गायों व गौवंश के संरक्षण, सुरक्षा, विकास और पशु विकास कार्यक्रम को दिशा प्रदान करने के लिए मोदी सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने दीपावली में गाय के गोबर व पंचगव्य से बने उत्पादों के व्यापक उपयोग के अभियान शुरू कर दिया है। अभियान को कामधेनु दीपावली अभियान नाम दिया गया है।
अभियान के दौरान गोबर आधारित दीयों, धूप, अगरबत्ती, हवन सामग्री, भगवान गणेश व देवी लक्ष्मी की मूर्तियों, शुभ-लाभ व स्वास्तिक के चिह्नों आदि के उपयोग को बढ़ावा देने वाले कदम उठाये जाएंगे। अभियान के द्वारा आयोग दीपावली में प्रयोग होने वाली बिजली लाइट्स की माला बनाने वाली चीनी कंपनियों को झटका देने की तैयारी में है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व आयोग गणेश महोत्सव के समय गौमाया गणेश अभियान संचालित कर चुका है। आयोग के प्रयासों से गणेश महोत्सव के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने गणेश की मूर्तियों के निर्माण में पर्यावरण अनुकूल सामग्री के रूप में गाय के गोबर का उपयोग किया था। आयोग ने गौमाया गणेश अभियान को मिली प्रतिक्रिया से उत्साहित होकर दीपावली के लिए भी अभियान शुरू कर दिया है।
एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया है कि आयोग का लक्ष्य इस वर्ष दीपावली त्योहार के दौरान 11 करोड़ परिवारों में गाय के गोबर से बने 33 करोड़ दीयों को प्रज्वलित करना है। लगभग 3 लाख दीयों को केवल पवित्र शहर अयोध्या में ही प्रज्वलित किया जाएगा और 1 लाख दीये पवित्र शहर वाराणसी में जलाए जाएंगे।
आयोग के इस अभियान से हजारों गाय आधारित किसानों व महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करेगा और चीन निर्मित दीयों का पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करेगा। इससे पर्यावरणीय क्षति में कमी के साथ-साथ स्वदेशी आंदोलन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
आयोग अपने अभियान को गति देने के लिए वेबिनार की एक श्रृंखला के माध्यम से विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है। आयोग ने देश भर में गौशालाओं में दीपावली से संबंधित वस्तुओं के उत्पादन और सुविधा के साथ विपणन योजना के लिए पूरे देश के हर जिले में अपने सहयोगियों के माध्यम से अपनी उपस्थिति बढ़ाई है। आयोग किसानों, निर्माताओं, गायों, गौशालाओं और अन्य संबंधित पक्षों को इस अभियान से जोड़ने में लगा हुआ है।
नवम्बर में उत्तर प्रदेश की 10 और उत्तराखंड की खाली होने वाली 1 राज्यसभा सीटों के लिए मंगलवार को केंद्रीय चुनाव आयोग ने कार्यक्रम घोषित कर दिया है। राज्य सभा के द्विवार्षिक चुनावों के लिए 20 अक्टूबर को अधिसूचना होगी। नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि 27 अक्टूबर, मतदान की तिथि 9 नवंबर और 11 नवंबर तक चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि 25 नवम्बर को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से राज्य सभा के 11 सदस्य सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, कांग्रेस नेता पी.एल. पुनिया, अरुण सिंह, राम रामगोपाल यादव जैसे दिग्गज नेता उत्तर प्रदेश से हैं। उत्तराखंड से फिल्म अभिनेता व कांग्रेस नेता राज बब्बर सेवानिवृत हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश से सेवानिवृत होने वाले अन्य सदस्यों में डॉ चंद्रपाल सिंह यादव, जावेद अली खान, नीरज शेखर, रवि प्रकाश वर्मा, राजा राम व वीर सिंह शामिल हैं।
भारत निर्वाचन आयोग के अवर सचिव प्रफुल्ल अवस्थी द्वारा जारी बयान में जानकारी दी गई है कि इन द्विवार्षिक चुनावों के लिए 20 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की जाएगी। नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि 27 अक्टूबर होगी। 28 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच और 2 नवम्बर नाम वापसी की अंतिम तिथि रहेगी। यदि आवश्यक होगा तो मतदान 9 नवम्बर को प्रातः 9 बजे से 4 बजे तक होगा और मतपत्रों की गिनती भी उसी दिन होगी। 11 नवम्बर तक चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न हो जाएगी।
चुनाव आयोग के अनुसार मतदान के समय बैलेट पेपर पर वरीयता (अंक) को चिह्नित करने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा दिए गए एकीकृत वायलेट कलर स्केच पेन का ही उपयोग किया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में मतदाता दूसरे किसी पेन का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।
चुनाव आयोग ने राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिए हैं कि वे चुनाव के दौरान कोविड-19 से बचाव व रोकथाम के निर्देशों का पालन कराने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी की तैनाती सुनिश्चित करें। आयोग ने इसके लिए विस्तृत निर्देश पूर्व में भी जारी किये हैं। आयोग ने संबंधित राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इन चुनावों के लिए पर्यवेक्षक के रूप में तैनात किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति कार्ड के वितरण का शुभारंभ किया। मोदी ने छः राज्यों हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के 763 गांवो 1 लाख ग्रामीणों को प्रोपर्टी कार्ड वितरित किए। इनमें उत्तराखण्ड के 50 गांवों के 6800 लोग शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में कुछ लाभार्थियों से बात भी की।
गोदा गांव के सुरेश ने कही अपनी बात
उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल के विकास खण्ड खिर्सू के ग्राम गोदा के सुरेश चंद्र को भी प्रधानमंत्री के सम्मुख अपनी बात रखने का अवसर मिला। सुरेश ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद देते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शिता से सम्पन्न हुई है। इसमें किसी तरह का कोई विवाद नहीं हुआ। प्रापर्टी के कागज मिलने से अब बैंक से ऋण भी मिल सकेगा। सुरेश ने बताया कि उनके गांव से चौखम्भा आदि हिमालयी पर्वत शिखरों के दर्शन होते हैं और निकट ही प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी हैं। गांव के लोग प्रापर्टी कार्ड मिलने के बाद अपने घरों में होम स्टे बनाना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने उच्च शिक्षा मंत्री को दिए यह निर्देश
प्रधानमंत्री ने सुरेश को बधाई देते हुए कहा कि वे स्वयं उत्तराखण्ड के हिमालय क्षेत्र में काफी रहे हैं। उन्होंने सुरेश से कहा कि उनका गांव प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। सुरेश भाग्यशाली हैं कि वे ऐसे स्थान पर रहते हैं जहां से पवित्र पर्वतों के दर्शन होते हैं। उन्होंने कहा कि उनका गांव लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। प्रधानमंत्री ने सुरेश के साथ में कार्यक्रम में उपस्थित प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत से कहा कि कहा कि होम स्टे के फोटोग्राफ, कान्टेक्ट नम्बर सहित सारा विवरण वेबसाइट पर उपलब्ध हो, ताकि पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को जानकारी मिल सके। इससे होम स्टे का काम बढ़िया तरीके से आगे बढ़ सकता है।

गांवों में होगा ऐतिहासिक बदलाव
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने स्वामित्व योजना के लाभार्थियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि अब लाभार्थियों के पास अपने घरों के मालिक होने का एक कानूनी दस्तावेज होगा। यह योजना देश के गांवों में ऐतिहासिक बदलाव लाने जा रही है। उन्होंने कहा कि देश ने एक अति महत्वाकांक्षी भारत की ओर एक और बड़ा कदम उठाया है, क्योंकि इस योजना से ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।
अगले 3-4 वर्षों में सबको मिलेगा संपत्ति कार्ड
उन्होंने कहा कि हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के एक लाख लाभार्थियों को आज उनके घरों के कानूनी कागजात सौंप दिए गए हैं और अगले तीन-चार वर्षों में देश के प्रत्येक गांव में हर परिवार को ऐसे संपत्ति कार्ड देने का वादा किया।
विपक्ष की आलोचना
विपक्ष की आलोचना करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग नहीं चाहते हैं कि हमारे किसान आत्मनिर्भर बनें, उन्हें कृषि क्षेत्र में सुधारों से समस्याएं हैं। छोटे किसानों, गौपालकों और मछुआरों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड शुरू करने से दलालों और बिचौलियों को परेशानी हो रही है, क्योंकि उनकी अवैध आय रुक गई है।
गांव तथा गरीबों की आत्मनिर्भरता के लिए अभियान जारी
उन्होंने यूरिया की नीम कोटिंग, किसानों के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण इत्यादि पहलों के बारे में भी बताया, जो भ्रष्टाचार को रोकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे प्रभावित लोग आज कृषि सुधारों के विरोध में हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के कारण देश में विकास रुकने वाला नहीं है और गांव तथा गरीबों को आत्मनिर्भर बनाना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि इस संकल्प की सिद्धि के लिए स्वामित्व योजना की भूमिका भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
केंद्रीय पंचायतराज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री अलग-अलग स्थानों से कार्यक्रम से जुड़े हुए थे।
ग्रुप-बी (गैर-राजपत्रित) और समूह-सी की नौकरियों के लिए साक्षात्कार समाप्त करने की केंद्र सरकार की नीति पर 23 राज्यों व 8 केंद्र शासित प्रदेशों ने भी अपनी मुहर लगा दी है। 15 अगस्त 2015 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साक्षात्कार की प्रक्रिया को समाप्त करने और नौकरी के लिए चयन पूरी तरह से लिखित परीक्षा के आधार पर करने का सुझाव दिया था। प्रधानमंत्री के सुझाव पर त्वरित रूप से अमल करते हुए केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने तीन महीने के भीतर 1 जनवरी, 2016 को केंद्र सरकार की भर्तियों में साक्षात्कार की प्रक्रिया की समाप्ति कर दी थी। मोदी सरकार ने सभी राज्य सरकारों व केंद्र सरकारों को भी इस पर अमल करने के लिए कहा था।
महाराष्ट्र और गुजरात ने दिखाई तेजी
केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत व प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि अब तक देश के 23 राज्यों 8 केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नौकरियों में साक्षात्कार की प्रक्रिया समाप्त कर दी गयी है। इसे सुधारवादी कदम बताते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि जहां महाराष्ट्र और गुजरात जैसे कुछ राज्यों ने इस नियम को लागू करने में तेजी दिखायी, वहीं कुछ राज्य ऐसे भी थे जो नौकरियों के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया के आयोजन को समाप्त करने के लिए बेहद अनिच्छुक थे।

लिखित परीक्षा के अंक होंगे योग्यता का पैमाना
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि कुछ राज्य सरकारों को काफी समझाने और बार-बार याद दिलाने के बाद देश के सभी 8 केंद्र शासित प्रदेशों और 28 राज्यों में से 23 में साक्षात्कार आयोजित करने की प्रथा बंद कर दी गई है। इसमें जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख भी शामिल है। डॉ. सिंह ने कहा कि अतीत में कुछ पसंदीदा उम्मीदवारों की मदद के लिए साक्षात्कार में अंकों के बारे में शिकायतें, आपत्तियां और आरोप दर्ज होते थे। साक्षात्कार की समाप्ति के बाद चयन के लिए केवल लिखित परीक्षा के अंकों को योग्यता का पैमाना मानने से सभी उम्मीदवारों के लिए चयन के समान अवसर उपलब्ध होंगे।
सरकारी खजाने में भी बचत
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि इस कदम की वजह से भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हुई है। कई राज्यों से सरकारी खजाने में भारी बचत की सूचना भी मिली है, क्योंकि अक्सर हजारों की संख्या में उम्मीदवारों के साक्षात्कार के आयोजन में काफी खर्च हो जाता था और साक्षात्कार की यह प्रक्रिया कई दिनों तक जारी रहती थी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय संसाधनों को आधार मानकर आगे बढ़ेंगे, तो आत्मनिर्भर बनने में सुविधा होगी। प्रकृति ने देवभूमि उत्तराखण्ड को बहुत कुछ दिया है। प्रदेश जैव विविधता की दृष्टि से संपन्न है। स्वरोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक कार्य किए जा रहे हैं।
यह विचार मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए युवा उद्यमियों के साथ व्यक्त किए। त्रिवेंद्र ने बताया कि इन्वेस्टर समिट के दौरान राज्य में 01 लाख 25 हजार करोड़ रूपये के एमओयू हुए, जिसमें से 25 हजार करोड़ रूपये के कार्यों की ग्राउंडिंग हो चुकी है। राज्य बनने से औद्योगिक क्षेत्र में 2017 तक राज्य में 40 हजार करोड़ रूपये का निवेश हुआ, जबकि पिछले साढ़े तीन सालों में 25 हजार करोड़ रूपये का निवेश हो चुका है।
उन्होंने कहा कि राज्य में चीड़ की पत्तियों से बिजली एवं चारकोल बनाने के कार्य शुरू किए गए हैं। प्रदेश के 27 प्रतिशत वन क्षेत्र में चीड़ के वृक्ष होते हैं। चीड़ की पत्तियों से वनाग्नि की समस्या बनी रहती है। उन्होंने कहा कि चीड़ की पत्तियों का सदुपयोग कर स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के अवसर उलब्ध कराने में यह योजना कारगर साबित होगी। इससे 40 हजार लोगों को रोजगार दिया जा सकता है और पर्यावरणीय लाभ भी होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए हर न्याय पंचायत में रूरल ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। अभी तक 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों को स्वीकृति दी जा चुकी है। अलग-अलग थीम पर ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार स्थानीय उत्पादों को हिमालयी ब्रांड से पहचान दिलाने की दिशा में कार्य कर रही है।

उन्होंने बताया उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 150 तरह के कार्य किए जा सकते हैं। राज्य में मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसके तहत 10 हजार युवाओं एवं उद्यामियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए काफी कारगर साबित होगी। होम स्टे को राज्य में बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी तक 2200 से अधिक होम स्टे रजिस्टर्ड हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले विभिन्न लोगों से बात की। उन्होंने मशरूम उत्पादक प्रीति भंडारी, हेल्थ एवं पर्सनल केयर प्रोडक्ट के क्षेत्र में कार्यरत हर्षपाल चौधरी, ईको टूरिज्म एवं स्थानीय संस्कृति के क्षेत्र में कार्य कर रही नूपुर अग्रवाल, होम स्टे संचालिका निवेदिता कार्की, आर्टिफिशल इन्टेलीजेंसी के क्षेत्र में कार्य कर रही प्रेक्षा कपरवाण आदि से बात की।
कार्यक्रम की मॉडरेटर उच्च शिक्षा उन्नयन समिति की उपाध्यक्ष दीप्ति रावत थीं। कार्यक्रम में ऊर्जा सचिव राधिका झा, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस.नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल, अखिलेश रावत आदि उपस्थित थे।
सोलर फार्मिंग द्वारा स्वरोजगार के लिए उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना का विधिवत शुभारम्भ हो गया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में आयोजित एक कार्यक्रम में योजना की औपचारिक शुरुआत की। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचालित इस योजना में 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी। प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे।
बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका, जिलाधिकारी बैंकों से समन्वय बनाएं
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखें। स्वरोजगार योजनाओं को सकारात्मक तरीके से लिए जाने की जरूरत है। डीएलसीसी बैठकों में स्वरोजगार योजनाओं की समीक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता से हो। हम सभी का दायित्व है कि युवा बिना किसी परेशानी के स्वरोजगार योजनाओं से लाभ उठा सकें।
भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक समय न लगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के आवेदन की प्रक्रिया को सरलतम रखा जाए। भू- परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो टार्गेट तय किए जाते हैं, वे निर्धारित समयावधि में जरूर पूरे हो जाने चाहिए। संबंधित अधिकारी योजना के प्रति पूरी तरह से समर्पित होकर काम करें। कोविड के कारण व्यर्थ चले गए चार माह की भरपाई अगले आठ माह में करनी है। इसलिए दोगुनी ऊर्जा से काम करना होगा।
स्वरोजगार और हरित ऊर्जा का उत्पादन मुख्य उद्देश्य
सचिव ऊर्जा श्रीमती राधिका झा ने बताया कि प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना, योजना का लक्ष्य है। इसमें 25 किलोवाट क्षमता के ही सोलर प्लांट अनुमन्य किए जाएंगे। राज्य के स्थाई निवासी अपनी निजी भूमि या लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लांट की स्थापना कर सकते हैं।
इंटीग्रेटेड फार्मिंग से होगी आय
इंटीग्रेटेड फार्मिंग की इस योजना में सोलर पैनल लगाने के साथ उसी भूमि पर मौन पालन, फल, सब्जी और जड़ी-बूटी आदि का उत्पादन भी किया जा सकता है। संयंत्र स्थापित की जाने वाली भूमि पर जलवायु आधारित औषधीय और स्कन्ध पादपों के बीज निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना में 10 हजार परियोजनाएं पात्र आवेदकों को आवंटित किए जाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए वर्षवार और जिलावार लक्ष्यों का निर्धारण एमएसएमई के सहयोग से किया जा रहा है। इसमें एमएसएमई की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत अनुमन्य अनुदान और मार्जिन मनी व लाभ मिल सकेंगे। एमएसएमई के आनलाईन पोर्टल के माध्यम से इच्छुक पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। इसमें शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं होगी। योजना का क्रियान्वयन उरेडा द्वारा किया जाएगा।
परियोजना के तकनीकी मानक
तकनीकी मानकों की जानकारी देते हुए बताया गया कि 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र आवंटित किए जाएंगे। इसके लिए लगभग 1.5 से 2 नाली भूमि की आवश्यकता होगी। 40 हजार रूपए प्रति किलोवाट की दर से कुल लागत लगभग 10 लाख रूपए सम्भावित है। राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है। योजना के अंतर्गत आवंटित परियेाजना से उत्पादित बिजली को यूपीसीएल द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (पीपीए) किया जाएगा।
यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध
लाभार्थी सहकारी या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण ले सकता है। सहकारी बैंक द्वारा इस योजना के लिए 8 प्रतिशत की ब्याज दर पर 15 वर्षों के लिए ऋण दिया जाएगा। चयनित लाभार्थी को अपनी भूमि के भू-परिवर्तन के बाद मोर्टगेज करने के लिए लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। तकनीकी समिति द्वारा उपयुक्त पाए गए आवेदकों को परियोजना का आवंटन जिला स्तर पर करने के लिए जिलाधिकरी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। पूरी प्रक्रिया में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा गया है। परियोजना आवंटन पत्र मिलने के बाद लाभार्थी द्वारा यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध किया जाएगा। लाभार्थी द्वारा परियेाजना आवंटन पत्र, यूपीसीएल के साथ अनुबंध की प्रति, और अन्य आवश्यक अभिलेख जमा कराने के सात दिन के भीतर महाप्रबंधक, जिला उद्योग संबंधित बैंक शाखा को अग्रसारित कर देंगे। इसके 15 दिनों के भीतर बैंक शाखा से स्वीकृति या अस्वीकृति सूचना लाभार्थी को बता दी जाएगी।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूङी, मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, हरबंस सिंह चुघ, अपर सचिव नीरज खैरवाल, महानिदेशक सूचना डाॅ मेहरबान सिंह बिष्ट व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
प्रसिद्ध उद्योगपति व रिलायंस समूह के मुखिया मुकेश अंबानी के पुत्र एवं श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व सदस्य अनंत अंबानी ने कोरोना काल के आर्थिक हालात को देखते हुए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् बोर्ड हेतु 5 करोड़ की धनराशि दान दी है। धनराशि का चेक बुधवार को चारधाम विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं व देवस्थानम् बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपा।
उल्लेखनीय है कि अंबानी परिवार की श्री बदरीनाथ एवं केदारनाथ सहित उत्तराखंड के चारों धामों में अपार आस्था है। पहले भी उनके द्वारा करोड़ों रुपये का दान श्री बदरीनाथ-केदारनाथ धाम को दिया जाता रहा है। कोरोना महामारी से इस यात्रा वर्ष देवस्थानम् बोर्ड की आर्थिकी भी प्रभावित हुई है। इसके मद्देनजर अंबानी परिवार द्वारा 5 करोड़ रुपये देवस्थानम् बोर्ड को दान स्वरूप दिये हैं।
देवस्थानम् बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन तथा अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह ने अंबानी परिवार का आभार जताया है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को सिनेमा हाॅल के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है। यह एसओपी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ परामर्श करके तैयार की गई है।
एसओपी जारी करते हुए केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि गृह मंत्रालय के निर्णय के अनुसार 15 अक्टूबर से सिनेमा हॉल फिर से खुलेंगे। इसके लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने यह एसओपी तैयार की है। SOP में सभी दर्शकों व कर्मचारियों की थर्मल स्क्रिनिंग, पर्याप्त शारीरिक दूरी, मास्क का प्रयोग, बार-बार हाथ धोना, हैंड सैनिटाइजर का प्रावधान आदि किया गया है।
मंत्रालय ने शारीरिक दूरी, नामित क्यूमार्कर्स के साथ प्रवेश और निकास, सैनिटाइजेशन, कर्मचारियों की सुरक्षा, न्यूनतम संपर्क सहित इस क्षेत्र में अधिसूचित अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए यह सामान्य एसओपी तैयार की है।
बैठने की व्यवस्था कुल क्षमता की 50 प्रतिशत तक सीमित रहेगी। मल्टीप्लेक्स शो की टाइमिंग इस प्रकार विभाजित की जाएगी, ताकि उनके शो शुरू होने और समाप्त होने के समय अलग-अलग रहें। तापमान सेटिंग 24 डिग्री से 30 डिग्री सेंटीग्रेड की सीमा में रहेगी।
जावड़ेकर के अनुसार फिल्म प्रदर्शन एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि है और इसने देश के सकल घरेलू उत्पाद में काफी योगदान दिया है। मौजूदा कोविड-19 महामारी को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि फिल्म प्रदर्शन गतिविधियों से जुड़े लोग अपने संचालन और गतिविधियां पुन: शुरू करते समय महामारी के प्रसार को रोकने के लिए उचित उपाय करें।
गृह मंत्रालय ने अपने 30 सितम्बर के आदेश द्वारा 15 अक्टूबर से कंटेनमेंट जोन से बाहर के क्षेत्रों में 50 प्रतिशत बैठने की क्षमता के साथ सिनेमा घरों, थियेटरों और मल्टीप्लेक्स को फिर से खोलने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक ब्लाॅक में दो-दो अटल आदर्श विद्यालय स्थापित किए जाएं। राज्य की नई खेल नीति के बारे में खेल विशेषज्ञों, खिलाड़ियों, और आम जन से सुझाव प्राप्त किए जाएं और जल्द से जल्द से कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाए। खेल में तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए खेल विज्ञान केंद्र की स्थापना की जाए। खेल विकास निधि बनाई जाए। बच्चे कम उम्र से ही खेलों में प्रतिभाग के लिए प्रोत्साहित हों, इसके लिए मुख्यमंत्री खिलाड़ी उन्नयन छात्रवृत्ति दी जाए।
अटल आदर्श विद्यालयों में हिंदी व अंग्रेजी दोनो माध्यम का विकल्प हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल आदर्श विद्यालयों की स्थापना, उच्च गुणवत्ता की शिक्षा के सभी मानक पूरे करते हुए की जाए। इनसे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा के समान अवसर मिल सकेंगे। इन विद्यालयों में हिंदी व अंग्रेजी दोनों माध्यमों का विकल्प बच्चों को उपलब्ध हो। स्पोकन इंग्लिश पर विशेष ध्यान दिया जाए। विज्ञान की प्रयोगशाला, सभी आवश्यक उपकरणों से सुसज्जित हो।
174 विद्यालय किए गए अटल आदर्श विद्यालय हेतु चिन्हित
बैठक में बताया गया कि 174 विद्यालयों को अटल आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित करने के लिए चिन्हित कर लिया गया है। इनमें से 108 विद्यालयों में वर्चुअल क्लास की सुविधा उपलब्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां भी अटल आदर्श विद्यालय बनाए जाएं वहां स्थानीय स्थापत्य और सामग्री का प्रयोग किया जाए। बैठक में थानो में प्रस्तावित अटल आदर्श विद्यालय की डिजायन आदि से भी अवगत कराया गया।
ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को प्रेरित करे नई खेल नीति
मुख्यमंत्री ने राज्य की नई खेल नीति के बारे में खेल विशेषज्ञों, खिलाड़ियों, और आम जन से सुझाव प्राप्त कर जल्द से जल्द से कैबिनेट में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। खेल नीति इस प्रकार की हो जिससे ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के अधिक अवसर मिलें।
खेल अवस्थापना के लिए प्राईवेट सेक्टर केा प्रोत्साहित किया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राईवेट सेक्टर को खेल के क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। बच्चे टीवी, मोबाईल की दुनिया से बाहर निकलकर खेल के मैदान में आएं। खेलों में तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए खेल विज्ञान केंद्र की स्थापना की जाए।
खेल नीति में बाालिकाओं के लिए हों विशेष प्रावधान
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेल कुम्भ में नए खेल शामिल किए जाएं। बालिकाओं के लिए खेल नीति में विशेष प्रावधान किए जाएं। नेशनल लेवल और इंटरनेशनल लेवल पर प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को सुविधाएं दी जाएं। खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेल विकास निधि का निर्माण किया जाए। दिव्यांग खिलाड़ियों की आर्थिक सहायता के लिए व्यवस्था की जाए।
खिलाड़ियो की समस्याओं के निस्तारण के सिंगल विंडो सिस्टम
मुख्यमंत्री ने आठ वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुख्यमंत्री खिलाड़ी उन्नयन छात्रवृत्ति की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। खिलाड़ियों की समस्याओं के समाधान के लिए सिंगल विंडो सिस्टम विकसित किया जाए। व्यावसायिक शिक्षा संस्थानों और राजकीय विभागों में उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए कोटा इस प्रकार का हो जिससे खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिले।
बैठक में विद्यालयी शिक्षा एवं खेल मंत्री अरविंद पाण्डेय, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, बृजेश कुमार संत, निदेशक शिक्षा आर के कुंवर सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड भाजपा की कोर कमेटी की रविवार को आयोजित बैठक में विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई और सरकार व संगठन की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
राजधानी देहरादून के बीजापुर अतिथि गृह में आयोजित कोर कमेटी की बैठक भाजपा के राष्ट्रीय सह-महामंत्री (संगठन) शिव प्रकाश, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार समेत कोर कमेटी के सभी सदस्य उपस्थित थे।
बैठक के बाद भाजपा अध्यक्ष भगत ने पत्रकारों को बताया कि पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्यों व मोर्चों के प्रदेश पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की घोषणा अगले तीन दिन के भीतर कर दी जाएगी। पार्टी ने 16 अक्टूबर को जिला स्तर पर गठित होने वाली समन्यव समितियों के सदस्यों का एक दिवसीय प्रशिक्षण देहरादून में तय किया है। इन समितियों में सम्बंधित जिले के अध्यक्ष, महामंत्री, एक वरिष्ठ कार्यकर्त्ता, सम्बंधित विधायक व सांसद सदस्य होंगे। यह समितियां जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं व आम जनता से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय के लिए गठित की गई हैं।
भाजपा द्वारा राजधानी में मसूरी रिंग रोड पर नए प्रदेश कार्यालय का निर्माण प्रस्तावित है। पार्टी नवरात्रि में 17 अक्टूबर को इसका भूमि पूजन व शिलान्यास करेगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस कार्यक्रम की वर्चुअल माध्यम से औपचारिक शुरुआत करेंगे।
भाजपा अध्यक्ष भगत ने पत्रकारों के सवालों का उत्तर देते हुए कहा कि बैठक में यह साफ़ निर्देश दिए गए हैं कि मंत्री, विधायक या पदाधिकारी कोई भी मामला होने पर उसे पहले पार्टी फ़ोरम पर कहेंगे न कि किसी अन्य स्थान पर। यदि इस बात का उल्लंघन किया जाता है तो वह अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना जाएगा। विधायक पूरण फर्त्याल के प्रकरण में भगत ने कहा कि सांसद अजय भट्ट व अजय टम्टा उनसे बात करेंगे ।
भगत ने यह भी बताया कि जिलों के प्रभारी मंत्रियों से कहा गया है कि वे माह में कम से कम एक बार अपने प्रभार के जिलों का दौरा करें और वहां रात्रि विश्राम करें। साथ ही जिला समन्वय कमेटी की बैठकों में भाग लें। कार्यकर्ताओं से मिलें। इसके बाद वे प्रशासनिक बैठक करें।
कोर कमेटी की बैठक में सांसद अजय भट्ट, महारानी राज्य लक्ष्मी शाह, अजय टम्टा, तीरथ सिंह रावत, प्रदेश सरकार के मंत्री मदन कौशिक, डॉ धन सिंह रावत, महामंत्री राजेंद्र भंडारी, कुलदीप कुमार, पूर्व महामंत्री नरेश बंसल भी मौजूद रहे।