उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में आए दिन लोगों पर भालुओं (Bear) के हमले को देखते हुए प्रदेश सरकार दो रेस्क्यू सेंटर बनाएगी। इसके साथ ही किसानों की फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए जंगलों में फलदार पेड़ लगाए जाएंगे।
यह जानकारी मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राजधानी देहरादून में वन मुख्यालय में ई-ऑफिस कार्यप्रणाली के शुभारम्भ के लिए आयोजित कार्यक्रम में दी। उन्होंने घोषणा की कि चमोली एवं पिथौरागढ़ में भालुओं के लिए एक-एक रेस्क्यू सेंटर बनाया जाएगा। इसके अलावा बंदरों के लिए चार रेस्क्यू सेंटर बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि अगले वर्ष हरेला पर्व पर एक करोड़ फलदार वृक्ष लगाए जाएंगे। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि इसके लिए अभी से तैयारियां शुरू की जाएं। फलदार वृक्ष जंगलों में भी लगाए जाएंगे, जिससे जंगली जानवरों को आहार की उपलब्धता जंगलों में ही पूरी हो और वह किसानों की फसलों को नुकसान ना पहुंचा सकें।

मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि ई-ऑफिस प्रणाली को जल्द ही जिला एवं क्षेत्रीय कार्यालयों में भी विस्तारित किया जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यों में तेजी और पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल इंडिया की जो शुरूआत की उसके बेहतर परिणाम आज सबके सम्मुख हैं। राज्य में ई-कैबिनेट की शुरूआत की गई है। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जा रहा है। 37 कार्यालय ई-ऑफिस प्रणाली से जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल कार्यप्रणाली की ओर हम जितने तेजी से बढ़ेंगे, उतनी तेजी से जन समस्याओं का निदान होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में पिरूल पर जो कार्य हो रहा है, इसे और विस्तार देने की जरूरत है। पिरूल एकत्रीकरण पर राज्य सरकार द्वारा 02 रूपये प्रति किग्रा एवं विकासकर्ता द्वारा 1.5 रूपये प्रति किग्रा एकत्रकर्ता को दिया जा रहा है। इसका उपयोग ऊर्जा के लिए तो किया ही जायेगा, लेकिन इसका सबसे ज्यादा फायदा वन विभाग को होगा। वनाग्नि और जंगली जानवरों की क्षति को रोकने में यह नीति बहुत कारगर साबित होगी। स्थानीय स्तर पर गरीबों के लिए स्वरोजगार के लिए पिरूल एकत्रीकरण का कार्य एक अच्छा माध्यम बन रहा है।
इस अवसर पर वन विभाग के सलाहकार व ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डाॅ. एस.एस.नेगी, मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रवींद्र दत्त, वन पंचायत सलाहकार समिति के अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह बिष्ट, मुख्य वन संरक्षक जयराज, पीसीसीएफ रंजना काला, विनोद कुमार सिंघल, मुख्य वन संरक्षक आईटी नरेश कुमार एवं वन विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को ग्रोथ सेंटरों की समीक्षा की। उन्होंने उत्तराखण्ड के उत्पादों के लिए एक अम्ब्रेला ब्रांड बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सभी ग्रोथ सेंटर, बिक्री और मुनाफे का लक्ष्य निर्धारित कर काम करें। उन्होंने जिलाधिकारियों को भी निर्देश दिए कि वे ग्रोथ सेंटरों में स्वयं जाकर वहां आने वाली समस्याओं का निस्तारण करें। उन्होंने उत्पादों की ऑनलाईन मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा।
ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों का स्किल डेवलपमेंट हो
मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारियों के साथ ग्रोथ सेंटरों की समीक्षा करते हुए कहा कि देहरादून के थानो व नैनीताल के कोटाबाग के एलईडी ग्रोथ सेंटरों को क्वालिटी डिजायनर उपलब्घ कराए जाएं। हरिद्वार में प्रसाद निर्माण से जुड़े सेंटर आगामी कुम्भ को देखते हुए अपनी तैयारियां करें। सभी ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों के स्किल डेवलपमेंट की भी व्यवस्था की जाए।
नियमित बिक्री की व्यवस्था हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रोथ सेंटरों के उत्पादों की सीजनल ही नहीं, बल्कि नियमित बिक्री सुनिश्चित की जाए। आसपास के कुछ ग्रोथ सेंटरों को मिलाकर एक पिकअप वाहन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा सकती है। इससे यातायात लागत कम होगी।
ग्रोथ सेंटर आत्मनिर्भर भारत और वोकल फोर लोकल का अच्छा उदाहरण
त्रिवेंद्र ने कहा कि ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों विशेष तौर पर महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। इस आत्मविश्वास को और बढ़ाना है। जिलाधिकारी ग्रोथ सेंटरों में खुद जाकर वहां आने वाली समस्याओं का निस्तारण करें। ग्रोथ सेंटर आत्मनिर्भर भारत और वोकल फोर लोकल का अच्छा उदाहरण हैं।
उत्तराखण्ड के उत्पादों के लिए एक अम्ब्रेला ब्रांड बने
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के उत्पादों के लिए एक अम्ब्रेला ब्रांड बनाया जाए। इसके अंतर्गत अन्य ब्रांड भी चलते रहेंगे। इसके लिए दक्ष विशेषज्ञों की सहायता ली जाए। इसके लिए उत्तराखण्ड के उत्पादों की विशेषता, सम्भावित मार्केट आदि का पूरा अध्ययन किया जाए। ब्रांड का नाम इस प्रकार हो जिसमें उत्तराखण्ड की फीलिंग आए। उद्योग विभाग इसे क्रियान्वित करेगा।
ग्रोथ सेंटरों ने मुख्यमंत्री को दिया फीडबैक
मुख्यमंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से विभिन्न ग्रोथ सेंटरों के संचालक स्वयं सहायता समूहों से बात की और उनसे फीडबैक लिया। बताया गया कि ग्रोथ सेंटर प्रारम्भ होने से उनसे जुड़े ग्रामीणों और महिलाओं की आय में बढ़ोतरी हुई है। धीरे-धीरे उत्पादों को बाजार भी मिलता जा रहा है। स्थानीय लोग ग्रोथ सेंटरों से जुड़ने के लिए आगे आ रहे हैं। लोहाघाट के स्वयं सहायता समूह द्वारा बताया गया कि मशीने मिलने के बाद लोहे की कढ़ाई के निर्माण में काफी वृद्धि हुई है। इससे उनकी आय भी बढ़ी है। चमोली के उर्गम के स्वयं सहायता समूह ने बताया कि बदरी गाय के दूध व घी की अच्छी कीमत मिल रही है। दर्जनों ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों ने मुख्यमंत्री को ग्रोथ सेंटर योजना के लिए आभार व्यक्त करते हुए ग्रेाथ सेंटरों की कार्यविधि की जानकारी दी।
अभी तक 104 ग्रोथ सेंटर स्वीकृत, 72 क्रियाशील
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने बताया कि अभी तक कुल 104 ग्रोथ सेंटर स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 72 क्रियाशील हो चुके हैं। अन्य भी जल्द ही शुरू हो जाएंगे। इन ग्रोथ सेंटरों से लगभग 30 हजार लोग लाभान्वित हो रहे हैं। स्वीकृत किए गए ग्रोथ सेंटरों में एग्री बिजनेस आधारित 38, बेकरी आधारित 04, डेयरी व दुग्ध उत्पाद आधारित 05, मत्स्य 11, आर्गेनिक ऊन 10, प्रसाद 05, मसाला 04, फल प्रसंस्करण 05, शहद व मौन पालन 04, एलईडी 02, शिल्प आधारित 05, आईटी 02, पर्यटन 02, हथकरघा व क्विल्ट आधारित 02, पशुआहार 01 और एरोमा आधारित 04 ग्रोथ सेंटर हैं। बताया गया कि सितम्बर 2020 तक क्रियाशील ग्रोथ सेंटरों की कुल बिक्री धनराशि 6 करोड़ 09 लाख रूपए रही जबकि लाभ की राशि 60 लाख रूपए से अधिक रही। ग्रोथ सेंटरों के टर्नओवर और मुनाफे में लगातार वृद्धि हो रही है। ग्रोथ सेंटरों की ऑनलाईन मार्केटिंग के लिए वेबसाईट बनाई जा रही है। इनका थर्ड पार्टी मूल्यांकन भी कराया जाएगा।
बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, उत्तराखण्ड ग्राम्य विकास और पलायन आयेाग के उपाध्यक्ष डा.एसएस नेगी, मुख्यमंत्री के सलाहकार आलोक भट्ट, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन, सचिव आरके सुधांशु, आर मीनाक्षी सुन्दरम, राधिका झा, हरबंस सिंह चुघ, डा.रणजीत सिन्हा, एसए मुरूगेशन, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड में आजकल सौर ऊर्जा की खेती चर्चा में है। प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार ने कोरोना काल में घर वापस लौटे प्रवासियों व अन्य बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना शुरु की है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद जिस तरह से इस योजना की अक्सर चर्चा कर रहे हैं, उससे यह अंदाज लगाना कठिन नहीं है कि वो खुद इसको लेकर कितने उत्साहित हैं। मुख्यमंत्री निरंतर इस योजना की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं और उन्होंने इसे अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया हुआ है। अगर योजना वास्तविक धरातल पर उतरती है, तो यह स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।
योजना की खास बात
प्रदेश सरकार ने विगत दिवस 8 अक्टूबर को इस योजना का औपचारिक शुभारम्भ किया। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल इस योजना को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचालित किया जा रहा है। इस योजना के तहत प्रदेश सरकार ने 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित करने का लक्ष्य रखा है। राज्य के स्थायी निवासी अपनी निजी या लीज की भूमि पर सोलर पॉवर प्लांट स्थापित कर सकते हैं। कोई भी उद्यमशील युवा, बेरोजगार, किसान इस योजना के लिए पात्र होगा। सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करने के लिए डेढ़ से दो नाली यानी 300 वर्ग मीटर भूमि की जरुरत होगी।
योजना पर व्यय
25 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयत्र पर लगभग दस लाख रुपये का खर्च होगा। योजना की कुल लगत का 70 प्रतिशत तक लाभार्थी को ऋण के रूप में मिलेगा। शेष 30 प्रतिशत की राशि लाभार्थी को मार्जिन मनी के रूप में वहन करना होगा। चयनित लाभार्थियों को सहकारी बैंकों के माध्यम से आठ प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। यह ऋण 15 वर्ष की अवधि के लिए होगा। योजना का आवंटन जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी।
प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे। – त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री
प्रतिवर्ष 38 हजार यूनिट बिजली उत्पादन
राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है।
प्रतिमाह 15 हजार रूपये की आय होगी
योजना के अंतर्गत आवंटित परियेाजना से उत्पादित बिजली को उत्तराखंड ऊर्जा कार्पोरेशन (UPCL) द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (PPA) किया जाएगा। ऊर्जा निगम लाभार्थियों से साढ़े चार रुपए की दर पर बिजली खरीदेगा। इस प्रकार लाभार्थी को 15 हजार रूपये प्रतिमाह तक का आर्थिक लाभ हो सकेगा।
सोलर फार्मिंग से एग्रो फार्मिंग
सरकार ने सोलर फार्मिंग को एग्रो फार्मिंग से जोड़ा है। प्लांट लगाने वाली भूमि पर जलवायु के अनुकूल जड़ी-बूटी व सगंध पौधों के बीज निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही मधुमक्खी पालन, अदरक आदि का उत्पादन किया जा सकता है। इससे जहां बंजर खेतों में फिर से हरियाली लहलहाने लगेगी, वहीं रोजगार के अवसर बढ़ने से पलायन पर भी अंकुश लग सकेगा।
जिलाधिकारियों की जवाबदेही तय
योजना के शुभारम्भ के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखेंगे। इसके साथ ही भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रसिद्ध उद्योगपति व रिलायंस समूह के मुखिया मुकेश अंबानी के पुत्र एवं श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व सदस्य अनंत अंबानी ने कोरोना काल के आर्थिक हालात को देखते हुए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् बोर्ड हेतु 5 करोड़ की धनराशि दान दी है। धनराशि का चेक बुधवार को चारधाम विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं व देवस्थानम् बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपा।
उल्लेखनीय है कि अंबानी परिवार की श्री बदरीनाथ एवं केदारनाथ सहित उत्तराखंड के चारों धामों में अपार आस्था है। पहले भी उनके द्वारा करोड़ों रुपये का दान श्री बदरीनाथ-केदारनाथ धाम को दिया जाता रहा है। कोरोना महामारी से इस यात्रा वर्ष देवस्थानम् बोर्ड की आर्थिकी भी प्रभावित हुई है। इसके मद्देनजर अंबानी परिवार द्वारा 5 करोड़ रुपये देवस्थानम् बोर्ड को दान स्वरूप दिये हैं।
देवस्थानम् बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन तथा अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह ने अंबानी परिवार का आभार जताया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत कुम्हार कला के लिए विद्युत चालित चाक वितरित किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि माटी कला के लिए प्रदेश में एक प्रशिक्षण केन्द्र खोला जाएगा। माटी कला बोर्ड को मिट्टी गूंथने वाली 200 मशीने दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि मिट्टी के कार्यों से जुड़े शिल्पकारों का एक डाटा बेस बनना चाहिए। ऐसे स्थान चिन्हित किये जाएं, जहां पर इस शिल्प पर आधारित कार्य अधिक हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजधानी देहरादून में माटी कला बोर्ड के कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि तकनीक के साथ इस शिल्प को कैसे और उभारा जा सकता है, इस दिशा में प्रयासों की जरूरत है। युवा पीढ़ी आधुनिक तकनीक के कार्यों के महत्व को जानती है। हमें अपनी विशेषज्ञता वाले कार्यों से अपनी पहचान को बढ़ाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक प्रतिबंधित होने से मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बढ़ी है। त्योहारों का सीजन और उसके बाद हरिद्वार कुंभ में मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ेगी। बाजार की मांग के हिसाब से पूर्ति की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों में भी मिट्टी के उपकरणों एवं गमलों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली ने कहा कि माटी के कार्य से जुड़े लोगों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में सरकार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि इन कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न मेलों में माटी कला बोर्ड के स्टाॅल लगने चाहिए। जिससे इस कार्य से जुड़े लोगों को अपने उत्पादों को बेचने में मदद मिलेगी।

माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जो भी जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, सभी योजनाओं में गरीबों के हितों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने मिट्टी के कार्य से जुड़े लोगों की प्रमुख समस्याओं के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय, मेयर सुनील उनियाल गामा, भाजपा के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट, उद्योग निदेशक सुधीर नौटियाल आदि उपस्थित थे।
2 अक्तूबर 1994 को मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर-तिराहा में अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस बर्बरता की 26 वीं बरसी पर प्रदेशभर में विभिन्न स्थानों में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रामपुर-तिराहा पहुंच कर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों की स्मृति में बनाए गए शहीद स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित किये। शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों के अनुरूप उत्तराखण्ड का विकास हो, इसके लिए राज्य सरकार निरन्तर प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 2 अक्तूबर के दिन को हम अनेक रूपों में मनाते हैं। यह दिन देश की आजादी के लिए अहिंसा व सत्याग्रह के सिद्धान्त पर चलने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और जय जवान-जय किसान का उदघोष करने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एवं तत्कालीन उत्तर प्रदेश के इतिहास में आज के दिन को एक काले धब्बे के रूप में भी हम लोग देखते हैं। रामपुर-तिराहा में राज्य आन्दोलनकारियों पर अमानवीय अत्याचार हुआ, अनेक नौजवान शहीद हुए। उन्होंने स्थानीय लोगों की सराहना करते हुए कहा कि पुलिस बर्बरता के दौरान यहां के लोगों ने उत्तराखंड के आंदोलनकारियों के सम्मान व सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। उनके इस योगदान को हमेशा याद किया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य बड़े संघर्ष के बाद बना। राज्य के निर्माण में सभी वर्गों के लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड राज्य का निर्माण किया। आज राज्य तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उत्तराखण्ड की प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, इन्फ्रास्टक्चर में तेजी से वृद्धि हुई है। उत्तराखण्ड सीमान्त प्रदेश है, जिसकी लगभग पौने छः सौ किलोमीटर की अन्तरराष्ट्रीय सीमाएं हैं। आज हम चीन की सीमा तक सड़क पहुंचा चुके हैं।
इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत, विधायक हरवंश कपूर, प्रदीप बत्रा, मुजफ्फरनगर के विधायक प्रमोद उडवाल, गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष राजेन्द्र अंथवाल, रूड़की के मेयर गौरव गोयल आदि उपस्थित थे।
सीएम राजधानी देहरादून के कचहरी परिसर भी पहुंचे
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजधानी देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर भी आंदोलनकारियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज ही के दिन उत्तराखण्ड के इतिहास में एक काला अध्याय भी जुड़ा, जब अलग उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर रामपुर-तिराहा में बर्बरतापूर्वक अत्याचार किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आन्दोलनकारियों के बलिदान के परिणामस्वरूप ही उत्तराखण्ड एक अलग राज्य बना।

विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल, भाजपा संगठन मंत्री अजेय ने अर्पित किए पुष्प चक्र
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, मेयर सुनील उनियाल गामा आदि ने भी अलग-अलग कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पहुंच कर शहीदों के चित्र पर पुष्प चक्र अर्पित किए। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि 2 अक्तूबर के दिन रामपुर-तिराहा में जिस प्रकार से आंदोलनकारी महिलाओं व पुरुषों पर बर्बरतापूर्वक अत्याचार किया गया, उसे भुलाया नहीं जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 521 करोड़ रूपये की 6 मेगा परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के शुरू होने से प्रदेश से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा। लोकार्पित किए गए प्रोजेक्ट में जगजीतपुर (हरिद्वार) में 230 करोड़ रूपये की लागत से बना 68 एमएलडी क्षमता का एसटीपी व 20 करोड़ की लागत से बना 27 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, सराय (हरिद्वार) में 13 करोड़ की लागत से बना 18 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, चंडी घाट (हरिद्वार) में गंगा के संरक्षण और जैव विविधता को प्रदर्शित करता ‘गंगा संग्रहालय’, लक्कड़ घाट (ऋषिकेश) में 158 करोड़ की लागत से बना 26 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चंद्रेश्वर नगर-मुनि की रेती में 41 करोड़ की लागत से बना 7.5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चोरपानी (मुनि की रेती) में 39 करोड़ की लागत से बना 5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी और बद्रीनाथ में 19 करोड़ की लागत से बना 1.01 एमएलडी क्षमता का एसटीपी शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने रोविंग डाउन द गंगेज (rowing down the ganges) व ग्राम पंचायतों और पानी समितियों के लिए बनाई गई मार्गदर्शिका का भी विमोचन किया। उन्होंने जल जीवन मिशन के लोगो (प्रतीक चिह्न) का भी अनावरण किया।
नई सोच व नई एप्रोच से नमामि गंगे में मिली सफलता
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि मां गंगा हमारे सांस्कृतिक वैभव और आस्था से तो जुड़ी ही है, साथ ही लगभग आधी आबादी को आर्थिक रूप से समृद्ध भी करती है। नमामि गंगे मिशन, नई सोच और नई एप्रोच के साथ शुरू किया गया। यह देश का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान है। इसमें समन्वित रूप से काम किए गए। गंगा जी में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए एसटीपी का निर्माण किया गया या किया जा रहा है, अगले 15 वर्षों की आवश्यकता के अनुसार एसटीपी कीे क्षमता रखी गई, गंगा के किनारे लगभग 100 शहरों और 5 हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है और गंगा की सहायक नदियों को भी प्रदूषण से मुक्त रखने का काम किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड में 6 साल में सीवरेज ट्रीटमेंट क्षमता चार गुना हुई
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं। राज्य में 6 साल में सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता को 4 गुना कर दिया गया है। लगभग सभी नालों को टैप कर दिया गया है। इनमें चंद्रेश्वर नाला भी शामिल है। यहां देश का पहला 4 मंजिला एसटीपी शुरू हो चुका है। अगले वर्ष हरिद्वार कुम्भ मेले में श्रद्धालु गंगा की निर्मलता का अनुभव लेंगे। सैकड़ों घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया है। साथ ही रिवर फ्रंट भी बनकर तैयार है। गंगा म्यूजियम से हरिद्वार आने वाले लोग गंगा से जुड़ी विरासत को समझ पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा के निकटवर्ती पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर फोकस किया जा रहा है। यहां जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती की योजना है। आर्गेनिक फार्मिंग काॅरिडोर विकसित किया जा रहा है। मिशन डाॅल्फिन से डाॅल्फिन संवर्धन में मदद मिलेगी।

जल जीवन मिशन में त्रिवेंद्र सरकार एक कदम आगे
प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी की महत्ता को माता-बहनों से अधिक कौन समझ सकता है। हमने जल से जुड़े मंत्रालयों को एक कर जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया। जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल से जल का लक्ष्य लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार एक कदम और आगे बढ़ी है। उन्होंने केवल एक रूपए में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया है। वर्ष 2022 तक हर घर नल से जल देने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखण्ड में कोरोना काल में भी पिछले 4-5 माह में 50 हजार परिवारों को पानी का कनेक्शन दिया गया है, जो कि उत्तराखण्ड सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल के लिए 2 अक्टूबर से अभियान
जल जीवन मिशन ने गांवों में पानी की समस्या से मुक्त करने का अवसर दिया है। 2 अक्टूबर से जल जीवन मिशन के तहत अभियान चलाकर 100 दिनों में सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल सुनिश्चित किया जाएगा। वर्ष 2014 के बाद देश हित में बहुत से बड़े काम किए गए। इनमें कृषि विधेयक, डिजीटल इण्डिया, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन शामिल हैं। वन रैंक वन पेंशन से उत्तराखण्ड के एक लाख से अधिक पूर्व सैनिक लाभान्वित हुए हैं। सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवाद को चोट पहुंचाई गई। राफेल से वायुसेना की ताकत काफी बढ़ी है। सरदार पटेल की मूर्ति राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से सारी दुनिया योग के महत्व से परिचित हुई। अयोध्या में रामजन्म भूमि मंदिर का भूमि पूजन किया गया। देश को ताकतवार बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया गया है।
सीएम ने कहा गंगा किनारे जैविक व औषधीय खेती को प्रोत्साहन
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के चिन्हित 16 नगरों हेतु स्वीकृत 19 योजनाओं में से 15 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। शेष कुम्भ से पहले पूरी हो जाएंगी। इन नगरों में चिन्हित किए गए 135 नालों में से 128 टैप किए गए हैं। शेष को कुम्भ से पहले टैप कर लिया जाएगा। गंगा किनारे उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न स्थानों पर 21 स्नान घाटों जिसमें भव्य चंडी घाट भी शामिल है और 23 मोक्षधामों का निर्माण किया गया है। गंगा नदी के कैचमेंट एरिया में जो कार्य कराए गए हैं, उनका लाभ आने वाले समय में अवश्य मिलेगा। गंगा के दोनों किनारों पर 5 से 7 किलोमीटर के क्षेत्र में जैविक खेती को विकसित करते हुए स्थाई कृषि प्रथाओं को भी नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम में निर्मित एसटीपी से निकलने वाले शोधित जल को भी कृषकों को सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है। गंगा जी की निर्मलता और अविरलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी के भगीरथ प्रयासों के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। यहां तक की गंगा मे डाल्फिन और महाशिर मछलियां भी पुनः दिखने लगी हैं। गंगा के किनारे आर्गेनिक खेती व औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

शेखावत बोले हरिद्वार कुम्भ में गंगा का जल होगा आचमन योग्य
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संचय व जल संरक्षण को लेकर जनचेतना का संचार हुआ है। यह आंदोलन जन-जन का विषय बनने लगा है। वर्ष 2014 से नमामि गंगे एक मिशन मोड में काम कर रहा है। इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई। समन्वित एप्रोच पर काम किया गया। गंगा प्रवाह क्षेत्र में 315 परियोजनाएं अभी तक इसमें ली गई हैं। कुल 28854 करोड़ की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 9 हजार करोड़ की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इनके स्पष्ट परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। हाईब्रिड एन्यूटी प्रणाली अपनाई गई है। गंगा प्रहरी और अनेक संगठनों के माध्यम से नमामि गंगे को जन अभियान बनाया गया है। गंगा की शुचिता के साथ ही अविरलता पर भी ध्यान दिया गया है। इसके लिए ई-फ्लो अधिसूचना जारी की गई। अगले वर्ष हरिद्वार में कुम्भ मेले के समय गंगा जल आचमन योग्य होगा। रिसाईकिल पानी को रियूज करने का भी प्रयास किया जा रहा है। गंगा की सहायक नदियों पर भी प्रभावी काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम में ये रहे जुड़े
इस वर्चुअल कार्यक्रम में उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया के अलावा प्रदेश के केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, सांसद तीरथ सिंह रावत, ऋषिकेश की मेयर अनीता ममगाईं, विधायक आदेश चौहान आदि भी जुड़े थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से विस्तार हुआ है। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में धार्मिक एवं अन्य पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। कोविड के कारण पर्यटन गतिविधियों में जरूर कमी आई है। मगर स्थिति सामान्य होने पर पर्यटन की स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रत्येक जनपद में थीम आधारित पर्यटन स्थल विकसित किये जा रहे हैं। पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें उत्तराखंड में रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रविवार को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड विभिन्न जैव विविधताओं वाला राज्य है। बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं, बुग्याल, विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु एवं अच्छा मानव संसाधन देवभूमि उत्तराखण्ड की ओर पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करता है। उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी जनपद में स्नो लेपर्ड पार्क बनाया जा रहा है। प्रदेश में पर्यटन पर आधारित गतिविधियां पूरे साल हो, इसके लिए सरकार द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं। क्याकिंग, राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग जैसी गतिविधियों के लिए उत्तराखण्ड में अनुकूल वातावरण है।

उन्होंने कहा कि राज्य में होम स्टे को बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी 2200 से अधिक होम स्टे रजिस्टर्ड हो चुके हैं। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, पौड़ी में काफी अच्छे होम स्टे बनाये गये हैं। होम स्टे के प्रति लोगों का रूझान भी बढ़ा है। होम स्टे पर्यटकों को आकर्षित तो करता ही है। साथ ही यहां के लोगों के लिए रोजगार के भी अच्छे अवसर उपलब्ध करा रहा है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र का उत्तराखण्ड की जीडीपी में अहम योगदान रहा है। हम पर्यावरण हित पर्यटन की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। पर्यटन एवं तीर्थाटन के माध्यम से स्थानीय लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। हमारा प्रयास आपदा को अवसर में बदलने का है। विश्व पर्यटन की इस वर्ष की थीम ‘पर्यटन और ग्रामीण विकास है’। ग्रामीण विकास के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। आने वाले दिनों में हमारे समग्र प्रयास से फिर उत्तराखण्ड की तस्वीर बदलेगी, पर्यटन गतिविधियों से लोगों की आजीविका में सुधार होगा।
वेबिनार में फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, मनीषा पाण्डे, डॉ. शिवम मणि, मनदीप सिंह, धनुष सिंह आदि पर्यटन गतिविधियों से जुड़े जानकारों ने अपने सुझाव दिये।
हल्द्वानी में विगत दिवस हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से साईकिल सवार औषधीय संयोजक (कंपाउंडर) की झुलसने से हुई मौत के मामले में ऊर्जा विभाग की लापरवाही को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने काफी गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री ने घटना पर गहरा दुख जताया और ऊर्जा सचिव राधिका झा को पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही जिम्मेदार लापरवाह अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा है।
ऊर्जा सचिव राधिका झा ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद सीनियर स्तर के अधिकारी मुख्य अभियंता एमएल प्रसाद को जांच अधिकारी नामित कर उनसे रिपोर्ट मांगी है। प्रसाद मौके पर पहुंचकर जांच में जुट गए हैं। अधिशासी अभियंता (ग्रामीण) अमित आनंद की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी की प्रथमदृटया रिपोर्ट में एसएसओ की लापरवाही प्रतीत हुई है। फाइनल रिपोर्ट मिलने पर इस घटना के लिए जिम्मेदार लापरवाह अफसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए निचले स्तर के तकनीकि अधिकारियों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा। घटना में मृतक आश्रित को तत्काल चार लाख मुआवजा दिया जा रहा है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से भी सहायता की कोशिश की जाएगी।
गौरतलब है कि हल्द्वानी निवासी कमल रावत (29) पुत्र एमएस रावत मंगल पड़ाव स्थित एक क्लीनिक में कंपाउंडर था। गत शुक्रवार को कमल साइकिल से ड्यूटी पर जा रहा था। सुबह करीब नौ बजे कमल जैसे ही वॉक मॉल के पास पहुंचा, तभी वहां हाइटेंशन लाइन का तार टूटने से उसकी चपेट में आ गया और करंट से झुलसकर कमल की मौके पर ही मौत हो गई।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भर्ती प्रक्रियाओं को निर्धारित टाईम टेबल में सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना प्रोटोकोल का पालन करते हुए भर्ती परीक्षाओं का आयोजन समयबद्धता से किया जाए। इसमें किसी भी स्तर पर शिथिलता न बरती जाए। मुख्यमंत्री ने सोमवार को सचिवालय के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में भर्ती प्रक्रियाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि विभागों से चयन आयोगों को अध्याचन भेजने में विलम्ब न हो। इसके लिए एक ऑनलाइन व्यवस्था बनाई जाए।
समान प्रकृति के पदों की एक ही परीक्षा हो
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि एक जैसी प्रकृति के पदों के लिए एक ही परीक्षा आयोजित की जाए। इससे परीक्षार्थियों के समय व धन की बचत होगी और भर्तियों में भी अनावश्यक विलम्ब नहीं होगा। राज्य लोक सेवा आयेाग जब एक बार डीपीसी की तिथि निर्धारित कर देता है तो यह संबंधित अधिकारियों की अनुपलब्धता के कारण स्थगित नहीं होनी चाहिए।
अध्याचन पर आपत्तियों का जवाब तीन दिन में
चयन आयेाग द्वारा की जाने वाली पृच्छाओं व आपत्तियों पर जवाब अधिकतम तीन दिनों में चला जाना चाहिए। कार्मिक विभाग प्रत्येक माह विभागों की भर्ती प्रक्रियाओं की समीक्षा करे और विभागों व चयन आयेागों में समन्वय स्थापित करे।
लक्ष्य निर्धारित कर हो काम
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के कारण भर्ती प्रक्रियाओं में विलम्ब हुआ है। इसकी भरपाई अगले 6 माह में किस प्रकार की जा सकती है, इसकी कार्ययोजना बना ली जाए। टार्गेटेड तरीके से काम करते हुए चयन आयेागों के साथ ही शासन स्तर पर भी इसे सर्वोच्च प्राथमिकता पर लिया जाए।
बैठक में उपस्थित विभिन्न आयोगों के अध्यक्षों ने अपने-अपने यहां चल रही भर्ती प्रक्रियाओं की जानकारी दी।
उत्तराखण्ड राज्य लोक सेवा आयोग
उत्तराखण्ड राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेनि) आनंद सिंह रावत ने बताया कि वर्ष 2017 से वर्तमान तक राज्य लोक सेवा आयोग से 3047 पदों पर चयन किया गया। जबकि 1145 पदों पर चयन प्रक्रिया गतिमान है जो कि इस वित्तीय वर्ष में पूर्ण कर ली जाएगी। आयोग ने इस वर्ष विभिन्न पदों के लिए टाईम टैबल बना लिया है। इसके अनुसार चयन सुनिश्चित किया जा रहा है। वर्ष 2017 से वर्तमान तक डीपीसी द्वारा कुल 2647 पदों पर चयन किया गया है, जबकि 219 पदों पर डीपीसी की प्रक्रिया गतिमान है।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयेाग के अध्यक्ष एस.राजू ने बताया कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा वर्ष 2017 से 2020 तक कुल 6 हजार पदों पर चयन पूर्ण किया गया। जबकि 2014 से 2017 तक 801 पदों पर चयन किया गया। वर्तमान में 9 परीक्षाएं कोविड-19 के संक्रमण के कारण लंबित हैं। इनमें से 7 परीक्षाएं अक्टूबर से दिसम्बर तक आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। चयन वर्ष 2019-20 व 2020-21 में लगभग 7200 पदों पर अधियाचन प्राप्त हुए हैं इनमें से लगभग 2500 पदों पर विज्ञापन प्रकाशित किया जा चुका है जबकि 4 हजार पदों पर विज्ञापन की कार्यवाही प्रगति पर है।
उत्तराखण्ड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड
उत्तराखण्ड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष डा.डीएस रावत ने बताया कि 2017 से अभी तक कुल 1282 का चयन किया गया। बोर्ड को वर्तमान में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, चिकित्साधिकारी, एक्स-रे टेक्नीशियन, ईसीजी टेक्नीशियन, रेडियोग्राफिक्स, राजकीय मेडिकल कालेजों में विभिन्न तकनीशियन के पदों सहित कुल 1351 पदों के अधियाचन प्राप्त हैं। इन पर चयन प्रकियाएं निश्चित टाईमफे्रम में पूरा कर लिया जाएगा।
बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव अमित नेगी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।