मोरबी पुल हादसे पर जांच की मांग को लेकर सुनवाई आज..
देश-विदेश: सुप्रीम कोर्ट में गुजरात में मोरबी पुल हादसे की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन की मांग वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने अधिवक्ता विशाल तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई की। हादसे में 130 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इस दौरान उच्चतम न्यायालय ने घटना के संबंध में गुजरात उच्च न्यायालय से समय-समय पर जांच और अन्य संबंधित पहलुओं की निगरानी करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को स्वतंत्र सीबीआई जांच, पर्याप्त मुआवजा संबंधी याचिकाओं के साथ हाईकोर्ट का रुख करने की अनुमति दी।
उत्तराखंड के इन बीएड कॉलेजों को लगा झटका..
उत्तराखंड: बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) कॉलेजों के लिए बड़ी खबर सामने आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में नए बीएड कॉलेजों को मान्यता न दे और BEd Seats बढ़ाने की मंजूरी भी न देने के फैसले को मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि बीएड कॉलेज बेरोजगारी बढ़ा रहे हैं। वैकेंसी से कई गुना ज्यादा स्टूडेंट्स हर साल डिग्री हासिल कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के बीएड कोर्स कराने वाले कॉलेजों को मान्यता नहीं देने के 2013 के फैसले को बरकार रखा है। बताया जा रहा है कि कोर्ट ने इस फैसले को इस आधार पर बरकरार रखा कि कोर्स पास करने वाले 13,000 छात्रों के मुकाबले सालाना केवल 2500 शिक्षकों की ही आवश्यकता होती है। जिसके बाद अब नए B.Ed Colleges को मान्यता देने पर रोक लगा दी गई है।
बताया जा रहा है कि उत्तराखंड सरकार ने 16 जुलाई 2013 को एक नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें नए बीएड कॉलेजों को मान्यता न देने की बात कही थी। जिस पर नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) की उत्तरी क्षेत्रीय समिति को पत्र भेजा था। जिसमें एनसीटीई से अपील की थी कि वह राज्य में नए बीएड कॉलेजों को मान्यता न दे और BEd Seats बढ़ाने की मंजूरी भी न दे।
सरकार के इस फैसले के विरोध में कॉलेजों ने हाईकोर्ट में अपील की थी जिसे हाई कोर्ट ने सरकार की मनमानी बताते हुए रद्द कर दिया था। जिसके बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौति दी थी। अब इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘राज्य सरकार के फैसले को मनमाना नहीं कहा जा सकता, जैसा कि उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है। सरकार ने फैसले के पीछे जो कारण बताए हैं, उनके मद्देनजर मौजूदा अपील मंजूर की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर लगाया स्टे..
उत्तराखंड: प्रदेश सरकार की नौकरियों में राज्य की महिलाओं के लिए 30% क्षैतिज आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुग्रह याचिका (एसएलपी) पर आज सुनवाई हुई। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। सीएम धामी का कहना हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हैं। राज्य की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए हमारी सरकार कटिबद्ध है। हमने महिला आरक्षण को यथावत बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने की भी पूरी तैयारी कर ली थी। इसके साथ ही हमने हाईकोर्ट में भी समय से अपील करके प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की थी।
आपको बता दे कि हाईकोर्ट के फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। एक याचिका में उच्च न्यायालय ने प्रदेश की महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों पर रोक लगा दी थी। कोर्ट के स्टे के बाद राज्य सरकार पर क्षैतिज आरक्षण को बनाए रखने का दबाव था। सीएम धामी का कहना हैं कि सरकार महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण की रक्षा के लिए एक विधेयक पारित करेगी, और सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेगी। राज्य कैबिनेट की बैठक में इन दोनों विकल्पों को स्वीकार किया गया और अध्यादेश लाने का फैसला किया गया।
अध्यादेश के प्रस्ताव को सीएम की मंजूरी..
प्रदेश मंत्रिमंडल ने महिला क्षैतिज आरक्षण के लिए अध्यादेश लाने की सहमति दी थी। प्रस्तावित अध्यादेश को सीएम धामी की मंजूरी मिल गई है। कार्मिक एवं सतर्कता विभाग की ओर से यह सुझाव विधानसभा को भेजा गया है। बता दे कि सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी के सामने अध्यादेश लाकर पैरवी को मजबूती मिल सकती थी। वर्तमान परिस्थिति में क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पैरवी करेगी।
शिक्षक भर्ती का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट..
उत्तराखंड: राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) से डीएलएड (डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन) कर चुके उम्मीदवारों को 2648 पदों पर चल रही शिक्षक भर्ती में शामिल करने या न करने के मामले में सरकार कोई निर्णय लेती, उससे पहले ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। वरिष्ठ अधिवक्ता एवं उत्तराखंड के पूर्व महाधिवक्ता उमाकांत उनियाल ने प्रकरण में बीएड उम्मीदवारों की ओर से एसएलपी दाखिल कर दी है।
एनआईओएस से डीएलएड अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में शामिल शामिल करने और बाद में सरकार के अपने ही निर्णय को पलटे जाने के खिलाफ अभ्यर्थी हाईकोर्ट चले गए थे। हाईकोर्ट ने करीब एक महीने पहले इन आवेदकों को शिक्षक भर्ती में शामिल करने का फैसला किया था। सरकार इस बात पर बहस कर रही है कि क्या हाई कोर्ट के इस फैसले का पालन किया जाना चाहिए या इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जानी चाहिए। समस्या को लेकर कानून विभाग से मशविरा किया जा रहा है, लेकिन इससे पहले कि सरकार इस पर कोई कार्रवाई करे, बीएड टीईटी के अभ्यर्थियों ने मंगलवार को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्य के पूर्व महाधिवक्ता उमाकांत उनियाल की ओर से इस मामले में एसएलपी दाखिल की गई है। उनियाल का कहना हैं कि एनआईओएस से डीएलएड मामले में एनसीटीई की ओर से कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई थी। इनके मामले में केवल सर्कुलर जारी किया गया था। अपात्र होने की वजह से उत्तर प्रदेश में इन लोगों को भर्ती से बाहर कर दिया गया था।
जो राजनीतिक मुद्दा बन गया था। उनका कहना हैं कि यह निजी स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षक थे। जिन्हें 31 मार्च 2019 तक एक बार 18 महीने के सेवारत प्रशिक्षण का अवसर दिया गया था। पूर्व महाधिवक्ता ने कहा कि सरकार जब एक बार शिक्षक भर्ती शुरू कर चुकी है तो बीच में भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता को बदला नहीं जा सकता।
यह है मामला
आपको बता दे कि प्रदेश के राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए शिक्षा विभाग ने वर्ष 2020-21 में 2648 पदों के लिए आवेदन मांगे थे। शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों से डीएलएड और बीएड अभ्यर्थियों के साथ ही एनआईओएस से डीएलएड करने वालों ने भी इसके लिए आवेदन किए थे। सरकार ने एनआईओएस से डीएलएड अभ्यर्थियों को पहले शिक्षक भर्ती में शामिल किया और बाद में इन्हें शिक्षक भर्ती में शामिल न करने का निर्णय लिया गया। इसके खिलाफ अभ्यर्थी हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने शासन के इन्हें भर्ती में शामिल न करने के 10 फरवरी के आदेश को रद्द कर दिया था।
सत्येंद्र जैन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ED को जारी किया नोटिस..
देश-विदेश: सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया है। साथ ही ईडी से इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। दरअसल, इससे पहले हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। जिसमें एजेंसी की याचिका को दूसरे न्यायाधीश को स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय को दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले को स्थानांतरित करने के खिलाफ एक याचिका पर एक नोटिस जारी किया, जिस पर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को सत्येंद्र जैन को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ बेनामी संपत्ति लेनदेन का मामला बंद कर दिया था। आयकर विभाग ने साल 2017 में जैन के खिलाफ बेनामी कंपनियों से जमीन की खरीद-फरोख्त के मामले में बेनामी लेनदेन संशोधन अधिनियम 2016 के तहत जांच शुरू की थी।
कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध पर जल्द आ सकता है बड़ा फैसला..
सुप्रीम कोर्ट इसी सप्ताह सुना सकता है आदेश..
देश-विदेश: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता के सेवानिवृत्त होने से पहले कर्नाटक हिजाब विवाद पर बड़ा फैसला आ सकता है। जानकारी के अनुसार शीर्ष अदालत इसी सप्ताह इस चर्चित मामले पर अपना फैसला सुनाने की तैयारी में है। आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसके तहत शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखा गया था। हिजाब विवाद मामले में जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की पीठ ने 10 दिन तक सुनवाई के बाद 22 सितंबर को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। माना जा रहा है कि इन याचिकाओं पर इसी सप्ताह फैसला सुनवाया जा सकता है, क्योंकि पीठ की अगुवाई कर रहे न्यायमूर्ति गुप्ता 16 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
संविधान पीठ के पास मामला भेजने की उठी थी मांग..
मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों ने जोर देकर कहा था कि मुस्लिम लड़कियों को कक्षाओं में हिजाब पहनने से रोकने से उनकी पढ़ाई खतरे में पड़ जाएगी क्योंकि उन्हें कक्षाओं में जाने से रोका जा सकता है। वहीं कुछ वकीलों ने इस मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने की भी गुजारिश की थी। वहीं, राज्य सरकार का तर्क था कि कर्नाटक सरकार का फैसला धार्मिक रूप से तटस्थ था।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 15 मार्च को उडुपी में गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने कक्षाओं के भीतर हिजाब पहनने की अनुमति मांगी थी। वहीं, अदालत ने कहा था कि हिजाब इस्लाम में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। इसके बाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गयीं थीं।
कर्लीज क्लब को गिराए जाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक..
देश-विदेश: गोवा के कर्लीज क्लब को गिराए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह रोक इस शर्त पर लगाई है कि क्लब में किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियां नहीं होंगी। आज सुबह ही इस क्लब को गिराए जाने की कार्रवाई शुरू हुई थी। यह वही क्लब है, जहां पर मौत से कुछ घंटे पहले सोनाली फोगाट ने पार्टी की थी। आरोप है कि इसी क्लब में उन्हें ड्रग्स दी गई थी। गोवा तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण ने तटीय क्षेत्र कानूनों के उल्लंघन के लिए कर्लीज रेस्तरां को ध्वस्त करने का आदेश दिया था।
आपको बता दे कि रेस्तरां के मालिक एडविन नून्स को भी सोनाली फोगाट की मौत के मामले में गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें सशर्त जमानत दे दी गई थी। इस मामले में कुल चार गिरफ्तारियां हुईं थीं। अधिकारियों का कहना है कि रेस्तरां को ढहाने का पहला आदेश जीसीजेडएमए द्वारा 2016 में जारी किया गया था, जिसे ‘कर्लीज’ के प्रबंधन ने एनजीटी के समक्ष चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई छह सितंबर को न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एनजीटी पीठ ने की थी। पीठ ने जीसीजेडएमए के आदेश को बरकरार रखा था और रेस्तरां प्रबंधन द्वारा दायर याचिका का निपटारा कर दिया था। गोवा पुलिस की जांच में सामने आया है कि जिस क्लब में सोनाली फोगाट को जबरन ड्रग दी थी वह क्लब एडविन नहीं बल्कि उनकी बहन लिनेट के नाम पर है। एडविन रूटीन में क्लब को संभालता था। गोवा पुलिस की जांच लिनेट तक पहुंच सकती है।
सुपरटेक के ट्विन टावर को गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाई समय सीमा..
देश-विदेश: सुप्रीम कोर्ट ने आज नोएडा में सुपरटेक के 40 मंजिला ट्विन टॉवर को गिराने के लिए 28 अगस्त की तारीख तय कर दी। दोनों जुड़वां इमारतें गिराने में किसी भी तरह की परिस्थितिजन्य या तकनीकी समस्या आए तो एक हफ्ते की अतिरिक्त समय सीमा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने भवन निर्माण कंपनी सुपरटेक की एमराल्ड परियोजना के तहत बने इस ट्विन टॉवर को गिराने के लिए समय सीमा तय की है। शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने ये दोनों टावर ढहाने की तैयारियों में जुटी सरकारी एजेंसियों को एक सप्ताह का अतिरिक्त वक्त दे दिया।
पहुंचा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अग्निपथ योजना का मामला..
देश-विदेश: युवाओं को सेना में भर्ती करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एक याचिका दायर कर इसे अवैध घोषित करने की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि यह योजना अवैध है, क्योंकि यह संविधान के प्रावधानों के विपरीत है। इसे संसद की मंजूरी व गजट अधिसूचना जारी किए बगैर लाया गया है। यह याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा ने दायर की है। शर्मा ने याचिका में कहा है कि सरकार ने एक सदी पुरानी सेना भर्ती प्रक्रिया को खारिज कर दिया है। यह संविधान के खिलाफ है। आपको बता दें, यह योजना 24 जून से शुरू हो चुकी है। इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में युवाओं ने उग्र प्रदर्शन व आगजनी की। आंदोलन बीते पांच दिनों से जारी है।
सुप्रीम कोर्ट के जज एमआर शाह को पड़ा दिल का दौरा..
हिमाचल से दिल्ली किया जा रहा एयरलिप्ट..
देश-विदेश: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एमआर शाह को दिल का दौरा पड़ा है। उन्हें आनन-फानन में इलाज के लिए दिल्ली ले जाया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वे हिमाचल प्रदेश में थे, जहां उन्हें दौरा पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी गृह मंत्रालय के साथ इसे लेकर समन्वय स्थापित करने में लगे हैं, ताकि उन्हें समय पर बेहतर इलाज मिले। फिलहाल उन्हें इलाज के लिए एयर एंबुलेंस से दिल्ली लाया जा रहा है। आपको बता दे कि न्यायमूर्ति जस्टिस एमआर शाह पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं। वह गुजरात उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश भी रहे हैं। वह 15 मई, 2023 को सेवानिवृत्त होने वाले थे।