मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन व राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और राज्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान गडकरी ने बताया कि रुद्रप्रयाग में राष्ट्रीय राजमार्ग पर टनल निर्माण के लिए 225 करोड़ की स्वीकृति दे दी गई है।
गडकरी से भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में रोड़ कनेक्टविटी के विकास में महत्वपूर्ण सहयोग के लिए केंद्रीय मंत्री का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री के अनुरोध पर केंद्रीय मंत्री ने आईएसबीटी, देहरादून की सड़क परियोजना के लिए 48 करोड़ रूपए की स्वीकृति पर सहमति दी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि रूद्रप्रयाग में टनल निर्माण के लिए लगभग 225 करोड़ रूपए स्वीकृत हो गए हैं। इस पर आवश्यक कार्यवाही शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही उत्तराखण्ड में नए राष्ट्रीय राजमार्ग में बाईपास की गई पुरानी सड़कों के सुदृढ़ीकरण के लिए भी 69 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने हरिद्वार-देहरादून एनएच पर जोगीवाला में जाम की समस्या को दूर करने पर सहमति व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से इसका प्रस्ताव जल्द भेजने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषिकेश-भानियावाला मोटर मार्ग चारधाम यात्रा में शोर्ट लिक मार्ग है। जौलीग्राट एयरपोर्ट भी ऋषिकेश भानियावाला के मध्य स्थित है । वर्तमान में यह केवल दो लेन मार्ग है। इस मार्ग के व्यापक महत्व को देखते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से इसे राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में केंद्रीय सड़क व अवस्थापना निधि के अंतर्गत मंत्रालय को प्रेषित 219 करोड़ रूपए के प्रस्तावों की शीघ्र स्वीकृति का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने उत्तराखण्ड में 6 राजमार्गो (कुल लम्बाई 524 किमी) को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए जाने की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है। इनमें लक्ष्मणझूला-दुगड्डा-नैनीडाडा-मोहन- रानीखेत(274किमी), पाण्डुआखाल -नागचूलाखाल उफरैखाल-बैजरो (64 किमी), खैरना-रानीखेत (34 किमी), बुआखाल-देवप्रयाग (49 किमी), देवप्रयाग-गजा-खाड़ी (70 किमी), बिहारीगढ़-रोशनाबाद (33 किमी) शामिल है। मुख्यमत्री ने केंद्रीय मंत्री से इन्हें जल्द से जल्द राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में अधिसूचित किये जाने का अनुरोध किया।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव राधिका झा, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डा.पराग मधुकर धकाते व केंद्र सरकार के अधिकारी उपस्थित थे।
वर्ष 2013 की भीषण आपदा में बुरी तरह से तहस-नहस हुए विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य तेजी पर हैं। धाम में लगभग 180 करोड़ रूपये के काम पूरे होने को हैं। केदारनाथ में द्धितीय चरण में 128 करोड़ रूपये के निर्माण कार्य भी जल्द शुरू किए जाएंगे। केदार पुरी में आदि शंकराचार्य की मूर्ति बनकर तैयार हो गई है और शंकराचार्य की समाधि का कार्य भी जल्द पूर्ण हो जाएगा। धाम में श्रद्धालुओं को ध्यान लगाने के लिए तीन गुफाओं का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। इसके अलावा सरस्वती घाट भी बन कर तैयार हो चुका है।
मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा राजधानी देहरादून में आयोजित समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने केदारनाथ व बद्रीनाथ के पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा के दौरान अधिकारियों से निर्माण कार्यों की प्रगति की विस्तार से जानकारी ली को निर्देश दिए कि कार्यों को निर्धारित समयावधि में पूर्ण करने के साथ ही गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि बर्फवारी के कारण जो कार्य बाधित हुए उन कार्यों में तेजी लाएं।
मुख्यमंत्री ने आगामी समय में केदारनाथ व बद्रीनाथ के कपाट खुलने से पूर्व श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिगत महत्वपूर्ण प्रकृति के सभी कार्य पूर्ण करने को कहा। उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुविधा के लिए बैठने, पेयजल एवं शेड की भी उचित व्यवस्था हो। जन सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए मन्दिर के आस-पास सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जाय।
प्रदेश के पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने जानकारी दी कि केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों में प्रथम चरण में मंडप से संबधित कार्य 85 प्रतिशत काम हो चुके हैं। आगामी15 अप्रैल तक यह कार्य पूर्ण हो जाएंगे। बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि बद्रीनाथ धाम में प्रथम चरण में 245 करोड़ रूपये के कार्यों का प्लान तैयार हो चुका है। यात्रा सीजन को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण प्रकृति के कार्यों को पहले प्राथमिकता दी जाएगी।
बैठक में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव आनन्द वर्द्धन, गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन, अपर सचिव आशीष चौहान, आर. राजेश कुमार एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
डोबराचांटी पुल के बाद त्रिवेन्द्र सरकार ने एक और ऐसे प्रोजेक्ट का काम पूरा कर लिया है जो बीते ढाई दशकों से अटका हुआ था। बद्रीनाथ धाम की यात्रा में नासूर बने ‘लामबगड़ स्लाइड जोन’ का स्थायी ट्रीटमेंट कर लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की इच्छाशक्ति और सख्ती की बदौलत यह प्रोजेक्ट महज दो वर्ष में ही पूरा हो गया। तकरीबन 500 मीटर लम्बे स्लाइड जोन का ट्रीटमेंट 107 करोड़ की लागत से किया गया। अब बद्रीनाथ धाम की यात्रा निर्बाध हो सकेगी, जिससे तीर्थयात्रियों को परेशानियों से निजात मिलेगी।
सीमांत जनपद चमोली में 26 साल पहले ऋषिकेश-बद्रीनाथ नेशनल हाईवे पर पाण्डुकेश्वर के पास लामबगड़ में पहाड़ के दरकने से स्लाड जोन बन गया। हल्की सी बारिश में ही पहाड़ से भारी मलवा सड़क पर आ जाने से हर साल बद्रीनाथ धाम की यात्रा अक्सर बाधित होने लगी। लगभग 500 मीटर लम्बा यह जोन यात्रा के लिए नासूर बन गया। पिछले ढाई दशकों में इस स्थान पर खासकर बरसात के दिनों मे कई वाहनों के मलवे में दबने के साथ ही कई लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।
हमारी सरकार चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए तत्पर है। लामबगड़ स्लाइड जोन बद्रीनाथ यात्रा में बड़ी बाधा थी। हमने इसके ट्रीटमेंट को ईमानदारी से पूरी कोशिश की। इसका परिणाम सभी के सामने हैं। लगातार प्रभावी मानिटरिंग से वर्षों से अटकी परियोजना को पूरा किया है।
– त्रिवेंद्र सिंह रावत
करोड़ों खर्च होने पर भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था। पूर्व मे जब लामबगड़ में बैराज का निर्माण किया जा रहा था, तब जेपी कंपनी ने इस स्थान सुरंग निर्माण का प्रस्ताव रखा, लेकिन उस वक्त यह सड़क सीमा सड़क संगठन (BRO) के अधीन थी। बीआरओ ने भी सुरंग बनाने के लिए हामी भर दी थी। दोनों के एस्टीमेट कास्ट मे बड़ा अंतर होने के कारण मामला अधर मे लटक गया था।
वर्ष 2013 की भीषण आपदा में लामबगड स्लाइड जोन में हाईवे का नामोनिशां मिट गया। तब सडक परिवहन मंत्रालय ने लामबगड स्लाइड जोन के स्थाई ट्रीटमेंट की जिम्मेदारी एनएच पीडब्लूडी को दी। एनएच से विदेशी कम्पनी मैकाफेरी नामक कंपनी ने यह कार्य लिया। फॉरेस्ट क्लीयरेंस समेत तमाम अड़चनों की वजह से ट्रीटमेंट का यह काम धीमा पड़ता गया।
वर्ष 2017 में त्रिवेन्द्र सरकार के सत्ता में आते ही ये तमाम अड़चनें मिशन मोड में दूर की गईं और दिसम्बर 2018 में प्रोजेक्ट का काम युद्धस्तर पर शुरू हुआ। महज दो वर्ष में अब यह ट्रीटमेंट पूरा हो चुका है। अगले 10 दिन के भीतर इसे जनता के लिए समर्पित कर दिया जाएगा। इसे त्रिवेन्द्र सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जा रहा है।
प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट गुरुवार को वैदिक विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए। गुरुवार को ही हिमालय में स्थित द्वितीय केदार के रूप में पूजे जाने वाले भगवान मद्महेश्वर के कपाट भी बंद हो गए।
कपाट बंद होने के मौके पर बद्रीनाथ मंदिर को फूलों से भव्य सजाया गया था। ब्रह्म मुहुर्त में मंदिर को पूजा के लिए खोला दिया गया था। इसके बाद नित्य भोग लगा कर अपराह्न में रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।

परंपरा के अनुसार बद्रीनाथ के निकट स्थित माणा गांव की महिलाओं द्वारा बुना गया घृत कंबल भगवान बद्रीविशाल को ओढ़ाया गया। इसके साथ ही विभिन्न धार्मिक रस्मों का निर्वहन करते हुए अपराह्न 3 बजकर 35 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद कर दिए गए।
इस अवसर पर उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह, धर्माधिकारी भुवन उनियाल सहित प्रशासन, पुलिस व सेना के अधिकारी मौजूद रहे।

उधर, मद्महेश्वर में मुख्य पुजारी टी.गंगाधर लिंग ने स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा कर कपाट बंद होने की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद बाबा मद्महेश्वर की डोली ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए रवाना हुई। शीतकाल में भगवान मद्महेश्वर की पूजा- अर्चना उखीमठ में ही होती है।
योगी सरकार उत्तर प्रदेश के श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बद्रीनाथ धाम में एक पर्यटक आवास गृह का निर्माण करेगी। उत्तराखंड दौरे के तीसरे दिन मंगलवार को बद्रीनाथ पहुंचे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ पर्यटक आवास गृह का भूमि पूजन व शिलान्यास किया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बद्रीनाथ जाने वाले तीर्थ यात्रियों व पर्यटकों की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के माध्यम से एक पर्यटक आवास गृह का निर्माण प्रस्तावित किया है। इसकी लागत लगभग 11 करोड़ रूपये है और यह बद्रीनाथ हेलीपैड के निकट 4 हजार वर्ग मीटर भूमि पर बनेगा। आवास गृह का निर्माण पहाड़ी शैली में होगा।
यहां बता दें कि, आवास गृह का शिलान्यास सोमवार को प्रस्तावित था। मगर केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान दोनों मुख्यमंत्री भारी बर्फबारी के कारण दिनभर वहीं फंसे रहे। सोमवार शाम को मौसम खुलने पर दोनों नेता रात्रि विश्राम के लिए चमोली जिले के गौचर पहुंचे और मंगलवार सुबह वहां से बद्रीनाथ रवाना हुए।। बद्रीनाथ में उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास किया। इस दौरान उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

यहां बता दें कि, आवास गृह का शिलान्यास सोमवार को प्रस्तावित था। मगर केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान दोनों मुख्यमंत्री भारी बर्फबारी के कारण दिनभर वहीं फंसे रहे। सोमवार शाम को मौसम खुलने पर दोनों नेता रात्रि विश्राम के लिए चमोली जिले के गौचर पहुंचे और मंगलवार सुबह वहां से बद्रीनाथ रवाना हुए।। बद्रीनाथ में उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास किया। इस दौरान उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
इस अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज मुझे कई वर्षों के बाद भगवान श्री बद्री विशाल के दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। उत्तराखण्ड के चारों धाम पर्यटन के विकास एवं श्रद्धालुओं की श्रद्धा व आस्था के सम्मान को ध्यान में रखते हुए आज की आवश्यकता के अनुरूप विकास की जिन नई ऊंचाईयों को छूते हुए दिखाई दे रहे हैं, वह अत्यंत सराहनीय एवं अभिनंदनीय है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र के नेतृत्व में हो रहे इन कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के विकास के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों के लिए हृदय से उनका अभिनन्दन करता हूं।

योगी ने कहा कि उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के बीच पिछले 18-20 वर्षों से बहुत से विवाद चले आ रहे थे। ये विवाद उत्तराखण्ड के नये राज्य बनने के बाद से ही चल रहे थे। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने रचनात्मक और सकारात्मक पहल से इन सभी समस्याओं का समाधान करने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड मेरी जन्म भूमि भी है। मैंने अपना बचपन यहीं बिताया है। पिछले तीन दिनों से यहां के तीर्थ स्थलों के दर्शन करने करने का सौभाग्य मिला है।
उन्होंने कहा कि अगले वर्ष यात्रा प्रारम्भ होने पर बद्रीनाथ में पर्यटक आवास गृह का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। प्रयास किया जाएगा कि एक वर्ष के अन्दर यह कार्य पूर्ण कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि अनेक संतों व योगियों ने अपनी साधना, योग व तप से इस धरती को पवित्र किया है। योगराज सुन्दरनाथ जी की तपस्थली भी श्री बदरीनाथ में है। यहां पर योगराज सुन्दरनाथ जी की गुफा भी है। उन्होंने इच्छा जताई कि उत्तराखण्ड सरकार उनकी गुफा का पुनरूद्धार करे तो बहुत अच्छा कार्य होगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पिछले तीन दिनों से योगी आदित्यनाथ के साथ केदारनाथ एवं बद्रीनाथ के दर्शन करने का अवसर मिला। बद्रीनाथ में उत्तर प्रदेश के पर्यटक आवास का भूमि पूजन व शिलान्यास हुआ, यह एक बड़ी उपलब्धि है। देशभर से श्रद्धालु एवं पर्यटक यहां आते हैं, इस पर्यटक आवास गृह बनने से उनके लिए एक और सुविधा बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि योगी जी नेतृत्व में उत्तर प्रदेश जैसा विशाल राज्य आज विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है। उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश एक उत्तम प्रदेश बने इसके लिए कामना करता हूं।
शिलान्यास कार्यक्रम के बाद दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने बद्रीनाथ से कुछ दूरी पर स्थित देश के अंतिम गांव माणा, भीम पुल एवं सरस्वती पुल का भ्रमण भी किया। दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री आईटीबीपी, सेना एवं बीआरओ के जवानों से मिले व उनका हौंसला बढ़ाया। इससे पूर्व, बद्रीनाथ पहुंचने पर योगी आदित्यनाथ व त्रिवेन्द्र सिंह रावत का देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों ने स्वागत किया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने दो दिन के उत्तराखंड के दौरे पर रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ केदारनाथ पहुंचे। केदारनाथ में हैलीपैड पर उतरने के तुरंत बाद दोनों मुख्यमंत्रियों ने वर्ष 2013 की आपदा के बाद वहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया। शाम को दोनों मुख्यमंत्री केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर रात्रि विश्राम भी वहीं करेंगे।
इससे पूर्व, योगी आदित्यनाथ दोपहर में राजकीय वायुयान से गोरखपुर से देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचे। एयरपोर्ट पर योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री त्रिवेंद, प्रदेश के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत व मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने स्वागत किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी हैं।

जौलीग्रांट एयरपोर्ट से वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हेलीकॉप्टर से केदारनाथ के लिए रवाना हुए। 16 नवंबर की प्रातः शीतकाल के लिए केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद हो रहे हैं। दोनों मुख्यमंत्री प्रातः केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर कपाट बंद होने के कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे। इसके बाद दोनों प्रातः 7:30 बजे बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। बद्रीनाथ में प्रातः 8 से 9 बजे तक उनका पूजा-अर्चना का कार्यक्रम है।
पूजा-अर्चना के बाद वे बद्रीनाथ में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होंगे। यहां बता दें कि बद्रीनाथ में हेलीपैड के समीप उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटक आवास गृह का निर्माण प्रस्तावित है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15-16 नवंबर को दो दिन के उत्तराखंड दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे केदारनाथ व बद्रीनाथ के दर्शन करेंगे। साथ ही बद्रीनाथ में प्रस्तावित उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास करेंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस भ्रमण में उनके साथ रहेंगे।
सरकारी सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15 नवंबर को दोपहर 2:50 बजे गोरखपुर से सरकारी जहाज से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे। वहां से वे हेलीकाप्टर से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। केदारनाथ मंदिर में दर्शन व पूजन के बाद वे वहां का भ्रमण भी करेंगे। उस दिन रात्रि को योगी आदित्यनाथ केदारनाथ में ही रुकेंगे।
16 नवंबर को प्रातः 4:30 बजे से एक घंटे तक योगी आदित्यनाथ केदारनाथ धाम में पूजा-अर्चना कर कपाट बंद होने के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद वे प्रातः 7:30 बजे बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। बद्रीनाथ में प्रातः 8 से 9 बजे तक उनका पूजा-अर्चना का कार्यक्रम है।
पूजा-अर्चना के बाद वे 10 बजे बद्रीनाथ में प्रस्तावित उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास करेंगे। यहाँ बता दें कि बद्रीनाथ में हेलीपैड के समीप उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटक आवास गृह का निर्माण प्रस्तावित है। इस कार्यक्रम में वे एक घंटे तक शिरकत करेंगे। इसके बाद वे लखनऊ के लिए रवाना होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 521 करोड़ रूपये की 6 मेगा परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के शुरू होने से प्रदेश से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा। लोकार्पित किए गए प्रोजेक्ट में जगजीतपुर (हरिद्वार) में 230 करोड़ रूपये की लागत से बना 68 एमएलडी क्षमता का एसटीपी व 20 करोड़ की लागत से बना 27 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, सराय (हरिद्वार) में 13 करोड़ की लागत से बना 18 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, चंडी घाट (हरिद्वार) में गंगा के संरक्षण और जैव विविधता को प्रदर्शित करता ‘गंगा संग्रहालय’, लक्कड़ घाट (ऋषिकेश) में 158 करोड़ की लागत से बना 26 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चंद्रेश्वर नगर-मुनि की रेती में 41 करोड़ की लागत से बना 7.5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चोरपानी (मुनि की रेती) में 39 करोड़ की लागत से बना 5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी और बद्रीनाथ में 19 करोड़ की लागत से बना 1.01 एमएलडी क्षमता का एसटीपी शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने रोविंग डाउन द गंगेज (rowing down the ganges) व ग्राम पंचायतों और पानी समितियों के लिए बनाई गई मार्गदर्शिका का भी विमोचन किया। उन्होंने जल जीवन मिशन के लोगो (प्रतीक चिह्न) का भी अनावरण किया।
नई सोच व नई एप्रोच से नमामि गंगे में मिली सफलता
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि मां गंगा हमारे सांस्कृतिक वैभव और आस्था से तो जुड़ी ही है, साथ ही लगभग आधी आबादी को आर्थिक रूप से समृद्ध भी करती है। नमामि गंगे मिशन, नई सोच और नई एप्रोच के साथ शुरू किया गया। यह देश का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान है। इसमें समन्वित रूप से काम किए गए। गंगा जी में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए एसटीपी का निर्माण किया गया या किया जा रहा है, अगले 15 वर्षों की आवश्यकता के अनुसार एसटीपी कीे क्षमता रखी गई, गंगा के किनारे लगभग 100 शहरों और 5 हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है और गंगा की सहायक नदियों को भी प्रदूषण से मुक्त रखने का काम किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड में 6 साल में सीवरेज ट्रीटमेंट क्षमता चार गुना हुई
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं। राज्य में 6 साल में सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता को 4 गुना कर दिया गया है। लगभग सभी नालों को टैप कर दिया गया है। इनमें चंद्रेश्वर नाला भी शामिल है। यहां देश का पहला 4 मंजिला एसटीपी शुरू हो चुका है। अगले वर्ष हरिद्वार कुम्भ मेले में श्रद्धालु गंगा की निर्मलता का अनुभव लेंगे। सैकड़ों घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया है। साथ ही रिवर फ्रंट भी बनकर तैयार है। गंगा म्यूजियम से हरिद्वार आने वाले लोग गंगा से जुड़ी विरासत को समझ पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा के निकटवर्ती पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर फोकस किया जा रहा है। यहां जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती की योजना है। आर्गेनिक फार्मिंग काॅरिडोर विकसित किया जा रहा है। मिशन डाॅल्फिन से डाॅल्फिन संवर्धन में मदद मिलेगी।

जल जीवन मिशन में त्रिवेंद्र सरकार एक कदम आगे
प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी की महत्ता को माता-बहनों से अधिक कौन समझ सकता है। हमने जल से जुड़े मंत्रालयों को एक कर जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया। जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल से जल का लक्ष्य लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार एक कदम और आगे बढ़ी है। उन्होंने केवल एक रूपए में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया है। वर्ष 2022 तक हर घर नल से जल देने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखण्ड में कोरोना काल में भी पिछले 4-5 माह में 50 हजार परिवारों को पानी का कनेक्शन दिया गया है, जो कि उत्तराखण्ड सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल के लिए 2 अक्टूबर से अभियान
जल जीवन मिशन ने गांवों में पानी की समस्या से मुक्त करने का अवसर दिया है। 2 अक्टूबर से जल जीवन मिशन के तहत अभियान चलाकर 100 दिनों में सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल सुनिश्चित किया जाएगा। वर्ष 2014 के बाद देश हित में बहुत से बड़े काम किए गए। इनमें कृषि विधेयक, डिजीटल इण्डिया, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन शामिल हैं। वन रैंक वन पेंशन से उत्तराखण्ड के एक लाख से अधिक पूर्व सैनिक लाभान्वित हुए हैं। सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवाद को चोट पहुंचाई गई। राफेल से वायुसेना की ताकत काफी बढ़ी है। सरदार पटेल की मूर्ति राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से सारी दुनिया योग के महत्व से परिचित हुई। अयोध्या में रामजन्म भूमि मंदिर का भूमि पूजन किया गया। देश को ताकतवार बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया गया है।
सीएम ने कहा गंगा किनारे जैविक व औषधीय खेती को प्रोत्साहन
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के चिन्हित 16 नगरों हेतु स्वीकृत 19 योजनाओं में से 15 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। शेष कुम्भ से पहले पूरी हो जाएंगी। इन नगरों में चिन्हित किए गए 135 नालों में से 128 टैप किए गए हैं। शेष को कुम्भ से पहले टैप कर लिया जाएगा। गंगा किनारे उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न स्थानों पर 21 स्नान घाटों जिसमें भव्य चंडी घाट भी शामिल है और 23 मोक्षधामों का निर्माण किया गया है। गंगा नदी के कैचमेंट एरिया में जो कार्य कराए गए हैं, उनका लाभ आने वाले समय में अवश्य मिलेगा। गंगा के दोनों किनारों पर 5 से 7 किलोमीटर के क्षेत्र में जैविक खेती को विकसित करते हुए स्थाई कृषि प्रथाओं को भी नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम में निर्मित एसटीपी से निकलने वाले शोधित जल को भी कृषकों को सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है। गंगा जी की निर्मलता और अविरलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी के भगीरथ प्रयासों के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। यहां तक की गंगा मे डाल्फिन और महाशिर मछलियां भी पुनः दिखने लगी हैं। गंगा के किनारे आर्गेनिक खेती व औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

शेखावत बोले हरिद्वार कुम्भ में गंगा का जल होगा आचमन योग्य
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संचय व जल संरक्षण को लेकर जनचेतना का संचार हुआ है। यह आंदोलन जन-जन का विषय बनने लगा है। वर्ष 2014 से नमामि गंगे एक मिशन मोड में काम कर रहा है। इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई। समन्वित एप्रोच पर काम किया गया। गंगा प्रवाह क्षेत्र में 315 परियोजनाएं अभी तक इसमें ली गई हैं। कुल 28854 करोड़ की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 9 हजार करोड़ की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इनके स्पष्ट परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। हाईब्रिड एन्यूटी प्रणाली अपनाई गई है। गंगा प्रहरी और अनेक संगठनों के माध्यम से नमामि गंगे को जन अभियान बनाया गया है। गंगा की शुचिता के साथ ही अविरलता पर भी ध्यान दिया गया है। इसके लिए ई-फ्लो अधिसूचना जारी की गई। अगले वर्ष हरिद्वार में कुम्भ मेले के समय गंगा जल आचमन योग्य होगा। रिसाईकिल पानी को रियूज करने का भी प्रयास किया जा रहा है। गंगा की सहायक नदियों पर भी प्रभावी काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम में ये रहे जुड़े
इस वर्चुअल कार्यक्रम में उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया के अलावा प्रदेश के केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, सांसद तीरथ सिंह रावत, ऋषिकेश की मेयर अनीता ममगाईं, विधायक आदेश चौहान आदि भी जुड़े थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा श्री बदरीनाथ धाम के प्रस्तावित मास्टर प्लान का प्रस्तुतीकरण किया गया। साथ ही श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की जानकारी भी प्रधानमंत्री को दी गई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने निर्देश दिए कि बद्रीनाथ धाम की आध्यात्मिकता व पौराणिकता बरकरार रखते हुए इसे स्पिरिचुअल सिटी के रूप में विकसित किया जाए।

वीडियो कांफ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम के प्रस्तावित मास्टर प्लान में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि वहां का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व बना रहे। बद्रीनाथ धाम को मिनी स्मार्ट व स्पिरीचुअल सिटी के रूप में विकसित किया जाए। वहां होम स्टे भी विकसित जा सकते हैं। निकटवर्ती अन्य आध्यात्मिक स्थलों को भी इससे जोड़ा जाए। बदरीनाथ धाम के प्रवेश स्थल पर विशेष लाइटिंग की व्यवस्था हो जो आध्यात्मिक वातावरण के अनुरूप हो। मास्टर प्लान का स्वरूप पर्यटन पर आधारित न हो बल्कि पूर्ण रूप से आध्यात्मिक हो। प्रधानमंत्री ने श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम व श्री केदारनाथ धाम के विकास कार्यों में स्थानीय लोगों का सहयोग मिल रहा है। निकटवर्ती गांवों में होम स्टे पर काम किया जा रहा है। सरस्वती व अलकनंदा के संगम स्थल केशवप्रयाग को भी विकसित किया जा सकता है। बदरीनाथ धाम में व्यास व गणेश गुफा का विशेष महत्व है। इनके पौराणिक महत्व की जानकारी भी श्रद्धालुओं को मिलनी चाहिए। बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर काम करने में भूमि की समस्या नहीं होगी। केदारनाथ की तरह बद्रीनाथ में भी 12 महीने कार्य किए जाएंगे।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना और चारधाम राजमार्ग परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। इससे श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा काफी सुविधाजनक हो जाएगी।
श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान का प्रस्तुतीकरण करते हुए अधिकारियों ने बताया कि इसमें 85 हैक्टेयर क्षेत्र लिया गया है। देवदर्शिनी स्थल विकसित किया जाएगा। एक संग्रहालय व आर्ट गैलेरी भी बनाई जाएगी। दृश्य एवं श्रव्य माध्यम से दशावतार के बारे में जानकारी दी जाएगी। बदरीनाथ मास्टर प्लान को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मास्टर प्लान को पर्वतीय परिवेश के अनुकूल बनाया गया है।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि आदि शंकराचार्य जी के समाधि स्थल का काम तेजी से चल रहा है। सरस्वती घाट पर आस्था पथ का काम पूरा हो गया है। दो ध्यान गुफाओं का काम इस माह के अंत तक पूर्ण हो जाएगा। ब्रह्म कमल की नर्सरी के लिए स्थान चिन्हित कर लिया गया है। नर्सरी के लिए बीज एकत्रीकरण का कार्य किया जा रहा है। गरुड़ चट्टी में ब्रिज का पुनर्निर्माण कर लिया गया है।