पिथौरागढ़ का आखिरी गांव नामिक अब बिजली से होगा रोशन, 340 परिवारों को मिलेगी बिजली..
उत्तराखंड: पिथौरागढ़ जिले का अंतिम गांव जल्द ही बिजली की रोशनी से जगमगाएगा। यहां पहली बार ग्रिड से बिजली पहुंचेगी। 340 परिवारों के घर रोशन होंगे। यूपीसीएल ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। मुनस्यारी विकासखंड मुख्यालय से 50 किमी दूर नामिक जिले का अंतिम गांव है। इस दुर्गम गांव में पहुंचने के लिए 24 किमी पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। अब तक नामिक बिजली से रोशन नहीं हो सका है, इस गांव के 340 परिवारों की एक हजार से अधिक की आबादी दुश्वारियां झेल रही हैं।
अब पहली बार नामिक में बिजली पहुंचेगी इसकी पहल यूपीसीएल ने की है। गांव को रोशन करने के लिए 3.46 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसकी स्वीकृति मिल चुकी है। यूपीसीएल का दावा है कि जल्द ही यहां ग्रिड से बिजली पहुंचाई जाएगी।
15 किमी लंबी बिछेगी लाइन, लगेंगे 12 ट्रांसफार्मर..
धारचूला यूपीसीएल के ईई बीके बिष्ट का कहना हैं कि गोला गांव तक ग्रिड से बिजली पहुंचाई गई है। यहां से नामिक तक बिजली पहुंचाने के लिए 11 केवीए की 15 किमी लंबी लाइन बिछाई जाएगी। वहीं नामिक को रोशन करने के लिए 12 ट्रांसफार्मर स्थापित होंगे।
उरेडा की योजना से सिर्फ चार घंटे मिलती है बिजली..
नामिक गांव में अब तक ग्रिड से बिजली नहीं पहुंची है। उरेडा की बिजली परियोजना से भी ग्रामीणों को राहत नहीं मिल रही है। ऐसा इसलिए कि इस छोटी परियोजना से ग्रामीण सिर्फ दो घंटे सुबह और दो घंटे शाम को ही घरों को रोशन कर सकते हैं। बल्ब के साथ ही कोई अन्य उपकरणों का प्रयोग नहीं किया जा सकता। नामिक गांव को प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत चयनित किया गया है। यहां ग्रिड से बिजली पहुंचेगी। ग्रामीणों को पर्याप्त बिजली मिलेगी। योजना को धरातल पर उतारने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है। जल्द काम शुरू होगा।
राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण की स्थापना को सरकार की मंजूरी नहीं मिली..
उत्तराखंड: प्रदेश के सरकारी और निजी विद्यालयों में शिक्षा में सुधार के लिए प्रस्तावित राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना को दो साल बाद भी शासन की मंजूरी नहीं मिली। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने शासन को वर्ष 2022 में इसका प्रस्ताव भेजा था। जिसे मंजूरी न मिलने से विद्यालयों के न्यूनतम मानक तय करने में परिषद एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सिफारिश की गई है कि सभी विद्यालयों में न्यूनतम व्यावसायिक एवं गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए राज्य एक स्वतंत्र राज्य व्यापी निकाय का गठन करेगा। राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण बुनियादी मानदंडों, सुरक्षा, बचाव, आधारभूत ढांचे, विद्यालयों में कक्षाओं और विषयों के आधार पर शिक्षकों की संख्या आदि के आधार पर न्यूनतम मानक तय करेगा।
प्राधिकरण की ओर से तय किए गए इन सभी मानकों का राजकीय एवं निजी विद्यालय पालन करेंगे। शासन ने इसके लिए पांच जनवरी 2022 को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड को राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण के रूप में काम करने के लिए नामित किया था। जिसे एक एक स्वतंत्र इकाई के रूप में काम करना था। एससीईआरटी ने प्राधिकरण की स्थापना के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था। जो शासन की फाइलों में ही दबकर रह गया।
प्राधिकरण का इन्हें बनाया जाना था अध्यक्ष और सदस्य..
प्रस्ताव के अनुसार शासन की ओर से नामित शिक्षाविद, सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी या सेवानिवृत्त न्यायाधीश जिनका शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा हो। उन्हें इसका अध्यक्ष बनाया जाना था। महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा, निदेशक एससीईआरटी, निदेशक एनआईसी, क्षेत्रीय निदेशक सीबीएसई, अपर निदेशक एससीईआरटी, संयुक्त निदेशक शिक्षा महानिदेशालय, शासन की ओर से आईसीएसई विद्यालय के नामित प्रधानाचार्य, सीबीएसई से संबद्ध निजी विद्यालय के प्रधानाचार्य, विद्यालय भारती स्कूल के निरीक्षक एवं शासन की ओर से नामित शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठन को प्राधिकरण का सदस्य बनाया जाना प्रस्तावित है। शासन को भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया कि प्राधिकरण के सदस्य तीन साल के लिए नामित होंगे।
उत्तराखंड में खासकर निजी विद्यालयों पर हर साल फीस में मनमानी वृद्धि और जरूरी सुविधाओं की कमी के आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में प्राधिकरण को करीब 16501 सरकारी और 5396 निजी विद्यालयों में न्यूनतम मानक तय करने थे। बताया गया था कि प्राधिकरण विद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले विषय, फीस आदि की सूचनाओं को सार्वजनिक कराएगा। निजी विद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए वेतन भी तय करेगा। विद्यालयों की मान्यता की शर्त तय करने, उसका पालन कराने और विद्यालयों से संबंधित किसी भी तरह की कोई शिकायत मिलने पर उसकी जांच भी प्राधिकरण को करनी थी। प्राधिकरण एक अर्द्ध न्यायिक आयोग होगा, जो किसी स्कूल की मान्यता पूरी तरह से समाप्त करने के साथ ही स्कूल को दंडित कर सकेगा। निदेशक एससीईआरटी बंदना गर्ब्याल का कहना हैं कि प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, जिसे अभी मंजूरी नहीं मिली।
पाैड़ी समेत चार जिलों में होगी जमीनों की जांच, राजस्व सचिव से मांगी रिपोर्ट..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सचिव राजस्व एसएन पांडेय से अल्मोड़ा, नैनीताल, टिहरी व पौड़ी जिले में बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीद-फरोख्त की जांच कर रिपोर्ट मांगी है। सचिव यह पता लगाएंगे कि इन जिलों में राज्य से बाहर के कितने लोगों ने 250 वर्ग मीटर की सीमा से अधिक भूमि खरीदी है। एक ही परिवार के सदस्यों द्वारा यदि नियमों के विपरीत भूमि खरीदी गई है, तो विभाग इसे सरकार निहित करने की प्रक्रिया शुरू करेगी। सीएम ने सचिव को उन लोगों की भी जांच करने के निर्देश दिए हैं, जिन्होंने निवेश के नाम पर 12.50 एकड़ भूमि खरीद तो ली लेकिन, उसका उपयोग दूसरे उद्देश्य के लिए किया।
राजस्व सचिव से 12.50 एकड़ से अधिक जमीन के उपयोग का ब्योरा मांगा गया है। सरकार को इस छूट का दुरुपयोग होने की भी शिकायतें प्राप्त हुई हैं। राजस्व सचिव से इन तथ्यों के आधार पर जांच करने को कहा गया है। साथ ही सीएम ने भूमि बंदोबस्त और चकबंदी के अभियान में तेजी लाने के निर्देश दिए। उनका कहना हैं कि सरकार इस दिशा में भी काम कर रही है। बता दें कि सीएम ने शुक्रवार को एलान किया था कि अगले बजट सत्र में वृहद भू-कानून लाने को विधेयक लाया जाएगा।
एससीएसटी, ओबीसी की जमीन के सौदेबाजों पर भी कसेगा शिकंजा..
सीएम के फैसले के बाद उन्हें राज्य के विभिन्न स्थानों से शिकायतें प्राप्त होने लगी हैं। राज्य आंदोलनकारियों ने भी सीएम के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने सीएम से शिकायत की कि कुछ प्रापर्टी डीलर एससी, एसटी और ओबीसी तथा अन्य समाज की जमीन का पहले खुद सौदा कर रहे और बाद में दूसरे वर्ग के लोगों को बेच रहे हैं, जबकि गांव के लोग ऐसा नहीं चाहते थे। उनका कहना है कि गोलापार में ऐसी पूरी बस्ती बसा दी गई है। सीएम ने इस शिकायत की भी राजस्व सचिव से जांच करने के आदेश दिए हैं।
सीएम धामी का कहना हैं कि राज्य कई स्थानों में आरक्षित वर्ग की जमीनों को सुनियोजित ढंग से बेचने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इससे जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो रहा है। जमीन की खरीद-फरोख्त में यदि नियमों का उल्लंघन पाया गया तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी। सख्त भू-कानून बनाने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित प्रारूप समिति को तेजी से काम करने के निर्देश दिए हैं। समिति हितधारकों की राय भी लेगी। हमारा प्रयास आगामी बजट सत्र में सख्त भू-कानून लाने का है।
अब विदेशी पर्यटक ऑनलाइन कर सकेंगे कार्बेट नेशनल पार्क की बुकिंग..
उत्तराखंड: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व विदेशी पर्यटकों को लुभाने की तैयारी कर रहा है। नए पर्यटन सीजन में विदेशियों के लिए ऑनलाइन बुकिंग सुविधा जल्द शुरू होगी। विदेशी पर्यटक अपने देश से ही रोजर पे के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान भी कर सकते है। सीटीआर निदेशक डाॅ. साकेत बडोला का कहना हैं कि विदेशी पर्यटकों के लिए कार्य योजना तैयार की है। बताया कि अब विदेशी पर्यटक अपने देश से ही https://corbettgov.org पर ऑनलाइन बुकिंग कर सकते है।
ढिकाला की ऑनलाइन बुकिंग छह अक्तूबर से शुरू होगी और विदेशी पर्यटकों को बुकिंग के लिए भारत में पर्यटन कारोबारियों से संपर्क करने की जरूरत नहीं होगी। बताया कि विदेशी पर्यटक रोजर पे के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान भी कर सकते हैं। निदेशक का कहना हैं कि रोजर पे एक ऑनलाइन भुगतान गेटवे और वित्तीय सेवा प्लेट फार्म है। इसका प्रयोग भारत में व्यापार, ऑनलाइन भुगतान के लिए किया जाता है।
ढिकाला रेस्ट हाउस में चार कमरे होंगे आरक्षित..
सीटीआर निदेशक डाॅ. साकेत बडोला ने कहा कि विदेशी पर्यटकों के लिए 90 दिन पहले ऑनलाइन बुकिंग शुरू की गई है। वहीं विदेशी पर्यटकों के लिए ढिकाला के रेस्ट हाउस में चार कमरे में आरक्षित होंगे। हालांकि विदेशी पर्यटक न होने पर भारतीय सैलानियों को भी दिए जाएंगे।
त्रिस्तरीय पंचायत संगठन ने बोला हल्ला, सीएम आवास किया कूच..
एक राज्य एक पंचायत चुनाव की मांग..
उत्तराखंड: शनिवार को एक राज्य एक पंचायत चुनाव लागू करने की एक सूत्रीय मांग को लेकर त्रिस्तरीय पंचायत संगठन से जुड़े सैकड़ो पंचायत प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री आवास कूच किया। राज्य भर से आए पंचायत प्रतिनिधि परेड ग्राउंड में एकत्रित हुए. इसके बाद मुख्यमंत्री आवास कूच करने के लिए जैसे ही सुभाष रोड पर पहुंचे, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सुभाष रोड पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इसके बाद प्रदर्शनकारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। उन्होंने अपनी मांग को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी।
प्रदेश प्रधान संगठन के प्रदेश महामंत्री सुधीर का कहना हैं कि जब तक राज्य सरकार उनकी एक सूत्रीय मांग पर सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है तब तक त्रिस्तरीय पंचायत संगठन इसी तरह देहरादून की सड़कों पर आंदोलन करता रहेगा। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक देश एक चुनाव की पहल को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड प्रदेश में भी एक राज्य एक पंचायत चुनाव का सिद्धांत लागू होना चाहिए। संगठन से जुड़े प्रतिनिधियों का कहना है कि उत्तराखंड में एक राज्य एक पंचायत चुनाव की मांग को लेकर वह लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री ने उनकी मांग का संज्ञान नहीं लिया है। प्रदर्शन के दौरान सरकार ने संगठन के प्रतिनिधि मंडल को वार्ता के लिए बुलाया, लेकिन वार्ता में संगठन की मांग को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका। ऐसे में संगठन का कहना है कि अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर उनका आंदोलन लगातार जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि वे जोर शोर से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत रहेंगे।
विद्युत ट्रिपिंग की समस्या से मिलेगी निजात, अपडेट होगा ट्रांसमिशन सिस्टम..
उत्तराखंड: प्रदेश में ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी समय से काम नहीं हो पाया है, इसके चलते परियोजनाओं से उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाने के काम में ट्रांसमिशन स्तर पर स्थितियां बेहद कमजोर दिखाई देती रही हैं। इसी में बेहतर बदलाव करने के लिए अब ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए प्राथमिकता तय करते हुए उन पर काम करने का निर्णय लिया गया है।
इसके लिए पूर्व में अपर सचिव ऊर्जा इकबाल अहमद की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित हो चुकी है जिसने अपनी रिपोर्ट शासन में सबमिट कर दी है। इस कमेटी ने राज्य में ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर के अपग्रेडेशन की जरूरत को लेकर सुझाव दिए हैं। इस सुझाव में प्राथमिकता के आधार पर ट्रांसमिशन को अपग्रेडेशन के लिए तीन चरण तय किए गए हैं। कमेटी ने राज्य में फिलहाल सबसे ज्यादा जरूरी ट्रांसमिशन अपग्रेडेशन के काम वाले स्टेशन पर जल्द से जल्द काम पूरा किए जाने के सुझाव दिए हैं। इन तीन चरणों में सबसे ज्यादा प्राथमिकता सबसे ज्यादा दबाव वाले ट्रांसमिशन को दी गई है।
इसके साथ ही मिड टर्म और लॉन्ग टर्म में भी ट्रांसमिशन को अपग्रेड करने का काम किया जाएगा। आपको बता दे कि राज्य में डिमांड बढ़ने के साथ ही विद्युत लाइनों पर बेहद ज्यादा दबाव बढ़ जाता है और ऐसी स्थिति में कई बार ट्रिपिंग की शिकायत भी सामने आती हैं। लोड बढ़ने पर लाइन ट्रिप कर जाती है और उसके कारण कई क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति पूरी तरह से बाधित हो जाती है। इतना ही नहीं कई बार ट्रांसमिशन को भी ऐसे हालातों में नुकसान भी झेलना पड़ता है। इन्हीं स्थितियों से निपटने के लिए ट्रांसमिशन को अपग्रेड किए जाने पर काम शुरू किया जा रहा है।
राज्य भर में ट्रांसमिशन के काम को करने के लिए भारी बजट की भी आवश्यकता होगी ऐसे में एक तरफ जहां ट्रांसमिशन के अपग्रेडेशन को बोर्ड की बैठक में मंजूरी दिलवाई जा चुकी है तो वहीं पिटकुल की लोन लेने की क्षमता को भी बढ़ाया गया है, ताकि इस काम में बजट को लेकर दिक्कत ना हो। उधर दूसरी तरफ तमाम परियोजनाओं को संचालित करने वाले निगम या अन्य संस्थाओं से भी समन्वय स्थापित किया जा रहा है। इसमें परियोजनाओं से विद्युत आपूर्ति के लिए बड़ी लाइनों को लेकर किस तरह से काम करना है इस पर भी निर्णय लेते हुए उसी के लिहाज से आने वाले दिनों में काम किए जाने के भी निर्देश जारी किए गए हैं।
शिक्षा विभाग को मिले 292 अतिथि शिक्षक, एक सप्ताह के भीतर होगी तैनाती
उत्तराखंड: प्रदेश में 292 अतिथि शिक्षकों का चयन किया गया है, खाली पदों के सापेक्ष 292 अभ्यर्थियों को पूर्व में तैयार की गयी। मेरिट सूची के आधार पर चयनित किया गया है। इन अतिथि शिक्षकों के चयनित होने के बाद शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अगले एक सप्ताह के भीतर इन अतिथि शिक्षकों को तैनाती दिए जाने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं। राज्य में अतिथि शिक्षकों का चयन विभिन्न चरणों में किया जा रहा है, इस बार तीसरे चरण के तहत इन शिक्षकों को चुना गया है।
प्रदेश में जिन अतिथि शिक्षकों का चयन किया गया है उसमें गणित के 46, भौतिक विज्ञान के 52, रसायन विज्ञान के 62, जीव विज्ञान के 32 और अंग्रेजी में 100 अतिथि शिक्षक शामिल हैं। तीसरे चरण के तहत चयनित किए गए अतिथि शिक्षकों में से चमोली जिले में विभिन्न विषयों के 43 अतिथि शिक्षकों की तैनाती की जाएगी। इसी तरह पिथौरागढ़ में 58, पौड़ी में 74, अल्मोड़ा में 52, उत्तरकाशी में तीन, टिहरी में आठ, नैनीताल में 7, चंपावत में 22, बागेश्वर में 19, रुद्रप्रयाग में 10 और देहरादून में तीन अतिथि शिक्षकों को तैनाती दी जाएगी।
इन सभी शिक्षकों को एक सप्ताह के भीतर तैनाती देने के निर्देश जारी हुए हैं। इन अतिथि शिक्षकों को ऐसे विद्यालयों में तैनाती दी जाएगी, जहां पर शिक्षकों की ज्यादा कमी दिखाई देगी। इस दौरान विभिन्न विषयों के आधार पर चयनित शिक्षकों को जरूरत के लिहाज से विद्यालय आवंटित होंगे। चयनित किए गए शिक्षकों में रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, अंग्रेजी और गणित विषयों के शिक्षकों को चुना गया है।
इससे पहले प्रवक्ता संवर्ग में 851 अतिथि शिक्षकों की तैनाती का निर्णय लिया गया था। जिसको दो चरणों में तमाम विद्यालयों में तैनाती के जरिए पूरा किया गया। जबकि इसके बाद मुख्य शिक्षा अधिकारी के स्तर पर विषयवार रिक्त पदों के सापेक्ष अतिथि शिक्षकों की डिमांड मांगी गई थी। उत्तराखंड में पिछले लंबे समय से सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए अलग-अलग प्रयोग किये जा रहे हैं। अतिथि शिक्षकों के जरिए सरकार विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को खत्म करने का प्रयास कर रही है। जिसमें काफी हद तक शिक्षा विभाग को कामयाबी भी मिल रही है।
उत्तराखंड में होम स्टे योजना में सब्सिडी के लिए कमरों की संख्या बढ़ाने की तैयारी, नीति में संशोधन का प्रस्ताव..
उत्तराखंड: पर्यटकों को ठहरने की सुविधा और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने को संचालित होम स्टे योजना में सब्सिडी के लिए कमरों की संख्या बढ़ाने की तैयारी है। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद नीति में संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। वर्तमान में नीति के तहत अधिकतम छह नए कमरों के निर्माण के लिए प्रति कमरा 60 रुपये रुपये की राशि दी जाती है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में होम स्टे योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत नए कमरों के निर्माण व पुराने कमरों की सजा सज्जा के लिए सब्सिडी दी जाती है।
नए कमरों के लिए प्रति कमरे 60 हजार दिए जाते हैं, जबकि पुराने कमरों की मरम्मत व सजा सज्जा के लिए 25 हजार प्रति कमरा दिया जाता है। प्रदेश में अब तक छह हजार से अधिक होम स्टे पंजीकृत हो चुके हैं। होम स्टे योजना से जहां पर्यटकों को सस्ते दरों पर ठहरने के लिए कमरे के साथ प्राचीन संस्कृति और खानपान से रूबरू होने का मौका मिला है। साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। अब प्रदेश सरकार ने योजना में सब्सिडी के लिए कमरों की संख्या छह से बढ़ाकर 12 करने की तैयारी कर रही है।
उत्तराखंड में होगा मलिन बस्तियों का सर्वे, 13 साल बाद अब चलेगा आबादी और सुविधा का पता..
उत्तराखंड: प्रदेश की मलिन बस्तियों की आबादी, सुविधाओं, स्वास्थ्य की ताजा जानकारी 13 साल बाद मिलेगी। राज्य में 2011 में मलिन बस्तियों का सर्वे हुआ था। अब शहरी विकास विभाग ने दोबारा सर्वे शुरू किया है। ताजा रिपोर्ट के आधार पर जहां मूलभूत सुविधाएं देना आसान होगा, वहीं बस्तियों के विस्थापन का काम भी बेहतर हो सकेगा। प्रदेश में जुलाई 2010 से मई 2011 के बीच हुए सर्वे में 582 मलिन बस्तियां चिह्नित की गईं थीं। इनमें से 3.4 प्रतिशत बस्तियां खतरनाक क्षेत्रों में, 43 प्रतिशत बाढ़ क्षेत्र में और 42 प्रतिशत गैर अधिसूचित क्षेत्रों में स्थापित थीं। 55 प्रतिशत लोगों के पास अपना आवास था। 29 प्रतिशत के बाद आधा पक्का आवास और 16 प्रतिशत के पास कच्चा आवास था। 86 प्रतिशत के पास बिजली कनेक्शन था। 582 में से 71 बस्तियां सीवेज नेटवर्क से जुड़ी थीं। 95 कम्युनिटी हॉल थे, 651 की जरूरत थी। 15 प्रोडक्शन सेंटर थे जबकि 536 की जरूरत थी।
252 आंगनबाड़ी व प्री स्कूल उपलब्ध थे, जबकि 689 की और जरूरत थी। प्राइमरी स्कूलों के 244 कक्ष थे, जबकि 590 की और जरूरत थी। 93 हेल्थ सेंटर थे और 453 अतिरिक्त की जरूरत थी। अब ताजा सर्वे से ये स्पष्ट होगा कि प्रदेश में मलिन बस्तियों की संख्या में कितनी बढ़ोतरी हुई है। उनका क्षेत्रफल अब कितना बढ़ा है। आबादी, मूलभूत सुविधाओं की क्या स्थिति है। विस्थापन नीति के तहत कितनी बस्तियों का विस्थापन हुआ है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार इन बस्तियों के लिए आगे की ठोस कार्ययोजना बनाएगी।
मैदानी जिलों में सर्वाधिक मलिन बस्तियां..
देहरादून- 162
ऊधमसिंह नगर- 121
हरिद्वार- 122
उत्तरकाशी- 20
चमोली- 21
टिहरी- 13
पौड़ी- 21
पिथौरागढ़- 21
बागेश्वर- 07
अल्मोड़ा- 09
चंपावत- 10
नैनीताल- 55
41 प्रतिशत घरों की कमाई थी तीन हजार महीना..
पुराने सर्वे में ये भी सामने आया था कि 41 प्रतिशत घरों की कमाई 3000 रुपये मासिक, 19 प्रतिशत की कमाई 2000 से 3000 मासिक, 20 प्रतिशत की कमाई 1000 से 1500, 12 प्रतिशत की कमाई 1500 से 2000 मासिक, छह प्रतिशत की कमाई 500 से 1000 मासिक और तीन प्रतिशत की कमाई 500 रुपये मासिक से भी कम थी। ताजा सर्वे रिपोर्ट से इन बस्तियों में रोजगार, स्वरोजगार की दिशा में भी काम हो सकेगा। मलिन बस्तियों का आखिरी सर्वे 2011 में हुआ था। अब हम नए सिरे से सर्वे करा रहे हैं, जिससे इनकी संख्या, क्षेत्रफल, आबादी, सुविधाओं की जानकारी मिल सकेगी। विस्थापन में भी यह सर्वे कारगर होगा।
उत्तराखंड सरकार का अवैध खनन पर वार, बढ़ाई जुर्माने की राशि..
उत्तराखंड: प्रदेश में अवैध खनन में पकड़ी जाने वाली पोकलेन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। ऐसे मामले में 10 टायर ट्रक-डंपर के पकड़े जाने पर जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी गई है। खनन की चोरी रोकने और माफिया पर शिकंजा कसने के लिए खनन विभाग ने खनिज की अवैध ढुलाई और खनन करने पर जुर्माना बढ़ा दिया है। निगरानी बढ़ाने के लिए खनन वाहनों में जीपीएस लगाना अनिवार्य होगा। शासन ने बुधवार को उत्तराखंड खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण का निवारण) (चतुर्थ संशोधन) नियमावली-2024 जारी कर दी है। इसके तहत खनिज की छोटे स्तर पर बिक्री के लिए 200 मीटर तक रिटेल भंडारण की अनुमति दी गई है।
नियमावली खनिजों के परिवहन प्रयुक्त होने वाले सभी वाहनों में जीपीएस लगाया जाना अनिवार्य किया गया है। जीपीएस और धर्मकांटा को भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के विभागीय ई- रवन्ना पोर्टल के साथ इंटीग्रेटेड किया जाएगा। इसके साथ खनिज ढुलाई में इस्तेमाल होने वाले वाहनों का रूट एसडीएम, जिला खान अधिकारी और वाहन स्वामियों के समन्वय के साथ तय होगा। वाहन पर नंबर प्लेट न होने, अस्पष्ट होने और ई- रवन्ना न होने की स्थिति में पांच लाख तक जुर्माना जिला खान अधिकारी जिस स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट और रिटेल भंडारणकर्ता आदि से खनिज को लाया गया हो उस पर लगा सकेंगे।
नियमावली में रिटेल भंडारण को अनुमति दी गई, अब तुलनात्मक तौर पर छोटे स्तर भी कारोबार किया जा सकेगा। इसकी अनुमति पांच साल के लिए मिलेगी। यह दो सौ घनमीटर तक भंडारण कर सकेंगे। भंडारकर्ता को भंडारण क्षेत्रफल के संशोधन में सूचना समाचार पत्र में देगा, इस पर किसी व्यक्ति को आपत्ति है, तो सूचना की विज्ञप्ति प्रकाशित होने के 15 दिन में कर सकेगा।
दो से अधिक बार पकड़े गए वाहन को राज्य संपत्ति घोषित किया जाएगा
भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के निदेशक राजपाल लेघा कहते हैं कि अवैध परिवहन में शामिल वाहनों पर जुर्माना बढ़ाया गया है, पहले दस टायर पर 50 हजार जुर्माना था, जो एक लाख किया गया है। पोकलेन पर भी जुर्माना बढ़ाया गया है। इसके अलावा दो या दो अधिक बार कोई ऐसा वाहन पकड़ा जाता है तो उसे आदतन अपराधी मानते हुए पकड़े गए वाहन का जब्त कर राज्य सरकार में समाहित कर राज्य संपत्ति घोषित कर दिया जाएगा। बुग्गी पर भी दो हजार का जुर्माना तय किया गया है।
किराए पर भूमि देने वालों की जिम्मेदारी तय हुई
अगर किसी व्यक्ति ने किराए पर भूमि खनिज भंडारण और खनन एक तय समय के लिए अनुमति दी है, यह अवधि निकल जाती है। उसके बाद उस जगह पर अवैध खनन और भंडारण पाए जाने पर उसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की होगी। साथ ही ई- रवन्ना प्रपत्रों की वैद्यता समाप्त होने के 72 घंटे में स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट आदि रिसीव नहीं करते हैं, तो ई- रवन्ना पत्र स्वत: विलोपित हो जाएंगे। ईश्ररवन्ना प्रपत्रों को डिजिटल करने और हाई सिक्योरिटी पेपर पर निर्गत किया जाएगा।