कोलेस्ट्रॉल की समस्या अब सिर्फ उम्रदराज लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है। ब्लड टेस्ट में बार-बार कोलेस्ट्रॉल लेवल का बढ़ना हृदय रोग, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, नियमित जांच और समय रहते सतर्कता ही इस खतरे से बचा सकती है।
गलत खानपान, फास्ट फूड, व्यायाम की कमी, अधिक वजन और तनाव इसके प्रमुख कारण हैं। जिन लोगों के परिवार में पहले से हार्ट की बीमारी रही है या जो लंबे समय तक बैठे-बैठे काम करते हैं, उनमें खतरा और अधिक बढ़ जाता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल के संकेत केवल आंतरिक नहीं होते, बल्कि शरीर के कुछ बाहरी बदलाव भी इसकी ओर इशारा कर सकते हैं। हाथ-पैरों या घुटनों के पास पीले रंग के सख्त उभार (टेंडन जैंथोमाटा) इसका एक मुख्य लक्षण हैं। यह त्वचा के नीचे कोलेस्ट्रॉल का जमाव होता है, जो समय के साथ बड़ा और संवेदनशील हो सकता है। इसी तरह आंखों के आसपास पीले उभार या आइरिस के चारों ओर सफेद-भूरे घेरों (कॉर्नियल आर्कस) पर भी ध्यान देना जरूरी है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन और अन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि 20 साल की उम्र में भी हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण दिख सकते हैं, हालांकि 40 के बाद खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में अपने जोखिम कारकों और पारिवारिक इतिहास को ध्यान में रखते हुए, डॉक्टर की सलाह पर नियमित ब्लड टेस्ट कराना और समय रहते कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है।