उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष में मुआवजे की राशि में की जाएगी बढ़ोतरी, केंद्र सरकार ने संशोधित की दरें..
उत्तराखंड: प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष के तहत दी जाने वाली मुआवजा राशि में बढ़ोतरी की जाएगी। वन विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है। अब इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा। राज्य वन्यजीव बोर्ड प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे चुका है। इसमें मानव वन्यजीव संघर्ष में व्यक्ति के घायल होने, अपंग होने, फसलों की क्षति और संपत्ति के नुकसान पर दिए जाने वाले मुआवजे में संशोधन किया गया है। मानव-वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली 2023 की प्रस्तावित दरों में केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से निर्धारित दरों में जुलाई 2023 में संशोधन किया जा चुका है।
अब राज्यों को भी इसी के अनुरूप अपने यहां दरों में संशोधन करना अनिवार्य है। पूर्व में यह प्रस्ताव कैबिनेट में पास हो गया था, लेकिन इस बीच केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से दरों में संशोधन के बाद इसका शासनादेश जारी नहीं किया गया। अब संशोधित प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जा चुका है।
प्रस्तावित दरें..
मानव वन्यजीव संघर्ष में मृत्यु होने पर दी जानी वाली मुआवजा राशि को चार लाख रुपये से बढ़ाकर छह लाख रुपये किया जाना प्रस्तावित। इस प्रस्ताव में 18वीं वन्यजीव बोर्ड की बैठक में पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है।
साधारण घायल होने पर मिलने वाला मुआवजा 15 हजार से बढ़ाकर 16 हजार रुपये प्रस्तावित किया गया है।
गंभीर रूप से घायल होने पर 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये प्रस्तावित।
पूर्ण रूप से अपंग होने पर दो लाख से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये प्रस्तावित।
दुधारू पशु की मृत्यु पर 30 हजार से बढ़ाकर 37 हजार 500 रुपये किया जाना प्रस्तावित।इसके अलावा फसलों के नुकसान और भवन, कच्चे-पक्के मकान इत्यादि की दरों में भी संशोधन का प्रस्ताव है।
दो नए पशु भी शामिल, मृत्यु पर मुआवजा..
वन्यजीवों की ओर से पशु क्षति में पहली बार उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले दो नए पशुओं को भी शामिल किया गया है। इसमें जबू (ज्वाॅ) और जुमो की मृत्यु होने पर 37 हजार 500 रुपये मुआवजे का प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव को भी राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में मंजूरी प्रदान की जा चुकी है।मानव-वन्यजीव संघर्ष के तहत दी जाने वाली मुआवजा राशि में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को 24 अगस्त 2023 को हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी प्रदान की गई थी, लेकिन इस बीच केंद्र सरकार ने निधि की दरों में संशोधन कर दिया। इसके चलते पुन: प्रस्ताव को संशोधित कर शासन को भेजा गया है।