दून विश्वविद्यालय में शुरू होगा हिंदू अध्ययन का एमए कोर्स..
उत्तराखंड: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय के बाद अब जल्द ही उत्तराखंड के दून विश्वविद्यालय में हिंदू स्टडीज का कोर्स संचालित किया जाएगा। जिस दिशा में दून विश्वविद्यालय ने तैयारियां तेज कर दी है। संभावना जताई जा रही है कि इसी साल 2025 में शुरू होने वाले नए शैक्षिक सत्र से ही हिंदू स्टडीज का मास्टर कोर्स संचालित कर दिया जाएगा। इसके लिए बाकायदा एक अलग से हिंदू स्टडीज विभाग भी बनाया जा रहा है। इसके साथ ही दून विश्वविद्यालय, बीएचयू और डीयू में संचालित कर रहे हिंदू स्टडीज प्रोग्राम के फैकल्टी से सिलेबस तैयार कराएगा।
दून विश्वविद्यालय में हिंदू स्टडीज कोर्स शुरू किए जाने की तैयारियां जोरों शोरों पर चल रही है। हिंदू स्टडीज कोर्स की खास बात ये है कि छात्रों को हिंदू धर्म के साथ पुरातन विद्या-विज्ञान, धर्म-विज्ञान, हिंदू धर्म शास्त्र, प्राचीन परंपरा की जानकारी दी जाएगी। बता दे कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने सबसे पहले हिंदू अध्ययन में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के लिए एक सिलेबस जारी किया था। इसके बाद बीएचयू और डीयू ने हिंदू स्टडीज की ओर अपने कदम बढ़ाए। साथ ही कोर्स का संचालन भी शुरू किया। वहीं अब दून विश्वविद्यालय ने भी हिंदू स्टडीज कोर्स संचालित करने की तैयारियों में जुटा हुआ है।
हिंदू स्टडीज कोर्स में छात्र छात्राओं को क्या पढ़ाया जाएगा, इसको लेकर लोगों में तमाम की जिज्ञासाएं हैं। लेकिन दून विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार हिंदू स्टडीज कोर्स में बच्चों को रामायण, महाभारत, वेद, वेदांत, वेदांग, ज्ञान मीमांसा, भाषा विज्ञान, कालिदास, तुलसीदास, आर्य समाज, बुद्ध, जैन, स्वामी विवेकानंद के जीवन से परिचय कराया जाएगा। साथ ही इनके सिद्धांतों के बारे में भी बच्चों को शिक्षा दी जाएगी। इसके साथ ही हिंदू साहित्य, भूगोल, प्राचीन सैन्य विज्ञान, हिंदू केमिस्ट्री, स्थापत्य कला, पुरातत्व, कला, शास्त्रीय संगीत और नाटक की विधाएं भी बताई जाएगी।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल का कहना हैं कि उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने ये तय किया था कि दून यूनिवर्सिटी में हिंदू स्टडीज का एक डिपार्टमेंट खोला जाएगा। ऐसे में जुलाई महीने से शुरू हो रहे आगामी शैक्षिक सत्र 2025-26 से मास्टर्स इन हिंदू स्टडीज का कोर्स शुरू किया जाएगा। हालांकि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में साल 2021 में सबसे पहले एमए हिंदू स्टडीज का कोर्स शुरू किया गया था। इसके बाद साल 2023 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिंदू स्टडीज के लिए पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी का प्रोग्राम शुरू किया गया था। ऐसे में बीएचयू और डीयू में हिंदू स्टडीज का कोर्स चला रहे लोगों से बातचीत चल रही है।
डंगवाल का कहना कि दून यूनिवर्सिटी में हिंदू स्टडी के लिए सिलेबस तैयार किया जाना है, जिसके लिए जल्द ही सिलेबस फाइनल कमेटी गठित कर ली जाएगी। जिसमें बीएचयू और डीयू के लोगों को भी बुलाया जाएगा, जो हिंदू स्टडीज का सिलेबस तैयार करेंगे। साथ ही कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत हिंदू स्टडीज विभाग इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि एनईपी में भाषा और भारतीय ज्ञान परंपरा पर जोर दिया गया है। लेकिन अभी तक भारतीय ज्ञान परंपरा को कोई भी विश्वविद्यालय बेहतर ढंग और विस्तृत रूप से पढ़ा नहीं पा रहा है। जबकि यूजीसी ने नेट एग्जाम में भी हिंदू स्टडीज विषय को शुरू किया है।
ऐसे में अब हिंदू स्टडीज के लिए जो टीचर मिलेंगे वो भी काफी क्वालीफाइड होंगे। साथ ही दून के पूरे कैंपस में जो भारतीय ज्ञान परंपरा का कंपोनेंट (भौतिक और रसायन विज्ञान) है, उसको एक करके इसकी जानकारी हिंदू स्टडीज विभाग को दी जा सकती है। साथ ही कहा कि जल्द भी हिंदू स्टडीज का सिलेबस भी फाइनल कर लिया जाएगा। हाल ही में राज्य सरकार ने हिंदू स्टडीज विभाग में पोस्ट के लिए पत्र भी भेजा था, जिसके तहत विभाग में पोस्ट का खाका तैयार कर लिया गया है। ऐसे में अगले सत्र के बाद हिंदू स्टडीज विभाग में परमानेंट टीचिंग फैकल्टी पढ़ाएगी। फिलहाल 20 सीटों के साथ एमए इन हिंदू स्टडीज को शुरू किया जा रहा है। जिसको जरूरत के अनुसार बढ़ाया जा सकता है।
मेडिकल कॉलेजों में पर्चे की नई दरें लागू, ओपीडी और वार्ड चार्ज भी बदले..
उत्तराखंड: प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में जांच-पर्चे, इलाज की नई दरें लागू हो गई हैं। सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार ने नई दरों का शासनादेश जारी किया। अब ओपीडी का पर्चा 20 और आईपीडी का 50 रुपये में बनेगा। आगामी तीन साल तक इन दरों में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।देहरादून, श्रीनगर, हल्द्वानी, अल्मोड़ा व हरिद्वार में राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल संचालित हैं। निर्माणाधीन राजकीय मेडिकल कॉलेज रुद्रपुर व पिथौरागढ़ के संबद्ध चिकित्सालय भी संचालित हैं। सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में जांच, पर्चे आदि की एकसमान दरें निर्धारित कर दी गई हैं। अभी तक सभी मेडिकल कॉलेजों में यूजर चार्ज की दरें अलग-अलग थीं।
सचिव स्वास्थ्य का कहना हैं कि नई दरें तीन साल तक लागू रहेगी। उसके बाद दरों की समीक्षा कर नई दरों का निर्धारण किया जाएगा। जांच, पर्चे आदि के शुल्क से प्राप्त धनराशि मेडिकल कॉलेजों की जन सुविधाओं पर खर्च किया जाएगा।
रेडियोलॉजिस्ट व पैथोलॉजी जांच सीजीएचएस दरों पर..
राजकीय मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई, डायलिसिस की दरें केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) दरों के समान होंगी।
UCC में सैनिकों की वसीयत के लिए किया गया विशेष प्रावधान..
उत्तराखंड: धामी सरकार ने सोमवार को प्रदेश में UCC (UNIFORM CIVIL CODE) लागू कर दिया हैं। जिसके बाद उत्तराखंड UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। राज्य सरकार के अबुसार UCC व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। साथ ही शादी, तलाक, उत्तराधिकार (वसीयत) और लिव-इन रिलेशनशिप से संबंधित कानूनों को नियंत्रित करता है।
सेना में राज्य के युवाओं के बलिदान और उनके योगदान के मद्देनजर UCC के तहत अधिनियम “विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत” को विशेष महत्व दिया गया है।जिसके अनुसार सक्रिय सेवा (एक्टिव सर्विस) या तैनाती (Deployment) पर सैनिक, वायु सेना के कर्मी या मरीन (Marines) सरल और लचीले नियमों के तहत वसीयत तैयार कर सकते हैं।
वसीयत- हस्तलिखित हो सकती है
मौखिक रूप से लिखवाई गई हो सकती है
गवाहों के सामने शब्दशः प्रस्तुत की गई हो सकती है
इस सुव्यवस्थित प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कठिन और उच्च जोखिम वाली स्थितियों में तैनात लोग भी अधिनियम के अनुसार अपनी संपत्ति की इच्छाओं को प्रभावी ढंग से रजिस्टर्ड करा सकें। अगर कोई सैनिक अपने हाथ से वसीयत लिखता है, तो हस्ताक्षर या सत्यापन की औपचारिकताओं की जरूरत नहीं होती है। बशर्ते यह स्पष्ट हो कि दस्तावेज़ उसके अपने शब्दों में तैयार किया गया था।
वसीयत लिखने के लिए लिखित निर्देश..
अगर सैनिक ने वसीयत लिखने के लिए लिखित निर्देश दिए थे, लेकिन इसे अंतिम रूप दिए जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई, तो उन निर्देशों को अभी भी वसीयत माना जाएगा, बशर्ते यह साबित हो जाए कि वे उसकी इच्छाएं थी। जरूरी बात ये है कि एक विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत (Privileged will) को सैनिक भविष्य में रद्द या संशोधित भी कर सकते हैं। इसे रद्द कर वो एक नई विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत या साधारण वसीयत बना सकते हैं।
राष्ट्रीय खेल- लम्बे इंतजार के बाद खिलाड़ी चमकने को तैयार, हर किसी की निगाहें टिकीं..
उत्तराखंड: छह साल के इंतजार के बाद 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड के खिलाड़ी जलवा बिखेरने को तैयार हैं। खेलों के उद्घाटन पर दूसरे राज्यों से आने वाले खिलाड़ियों का भव्य स्वागत किया जाएगा। उत्तराखंड की नजर खास तौर पर अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर रहेगी, जिसमें विश्व चैंपियनशिप में कांस्य और यूथ ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले ओलंपियन लक्ष्य सेन, अंकिता ध्यानी, सूरज पंवार, परमजीत सिंह शामिल हैं।
बता दे कि उत्तराखंड को 2018 में 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेज़बानी करनी थी। राज्य को 2014 में ही आयोजन स्थल आवंटित कर दिया गया था, लेकिन विभिन्न कारणों से खेल स्थगित होते रहे। उस दौरान भारतीय ओलंपिक संघ ने 34 खेल विधाओं का प्रस्ताव रखा था। खेलों के आयोजन के लिए दो मुख्य और छह सैटेलाइट स्थलों का चयन किया गया था। इसमें देहरादून और हल्द्वानी को मुख्य स्थल के रूप में चुना गया था और हरिद्वार, ऋषिकेश, गूलरभोज, रुद्रपुर, नैनीताल और पिथौरागढ़ को सैटेलाइट स्थल के रूप में चुना गया था।
तब खेल अवस्थापना सुविधाओं का नहीं हुआ विकास..
उत्तराखंड को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलने के बावजूद खेलों का आयोजन न होने की एक वजह तब खेल अवस्थापना सुविधाओं का विकास न हो पाना भी रहा है। वहीं, खेल संघों के बीच समन्वय की कमी के चलते भी इसमें देरी हुई है। राष्ट्रीय खेलों में राज्य के खिलाड़ी छा जाने को तैयार हैं। बॉक्सिंग, बैडमिंटन, कैनोइंग एवं कयाकिंग, वुशु सहित कई प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग के लिए राज्य के खिलाड़ी पिछले काफी समय से अभ्यास कर रहे हैं। राष्ट्रीय खेलों में टेबल टेनिस में 136, फेंसिंग में 264, रेसलिंग में 288, मलखंब में 192, हैंडबॉल में 416, कबड्डी में 288, वॉलीबाल में 256, बास्केटबॉल में 256 सहित विभिन्न प्रतियोगिताओं में कई खिलाड़ी प्रतिभाग करेंगे।
उत्तराखंड के इस जिले में जल्द स्थापित होगी एयरोस्पेस लैब, पीएमओ से मिली मदद..
उत्तराखंड: सीमांत जिले चमोली में अंतरिक्ष शिक्षा विकास के लिए जल्द ही एयरोस्पेस लैब की स्थापना होने जा रही है। जिलाधिकारी संदीप तिवारी की पहल पर एयरोस्पेस लैब की स्थापना के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। अंतरिक्ष प्रयोगशाला की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत उप सचिव मंगेश घिल्डियाल ने जिलाधिकारी चमोली को बोइंग एयरोस्पेस से समन्वय स्थापित किया है। यह प्रयोगशाला युवाओं को अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने में मदद करेगी।
प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत उप सचिव मंगेश घिल्डियाल इससे पहले चमोली जिले के मुख्य विकास अधिकारी और टिहरी व रुद्रप्रयाग जिले में जिलाधिकारी के पद पर काम कर चुके हैं। पहाड़ी जिलों में किए गए विकास कार्यों के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। आईएएस मंगेश घिल्डियाल जब टिहरी के जिलाधिकारी थे, तब चमोली के मौजूदा जिलाधिकारी संदीप तिवारी उनके साथ टिहरी में एसडीएम के पद पर कार्यरत थे।
जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने 76 वें गणतंत्र दिवस समारोह में अपने संबोधन में उप सचिव मंगेश घिल्डियाल का जिक्र करते हुए कहा कि आज भी उनका अपने कनिष्ठ अधिकारियों को मार्गदर्शन और सहयोग मिलता रहता है। उनके सहयोग और मार्गदर्शन से ही आज सीमांत जनपद चमोली में अंतरिक्ष प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए बोइंग एयरोस्पेस के साथ समन्वय किया गया है। इसके लिए जिलाधिकारी ने उप सचिव का आभार भी व्यक्त किया। जिलाधिकारी का कहना हैं कि अंतरिक्ष प्रयोगशाला खुलने से युवा शिक्षार्थियों को अंतरिक्ष के चमत्कारों और रहस्यों का पता लगाने का मार्ग प्रशस्त होगा। अंतरिक्ष विज्ञान से परिचित होने पर अंतरिक्ष अन्वेषण क्षेत्र में देश की प्रगति में तेजी आएगी।
उत्तराखंड की 52 बालिकाएं बन रही है ‘ड्रोन दीदी’- रेखा आर्या..
उत्तराखंड: प्रदेश के दूरदराज इलाकों से आने वाली 52 बालिकाएं ड्रोन दीदी बनने जा रही हैं। युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल निदेशालय में वंचित वर्ग की इन लड़कियों के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर चल रहा है। शिविर में उन्हें ड्रोन चलाने, उसे जोड़ने, अलग करने और मरम्मत करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने शिविर का निरीक्षण भी किया।
मंत्री आर्य का कहना हैं कि इन लड़कियों का चयन चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चंपावत समेत राज्य के सभी जिलों से किया गया है। कैंप का उद्देश्य इन लड़कियों को हुनरमंद बनाना है, ताकि वे अपना करियर संवार सकें। कैंप में कुल 52 इंटर पास लड़कियां हिस्सा ले रही हैं। इनका प्रशिक्षण 12 फरवरी को पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह आवासीय कैंप है और लड़कियों से रहने-खाने का कोई शुल्क नहीं लिया गया है।
पांच लड़कियों को फ्री ड्रोन गिफ्ट होगा
मंत्री आर्या का कहना हैं कि शिविर में बेहतर प्रदर्शन करने वाली पांच लड़कियों को ड्रोन फ्री में गिफ्ट किया जाएगा। उन्होंने शिविर में हिस्सा ले रही लड़कियों को किट वितरण भी किया। इस दौरान विशेष खेल सचिव अमित सिन्हा समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
प्रयागराज महाकुंभ में उत्तराखंड पवेलियन है खास, मन मोह लेंगी प्रतिकृतियां..
उत्तराखंड: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर 144 सालों बाद महाकुंभ का आयोजन हो रहा हैं। बीती 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित हो रहे इस महाकुंभ में उत्तराखंड पवेलियन स्थापित की गई है। प्रयागराज में उत्तराखंड पवेलियन स्थापित होने पर सीएम धामी का कहना है कि ने यह मात्र एक मेले का आयोजन न होकर भारत और विश्व की तमाम संस्कृतियों के मिलन का उत्सव है, जिसमें देश और विदेश के तीर्थ यात्री अपने आध्यात्मिक शुद्धि के लिए एकत्रित होते हैं।
सीएम धामी के निर्देश पर उत्तराखंड पवेलियन में राज्य के तीर्थयात्रियों को आवासीय सुविधा और स्थानीय भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। साथ ही टेंट सिटी का भी निर्माण किया गया है। उत्तराखंड पवेलियन में रोजाना 10 से 15 हजार तीर्थयात्री भ्रमण कर रहे हैं। तीर्थ यात्रियों के बीच देवभूमि उत्तराखंड के दिव्य मंदिरों के दर्शन और फोटोग्राफी के साथ ही पारंपरिक उत्पादों के स्टॉल, समृद्ध लोक संस्कृति की प्रस्तुति सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए दी जा रही है।
सीएम धामी का मानना है कि साल 2026 में हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ मेले के आयोजन व्यवस्थाओं के लिए भी इससे मदद मिलेगी। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को उत्तराखंड पवेलियन से संबंधित जानकारी उपलब्ध होगी। वहीं आयुक्त एवं महानिदेशक उद्योग प्रतीक जैन का कहना हैं कि सीएम पुष्कर धामी के निर्देश पर मंडपम में देवभूमि स्वरूप के साथ ही कला संस्कृति और विशिष्ट उत्पादों का प्रदर्शन किया जा रहा है। साथ ही बिक्री की भी व्यवस्था की गई है। इसके तहत उत्तराखंड का अंतरराष्ट्रीय ब्रांड ‘हाउस ऑफ हिमालया’, उत्तराखंड का हथकरघा एवं हस्तशिल्प ब्रांड ‘हिमाद्री’, राज्य के खादी एवं बांस समेत अन्य फाइबर उत्पाद, राज्य के पर्यटन स्थलों और आयुर्वेदिक एवं योग चिकित्सा को प्रदर्शित किया गया है। मंडपम में संस्कृति विभाग की ओर से कला और संस्कृति से जुड़ी सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाता है।
मन मोह लेंगी प्रतिकृतियां
उत्तराखंड मंडपम में प्रवेश द्वार के रूप में केदारनाथ द्वार और निकास द्वार के रूप में बद्रीनाथ द्वार निर्मित किया गया है। मंडपम के अंदर प्रवेश करने पर चारधाम यानी यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की दिव्य एवं भव्य प्रतिकृतियों के दर्शन होते हैं. इसके साथ ही हरकी पैड़ी, हरिद्वार और गंगा की अविरल धारा के भी दर्शन होते हैं। मंडपम में दूसरी ओर शीतकालीन चारधाम और मानसखंड मंदिर माला के तहत जागेश्वर धाम, गोल्ज्यू देवता के साथ ही नीम करौली बाबा की प्रतिकृतियों को प्रदर्शित किया गया है।
कहां पर स्थित है उत्तराखंड पवेलियन
वहीं आयुक्त एवं महानिदेशक उद्योग ने कहा कि उद्योग विभाग की ओर से प्रयागराज महाकुंभ क्षेत्र के सेक्टर 7, कैलाशपुरी मार्ग पर 40,000 वर्ग फीट क्षेत्रफल में भव्य उत्तराखंड पवेलियन स्थापित किया गया है। यह पवेलियन सिविल लाइन प्रयागराज बस स्टैंड से 6 किमी, प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन से 8 किमी और प्रयागराज एयरपोर्ट से मात्र 15 किमी की दूरी पर स्थापित है। पवेलियन से नजदीकी गंगा घाट मात्र 800 मीटर दूरी और पवित्र संगम से करीब 5 किमी की दूरी पर स्थित है।
राष्ट्रीय खेल के लिए आईओसी देगा उत्तराखंड को स्पाॅन्सरशिप..
उत्तराखंड: 38 वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी कर रहे उत्तराखंड के लिए एक अच्छी खबर आई है। उत्तराखंड को इंडियन ऑयल काॅरपोरेशन (IOC) का साथ मिला है। आईओसी इस आयोजन के लिए उत्तराखंड को स्पाॅन्सरशिप देगा। प्रारंभिक सहमति की सूचना उत्तराखंड को आधिकारिक रूप से मिल गई है। इसके बाद उत्तराखंड ने आईओसी को राष्ट्रीय खेलों का ब्राॅन्ज स्पाॅन्सर बना दिया है। आयोजन के प्रचार-प्रसार में अब आईओसी भी नजर आएगा।
काॅर्पोरेट सोशल रिस्पाॅन्सिबिलिटी (सीएसआर) मद में आईओसी जल्द ही यह तय करेगा कि इस आयोजन के लिए उसकी स्पाॅन्सरशिप का आकार क्या होगा। 28 जनवरी को जिस दिन राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन हो रहा है, उसी दिन आईओसी की बोर्ड बैठक भी प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि इस बैठक में ही स्पाॅन्सरशिप के आकार पर निर्णय ले लिया जाएगा। बहरहाल आईओसी ने स्पाॅन्सरशिप के लिए प्रारंभिक सहमति दे दी है। राष्ट्रीय खेलों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमित सिन्हा के अनुसार आईओसी का स्पाॅन्सरशिप के संबंध में आधिकारिक मेल प्राप्त हुआ है। इसके बाद आईओसी अब राष्ट्रीय खेलों का ब्राॅन्ज स्पाॅन्सर होगा।
सीएम धामी की पैरवी से बनी बात..
राष्ट्रीय खेलों के लिए स्पाॅन्सरशिप जुटाने के मामले में सीएम पुष्कर सिंह धामी मोर्चे पर खुद जुटे। केंद्र सरकार में मजबूत पैरवी की, तो बात बन गई। बता दे कि कुछ दिन पहले अपने दिल्ली प्रवास के दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी से मुलाकात की थी। उन्होंने पुरी को राष्ट्रीय खेलों के लिए आमंत्रित किया था। साथ ही आईओसी व ओएनजीसीसी से सीएसआर में स्पाॅन्सरशिप दिलवाने का अनुरोध किया था। इस पर मंत्री ने हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया था। सीएम धामी ने केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रति आभार प्रकट किया है।
क्या होता है इवेंट में ब्राॅन्ज स्पाॅन्सर..
बता दे कि किसी बडे़ इवेंट या कार्यक्रम में प्रायोजक से मिलने वाली स्पाॅन्सरशिप की राशि के हिसाब से उसकी श्रेणी तय की जाती है। आईओसी के स्तर पर राष्ट्रीय खेलों में हमेशा स्पाॅन्सरशिप दी जाती रही है। राष्ट्रीय खेल सचिवालय से जुडे़ अधिकारी प्रतीक जोशी के अनुसार-पिछले अनुभवों का अध्ययन करने के बाद आईओसी को ब्राॅन्ज कैटेगरी में स्पाॅन्सर बनाने का निर्णय लिया गया है। इस कैटेगरी के हिसाब से ही राष्ट्रीय खेलों के प्रचार-प्रसार में आईओसी नजर आएगा।
पदक विजेता खिलाड़ी अपने नाम लगाएंगे पौध, 38वें राष्ट्रीय खेल आयोजन की खास पहल..
उत्तराखंड: 38वें राष्ट्रीय खेलों की यादों को संजोने और पदक विजेताओं के लिए वन पार्क विकसित किया जाएगा। जिसमें राष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने वाले हर खिलाड़ी के नाम पर एक पेड़ लगाया जाएगा। वन पार्क में 10 हजार से ज्यादा पेड़ लगाने की योजना है। खेल मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि राष्ट्रीय खेलों को ग्रीन गेम्स के तौर पर ऐतिहासिक बनाने के लिए कई नई पहल की गई हैं। सभी खेल स्पर्धाओं में कुल करीब 4350 पदक दिए जाने हैं, इसलिए योजना बनाई गई है कि पदक विजेताओं के नाम पर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएं, ताकि वे भविष्य में उन यादों को संजोने के लिए उत्तराखंड आते रहें। इसके साथ ही खेलों में आने वाले अन्य मेहमानों के नाम पर भी पेड़ लगाए जाएंगे, इस तरह करीब 10 हजार पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
खेल मंत्री का कहना हैं कि पटाखों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए खेलों के दौरान केवल प्रमाणित ग्रीन पटाखों का ही उपयोग किया जाएगा। आयोजन की सजावट के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कलाकृतियां और सेल्फी प्वाइंट ई-वेस्ट और खेल उपकरणों के वेस्ट से बनाए जा रहे हैं। खेल मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि अधिकांश खेल स्थलों पर सौर ऊर्जा से चलने वाले हीटिंग स्ट्रक्चर का उपयोग किया जाएगा, जिससे गैर-नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भरता कम होगी। खिलाड़ियों को दिए जाने वाले मेडल और प्रमाण पत्र भी इको-फ्रेंडली और बायोडिग्रेडेबल मटीरियल से बनाए गए हैं। ट्रॉफी के निर्माण में ई-वेस्ट और लकड़ी के कचरे का उपयोग किया गया है। खेलों की ब्रांडिंग में प्लास्टिक की जगह कपड़े का उपयोग किया जाएगा, ताकि प्लास्टिक कचरे को कम किया जा सके।
खिलाड़ियों और अधिकारियों को खेल स्थलों तक पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल किया जाएगा। राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में दो मेगावाट क्षमता के सोलर रूफटॉप भी लगाए गए हैं जो खेल स्थल को ऊर्जा प्रदान करेंगे। यह आयोजन न केवल खेल प्रतिभाओं का उत्सव होगा बल्कि पर्यावरणीय जिम्मेदारी और स्थिरता का प्रतीक भी बनेगा। उत्तराखंड अपने “संकल्प से शिखर तक” के संदेश के साथ दुनिया को यह दिखाने के लिए तैयार है कि खेलों के माध्यम से एक टिकाऊ भविष्य हासिल किया जा सकता है।
उत्तराखंड में 10 लाख महिलाएं बनेंगी ‘आपदा सखी’..
राहत और बचाव कार्यों में होगी अहम भूमिका..
उत्तराखंड: मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में 65 हजार से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 10 लाख से अधिक महिलाओं को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए हैं। इन प्रशिक्षित महिलाओं को आपदा सखी नाम देते हुए आपदा के समय गांव और तहसील स्तर पर राहत एवं बचाव कार्यों में लेने के निर्देश दिए गए हैं। इसी तरह सैनिक कल्याण विभाग से सभी जिलों में रहने वाले भूतपूर्व सैनिकों की जानकारी और डेटा लेकर उन्हें आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देने और आपदा के समय स्थानीय स्तर पर उनकी मदद लेने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य सचिव ने सचिवालय में राज्य में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सेंडाई (जापान) फ्रेमवर्क के क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने आपदा प्रबंधन विभाग को आपदा प्रभावित क्षेत्रों व गांवों में जोखिम आंकलन के लिए मास्टर ट्रेनरों के प्रशिक्षण कार्यक्रम तत्काल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आपदा जोखिम न्यूनीकरण में बीमा योजना की कार्ययोजना बनाने में ढिलाई पर नाराजगी जताई। उन्होंने स्पष्ट किया कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य उत्तराखंड में बीमा योजना लोगों को विशेषकर जरूरतमंदों को बड़ी मदद कर सकती है। उन्होंने विभाग को इस विषय पर गंभीरता से विचार कर प्रभावी पहल करने के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड केन्द्रित आपदा प्रबंधन माॅडल तैयार करें..
मुख्य सचिव ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अन्य देशों व राज्यों के मॉडल को अपनाने के बजाय उत्तराखंड की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य केंद्रित आपदा प्रबंधन मॉडल तैयार करने को कहा है। उनका कहना हैं कि आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अन्य देशों व राज्यों के मॉडल को अपनाने के बजाय उत्तराखंड की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य आधारित आपदा प्रबंधन मॉडल तैयार किया जाए। आपदाओं से निपटने व बचाव के लिए उत्तराखंड फ्रेमवर्क तैयार करते समय आपदा प्रबंधन विभाग को इसमें एनजीओ, सिविल सोसायटी, सामाजिक संगठनों व निजी विशेषज्ञों के सुझावों को भी शामिल करने के निर्देश दिए।
पाठयक्रम में आपदा प्रबंधन को शामिल करने के निर्देश..
मुख्य सचिव ने प्राथमिक विद्यालय स्तर से ही विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन को शामिल करने के निर्देश दिए हैं। राज्य में भारी निर्माण कार्यों पर चिंता जताई। मुख्य सचिव ने उच्च आपदा जोखिम के मद्देनजर चिह्नित गांवों में पुनर्वास योजना की स्थिति स्पष्ट करने को कहा। इसके साथ ही राज्य में हर साल आपदा से मरने वालों की संख्या की जानकारी मांगी गई। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि इस वर्ष 20 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है। मुख्य सचिव ने सभी गांवों का आपदा जोखिम आकलन करने के निर्देश जिलाधिकारियों को दिए हैं।
मुख्य सचिव ने पंचायती राज विभाग को जीपीडीपी प्लान में गांवों का आपदा जोखिम आकलन शामिल करने के निर्देश दिए हैं। राज्य में आपदाओं के तहत सड़क हादसों में होने वाली सर्वाधिक मौतों पर चिंता व्यक्त की गई। उन्होंने क्रश बैरियर विशेषकर बांस के क्रश बैरियर लगाने जैसे इनोवेटिव प्रयासों को अपनाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव का कहना हैं कि उत्तराखंड ऐसा पहला राज्य है जहां पर राज्य, जिला, तहसील, पंचायत स्तर पर आईआरएस प्रणाली सक्रिय होने जा रही है। बैठक में गृह, सिंचाई, वन आदि विभाग के अधिकारी मौजूद थे।