पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा की वरिष्ठ नेता पद्मविभूषण स्व. सुषमा स्वराज की प्रथम पुण्य तिथि पर आयोजित वेबिनार सुषमान्जलि में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सुषमा स्वराज सब पर प्यार बरसाने वाली जिंदादिल इंसान थीं।
वेबीनार का आयोजन नेशनल फर्स्ट कलेक्टिव, संस्कार भारती पूर्वोत्तर व संस्कृति गंगा न्यास के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। इस मौके पर जावड़ेकर ने कहा कि वर्ष 1980 में वे युवा मोर्चा में कार्य करते थे। उस दौरान उनका सुषमा स्वराज से पहली बार परिचय हुआ था। तब भी सुषमा जी की छवि एक प्रखर वक्ता के रूप में थी। उन्हें सुषमा जी का बहुत स्नेह मिला है।
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुषमा स्वराज की भाषा पर गहरी पकड़ थी। जब वो भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने तो सुषमा जी उनको बताती थीं कि शब्दों का समुचित उपयोग जरूरी है। सुषमा जी कनार्टक के बेल्लारी से लोकसभा चुनाव लड़ी, तो उन्होंने कन्नड़ भाषा सीख ली। भाषा ग्रहण करना उनके व्यक्तित्व का हिस्सा था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्यसभा, लोकसभा हो या जनसभा, सभी जगह लोग उनके भाषण सुनने के लिए आतुर रहते थे। तेलंगाना राज्य निर्माण के समय सुषमा जी को लोकसभा में भाजपा की ओर से पक्ष रखने को कहा गया था। उन्होंने ऐसी आक्रमकता के साथ अपनी बात रखी कि तेलंगाना के लोगों के दिलों में उनके लिए जगह बन गई। उन्होंने सुषमा स्वराज की ममतामई छवि की चर्चा की और कहा कि विश्वास नहीं होता है कि वे असमय चली गईं। ऐसा लगता है कि वे अभी बोल उठेंगी।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि सुषमा स्वराज की सुपुत्री व सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता बांसुरी स्वराज ने कहा कि उनकी मां भगवान श्री कृष्ण की उपासक थीं। वो कहती थीं कि श्री कृष्ण ने जो भी कार्य किए, उसमें वो पूरी ताकत झोंक देते थे। मां ने भी उनका अनुसरण किया। सरकार में जो भी मंत्रालय संभाला, उसमें जनकल्याण के लिए बड़े-बड़े फैसले लिए।
बांसुरी के इस प्रसंग ने सभी की आंखे नम कर दीं। जब उन्होंने बताया कि वो छोटी थीं और परमिशन जैसे शब्द का अर्थ क्या, बोल भी नहीं पाती थीं। तब भी उनकी मां चुनाव-प्रचार में जाने से पूर्व कहती थीं कि पहले बेटी की परमिशन ले लूं। मगर उनकी अपनी मां से एक शिकायत है कि पिछले वर्ष 6 अगस्त को उन्होंने अपनी बेटी से कोई परमिशन नहीं ली और चली गईं।
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भारतीय सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने उन्हें संवेदनशील व प्रेरणादाई व्यक्तित्व बताया और कहा कि सुषमा जी का कविता के प्रति प्रेम था। यही कारण है कि जीवन के प्रति वो काव्य दृष्टि रखती थीं। यह उनके हावभाव में भी परिलक्षित होता था। जोशी ने इस अवसर पर अपनी एक कविता भी सुनाई, जिसे सुषमा स्वराज पसंद करती थीं।
प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक सुभाष घई ने उन्हें एक ऐसा सम्पूर्ण व्यक्तित्व बताया, जिसने कुशलता के साथ अलग-अलग भूमिकाओं का निर्वहन किया। फिल्मकार मधुर भंडारकर ने सुषमा स्वराज से जुड़े अपने संस्मरणों की चर्चा की और कहा कि वे हमेशा प्रोत्साहन देने का काम करती थीं।
फिल्म अभिनेत्री पद्मश्री कंगना राणावत ने कहा कि सुषमा जी महिला सशक्तिकरण की सच्ची मिशाल थीं। मध्यमवर्गीय परिवार से आने के बावजूद उन्होंने अपने चरम को छुआ।
कार्यक्रम में पद्मभूषण मोहन लाल, पद्मश्री कुलदीप सिंह, भजन गायक अनूप जलोटा समेत साहित्यिक जगत के अनेक वरिष्ठ लोगों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध एंकर हरीश विरमानी ने किया।