In the Union Budget 2020, Union Minister of Finance Corporate Affairs Nirmala Sitharaman had made an announcement for setting up an International Bullion Exchange at the International Financial Services Centre in GIFT City, Gandhinagar, Gujarat.
Subsequently, the Government of India had notified the bullion spot delivery contract and bullion depository receipt (with bullion as underlying) as Financial Products and related services as Financial Services under the International Financial Services Centres Authority (IFSCA) Act, 2019.
IFSCA has been entrusted with the responsibility of operationalization of this Exchange. In this regard, International Financial Services Centres Authority (Bullion Exchange) Regulations 2020 were approved by the Authority in its meeting held on October 27. The said regulations have been notified and published in the Gazette of India on December 11.
The regulations inter alia cover the Bullion Exchange, Clearing Corporation, Depository and Vaults. The regulations are divided into the 16 chapters. First half of the regulation deals with the Exchange and Clearing Corporations while the second half pertains to the Vaults and Depositories and related provisions.
The complete text of the notified regulations is available on the IFSCA website at https://ifsca.gov.in/Regulation
- रजनीश कुमार
दिल्ली की सीमा पर किसानों का आंदोलन जारी है। सरकार के प्रयासों से किसान संगठनों और सरकार के बीच संवाद भी जारी है। स्वस्थ लोकतंत्र में संवाद की महत्ता हमेशा से रही है, हमारे यहां पुरानी उक्ति है – वादे वादे जायते तत्वबोध: अर्थात् संवाद से तत्व का ज्ञान होता है। हालांकि किसान संगठन बिल वापस लेने पर अड़ गए हैं। वहीं सरकार का कहना है – जहां आपत्ति होगी, संशोधन करेंगे। किसान संगठनों ने तर्क दिया कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा, सरकार लिखित आश्वासन देने को तैयार है।
संगठनों ने एपीएमसी यानि मंडियों के समाप्त होने की चिंता प्रकट की, सरकार ने कहा – लिखित में दे देंगे कि मंडियां समाप्त नहीं होंगी। डर जताया कि किसानों की जमीन बिक जाएगी, सरकार ने कहा कि किसानों की फसल की बिक्री होगी, जमीन का कोई एग्रीमेंट नहीं होगा। किसानों ने डर व्यक्त किया कि विवाद की स्थिति में कोर्ट का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। सरकार ने उनके डर को दूर करते हुए कहा कि सिविल कोर्ट जाने का अधिकार देंगे, फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाएंगे।
अब इसके बाद किसान प्रदर्शनरत संगठन कह रहे हैं प्रस्ताव मंजूर नहीं, सरकार संवाद को प्राथमिकता देते हुए कह रही है – कोई और समस्या हो तो बताइए। अब किसान संगठन मांग कर रहे हैं कि बिल वापस लो …!
सम्प्रति कहां क्या हो रहा है, कुछ ना उसको ज्ञान है
वायु कैसी चल रही, इसका न कुछ भी ध्यान है
राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त ने किसानों के मनोभाव को समझते हुए यह पक्तियां लिखी थीं। ये पंक्तियां आज कुछ ज्यादा ही प्रासंगिक हो गई हैं।
किसान बहुत भोले-भाले होते हैं, दूसरों के प्रति भी उनकी दृष्टि बहुत सरल-सहज होती है। शायद इसी कारण से किसानों के इस आंदोलन में अराजकतावादियों ने घुसपैठ कर दी है। अराजक शक्तियों का उद्देश्य स्पष्ट है – देश में अशांति और अराजकता का माहौल स्थापित करना। दुःखद है – किसानों को इस साजिश का कोई भान नहीं है, अशान्ति के अंदेशे का कोई ध्यान नहीं है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार किसान आंदोलन से जुड़ी एक रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अल्ट्रा-लेफ्ट नेताओं और प्रो-लेफ्ट विंग के चरमपंथी तत्वों ने किसानों के आंदोलन को हाईजैक कर लिया है। विश्वसनीय खुफिया इनपुट है कि ये तत्व किसानों को हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाने की योजना बना रहे हैं।
अराजक वामपंथी-इस्लामी गठजोड़ के कारण देश में आंतरिक असुरक्षा का माहौल बनने का अंदेशा है। दिल्ली की सीमा पर भारतीय किसान यूनियन (उगराहा) ने दिल्ली दंगे के आरोपी उमर खालिद और शरजील इमाम के साथ-साथ अर्बन नक्सल सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वर्नोन गोंसाल्वेस, अरुण फरेरा और वरवरा राव को रिहा करने की मांग की है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस आंदोलनकारी किसान संघ ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस समारोह में कम से कम 20 व्यक्तियों को रिहा करने की मांग की, जिन्हें दिल्ली दंगे और भीमा कोरेगांव हिंसा में उनकी कथित भूमिका पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में डाला गया है।
ये लोग पिछले वर्ष दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगे के आरोपी की रिहाई की मांग कर रहे हैं, उनके मानवाधिकार की बात कर रहे हैं। नक्सल-आतंकी विचारों के पोषक एक किसान संगठन का कहना है कि ये सभी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और उनको सलाखों के पीछे से बाहर करवाना उनके संगठन का लक्ष्य है।
यह देश की सज्जन शक्ति के लिए खुली चुनौती के समान है। एक तरफ देश को विभाजित करने की मंशा पालने वाले लोगों के समर्थन में दिल्ली की सड़कों पर तख्तियां लहराई जाती हैं, दूसरी ओर देश को अखंड और अक्षुण्ण बनाए रखने वाली सज्जन शक्तियां अपने धैर्य का परिचय दे रही हैं।
यह विचार करने योग्य है कि आज भारतीय समाज के सामने ठीक वैसी ही परिस्थिति है, जैसी नागरिकता संशोधन कानून के समय थी। यह समझने की जरूरत है कि किसान आंदोलन की आड़ में अराजकता पैदा करने की मंशा रखने वाले ये लोग कौन हैं? आपने नागरिकता संशोधन कानून के वक्त भी देखा था, जब इन विभाजनकारी शक्तियों ने समाज में भय और भ्रम पैदा करने की कोशिश की थी।
ठीक वैसे ही कृषि कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी की व्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन इन कानूनों को उनके विरुद्ध ही बताने की कोशिश की जा रही है। अब किसान संगठनों ने यह घोषणा कर दी है, सरकार से कोई वार्तालाप नहीं होगा, कोई विमर्श- संवाद नहीं होगा। आंदोलनकारियों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, आंदोलन को तेज करने का फैसला किया है। संगठनों ने संवाद का अंत कर दिया है, विषय विवाद की तरफ बढ़ रहा है। (विश्व संवाद केंद्र सेवा)
उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे नित्यानंद स्वामी की आठवीं पुण्यतिथि पर शनिवार को उन्हें याद कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। राजधानी देहरादून के अखिल भारतीय महिला आश्रम में पं.दीनदयाल उपाध्याय सेवा प्रतिष्ठान के तत्वाधान में हवन व कीर्तन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि नित्यानंद स्वामी ने प्रदेश के विकास के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया l उनके विचार आज भी प्रदेश के विकास के लिए प्रसांगिक है l
उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी के साथ बिताए गए दिनों को याद करते हुए कहा है कि स्वामी जी का उद्देश्य प्रदेश का विकास करना था l उन्होंने कहा है कि स्वामी जी ने अपने जीवन काल मे उपेक्षित, वंचित समाज को आगे लाकर मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य किया l
कार्यक्रम में राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक हरबंस कपूर, विधायक खजान दास , विधायक विनोद चमोली, भारत विकास परिषद की सविता कपूर, भाजपा के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट, शुभम वर्मा, स्वर्गीय नित्यानंद स्वामी की सुपुत्री ज्योत्सना शर्मा, सरस्वती सिंह, आरके बक्शी, गीतिका, विनायक शर्मा आदि सहित अनेक लोग उपस्थित थे l
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आगामी कुम्भ मेले को सुरक्षित व व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए सभी विभागाध्यक्षों को प्रभावी इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कुंभ मेले के कार्यों के संबंध में सभी आवश्यक स्वीकृतियों, कार्यों की गुणवत्ता एवं उपयोगिता आदि का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए, ताकि कुंभ मेले के संपन्न होने के पश्चात इस संबंध में कोई अनावश्यक विवाद की स्थिति ना उत्पन्न हो।
शनिवार को राजधानी देहरादून में कुम्भ कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कोविड-19 के दृष्टिगत कुंभ मेले के लिए स्पेशल कोविड ऑफिसर तैनात किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कुम्भ मेले के कार्यो के लिये मेला अधिकारी को 2 करोड़ तथा आयुक्त गढ़वाल मंडल को 5 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति के अधिकार प्रदान करते हुए आयुक्त के स्तर पर स्वीकृत होने वाले कार्यों के लिए अनुभवी अभियंताओं एवं वरिष्ठ वित्त अधिकारी की समिति गठित करने को कहा, जो स्वीकृति जारी करने में मदद करेगी।
मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित विभागों से सभी स्थाई निर्माण कार्यों को 31 जनवरी से पूर्व पूर्ण करने तथा अस्थाई निर्माण कार्यों में भी तेजी लाने को कहा है।उन्होंने कहा कि कुम्भ के दृष्टिगत विभागीय स्तर पर सम्पादित होने वाली व्यवस्थाओं की एसओपी जारी करने के साथ ही डाक्यूमेन्टेशन पर ध्यान दिया जाय। मुख्यमंत्री ने वन भूमि हस्तांतरण के मामलों को भी शीघ्र निस्तारित करने के निर्देश दिये।
बैठक में सचिव लोनिवि आर.के.सुधांशु ने कहा कि सभी महत्वपूर्ण पुलों का निर्माण कार्य 31 जनवरी से पूर्व कर लिया जायेगा। इसके लिये कार्यदायी संस्थाओं को तेजी से कार्य सम्पन्न करने के निर्देश देने के साथ ही निर्माण कार्यों की निरन्तर निगरानी की जा रही है।
स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने कुंभ मेले में कार्य करने वाले कार्मिकों के वेक्सिनेशन की रूप रेखा भी तय करने की अपेक्षा मेलाधिकारी से की। सचिव नगर विकास शैलेश बगोली ने बताया कि कुम्भ मेले के अन्तर्गत विभिन्न विभागों के स्तर पर 473 करोड़ लागत के 124 निर्माण कार्य किये जा रहे हैं, जिनका निरन्तर अनुश्रवण किया जा रहा है।
पुलिस महानिरीक्षक, कुम्भ मेला श्री संजय गुंज्याल ने बताया कि मेले के लिये सुरक्षा की दृष्टि से 6 जोन, 24 सेक्टर, 21 थाने, 9 पुलिस लाइन, 23 पुलिस चौकी, 25 चैक पोस्ट के साथ ही आवश्यकतानुसार राज्य व केन्द्रीय पुलिस बलों की तैनाती की व्यवस्था की जा रही है।
बैठक में नगर विकास मंत्री मदन कौशिक, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव वित्त सौजन्या, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन के साथ ही सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना के तहत 9,879.61 करोड़ रुपये के बराबर की परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं। 27 राज्यों ने इस योजना का लाभ उठा लिया है। योजना की पहली किस्त के रूप में राज्यों को 4,939.81 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक 1501 करोड़ रूपये की अनुमोदित राशि के सापेक्ष 750.50 करोड़ जारी किए गए हैं। उत्तराखंड को 434.11 करोड़ की अनुमोदित राशि के सापेक्ष 217.6 करोड़ जारी किये गए।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शनिवार को जानकारी दी है कि तमिलनाडु के अतिरिक्त सभी राज्यों ने पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता की हाल ही में घोषित योजना का लाभ उठा लिया है। इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 12 अक्तूबर को आत्म निर्भर भारत पैकेज के एक हिस्से के रूप में की गई थी।

योजना का उद्देश्य उन राज्य सरकारों को पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देना है, जो कोविड-19 महामारी की वजह से कर राजस्व में हुई कमी के कारण इस वर्ष कठिन वित्तीय परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के बावजूद वर्ष 2020-21 में पूंजीगत व्यय के संबंध में राज्य सरकारों को विशिष्ट सहायता देने का निर्णय लिया था।

इस योजना को लेकर राज्य सरकारों की ओर से जोरदार प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। पूंजीगत व्यय परियोजनाओं को स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, जलापूर्ति, सिंचाई, बिजली, परिवहन, शिक्षा, शहरी विकास जैसे अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों में अनुमोदित किया गया है। इस योजना के तीन हिस्से हैं। योजना का भाग-1 पूर्वोत्तर क्षेत्र को कवर करता है। इस हिस्से के तहत, पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को 650 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं।

योजना के भाग-2 में अन्य सभी राज्य शामिल किए गए हैं। इन राज्यों के लिए 7500 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। राशि का आवंटन राज्यों के बीच वर्ष 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की अंतरिम मंजूरी के अनुरूप केन्द्रीय कर में उनके हिस्से के अनुपात में किया गया है।
भाग-3 का लक्ष्य राज्यों में विभिन्न लोक केन्द्रित सुधारों को बढ़ावा देना है। इस भाग के तहत, 2000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। यह राशि केवल उन्हीं राज्यों को उपलब्ध होगी, जिन्होंने सुधार संबंधित अतिरिक्त उधारी अनुमतियों के संबंध में वित्त मंत्रालय द्वारा दिनांक 17 मई के पत्र में निर्दिष्ट चार सुधारों में से कम से कम तीन सुधार कार्यान्वित किए हैं। ये चार सुधार हैं- एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (One Nation One Ration Card), व्यवसाय करने की सुगमता सुधार (Ease of doing Business), शहरी स्थानीय निकाय/उपयोगिता सुधार तथा बिजली क्षेत्र सुधार।
जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य कर रहे व्यक्तियों और संगठनों को प्रोत्साहन और मान्यता देने के लिए भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण विभाग ने वर्ष 2020 के राष्ट्रीय जल पुरस्कारों के लिए प्रविष्टिया आमंत्रित की हैं।
इन श्रेणियों में मिलेंगे पुरस्कार
जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार ग्यारह श्रेणियों में कुल 52 पुरस्कार दिए जाएंगे। ये श्रेणियां हैं – श्रेष्ठ राज्य, श्रेष्ठ जिला, श्रेष्ठ ग्राम पंचायत, श्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय, श्रेष्ठ मीडिया (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक), श्रेष्ठ विद्यालय, श्रेष्ठ संस्थान/रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन/परिसर उपयोग के लिए धार्मिक संगठन, श्रेष्ठ उद्योग, श्रेष्ठ एनजीओ, श्रेष्ठ उपयोगकर्ता एसोसिएशन तथा सीएसआर गतिविधियों के लिए श्रेष्ठ उद्योग।
प्रथम पुरस्कार में मिलेंगे 2 लाख रूपये
श्रेष्ठ जिला तथा श्रेष्ठ ग्राम पंचायत श्रेणी में उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और उत्तर-पूर्व को क्षेत्रवार पुरस्कार दिए जाएंगे। श्रेष्ठ राज्य तथा श्रेष्ठ जिला पुरस्कारों के अतिरिक्त शेष 9 श्रेणियों के लिए प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार विजेताओं को क्रमशः 2 लाख रुपये, 1.5 लाख रुपये तथा 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
10 फरवरी तक कर सकते हैं आवेदन
प्रविष्टियां प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 10 फरवरी, 2021 है। आवेदन MyGov प्लेटफॉर्म के माध्यम से https://mygov.in पर या केन्द्रीय भू-जल बोर्ड (Central Ground Water Board, CGWB) को nationalwaterawards@gmail.com पर भेजे जा सकते हैं। केवल ऑनलाइन आवेदनों पर ही विचार किया जाएगा। पुरस्कारों के लिए विस्तृत गाइड लाइन यहां देखी जा सकती हैं।
जल संसाधनों का बेहत्तर प्रबंधन है उद्देश्य
पुरस्कारों का उद्देश्य गैर-सरकारी संगठनों, ग्राम पंचायतों, शहरी स्थानीय निकायों, जल उपयोगकर्ता एसोसिएशनों, संस्थानों, कार्पोरेट, व्यक्तियों सहित सभी हितधारकों को प्रोत्साहित करना है, ताकि वर्षा जल संरक्षण और कृत्रिम रिचार्च द्वारा भू-जल की स्थिति मजबूत बनाने के नवाचारी व्यवहार अपनाए जा सकें। नवाचारी व्यवहारों में जल उपयोग क्षमता, रिसाईक्लिंग तथा जल का दोबारा उपयोग है। इसका उद्देश्य फोकस वाले क्षेत्रों में लोगों की भागीदारी के माध्यम से जागरूकता पैदा करना है जिससे स्थायी जल संसाधन प्रबंधन हो सके।
ई-अदालत परियोजना के तहत देश भर के लगभग 2927 अदालत परिसरों को अभी तक तीव्र गति वाले वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) से जोड़ा जा चुका है। परियोजना के तहत 2992 अदालत परिसरों को तीव्र गति WAN से जोड़े जाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसका 97.86 प्रतिशत हासिल किया जा चुका है। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि विधि विभाग ने BSNL के साथ मिलकर शेष अदालत परिसरों को भी संपर्क मुहैया कराने के काम में संलग्न है।
इन अदालत परिसरों को ऑप्टिक फाइबर केबल (OFC), रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF), वैरी स्मॉल अपरचर टर्मिनल (V-SAT) इत्यादि से जोड़ा जाना था। मई, 2018 में इन सभी परिसरों को मैनेज्ड एमपीएलएस–वीपीएन सेवा से जोड़ने का कार्य BSNL को सौंपा गया था।
ई-अदालत परियोजना के तहत आने वाले बहुत से अदालत परिसर ऐसे दूरदराज के इलाकों में स्थित हैं जहां संपर्क उपलब्ध कराने के लिए स्थलीय केबल का उपयोग नहीं किया जा सकता। ऐसे इलाकों को तकनीकी तौर पर नहीं जुड़ने योग्य (TNF) कहा जाता है। विधि विभाग ने इस डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने के लिए इन TNF स्थलों पर RF और V-SAT आदि जैसे वैकल्पिक माध्यमों से संपर्क उपलब्ध कराया।
कोविड-19 महामारी के माहौल में संपर्क का महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि अदालतों पर मामलों की ऑनलाइन सुनवाई करने का बहुत भारी दबाव पड़ रहा है। विधि विभाग ने इसके लिए बीएसएनएल, एनआईसी, ई-कमेटी आदि के प्रतिनिधियों की एक समिति का गठन किया है, जो इस बदले हुए माहौल में बैंडविड्थ की आवश्यकता की समीक्षा करेगी।
विधि विभाग ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के साथ मिलकर डिजिटल अंतरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है और न्याय तंत्र में बदलाव तथा आम नागरिक की न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है।
सरकार ने ई-अदालत परियोजना के पहले चरण के दौरान 14,249 जिला एवं अधीनस्थ अदालतों को कम्प्यूटरीकृत करने की मंजूरी दी थी। ई-अदालत परियोजना का लक्ष्य वादी, वकीलों और न्याय तंत्र को देश भर की जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के जरिए न्याय तक उचित पहुंच बनाने के लिए सेवाएं मुहैया कराना था।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश भर की सभी अदालतों के पूर्ण कम्प्यूटरीकरण के जरिए भविष्य में और अधिक ICT पहुंच बढ़ाने की परिकल्पना के साथ दूसरे चरण को जुलाई, 2015 में मंजूरी दी थी। यह कार्य 1670 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना था और इसके तहत 16845 अदालतों का कम्प्यूटरीकरण किए जाने का लक्ष्य रखा गया था।
देश में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या में गिरावट का रुख जारी है। शुक्रवार को कुल सक्रिय मामलों की संख्या महत्वपूर्ण रूप से घटकर 3,63,749 हो गई। 146 दिनों के बाद यह सबसे कम संख्या है। 18 जुलाई को कुल सक्रिय मामलों की संख्या 3,58,692 थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है।
वर्तमान सक्रिय मामले देश के कुल पॉजिटिव मामलों के केवल 3.71 प्रतिशत हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान 37,528 मरीज ठीक हुए हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई है। इससे कुल सक्रिय मामलों की संख्या में 8,544 की गिरावट आई है।

पिछले 24 घंटों के दौरान 30,000 से भी कम दैनिक नये मामले सामने आए हैं। यानी दैनिक नये मामलों की संख्या 29,398 रही है।
कुल ठीक हुए मरीजों की संख्या अब लगभग 93 लाख (92,90,834) हो गई है। ठीक हुए रोगियों और सक्रिय मामलों के बीच अंतर लगातार बढ़ रहा है। आज यह बढ़कर 89 लाख से अधिक हो गया है। वर्तमान में यह संख्या 89,27,085 हो गई है। नये मामलों की तुलना में नई रिकवरी अधिक होने से रिकवरी दर बढ़कर 94.84 प्रतिशत हो गई है।

72.39 प्रतिशत नये मामले दस राज्यों के हैं। केरल में सबसे अधिक दैनिक नये मामले दर्ज हुए हैं। यहां 4,470 दैनिक नये मामलों का पता चला है। इसके बाद महाराष्ट्र में 3,824 नये मामले सामने आए।

पिछले 24 घंटों में 414 मरीजों की मौत होने का पता चला है। 79.95 प्रतिशत मौत के नये मामले दस राज्यों से हैं। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 70 मरीजों की मौत हुई है। दिल्ली और पश्चिम बंगाल में क्रमश: 61 और 49 दैनिक मौत मामले दर्ज हुए हैं।
अब राजधानी देहरादून में भी इलेक्ट्रिक बस दौड़ेंगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा देहरादून शहर में इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल रन का फ्लैग ऑफ़ कर शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने राजधानी की जनता को बधाई देते हुए कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत हुई है, और पर्यावरण की दृष्टि से यह उत्तराखण्ड के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी देहरादून के अन्तर्गत इस वित्तीय वर्ष में 30 बसें चलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हमारा यह भी प्रयास रहेगा कि धीरे-धीरे मसूरी, ऋषिकेश और हरिद्वार तक इन इलेक्ट्रिक बसों को चलाया जाए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का भी प्रयास है कि वर्ष 2030 तक पूरे देश को इलेक्ट्रिक बसों की ओर लाया जाए।
कार्यक्रम में मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक गणेश जोशी एवं स्मार्ट सिटी देहरादून के सीईओ आशीष श्रीवास्तव भी उपस्थित थे।
दिल्ली पुलिस की महिला फ्रंट डेस्क कार्यकारी अब सुंदर खादी सिल्क की साड़ियों में नजर आएंगी। शुरूआती चरण में दिल्ली पुलिस ने खादी और ग्रामीण उद्योग आयोग (KVIC) को 25 लाख रुपये मूल्य की 836 खादी सिल्क की साड़ियां खरीदने का आदेश दिया है।
दोहरे रंग की साड़ियां तसर – कटिया सिल्क से बनाई जाएंगी। साड़ियों के नमूने दिल्ली पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए, जिसके अनुसार KVIC द्वारा साड़ियां बनाई जा रही हैं। साड़ियां नेचूरल कलर सिल्क तथा गुलाबी रंग में कटिया सिल्क की मिश्रित होंगी।
दिल्ली पुलिस के लिए तसर–कटिया सिल्क की साड़ियां पश्चिम बंगाल में परम्परागत दस्तकारों द्वारा तैयार की जा रही हैं। तसर–कटिया सिल्क दो रंगों में उपलब्ध कपड़ा है जो तसर तथा कटिया सिल्क के मिश्रण से बनता है। इसकी बुनाई परम्परागत दस्तकार करते हैं। इसकी पहचान गहरी और भारी बुनावट से होती है। यह खुरदरा होता है और देखने में सादा लगता है। मगर सुराखदार बुनाई इस कपड़े को सभी मौसम में पहनने योग्य बना देती है।
KVIC के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा है कि दिल्ली पुलिस से मिले नवीनतम खरीद आदेश से खादी की बढ़ती लोकप्रियता जाहिर होती है। इससे खादी दस्तकारों को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि खादी कारीगरी है, इसलिए यह सबसे आरामदायक कपड़ा है। उन्होंने कहा कि सामान्यजन ही नहीं विशेषकर युवाओं और सरकारी निकायों द्वारा खादी को अपनाया जा रहा है। यह दूरदराज के कताई और बुनाई करने वाले दस्तकारों को बहुत बड़ा प्रोत्साहन है।
इससे पहले KVIC ने चादरों और वर्दियों सहित खादी उत्पाद आपूर्ति के लिए भारतीय रेल, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय डाक विभाग, एयर इंडिया तथा अन्य सरकारी एजेंसियों से समझौता किया। KVIC एयर इंडिया के क्रू सदस्यों तथा स्टाफ के लिए यूनिफॉर्म बना रहा है। आयोग 90 हजार से अधिक डाक बंधुओं/डाक बहनों के लिए भी यूनिफॉर्म बना रहा है। यूनिफॉर्म ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं।