उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय संसाधनों को आधार मानकर आगे बढ़ेंगे, तो आत्मनिर्भर बनने में सुविधा होगी। प्रकृति ने देवभूमि उत्तराखण्ड को बहुत कुछ दिया है। प्रदेश जैव विविधता की दृष्टि से संपन्न है। स्वरोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक कार्य किए जा रहे हैं।
यह विचार मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए युवा उद्यमियों के साथ व्यक्त किए। त्रिवेंद्र ने बताया कि इन्वेस्टर समिट के दौरान राज्य में 01 लाख 25 हजार करोड़ रूपये के एमओयू हुए, जिसमें से 25 हजार करोड़ रूपये के कार्यों की ग्राउंडिंग हो चुकी है। राज्य बनने से औद्योगिक क्षेत्र में 2017 तक राज्य में 40 हजार करोड़ रूपये का निवेश हुआ, जबकि पिछले साढ़े तीन सालों में 25 हजार करोड़ रूपये का निवेश हो चुका है।
उन्होंने कहा कि राज्य में चीड़ की पत्तियों से बिजली एवं चारकोल बनाने के कार्य शुरू किए गए हैं। प्रदेश के 27 प्रतिशत वन क्षेत्र में चीड़ के वृक्ष होते हैं। चीड़ की पत्तियों से वनाग्नि की समस्या बनी रहती है। उन्होंने कहा कि चीड़ की पत्तियों का सदुपयोग कर स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के अवसर उलब्ध कराने में यह योजना कारगर साबित होगी। इससे 40 हजार लोगों को रोजगार दिया जा सकता है और पर्यावरणीय लाभ भी होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए हर न्याय पंचायत में रूरल ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। अभी तक 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों को स्वीकृति दी जा चुकी है। अलग-अलग थीम पर ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार स्थानीय उत्पादों को हिमालयी ब्रांड से पहचान दिलाने की दिशा में कार्य कर रही है।
उन्होंने बताया उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 150 तरह के कार्य किए जा सकते हैं। राज्य में मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसके तहत 10 हजार युवाओं एवं उद्यामियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए काफी कारगर साबित होगी। होम स्टे को राज्य में बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी तक 2200 से अधिक होम स्टे रजिस्टर्ड हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले विभिन्न लोगों से बात की। उन्होंने मशरूम उत्पादक प्रीति भंडारी, हेल्थ एवं पर्सनल केयर प्रोडक्ट के क्षेत्र में कार्यरत हर्षपाल चौधरी, ईको टूरिज्म एवं स्थानीय संस्कृति के क्षेत्र में कार्य कर रही नूपुर अग्रवाल, होम स्टे संचालिका निवेदिता कार्की, आर्टिफिशल इन्टेलीजेंसी के क्षेत्र में कार्य कर रही प्रेक्षा कपरवाण आदि से बात की।
कार्यक्रम की मॉडरेटर उच्च शिक्षा उन्नयन समिति की उपाध्यक्ष दीप्ति रावत थीं। कार्यक्रम में ऊर्जा सचिव राधिका झा, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस.नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल, अखिलेश रावत आदि उपस्थित थे।
सोलर फार्मिंग द्वारा स्वरोजगार के लिए उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना का विधिवत शुभारम्भ हो गया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में आयोजित एक कार्यक्रम में योजना की औपचारिक शुरुआत की। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचालित इस योजना में 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी। प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे।
बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका, जिलाधिकारी बैंकों से समन्वय बनाएं
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखें। स्वरोजगार योजनाओं को सकारात्मक तरीके से लिए जाने की जरूरत है। डीएलसीसी बैठकों में स्वरोजगार योजनाओं की समीक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता से हो। हम सभी का दायित्व है कि युवा बिना किसी परेशानी के स्वरोजगार योजनाओं से लाभ उठा सकें।
भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक समय न लगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के आवेदन की प्रक्रिया को सरलतम रखा जाए। भू- परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो टार्गेट तय किए जाते हैं, वे निर्धारित समयावधि में जरूर पूरे हो जाने चाहिए। संबंधित अधिकारी योजना के प्रति पूरी तरह से समर्पित होकर काम करें। कोविड के कारण व्यर्थ चले गए चार माह की भरपाई अगले आठ माह में करनी है। इसलिए दोगुनी ऊर्जा से काम करना होगा।
स्वरोजगार और हरित ऊर्जा का उत्पादन मुख्य उद्देश्य
सचिव ऊर्जा श्रीमती राधिका झा ने बताया कि प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना, योजना का लक्ष्य है। इसमें 25 किलोवाट क्षमता के ही सोलर प्लांट अनुमन्य किए जाएंगे। राज्य के स्थाई निवासी अपनी निजी भूमि या लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लांट की स्थापना कर सकते हैं।
इंटीग्रेटेड फार्मिंग से होगी आय
इंटीग्रेटेड फार्मिंग की इस योजना में सोलर पैनल लगाने के साथ उसी भूमि पर मौन पालन, फल, सब्जी और जड़ी-बूटी आदि का उत्पादन भी किया जा सकता है। संयंत्र स्थापित की जाने वाली भूमि पर जलवायु आधारित औषधीय और स्कन्ध पादपों के बीज निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना में 10 हजार परियोजनाएं पात्र आवेदकों को आवंटित किए जाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए वर्षवार और जिलावार लक्ष्यों का निर्धारण एमएसएमई के सहयोग से किया जा रहा है। इसमें एमएसएमई की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत अनुमन्य अनुदान और मार्जिन मनी व लाभ मिल सकेंगे। एमएसएमई के आनलाईन पोर्टल के माध्यम से इच्छुक पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। इसमें शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं होगी। योजना का क्रियान्वयन उरेडा द्वारा किया जाएगा।
परियोजना के तकनीकी मानक
तकनीकी मानकों की जानकारी देते हुए बताया गया कि 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र आवंटित किए जाएंगे। इसके लिए लगभग 1.5 से 2 नाली भूमि की आवश्यकता होगी। 40 हजार रूपए प्रति किलोवाट की दर से कुल लागत लगभग 10 लाख रूपए सम्भावित है। राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है। योजना के अंतर्गत आवंटित परियेाजना से उत्पादित बिजली को यूपीसीएल द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (पीपीए) किया जाएगा।
यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध
लाभार्थी सहकारी या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण ले सकता है। सहकारी बैंक द्वारा इस योजना के लिए 8 प्रतिशत की ब्याज दर पर 15 वर्षों के लिए ऋण दिया जाएगा। चयनित लाभार्थी को अपनी भूमि के भू-परिवर्तन के बाद मोर्टगेज करने के लिए लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। तकनीकी समिति द्वारा उपयुक्त पाए गए आवेदकों को परियोजना का आवंटन जिला स्तर पर करने के लिए जिलाधिकरी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। पूरी प्रक्रिया में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा गया है। परियोजना आवंटन पत्र मिलने के बाद लाभार्थी द्वारा यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध किया जाएगा। लाभार्थी द्वारा परियेाजना आवंटन पत्र, यूपीसीएल के साथ अनुबंध की प्रति, और अन्य आवश्यक अभिलेख जमा कराने के सात दिन के भीतर महाप्रबंधक, जिला उद्योग संबंधित बैंक शाखा को अग्रसारित कर देंगे। इसके 15 दिनों के भीतर बैंक शाखा से स्वीकृति या अस्वीकृति सूचना लाभार्थी को बता दी जाएगी।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूङी, मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, हरबंस सिंह चुघ, अपर सचिव नीरज खैरवाल, महानिदेशक सूचना डाॅ मेहरबान सिंह बिष्ट व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड भाजपा की कोर कमेटी की रविवार को आयोजित बैठक में विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई और सरकार व संगठन की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
राजधानी देहरादून के बीजापुर अतिथि गृह में आयोजित कोर कमेटी की बैठक भाजपा के राष्ट्रीय सह-महामंत्री (संगठन) शिव प्रकाश, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार समेत कोर कमेटी के सभी सदस्य उपस्थित थे।
बैठक के बाद भाजपा अध्यक्ष भगत ने पत्रकारों को बताया कि पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्यों व मोर्चों के प्रदेश पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की घोषणा अगले तीन दिन के भीतर कर दी जाएगी। पार्टी ने 16 अक्टूबर को जिला स्तर पर गठित होने वाली समन्यव समितियों के सदस्यों का एक दिवसीय प्रशिक्षण देहरादून में तय किया है। इन समितियों में सम्बंधित जिले के अध्यक्ष, महामंत्री, एक वरिष्ठ कार्यकर्त्ता, सम्बंधित विधायक व सांसद सदस्य होंगे। यह समितियां जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं व आम जनता से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय के लिए गठित की गई हैं।
भाजपा द्वारा राजधानी में मसूरी रिंग रोड पर नए प्रदेश कार्यालय का निर्माण प्रस्तावित है। पार्टी नवरात्रि में 17 अक्टूबर को इसका भूमि पूजन व शिलान्यास करेगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस कार्यक्रम की वर्चुअल माध्यम से औपचारिक शुरुआत करेंगे।
भाजपा अध्यक्ष भगत ने पत्रकारों के सवालों का उत्तर देते हुए कहा कि बैठक में यह साफ़ निर्देश दिए गए हैं कि मंत्री, विधायक या पदाधिकारी कोई भी मामला होने पर उसे पहले पार्टी फ़ोरम पर कहेंगे न कि किसी अन्य स्थान पर। यदि इस बात का उल्लंघन किया जाता है तो वह अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना जाएगा। विधायक पूरण फर्त्याल के प्रकरण में भगत ने कहा कि सांसद अजय भट्ट व अजय टम्टा उनसे बात करेंगे ।
भगत ने यह भी बताया कि जिलों के प्रभारी मंत्रियों से कहा गया है कि वे माह में कम से कम एक बार अपने प्रभार के जिलों का दौरा करें और वहां रात्रि विश्राम करें। साथ ही जिला समन्वय कमेटी की बैठकों में भाग लें। कार्यकर्ताओं से मिलें। इसके बाद वे प्रशासनिक बैठक करें।
कोर कमेटी की बैठक में सांसद अजय भट्ट, महारानी राज्य लक्ष्मी शाह, अजय टम्टा, तीरथ सिंह रावत, प्रदेश सरकार के मंत्री मदन कौशिक, डॉ धन सिंह रावत, महामंत्री राजेंद्र भंडारी, कुलदीप कुमार, पूर्व महामंत्री नरेश बंसल भी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत कुम्हार कला के लिए विद्युत चालित चाक वितरित किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि माटी कला के लिए प्रदेश में एक प्रशिक्षण केन्द्र खोला जाएगा। माटी कला बोर्ड को मिट्टी गूंथने वाली 200 मशीने दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि मिट्टी के कार्यों से जुड़े शिल्पकारों का एक डाटा बेस बनना चाहिए। ऐसे स्थान चिन्हित किये जाएं, जहां पर इस शिल्प पर आधारित कार्य अधिक हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजधानी देहरादून में माटी कला बोर्ड के कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि तकनीक के साथ इस शिल्प को कैसे और उभारा जा सकता है, इस दिशा में प्रयासों की जरूरत है। युवा पीढ़ी आधुनिक तकनीक के कार्यों के महत्व को जानती है। हमें अपनी विशेषज्ञता वाले कार्यों से अपनी पहचान को बढ़ाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक प्रतिबंधित होने से मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बढ़ी है। त्योहारों का सीजन और उसके बाद हरिद्वार कुंभ में मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ेगी। बाजार की मांग के हिसाब से पूर्ति की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों में भी मिट्टी के उपकरणों एवं गमलों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली ने कहा कि माटी के कार्य से जुड़े लोगों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में सरकार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि इन कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न मेलों में माटी कला बोर्ड के स्टाॅल लगने चाहिए। जिससे इस कार्य से जुड़े लोगों को अपने उत्पादों को बेचने में मदद मिलेगी।
माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जो भी जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, सभी योजनाओं में गरीबों के हितों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने मिट्टी के कार्य से जुड़े लोगों की प्रमुख समस्याओं के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय, मेयर सुनील उनियाल गामा, भाजपा के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट, उद्योग निदेशक सुधीर नौटियाल आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कोविड -19 पर प्रभावी नियंत्रण के लिए आने वाले कुछ माह और चुनौतीपूर्ण होंगे। उन्होंने अधिकारियों को इस चुनौती से निपटने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पिछले एक सप्ताह में प्रदेश में कोविड पॉजिटिव केस कम आए हैं। मगर ऐसे समय में और सतर्कता बरतने की जरूरत है। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का सभी जगह पूर्ण रूप से पालन हो, ताकि संक्रमण को रोका जा सके।
मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की नियमित मॉनिटरिंग
मुख्यमंत्री ने शनिवार को सचिवालय में कोविड-19 की समीक्षा बैठक के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से यह निर्देश सभी जिलाधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की नियमित मॉनिटरिंग की जाए। इसके लिए संबंधित क्षेत्र के उप जिलाधिकारी एवं पुलिस क्षेत्राधिकारी की जिम्मेदारी सुनिश्चित हो। किसी क्षेत्र की शिकायत आने पर सबंधित क्षेत्र के अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
भ्रामक प्रचार करने वालों पर एफआईआर
उन्होंने कहा कि कोविड से बचाव के लिए आम जन के व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा। कोविड के सबंध में सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से भ्रामक प्रचार करने वालों पर एफआईआर दर्ज कर सख्त कारवाई हो। उन्होंने कहा कि कोविड पर प्रभावी नियंत्रण के लिए विभिन्न माध्यमों से जन जागरूकता अभियान चलाने की जरुरत पर भी जोर दिया। जन जागरूकता के लिए उन्होंने प्रमुख हस्तियों एवं गणमान्य व्यक्तियों के वीडियो एवं ऑडियो संदेश बनाकर प्रचारित व प्रसारित करने को कहा।
पर्यटकों से शालीनतापूर्ण व्यवहार
त्रिवेंद्र ने कहा कि कोविड से बचाव के लिए जागरुकता पैदा करने हेतु ऑनलाइन लेख प्रतियोगिता, कार्टून प्रतियोगिता आदि गतिविधियां आयोजित हों और इन प्रतियोगिताओं के लिए जनपद व राज्य स्तर पर पुरस्कार भी दिये जाय। धार्मिक स्थलों, भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर कोविड से बचाव हेतु सुरक्षात्मक उपायों के लिए स्थाई होर्डिंग का प्रावधान करें। उन्होंने कहा कि अब अनेक गतिविधियों के लिए छूट मिल चुकी है। राज्य में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यह सुनिश्चित किया जाय कि पर्यटकों के साथ सबका शालीनता पूर्वक व्यवहार हो। पर्यटक स्थलों पर थर्मल स्क्रीनिंग और सैंपल टेस्टिंग के लिए बूथ बने।
बैठक में सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी, पुलिस महानिदेशक (कानून व व्यवस्था) अशोक कुमार, सचिव आयुष डी सेंथिल पांडियन, सचिव डाॅ. पंकज पाण्डेय, दिलीप जावलकर, शैलेष बगोली, एस.ए. मुरूगेशन, आईजी अभिनव कुमार, संजय गुंज्याल, अपर सचिव युगल किशोर पंत, स्वास्थ्य महानिदेशक डाॅ.अमिता उप्रेती आदि उपस्थित थे।
2 अक्तूबर 1994 को मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर-तिराहा में अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस बर्बरता की 26 वीं बरसी पर प्रदेशभर में विभिन्न स्थानों में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रामपुर-तिराहा पहुंच कर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों की स्मृति में बनाए गए शहीद स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित किये। शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों के अनुरूप उत्तराखण्ड का विकास हो, इसके लिए राज्य सरकार निरन्तर प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 2 अक्तूबर के दिन को हम अनेक रूपों में मनाते हैं। यह दिन देश की आजादी के लिए अहिंसा व सत्याग्रह के सिद्धान्त पर चलने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और जय जवान-जय किसान का उदघोष करने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एवं तत्कालीन उत्तर प्रदेश के इतिहास में आज के दिन को एक काले धब्बे के रूप में भी हम लोग देखते हैं। रामपुर-तिराहा में राज्य आन्दोलनकारियों पर अमानवीय अत्याचार हुआ, अनेक नौजवान शहीद हुए। उन्होंने स्थानीय लोगों की सराहना करते हुए कहा कि पुलिस बर्बरता के दौरान यहां के लोगों ने उत्तराखंड के आंदोलनकारियों के सम्मान व सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। उनके इस योगदान को हमेशा याद किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य बड़े संघर्ष के बाद बना। राज्य के निर्माण में सभी वर्गों के लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड राज्य का निर्माण किया। आज राज्य तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उत्तराखण्ड की प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, इन्फ्रास्टक्चर में तेजी से वृद्धि हुई है। उत्तराखण्ड सीमान्त प्रदेश है, जिसकी लगभग पौने छः सौ किलोमीटर की अन्तरराष्ट्रीय सीमाएं हैं। आज हम चीन की सीमा तक सड़क पहुंचा चुके हैं।
इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत, विधायक हरवंश कपूर, प्रदीप बत्रा, मुजफ्फरनगर के विधायक प्रमोद उडवाल, गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष राजेन्द्र अंथवाल, रूड़की के मेयर गौरव गोयल आदि उपस्थित थे।
सीएम राजधानी देहरादून के कचहरी परिसर भी पहुंचे
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजधानी देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर भी आंदोलनकारियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज ही के दिन उत्तराखण्ड के इतिहास में एक काला अध्याय भी जुड़ा, जब अलग उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर रामपुर-तिराहा में बर्बरतापूर्वक अत्याचार किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आन्दोलनकारियों के बलिदान के परिणामस्वरूप ही उत्तराखण्ड एक अलग राज्य बना।
विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल, भाजपा संगठन मंत्री अजेय ने अर्पित किए पुष्प चक्र
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, मेयर सुनील उनियाल गामा आदि ने भी अलग-अलग कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पहुंच कर शहीदों के चित्र पर पुष्प चक्र अर्पित किए। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि 2 अक्तूबर के दिन रामपुर-तिराहा में जिस प्रकार से आंदोलनकारी महिलाओं व पुरुषों पर बर्बरतापूर्वक अत्याचार किया गया, उसे भुलाया नहीं जा सकता है।
उत्तराखंड में स्कूलों को खोले जाने के संबंध में प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने गुरूवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में तय किया गया कि स्कूलों को खोले जाने के संबंध में कोई भी निर्णय स्कूलों के प्रबंधन, अभिभावकों सहित सभी संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श के बाद आम राय से लिया जाएगा।
सचिवालय में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक के बाद सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में मीडियाकर्मियों से बातचीत में पांडेय ने बताया कि सभी जिलाधिकारी अपने जिलों में कोविड-19 की स्थिति और वहां के स्कूलों की प्रबंधन समितियों व अभिभावकों की राय के लेंगे। इस फीडबैक को जिलाधिकारी एक सप्ताह के भीतर शासन को भेजेंगे। जिलों से प्राप्त फीडबैक के बाद स्वास्थ्य विभाग के साथ विचार-विमर्श कर आवश्यकतानुसार कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि यदि स्कूलों को खोलने के बारे में राय बन जाती है तो तीन चरणों में स्कूलों को खोले जाने का प्रस्ताव किया जाएगा। पहले चरण में कक्षा 9 से 12 तक, दूसरे चरण में कक्षा 6 से 12 तक और तीसरे चरण में सभी कक्षाओं को शामिल किया जाना प्रस्तावित है। सभी स्कूलों में कोविड-19 के लिए जरूरी सभी प्रोटोकाल का पालन किया जाएगा। बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। अभिभावको की अनुमति बिना किसी बच्चे को स्कूल आने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री की बैठक के बाद गुरुवार शाम को ही शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से जिलाधिकारियों को पत्र भेज कर सभी राजकीय, सहायता प्राप्त व निजी स्कूलों के प्रबंधकों, प्रधानाचार्यों, शिक्षकों व अभिभावकों से सुझाव प्राप्त कर एक सप्ताह के भीतर शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश जारी कर दिए गए।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को ताबड़तोड़ तरीके से लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री ने जहां एक ओर लोक निर्माण विभाग (PWD) के एक अधिशासी अभियन्ता, विद्युत विभाग के एक उपखंड अधिकारी, एक सहायक अभियंता, एक अवर अभियंता व दो लाइनमैन निलंबित किए, वहीं दूसरी तरफ लम्बे समय से अनुपस्थित चल रहे 81 डॉक्टरों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
आदेशों की अवहेलना पर PWD के अधिशासी अभियन्ता निलम्बित
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने PWD के अधिशासी अभियन्ता अनुपम सक्सेना को आदेशों की अवहेलना का दोषी पाये जाने पर निलम्बित करने के निर्देश दिए हैं। सक्सेना को PWD के प्रान्तीय खण्ड, पौड़ी से PWD के विश्व बैंक खण्ड, अस्कोट स्थांतरित किया गया था। मगर अभियंता ने आदेश का अनुपालन नहीं किया और बिना अवकाश स्वीकृत कराए कार्यालय से गैर हाजिर हैं। मुख्यमंत्री ने PWD के प्रमुख अभियन्ता की संस्तुति पर सक्सेना को स्वेच्छाचारी प्रवृत्ति शासकीय, आदेशों का अनुपालन न करने, बिना अवकाश गैर हाजिर रहने तथा उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने के आरोप में उन्हें निलम्बित करने के निर्देश दिए।
हाईटेंशन लाइन से मौत मामले में विद्युत विभाग के 5 कार्मिक निलंबित
मुख्यमंत्री ने विगत दिनों हल्द्वानी में हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से एक साईकिल सवार युवक की झुलसने से हुई मौत के मामले में ऊर्जा निगम के सहायक अभियंता और उपखंड अधिकारी समेत 5 कार्मिकों को निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने हाईटेंशन तार गिरने से युवक की मौत के मामले को काफी गंभीरता से लिया था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऊर्जा सचिव राधिका झा ने पूरे मामले की जांच सीनियर स्तर के अधिकारी से कराई थी। जांच रिपोर्ट के आधार पर एसडीओ विद्युत वितरण उपखंड (प्रथम) सुभाषनगर हल्द्वानी नीरज चंद्र पांडे, सहायक अभियंता (मापक) विद्युत परीक्षण शाला हल्द्वानी रोहिताषु पांडे, अवर अभियंता मो.शकेब, टीजी -1 लाइन चांद मोहम्मद और लाइनमैन नंदन सिंह भंडारी को निलंबित किया गया है। इसके अलावा क्षेत्र के एसएसओ को सेवा से हटा दिया गया है। वह उपनल से भर्ती थे।
लम्बे समय से अनुपस्थित चिकित्सकों की सेवा समाप्ति के निर्देश
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रदेश के प्रान्तीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित 81 चिकित्साधिकारियों की सेवा समाप्ति सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित इन चिकित्सकों की विभाग में अनुपस्थिति की तिथि से सेवा समाप्ति सम्बन्धी प्रस्ताव को सहमति हेतु लोक सेवा आयोग को भेज दिया गया है।
उत्तराखंड सरकार ने प्राइवेट पैथोलॉजी लैब की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए बुधवार को कोविड-१९ के संक्रमण की रैपिड एंटीजन टैस्टिंग के लिए अधिकतम दर तय कर दी है। अब NABH व NABL से प्रमाणित निजी लैब कोरोना वायरस के संक्रमण की रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए अधिकतम सात सौ उन्नीस रूपये से ज्यादा नहीं वसूल सकेंगे।
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित सिंह नेगी द्वारा इस सम्बन्ध में आदेश जारी किये गए हैं। आदेश में कहा गया है कि प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमण के प्रभावी रोकथाम हेतु इसके टेस्ट बढ़ाये जाने और व्यापक जनहित के मद्देनजर रैपिड एंटीजन टेस्ट की दर तय की गई है। आदेश में कहा गया है कि निजी लैब टेस्ट के उपरांत रिपोर्ट को ICMR के पोर्टल पर दर्ज करने के अलावा जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी और स्टेट सर्विलांस अधिकारी को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराएंगे।
आदेश में चेतावनी दी गई है कि इन निर्देशों का उल्लंघन महामारी अधिनियम-1897 और उत्तराखंड राज्य महामारी कोविड-19 विनियमावली,2020 के संगत प्राविधानों की अवहेलना मानी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि निजी लैबों पर कोरोना टेस्ट के नाम पर रैपिड एंटीजन टेस्ट के मनमाने तरीके से पैसे वसूले जाने के आरोप लगातार लग रहे थे। यह भी शिकायत मिल रही थी कि निजी लैब कोरोना टेस्ट करने के बाद टेस्ट रिपोर्ट और पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों की सही जानकारी स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 521 करोड़ रूपये की 6 मेगा परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के शुरू होने से प्रदेश से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा। लोकार्पित किए गए प्रोजेक्ट में जगजीतपुर (हरिद्वार) में 230 करोड़ रूपये की लागत से बना 68 एमएलडी क्षमता का एसटीपी व 20 करोड़ की लागत से बना 27 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, सराय (हरिद्वार) में 13 करोड़ की लागत से बना 18 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, चंडी घाट (हरिद्वार) में गंगा के संरक्षण और जैव विविधता को प्रदर्शित करता ‘गंगा संग्रहालय’, लक्कड़ घाट (ऋषिकेश) में 158 करोड़ की लागत से बना 26 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चंद्रेश्वर नगर-मुनि की रेती में 41 करोड़ की लागत से बना 7.5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चोरपानी (मुनि की रेती) में 39 करोड़ की लागत से बना 5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी और बद्रीनाथ में 19 करोड़ की लागत से बना 1.01 एमएलडी क्षमता का एसटीपी शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने रोविंग डाउन द गंगेज (rowing down the ganges) व ग्राम पंचायतों और पानी समितियों के लिए बनाई गई मार्गदर्शिका का भी विमोचन किया। उन्होंने जल जीवन मिशन के लोगो (प्रतीक चिह्न) का भी अनावरण किया।
नई सोच व नई एप्रोच से नमामि गंगे में मिली सफलता
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि मां गंगा हमारे सांस्कृतिक वैभव और आस्था से तो जुड़ी ही है, साथ ही लगभग आधी आबादी को आर्थिक रूप से समृद्ध भी करती है। नमामि गंगे मिशन, नई सोच और नई एप्रोच के साथ शुरू किया गया। यह देश का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान है। इसमें समन्वित रूप से काम किए गए। गंगा जी में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए एसटीपी का निर्माण किया गया या किया जा रहा है, अगले 15 वर्षों की आवश्यकता के अनुसार एसटीपी कीे क्षमता रखी गई, गंगा के किनारे लगभग 100 शहरों और 5 हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है और गंगा की सहायक नदियों को भी प्रदूषण से मुक्त रखने का काम किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड में 6 साल में सीवरेज ट्रीटमेंट क्षमता चार गुना हुई
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं। राज्य में 6 साल में सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता को 4 गुना कर दिया गया है। लगभग सभी नालों को टैप कर दिया गया है। इनमें चंद्रेश्वर नाला भी शामिल है। यहां देश का पहला 4 मंजिला एसटीपी शुरू हो चुका है। अगले वर्ष हरिद्वार कुम्भ मेले में श्रद्धालु गंगा की निर्मलता का अनुभव लेंगे। सैकड़ों घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया है। साथ ही रिवर फ्रंट भी बनकर तैयार है। गंगा म्यूजियम से हरिद्वार आने वाले लोग गंगा से जुड़ी विरासत को समझ पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा के निकटवर्ती पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर फोकस किया जा रहा है। यहां जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती की योजना है। आर्गेनिक फार्मिंग काॅरिडोर विकसित किया जा रहा है। मिशन डाॅल्फिन से डाॅल्फिन संवर्धन में मदद मिलेगी।
जल जीवन मिशन में त्रिवेंद्र सरकार एक कदम आगे
प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी की महत्ता को माता-बहनों से अधिक कौन समझ सकता है। हमने जल से जुड़े मंत्रालयों को एक कर जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया। जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल से जल का लक्ष्य लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार एक कदम और आगे बढ़ी है। उन्होंने केवल एक रूपए में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया है। वर्ष 2022 तक हर घर नल से जल देने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखण्ड में कोरोना काल में भी पिछले 4-5 माह में 50 हजार परिवारों को पानी का कनेक्शन दिया गया है, जो कि उत्तराखण्ड सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल के लिए 2 अक्टूबर से अभियान
जल जीवन मिशन ने गांवों में पानी की समस्या से मुक्त करने का अवसर दिया है। 2 अक्टूबर से जल जीवन मिशन के तहत अभियान चलाकर 100 दिनों में सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल सुनिश्चित किया जाएगा। वर्ष 2014 के बाद देश हित में बहुत से बड़े काम किए गए। इनमें कृषि विधेयक, डिजीटल इण्डिया, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन शामिल हैं। वन रैंक वन पेंशन से उत्तराखण्ड के एक लाख से अधिक पूर्व सैनिक लाभान्वित हुए हैं। सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवाद को चोट पहुंचाई गई। राफेल से वायुसेना की ताकत काफी बढ़ी है। सरदार पटेल की मूर्ति राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से सारी दुनिया योग के महत्व से परिचित हुई। अयोध्या में रामजन्म भूमि मंदिर का भूमि पूजन किया गया। देश को ताकतवार बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया गया है।
सीएम ने कहा गंगा किनारे जैविक व औषधीय खेती को प्रोत्साहन
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के चिन्हित 16 नगरों हेतु स्वीकृत 19 योजनाओं में से 15 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। शेष कुम्भ से पहले पूरी हो जाएंगी। इन नगरों में चिन्हित किए गए 135 नालों में से 128 टैप किए गए हैं। शेष को कुम्भ से पहले टैप कर लिया जाएगा। गंगा किनारे उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न स्थानों पर 21 स्नान घाटों जिसमें भव्य चंडी घाट भी शामिल है और 23 मोक्षधामों का निर्माण किया गया है। गंगा नदी के कैचमेंट एरिया में जो कार्य कराए गए हैं, उनका लाभ आने वाले समय में अवश्य मिलेगा। गंगा के दोनों किनारों पर 5 से 7 किलोमीटर के क्षेत्र में जैविक खेती को विकसित करते हुए स्थाई कृषि प्रथाओं को भी नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम में निर्मित एसटीपी से निकलने वाले शोधित जल को भी कृषकों को सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है। गंगा जी की निर्मलता और अविरलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी के भगीरथ प्रयासों के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। यहां तक की गंगा मे डाल्फिन और महाशिर मछलियां भी पुनः दिखने लगी हैं। गंगा के किनारे आर्गेनिक खेती व औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
शेखावत बोले हरिद्वार कुम्भ में गंगा का जल होगा आचमन योग्य
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संचय व जल संरक्षण को लेकर जनचेतना का संचार हुआ है। यह आंदोलन जन-जन का विषय बनने लगा है। वर्ष 2014 से नमामि गंगे एक मिशन मोड में काम कर रहा है। इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई। समन्वित एप्रोच पर काम किया गया। गंगा प्रवाह क्षेत्र में 315 परियोजनाएं अभी तक इसमें ली गई हैं। कुल 28854 करोड़ की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 9 हजार करोड़ की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इनके स्पष्ट परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। हाईब्रिड एन्यूटी प्रणाली अपनाई गई है। गंगा प्रहरी और अनेक संगठनों के माध्यम से नमामि गंगे को जन अभियान बनाया गया है। गंगा की शुचिता के साथ ही अविरलता पर भी ध्यान दिया गया है। इसके लिए ई-फ्लो अधिसूचना जारी की गई। अगले वर्ष हरिद्वार में कुम्भ मेले के समय गंगा जल आचमन योग्य होगा। रिसाईकिल पानी को रियूज करने का भी प्रयास किया जा रहा है। गंगा की सहायक नदियों पर भी प्रभावी काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम में ये रहे जुड़े
इस वर्चुअल कार्यक्रम में उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया के अलावा प्रदेश के केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, सांसद तीरथ सिंह रावत, ऋषिकेश की मेयर अनीता ममगाईं, विधायक आदेश चौहान आदि भी जुड़े थे।