उत्तराखंड में इस सप्ताह से महंगी होगी बिजली..
उत्तराखंड: प्रदेश में इस सप्ताह से बिजली की कीमतों में वृद्धि की संभावना है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग नई बिजली दरों का ऐलान करने जा रहा है, जो कि एक अप्रैल से प्रभावी होंगी। चुनाव आयोग ने आचार संहिता के तहत नियामक आयोग को इसकी मंजूरी दे दी है। बिजली की दरों में 23 से 27 प्रतिशत की वृद्धि के नतीजे में, यूपीसीएल ने अप्रैल से शुरू हुए वित्तीय वर्ष में एक साल में 1281 करोड़ रुपये से अधिक ज्यादा भरपाई के लिए बिजली खरीद पर अतिरिक्त बोझ उठाने का फैसला किया है। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, 27 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को इस बढ़ी हुई दर का सामना करना पड़ेगा।
सर्दियों के सीजन में नहीं होगा उत्तराखंड में बिजली संकट..
केंद्र से मिली 1589 मेगावाट बिजली..
उत्तराखंड: प्रदेश में सर्दियों के सीजन में बिजली की किल्लत नहीं होगी। केंद्र ने छह माह के लिए 1589 मेगावाट बिजली दे दी है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया गया। यह बिजली एक अक्तूबर से मिलनी शुरू होगी। यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार का कहना हैं कि केंद्र ने गैर आवंटित कोटे से एक अक्तूबर से 31 मार्च 2024 तक माहवार बिजली आवंटन का आदेश जारी किया है। इसके तहत अक्तूबर माह में 456 मेगावाट, नवंबर में 378 मेगावाट, दिसंबर में 78 मेगावाट, जनवरी में 169 मेगावाट, फरवरी में 195 मेगावाट और मार्च में 313 मेगावाट बिजली मिलेगी।
केंद्र ने अपने सेंट्रल पूल से चंडीगढ़, हिमाचल, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड को नार्दर्न ग्रिड से बिजली देने का ये आदेश जारी किया है। पिछले दिनों सीएम पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से अक्तूबर के बाद प्रदेश में बिजली संकट की आशंका के बीच माहवार बिजली की मांग की थी। उन्होंने सैद्धांतिक मंजूरी दी थी।
सर्दियों में प्रदेश की नदियों का जलस्तर गिर जाता है, जिससे यूजेवीएनएल का बिजली उत्पादन गिर जाता है। पिछले साल का आंकड़ा देखें तो एक अक्तूबर को यूजेवीएनएल का उत्पादन 2.4 करोड़ यूनिट, एक नवंबर को 1.2 करोड़ यूनिट, एक दिसंबर को 90 लाख यूनिट, एक जनवरी को एक करोड़ यूनिट उत्पादन हुआ था जबकि मांग इसके सापेक्ष कहीं ज्यादा होती है। वर्तमान में यूपीसीएल 4.4 करोड़ यूनिट की मांग पूरी कर रहा है, जिसमें यूजेवीएनएल से करीब 2.1 करोड़ यूनिट बिजली मिल रही है।
बिजली ज्यादा खर्च करने पर लगेगा जोरदार झटका..
उत्तराखंड: प्रदेश में बिजली कनेक्शन की स्वीकृत क्षमता से अधिक लोड इस्तेमाल करना अब भारी पड़ेगा। ऊर्जा निगम ने ऐसे उपभोक्ताओं पर पूरे प्रदेश में कार्रवाई शुरू कर दी गई है। अकेले देहरादून के ही केंद्रीय, उत्तर और दक्षिण डिवीजन में 10 हजार नोटिस जारी किए गए हैं। विद्युत नियामक आयोग की ओर से विद्युत दरों में प्रति किलोवाट – प्रतिमाह के हिसाब से फिक्स चार्ज तय है। यूपीसीएल ने फील्ड में हुई कई जांचों में पाया कि कई उपभोक्ता कम विद्युत भार का कनेक्शन लेकर ज्यादा का प्रयोग कर रहे हैं।
अगर किसी के घर में दो या तीन किलोवाट का बिजली कनेक्शन है, लेकिन बिजली का लोड लगातार चार, पांच किलोवाट या इससे अधिक जा रहा है। यूपीसीएल का तर्क है कि इससे उसे आर्थिक घाटा हो रहा है। ओवरलोड, ट्रांसफार्मर फुंकने, सप्लाई में बार-बार बाधा आने जैसी समस्याएं आ रही हैं।
यूपीसीएल के देहरादून शहरी क्षेत्र के एसई राहुल जैन का कहना हैं कि तीन बिलिंग चक्र में लगातार क्षमता से अधिक विद्युत भार का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। यदि नोटिस होने पर भी ऐसे उपभोक्ता ने अपना विद्युत भार नहीं बढ़ाया तो उनसे पांच बिलिंग चक्र के बाद अतिरिक्त लोड के हिसाब से जुर्माना वसूला जाएगा।
दो से चार किलोवाट तक 70 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह फिक्स चार्ज है। यदि किसी का तीन किलोवाट का कनेक्शन है तो फिक्स चार्ज 210 रुपये प्रति माह बनता है। दो महीने के बिल में 420 रुपये फिक्स चार्ज जुड़ता है। अगर कोई उपभोक्ता तीन से बढ़ाकर चार किलोवाट का कनेक्शन कर देता तो बिल पर फिक्स चार्ज बढ़कर प्रतिमाह 280 हो जाएगा। दो महीने के बिल में 560 रुपये देने होंगे यानी एक किलोवाट की बढ़ोतरी पर 140 रुपये अधिक देने होंगे।
फिर लगा मंहगाई का करंट, बिजली दरों में हुई बढ़ोतरी..
उत्तराखंड: राज्य में बढ़ती मंहगाई के दौर में आम आदमी को बिजली की दरों ने मंहगाई का करंट लगा दिया है। साल में तीसरी बार बिजली के दाम बढ़ गए हैं। अब विद्युत नियामक आयोग ने 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर के लिए नई दरें घोषित की है। विद्युत नियामक आयोग हर तीन महीने में फ्यूल चार्ज एडजस्टमेंट के तहत दरें निर्धारित करता है। एक अक्तूबर से 31 दिसंबर के लिए एफसीए की दरें घोषित कर दी गई हैं। घरेलू उपभोक्ताओं से अब दस पैसे, कामर्शियल से 15 पैसे, सरकारी संस्थानों से 14 पैसे, प्राइवेट ट्यूबवेल से पांच पैसे, कृषि गतिविधियों से छह पैसे प्रति यूनिट अतिरिक्त वसूला जाएगा। एलटी उद्योग से 14 पैसे. एचटी उद्योग से 14 पैसे वसूला जाएगा।
बताया जा रहा है कि एक साल में 26 पैसे से 1.11 रुपये तक का झटका बिजली दरों की बढ़ोतरी के मामले में वर्ष 2022 उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रहा है। इस बार न्यूनतम 100 यूनिट तक बिजली खर्च करने वालों पर कुल 26 पैसे प्रति यूनिट का भार पड़ा। 200 यूनिट वालों को 51 पैसे, 400 यूनिट वालों को 71 पैसे, कामर्शियल को 1.02 रुपये, एलटी उद्योग को 96 पैसे, एचटी उद्योग को 1.11 रुपये प्रति यूनिट का चुकाना पड़ा। आपको बता दे कि इस वर्ष तीन बार बिजली के रेट बढ़ गए हैं। पहले एक अप्रैल से 2.68 प्रतिशत की वृद्धि बिजली दरों में हुई। इसके बाद ऊर्जा निगम की पुनर्विचार याचिका में आयोग ने दरों में 3.85 प्रतिशत की और वृद्धि कर दी। अब फिर दरें बढ़ा दी गईं। विद्युत नियामक आयोग के अनुमोदन के बाद एमडी यूपीसीएल अनिल कुमार ने एफसीए की नई दरों के अनुसार बिल तैयार किए जाने के आदेश जारी कर दिए हैं।
प्रदेश में महंगी हो जाएगी बिजली , जानें क्या होंगी नई दरें.. Lorsque la mobilité d’une personne est altérée, les pièces d’eau sont particulièrement à sécuriser car elles https://asgg.fr/ peuvent être glissante et entrainer des chutes.
उत्तराखंड: प्रदेश में बिजली की नई दरें एक अप्रैल से लागू हो जाएंगी। विद्युत नियामक आयोग मार्च अंतिम सप्ताह में नई दरें लागू कर देगा। जन सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब दरों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आपको बता दे कि राज्य में हर साल बिजली की दरें निर्धारित होती हैं। इस बार भी आम जनता को एक अप्रैल से नई बदली हुई बिजली दरों के लिए तैयार रहना होगा। इसके लिए विद्युत नियामक आयोग के स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आयोग ने गढ़वाल और कुमाऊं में अलग अलग स्थान पर जनसुनवाई की। लोगों से ऊर्जा निगम के बिजली दरें साढ़े पांच प्रतिशत बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर सुझाव और आपत्तियां मांगी। इसके साथ ही घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के साथ ही व्यवसायिक, औद्योगिक वर्ग के उपभोक्ताओं से उनकी राय मांगी गई। अब सुनवाई प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। हालांकि, आयोग ने पिछले कई समय से जनता के पक्ष को सुनते हुए अपना रुख नरम रखा है।
बता दे कि ऊर्जा निगम ने वर्ष 2021 में 13.25 प्रतिशत बिजली दरों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को भेजा था। आयोग ने बिजली दरों में 3.54 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की। वर्ष 2020 में छह प्रतिशत बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव भेजा गया। आयोग ने दरें बढ़ाने की बजाय चार प्रतिशत कम कर दीं। 2019 में आयोग को 16 प्रतिशत दरें बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया। आयोग ने 2.79 प्रतिशत दरें बढ़ाईं। 2018 में 13.44 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव पर आयोग ने दरों में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी नहीं की। विद्युत नियामक आयोग पिछले लंबे समय से जनता के प्रति नरम रुख अपनाए हुए है। ऊर्जा निगम के दरों में बढ़ोत्तरी के भारी भरकम प्रस्ताव पर मुहर लगाने की बजाय आयोग मामूली बढ़ोत्तरी कर रहा है। आयोग का तर्क है कि ऊर्जा निगम के खर्चों, लाइन लॉस का भार आम जनता पर पड़ने नहीं दिया जाएगा।