देहरादून: श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय पदभार ग्रहण करने के बाद से लगातार समिति की कार्यप्रणाली में बदलाव करने में जुटे हुए हैं। मंदिर समिति के इतिहास में पहली बार उन्होंने अधिकारियों व कर्मचारियों के स्थानान्तरण किए हैं। आज तक मंदिर समिति में कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो कार्मिकों के कभी स्थानान्तरण नहीं हुए थे। अजेंद्र ने बिना काम के लाखों रुपए प्रतिमाह वेतन ले रहे तमाम कार्मिकों को हिला कर मंदिर समिति में उथल पुथल मचा दी। यही नहीं केदारनाथ व बदरीनाथ में तैनात कई ऐसे कार्मिकों का स्थानांतरण अथवा पटल चेंज कर दिया गया, जो यात्रियों से दर्शन करवाने के नाम पर मोटी अवैध कमाई कर रहे थे। ऐसे कई कार्मिकों को अध्यक्ष का यह निर्णय इतना नागवार गुजर रहा है कि उन्होनें भीतरखाने अजेंद्र के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।
ऐसे कई कार्मिक अजेंद्र के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार का सहारा ले रहे हैं। एक कथित मीडियाकर्मी और उसके पोर्टल के माध्यम से अजेंद्र के चरित्र हनन के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। हालांकि, उक्त मीडियाकर्मी के विरुद्ध अजेंद्र ने पुलिस महानिदेशक को एक पत्र भी भेजा है। मंदिर समिति के कार्मिक उक्त मीडियाकर्मी के माध्यम से अजेंद्र के खिलाफ आधी -अधूरी और तथ्यहीन जानकारी मीडिया और कांग्रेसी नेताओं तक पहुंचा रहे हैं। हालांकि, इक्का दुक्का नेताओं और मीडियाकर्मियों के अलावा कोई भी इन आरोपों को तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
लेकिन इस बार एक ऐसी आधी -अधूरी और तथ्यविहीन जानकारी के आधार पर कांग्रेस नेत्री सुजाता पॉल बुरी तरह से घिर गई। उन्होनें जिस मुद्दे को लेकर मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र को घेरने की कोशिश की, वह कांग्रेस नेता और समिति के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल के समय पारित हुआ था।
दरअसल, कांग्रेस नेत्री सुजाता पॉल ने सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल किया है। जिसमें वो अजेंद्र पर आरोप लगाते हुए कहती हैं कि उन्होंने नियम कानूनों को ताक पर रख कर मंदिर समिति के लेखाधिकारी सुनील तिवारी को अपने हस्ताक्षर से उप मुख्य कार्याधिकारी बना दिया। सुजाता पाल का यह भी कहना है कि पदोन्नति के आदेश मुख्य कार्याधिकारी की ओर से ना जारी कर अजेंद्र ने खुद के हस्ताक्षर से जारी कर दिया। सुजाता ने इसे भ्रष्टाचार का बड़ा मामला बताते हुए अजेंद्र के खिलाफ कार्रवाई की मांग तक कर डाली।
जबकि तथ्य यह है कि लेखाधिकारी सुनील तिवारी को उप मुख्य कार्याधिकारी बनाने की कार्यवाही कांग्रेसनीत मंदिर समिति के समय में शुरू हो गई थी। काग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और तत्तकालीन मंदिर समिति अध्यक्ष गणेश गोदियाल के कार्यकाल में सुनील तिवारी को उप मुख्य कार्याधिकारी का प्रभार दे दिया गया था। 15 फरवरी, 2018 को संपन्न मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में बाकायदा प्रस्ताव पारित कर कि सुनील तिवारी को प्रभारी उप मुख्य कार्याधिकारी बनाया गया था। इसके बाद तत्कालीन मुख्य कार्याधिकारी ने सुनील तिवारी को उप मुख्य कार्याधिकारी बना दिया।
यही नही इससे पूर्व 9 जनवरी 2015 आदेश संख्या- 574 द्वारा लेखाधिकारी सुनील तिवारी को कार्याधिकारी का प्रभार दिया गया था।
कांग्रेस की प्रवक्ता जानी-मानी सामाजिक राजनीतिक एक्टविस्ट है उनका दावा है कि वह सच को उजागर भी करती है। लेकिन जिस तरह से तथ्यों की पड़ताल किए बिना सुजाता ने अजेंद्र पर आरोप लगाए उससे कांग्रेस के लोग ही असहज हो गए हैं। सुजाता ने अपनी पार्टी के समय के मंदिर समिति के अध्यक्ष के समय के निर्णय पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है।
सुजाता ने आरोप लगाने से पूर्व यह भी नहीं देखा कि गणेश गोदियाल के समय से सुनील तिवारी बतौर प्रभारी उपमुख्य कार्याधिकारी ( डिप्टी सीईओ) का काम संभाल रहे थे, तो वर्तमान मंदिर समिति अध्यक्ष किस आधार पर किसी अन्य को डिप्टी सीईओ बना देते। दूसरी बात, मंदिर समिति में जो भी पदोन्नतियां इत्यादि हुई हैं, उसके लिए मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार की अध्यक्षता में एक उप समिति गठित की हुई है। उप समिति ने कई दौर की बैठकों के बाद सुनील तिवारी समेत तमाम अन्य कार्मिकों की पदोन्नति की सिफारिश की थी।
इस सबके बावजूद माना कि लेखाधिकारी सुनील तिवारी के पदौन्नति, वेतनमान, एसीपी की जांच के लिए 2019 में अजेंद्र अजय ने भारतीय जनता पार्टी नेता बतौर शासन को जांच के लिए लिखा तो क्या गलत है। जांच शासन ने करनी थी न कि अजेंद्र अजय ने। फिर भी मंदिर समिति के हवाले से विगत दिनों स्पष्ट किया जा चुका है कि सुनील तिवारी के खिलाफ ऐसा कुछ नहीं था कि उनकी पदौन्नति डिप्टी सीईओ के पद पर न हो सके। कर्मचारियों की पदौन्नतियां कई वर्षो से रूकी थी। अत: नियुक्ति उप समिति की सिफारिशों के अनुरूप सभी पदोन्नतियां नियमानुसार हुई हैं।
कांग्रेस नेत्री सुजाता ने यह भी आरोप लगाया है कि मंदिर समिति अध्यक्ष ने पदोन्नति आदेेश अपने हस्ताक्षर से ही जारी कर दिया। यह आरोप लगाने में भी सुजाता ने तथ्यों की जानकारी नहीं ली। मंदिर समिति के एक्ट में अध्यक्ष को प्रशासनिक अधिकार हासिल हैं। मंदिर समिति में अध्यक्ष को विभागाध्यक्ष के रुप में कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर निलंबित करने और बर्खास्तगी तक का विशेष अधिकार प्राप्त है। इस आधार पर मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र ने पदोन्नति आदेश जारी किए हैं।