सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने किया उद्घाटन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्वरोजगार को मिलेगी नई दिशा
देहरादून। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के उपलक्ष्य में देहरादून स्थित भारतीय वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) में दो दिवसीय कार्यशाला ‘सहकार मंथन-2025’ का भव्य शुभारंभ मंगलवार को हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तराखंड सरकार के सहकारिता, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने किया। कार्यशाला का उद्देश्य सहकारिता क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
उद्घाटन भाषण में डॉ. रावत ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। उन्होंने केंद्र सरकार के मार्गदर्शन और सहकारिता मंत्रालय की स्थापना को मील का पत्थर बताते हुए कहा कि इससे राज्यों को नई दिशा और ऊर्जा मिली है।
डॉ. रावत ने बताया कि प्रत्येक 300–400 की ग्रामीण आबादी या दो–तीन गांवों के समूह के लिए बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियां गठित की जाएंगी ताकि 670 मौजूदा एम-पैक्स को और अधिक सशक्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह मंथन केवल भाषणों तक सीमित न रहकर धरातल पर परिणाम देने वाला होना चाहिए।
उत्तराखंड सहकारिता की उपलब्धियां और योजनाएं
डॉ. रावत ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने 2017 से सहकारी बैंकों में आईबीपीएस के माध्यम से पारदर्शी और मेरिट आधारित भर्तियां शुरू कीं, जिसका अनुसरण अब छह अन्य राज्य कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हो रही है और कई राज्य इसे अपनाने की प्रक्रिया में हैं।
कार्यशाला में सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण, ऋण वितरण में सुधार, ग्रामीण उत्पादों के बेहतर विपणन और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ जैसे अभियानों पर भी चर्चा हुई। नर्सरियों के जरिये हरित उत्तराखंड बनाने पर जोर दिया गया।
विशेष प्रतिभागिता और तकनीकी सत्र
कार्यशाला में सहकारिता सचिव डॉ. वीबीआरसी पुरुषोत्तम, निबंधक डॉ. मेहरबान बिष्ट, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक पंकज तिवारी, प्रो. अरुण त्यागी, श्रीमती ईरा उप्रेती, आनंद शुक्ल और कई अन्य विशेषज्ञों ने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन मंगला त्रिपाठी ने किया।
SDRF ने किया शव बरामद
बागेश्वर। सामा-मुनस्यारी मार्ग पर मंगलवार सुबह एक दर्दनाक हादसे में 20 वर्षीय युवक की जान चली गई। जिला नियंत्रण कक्ष बागेश्वर से मिली सूचना के अनुसार, हरियाणा के पानीपत जिले के महेंद्रगढ़ निवासी यश शर्मा, जो वर्तमान में क्षेत्रीय डाकघर में पोस्टमास्टर के पद पर कार्यरत था, डाक लेकर साइकिल से जा रहा था। इसी दौरान अचानक एक जंगली भालू ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया।
भालू को देखकर घबराए यश की साइकिल अनियंत्रित हो गई और वह गहरी खाई में जा गिरा। SDRF टीम पोस्ट कपकोट से उप निरीक्षक राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में तत्काल रेस्क्यू उपकरणों के साथ मौके के लिए रवाना हुई।
घटना स्थल पर पहुंची टीम को जानकारी मिली कि गिरने के बाद युवक पर भालू ने हमला कर दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। SDRF जवानों ने खाई में उतरकर शव को स्ट्रेचर की मदद से मुख्य मार्ग तक लाया और उसे जिला पुलिस को आवश्यक कार्रवाई हेतु सुपुर्द किया।
घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल है। स्थानीय प्रशासन ने वन विभाग को क्षेत्र में गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
ऋषिकेश में मौनपालन कार्यालय का उद्घाटन, मंत्री गणेश जोशी ने बढ़ाया किसानों का हौसला
ऋषिकेश। कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने ऋषिकेश स्थित हनुमंतपुरम गंगा नगर में प्रदेशीय मौनपालन परिषद के उपाध्यक्ष गिरीश डोभाल के कार्यालय का विधिवत उद्घाटन किया। इस दौरान मंत्री गणेश जोशी ने राज्यमंत्री गिरीश डोभाल को बधाई दी और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया। उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम‘ अभियान के तहत एक फलदार पौधे का रोपण भी किया।
इस अवसर पर कृषि मंत्री गणेश जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि मौनपालन किसानों के लिए आय बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम बन रहा है। शहद और इसके सह-उत्पादों से जहां कास्तकारों को अतिरिक्त आमदनी हो रही है, वहीं पर-परागण के माध्यम से बागवानी फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से मौनपालन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उत्तराखंड का 65 प्रतिशत से अधिक भूभाग वनाच्छादित होने के कारण यहां मौनपालन की अपार संभावनाएं हैं। यह केवल शहद उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कृषि उत्पादकता को भी बढ़ाता है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करता है। इस दौरान मंत्री गणेश जोशी ने केंद्रीय मंत्री द्वारा प्रदेश की कृषि संबंधी योजनाओं हेतु लगभग रुपये 3,800 करोड़ की सैद्धांतिक सहमति प्रदान करने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार प्रकट किया।
कृषि मंत्री ने कहा कि वर्तमान में उत्तराखंड में लगभग 8000 मधुमक्खी पालक, 95000 कॉलोनियों का संचालन कर रहे हैं, जिससे 1900 टन वार्षिक शहद उत्पादन हो रहा है। बद्रीनाथ के वन तुलसी के शहद की अधिक डिमांड बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि शहद उत्पादन में उत्तराखंड का देश में 9वां स्थान है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशनके अंतर्गत वैज्ञानिक पद्धतियों से मौनपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को सब्सिडी पर बी-बॉक्स और उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं, और प्रशिक्षण शिविरों में महिलाओं व लघु कृषकों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि मौनपालन को डिजीटल प्लेटफार्म पर ले जाकर इसकी सम्पूर्ण जानकारी एकत्रित करने जैसे कार्यो पर भी भविष्य में जोर दिया जाऐगा।
कार्यक्रम के दौरान पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं ऋषिकेश विधायक प्रेमचंद्र अग्रवाल, मेयर शंभु पासवान, राज्यमंत्री गिरीश डोभाल, निदेशक बागवानी मिशन महेंद्र पाल, संयुक्त निदेशक डॉ रतन कुमार, पूर्व जिलाध्यक्ष रविन्द्र राणा, बृजेश शर्मा, मंडल अध्यक्ष मनोज ध्यानी, मोनू शर्मा, पंकज गुप्ता, सुमित पंवार सहित कई लोग उपस्थित रहे।
उत्तराखण्ड की पारंपरिक धरोहर और जैविक उत्पादों को राष्ट्रीय राजधानी में मिला नया मंच
देहरादून/ नई दिल्ली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड निवास परिसर में ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ के आउटलेट का उद्घाटन किया। यह आउटलेट उत्तराखण्ड की पारंपरिक धरोहर और जैविक उत्पादों को राष्ट्रीय राजधानी में संगठित रूप में प्रस्तुत करने का एक सशक्त माध्यम बनेगा। इसके माध्यम से न केवल राज्य की समृद्ध लोकसंस्कृति को देश के सामने लाया जाएगा, बल्कि स्थानीय उत्पादों को नए बाजार भी प्राप्त होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल राज्य सरकार की उस दूरदृष्टि का परिणाम है, जिसका उद्देश्य पर्वतीय अंचलों में उत्पादित प्राकृतिक और हस्तनिर्मित वस्तुओं को वैश्विक पहचान दिलाना है। यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा और साथ ही स्थानीय कारीगरों व शिल्पकारों को नए अवसर प्रदान करेगा।
चारधाम यात्रा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा स्थानीय उत्पादों की ब्रिकी को बढ़ावा देने हेतु 13 से अधिक प्रमुख स्थानों पर आकर्षक फ्लोर स्टैंडिंग यूनिट्स और रिटेल कार्ट्स नैनी सैनी एयरपोर्ट, पंतनगर एयरपोर्ट, देहरादून हेलीपैड, जीएमवीएन श्री केदारनाथ, बद्रीनाथ, हर्षिल, गुप्तकाशी, कौडियाला, मसूरी, परमार्थ निकेतन (ऋषिकेश), स्नो क्रेस्ट (बद्रीनाथ), एटीआई (नैनीताल) एवं सेंट्रिया मॉल जैसे तीर्थ और पर्यटक स्थलों पर स्थापित किए गए हैं। ये रिटेल कार्ट्स श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। इसके अतिरिक्त, मैरियट मसूरी, ताज देहरादून, एफआरआई व एलबीएसएनएए एवं राष्ट्रीय राजधानी स्थित दिल्ली हाट जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी रिटेल कार्ट्स की स्थापना प्रक्रिया प्रगति पर है। यह पहल न केवल स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिला रही है, बल्कि उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शिल्प कौशल को भी सशक्त रूप से प्रस्तुत कर रही है।
सचिव ग्रामीण विकास श्रीमती राधिका झा ने बताया कि ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड ने कम समय में अपनी गुणवत्ता के बल पर विशेष पहचान बनाई है। इसके उत्पाद houseofhimalayas.com के साथ-साथ अमेज़न और ब्लिंकिट जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध हैं। अब यह ब्रांड प्रमुख होटल श्रृंखलाओं में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान को बढ़ावा देने तथा उच्च श्रेणी के पर्यटकों को स्थानीय उत्पादों से जोड़ने के उद्देश्य से ताज (ऋषिकेश, रामनगर), हयात सेंट्रिक, हयात रीजेंसी (देहरादून), मैरियट (रामनगर), वेस्टिन (नरेन्द्रनगर) और जेपी ग्रुप (मसूरी) जैसे प्रतिष्ठित होटलों के साथ रणनीतिक साझेदारी की गई है। इस पहल के तहत राज्य के विभिन्न प्रमुख होटलों में ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ के रिटेल कार्ट्स स्थापित किए गए हैं, जो पर्यटकों को उत्तराखण्ड के विशिष्ट हस्तनिर्मित एवं जैविक उत्पादों की सीधी उपलब्धता प्रदान कर रहे हैं। यह कदम न केवल स्थानीय उत्पादकों और कारीगरों को आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में प्रोत्साहित कर रहा है, बल्कि सतत पर्यटन और आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड की ओर भी एक महत्वपूर्ण पहल है।
‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड की अवधारणा को पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के दौरान प्रस्तुत किया गया था। इस ब्रांड के अंतर्गत उत्तराखण्ड के विशिष्ट उत्पाद जैसे बुरांश का शरबत, जंगली शहद, पहाड़ी दालें, पारंपरिक मसाले, हस्तनिर्मित वस्त्र एवं अन्य जैविक सामग्री अब एक सुव्यवस्थित रूप में देश के प्रमुख शहरों तक पहुंच सकेंगी।
इस अवसर पर सचिव ग्रामीण विकास श्रीमती राधिका झा, उत्तराखण्ड के स्थानिक आयुक्त श्री अजय मिश्रा आदि अधिकारीगण उपस्थित रहे।
मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने सभी विभागों को यूनिक इनिशिएटिव्स का प्रेजेंटेशन तैयार करने के दिए निर्देश
देहरादून। मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में सचिवालय सभागार में सचिव स्तर की बैठक आयोजित की गई। मुख्य सचिव ने बैठक में सभी अधिकारियों को उनके बेहतर विभागीय कार्यों की बेस्ट प्रैक्टिसेज (सफलता की कहानियां) तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बेस्ट प्रैक्टिसेज में ऐसा यूनिक इनिशिएटिव हो जो किसी भी राज्य द्वारा नहीं किया गया हो अथवा जो अन्य से अलग हो। बेस्ट प्रैक्टिसेज संस्थागत अथवा व्यक्तिगत जिस स्तर का भी हो उसका प्रेजेंटेशन तैयार करें।
उन्होंने सभी सचिवों से उनके विभागों में हो रहे बेहतरीन कार्यों की जानकारी लेते हुए उनका बेस्ट प्रैक्टिसेज के रूप में संकलन तैयार करने के निर्देश दिए। जिससे लोगों को बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिल सके। मुख्य सचिव ने कहा कि आईटी, कृषि, उद्यान, बाल विकास, पंचायती राज, ग्राम्य विकास, सहकारिता, पशुपालन, वन विभाग, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, हायर एजुकेशन, आयुष इत्यादि विभागों में बेस्ट प्रैक्टिसेज की अधिक संभावना है।
मुख्य सचिव ने सभी सचिवों को निर्देशित किया कि विभिन्न विकास कार्यों, सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का बेहतर तरीके से इंप्लीमेंटेशन करें ताकि जनमानस को उसका अधिक – से – अधिक लाभ प्राप्त हो सके। उन्होंने सभी विभागों को अपनी विभागीय कार्यप्रणाली को अधिक – से – अधिक ऑनलाइन माध्यम से संचालित करने पर जोर देने के निर्देश दिए। जिससे एक खुली, पारदर्शी, सहज और व्यवस्थित कार्यप्रणाली और व्यवस्था डेवलप हो सके। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण – पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 का गंभीरता से अनुपालन कराएं
मुख्य सचिव ने संबंधित सचिवों को निर्देशित किया कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण – पोषण और कल्याण अधिनियम – 2007 का गंभीरता से अनुपालन कराएं ताकि ज्ञान और अनुभव की पूंजी हमारे वरिष्ठ नागरिक अपनी वृद्धावस्था को सम्मानपूर्वक जी सके। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों से इस एक्ट का कड़ाई से अनुपालन करवाने के निर्देश दिए।
बैठक में प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, एल एल फैनई व प्रदीप पंत, सचिव अमित सिन्हा, नीतेश कुमार झा, रविनाथ रमन, डॉ. पंकज कुमार पांडेय, डॉ रंजीत कुमार सिन्हा, डॉ. श्रीधर बाबू आद्यंकी, चंद्रेश यादव, डॉ आर राजेश कुमार, दीपेंद्र कुमार चौधरी, विनोद कुमार सुमन, रणवीर सिंह चौहान, धीरज सिंह गब्बर्याल उपस्थित थे।
भीड़ नियंत्रण से लेकर आतंकी खतरे तक, हर पहलू पर रहेगा प्रशासन का फोकस
तीन दिन में स्थलीय निरीक्षण और तैयारियों की रिपोर्ट दें सभी विभाग: सीएम धामी
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आगामी कांवड़ मेला-2025 की तैयारियों को लेकर प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री ने पूर्व वर्षों की व्यवस्थाओं की समीक्षा कर कानून व्यवस्था की दृष्टि से उत्पन्न हुई चुनौतियों का विश्लेषण कर सुधारात्मक कदम सुनिश्चित करने को कहा, ताकि इस वर्ष किसी भी प्रकार की पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने कह कि इस विशाल धार्मिक आयोजन में किसी भी प्रकार की तोड़फोड़, उपद्रव या अन्य अवांछनीय घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधन और सुरक्षा इंतजाम सुनिश्चित किए जाएं। शिविर संचालकों, कार्यरत व्यक्तियों, वॉलंटियर और होटल/धर्मशालाओं में ठहरने वाले व्यक्तियों का पूर्ण सत्यापन कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने सभी प्रमुख स्थलों पर एक्सरे सिस्टम, अग्निशमन यंत्र, फायर टेंडर एवं कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही खाद्य व पेय पदार्थों की गुणवत्ता पर विशेष निगरानी और जलजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए पुख्ता इंतजाम करने को कहा। भीड़ प्रबंधन में वॉलंटियर्स की मदद लेने, सीसीटीवी व ड्रोन से निरंतर निगरानी और अभिसूचना तंत्र को सक्रिय रखने पर बल दिया। बेहतर यातायात व्यवस्था अलग से प्लान बनाकर उसका व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए ताकि श्रद्धालुओं को असुविधा न हो। आतंकवादी खतरों को मद्देनजर रखते हुए एटीएस और विशेष सुरक्षा बलों की तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।
मुख्यमंत्री ने हरिद्वार के घाटों, नीलकंठ महादेव मंदिर अन्य प्रमुखस्थलों पर एम्बुलेंस व बैकअप की व्यवस्था करने, सादे वस्त्रों में महिला व पुरुष सुरक्षाकर्मियों की पर्याप्त तैनाती करने और आपदा राहत उपकरणों से युक्त गोताखोरों व जल पुलिस को अलर्ट मोड पर रखने को कहा। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि यात्रा मार्गों पर तेज ध्वनि विस्तारक यंत्रों, डीजे व लाउडस्पीकर के उपयोग को नियमबद्ध किया जाए। दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु ब्लैक स्पॉट चिन्हित कर सुधारात्मक कार्य किए जाएं। कांवड़ यात्रियों को ‘क्या करें और क्या न करें’ की जानकारी पेम्फलेट, होर्डिंग, पब्लिक अनाउंसमेंट और सोशल मीडिया के माध्यम से दी जाए।
मुख्यमंत्री ने कांवड़ियों को लाठी, डंडा, नुकीली वस्तुएं आदि ले जाने से रोकने हेतु प्रचार अभियान चलाने को कहा। यात्रा मार्गों में मादक पदार्थों, शराब एवं मांस की बिक्री पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने और समुचित बिजली, पानी, चिकित्सा जैसी आधारभूत सुविधाओं को सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। महिला कांवड़ियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उनकी सुरक्षा के लिए महिला घाटों और धर्मशालाओं में विशेष पुलिस प्रबंध सुनिश्चित करने को कहा गया। अंतर्राज्यीय समन्वय बढ़ाकर सूचनाओं का तत्काल आदान-प्रदान करने, सोशल मीडिया पर निगरानी रखते हुए अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करने और संबंधित पोस्टों का तत्काल खंडन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने सभी विभागीय सचिवों और पुलिस महानिरीक्षकों को आगामी तीन दिनों में कांवड़ मेला क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कर तैयारियों की समीक्षा करने व अपने-अपने विभागों की कार्य योजनाओं को अंतिम रूप देने के निर्देश दिए।
बैठक में गृह सचिव शैलेश बगोली, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन, गढ़वाल व कुमाऊं आयुक्त सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
सरकारी स्कूलों में जल्द होगी 2000 शिक्षकों की भर्ती
देहरादून। उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की गिरती साख और घटती छात्र संख्या को देखते हुए शिक्षा विभाग ने बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। राज्य के प्रत्येक ब्लॉक में कम से कम एक आकर्षक और संसाधनयुक्त अंग्रेजी माध्यम विद्यालय शुरू किया जाएगा। यह घोषणा प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने एससीईआरटी परिसर में हुए एक कार्यक्रम में की।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि विभाग को यह जानकारी मिली है कि कई अभिभावक अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना चाहते हैं। साथ ही, उन्होंने स्कूलों में सभी विषयों के शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की भी बात कही। इसी क्रम में विभाग से सरकारी स्कूलों में घटती नामांकन संख्या पर विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी गई है।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. रावत ने लगभग 4.86 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया, जिसमें एससीईआरटी परिसर में आवासीय भवन और शिक्षा निदेशालय का नया प्रवेश द्वार शामिल है।
उन्होंने आगे बताया कि जल्द ही विभाग में 2,000 शिक्षकों की नई भर्ती की जाएगी। साथ ही अब शिक्षकों की तरह शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ऑनलाइन उपस्थिति भी अनिवार्य कर दी जाएगी, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
इस मौके पर विधायक उमेश शर्मा ‘काऊ’, एससीईआरटी निदेशक वंदना गब्र्याल, माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल सती, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक अजय नौटियाल, संस्कृत शिक्षा निदेशक आनंद भारद्वाज और पदमेंद्र सकलानी सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।
जनसुनवाई में 125 शिकायतें दर्ज, भूमि विवाद सबसे अधिक
देहरादून — जिलाधिकारी सविन बंसल की अध्यक्षता में ऋषिपर्णा सभागार, कलेक्ट्रेट में जनता दर्शन/जनसुनवाई कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कुल 125 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें अधिकांश मामले भूमि विवादों से संबंधित थे। इसके अलावा सीमांकन, नगर निगम, एमडीडीए, पुलिस, शिक्षा, विद्युत, सिंचाई आदि विभागों से संबंधित समस्याएं भी सामने आईं।
भूमि विवादों पर डीएम ने दिए स्पष्ट निर्देश
जिलाधिकारी ने भूमि संबंधी मामलों के शीघ्र समाधान हेतु अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि सभी मामलों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि संबंधित फरियादियों को की गई कार्रवाई से भी अवगत कराया जाए।
महिला, बच्चों व बुजुर्गों के प्रकरणों में विशेष संवेदनशीलता की बात
डीएम बंसल ने पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि महिला, वृद्ध और बच्चों से जुड़े मामलों में पूरी संवेदनशीलता बरती जाए तथा तत्काल संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई की जाए। वहीं, मृत्यु प्रमाण पत्र और वारिसाना प्रमाण पत्रों में अनावश्यक देरी न हो इसके लिए सभी उपजिलाधिकारियों व तहसीलदारों को निर्देशित किया गया कि सभी आवेदनों का एक सप्ताह के भीतर निस्तारण करें।
बुजुर्ग महिला को दिलाया जाएगा मकान पर कब्जा
राजेश्वरी देवी (70), जो 60 प्रतिशत दिव्यांग हैं, ने शिकायत की कि उनकी विवाहित बेटी ने उनके घर पर कब्जा कर लिया है। जिलाधिकारी ने तत्काल उपजिलाधिकारी न्याय को निर्देश दिए कि बुजुर्ग महिला को कब्जा दिलाया जाए।
आर्थिक संकट झेल रहे फरियादी को मिलेगा विधिक सहयोग
फरियादी नितिन हेमदान ने भूमि विवाद में न्यायालय से संतोषजनक फैसला न मिलने और खराब आर्थिक स्थिति की बात कही। डीएम ने इस पर संज्ञान लेते हुए सचिव, विधिक सेवा प्राधिकरण को उनकी अपील दर्ज करने व कानूनी सलाह उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
अदालत के आदेशों की अवहेलना पर सख्त रुख
सिमलासग्रांट निवासी 86 वर्षीय किसान प्रीतम सिंह ने बताया कि अदालत के आदेश के बावजूद विरोधी उनकी जमीन पर कब्जा कर रहा है। डीएम ने उपजिलाधिकारी डोईवाला को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए।
नगर निगम को जलभराव की समस्या के निस्तारण के निर्देश
करनपुर निवासी बुजुर्ग गौरी रानी ने बताया कि सड़क का लेवल उनके मकान से ऊँचा हो गया है, जिससे बारिश का पानी घर में घुसता है। जिलाधिकारी ने नगर निगम को एक सप्ताह के भीतर कार्यवाही करने व उससे संबंधित अंडरटेकिंग देने के निर्देश दिए।
छात्रा की उच्च शिक्षा के लिए मिलेगा सहयोग
रानीपोखरी निवासी अनिता ने बेटी की बीएससी (आईटी) की पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता मांगी। डीएम ने प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुंदरी’ के तहत मुख्य विकास अधिकारी व जिला विकास अधिकारी को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।
मृतक कर्मचारी की पत्नी को नौकरी देने की कार्यवाही शुरू
रेनू नामक फरियादी ने बताया कि उनके पति की मृत्यु सेवा काल में हो गई थी। जिलाधिकारी ने नगर आयुक्त को मृतक आश्रित कोटे से नौकरी की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए।
होटल में अवैध शराब परोसने पर कार्रवाई के निर्देश
डांडा लखौंड क्षेत्र के होटल-रेस्टोरेंट में अवैध रूप से शराब परोसे जाने की शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी ने आबकारी विभाग को तत्काल जांच कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
देहरादून। प्रदेश के पंचायतीराज मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि पंचायती राज व्यवस्था हमारे देश की जमीनी स्तर पर लोकतंत्र की मजबूत नींव है। इसलिए हमें गांवों को सशक्त और विकसित करने के लिए पंचायत चुनाव में “गांव की सरकार” बनाने में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए ईमानदार एवं कर्मठ जनप्रतिनिधियों का चुनाव करना चाहिए।
पंचायतीराज मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि हरिद्वार जनपद को छोड़ 12 जनपदों में 24 व 28 जुलाई 2025 को दो चरणों में मतदान होगा और 31 जुलाई 2025 को पंचायत चुनावों के परिणाम घोषित होंगे। इसलिए गांव की सरकार के लिए ईमानदार और कर्मठ जनप्रतिनिधि का चुना जाना बेहद जरूरी है। पंचायत चुनाव के लिए हुए 63812 उम्मीदवारों ने विभिन पदों के लिए अपने नामांकन किये हैं। जिला पंचायत सदस्य पद के लिए 358 पद के सापेक्ष 1907 नामांकन हुए हैं जबकि
क्षेत्र पंचायत सदस्य के 2974 पद के लिए सापेक्ष 11629 नामांकन पत्र दाखिल हुए इसी प्रकार ग्राम प्रधान के लिए 7499 पदों के सापेक्ष 22028 लोगों ने नामांकन किया है और सदस्य ग्राम पंचायत के 55587 पदों के सापेक्ष 28248 लोगों ने नामांकन किया। इससे स्पष्ट है कि हमारी ग्रामीण जनता अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति बेहद जागरूक है।
पंचायतीराज मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण और विकास कार्यों के प्रभावी अनुश्रवण के लिए पंचायती राज निदेशालय और जिला पंचायत अनुश्रवण प्रकोष्ठ जैसी संस्थाओं का गठन किया है। मार्च 2008 में पारित पंचायती अधिनियम के अनुसार, पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षण को 33% से बढ़ाकर 50% गया है। 73वें संविधान संशोधन के तहत पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया है, जिससे उन्हें अधिक शक्तियां और जिम्मेदारियां मिली हैं।
महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में पंचायतों को 29 विषयों के हस्तांतरण की कार्रवाई गतिमान है। इस संबंध में पंचायती राज विभाग उत्तराखंड द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने के उद्देश्य से काम किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में तीन महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं जिसमें पंचायतों को पर्याप्त वित्तीय संसाधन प्रदान करना। पंचायतों को विभिन्न कार्यों और जिम्मेदारियों का हस्तांतरण करना। पंचायतों को आवश्यक मानव संसाधन और क्षमता निर्माण प्रदान करना।
केन्द्र सरकार की ओर से कृषि एवं बागवानी विकास की विभिन्न योजनाओं को 3800 करोड़ रुपए की दी गई सैद्धांतिक सहमति
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने की उत्तराखण्ड सरकार द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में किये जा रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना
देहरादून /नई दिल्ली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि, ग्राम्य विकास एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान से भेंट कर प्रदेश की कृषि एवं उससे जुडी विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन एवं विसतार के संबंध में चर्चा की। मुख्यमंत्री ने राज्य के पर्वतीय एवं मैदानी क्षेत्रों की कृषि एवं बागवानी आवश्यकताओं तथा किसानों की आर्थिक सुदृढ़ता हेतु राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई प्रस्तावित योजनाओं पर भी चर्चा की। मुख्यमंत्री ने अवगत कराया कि उत्तराखण्ड सरकार ने कृषि एवं बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास एवं किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से लगभग 3800 करोड़ रुपये की व्यापक योजनाएं तैयार की हैं। इन योजनाओं में नवाचार, यंत्रीकरण, तकनीकी समावेशन एवं पारम्परिक कृषि को बढ़ावा देने जैसे विविध पहलुओं को शामिल किया गया है। केन्द्रीय कृषि मंत्री द्वारा राज्य की कृषि संबधि योजनाओं हेतु 3800 करोड की सैद्धांतिक सहमति प्रदान करने पर मुख्यमंत्री ने उनका आभार जताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सहयोग राज्य के कृषि क्षेत्र को आत्मर्निभर और आधुनिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया कि राज्य में पर्वतीय क्षेत्रों की फसलों को जंगली जानवरों से बचाने हेतु कृषि बाड़ निर्माण के लिए 1,052.80 करोड़ रुपये की आवश्यकता चिह्नित की गई है। इसके अतिरिक्त राज्य में 10,000 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने हेतु 400 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित की गई है, जिससे लघु, सीमांत किसान एवं महिलाएं लाभान्वित होंगी। पारम्परिक पोषक फसलों को बढ़ावा देने के लिए स्टेट मिलेट मिशन के अंतर्गत 134.89 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता हेतु राज्य को सीड हब के रूप में विकसित करने के लिए 5 करोड़ रुपये की योजना भी तैयार की गई है। सेब उत्पादन को प्रोत्साहन, भंडारण और विपणन तंत्र को सुदृढ़ बनाने हेतु 1,150 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित है। नकदी फसलों जैसे कीवी के संवर्धन एवं खेती को वन्यजीवों से संरक्षित करने हेतु 894 करोड़ रुपये की आवश्यकता दर्शाई गई है। कृषि व बागवानी क्षेत्र में नवाचार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए 885.10 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। ड्रैगन फ्रूट जैसी कम जोखिम वाली फसलों को प्रोत्साहित हेतु 42 करोड़ रुपये की योजना भी तैयार की गई है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन के क्षेत्र में राज्य सरकार सक्रियता से कार्य कर रही है। जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु विश्लेषण प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए 36.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। भूमि अभिलेखों के आधुनिकीकरण और डिजिटल सर्वेक्षण के लिए के अंतर्गत 378.50 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित की गई है। इसके साथ ही पंतनगर विश्वविद्यालय के माध्यम से युवाओं को कृषि क्षेत्र में दक्ष बनाने हेतु 14 करोड़ रुपये तथा एग्रीटूरिज्म स्कूल की स्थापना हेतु 14 करोड़ रुपये की योजना तैयार की गई है। उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार में माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला की स्थापना के लिए 16.11 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।
इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सेब उत्पादन के दृष्टिगत उच्च गुणवत्ता की नर्सरी, कोल्ड स्टोरेज, सॉर्टिंग व ग्रेडिंग यूनिट की स्थापना, कीवी व ड्रैगन फ्रूट मिशन को बढ़ावा देने, सुपर फूड्स (मशरूम व एग्जॉटिक वेजिटेबल्स) हेतु सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना तथा पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में एग्रो टूरिज्म स्कूल की स्थापना के लिए भी केंद्रीय सहायता का अनुरोध केन्द्रीय मंत्री से किया।
मुख्यमंत्री के अनुरोध पर केन्द्रीय मंत्री द्वारा पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पी.एम.जी.एस.वाई) 1 व 2 के अवशेष कार्यों की समय सीमा बढ़ाने की सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई। साथ ही पी.एम.जी.एस.वाई 4 के प्रस्ताव पर भी सैद्धांतिक सहमति प्रदान करने का आश्वासन दिया। केन्द्रीय मंत्री ने उत्तराखंड सरकार द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास के विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए आश्वस्त किया कि उत्तराखण्ड की कृषि आवश्यकताओं को प्राथमिकता के आधार पर संज्ञान में लिया जाएगा तथा राज्य के किसानों की समृद्धि हेतु हरसंभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।
बैठक में भारत सरकार के कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, भारत सरकार के ग्रामीण विकास सचिव सैलेश कुमार सिंह तथा उत्तराखंड के स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा उपस्थित रहे।