जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य कर रहे व्यक्तियों और संगठनों को प्रोत्साहन और मान्यता देने के लिए भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण विभाग ने वर्ष 2020 के राष्ट्रीय जल पुरस्कारों के लिए प्रविष्टिया आमंत्रित की हैं।
इन श्रेणियों में मिलेंगे पुरस्कार
जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार ग्यारह श्रेणियों में कुल 52 पुरस्कार दिए जाएंगे। ये श्रेणियां हैं – श्रेष्ठ राज्य, श्रेष्ठ जिला, श्रेष्ठ ग्राम पंचायत, श्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय, श्रेष्ठ मीडिया (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक), श्रेष्ठ विद्यालय, श्रेष्ठ संस्थान/रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन/परिसर उपयोग के लिए धार्मिक संगठन, श्रेष्ठ उद्योग, श्रेष्ठ एनजीओ, श्रेष्ठ उपयोगकर्ता एसोसिएशन तथा सीएसआर गतिविधियों के लिए श्रेष्ठ उद्योग।
प्रथम पुरस्कार में मिलेंगे 2 लाख रूपये
श्रेष्ठ जिला तथा श्रेष्ठ ग्राम पंचायत श्रेणी में उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और उत्तर-पूर्व को क्षेत्रवार पुरस्कार दिए जाएंगे। श्रेष्ठ राज्य तथा श्रेष्ठ जिला पुरस्कारों के अतिरिक्त शेष 9 श्रेणियों के लिए प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार विजेताओं को क्रमशः 2 लाख रुपये, 1.5 लाख रुपये तथा 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
10 फरवरी तक कर सकते हैं आवेदन
प्रविष्टियां प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 10 फरवरी, 2021 है। आवेदन MyGov प्लेटफॉर्म के माध्यम से https://mygov.in पर या केन्द्रीय भू-जल बोर्ड (Central Ground Water Board, CGWB) को nationalwaterawards@gmail.com पर भेजे जा सकते हैं। केवल ऑनलाइन आवेदनों पर ही विचार किया जाएगा। पुरस्कारों के लिए विस्तृत गाइड लाइन यहां देखी जा सकती हैं।
जल संसाधनों का बेहत्तर प्रबंधन है उद्देश्य
पुरस्कारों का उद्देश्य गैर-सरकारी संगठनों, ग्राम पंचायतों, शहरी स्थानीय निकायों, जल उपयोगकर्ता एसोसिएशनों, संस्थानों, कार्पोरेट, व्यक्तियों सहित सभी हितधारकों को प्रोत्साहित करना है, ताकि वर्षा जल संरक्षण और कृत्रिम रिचार्च द्वारा भू-जल की स्थिति मजबूत बनाने के नवाचारी व्यवहार अपनाए जा सकें। नवाचारी व्यवहारों में जल उपयोग क्षमता, रिसाईक्लिंग तथा जल का दोबारा उपयोग है। इसका उद्देश्य फोकस वाले क्षेत्रों में लोगों की भागीदारी के माध्यम से जागरूकता पैदा करना है जिससे स्थायी जल संसाधन प्रबंधन हो सके।
ई-अदालत परियोजना के तहत देश भर के लगभग 2927 अदालत परिसरों को अभी तक तीव्र गति वाले वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) से जोड़ा जा चुका है। परियोजना के तहत 2992 अदालत परिसरों को तीव्र गति WAN से जोड़े जाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसका 97.86 प्रतिशत हासिल किया जा चुका है। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि विधि विभाग ने BSNL के साथ मिलकर शेष अदालत परिसरों को भी संपर्क मुहैया कराने के काम में संलग्न है।
इन अदालत परिसरों को ऑप्टिक फाइबर केबल (OFC), रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF), वैरी स्मॉल अपरचर टर्मिनल (V-SAT) इत्यादि से जोड़ा जाना था। मई, 2018 में इन सभी परिसरों को मैनेज्ड एमपीएलएस–वीपीएन सेवा से जोड़ने का कार्य BSNL को सौंपा गया था।
ई-अदालत परियोजना के तहत आने वाले बहुत से अदालत परिसर ऐसे दूरदराज के इलाकों में स्थित हैं जहां संपर्क उपलब्ध कराने के लिए स्थलीय केबल का उपयोग नहीं किया जा सकता। ऐसे इलाकों को तकनीकी तौर पर नहीं जुड़ने योग्य (TNF) कहा जाता है। विधि विभाग ने इस डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने के लिए इन TNF स्थलों पर RF और V-SAT आदि जैसे वैकल्पिक माध्यमों से संपर्क उपलब्ध कराया।
कोविड-19 महामारी के माहौल में संपर्क का महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि अदालतों पर मामलों की ऑनलाइन सुनवाई करने का बहुत भारी दबाव पड़ रहा है। विधि विभाग ने इसके लिए बीएसएनएल, एनआईसी, ई-कमेटी आदि के प्रतिनिधियों की एक समिति का गठन किया है, जो इस बदले हुए माहौल में बैंडविड्थ की आवश्यकता की समीक्षा करेगी।
विधि विभाग ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के साथ मिलकर डिजिटल अंतरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है और न्याय तंत्र में बदलाव तथा आम नागरिक की न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है।
सरकार ने ई-अदालत परियोजना के पहले चरण के दौरान 14,249 जिला एवं अधीनस्थ अदालतों को कम्प्यूटरीकृत करने की मंजूरी दी थी। ई-अदालत परियोजना का लक्ष्य वादी, वकीलों और न्याय तंत्र को देश भर की जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के जरिए न्याय तक उचित पहुंच बनाने के लिए सेवाएं मुहैया कराना था।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश भर की सभी अदालतों के पूर्ण कम्प्यूटरीकरण के जरिए भविष्य में और अधिक ICT पहुंच बढ़ाने की परिकल्पना के साथ दूसरे चरण को जुलाई, 2015 में मंजूरी दी थी। यह कार्य 1670 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना था और इसके तहत 16845 अदालतों का कम्प्यूटरीकरण किए जाने का लक्ष्य रखा गया था।
देश में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या में गिरावट का रुख जारी है। शुक्रवार को कुल सक्रिय मामलों की संख्या महत्वपूर्ण रूप से घटकर 3,63,749 हो गई। 146 दिनों के बाद यह सबसे कम संख्या है। 18 जुलाई को कुल सक्रिय मामलों की संख्या 3,58,692 थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है।
वर्तमान सक्रिय मामले देश के कुल पॉजिटिव मामलों के केवल 3.71 प्रतिशत हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान 37,528 मरीज ठीक हुए हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई है। इससे कुल सक्रिय मामलों की संख्या में 8,544 की गिरावट आई है।

पिछले 24 घंटों के दौरान 30,000 से भी कम दैनिक नये मामले सामने आए हैं। यानी दैनिक नये मामलों की संख्या 29,398 रही है।
कुल ठीक हुए मरीजों की संख्या अब लगभग 93 लाख (92,90,834) हो गई है। ठीक हुए रोगियों और सक्रिय मामलों के बीच अंतर लगातार बढ़ रहा है। आज यह बढ़कर 89 लाख से अधिक हो गया है। वर्तमान में यह संख्या 89,27,085 हो गई है। नये मामलों की तुलना में नई रिकवरी अधिक होने से रिकवरी दर बढ़कर 94.84 प्रतिशत हो गई है।

72.39 प्रतिशत नये मामले दस राज्यों के हैं। केरल में सबसे अधिक दैनिक नये मामले दर्ज हुए हैं। यहां 4,470 दैनिक नये मामलों का पता चला है। इसके बाद महाराष्ट्र में 3,824 नये मामले सामने आए।

पिछले 24 घंटों में 414 मरीजों की मौत होने का पता चला है। 79.95 प्रतिशत मौत के नये मामले दस राज्यों से हैं। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 70 मरीजों की मौत हुई है। दिल्ली और पश्चिम बंगाल में क्रमश: 61 और 49 दैनिक मौत मामले दर्ज हुए हैं।
अब राजधानी देहरादून में भी इलेक्ट्रिक बस दौड़ेंगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा देहरादून शहर में इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल रन का फ्लैग ऑफ़ कर शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने राजधानी की जनता को बधाई देते हुए कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत हुई है, और पर्यावरण की दृष्टि से यह उत्तराखण्ड के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी देहरादून के अन्तर्गत इस वित्तीय वर्ष में 30 बसें चलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हमारा यह भी प्रयास रहेगा कि धीरे-धीरे मसूरी, ऋषिकेश और हरिद्वार तक इन इलेक्ट्रिक बसों को चलाया जाए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का भी प्रयास है कि वर्ष 2030 तक पूरे देश को इलेक्ट्रिक बसों की ओर लाया जाए।
कार्यक्रम में मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक गणेश जोशी एवं स्मार्ट सिटी देहरादून के सीईओ आशीष श्रीवास्तव भी उपस्थित थे।
दिल्ली पुलिस की महिला फ्रंट डेस्क कार्यकारी अब सुंदर खादी सिल्क की साड़ियों में नजर आएंगी। शुरूआती चरण में दिल्ली पुलिस ने खादी और ग्रामीण उद्योग आयोग (KVIC) को 25 लाख रुपये मूल्य की 836 खादी सिल्क की साड़ियां खरीदने का आदेश दिया है।
दोहरे रंग की साड़ियां तसर – कटिया सिल्क से बनाई जाएंगी। साड़ियों के नमूने दिल्ली पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए, जिसके अनुसार KVIC द्वारा साड़ियां बनाई जा रही हैं। साड़ियां नेचूरल कलर सिल्क तथा गुलाबी रंग में कटिया सिल्क की मिश्रित होंगी।
दिल्ली पुलिस के लिए तसर–कटिया सिल्क की साड़ियां पश्चिम बंगाल में परम्परागत दस्तकारों द्वारा तैयार की जा रही हैं। तसर–कटिया सिल्क दो रंगों में उपलब्ध कपड़ा है जो तसर तथा कटिया सिल्क के मिश्रण से बनता है। इसकी बुनाई परम्परागत दस्तकार करते हैं। इसकी पहचान गहरी और भारी बुनावट से होती है। यह खुरदरा होता है और देखने में सादा लगता है। मगर सुराखदार बुनाई इस कपड़े को सभी मौसम में पहनने योग्य बना देती है।
KVIC के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा है कि दिल्ली पुलिस से मिले नवीनतम खरीद आदेश से खादी की बढ़ती लोकप्रियता जाहिर होती है। इससे खादी दस्तकारों को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि खादी कारीगरी है, इसलिए यह सबसे आरामदायक कपड़ा है। उन्होंने कहा कि सामान्यजन ही नहीं विशेषकर युवाओं और सरकारी निकायों द्वारा खादी को अपनाया जा रहा है। यह दूरदराज के कताई और बुनाई करने वाले दस्तकारों को बहुत बड़ा प्रोत्साहन है।
इससे पहले KVIC ने चादरों और वर्दियों सहित खादी उत्पाद आपूर्ति के लिए भारतीय रेल, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय डाक विभाग, एयर इंडिया तथा अन्य सरकारी एजेंसियों से समझौता किया। KVIC एयर इंडिया के क्रू सदस्यों तथा स्टाफ के लिए यूनिफॉर्म बना रहा है। आयोग 90 हजार से अधिक डाक बंधुओं/डाक बहनों के लिए भी यूनिफॉर्म बना रहा है। यूनिफॉर्म ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय में 1580 करोड़ की सौंग बांध पेयजल योजना के सम्बन्ध में उच्च अधिकार प्राप्त समिति की बैठक आयोजित हुई । बैठक के दौरान इस परियोजना के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन हेतु नीति का ड्राफ्ट भी प्रस्तुत किया गया।
बैठक में बताया गया कि सौंग बांध पेयजल परियोजना, सौंग नदी पर मालदेवता से 10 किमी अपस्ट्रीम में सौंदणा गांव में प्रस्तावित है। परियोजना की प्रस्तावित लागत 1580 करोड़ है। बांध की ऊँचाई 130.60 मी. एवं लम्बाई 225 मी. होगी। इससे निर्मित होने वाली झील की लम्बाई 3.5 कि.मी. तथा धारण क्षमता 264 लाख घनमीटर होगी।
परियोजना से देहरादून नगर की 10 लाख की जनसंख्या को वर्ष 2051 तक 150 एमएलडी पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। परियोजना से पेयजल आपूर्ति के बाद भूजल दोहन में कमी आएगी, जिसके फलस्वरूप नलकूपों के निर्माण, अनुरक्षण एवं संचालन में कमी के साथ ही इनके संचालन में विद्युत व्यय में भी कमी आएगी। बताया गया कि परियोजना के निर्माण से कुल 275 परिवार एवं 10.641 हैक्टेयर भूमि प्रभावित होगी।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि पुनर्वास नीति में परियोजना से प्रभावित परिवारों को बेहतर जीवन स्तर उपलब्ध कराने हेतु प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि देहरादूनवासियों को इस योजना का लाभ समय पर मिल सके, इसके लिए परियोजना को धरातल पर लाने हेतु शीघ्रअतिशीघ्र प्रयास किए जाएं। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
बैठक में सचिव नितेश झा, सौजन्या, सुशील कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
जैविक खेती में नाम कमाने वाले प्रगतिशील किसान पद्मश्री भारत भूषण त्यागी ने कहा कि जो लोग किसानों के कथित समर्थन में अपने पुरस्कार वापस कर रहे हैं, उन्हें खेती में ये पुरस्कार नहीं मिला है। महज़ झूठी ख्याति प्राप्त करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि कानून को द्विपिक्षीय स्वरुप में समझने की ज़रूरत है। बिचौलियों की अंधेरगर्दी कृषि कानून से ही समाप्त होगी। कृषि क़ानून को लेकर सरकार की मंशा में कोई खोट नहीं है, बल्कि इससे खेती के नए विकल्प खुल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी अफवाह ये फैली है कि मंडियां खत्म हो जाएंगी, एमएसपी खत्म हो जाएगी और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के ज़रिए किसानों की ज़मीनें हड़प ली जाएंगी। ये सरासर गलत है, क्योंकि सरकार ने बार-बार आश्वासन दिया है कि एमएसपी बराबर बनी रहेगी। वस्तु अधिनियम में भंडारण को संरक्षित करने की बात भी कही गई है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में ज़मीन का कोई मुद्दा नहीं है। इसे किसानों को समझने की ज़रुरत है।
उन्होंने आंदोलन करने वाले किसानों से निवेदन किया कि वो बातचीत के दौरान विरोध की मानसिकता से न जाएं, क्योंकि अगर हम विरोध की मानसिकता से बातचीत करते हैं तो कभी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि मंडी और बाजारों के जरिए किसानों को फसलों की पूरी कीमत नहीं मिलती थी। इसलिए इसे लेकर सार्थक पहल की ज़रुरत थी जो इस क़ानून में रहेगा। जिन किसानों को ये भ्रम है कि इससे उनका नुकसान होगा तो वो सरासर गलत है।
देशभर में जैविक खेती में नाम कमाने वाले किसान भारत भूषण त्यागी को वर्ष 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। बुलंदशहर जनपद की स्याना तहसील क्षेत्र के गांव बीहटा निवासी प्रगतिशील किसान भारत भूषण त्यागी ने जैविक खेती कर और देश-प्रदेश में किसानों को जैविक खेती के लिए जागरूक कर अपनी अलग छाप छोड़ी है। (विश्व संवाद केंद्र सेवा)
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए रोडमैप तैयार करने के उद्देश्य से कार्यबल का गठन किया है।
शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि केंद्रीय उच्च शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में गठित यह कार्यबल विभिन्न हितधारकों द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करेगा और एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देगा।
एक उच्च स्तरीय बैठक में शिक्षा मंत्री डॉ निशंक ने यह निर्णय लिया। बैठक में उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के निदेशक, शिक्षाविद और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर डॉ निशंक ने कहा कि आज की बैठक प्रधानमंत्री की इस सोच को हासिल करने की दिशा में विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में मेडिकल, इंजीनियरिंग और कानून आदि व्यावसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर सकें।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसी भी विद्यार्थी पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी। मगर यह प्रावधान जरूर किए जाएंगे, जिससे कोई भी होनहार विद्यार्थी इसलिए तकनीकी शिक्षा से वंचित न रह जाए कि वह अंग्रेजी भाषा नहीं जानता था।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को सचिवालय में यू.एन.डी.पी तथा एवं सेंटर फाॅर पब्लिक पाॅलिसी एण्ड गुड गवर्नेंस, नियोजन विभाग के सहयोग से तैयार सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल (SDG) मोनिटरिंग हेतु तैयार डैश बोर्ड का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 2030 तक सतत विकास का जो लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए और तेजी से प्रयासों की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि राज्य में कुपोषण से मुक्ति के लिए चलाये गए अभियान, अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना, जल संचय, संरक्षण तथा नदियों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में भी अनेक प्रयास किये गए हैं। लोगों को स्वच्छ एवं उच्च गुणवत्तायुक्त पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रयासरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र एक रूपये में पानी का कनेक्शन दिया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में भी जल्द ही पानी का कनेक्शन सस्ती दरों पर दिया जाएगा।
त्रिवेंद्र ने कहा कि जिला योजना का 40 प्रतिशत बजट स्वरोजगार के लिए खर्च किया जा रहा है। उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों की ब्रांडिंग करने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। भारत नेट 2 से नेटवर्किंग और कनेक्टिविटी बढ़ेगी, इसका भी लोगों की आजीविका पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने निर्देश दिए कि लक्ष्यों के आधार पर जो भी योजनाएं बनाई गई हैं, उनको पूरा करने के लिए नियमित माॅनिटरिंग भी की जाए।
उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि सतत विकास लक्ष्य के लिए जो 17 क्षेत्र चुने गए हैं, उनमें दिये गए सभी इन्डीकेटर पर किए जा रहे कार्यों की समय-समय पर समीक्षा की जाय। उन्होंने कहा कि डैशबोर्ड में सभी जनपद समय-समय पर अपनी उपलबिधयां अपलोड करेंगे तथा रैंकिंग के आधार पर जिन योजनाओं/ इंडीकेटरों में कमी प्रदर्शित होती है उनको प्राथमिकता में लेते हुए सतत विकास का लक्ष्य कार्यान्वयन में सुधार करने के हर संभव प्रयास करेंगे।
अपर मुख्य सचिव नियोजन, मनीषा पंवार ने कहा कि राज्य में सतत विकास लक्ष्य के क्रियान्वयन हेतु 2018 में उत्तराखण्ड विजन 2030 बनाया गया। जो 17 क्षेत्रों में वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु रौडमेप प्रदान कर रहा है। भारत सरकार के नीति आयोग के दिशा-निर्देशों पर 371 संकेतक चयनित किये गए हैं।
इस अवसर पर यूएनडीपी की राष्ट्रीय प्रमुख शोको नोडा, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, डाॅ. पंकज पाण्डेय, सुशील कुमार, यूएनडीपी की स्टेट हैड रश्मि बजाज उपस्थित थे। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी जिलाधिकारी तथा सीडीओ कार्यक्रम से जुड़े थे।