उत्तराखंड सरकार ने सरकारी कामकाज में सुधार और सुशासन को बढ़ावा देने के लिए कर्तव्यहीन कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि जो कर्मचारी अपने दायित्वों के प्रति लापरवाह हैं, उन्हें चिह्नित कर नियमानुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए।
सुशासन के एजेंडे को मजबूत करेगी सरकार
मुख्यमंत्री धामी सरकारी कार्यप्रणाली में सरलीकरण और समाधान को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो कर्मचारी शासन की प्राथमिकताओं को लागू करने में बाधा बन रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण और व्यक्तिगत भूमि विवादों को लेकर भी कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
ड्रग्स फ्री उत्तराखंड अभियान होगा तेज
मुख्यमंत्री ने राज्य में ड्रग्स के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए विशेष छापेमारी अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराधियों की सूची तैयार कर सख्त कार्रवाई करने को कहा। साथ ही, सीमावर्ती क्षेत्रों में नियमित जांच बढ़ाने और पुलिस को रात्रिकालीन गश्त तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।
त्योहारी सीजन में मिलावटखोरी और बिजली चोरी पर नजर
धामी सरकार ने त्योहारी सीजन को देखते हुए खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी रोकने और बिजली चोरी पर लगाम लगाने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सभी संबंधित विभाग इस दिशा में सक्रिय रूप से कार्य करें।
युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने पर जोर
मुख्यमंत्री ने बैठक में राज्य के युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने निर्देश दिया कि इलेक्ट्रिशियन, कारपेंटर, बार्बर और प्लंबर जैसे क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षित कर उनका कौशल विकास किया जाए। इससे राज्य के युवा स्वरोजगार के नए अवसरों से जुड़ सकेंगे।
बैठक में उच्च अधिकारी रहे मौजूद
इस महत्वपूर्ण बैठक में गृह सचिव शैलेश बगोली, डीजीपी दीपम सेठ, गढ़वाल मंडलायुक्त विनय शंकर पांडेय, अपर पुलिस महानिदेशक एपी अंशुमान और एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। सरकार के इस कदम से सरकारी कार्यप्रणाली को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने की दिशा में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।