकृति मिली..
कोर्ट के आदेश में यह स्पष्ट नहीं था कि यह रोक केवल कॉर्बेट पार्क के लिए है या इसमें प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व, राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव विहार शामिल हैं। लेकिन इसके बाद सभी जगह निर्माण कार्य रोक दिए गए। अब इस संबंध में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा ने केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के उप वन महानिरीक्षक को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
इसमें कहा गया है कि कुछ क्षेत्रों में ऐसे कार्य गतिमान थे, जिनमें केंद्र सरकार की सैद्धांतिक और विधिवत स्वीकृति मिली हुई है। इनमें कुछ सड़कें और पुल भी शामिल हैं। इनमें भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। अत: इन कार्यों को पुन: शुरू कराया जा सकता है या नहीं। प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) अनूप मलिक का कहना हैं कि इस संबंध में केंद्र सरकार से पत्राचार कर अभिमत मांगा गया है।बता दें कि प्रदेश में जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, राजाजी टाइगर रिजर्व, नंदादेवी नेशनल पार्क सहित छह राष्ट्रीय उद्यान, सात वन्य जीव विहार और एक जैव आरक्षित क्षेत्र है, जहां निर्माण कार्य फिलहाल पूरी तरह बंद हैं।