प्रयागराज महाकुंभ में उत्तराखंड पवेलियन है खास, मन मोह लेंगी प्रतिकृतियां..
उत्तराखंड: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर 144 सालों बाद महाकुंभ का आयोजन हो रहा हैं। बीती 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित हो रहे इस महाकुंभ में उत्तराखंड पवेलियन स्थापित की गई है। प्रयागराज में उत्तराखंड पवेलियन स्थापित होने पर सीएम धामी का कहना है कि ने यह मात्र एक मेले का आयोजन न होकर भारत और विश्व की तमाम संस्कृतियों के मिलन का उत्सव है, जिसमें देश और विदेश के तीर्थ यात्री अपने आध्यात्मिक शुद्धि के लिए एकत्रित होते हैं।
सीएम धामी के निर्देश पर उत्तराखंड पवेलियन में राज्य के तीर्थयात्रियों को आवासीय सुविधा और स्थानीय भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। साथ ही टेंट सिटी का भी निर्माण किया गया है। उत्तराखंड पवेलियन में रोजाना 10 से 15 हजार तीर्थयात्री भ्रमण कर रहे हैं। तीर्थ यात्रियों के बीच देवभूमि उत्तराखंड के दिव्य मंदिरों के दर्शन और फोटोग्राफी के साथ ही पारंपरिक उत्पादों के स्टॉल, समृद्ध लोक संस्कृति की प्रस्तुति सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए दी जा रही है।
सीएम धामी का मानना है कि साल 2026 में हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ मेले के आयोजन व्यवस्थाओं के लिए भी इससे मदद मिलेगी। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को उत्तराखंड पवेलियन से संबंधित जानकारी उपलब्ध होगी। वहीं आयुक्त एवं महानिदेशक उद्योग प्रतीक जैन का कहना हैं कि सीएम पुष्कर धामी के निर्देश पर मंडपम में देवभूमि स्वरूप के साथ ही कला संस्कृति और विशिष्ट उत्पादों का प्रदर्शन किया जा रहा है। साथ ही बिक्री की भी व्यवस्था की गई है। इसके तहत उत्तराखंड का अंतरराष्ट्रीय ब्रांड ‘हाउस ऑफ हिमालया’, उत्तराखंड का हथकरघा एवं हस्तशिल्प ब्रांड ‘हिमाद्री’, राज्य के खादी एवं बांस समेत अन्य फाइबर उत्पाद, राज्य के पर्यटन स्थलों और आयुर्वेदिक एवं योग चिकित्सा को प्रदर्शित किया गया है। मंडपम में संस्कृति विभाग की ओर से कला और संस्कृति से जुड़ी सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाता है।
मन मोह लेंगी प्रतिकृतियां
उत्तराखंड मंडपम में प्रवेश द्वार के रूप में केदारनाथ द्वार और निकास द्वार के रूप में बद्रीनाथ द्वार निर्मित किया गया है। मंडपम के अंदर प्रवेश करने पर चारधाम यानी यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की दिव्य एवं भव्य प्रतिकृतियों के दर्शन होते हैं. इसके साथ ही हरकी पैड़ी, हरिद्वार और गंगा की अविरल धारा के भी दर्शन होते हैं। मंडपम में दूसरी ओर शीतकालीन चारधाम और मानसखंड मंदिर माला के तहत जागेश्वर धाम, गोल्ज्यू देवता के साथ ही नीम करौली बाबा की प्रतिकृतियों को प्रदर्शित किया गया है।
कहां पर स्थित है उत्तराखंड पवेलियन
वहीं आयुक्त एवं महानिदेशक उद्योग ने कहा कि उद्योग विभाग की ओर से प्रयागराज महाकुंभ क्षेत्र के सेक्टर 7, कैलाशपुरी मार्ग पर 40,000 वर्ग फीट क्षेत्रफल में भव्य उत्तराखंड पवेलियन स्थापित किया गया है। यह पवेलियन सिविल लाइन प्रयागराज बस स्टैंड से 6 किमी, प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन से 8 किमी और प्रयागराज एयरपोर्ट से मात्र 15 किमी की दूरी पर स्थापित है। पवेलियन से नजदीकी गंगा घाट मात्र 800 मीटर दूरी और पवित्र संगम से करीब 5 किमी की दूरी पर स्थित है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि अविरल गंगा-निर्मल गंगा के लिए अब कार्यकर्ताओं को भगीरथ प्रयास करना होगा, क्योंकि यह काम भारत की अन्तरात्मा से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि गंगा भारत की संस्कृति की जीवन रेखा है। इसे हर हाल में बचाना होगा।
सरसंघचालक डॉ भागवत शनिवार को प्रयागराज में परेड स्थित विश्व हिंदू परिषद के शिविर में गंगा के लिए कार्य कर रहे गैर सरकारी संगठन गंगा समग्र के कार्यकर्ता संगम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में गंगा समग्र से जुड़े 6 प्रांतों से आए कार्यकर्ता उपस्थित थे।
डॉ भागवत ने कहा कि इस धरती पर जो प्रयास भागीरथ को गंगा जी को लाने के लिए करना पड़ा था, वही प्रयास कार्यकर्ताओं को गंगा एवं उससे जुड़ी नदियों को बचाने के लिए करना होगा। इस कठिन काम को आसान करने का मूल मंत्र बताते हुए उन्होंने कहा कि जन जागरण से यह काम संभव हो पाएगा। गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा के दोनों तटों पर पांच-पांच किलोमीटर के दायरे में बसे गांवों एवं शहरों में इसके लिए नित्य नैमित्तिक कार्यक्रम चलाने होंगे।
उन्होंने कहा कि यह काम जन-जन के भीतर के भगवान को जगा कर पूरा किया जा सकता है। इसके लिए सरकार पर निर्भर नहीं होना चाहिए। स्वयं जनता को इस को अपने हाथों में लेना पड़ेगा। सभी आयामों की मजबूत टीम बनाकर केंद्र एवं राज्य स्तर पर उनका विधिवत प्रशिक्षित कर इस काम को आगे बढ़ाना होगा। इसके लिए तटवर्ती गांव में प्रतिदिन सुबह-शाम गंगा आरती, तीर्थ पुरोहितों को कर्मकांड का प्रशिक्षण, घाटों की स्वच्छता, वृहद वृक्षारोपण, तालाबों में जल संचय कर उनको पुनर्जीवन देने से संभव हो पाएगा।
संघ प्रमुख ने निर्मल गंगा अविरल गंगा अभियान को आगे बढ़ाने के लिए विकास और पर्यावरण दोनों का समान रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि दोनों में संतुलन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस काम में लगे सभी कार्यकर्ताओ को नदियों के जल प्रबंधन तथा जल संरक्षण का पूरा ज्ञान होना चाहिए। इस काम के लिए उन्होंने संतों का आशीर्वाद प्राप्त करने का भी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया।
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गंगा समग्र के केंद्रीय महामंत्री डॉ.आशीष गौतम ने संगठन की संपूर्ण भूमिका रखी। उन्होंने बताया कि नर्मदा समग्र के माध्यम से नर्मदा नदी पर किए गए काम और उस में मिली सफलता के बाद गंगा समग्र की योजना बनी। इस काम के लिए उन्होंने स्वर्गीय अशोक सिंघल की प्रेरणा को भी महत्वपूर्ण बताया।
गंगा समग्र के केंद्रीय संगठन मंत्री मिथिलेश नारायण ने कचरा प्रबंधन एवं कचरा परिशोधन करने का तरीका कार्यकर्ताओं को समझाया। इसमें दिल्ली से आई संगठन की प्रांत संयोजिका नंदिनी पाठक ने भी नया प्रयोग करके कार्यकर्ताओं को दिखाया। प्रांत संयोजकों ने अपने-अपने प्रांतों में वृक्षारोपण, घाटों की स्वच्छता, गंगा आरती, गंगा जागरण यात्रा, प्राकृतिक खेती की जानकारी दी।
सह सरकार्यवाह डॉ.कृष्ण गोपाल ने किया समापन
कार्यक्रम का समापन आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ.कृष्ण गोपाल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अब गंगा समग्र का मजबूत सांगठनिक ढांचा तैयार हो गया है। कार्यकर्ता दोगुनी ताकत से अपने कार्यों का निर्वहन करेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि मजबूत संगठन के माध्यम से निर्मल गंगा का संकल्प अवश्य पूरा होगा।