केदारनाथ मार्ग पर एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस का मामला, पशुपालन विभाग ने उठाए सख्त कदम..
उत्तराखंड: पशुपालन विभाग के सचिव डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा कि अस्वस्थ घोड़े और खच्चरों को चारधाम यात्रा मार्ग पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय लोगों द्वारा घोड़ा-खच्चरों पर लगी रोक को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। पशुपालन विभाग के सचिव ने कहा कि चार अप्रैल से अब तक कुल 16,000 घोड़े और खच्चरों की सैंपलिंग की जा चुकी है। यह सैंपलिंग यात्रा के दौरान इन पशुओं की स्वास्थ्य स्थिति की जांच करने के लिए की जा रही है, ताकि किसी भी अस्वस्थ या बीमार जानवर को यात्रा मार्ग पर न भेजा जाए। इस कदम का उद्देश्य यात्रा मार्ग पर चलने वाले घोड़े और खच्चरों के माध्यम से किसी भी तरह की बीमारी या संक्रमण फैलने से रोकना है, जिससे श्रद्धालुओं और जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पशुपालन विभाग के सचिव डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने केदारनाथ मार्ग पर चल रहे घोड़े-खच्चरों में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस वायरस की पहचान मिलने के बाद विभाग ने तत्काल प्रभाव से कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। डॉ. पुरुषोत्तम का कहना हैं कि राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान ने 26 मार्च 2025 को रुद्रप्रयाग जिले के दो गांवों में घोड़े और खच्चरों की सैंपलिंग की, जहां एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस से संक्रमित घोड़े पाए गए थे। इसके बाद विभाग ने और अधिक सैंपलिंग की, जिसमें 152 सैंपल पॉजिटिव पाए गए। इन सैंपलों को आगे आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए भेजा गया, लेकिन खुशखबरी यह रही कि टेस्ट के परिणाम में किसी भी घोड़े या खच्चर की रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई।
पशुपालन विभाग ने कहा कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सभी जरूरी एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं, और संबंधित सभी घोड़े-खच्चरों की नियमित स्वास्थ्य जांच की जा रही है। यात्रा मार्ग पर इस तरह के मामलों को गंभीरता से लिया जा रहा है, ताकि कोई भी संभावित खतरा श्रद्धालुओं या जानवरों की सुरक्षा के लिए न बने। सचिव ने कहा कि दो दिन की यात्रा में 13 घोड़े-खच्चरों की मौत हुई है। जिसमें आठ घोड़ों की मौत डायरिया एवं पांच की एक्यूट कोलिक से हुई है। विस्तृत जांच के लिए इनके सैंपल आईवीआरआई बरेली भेजे गए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए 22 से अधिक चिकित्सकों की टीम को यात्रा मार्ग में तैनात किया गया है।
पंतनगर विश्वविद्यालय से भी पहुंचे चिकित्सक..
सचिव पशुपालन ने बताया कि स्थिति से निपटने के लिए जिले में एक मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, दो उप मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, 22 पशु चिकित्सक, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के दो वैज्ञानिकों की टीम तैनात की गई है। इसके अलावा पंतनगर विश्वविद्यालय के दो विशेषज्ञ चिकित्सक भी तैनात किए गए हैं।
यूपी से आने वाले घोड़ा-खच्चर पर प्रतिबंध..
सचिव पशुपालन का कहना हैं कि यात्रा को सुचारू करने के लिए स्वस्थ एवं अस्वस्थ घोड़े-खच्चरों को चिह्नित किया जा रहा है। हर साल यात्रा मार्ग पर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से 2-3 हजार घोड़े-खच्चर आते हैं। एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस से बचाव के चलते यूपी से आने वाले घोड़ों- खच्चरों पर वर्तमान समय तक पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया है। एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस में जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण नहीं फैलाता है, लेकिन घोड़े- खच्चरों में इसका संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है।
600 घोड़ा-खच्चरों के लिए क्वारंटीन सेंटर बनाए..
पशुपालन विभाग के सचिव ने कहा कि संक्रमित 600 घोड़ा-खच्चरों के लिए क्वारंटीन सेंटर बनाए गए हैं। वहीं विभिन्न यात्रा पड़ावों में भी इन्हें क्वारंटीन किया जाएगा।
सीएम धामी की उच्चस्तरीय बैठक- चारधाम यात्रा और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को लेकर दिए सख्त निर्देश..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर बन रही परिस्थितियों को देखते हुए चारधाम यात्रा, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, बांधों और ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा को लेकर उच्चाधिकारियों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। सीएम का कहना है कि शासन, प्रशासन और पुलिस को अलर्ट मोड पर रहकर सुरक्षा इंतजामों को और मजबूत करना होगा। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि किसी भी अप्रत्याशित घटना से निपटने के लिए सभी सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किए जाएं। इसके साथ ही सीएम ने ताजा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सरकारी कर्मचारियों के अवकाश पर भी रोक लगा दी है। अब केवल अपरिहार्य परिस्थितियों में ही कर्मचारियों को अवकाश देने की अनुमति होगी। यह कदम राज्य की सुरक्षा और सुचारु प्रशासनिक कार्य संचालन को प्राथमिकता देने के लिए उठाया गया है। चारधाम यात्रा को लेकर सीएम ने कहा कि यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा और उनके लिए बेहतर इंतजाम सुनिश्चित करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की वर्चुअल बैठक में भाग लेने के बाद उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सीएम आवास पर उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में उन्होंने राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे सभी क्षेत्रों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए। सीएम ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में विशेष निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को समय रहते रोका जा सके। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि राज्य की सीमाओं पर हर प्रकार की गतिविधि पर पैनी निगाह रखी जाए और सुरक्षा उपायों को और सख्त किया जाए। यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए राज्य में सुरक्षा के लिहाज से कोई भी लापरवाही नहीं बरती जाएगी। उन्होंने सभी संबंधित विभागों को त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया और सुनिश्चित किया कि सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को सुरक्षा के साथ-साथ किसी भी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े।
जिला और तहसील स्तर पर आवश्यक वस्तुओं आपूर्ति बनाएं..
सीएम ने कहा कि किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए जिला और तहसील स्तर पर खाद्यान्न सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखी जाए। अस्पतालों को आपातकालीन परिस्थितियों के लिए अलर्ट पर रखा जाए। सभी आवश्यक दवाओं का पूर्ण प्रबंध हो।
बचाव व राहत कार्यों के लिए प्रशिक्षण दिया जाए..
उन्होंने कहा कि नागरिक सुरक्षा दल और स्वयंसेवी संस्थाओं को बचाव और राहत कार्य के लिए प्रशिक्षण दिया जाए। लोगों को भी सही सूचनाओं के साथ सतर्क किया जाए। साथ ही इस बात का ध्यान रखा जाए कि जन सामान्य के पास हर तरह से सही और प्रमाणित सूचनाएं ही पहुंचे ताकि वो अफवाह से दूर रह सकें। साथ ही अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती की जाए। सोशल मीडिया के माध्यम से इस पर लगातार निगरानी रखी जाए।
पॉक्सो अधिनियम के तहत 91 पीड़िताओं को हर महीने 4,000 रुपये पोषण भत्ता मिलेगा..
उत्तराखंड: पॉक्सो अधिनियम के तहत शुरू की गई प्रवर्तकता नामक आर्थिक सहायता योजना में अब तक राज्य भर से 91 पीड़िताएं शामिल हो चुकी हैं। इन पीड़िताओं को महिला एवं बाल कल्याण विभाग की ओर से 18 साल की उम्र तक हर महीने चार हजार रुपये का पोषण भत्ता दिया जाएगा। यह योजना बच्चों और महिलाओं को बेहतर जीवन और आर्थिक सहायता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगी।
महिला एवं बाल कल्याण विभाग की उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी अंजना गुप्ता का कहना हैं कि पॉक्सो अधिनियम के तहत शुरू की गई आर्थिक सहायता योजना में विभिन्न जिलों में पॉक्सो मामलों की पीड़ित लड़कियों को वित्तीय सहायता दी जा रही है। यह सहायता बाल कल्याण समिति (CWC) द्वारा सत्यापित किए गए पीड़ितों को ही प्रदान की जाएगी। सत्यापन प्रक्रिया के बाद चयनित पीड़िताओं को हर महीने चार हजार रुपये का पोषण भत्ता मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। यह योजना उन लड़कियों के लिए एक सहारा बनेगी, जिन्हें गंभीर यौन शोषण का शिकार होने के बाद पुनः जीवन में संजीवनी की आवश्यकता है।
सहायता योजना का दायरा विभिन्न जिलों में तेजी से बढ़ा है, इनमें देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर के मामले सबसे ज्यादा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के तहत यौन अपराधों की पीड़िताओं को उचित देखभाल, पालन-पोषण और सुरक्षा प्रदान करना है। यह सहायता कोर्ट के आदेश पर विधिक सेवा की ओर से मिलने वाली आर्थिक सहायता से अलग है।
केदारनाथ धाम में इस साल टोकन व्यवस्था के जरिए बाबा के दर्शन से श्रद्धालु संतुष्ट..
उत्तराखंड: विगत 2 मई शुक्रवार से केदारनाथ धाम की यात्रा शुरू हो चुकी हैं, गत वर्ष की तरह इस बार भी यात्रा में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा है। बाबा केदार के दर्शनों के लिए लगने वाली भीड़ की सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर प्रशासन ने इस साल टोकन प्रणाली लागू की है। जिससे सभी यात्रियों को आसानी से बाबा के दर्शन हो रहे हैं।
देहरादून से केदारनाथ आए शुभ कुमार ने कहा कि टोकन व्यवस्था से भीड़ काबू में रही जिससे वे आसानी से दर्शन कर पाए। छत्तीसगढ़ से आई डॉ. दीपिका ने बताया कि टोकन व्यवस्था होने से उन्हें सुबह से लाइन में नहीं लगना पड़ा और निर्धारित टाइम स्लॉट पर वे आसानी से दर्शन कर पाए। गाजियाबाद और मुरादाबाद से आए श्रद्धालुओं ने भी टोकन व्यवस्था पर प्रशासन की तारीफ की।
जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे ने कहा कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन बाबा केदारनाथ के दर्शनों के देश दुनिया से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का यात्रा अनुभव सुखद एवं सुगम बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसी क्रम में मंदिर परिसर के प्रवेश से पहले ही हेलीपैड के समीप टोकन सिस्टम लगाया गया है, ताकि दर्शनों से पहले ही यात्री को उसके नंबर की जानकारी मिल जाए, इस बीच यात्री केदारपुरी घूम सकेंगे।
पैदल मार्ग पर रैन शेल्टर से राहत
इस बार प्रशासन ने गौरीकुंड से शुरु होने वाले पैदल मार्ग पर जगह जगह रैन शेल्टर बनाए हैं। जिससे यात्रियों को बारिश से राहत मिल रही है। इसी तरह केदारपुरी में श्रद्धालुओं को अब फ्री वाईफाई की सुविधा भी उपलब्ध हो गई है।
देहरादून एयरपोर्ट पर हाउस ऑफ हिमालयाज स्टोर का उद्घाटन, सीएम धामी और केंद्रीय मंत्री मौजूद..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज चौहान ने देहरादून एयरपोर्ट के चेक-इन क्षेत्र में हाउस ऑफ हिमालयाज स्टोर का उद्घाटन किया। इस स्टोर के उद्घाटन से देहरादून एयरपोर्ट पर यात्रियों को पहाड़ी इलाकों की विशेष वस्तुएं और स्थानीय उत्पाद खरीदने का मौका मिलेगा। यह स्टोर पर्यटन और स्थानीय हस्तशिल्प को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और इससे स्थानीय व्यापारियों और कारीगरों को भी लाभ होगा। उद्घाटन समारोह के दौरान दोनों नेताओं ने इस पहल को राज्य के विकास और पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए महत्वपूर्ण बताया।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून एयरपोर्ट पर हाउस ऑफ हिमालयाज स्टोर का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह कदम ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को धरातल पर उतारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस स्टोर में यात्रियों को महिला स्वयं सहायता समूहों और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला मिलेगी। इसमें हर्बल प्रोडक्ट्स, जैविक शहद, दालें, परिधान, हस्तशिल्प और पारंपरिक व्यंजन शामिल होंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि यह पहल स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए की गई है। यह स्टोर स्थानीय कारीगरों और किसानों के लिए आय का एक अच्छा स्रोत बनेगा, साथ ही यात्रियों को हिमालयी क्षेत्र की विशिष्टताओं और पारंपरिक उत्पादों का अनुभव भी मिलेगा।
केंद्रीय मंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि चारधाम यात्रा के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। जिससे चारधाम यात्रा देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए सुगम और आसान हुई है। सीएम और केंद्रीय मंत्री ने हाउस ऑफ हिमालयाज में बैठकर चाय पी। जिसके बाद सीएम देहरादून के लिए रवाना हुए। जबकि शिवराज सिंह चौहान इंडिगो की उड़ान से दिल्ली रवाना हुए। इस अवसर पर गणेश जोशी, त्रिवेंद्र सिंह रावत, कार्यकारी निदेशक दीपक चमोली, उपमहाप्रबंधक नितिन कादियान आदि उपस्थित रहे।
BKTC ने पहली बार नियुक्ति किये दो उपाध्यक्ष..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के नवनियुक्त अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने मंगलवार को अपने-अपने पदों का पदभार संभाल लिया। इस अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के कई वरिष्ठ नेता भी उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम विशेष रूप से महत्व का था, क्योंकि दोनों नए पदाधिकारियों को मंदिर समिति के संचालन और तीर्थ यात्रा की व्यवस्थाओं में अहम भूमिका निभानी है। नवनियुक्त अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने पदभार ग्रहण करते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा और मंदिर की बेहतर सेवा सुनिश्चित करने के लिए अपने कार्यों की प्राथमिकताएं साझा की। यह बदलाव तीर्थ स्थल की संचालन व्यवस्था को और बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के नवनियुक्त अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी और उपाध्यक्ष विजय कपरवाण ने मंगलवार को पदभार ग्रहण किया। पदभार ग्रहण करने से पहले दोनों ने हवन-पूजन करवाया, जो एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा था। इस खास मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे, जो इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का हिस्सा बने। बता दे कि इस बार केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर समिति में पहली बार दो उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं, जो समिति के कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेंगे। दोनों नवनियुक्त पदाधिकारी श्रद्धालुओं की सुविधा और मंदिर संचालन में सुधार के लिए अपने कार्यों को प्राथमिकता देने का संकल्प लेकर पदभार ग्रहण किए।
हेमन्त द्विवेदी (पौड़ी) को अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि ऋषि प्रसाद सती (चमोली) और विजय कपरवाण (रूद्रप्रयाग) को बद्रीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति को उपाध्यक्ष बनाया गया है। दो उपाध्यक्षों की नियुक्ति का निर्णय तीर्थ क्षेत्रों के व्यापक संचालन, बेहतर समन्वय और तीर्थयात्रियों को अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लिया है
यौन अपराध पीड़ित बच्चों को मिलेगा भावनात्मक और कानूनी सहारा, हर जिले में बनाए जा रहे सहायक पैनल..
उत्तराखंड: सरकार ने यौन अपराधों का शिकार हुए बच्चों के लिए एक सार्थक और मानवीय कदम उठाया है। अब ऐसे बच्चों को अस्पताल में इलाज से लेकर अदालत में पूरी कार्यवाही तक भावनात्मक सहायता प्रदान करने के लिए विशेष सहायक उपलब्ध कराए जाएंगे। राज्य सरकार का यह निर्णय POCSO एक्ट के तहत पीड़ित बच्चों को बेहतर संरक्षण और सहयोग देने के उद्देश्य से लिया गया है। सहायक की भूमिका होगी कि वह बच्चे के साथ मानसिक सहारा, संवाद और विश्वास का वातावरण बनाए रखे, जिससे बच्चा प्रक्रिया के दौरान असहज या भयभीत न महसूस करे। इस व्यवस्था के तहत पीड़ित बच्चों को चिकित्सा, पुलिस प्रक्रिया, न्यायिक बयान, और कोर्ट ट्रायल के दौरान एक प्रशिक्षित, सहानुभूतिपूर्ण व्यक्ति का साथ मिलेगा जो उसे भावनात्मक रूप से संभाल सके।
इसके लिए महिला एवं बाल कल्याण विभाग सभी जिलों में सहायकों का पैनल तैयार कर रहा है। विभाग के निदेशक प्रशांत आर्य का कहना हैं कि यह पहल खासकर उन बच्चों के लिए है जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं। अक्सर उनके अभिभावक अस्पताल, पुलिस और अदालत की प्रक्रिया को समझ नहीं पाते, जिससे पीड़ित को समुचित मदद नहीं मिल पाती। अब सहायक इन सभी प्रक्रियाओं में बच्चे और उसके परिवार को मार्गदर्शन और सहारा देंगे।सहायकों को इस प्रकार प्रशिक्षित किया जाएगा कि वे संवेदनशीलता के साथ बच्चे की मानसिक स्थिति को संभाल सकें, और उसे न्याय प्रणाली से डरने की बजाय उससे सहयोग करने में सहज अनुभव हो। यह पैनल बच्चों को सिर्फ भावनात्मक सहयोग ही नहीं देगा, बल्कि उनके लिए आवश्यक चिकित्सा, पुलिस रिपोर्टिंग, कानूनी बयान, और अदालत में उपस्थिति जैसी प्रक्रियाओं में भी सहायक भूमिका निभाएगा।
वह पूरी प्रक्रिया में सक्रिय नहीं रह पाते या पर्याप्त समय नहीं दे पाते। इसलिए सरकार ने पॉक्सो पीड़ित सभी बच्चों को जिले की ओर से सहायक उपलब्ध कराने का फैसला किया है, जो चिकित्सा सुविधाएं दिलाने से लेकर पुलिस जांच और फिर अदालती कार्यवाही पूरी होने तक पीड़ित बच्चे का साथ देंगे। सहायकों की नियुक्ति के लिए जनपदों में विज्ञापन निकाले जा रहे हैं।
चार चरणों में मिलेगा मानदेय..
विभाग की उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी अंजना गुप्ता का कहना हैं कि सहायक को चार चरणों में कुल 20 हजार रुपये का मानदेय दिया जाएगा। प्रथम चरण में नियुक्ति और रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर दूसरे चरण में साक्ष्य दर्ज होने पर तीसरे चरण में केस की मासिक रिपोर्ट देने पर और अंतिम चरण में अदालत का फैसला आने पर पांच-पांच हजार रुपयों का भुगतान किया जाएगा।
हर जिले में बनेगा पैनल, यह योग्यता होगी..
हर जिले में सहायकों का पैनल बनाकर अलग-अलग केसों की जिम्मेदारी दी जाएगी, हालांकि प्रत्येक सहायक एक समय में अधिकतम पांच केस का संचालन कर सकेगा। सहायकों में उन युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जो गैर-राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता हों। उनके पास सामाजिक कार्य, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान या बाल विकास में स्नातकोत्तर डिग्री हो या फिर बाल शिक्षा व विकास में तीन वर्ष के अनुभव के साथ स्नातक डिग्री हो। पैनल का चयन जनपद स्तरीय चयन समिति करेगी, जिसकी अवधि तीन साल होगी। संतोषजनक सेवा के आधार पर उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। इस कार्य को पार्ट टाइम में कर सकेंगे। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की मॉडल गाइडलाइन्स को उत्तराखंड में अपनाते हुए सहायक व्यक्तियों की नियुक्ति की जा रही है, जो पीड़ित बच्चों को कानूनी प्रक्रिया, भावनात्मक समर्थन और पुनर्वास में मदद करेंगे।
ईको टूरिज्म को मिलेगी दिशा, वार्षिक कैलेंडर और नई गतिविधियों की रूपरेखा तय..
उत्तराखंड: सरकार ने राज्य में पर्वतारोहण और ट्रेकिंग जैसी साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब इन गतिविधियों के लिए सभी आवश्यक अनुमतियों की प्रक्रिया को आसान बनाने हेतु सिंगल विंडो सिस्टम विकसित किया जाएगा। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने वन विभाग को इस नई व्यवस्था को शीघ्र लागू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली इस प्रकार तैयार की जाए कि देश और विदेश से आने वाले पर्यटक केवल एक बार आवेदन करके सभी आवश्यक मंजूरी प्राप्त कर सकें। सरकार का उद्देश्य है कि पर्वतीय पर्यटन को प्रोत्साहन मिले और उत्तराखंड को एक सुरक्षित व व्यवस्थित साहसिक पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित किया जा सके। वह शुक्रवार को सचिवालय में ईको टूरिज्म गतिविधियों को बढ़ावा देने के संबंध में अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। मुख्य सचिव ने कहा कि सभी गतिविधियों को निर्धारित समय पर शुरू किया जा सके इसके लिए वार्षिक कैलेंडर तैयार किया जाए और इसे योजनाओं के कैलेंडर के अनुसार संचालित किया जाए।
पर्यटकों की संख्या एवं राजस्व के लक्ष्यों को बड़ा रखने के निर्देश..
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रकृति से बिना छेड़छाड़ किए, फॉरेस्ट वॉकिंग और नेचर ट्रेल्स जैसी गतिविधियों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने शुक्रवार को सचिवालय में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में कहा कि छोटे-छोटे प्रयासों से भी ईको टूरिज्म को मजबूती दी जा सकती है। इसके लिए वन विभाग को कैंपिंग साइट्स की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि पर्यटक प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षित और रोमांचकारी अनुभव प्राप्त कर सकें।
मुख्य सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में ईको टूरिज्म को एक राजस्व सृजन के मजबूत स्रोत के रूप में विकसित किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को पर्यटकों की संख्या और राजस्व के लक्ष्यों को बड़ा रखने की बात कही, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सके और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी बढ़ें। राज्य सरकार के इन प्रयासों से उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों को न केवल प्राकृतिक सुंदरता का आनंद मिलेगा, बल्कि स्थानीय संस्कृति और जैवविविधता का भी अनुभव होगा।
कहा कि आने वाले समय में योजनाएं लक्ष्यों के अनुरूप बनाई जाएं। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि अलग-अलग प्रभागों में अलग-अलग संचालित हो रही पर्यटन गतिविधियों अथवा योजनाओं के लिए अलग-अलग वेबसाइट्स के बजाय एक एकीकृत वेबसाइट तैयार की जाए ताकि पर्यटकों को एक ही जगह पर सभी सभी पर्यटन गतिविधियों की संपूर्ण जानकारी मिल सके।
2000 ग्रेड-पे वाले कर्मियों को EO की कुर्सी, निकायों में नियमों की अनदेखी पर उठे सवाल..
उत्तराखंड: नगर निकायों को लेकर एक चौंकाने वाला प्रशासनिक फैसला सामने आया है, जहां संवर्ग और ग्रेड-पे के मानकों को दरकिनार करते हुए ऐसे कर्मचारियों को अधिशासी अधिकारी (EO) का जिम्मा सौंपा गया है, जो नियमों के अनुसार कभी इस पद के योग्य नहीं थे। पालिका लेखा सेवा के कर्मचारियों को भी EO का प्रभार ‘रेवड़ी’ की तरह बांट दिया गया है। यह नियुक्ति प्रक्रिया योग्यता और सेवा नियमों की पूरी तरह अनदेखी करती नजर आ रही है।
उत्तराखंड सरकार ने पिछले पांच वर्षों में 15 से अधिक नए नगर निकायों का गठन किया है। इन निकायों को काफी बड़ा बजट भी आवंटित किया गया है, लेकिन इतनी महत्वपूर्ण संस्थाओं की बागडोर प्रभारी अधिशासी अधिकारियों (EO) के हवाले कर दी गई हैं। जिनमें कई नियमित संवर्ग के बाहर से अनुभव और योग्यता से परे नियुक्त किए गए हैं। वर्तमान में 46 नगर निकाय ऐसे हैं, जहां स्थायी अधिशासी अधिकारियों की जगह प्रभारी व्यवस्था चल रही है।करोड़ों के बजट, विकास योजनाओं और संसाधनों की जिम्मेदारी ऐसे अधिकारियों को सौंप दी गई है, जिनकी नियुक्ति प्रक्रियाएं प्रशासनिक नियमों पर सवाल खड़े करती हैं। निकायों में यह प्रभारी व्यवस्था नीतिगत पारदर्शिता, वित्तीय अनुशासन और स्थानीय प्रशासनिक जवाबदेही को प्रभावित कर रही है।
नगर निकायों में प्रभारी अधिशासी अधिकारियों (EO) की नियुक्ति को लेकर अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि 2000 ग्रेड-पे वाले उन कर्मचारियों को भी EO की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो अपने पूरे सेवा काल में पदोन्नति के बाद भी इस पद तक नहीं पहुंच सकते। EO जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद जिन पर निकायों का बजट, विकास और नीतिगत फैसलों की ज़िम्मेदारी होती है, अब ऐसे कर्मचारियों को सौंपे जा रहे हैं जो संवर्गीय रूप से अयोग्य हैं। इससे न केवल सेवा नियमों की अवहेलना हो रही है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी सवाल उठ रहे हैं। प्रभारी व्यवस्था को “रेवड़ी वितरण” की तरह लागू करने पर अब अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच भ्रांतियां और असंतोष भी सामने आ रहा है।
उत्तराखंड को मिला भूमि सुधार का नया कानून, राज्यपाल ने दी विधेयकों को स्वीकृति..
उत्तराखंड: प्रदेश में सशक्त भू कानून विधेयक को आखिरकार राजभवन से मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही 9 अन्य विधेयकों पर भी राज्यपाल ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। ये सभी विधेयक फरवरी माह में विधानसभा सत्र के दौरान पारित हुए थे और अब इन पर राज्यपाल की औपचारिक स्वीकृति के बाद ये कानून बनने की प्रक्रिया में प्रवेश कर चुके हैं। यह मंजूरी राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, खासकर भू कानून के संदर्भ में, जिसे लेकर लंबे समय से जनजागरण और मांगें उठती रही हैं।
ये विधेयक हुए पारित..
उत्तराखंड निरसन विधेयक, 2025
उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन तथा विकास (संशोधन) विधेयक, 2025.
उत्तराखंड लोक सेवा (कुशल खिलाड़ियों के लिये क्षैतिज आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2025
उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025
उत्तराखंड निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025
उत्तराखंड माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025
उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959) (संशोधन) विधेयक, 2024 प्रवर समिति द्वारा मूलरूप में यथासंस्तुत