उत्तराखंड के नगर निकायों में छह महीने में मतदाताओं की संख्या पहुंची 30.58 लाख..
उत्तराखंड: प्रदेश के नगर निकायों में छह माह में मतदाताओं की संख्या में तीन लाख से अधिक की बढ़ोतरी हो गई है। मई माह में प्रदेश में कुल मतदाता 27 लाख 28 हजार 907 थे, जिनकी संख्या नवंबर में बढ़कर 30 लाख 58 हजार 299 पर पहुंच गई है। देहरादून नगर निगम में विवाद के बाद परिसीमन के हिसाब से मतदाता सूची अपग्रेड की गई है। 11 नगर निकाय ऐसे थे, जिनके अपग्रेडेशन या परिसीमन के बाद वोटर लिस्ट बनाने का काम पूरा हो चुका है। राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल गोयल का कहना हैं कि 2018 के निकाय चुनाव में प्रदेश में 25 लाख 22 हजार 656 मतदाता थे। इस बार के चुनाव में यह आंकड़ा 30 लाख 58 हजार 299 पर पहुंच गया है। मई माह में राज्य में रुद्रप्रयाग को छोड़कर 12 जिलों में मतदाताओं की संख्या 27 लाख 28 हजार 907 थी, जो रुद्रप्रयाग के 18,130 मतदाता जोड़कर वर्तमान में 30 लाख 58 हजार 299 पर पहुंच गई है।
नगर निकायों के प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह और बढ़ा..
उत्तराखंड: प्रदेश के नगर निकाय चुनाव न हो पाने के कारण शासन ने प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह और बढ़ा दिया है। इसके आदेश जारी कर दिए गए हैं। 31 मई को प्रशासकों का छह माह का कार्यकाल पूरा हो गया था। प्रदेश में नौ नगर निगम समेत कुल 102 नगर निकाय हैं, इनमें आठ नगर निगम समेत 93 नगर निकायों में चुनाव न होने से दिसंबर 2023 में प्रदेश सरकार ने छह माह के लिए जिलाधिकारियों को प्रशासक तैनात कर दिया था। लेकिन इस बीच भी निकाय चुनाव नहीं हो पाए और 31 मई को प्रशासकों का कार्यकाल पूरा हो गया। अब शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव आरके सुंधाशु ने तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के आदेश जारी कर दिए हैं।
आदेश के अनुसार लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया संपन्न कराने में देरी हुई है। इससे देखते हुए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाया गया। बता दें कि 2018 में प्रदेश में नगर निकायों में चुनाव हुए थे। जिनका पांच साल का कार्यकाल एक दिसंबर को खत्म हो गया था। लेकिन निकाय चुनाव नहीं हो पाए। नगर निकायों का कामकाज सुचारू से चलाने के लिए जिलाधिकारियों को छह माह के लिए प्रशासक नियुक्ति किया था।