उत्तराखंड में 3600 बेसिक टीचरों की भर्ती का रास्ता साफ, बीएड की बाध्यता खत्म, जल्द शुरू होगी भर्ती..
उत्तराखंड में 3600 बेसिक टीचरों की भर्ती का रास्ता साफ, बीएड की बाध्यता खत्म, जल्द शुरू होगी भर्ती..
उत्तराखंड: शिक्षा विभाग ने राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली, 2024 को अपनी मंजूरी दे दी है। नई नियमावली में बेसिक शिक्षक भर्ती के लिये आवश्यक शैक्षिक योग्यता बीएड की बाध्यता खत्म कर दी है। अब केवल डीएलएड धारक ही बेसिक शिक्षक के पात्र होंगे। प्रदेशभर के डीएलएड प्रशिक्षितों को प्राथमिक शिक्षक बनने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा सेवा नियमावली, 2012 में संशोधन कर उत्तराखंड राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली, 2024 को अपनी मंजूरी दे दी है। नई नियमावली में बेसिक शिक्षक भर्ती के लिये आवश्यक शैक्षिक योग्यता बीएड की बाध्यता खत्म कर दी है। अब केवल डीएलएड धारक ही बेसिक शिक्षक के पात्र होगा।
बता दे कि सरकार के इस फैसले के बाद जल्द ही करीब 3600 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों को इसके निर्देश दे दिए हैं। प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया खत्म होने से प्रदेशभर के प्राथमिक विद्यालयों में रिक्त शिक्षकों के सभी पद भर दिये जाएंगे। जिससे सूबे की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।
जंगल की आग मामले में बरती लापरवाही, अल्मोड़ा में रेंज अधिकारी को किया अटैच..
उत्तराखंड: जंगल की आग के कारण प्रदेश में कहर मच रखा है। वनाग्नि के मामले में लापरवाही बरतने पर अल्मोड़ा में रेंज अधिकारी को प्रभागीय कार्यालय में अटैच कर दिया गया है। वनाग्नि पर काबू पाने की लगातार कोशिश की जा रही है। इस मामले में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का कहना है कि किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जाएगी। जंगलों में आग मामले में लापरवाही बरतने पर अल्मोड़ा वन प्रभाग के जोरासी में तैनात रेंज अधिकारी को प्रभागीय कार्यालय में अटैच कर दिया गया है।
आग की घटनाओं में वृद्धि ना हो और इन घटनाओं पर काबू पाया जा सके इसलिए पीसीसीएफ (हाफ) धनंजय मोहन ने हर जिले के लिए नोडल अधिकारी की तैनाती की है। बता दें कि मुख्यालय में महत्वपूर्ण पदों पर जमे सीनियर आईएफएस अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनवाया गया है। ये नोडल अधिकारी जहां आग की घटनाओं की मानीटरिंग करेंगे तो वहीं इसकी रिपोर्ट भी पेश करेंगे।
जंगलों में आग लगाने वालों की अब खैर नहीं है। आग लगाने वालों के खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी अभिनव कुमार का कहना हैं कि पुलिस द्वारा ऐसे लोगों पर सख्त नजर रखी जा रही है। जो लोग जंगल में आग लगने की घटनाओं में लिप्त पाए जाएंगे उन पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इसके साथ ही उनकी संपत्ति की भी कुर्की की जाएगी।
पिथौरागढ़ हेली- हेली सेवा का विरोध कर रहे दो लोगों को गिरफ्तार करने से आक्रोश..
उत्तराखंड: पिथौरागढ़ में लंबे समय से स्थानीय लोग हेलीकॉप्टर से आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा का विरोध कर रहे हैं। इस विरोध में आंदोलन कर लोगों में से पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। रं समाज के दो लोगों की गिरफ्तारी से लोगों में आक्रोश और भी बढ़ गया है। आंदोलन कर रहे रं समाज के एक पुरूष और एक महिला को गिरफ्तार कर लिया है। जिसके बाद से लोगों का गुस्सा और भी बढ़ गया है। लोगों का कहना है कि नआंदोलन शांतिपूर्वक तल रहा था। ऐसे में इस तरह से गिरफ्तारी बिल्कुल गलत है।
हेलीकॉप्टर पर पथराव करने पर की गई गिरफ्तारी.
जहां एक ओर दो लोगों की गिरफ्तारी से लोगों में आक्रोश है तो वहीं इस पूरे मामले पर पुलिस का कहना है कि हेलीकॉप्टर पर पथराव करने और अभद्रता की शिकायत मिलने पर ये कार्रवाई की गई है। गिरफ्तारी के बाद रं समाज की महिला, पुरुष और जनप्रतिनिधि आक्रोशित होकर बड़ी संख्या में तवाघाट चौराहे पर पहुंचे। लेकिन इसी बीच पुलिस दोनों को धारचूला ले आई। थोड़ी दी देर बाद कोतवाली के बाहर लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। हालांकि दोनों को एसडीएम कोर्ट में मुचलका भरने के बाद छोड़ दिया गया। लेकिन इसके बाद से रं समाज के लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि हेली सेवा का विरोध जारी रहेगा।
आपको बता दें कि हेली सेवा के माध्यम से यात्रा कराने के विरोध में होम स्टे, टैक्सी यूनियन, व्यास जनजाति संघर्ष समिति और व्यास घाटी के लोग तीन दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं। लोगों की मांग है कि आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा को हेलीकॉप्टर से ना कराया जाए। बल्कि इसके पुराने रूट से ही कराया जाए। हेली सेवा से यात्रा कराए जाने पर लोगों का रोजगार कम हो रहा है।
उत्तराखंड में खुले में बिक रहे सभी मसालों की जांच के आदेश..
चारधाम यात्रा मार्गों पर भी होगी सैंपलिंग..
उत्तराखंड: प्रदेश में खुले में बिक रहे सभी मसालों की जांच होगी। जांच के बाद अगर कुछ गड़बड़ी सामने आई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। चारधाम यात्रा मार्गों पर भी खाद्य पदार्थों के साथ ही मसालों की सैंपलिंग की जाएगी। राज्य खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने इसकी शुरुआत कर दी है। कई देशों में एमडीएच, एवरेस्ट मसालों की गुणवत्ता जांच पर सवाल उठने पर देश में भी ब्रांडेड, नॉन ब्रांडेड मसालों की गुणवत्ता जांच शुरू हो गई है। इसके तहत ही बाजारों में खुले में बिक रहे मसालों की जांच शुरू कर दी गई है।
चारधाम यात्रा मार्गों पर सैंपलिंग के लिए मोबाइल वैन ऋषिकेश से रवाना कर दी गई। प्रदेश में तमाम स्वयं सहायता समूह ऐसे हैं जो अपने स्तर से मसाले पिसवाकर बाजार में बेच रहे हैं। तमाम ऐसी चक्कियां भी हैं, जहां मसाले पीसकर बाजार में बेचे जाते हैं। इन पर भी नजर रखी जाएगी।राज्य औषधि विश्लेषण प्रयोगशाला रुद्रपुर में ही मसालों की भी जांच होगी। चूंकि प्रदेश में एकमात्र लैब है, जहां सभी तरह के खाद्य पदार्थों के सैंपल जांच को भेजे जाते हैं। इसलिए मसालों की जांच में थोड़ा समय लग सकता है। जांच रिपोर्ट आने तक मसालों की बिक्री रोकना मुश्किल है। प्रदेश में ब्रांडेड, नॉन ब्रांडेड के साथ ही खुले में बिक रहे सभी मसालों की सैंपलिंग की जाएगी। इसके लिए निर्देश दिए जा चुके हैं। कुछ जगहों पर सैंपलिंग शुरू की जा चुकी है।
चारधाम यात्रा के लिए ऑफलाइन पंजीकरण की व्यवस्था शुरू..
उत्तराखंड: प्रदेश में 10 मई से चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है इसके लिए सरकार ने पूरी व्यवस्था कर दी है। सरकार ने ऑनलाइन पंजीकरण के साथ ही ऑफलाइन पंजीकरण के द्वार खोल दिये हैं, अब श्रद्धालु ऋषिकेश और हरिद्वार से ऑफलाइन पंजीकरण भी करवा पाएंगे। शनिवार को पर्यटन विभाग की बैठक में यह निर्णय लिया गया है बता दें कि अब श्रद्धालु 8 मई से ऋषिकेश और हरिद्वार में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवा पाएंगे। मिली जानकारी के अनुसार पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे का कहना हैं कि श्रद्धालु हरिद्वार में राही मोटल तथा ऋषिकेश में यात्रा पंजीकरण कार्यालय एवं ट्रांजिट कैम्प में यात्री अपना ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। प्रत्येक धाम के लिए प्रतिदिन ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की सीमा ऋषिकेश में एक हजार और हरिद्वार में 500 निर्धारित की गयी है। श्रद्धालु चारों धामों की यात्रा के लिए पंजीकरण काउन्टरों पर अधिकतम तीन दिन के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। इसके साथ ही तीर्थ पुरोहितों के साथ समन्वय के लिए अहम फैसला किया गया है। पर्यटन विभाग और तीर्थ पुरोहित महापंचायत के पुरोहित के साथ बैठक में चारों धाम में समन्वय के लिए तीर्थ पुरोहित तय किए गए हैं। हर धाम में दो तीर्थ पुरोहित को इसके लिए चुना गया है।
तीर्थ पुरोहित धामों के यात्रा प्रबन्धन की वास्तविक स्थिति से पर्यटन विभाग को समय पर अवगत करवाते रहेंगे। साथ ही श्रद्धालुओं हेतु अतिरिक्त सुविधाओं के लिए विभाग को अपने सुझाव भी देंगे। पयर्टन सचिव का कहना हैं कि तीर्थपुरोहित और पर्यटन विभाग के समन्वय से यात्रा के दौरान आने वाली समस्याओं को शीघ्रता से हल करने में सुविधा होगी। साथ ही भविष्य के लिए बेहतर योजना तैयार करने में सहायता मिलेगी। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा बहुत जल्द शुरू होने वाली है इसके लिए सरकार ने पूरी व्यवस्था कर दी है। सरकार ने ऑनलाइन पंजीकरण के साथ ही ऑफलाइन पंजीकरण के द्वार खोल दिये हैं, अब श्रद्धालु ऋषिकेश और हरिद्वार से ऑफलाइन पंजीकरण भी करवा पाएंगे। शनिवार को पर्यटन विभाग की बैठक में यह निर्णय लिया गया है बता दें कि अब श्रद्धालु 8 मई से ऋषिकेश और हरिद्वार में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवा पाएंगे।
पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने कहा कि श्रद्धालु हरिद्वार में राही मोटल तथा ऋषिकेश में यात्रा पंजीकरण कार्यालय एवं ट्रांजिट कैम्प में यात्री अपना ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। प्रत्येक धाम के लिए प्रतिदिन ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की सीमा ऋषिकेश में एक हजार और हरिद्वार में 500 निर्धारित की गयी है। श्रद्धालु चारों धामों की यात्रा के लिए पंजीकरण काउन्टरों पर अधिकतम तीन दिन के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। इसके साथ ही तीर्थ पुरोहितों के साथ समन्वय के लिए अहम फैसला किया गया है। पर्यटन विभाग और तीर्थ पुरोहित महापंचायत के पुरोहित के साथ बैठक में चारों धाम में समन्वय के लिए तीर्थ पुरोहित तय किए गए हैं। तीर्थ पुरोहित धामों के यात्रा प्रबन्धन की वास्तविक स्थिति से पर्यटन विभाग को समय पर अवगत करवाते रहेंगे। साथ ही श्रद्धालुओं हेतु अतिरिक्त सुविधाओं के लिए विभाग को अपने सुझाव भी देंगे। पयर्टन सचिव ने कहा कि तीर्थपुरोहित और पर्यटन विभाग के समन्वय से यात्रा के दौरान आने वाली समस्याओं को शीघ्रता से हल करने में सुविधा होगी। साथ ही भविष्य के लिए बेहतर योजना तैयार करने में सहायता मिलेगी।
ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 125 किमी रेल लाइन तैयार, 2025 में ट्रेन से कर सकेंगे चारधाम यात्रा..
उत्तराखंड: रेलवे की चारधाम परियोजना का काम तेजी के साथ चल रहा है। रेलवे का दावा है कि अगले साल की यात्रा भक्त ट्रेन से कर सकते हैं। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच 125 किलोमीटर रेल लाइन बिछाने का काम अबतक लगभग पूरा हो गया है। अगले साल यानी 2025 में आप ट्रेन से चारधाम की यात्रा कर सकेंगे। रेलवे की चारधाम परियोजना के तहत गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ को रेलवे से जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है। रेलवे बोर्ड की सीईओ जया वर्मा सिन्हा पिछले दिनों इसका निरीक्षण कर चुकी हैं।
इस परियोजना में 327 किमी का रेलवे ट्रैक तैयार किया जाना है। तीन चरणों में बंटी इस परियोजना को रेलवे 2025 तक पूरा करने की दावा कर रही है। इसकी शुरुआत मुरादाबाद रेल मंडल से काफी पहले हो चुकी है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच 125 किलोमीटर रेल लाइन बिछाने का काम लगभग पूरा हो गया है। अब सुरंगों में फिनिशिंग व उन्हें मौसम की दृष्टि से मजबूत बनाने का काम चल रहा है। भारी बारिश व भूकंप का असर भी यहां नहीं होगा। रेल प्रशासन का कहना है कि कार्य पूरा होने के बाद ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच की दूरी मात्र डेढ़ से दो घंटे में पूरी हो जाएगी। ट्रैक को इस प्रकार बनाया जा रहा है कि ट्रेन 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सके।
चारधाम की यात्रा करने में जहां लोगों को 15 दिन लग जाते थे। वहीं रेलवे की इस परियोजना के पूरा होने के बाद यह यात्रा चार से से पांच दिन में हो जाएगी।
105 किमी हिस्से में सिर्फ सुरंगें इस परियोजना में 153 किमी का रेल रूट मुरादाबाद मंडल में आता है। इसमें से 125 किमी का रेल रूट कुल 16 हजार 216 करोड़ रुपये की लागत से तैयार गो रहा है। इसमें से 105 किमी की रेल लाइन सुरंग से होकर गुजरेगी। इस लाइन के बीच कुल 12 स्टेशन बनाए जा रहे हैं।जिसमें कुछ रेलवे स्टेशनों व सुरंगों का निर्माण पूरा हो चुका है। इस परियोजना को विस्तार देकर बद्रीनाथ और केदारनाथ तक बढ़ाया जाएगा। 125 किमी का रेल रूट कुल 16 हजार 216 करोड़ रुपये से तैयार हो रहा है। इसमें से 105 किमी की रेल लाइन सुरंग से होकर गुजरेगी।
विगत दो वर्ष पूर्व केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित किया गया था। मुंबई के एक दानी के सौजन्य से श्री बदरीनाथ – केदरनाथ मंदिर समिती (बीकेटीसी) ने गर्भ गृह की दीवारों पर स्वर्ण मंडित प्लेटें चढ़वाई। गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने के बाद विगत वर्ष कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि सोने की जगह पीतल लगाया गया है। इस पर काफी विवाद भी हुआ। कांग्रेस नेताओं द्वारा लोकसभा चुनाव के दौरान भी इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की गई। केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में सोना लगाने को लेकर कुछ तथ्य हैं, जिनसे सारी स्थिति स्पष्ट हो जाती है।
कौन हैं दानीदाता ?
पहले तो यह जान लेते हैं कि गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने वाले दानी दाता मुंबई के एक हीरा व्यापारी दिलीप लाखी और उनके अन्य परिजन हैं। लाख़ी परिवार ने देश के कई बड़े मंदिरों में सोने का काम कराया है। मगर इसके बदले उन्होंने कभी अपने नाम का प्रचार भी नहीं चाहा। सोमनाथ, काशी विश्वनाथ व मुंबई के सिद्धि विनायक मंदिर में स्वर्ण मंडित कराने का कार्य उनके द्वारा ही किया गया है। कुछ समय पूर्व अयोध्या स्थित श्री रामलला के मंदिर के स्वर्ण मंडित द्वार का फोटो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। लाख़ी परिवार ने राम मंदिर में 13 स्वर्ण मंडित द्वार बनवाए हैं। इसके अलावा रामलला की मूर्ति के नीचे बना स्वर्ण मंडित प्लेटफार्म भी उनके सौजन्य से ही तैयार किया गया है।
दानीदाता ने अपने ज्वैलर्स से खुद कराया काम
लाख़ी परिवार अपने ज्वैलर्स महालक्ष्मी अंबा ज्वैलर्स दिल्ली के माध्यम से खुद ही मंदिरों को स्वर्ण मंडित कराने का काम कराते हैं। केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की प्लेटें लगाने का कार्य भी उन्होंने अपने ज्वैलर्स के माध्यम से किया। बदरी-केदार मंदिर समिती की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद पुरातत्व विभाग के दिशा-निर्देशन में यह कार्य दानी दाता के ज्वैलर्स ने खुद किया। मंदिर समिती ने ना ही सोना खरीदा और ना ही इसे लगवाया।
क्या होती हैं सोने की प्लेट ?
जब मंदिरो में स्वर्ण मंडित कराने वाली बात की जाती है तो इसमें दो तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। पहला, सोने की पॉलिश। सोने की पॉलिश किसी भी धातु चांदी, पीतल, अष्टधातु आदि पर की जाती है। हालांकि, पॉलिश लगाना भी काफी महंगा होता है।
दूसरी तकनीकी तांबे की प्लेटों पर सोने का पतर चढ़ाया जाता है, जिसे सोने का बर्क अथवा लेयर कहा जाता है। सोने का बर्क चढ़ाने से पहले तांबे की प्लेट तैयार की जाती हैं, उन पर डिजाइन बनाए जाते हैं और फिर सोने की परतें चढ़ाई जाती हैं। देश के जितने भी मंदिरों को स्वर्ण मंडित किया गया है सभी जगह इसी तकनीक से कार्य किया गया है। किसी भी मंदिर में केवल सोने की ही प्लेट नहीं लगाई जाती हैं। क्योंकि इतना सोना लगाना किसी के लिए भी संभव नहीं है। लेकिन आम बोलचाल में इसे सोने की प्लेट ही बोला जाता है।
केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में कितना लगा है सोना ?
दानी दाता के ज्वैलर्स ने मंदिर समिती को अपने स्टॉक रजिस्टर में एंट्री कराने के लिए जो बिल-वाउचर दिए हैं उसमें सोने की मात्रा लगभग 23 किग्रा 777 ग्राम बताया गया है। इसके अलावा सोने के पतरों को चढ़ाने के लिए करीब एक हजार किग्रा तांबे की प्लेटों का इस्तेमाल किया गया है।
क्या है 230 किग्रा सोने का मामला ?
कांग्रेसी नेता अपने आरोपों में कहते हैं कि मंदिर समिती ने पहले यह कहा था कि 230 किग्रा सोना चढ़ाया जाएगा। जबकि वास्तविक तथ्य यह है कि मंदिर समिती ने आधिकारिक रूप से कभी नहीं कहा कि 230 किग्रा सोना चढ़ाया जाएगा। केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में सोने की प्लेटें लगाने से पहले चांदी की प्लेटें लगी हुई थीं। इन प्लेटों का वजन 230 किग्रा था। कुछ मीडिया संस्थानों ने अनुमान लगा दिया की गर्भ गृह की दीवारों पर 230 किग्रा चांदी की प्लेट थी तो सोना भी इतना ही लगेगा। उन्होंने अपने अनुमान के आधार पर यह खबर चला दीं। जबकि चांदी की प्लेटें तो केवल चांदी की होती हैं। सोने की प्लेट पर तांबा भी होता है।
कौन सी फोटो हुईं वायरल?
केदारनाथ मंदिर में गर्भ गृह की दीवारों के अलावा शिवलिंग के चारों ओर की चौड़ी पट्टी, जिसे जलहेरी कहते हैं, को भी स्वर्ण मंडित किया गया है। जलहेरी के चारों कोनों पर मंदिर समिती के वेदपाठियों के आसन के रूप में चौकियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही जलहेरी में दानपात्र, पूजा के थाल, लोटा इत्यादि भी रखे जाते हैं। श्रद्धालु जल चढ़ाने के लिए जलहेरी के ऊपर ही खड़े होते हैं। इन सब कारणों से जलहेरी पर कतिपय स्थानों पर सोने के परतें उतर गईं। कुछ शरारती तत्वों ने ऐसे स्थानों की क्लोज अप फोटो खींच कर फोटो वायरल कर दीं और कह दिया कि सोना गायब हो गया। कांग्रेसी नेताओं को तो मुद्दा मिल गया और उन्होंने बिना तथ्यों के सोना गायब होने वाले आरोप लगा दिए।
कैसी पहुंची सोने की प्लेटें केदारनाथ ?
ज्वैलर्स द्वारा गुड़गांव स्थित फैक्टरी में स्वर्ण मंडित प्लेटें तैयार की गईं थीं। इनको ट्रक के माध्यम से गौरीकुंड तक पहुंचाया गया। फैक्टरी से गौरीकुंड तक ट्रक की सुरक्षा के लिए उत्तराखंड सरकार ने भारी पुलिस बंदोबस्त किया था। उत्तराखंड पुलिस ने एस्कॉर्ट और पायलट के साथ ट्रक को गौरीकुंड तक पहुंचाया। गौरीकुंड से इन प्लेटों को सशस्त्र पुलिस सुरक्षा के साथ करीब डेढ़ दर्जन घोड़े – खच्चरों के माध्यम से केदारनाथ पहुंचाया गया। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने केदारनाथ में स्ट्रॉन्ग रूम बना कर पुलिस सुरक्षा में इन्हें रखा था।
कैसे हैं केदारनाथ मंदिर में सुरक्षा इंतजाम ?
यात्रा काल में केदारनाथ धाम में यात्रियों की चहल-पहल, मंदिर समिती के कार्मिक, तीर्थ-पुरोहित, पुलिस इत्यादि रहती है। मगर जब से मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित किया गया है, तब से कपाट बंद होने के बाद वहां आईटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं। इसके अलावा मास्टर प्लान के कार्यों के चलते मंदिर परिसर सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से रुद्रप्रयाग के जिला अधिकारी, प्रदेश की मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक कार्यालय के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय की निगरानी में चौबीसों घण्टे रहता है।
उक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि केदारनाथ धाम में सोने को लेकर किया जा रहा विवाद भ्रामक है और कांग्रेस के दुष्प्रचार अभियान का एक हिस्सा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से केदारनाथ धाम आज दिव्य व भव्य स्वरूप लेता जा रहा है। विगत वर्षों में केदारनाथ धाम की यात्रा ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। ये बातें कांग्रेस को नहीं पच रही है। कांग्रेस हमेशा से ही हिंदू विरोधी रही है। हिंदुओं के तीर्थ स्थलों और संस्कृति का मजाक उड़ाना कांग्रेस की आदत में शुमार है। इसलिए वो केदारनाथ धाम की छवि को धूमिल करने के लिए ऐसे भ्रामक दुष्प्रचार का सहारा ले रही है
नेताला से गंगोत्री तक प्लास्टिक नियंत्रित क्षेत्र में QR कोड से ही कर सकेंगे बिक्री..
उत्तराखंड: उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने चारधाम यात्रा को देखते हुए नेताला से गंगोत्री धाम तक के क्षेत्र को प्लास्टिक नियंत्रित क्षेत्र घोषित किया है। इस क्षेत्र में प्लास्टिक की बोतलों और प्लास्टिक के पैकेट पर क्यूआर कोड लगाकर बिक्री करना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं करने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।एसडीएम का कहना हैं कि गंगोत्री धाम तक सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों को प्लास्टिक निर्मित बोतल, पेय पदार्थ, नमकीन बिस्कुट, चिप्स आदि के पैकेट पर न्यूनतम मूल्य का क्यूआर कोड लगाना होगा। यह क्यूआर कोड रिसाइकल कंपनी की ओर से न्यूनतम धनराशि जमा करने पर उपलब्ध कराया जाएगा। कंपनी के डिपॉजिट रिफंड काउंटर पर क्यूआर कोड वाली खाली बोतल व रैपर जमा कराने के बाद जमा राशि वापस कर दी जाएगी। बताया, रिफंड काउंटर उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री तक उपलब्ध होंगे। एसडीएम ने कहा, प्लास्टिक की बोतलों व रैपर की बिना क्यूआर कोड के बिक्री की गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। कहा, यदि इससे किसी को कोई आपत्ति है तो 15 दिनों के अंदर लिखित सूचना दे सकते हैं।
उत्तराखंड में बिजली की मांग बढ़ी, पांच करोड़ यूनिट के करीब पहुंची..
उत्तराखंड: गर्मियों के साथ ही बिजली की मांग में भारी वृद्धि देखने को मिल रही है। इस समय, लगभग पांच करोड़ यूनिट तक की बिजली की आवश्यकता है। यूपीसीएल को रोजाना बाजार से लगभग डेढ़ करोड़ यूनिट बिजली खरीदने का काम करना पड़ रहा है, जो कि एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। प्रदेश में बिजली की मांग विशेष रूप से शुक्रवार को बड़ी मात्रा में बढ़ गई है, जब 4.9 करोड़ यूनिट तक की मांग दर्ज की गई। यहां तक कि यूपीसीएल के पास राज्य, केंद्र और अन्य स्रोतों से कुल 3.2 करोड़ यूनिट की उपलब्धता होने के बावजूद, अत्यधिक बिजली की आवश्यकता के कारण बाजार से बिजली खरीदनी पड़ रही है। यूपीसीएल रोजाना लगभग 1.4 करोड़ यूनिट तक बाजार से बिजली खरीद रहा है, फिर भी मांग को पूरा करने में सांस फूल रही है। इसके परिणामस्वरूप हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के अलावा अन्य मैदानी ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती हो रही है। अधिकारियों का कहना है कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रयास किया जा रहा है, लेकिन कटौती की स्थिति अब भी गंभीर है।
चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद आंदोलन की तैयारी में शिक्षक, इस वजह से हैं नाराज..
उत्तराखंड: राजकीय शिक्षक संघ चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं। लंबित मांगों पर अमल न होने से नाराज संगठन का कहना है कि प्रदेशभर में ब्लॉक स्तर से आंदोलन शुरू किया जाएगा। राजकीय शिक्षक संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी ने गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के अध्यक्ष और महामंत्री को लिखे पत्र में कहा, वर्तमान में आदर्श आचार संहिता लगी होने की वजह से कई शासनादेश नहीं मिल पाए हैं।
यही वजह है कि आहरण वितरण का अधिकार, चयन, प्रोन्नत वेतन में वृद्धि, कनिष्ठ, वरिष्ठ शिक्षकों की वेतन विसंगति, अटल चयनित शिक्षकों की पदस्थापना समेत कुछ अन्य मांगों पर अमल नहीं हो पाया है। लंबित मांगों को लेकर दोनों मंडल कार्यकारिणी अपने मंडल की बैठक कर धरना-प्रदर्शन करने के लिए आचार संहिता के बाद अपने जिलों को स्पष्ट निर्देश जारी करेंगी और ब्लॉकों से प्रस्ताव प्राप्त कर मंडल को उपलब्ध कराएंगी। धरना कार्यक्रम सबसे पहले ब्लॉक स्तर पर उसके बाद जिला और फिर प्रांत स्तर पर होगा। संगठन के प्रांतीय महामंत्री रमेश चंद्र पैन्यूली ने कहा, प्रधानाचार्य के पदों पर विभागीय सीधी भर्ती के लिए सरकार की ओर से संगठन को विश्वास में नहीं लिया गया। यदि विभागीय सीधी भर्ती बहुत जरूरी थी तो इसके लिए नियमावली बनाते हुए सभी शिक्षकों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, शिक्षकों की मांग को लेकर मात्र आश्वासन मिल रहा है।
प्रांतीय कार्यकारिणी की होगी बैठक..
संगठन ने प्रधानाचार्य के पद पर सीधी भर्ती नियमावली को समाप्त करने के लिए हाईकोर्ट में अलग-अलग दो याचिकाएं दाखिल की हैं। न्यायालय का जो भी निर्णय होगा, उसके हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी। संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान के मुताबिक 11 मई को प्रांत मुख्यालय में प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक होगी। बैठक में सभी जिलों के अध्यक्ष और मंत्री एवं दोनों मंडलों के अध्यक्ष और मंत्री शामिल होंगे। राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री रमेश पैन्यूली का कहना हैं कि लंबित मांगों को लेकर संगठन शासन व सरकार के साथ समन्वय बनाए हुए हैं, लेकिन कुछ शिक्षक सोशल मीडिया में संगठन के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं, जो ठीक नहीं है।