उत्तराखंड को मिला भूमि सुधार का नया कानून, राज्यपाल ने दी विधेयकों को स्वीकृति..
उत्तराखंड: प्रदेश में सशक्त भू कानून विधेयक को आखिरकार राजभवन से मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही 9 अन्य विधेयकों पर भी राज्यपाल ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। ये सभी विधेयक फरवरी माह में विधानसभा सत्र के दौरान पारित हुए थे और अब इन पर राज्यपाल की औपचारिक स्वीकृति के बाद ये कानून बनने की प्रक्रिया में प्रवेश कर चुके हैं। यह मंजूरी राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, खासकर भू कानून के संदर्भ में, जिसे लेकर लंबे समय से जनजागरण और मांगें उठती रही हैं।
ये विधेयक हुए पारित..
उत्तराखंड निरसन विधेयक, 2025
उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन तथा विकास (संशोधन) विधेयक, 2025.
उत्तराखंड लोक सेवा (कुशल खिलाड़ियों के लिये क्षैतिज आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2025
उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025
उत्तराखंड निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025
उत्तराखंड माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025
उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959) (संशोधन) विधेयक, 2024 प्रवर समिति द्वारा मूलरूप में यथासंस्तुत
उत्तराखंड की धामी कैबिनेट ने राज्य में सशक्त भू-कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस महत्वपूर्ण कदम से राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक संसाधनों, और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांगों और भावनाओं का सम्मान करते हुए, हमारी सरकार ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दी है। यह निर्णय राज्य की मूल पहचान बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगा।”
नए भू-कानून के प्रमुख प्रावधान:
1. 2018 के सभी प्रावधान निरस्त:
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार द्वारा लागू सभी प्रावधानों को नए कानून में समाप्त कर दिया गया है।
2. बाहरी व्यक्तियों पर भूमि खरीद प्रतिबंध:
हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर, शेष 11 जिलों में बाहरी व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद सकेंगे।
3. पहाड़ों में चकबंदी और बंदोबस्ती:
पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि के सही उपयोग और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी।
4. जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित:
अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी प्रक्रियाएं सरकारी पोर्टल के माध्यम से होंगी।
5. ऑनलाइन पोर्टल से निगरानी:
राज्य में भूमि खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां बाहरी व्यक्तियों द्वारा की गई सभी खरीद दर्ज होगी।
6. शपथ पत्र अनिवार्य:
राज्य के बाहर के लोगों को भूमि खरीदने के लिए शपथ पत्र देना होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके।
7. नियमित भूमि खरीद रिपोर्टिंग:
जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को भूमि खरीद की रिपोर्ट नियमित रूप से देनी होगी।
8. नगर निकाय सीमा में भू उपयोग:
नगर निकाय क्षेत्र में भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार होगा। नियमों के विरुद्ध उपयोग की गई भूमि सरकार में निहित हो जाएगी।
कानून का संभावित प्रभाव:
. बाहरी व्यक्तियों की अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी।
. भूमि का बेहतर प्रबंधन, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में।
. भूमि की कीमतों में अनावश्यक बढ़ोतरी पर नियंत्रण।
. राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत।
. सरकार का अधिक नियंत्रण, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।
नया भू-कानून उत्तराखंड की संस्कृति, प्राकृतिक संसाधनों और स्थानीय नागरिकों के हकों की रक्षा करेगा, साथ ही राज्य के मूल स्वरूप को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
भू-कानून लाने की तैयारी में सरकार, जानें सीएम धामी ने क्या कहा ?
उत्तराखंड: प्रदेश में लंबे समय से भू-कानून की मांग की जा रही हैै। बुधवार को राज्य आंदोलनकारियों ने भू-कानून की मांग को लेकर सीएम आवास कूच किया। जिस पर सीएम धामी की प्रतिक्रिया सामने आई है। राज्य आंदोलनकारियों के साथ कई राजनीतिक दलों के द्वारा उत्तराखंड में सशक्त भू कानून और मूल निवास की अनिवार्यता को लेकर मुख्यमंत्री आवास कूच किया गया। जिसको लेकर राजनीतिक दलों की ओर से भी प्रतिक्रियाएं आई हैं।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि जहां तक भू कानून की बात है तो भू कानून को लेकर सरकार ने जनता से वादा किया है, कि सरकार सशक्त भू कानून प्रदेश में लागू करेगी।
भू-कानून को लेकर कमेटी ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट..
सीएम धामी ने कहा कि भू-कानून को लेकर सरकार द्वारा कमेटी का गठन किया गया था। जिसकी रिपोर्ट आ गई है। अब इस रिपोर्ट पर निर्णय लिया जाना है। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि जिन लोगों को ये मालूम नहीं है की नया भू कानून अभी विधानसभा से पास होगा। उनके लिए वह जानकारी देना चाहते हैं कि सरकार के द्वारा जो कमेटी बनाई गई थी उसकी रिपोर्ट सरकार को प्राप्त हो चुकी है और अब सरकार विधानसभा में इसको लेकर कानून पास कराएगी और अभी कोई विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है।
जहां एक ओर प्रदेश में भू-कानून को लेकर बीजेपी कह रही है कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है तो वहीं विपक्ष भी इसके लिए राज्य आंदोलनकारियों का साथ दे रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि सशक्त भू कानून प्रदेश में लागू होना चाहिए। इसके साथ ही मूल निवास को लेकर जो मांग है उसके तहत उत्तराखंड के लोगों को उनके अधिकार मिलने चाहिए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री के रूप में जो जिम्मेदारी उन्हें मिली है उसे जन अपेक्षाओं के अनुरूप पूरा करने का उनका सतत प्रयास है। उन्होंने कहा कि वे बोलने पर नहीं बल्कि कर्म में विश्वास करते हैं। कम बोलना और ज्यादा काम करना उनका ध्येय वाक्य है। राज्य हित में उन्होंने अब तक 50 से ज्यादा फैसले लिये हैं। राज्य के हर क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हमारा एजेंडा है। उन्होंने कहा कि गैरसैंण जनभावनाओं का केन्द्र है। वहां पर ग्रीष्म कालीन राजधानी के अनुरूप सभी आवश्यक अवस्थापना सुविधाओं का तेजी से विकास किया जायेगा। देवस्थानम बोर्ड प्रदेश के पर्यटन, तीर्थाटन से जुड़ा विषय है, इसे लेकर सभी सम्बन्धित पक्षों से वार्ता कर निर्णय लिया जायेगा। इसमें किसी के भी हित प्रभावित न हों इसके लिये उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया, 10 लाख से अधिक लोगों को स्वरोजगार से जोड़ेंगे
शुक्रवार को आईएसबीटी स्थित एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 24 हजार सरकारी रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया आरम्भ की जायेगी, जबकि 10 लाख से अधिक लोगों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से स्वरोजगार से जोड़ा जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के दृष्टिगत बेरोजगार युवाओं को भर्ती में एक साल की आयुसीमा में छूट प्रदान की गई है। जबकि एनडीए, सीडीएस, लोकसेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले युवाओं को मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिये 50 हजार की धनराशि दी जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में औद्योगीकरण में तेजी लाने के लिये उद्योगों की समस्याओं का त्वरित समाधान किया जायेगा। इसके लिये अनुकूल वातावरण तैयार करने के साथ ही यदि आवश्यकता हुई तो नीतियों में भी संशोधन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भू-कानून, जनसंख्या कानून, नजूल भूमि से सम्बन्धित विषयों के समाधान के लिये कमेटी का गठन किया जायेगा।
जनता की समस्याओं का समाधान सर्वोच्च प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका पूरा ध्यान राज्य के विकास पर है। जिन योजनाओं का शिलान्यास किया जायेगा उनके लोकार्पण की व्यवस्था की जायेगी। उन्होंने कहा कि पहाड़ की जवानी तथा पानी दोनों राज्य के काम आये इसके लिये प्रभावी ढंग से योजनायें बनाकर उनका क्रियान्वयन किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आम जनता की समस्याओं का त्वरित समाधान हो इसके लिये सभी अधिकारियों को सभी कार्य दिवसों पर पूर्वाहन 10ः00 बजे से 12ः00 बजे तक जन समस्यायें सुनने तथा उनके त्वरित समाधान के निर्देश दिये गये हैं।
जीरो पेंडेंसी के निर्देश
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जीरो पेंडेंसी पर ध्यान देते हुए शासन से लेकर जिलों तक सुशासन पर ध्यान दिया जायेगा। जिलों के कार्य जिलों में ही हों तथा जिलों के कार्य अनावश्यक रूप से शासन को सन्दर्भित न किया जाये, इसके सख्त निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें प्रदेश के हर क्षेत्र की समस्याओं की जानकारी है। हर उत्तराखण्डी के चेहरे पर मुस्कान लाना उनका उद्देश्य रहेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी का प्रदेश के प्रति भावनात्मक लगाव है। राज्य की समस्याओं से वे विज्ञ हैं। राज्य के विकास में उनका मार्गदर्शन निरन्तर हमें प्राप्त हो रहा है।