हल्द्वानी हिंसा जमीन विवाद को लेकर हाईकोर्ट में आज होगी सुनवाई..
उत्तराखंड: नैनीताल हाईकोर्ट में आज यानी 14 जनवरी को बनभूलपुरा में अवैध अतिक्रमण मामले की सुनवाई होगी। बता दें आठ फरवरी को बनभूलपुरा में जिला प्रशासन ने नजूल की भूमि पर अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए अवैध मदरसे और धर्म स्थल को हटाया था। जिसके विरोध में दंगा भड़क गया था। आज सभी की निगाहें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है।
आपको बता दें आठ फरवरी की शाम अतिक्रमण हटाने का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुई भीड़ उपद्रव पर उतर आई थी। क्या बच्चे क्या और महिलाएं। सभी इस हिंसा में शामिल दिखे। उपद्रवी भीड़ ने बनभूलपुरा थाना घेर लिया था। आरोप है कि पेट्रोल बमों से थानों को आग लगा दी गई। जब थाने के अंदर फंसे पुलिसकर्मियों की जान खतरे में आई और दर्जनों पुलिसकर्मी घायल हो गए तो प्रशासन की और से देखते ही उपद्रवियों को गोली चलाने के निर्देश दिए गए। बता दें हल्द्वानी हिंसा में अभी तक तक छह लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। उपद्रवियों ने 70 से ज्यादा वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। बनभूलपुरा इलाके में आज सातवें दिन भी कर्फ्यू जारी है।
ये है पूरा मामला..
दरअसल बनभूलपुरा इलाके में स्थित रेलवे की जमीन में अतिक्रमण कर बसी 50 हजार की आबादी वाली बस्ती को पिछले साल हाईकोर्ट ने खाली कराने का आदेश जारी किया था। जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए पूरी तैयारी कर ली थी। इसी दौरान ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। अभी तक सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है। इधर जनवरी 2024 में हल्द्वानी नगर निगम बनभूलपुरा की जमीन को नजूल की जमीन बताते हुए अतिक्रमण खाली करने के नोटिस जारी किया था।
30 जनवरी को जब नगर निगम की टीम जमीन को सील करने पहुंची तो उस समय भी भारी बवाल हुआ था। अवैध मदरसे और मस्जिद पर बुलडोजर चलने से पहले दूसरे पक्ष ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में नगर निगम की ओर से दावा किया गया कि जमीन से मस्जिद और मदरसे के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिकर्ताओं ने दावा किया था कि उनके पास इस जमीन की 1937 की लीज है। ये लीज अब्दुल मलिक के परिवार से मिली बताई गई।
याचिका में कहा गया था कि सरकार इस जमीन पर कब्जा नहीं ले सकती है। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता साफिया मलिक और अन्य को किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया था। नैनीताल हाईकोर्ट से दूसरे पक्ष को राहत नहीं मिलने पर नगर निगम ने आठ फरवरी को सरकारी जमीन पर बने अवैध मदरसे और मस्जिद को गिरा दिया था। इसके बाद वहां एकत्रित हुई भीड़ ने जमकर हिंसा की थी। इस मामले में अभी भी गिरफ्तारियां जारी है।