लगभग 9 साल पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दरिंदगी व गैंगरेप की शिकार हुई एक गुमनाम निर्भया के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पहल करेंगे। मुख्यमंत्री ने निर्भया के माता-पिता को आश्वासन दिया है कि प्रदेश सरकार उनकी हर प्रकार से सहायता करेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की इस पहल के बाद यह प्रकरण चर्चा में आ गया है।
बुधवार को निर्भया के माता-पिता ने देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र से भेंट की। निर्भया के माता-पिता से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटी के साथ जो हुआ, वह दिल दहलाने वाला था। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए उनका पूरा सहयोग किया जाएगा। राज्य सरकार पीड़िता के परिवार के साथ है और हर प्रकार की मदद के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री ने उन लोगों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से इस आवाज को उठाया है। उन्होंने अपील की कि जिस तरह से राज्यवासियों ने पहले भी दिल्ली में न्याय के लिए आवाज उठाने में पीड़ित परिवार का साथ दिया, अब भी इस आवाज को उठाने में पूरा सहयोग करेंगे। उल्लेखनीय है कि, निर्भया को न्याय दिलाने के लिए मीडिया पर काफी समय से #JusticeForKiranNegi अभियान चल रहा है।
क्या था प्रकरण
दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया कांड से लगभग दस माह पहले एक और लड़की किरण नेगी दरिंदों का शिकार बनी थी। मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी (गढ़वाल) की निवासी किरण नेगी अपने परिजनों के साथ दिल्ली के छावला में रहती थी। वह गुरुग्राम में एक कंपनी में नौकरी करती थी। उसकी आंखों में अपने भविष्य को लेकर तमाम स्वप्न थे।
9 फरवरी, 2012 की एक मनहूस शाम किरण अपनी अन्य सहेलियों के साथ नौकरी से वापस घर लौट रही थी। रास्ते में तीन दरिंदों ने अंधेरे का फायदा उठा कर लड़कियों के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। किरण की सहेलियां किसी तरह से जान बचाकर वहां से भाग गई और किरण को दरिंदों ने एक कार में अगवा कर लिया। चार दिन बाद उसकी लाश हरियाणा से बरामद हुई।
दरिंदों ने किरण के साथ जो बर्ताव किया, उसे सुन कर किसी की भी रूह कांप जाएगी। दरिंदे उसे एक सुनसान जगह ले गए। वहां उन्होंने उससे बारी-बारी से बलात्कार किया। फिर हैवानियत की सारी हदों को पार करते हुए किरण को मौत के घाट उतार दिया। लड़की के सिर पर गाड़ी के जैक व पाने से लगातार प्रहार किए गए। लड़की की पहचान छिपाने के लिए उसके शरीर को दागा गया और बियर की बोतल तोड़ कर उसके शरीर पर तब तक वार किया गया, जब तक उन्होंने यह सुनिश्चित नहीं कर लिया की लड़की की मौत हो गई।
पुलिस ने कार व मोबाइल लोकेशन के आधार पर तीनों दरिंदों राहुल, रवि व विनोद को गिरफ्तार कर लिया। 19 फरवरी 2014 को द्वारका की एक अदालत ने तीनों दरिंदों को फांसी की सजा सुनाई। अदालत में अभियोजन पक्ष ने इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ बताते हुए दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए कहा था कि ऐसे लोगों को जिंदा रहने दिया गया तो समाज में गलत सन्देश जाएगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी दोषियों की सजा को बरकरार रखा था। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट में यह प्रकरण विचाराधीन है।
किरण के माता-पिता अपराधियों को शीघ्र मृत्यु दंड दिलाने के लिए लगातार संघर्षरत हैं। किरण के माता-पिता को न्याय दिलाने के लिए दिल्ली स्थित विभिन्न प्रवासी उत्तराखंडियों के संगठन भी सक्रिय हैं। गत वर्ष दिल्ली-एनसीआर में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों ने प्रकरण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय संग्रहालय से इंडिया गेट तक कैंडल मार्च भी निकाला था। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर लंबे समय से अभियान चल रहा है।