मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार से कामकाज शुरू कर दिया है। आइसोलेशन पीरियड पूरा करने के बाद उन्होंने नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर फाइलों का निस्तारण किया।
त्रिवेंद्र को 28 दिसंबर को डॉक्टरी जांच के लिए दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था, जहां से उन्हें 2 जनवरी को डिस्चार्ज किया गया। तब से वे दिल्ली आवास पर होम आइसोलेशन में थे।
यहां बता दें कि विगत 18 दिसंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उसके बाद उनकी रिपोर्ट सामान्य आ गई थी। तब से वे देहरादून में होम आइसोलेशन में थे। विधानसभा सत्र के दौरान उन्होंने सदन की कार्रवाई में वर्चुअली भाग लिया था।
इसके बाद हल्के बुखार की शिकायत के चलते वे एक दिन के लिए राजधानी के दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए थे। वहां डॉक्टरों ने उन्हें जरुरी परीक्षणों के लिए दिल्ली एम्स के लिए रेफर किया था।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में साल 2020 में उत्तराखंड में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। बातें कम, काम ज्यादा की तर्ज पर इस वर्ष राज्य में तेजी से विकास कार्य हुए। एक ओर वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ाई लड़ी गई, वहीं राज्य को नई दिशा देने वाले फैसले लिए गए। इस वर्ष जनभावनाओं का सम्मान देखा गया तो वर्षों से लम्बित परियेाजनाओं को पूरा होते हुए भी देखा गया। यदि इस वर्ष की महत्वपूर्ण घटनाओं पर नजर डालें तो उत्तराखंड में वर्ष 2020 में विकास ने निश्चित रूप से गति पकड़ी है। आइये जानते हैं सरकार की इस साल की उपलब्धियों के बारे में।
गैरसैंण बनी ग्रीष्मकालीन राजधानी
गैरसैैंण राज्य आंदोलन की मूल भावना थी। गैरसैंण प्रतीक है, समूचे पर्वतीय क्षेत्रों के विकास का। इसी भावना और सोच के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने गैरसैंण-भराड़ीसैंण को उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। इस वर्ष 4 मार्च को मुख्यमंत्री ने गैरसैंण में आयेाजित बजट सत्र के दौरान उत्तराखण्डवासियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए गैरसैण-भराड़ीसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा की और 8 जून को बाकायदा अधिसूचना जारी कर दी गई।
चार धाम देवस्थानम बोर्ड का विधिवत गठन
राज्य गठन के बाद किया गया सबसे बड़ा साहसिक और ऐतिहासिक फैसला है, देवस्थानम बोर्ड बनाना। 15 जनवरी 2020 को विधिवत रूप से ‘उत्तराखण्ड चार धाम देवस्थानम बोर्ड’ का गठन किया गया। भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें तीर्थ पुरोहित और पण्डा समाज के लोगों के हक-हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है। देवस्थानम बोर्ड का गठन भविष्य की जरूरतों को देखते हुए किया गया है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
वर्ष 2020 में त्रिवेंद्र सरकार की एक बड़ी देन है ‘मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना’। 28 मई को प्रारम्भ की गई यह योजना कोराना काल में वापस आए प्रवासियों और राज्य के युवाओं को सम्मानजनक तरीके से आजीविका प्रदान करने का बड़ा माध्यम बन रही हैै। एमएसएमई के तहत ऋण और अनुदान की व्यवस्था है। इसमें विनिर्माण में 25 लाख रूपये और सेवा क्षेत्र में 10 लाख रूपये तक की परियोजनाओं पर ऋण की व्यवस्था है।
किसानों की खुशहाली
इस वर्ष राज्य सरकार ने किसानों के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए। पं.दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना में बिना ब्याज के किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे ऋण की सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रूपए कर दिया गया है। इसी प्रकार स्वयं सहायता समूह पांच रूपए तक का ब्याज मुक्त ऋण का लाभ ले सकते हैं। प्रदेश में पहली बार गन्ना किसानों का 100 प्रतिशत भुगतान, किया गया है।
केवल 1 रूपए में ग्रामीण घरों में पानी का कनेक्शन
प्रदेश में ग्रामीण घरों को पीने के पानी का कनेक्शन केवल 1 रूपए में दिया जा रहा है जो कि पहले 1360 रूपए था। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के हर घर को नल से जल के मिशन को प्रदेश में तेजी से आगे बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इसी प्रकार मुख्यमंत्री ने शहरी क्षेत्रों में भी गरीब परिवारों को केवल 100 रुपये में पानी का कनेक्शन देने का निर्णय लिया है जो कि पहले 6000 रुपये था।
गुड गर्वनेंस के लिए ई गर्वनेंस
जनवरी माह में प्रदेश मंत्रीमण्डल की पहली ई-केबिनेट बैठक हुई। राज्य में ई-आफिस की प्रक्रिया में भी तेजी लाई गई। सचिवालय के लगभग सभी अनुभागों में ई-आफिस शुरू किया जा चुका है। 3773 फाईलें ई-आफिस के माध्यम से बना दी गई हैं। सचिवालय के साथ ही 27 विभाग ई-आफिस प्रणाली के अन्तर्गत आ चुके हैं। कई जिलों के जिलाधिकारी कार्यालयों में ई-आफिस प्रणाली शुरू। राज्य के हर न्याय पंचायत से ई-पंचायत सेवा उपलब्ध कराने वाला उत्तराखण्ड देश का तीसरा राज्य बन गया है।
हेल्थ सिस्टम को मजबूती और कोरोना से जंग
कोराना काल में राज्य में हेल्थ सिस्टम को काफी मजबूत किया गया है। राज्य में पर्याप्त संख्या में कोविड अस्पताल, आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, आक्सीजन सपोर्ट बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। अटल आयुष्मान योजना में लगभग 40 लाख लोगों के गोल्डन कार्ड और 2 लाख 12 हजार मरीजों को निःशुल्क उपचार, जिन पर 203 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया गया है। राज्य और जिला स्तर पर कोविड-19 वैक्सीन वितरण और भण्डारण के लिये टास्क फोर्स गठित की गई है। इसका आवश्यक डाटा संकलित किया जा चुका है, अन्य तैयारियां गतिमान हैं।
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की बैठक में जनपद बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक व आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने एवं पलायन को कम करने हेतु आयोग द्वारा की गई सिफारिशों से सम्बन्धित पुस्तिका का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पलायन आयोग द्वारा पलायन के मूल कारणों से सम्बन्धित दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट से ही स्पष्ट था कि इसके लिए मुख्यतः शिक्षा व स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा एवं रोजगार की कमी रही है। उन्होंन कहा कि आयोग के सुझावों पर राज्य सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जा रहे है। उन्होंने कहा कि आयोग को वर्किंग एजेन्सी के रूप में नहीं, अपितु राज्य से पलायन रोकने तथा ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिये थिंकटेक के रूप में कार्य करना होगा।
बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट के सम्बन्ध में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ0 एस0एस0नेगी ने बताया कि जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार जनपद बागेश्वर की जनसंख्या 2,59,898 है, इनमें 1,24,326 पुरूष तथा 1,35,572 महिलाएं है। पिछले 10 वर्षों में 346 ग्राम पंचायतों से कुल 23,388 व्यक्तियों द्वार अस्थायी रूप से पलायन किया गया है। पिछले 10 वर्षों में 195 ग्राम पंचायतों से 5912 व्यक्तियों द्वार पूर्णरूप से स्थायी पलायन किया गया है। आंकड़े दर्शाते है कि जनपद के सभी विकास खण्डों में स्थायी पलायन की तुलना में अस्थायी पलायन अधिक हुआ है। जनपद की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2016-17 के लिए अनन्तिम रूप से 1,00,117 रूपये है।
आयोग द्वारा जनपद हेतु जो सिफारिशें रखी हैं उनमें प्रमुख रूप से पशुधन की गुणवत्ता में सुधार लाने, दुग्ध उत्पादन और उससे जुड़े व्यवसायों का प्रशिक्षण, होम स्टे, इकोटूरिज्म, पर्यटन से जुड़े कौशल विकास प्रशिक्षण, उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाने की बात कही है। इसके साथ ही मनरेगा में समान अवसर और भागीदारी सुनिश्चित करके महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बनाए रखना, फसलों को जंगली जानवरों से बचाव के लिए बन्दरबाड़ों/सोलर पावर फैन्सिंग का निर्माण कराए जाने, औषधीय, सुगंधित पौंधों व जड़ी-बूटी की खेती और बागवानी पर जोर देने की सिफारिश की गई है।
इस अवसर पर आयोग के सदस्यों रामप्रकाश पैन्यूली, सुरेश सुयाल, दिनेश रावत घण्डियाल, अनिल सिंह शाही व रंजना रावत ने भी अपने सुझाव रखे।
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत जनपद उत्तरकाशी के 11 उद्यमियों को परियोजना आवंटन पत्र वितरित किए। इस अवसर पर, मुख्यमंत्री ने एलईडी ग्राम लाईट योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को एनर्जी वॉरियर्स के रूप में सम्मानित किया। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने ऊर्जा दक्ष ग्राम के प्रधानों को भी प्रशस्ति पत्र वितरित कर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सभी स्वयं सहायता समूहों को ऊर्जा संरक्षण दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हमारा अगला फोकस अपनी माँ-बहनों के सिर से घास-लकड़ी का बोझा उतारना है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों को भी इस दिशा में विचार कर योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कार्यक्रम में जनपदों से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित ग्राम प्रधानों एवं स्वयं सहायता समूहों से इस सम्बन्ध में अपने सुझाव देने का अनुरोध किया।
उन्होंने ने एलईडी निर्माण में लगे सभी स्वयं सहायता समूहों के लिए 50-50 हजार के रिवाॅल्विंग फण्ड की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूहों से बात भी की। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार से जुड़कर महिलाओं का आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता बढ़ी है। उनके मन में विश्वास पैदा हुआ है कि वे उद्यम के क्षेत्र में भी बहुत कुछ कर सकती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में अनेकों मंदिर हैं। मंदिरों के कपाट खुलने व बंद होने, व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में सजावटी कार्यों के लिए स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं, जो अपने साथ क्षेत्र की स्मृति चिन्ह ले जाना चाहते हैं। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों से भी क्रिएटिव होकर राज्य से जुड़ी हुई अलग-अलग थीम पर स्मृति चिन्ह बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि ग्रोथ सेंटर्स में फैंसी आईटम पर भी फोकस किया जाना चाहिए। इसके लिए स्पेशिफिक प्रशिक्षण भी कराया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से कहा कि स्थानीय दुकानदारों से बातचीत कर स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की बिक्री हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अपने कार्यालयों, हैलीपैड, स्थानीय बाजारों में ‘वोकल फाॅर लोकल‘ का प्रचार-प्रसार करते हुए, एक विंडो उपलब्ध करायी जानी चाहिए, ताकि इनके उत्पादों को बाजार मिल सके।
मुख्यमंत्री ने ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इन विजेता छात्र-छात्राओं द्वारा तैयार पेंटिंग को वर्ष 2021 के कैलेंडर के रूप में प्रकाशित किया गया है, जिसका मुख्यमंत्री द्वारा विमोचन किया गया। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा संरक्षण पुस्तिका का विमोचन भी विमोचन किया।
इस अवसर पर विधायक गणेश जोशी, सचिव राधिका झा, निदेशक उरेडा कै. आलोक शेखर तिवारी आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आगामी कुम्भ मेले को सुरक्षित व व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए सभी विभागाध्यक्षों को प्रभावी इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कुंभ मेले के कार्यों के संबंध में सभी आवश्यक स्वीकृतियों, कार्यों की गुणवत्ता एवं उपयोगिता आदि का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए, ताकि कुंभ मेले के संपन्न होने के पश्चात इस संबंध में कोई अनावश्यक विवाद की स्थिति ना उत्पन्न हो।
शनिवार को राजधानी देहरादून में कुम्भ कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कोविड-19 के दृष्टिगत कुंभ मेले के लिए स्पेशल कोविड ऑफिसर तैनात किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कुम्भ मेले के कार्यो के लिये मेला अधिकारी को 2 करोड़ तथा आयुक्त गढ़वाल मंडल को 5 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति के अधिकार प्रदान करते हुए आयुक्त के स्तर पर स्वीकृत होने वाले कार्यों के लिए अनुभवी अभियंताओं एवं वरिष्ठ वित्त अधिकारी की समिति गठित करने को कहा, जो स्वीकृति जारी करने में मदद करेगी।
मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित विभागों से सभी स्थाई निर्माण कार्यों को 31 जनवरी से पूर्व पूर्ण करने तथा अस्थाई निर्माण कार्यों में भी तेजी लाने को कहा है।उन्होंने कहा कि कुम्भ के दृष्टिगत विभागीय स्तर पर सम्पादित होने वाली व्यवस्थाओं की एसओपी जारी करने के साथ ही डाक्यूमेन्टेशन पर ध्यान दिया जाय। मुख्यमंत्री ने वन भूमि हस्तांतरण के मामलों को भी शीघ्र निस्तारित करने के निर्देश दिये।
बैठक में सचिव लोनिवि आर.के.सुधांशु ने कहा कि सभी महत्वपूर्ण पुलों का निर्माण कार्य 31 जनवरी से पूर्व कर लिया जायेगा। इसके लिये कार्यदायी संस्थाओं को तेजी से कार्य सम्पन्न करने के निर्देश देने के साथ ही निर्माण कार्यों की निरन्तर निगरानी की जा रही है।
स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने कुंभ मेले में कार्य करने वाले कार्मिकों के वेक्सिनेशन की रूप रेखा भी तय करने की अपेक्षा मेलाधिकारी से की। सचिव नगर विकास शैलेश बगोली ने बताया कि कुम्भ मेले के अन्तर्गत विभिन्न विभागों के स्तर पर 473 करोड़ लागत के 124 निर्माण कार्य किये जा रहे हैं, जिनका निरन्तर अनुश्रवण किया जा रहा है।
पुलिस महानिरीक्षक, कुम्भ मेला श्री संजय गुंज्याल ने बताया कि मेले के लिये सुरक्षा की दृष्टि से 6 जोन, 24 सेक्टर, 21 थाने, 9 पुलिस लाइन, 23 पुलिस चौकी, 25 चैक पोस्ट के साथ ही आवश्यकतानुसार राज्य व केन्द्रीय पुलिस बलों की तैनाती की व्यवस्था की जा रही है।
बैठक में नगर विकास मंत्री मदन कौशिक, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव वित्त सौजन्या, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन के साथ ही सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
अब राजधानी देहरादून में भी इलेक्ट्रिक बस दौड़ेंगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा देहरादून शहर में इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल रन का फ्लैग ऑफ़ कर शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने राजधानी की जनता को बधाई देते हुए कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत हुई है, और पर्यावरण की दृष्टि से यह उत्तराखण्ड के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी देहरादून के अन्तर्गत इस वित्तीय वर्ष में 30 बसें चलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हमारा यह भी प्रयास रहेगा कि धीरे-धीरे मसूरी, ऋषिकेश और हरिद्वार तक इन इलेक्ट्रिक बसों को चलाया जाए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का भी प्रयास है कि वर्ष 2030 तक पूरे देश को इलेक्ट्रिक बसों की ओर लाया जाए।
कार्यक्रम में मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक गणेश जोशी एवं स्मार्ट सिटी देहरादून के सीईओ आशीष श्रीवास्तव भी उपस्थित थे।
लगभग 9 साल पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दरिंदगी व गैंगरेप की शिकार हुई एक गुमनाम निर्भया के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पहल करेंगे। मुख्यमंत्री ने निर्भया के माता-पिता को आश्वासन दिया है कि प्रदेश सरकार उनकी हर प्रकार से सहायता करेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की इस पहल के बाद यह प्रकरण चर्चा में आ गया है।
बुधवार को निर्भया के माता-पिता ने देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र से भेंट की। निर्भया के माता-पिता से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटी के साथ जो हुआ, वह दिल दहलाने वाला था। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए उनका पूरा सहयोग किया जाएगा। राज्य सरकार पीड़िता के परिवार के साथ है और हर प्रकार की मदद के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री ने उन लोगों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से इस आवाज को उठाया है। उन्होंने अपील की कि जिस तरह से राज्यवासियों ने पहले भी दिल्ली में न्याय के लिए आवाज उठाने में पीड़ित परिवार का साथ दिया, अब भी इस आवाज को उठाने में पूरा सहयोग करेंगे। उल्लेखनीय है कि, निर्भया को न्याय दिलाने के लिए मीडिया पर काफी समय से #JusticeForKiranNegi अभियान चल रहा है।
क्या था प्रकरण
दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया कांड से लगभग दस माह पहले एक और लड़की किरण नेगी दरिंदों का शिकार बनी थी। मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी (गढ़वाल) की निवासी किरण नेगी अपने परिजनों के साथ दिल्ली के छावला में रहती थी। वह गुरुग्राम में एक कंपनी में नौकरी करती थी। उसकी आंखों में अपने भविष्य को लेकर तमाम स्वप्न थे।
9 फरवरी, 2012 की एक मनहूस शाम किरण अपनी अन्य सहेलियों के साथ नौकरी से वापस घर लौट रही थी। रास्ते में तीन दरिंदों ने अंधेरे का फायदा उठा कर लड़कियों के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। किरण की सहेलियां किसी तरह से जान बचाकर वहां से भाग गई और किरण को दरिंदों ने एक कार में अगवा कर लिया। चार दिन बाद उसकी लाश हरियाणा से बरामद हुई।
दरिंदों ने किरण के साथ जो बर्ताव किया, उसे सुन कर किसी की भी रूह कांप जाएगी। दरिंदे उसे एक सुनसान जगह ले गए। वहां उन्होंने उससे बारी-बारी से बलात्कार किया। फिर हैवानियत की सारी हदों को पार करते हुए किरण को मौत के घाट उतार दिया। लड़की के सिर पर गाड़ी के जैक व पाने से लगातार प्रहार किए गए। लड़की की पहचान छिपाने के लिए उसके शरीर को दागा गया और बियर की बोतल तोड़ कर उसके शरीर पर तब तक वार किया गया, जब तक उन्होंने यह सुनिश्चित नहीं कर लिया की लड़की की मौत हो गई।
पुलिस ने कार व मोबाइल लोकेशन के आधार पर तीनों दरिंदों राहुल, रवि व विनोद को गिरफ्तार कर लिया। 19 फरवरी 2014 को द्वारका की एक अदालत ने तीनों दरिंदों को फांसी की सजा सुनाई। अदालत में अभियोजन पक्ष ने इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ बताते हुए दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए कहा था कि ऐसे लोगों को जिंदा रहने दिया गया तो समाज में गलत सन्देश जाएगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी दोषियों की सजा को बरकरार रखा था। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट में यह प्रकरण विचाराधीन है।
किरण के माता-पिता अपराधियों को शीघ्र मृत्यु दंड दिलाने के लिए लगातार संघर्षरत हैं। किरण के माता-पिता को न्याय दिलाने के लिए दिल्ली स्थित विभिन्न प्रवासी उत्तराखंडियों के संगठन भी सक्रिय हैं। गत वर्ष दिल्ली-एनसीआर में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों ने प्रकरण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय संग्रहालय से इंडिया गेट तक कैंडल मार्च भी निकाला था। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर लंबे समय से अभियान चल रहा है।
योगी सरकार उत्तर प्रदेश के श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बद्रीनाथ धाम में एक पर्यटक आवास गृह का निर्माण करेगी। उत्तराखंड दौरे के तीसरे दिन मंगलवार को बद्रीनाथ पहुंचे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ पर्यटक आवास गृह का भूमि पूजन व शिलान्यास किया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बद्रीनाथ जाने वाले तीर्थ यात्रियों व पर्यटकों की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के माध्यम से एक पर्यटक आवास गृह का निर्माण प्रस्तावित किया है। इसकी लागत लगभग 11 करोड़ रूपये है और यह बद्रीनाथ हेलीपैड के निकट 4 हजार वर्ग मीटर भूमि पर बनेगा। आवास गृह का निर्माण पहाड़ी शैली में होगा।
यहां बता दें कि, आवास गृह का शिलान्यास सोमवार को प्रस्तावित था। मगर केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान दोनों मुख्यमंत्री भारी बर्फबारी के कारण दिनभर वहीं फंसे रहे। सोमवार शाम को मौसम खुलने पर दोनों नेता रात्रि विश्राम के लिए चमोली जिले के गौचर पहुंचे और मंगलवार सुबह वहां से बद्रीनाथ रवाना हुए।। बद्रीनाथ में उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास किया। इस दौरान उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
यहां बता दें कि, आवास गृह का शिलान्यास सोमवार को प्रस्तावित था। मगर केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान दोनों मुख्यमंत्री भारी बर्फबारी के कारण दिनभर वहीं फंसे रहे। सोमवार शाम को मौसम खुलने पर दोनों नेता रात्रि विश्राम के लिए चमोली जिले के गौचर पहुंचे और मंगलवार सुबह वहां से बद्रीनाथ रवाना हुए।। बद्रीनाथ में उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास किया। इस दौरान उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
इस अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज मुझे कई वर्षों के बाद भगवान श्री बद्री विशाल के दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। उत्तराखण्ड के चारों धाम पर्यटन के विकास एवं श्रद्धालुओं की श्रद्धा व आस्था के सम्मान को ध्यान में रखते हुए आज की आवश्यकता के अनुरूप विकास की जिन नई ऊंचाईयों को छूते हुए दिखाई दे रहे हैं, वह अत्यंत सराहनीय एवं अभिनंदनीय है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र के नेतृत्व में हो रहे इन कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के विकास के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों के लिए हृदय से उनका अभिनन्दन करता हूं।
योगी ने कहा कि उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के बीच पिछले 18-20 वर्षों से बहुत से विवाद चले आ रहे थे। ये विवाद उत्तराखण्ड के नये राज्य बनने के बाद से ही चल रहे थे। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने रचनात्मक और सकारात्मक पहल से इन सभी समस्याओं का समाधान करने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड मेरी जन्म भूमि भी है। मैंने अपना बचपन यहीं बिताया है। पिछले तीन दिनों से यहां के तीर्थ स्थलों के दर्शन करने करने का सौभाग्य मिला है।
उन्होंने कहा कि अगले वर्ष यात्रा प्रारम्भ होने पर बद्रीनाथ में पर्यटक आवास गृह का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। प्रयास किया जाएगा कि एक वर्ष के अन्दर यह कार्य पूर्ण कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि अनेक संतों व योगियों ने अपनी साधना, योग व तप से इस धरती को पवित्र किया है। योगराज सुन्दरनाथ जी की तपस्थली भी श्री बदरीनाथ में है। यहां पर योगराज सुन्दरनाथ जी की गुफा भी है। उन्होंने इच्छा जताई कि उत्तराखण्ड सरकार उनकी गुफा का पुनरूद्धार करे तो बहुत अच्छा कार्य होगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पिछले तीन दिनों से योगी आदित्यनाथ के साथ केदारनाथ एवं बद्रीनाथ के दर्शन करने का अवसर मिला। बद्रीनाथ में उत्तर प्रदेश के पर्यटक आवास का भूमि पूजन व शिलान्यास हुआ, यह एक बड़ी उपलब्धि है। देशभर से श्रद्धालु एवं पर्यटक यहां आते हैं, इस पर्यटक आवास गृह बनने से उनके लिए एक और सुविधा बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि योगी जी नेतृत्व में उत्तर प्रदेश जैसा विशाल राज्य आज विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है। उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश एक उत्तम प्रदेश बने इसके लिए कामना करता हूं।
शिलान्यास कार्यक्रम के बाद दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने बद्रीनाथ से कुछ दूरी पर स्थित देश के अंतिम गांव माणा, भीम पुल एवं सरस्वती पुल का भ्रमण भी किया। दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री आईटीबीपी, सेना एवं बीआरओ के जवानों से मिले व उनका हौंसला बढ़ाया। इससे पूर्व, बद्रीनाथ पहुंचने पर योगी आदित्यनाथ व त्रिवेन्द्र सिंह रावत का देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों ने स्वागत किया।
वर्षा व बर्फवारी के बीच विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट सोमवार को भैयादूज के अवसर पर शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं । कपाट बंद करने से पहले मंदिर तड़के तीन बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया था। इसके बाद मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने बाबा की समाधि पूजा संपन्न की और साढ़े छ: बजे भगवान भैरवनाथ को साक्षी मानकर मंदिर के गर्भगृह को बंद कर दिया। वैदिक विधि-विधान के साथ साढ़े आठ बजे मंदिर का सभा मंडप व मुख्य द्वार बंद किया गया। कपट बंद होने के साथ ही भगवान केदारेश्वर की चल-उत्सव डोली अपने शीतकालीन प्रवास स्थल उखीमठ के लिए रवाना हो गई।
कपाट बंद होने के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड के औद्योगिक सलाहकार डॉ के.एस. पंवार उपस्थित रहे।
इसके अलावा मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मनुज गोयल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी. सिंह, पुलिस अधीक्षक नवनीत भुल्लर, मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर पुष्पवान सहित तीर्थ पुरोहित एवं हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे । देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि इस यात्रा वर्ष 1,350,23 श्रद्धालुओं ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किए।
बाबा के जय घोष के साथ डोली ने अपने प्रथम पड़ाव रामपुर हेतु प्रस्थान किया, जहां देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एन.पी.जमलोकी, कोषाध्यक्ष आर सी तिवारी एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल उत्सव डोली की अगवानी करेंगे। 17 नवंबर मंगलवार को उत्सव डोली श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी और 18 नवंबर को उखीमठ स्थित शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएगी। उखीमठ में ही बाबा केदारनाथ की शीतकालीन पूजा होती है।
कपाट बंद होने के अवसर पर केदारनाथ धाम में बारिश व बर्फबारी के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई दी। बर्फबारी के बीच बाबा की डोली सेना के बेंड की धुन पर केदारनाथ से रवाना हुई। बर्फबारी के कारण उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री अपने निर्धारित समय पर बद्रीनाथ के लिए उड़ान नहीं भर सके।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने दो दिन के उत्तराखंड के दौरे पर रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ केदारनाथ पहुंचे। केदारनाथ में हैलीपैड पर उतरने के तुरंत बाद दोनों मुख्यमंत्रियों ने वर्ष 2013 की आपदा के बाद वहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया। शाम को दोनों मुख्यमंत्री केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर रात्रि विश्राम भी वहीं करेंगे।
इससे पूर्व, योगी आदित्यनाथ दोपहर में राजकीय वायुयान से गोरखपुर से देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचे। एयरपोर्ट पर योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री त्रिवेंद, प्रदेश के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत व मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने स्वागत किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी हैं।
जौलीग्रांट एयरपोर्ट से वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हेलीकॉप्टर से केदारनाथ के लिए रवाना हुए। 16 नवंबर की प्रातः शीतकाल के लिए केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद हो रहे हैं। दोनों मुख्यमंत्री प्रातः केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर कपाट बंद होने के कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे। इसके बाद दोनों प्रातः 7:30 बजे बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। बद्रीनाथ में प्रातः 8 से 9 बजे तक उनका पूजा-अर्चना का कार्यक्रम है।
पूजा-अर्चना के बाद वे बद्रीनाथ में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होंगे। यहां बता दें कि बद्रीनाथ में हेलीपैड के समीप उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटक आवास गृह का निर्माण प्रस्तावित है।