विभिन्न मामलों में आरोपी व्यक्ति की ऑडी कार की सवारी करना देहरादून के जिला न्यायाधीश को महंगा पड़ गया। नैनीताल उच्च न्यायालय (High Court of Uttarakhand at Nainital) ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जिला जज प्रशांत जोशी को निलंबित कर दिया है। निलंबन की अवधि में उन्हें रुद्रप्रयाग जिला न्यायालय से संबद्ध किया गया है।
उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार हीरा सिंह बोनाल के हस्ताक्षरों से जारी कार्यालय ज्ञाप के अनुसार देहरादून के जिला जज प्रशांत जोशी ने 21 व 22 दिसंबर को मसूरी में आयोजित कैंप कोर्ट में जाने के लिए अपनी सरकारी कार के बजाय एक प्राइवेट ऑडी कार का प्रयोग किया।
UK-07 AJ – 9252 नंबर की इस ऑडी कार का मालिक केवल कृष्ण सोइन नामक व्यक्ति है। इस व्यक्ति के खिलाफ देहरादून के ही राजपुर थाने में धारा 420, 467, 468, 471 व 120-B में प्राथमिकी दर्ज है। इस प्राथमिकी को रद्द करने के संबंध में हाई कोर्ट के समक्ष एक याचिका (आपराधिक) लंबित पड़ी हुई है।
जिला जज प्रशांत जोशी इस कार से केवल मसूरी ही नहीं गए, बल्कि इस कार पर जिला जज, देहरादून के नाम का बोर्ड भी लगा था। यह कार मसूरी में हाई कोर्ट के गेस्ट हॉउस के बाहर खड़ी थी, जहां कैंप कोर्ट लगती है।
हाई कोर्ट ने प्रशांत जोशी को इस मामले में न्यायिक कदाचरण का दोषी मानते हुए उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया है। निलंबन के दौरान वे रुद्रप्रयाग की जिला कोर्ट से संबद्ध रहेंगे और इस दौरान उन्हें नियमानुसार आधा वेतन दिया जाएगा। बिना हाई कोर्ट की अनुमति के वे अपनी तैनाती स्थल को नहीं छोड़ पाएंगे।
यहां यह तथ्य उल्लेखनीय है कि जिला जज द्वारा विवादित व्यक्ति की कार का उपयोग करने की घटना 21 व 22 दिसम्बर की है। कोर्ट ने जोशी के निलंबन का कार्यालय ज्ञाप भी 22 दिसम्बर को ही जारी किया है। यानी कि कोर्ट के संज्ञान में प्रकरण के आते ही उसने देर नहीं लगाई और तत्काल निलंबन के आदेश जारी कर दिए। नैनीताल हाई कोर्ट इससे पूर्व में भी जजों के अनुशासनहीनता अथवा कदाचरण के मामलों में कड़ी कार्रवाई कर चुका है।