हल्द्वानी में विगत दिवस हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से साईकिल सवार औषधीय संयोजक (कंपाउंडर) की झुलसने से हुई मौत के मामले में ऊर्जा विभाग की लापरवाही को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने काफी गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री ने घटना पर गहरा दुख जताया और ऊर्जा सचिव राधिका झा को पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही जिम्मेदार लापरवाह अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा है।
ऊर्जा सचिव राधिका झा ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद सीनियर स्तर के अधिकारी मुख्य अभियंता एमएल प्रसाद को जांच अधिकारी नामित कर उनसे रिपोर्ट मांगी है। प्रसाद मौके पर पहुंचकर जांच में जुट गए हैं। अधिशासी अभियंता (ग्रामीण) अमित आनंद की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी की प्रथमदृटया रिपोर्ट में एसएसओ की लापरवाही प्रतीत हुई है। फाइनल रिपोर्ट मिलने पर इस घटना के लिए जिम्मेदार लापरवाह अफसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए निचले स्तर के तकनीकि अधिकारियों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा। घटना में मृतक आश्रित को तत्काल चार लाख मुआवजा दिया जा रहा है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से भी सहायता की कोशिश की जाएगी।
गौरतलब है कि हल्द्वानी निवासी कमल रावत (29) पुत्र एमएस रावत मंगल पड़ाव स्थित एक क्लीनिक में कंपाउंडर था। गत शुक्रवार को कमल साइकिल से ड्यूटी पर जा रहा था। सुबह करीब नौ बजे कमल जैसे ही वॉक मॉल के पास पहुंचा, तभी वहां हाइटेंशन लाइन का तार टूटने से उसकी चपेट में आ गया और करंट से झुलसकर कमल की मौके पर ही मौत हो गई।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की सबसे बड़ी हितैषी है। मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि विधेयकों से किसानों की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे। विधेयकों में ऐसी व्यवस्थाएं की गई हैं, जिससे किसान अपनी उपज को स्वयं अच्छी कीमतों पर मंडी में या मंडी के बाहर कहीं भी बेच सकेगा। इसमें बिचैलियों की भूमिका खत्म कर दी गई हैं। यानि जो मुनाफा किसान से बिचैलिये उठाते थे, वो पैसा अब सीधा किसान की जेब में जाएगा। इन कृषि विधेयकों से एक राष्ट्र एक बाजार की संकल्पना को मजबूती मिल रही है। किसान अब सीधे बाजार से जुड़ सकेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र आज सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग किसानों को बरगलाने और उकसाने का काम कर रहे हैं। झूठ बोला जा रहा है। परंतु किसानों को स्वयं इन कृषि सुधारों को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सोच हमेशा से किसानों के हित में रही है। इसी सोच के साथ ये सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने वहां किसानों के लिए 7 घंटे नियमित और निश्चित बिजली की व्यवस्था की। उन्होंने कृषि महोत्सवों की शुरूआत की।
त्रिवेंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी किसान हमेशा उनकी प्राथमिकताओं में रहे। उनकी सरकार में गांव, गरीब और किसानों का सबसे पहले ख्याल रखा गया है। वर्ष 2009 में यूपीए की सरकार में कृषि मंत्रालय का बजट केवल 12 हजार करोड़ रूपए था, जो आज कई गुना बढ़ाकर 1 लाख 34 हजार करोड़ किया गया है। उन्होंने कहा कि पीएम किसान योजना से अब तक 92 हजार करोड़ रूपए सीधे डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने कृषि अवसंरचना के लिए 1 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की है। इसमें मत्स्य पालन के लिए 20 हजार करोड़, पशुपालन के लिए 15 हजार करोड़, हर्बल खेती के लिए 4 हजार करोड़, फूड प्रोसेसिंग के लिए 1 हजार करोड़ रूपए का पैकेज स्वीकृत किया है। यूपीए के समय किसानों को 8 लाख करोड़ का कर्ज मिलता था, आज 15 लाख करोड़ का ऋण सालाना दिया जा रहा है। यूपीए के समय स्वामीनाथन आयेाग ने कृषि कल्याण के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे, लेकिन उस समय इन्हें लागू नहीं किया गया। आज मोदी सरकार ने न सिर्फ स्वामीनाथन रिपोर्ट के सुझावों को लागू किया बल्कि उसमें और अधिक प्रावधान जोड़कर किसानों का हित तलाशा है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य काफी बढ़ाया गया है। मोदी सरकार ने किसानों को दो तरफा फायदा दिया है। अगर किसान मंडी में उपज बेचता है तो उसे ऊंची एमएसपी पर कीमत मिलेगी और मंडी से बाहर बाजार में बेचता है तो उसे ऊंची कीमत के साथ तकनीक का भी लाभ मिलेगा। इन विधेयकों से बिचैलियों की भूमिका खत्म होगी और किसान अपनी फसल को कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र होगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भर्ती प्रक्रियाओं को निर्धारित टाईम टेबल में सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना प्रोटोकोल का पालन करते हुए भर्ती परीक्षाओं का आयोजन समयबद्धता से किया जाए। इसमें किसी भी स्तर पर शिथिलता न बरती जाए। मुख्यमंत्री ने सोमवार को सचिवालय के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में भर्ती प्रक्रियाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि विभागों से चयन आयोगों को अध्याचन भेजने में विलम्ब न हो। इसके लिए एक ऑनलाइन व्यवस्था बनाई जाए।
समान प्रकृति के पदों की एक ही परीक्षा हो
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि एक जैसी प्रकृति के पदों के लिए एक ही परीक्षा आयोजित की जाए। इससे परीक्षार्थियों के समय व धन की बचत होगी और भर्तियों में भी अनावश्यक विलम्ब नहीं होगा। राज्य लोक सेवा आयेाग जब एक बार डीपीसी की तिथि निर्धारित कर देता है तो यह संबंधित अधिकारियों की अनुपलब्धता के कारण स्थगित नहीं होनी चाहिए।
अध्याचन पर आपत्तियों का जवाब तीन दिन में
चयन आयेाग द्वारा की जाने वाली पृच्छाओं व आपत्तियों पर जवाब अधिकतम तीन दिनों में चला जाना चाहिए। कार्मिक विभाग प्रत्येक माह विभागों की भर्ती प्रक्रियाओं की समीक्षा करे और विभागों व चयन आयेागों में समन्वय स्थापित करे।
लक्ष्य निर्धारित कर हो काम
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के कारण भर्ती प्रक्रियाओं में विलम्ब हुआ है। इसकी भरपाई अगले 6 माह में किस प्रकार की जा सकती है, इसकी कार्ययोजना बना ली जाए। टार्गेटेड तरीके से काम करते हुए चयन आयेागों के साथ ही शासन स्तर पर भी इसे सर्वोच्च प्राथमिकता पर लिया जाए।
बैठक में उपस्थित विभिन्न आयोगों के अध्यक्षों ने अपने-अपने यहां चल रही भर्ती प्रक्रियाओं की जानकारी दी।
उत्तराखण्ड राज्य लोक सेवा आयोग
उत्तराखण्ड राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेनि) आनंद सिंह रावत ने बताया कि वर्ष 2017 से वर्तमान तक राज्य लोक सेवा आयोग से 3047 पदों पर चयन किया गया। जबकि 1145 पदों पर चयन प्रक्रिया गतिमान है जो कि इस वित्तीय वर्ष में पूर्ण कर ली जाएगी। आयोग ने इस वर्ष विभिन्न पदों के लिए टाईम टैबल बना लिया है। इसके अनुसार चयन सुनिश्चित किया जा रहा है। वर्ष 2017 से वर्तमान तक डीपीसी द्वारा कुल 2647 पदों पर चयन किया गया है, जबकि 219 पदों पर डीपीसी की प्रक्रिया गतिमान है।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयेाग के अध्यक्ष एस.राजू ने बताया कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा वर्ष 2017 से 2020 तक कुल 6 हजार पदों पर चयन पूर्ण किया गया। जबकि 2014 से 2017 तक 801 पदों पर चयन किया गया। वर्तमान में 9 परीक्षाएं कोविड-19 के संक्रमण के कारण लंबित हैं। इनमें से 7 परीक्षाएं अक्टूबर से दिसम्बर तक आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। चयन वर्ष 2019-20 व 2020-21 में लगभग 7200 पदों पर अधियाचन प्राप्त हुए हैं इनमें से लगभग 2500 पदों पर विज्ञापन प्रकाशित किया जा चुका है जबकि 4 हजार पदों पर विज्ञापन की कार्यवाही प्रगति पर है।
उत्तराखण्ड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड
उत्तराखण्ड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष डा.डीएस रावत ने बताया कि 2017 से अभी तक कुल 1282 का चयन किया गया। बोर्ड को वर्तमान में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, चिकित्साधिकारी, एक्स-रे टेक्नीशियन, ईसीजी टेक्नीशियन, रेडियोग्राफिक्स, राजकीय मेडिकल कालेजों में विभिन्न तकनीशियन के पदों सहित कुल 1351 पदों के अधियाचन प्राप्त हैं। इन पर चयन प्रकियाएं निश्चित टाईमफे्रम में पूरा कर लिया जाएगा।
बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव अमित नेगी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को देहरादून जिले के थानों में जलागम प्रबंधन विभाग के अधीन स्थापित एग्री बिजनेस ग्रोथ सेंटर का लोकार्पण किया। यह ग्रोथ सेंटर स्थानीय किसानों व युवाओं के लिए विभिन्न कृषि एवं गैर कृषि आधारित उत्पादों के संग्रहण, प्रसंस्करण एवं विपणन की दृष्टि से बनाया गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों की स्वीकृति दी जा चुकी है। सभी ग्रोथ सेंटर अलग-अलग कांसेप्ट पर तैयार किये जा रहे हैं। राज्य सरकार हर न्याय पंचायत में एक ग्रोथ सेंटर बनाने की दिशा में कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि हमें स्थानीय उत्पादों को और अधिक प्रमोट करने की जरूरत है। स्थानीय उत्पादों की मार्केट में डिमांड भी बहुत अधिक है। उन्होंने थानों में बनाये गए ग्रोथ सेंटर की सराहना की और कहा कि इस ग्रोथ सेंटर में पैकेजिंग और ब्रांडिग अच्छी की गई है। उन्होंने कहा कि इस ग्रोथ सेंटर को और अधिक विस्तार दिये जाने की जरूरत है। ग्रोथ सेंटर में हमेशा सामान इतना होना चाहिए कि लोगों को डिमांड पर शीघ्र उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि थानों क्षेत्र में कृषि योग्य भूमि काफी है। खेती का सदुपयोग करते हुए यहां कई ग्रोथ सेंटर बनाए जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में स्वरोजगार के क्षेत्र में अनेक कार्य हो सकते हैं। स्वरोजगार के कार्यों में युवा अपने साथ-साथ दूसरों को भी रोजगार दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को ऐसे ग्रोथ सेंटरों में जरूर आना चाहिए। इससे उनके मन में स्वरोजगार की दिशा में कार्य करने के लिए नये विचार आयेंगे। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एवं एमएसएमई के तहत अनेक क्षेत्रों में कार्य किये जा सकते हैं। इन योजनाओं का लाभ लेकर युवा काफी आमदनी अर्जित कर सकते हैं।
प्रदेश के जलागम व पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि थानों स्थित ग्रोथ सेंटर से क्षेत्र के 11 राजस्व ग्रामों के 17 कृषक समूहों के 257 कृषक जुड़े हैं। ग्रोथ सेंटर के माध्यम से एक साल में 13.27 लाख का व्यवसाय किया गया। संघ के जुड़े किसानों ने प्रसंस्कृत और बेकरी उत्पादों के साथ-साथ संरक्षित नर्सरी में पौधे उगाकर उनका विक्रय भी किया है। उन्होंने कहा कि ग्रोथ सेंटर में 35 से अधिक कृषि एवं गैर कृषि उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष राज्य स्तरीय जलागम परिषद ज्योति प्रसाद गैरोला, उत्तराखण्ड वन पंचायत परिषद के उपाध्यक्ष करण बोहरा, भाजपा जिलाध्यक्ष शमशेर सिंह पुंडीर, सचिव राधिका झा, जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव, परियोजना निदेशक ग्राम्या नीना ग्रेवाल, मुख्य विकास अधिकारी निकिता खण्डेलवाल आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपनी सरकार के साढ़े तीन वर्ष पूरे होने पर शुक्रवार को वर्चुअल माध्यम से पत्रकारों से बातचीत की। इस अवसर पर उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों को विस्तार से गिनाया और कहा कि सरकार ने जनता से किये गए 85 फीसदी वादे पूरे किए हैं। उन्होंने कहा की सुशासन और जीरो टाॅलरेंस आन करप्शन सरकार की प्राथमिकता में शामिल रहा है।
वन्यजीवों से फसलों की सुरक्षा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार वन्यजीवों से फसलों की सुरक्षा के लिए व्यापक कार्ययोजना पर काम कर रही है। इसमें 4 वानर रेस्क्यू सेंटरों की स्थापना, 125 किमी जंगली सूअर रोधी दीवार, 50 किमी सोलर फेंसिंग, 13 किमी हाथी रोधी दीवार, 250 किमी हाथी रोधी खाईयों का निर्माण शामिल है।
महिला पौधालय व इको क्लब
महिला पौधालयों की स्थापना पर भी काम किया जा रहा है, जिसमें कि लगभग 20 हजार महिलाओं को रोजगार सम्भावित है। एक वैश्विक स्तर का साईंस काॅलेज और प्रदेश के 5 हजार स्कूलों में हिमालय इको क्लबों की स्थापना की कार्ययोजना भी बनाई गई है।
रोजगार
मुख्यमंत्री ने कहा कि अप्रैल 2017 से सितम्बर 2020 तक सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्र में कुल 7 लाख 12 हजार से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया गया। इनमें से नियमित रोजगार लगभग 16 हजार, आउटसोर्स व अनुबंधात्मक रोजगार लगभग 1 लाख 15 हजार और स्वयं उद्यमिता/प्राईवेट निवेश से प्रदान और निर्माणाधीन परियोजनाओं से रोजगार लगभग 5 लाख 80 हजार है। उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा वर्ष 2014 से 2017 तक कुल 08 परीक्षाएं आयेाजित की गईं, जिनमें 801 पदों पर चयन पूर्ण किया गया। जबकि वर्ष 2017 से 2020 तक कुल 59 परीक्षाएं आयोजित की गईं जिनमें 6000 पदों पर चयन पूर्ण किया गया। वर्तमान में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में 7200 पदों पर अधियाचन/भर्ती प्रक्रिया गतिमान है।
मनरेगा व कैम्पा
मनरेगा में प्रति वर्ष 6 लाख लोगों को रोजगार दिया जाता है। कोविड के दौरान इसमें अतिरिक्त रोजगार दिया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में 84 हजार अतिरिक्त परिवारों (2 लाख अतिरिक्त श्रमिकों) को रोजगार दिया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में 170 करोड़ रूपए अतिरिक्त व्यय किए गए हैं। आगामी तीन माह में कैम्पा के अंतर्गत 40 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की कार्ययोजना है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
युवाओं और प्रदेश में लौटे प्रवासियों के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारम्भ की गई। एमएसएमई के तहत इसमें ऋण और अनुदान की व्यवस्था की गई है। इसमें लगभग 150 प्रकार के काम शामिल किए गए हैं।
गैरसैंण, उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी
गैरसैंण को उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया। इसकी विधिवत अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। अब गैरसैण में राजधानी के अनुरूप आवश्यक सुविधाओं के विकास की कार्ययोजना बनाई जा रही है।
चारधाम देवस्थानम बोर्ड
भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें तीर्थ पुरोहित और पण्डा समाज के लोगों के हक हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है।
अटल आयुष्मान योजना
अटल आयुष्मान योजना में राज्य के सभी परिवारों को 5 लाख रूपए वार्षिक की निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने वाला उत्तराखण्ड, देश का पहला राज्य है। अभी 2 लाख 5 हजार मरीजों को योजना में निशुल्क उपचार मिला है। जिस पर 180 करोड़ रूपए से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा देते हुए देशभर के 22 हजार से अधिक अस्पताल इसमें सूचीबद्ध हैं।
कार्यसंस्कृति में सुधार
ई-कैबिनेट, ई-ऑफिस, सीएम डैश बोर्ड उत्कर्ष, सीएम हेल्पलाईन 1905, सेवा का अधिकार और ट्रांसफर एक्ट की पारदर्शी व्यवस्था के चलते कार्यसंस्कृति में गुणात्मक सुधार हुआ है। भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलरेंस सरकार की प्रमुख नीति है।
इन्वेस्टर्स समिट
इन्वेस्टर्स समिट के बाद पहले चरण में 25 हजार करोड़ रूपए से अधिक के निवेश की ग्राउंडिंग हो चुकी है। अगले डेढ़ वर्ष में इसे 40 हजार करोड़ तक करने का लक्ष्य रखा गया है।
रिवर्स पलायन पर सुनियोजित प्रयास
पर्वतीय राज्य की अवधारणा से बने उत्तराखण्ड में पहली बार किसी सरकार ने रिवर्स पलायन पर सुनियोजित तरीके से काम शुरू किया है। एमएसएमई के केंद्र में पर्वतीय क्षेत्रों को रखा गया है।
ग्रोथ सेंटर
सभी न्याय पंचायतों में क्लस्टर आधारित एप्रोच पर ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी भी दी जा चुकी है। बहुत से ग्रोथ सेंटर शुरू भी हो चुके हैं। हर गांव में बिजली पहुंचाई गई है।
बिना ब्याज के ऋण
किसानों को तीन लाख रूपए और महिला स्वयं सहायता समूहों को पांच लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रदेश के गन्ना किसानों को अवशेष गन्ना मूल्य का शत प्रतिशत भुगतान सुनिश्चित किया गया है।
नए पर्यटन केंद्रों का विकास
13 डिस्ट्रिक्ट-13 न्यू डेस्टीनेशन से नए पर्यटन केंद्रों का विकास हो रहा है। होम स्टे योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। विभिन्न रोपवे प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है।
जलसंरक्षण और जलसंवर्धन
जलसंरक्षण और जलसंवर्धन पर काफी काम किया गया है। प्रदेश की नदियों, झीलों, तालाबों और जलस्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए व्यापक जनअभियान शुरू किया गया है।
डबल इंजन का असर
डबल इंजन का असर साफ-साफ देखा जा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा लगभग एक लाख करोड़ रूपए की विभिन्न परियोजनाएं प्रदेश के लिए स्वीकृत हुई हैं। बहुत सी योजनाओं पर तेजी से काम भी चल रहा है। इनमें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, चारधाम सड़क परियोजना़, केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण, भारतमाला परियोजना, जमरानी बहुद्देशीय परियोजना, नमामि गंगे, भारत नेट फेज -2 परियोजना, एयर कनेक्टीवीटी पर किया जा रहा काम मुख्य है। उत्तराखण्ड पहला राज्य है जहां उड़ान योजना में हेली सेवा प्रारम्भ की गई है। श्री बदरीनाथ धाम का भी मास्टर प्लान बनाया गया है।
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
पिछले लगभग साढ़े तीन वर्षों में उत्तराखण्ड ने विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। नीति आयोग द्वारा जारी ‘‘भारत नवाचार सूचकांक 2019’’ में पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में उत्तराखण्ड सर्वश्रेष्ठ तीन राज्यों में शामिल है। राज्य को 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट घोषित किया गया। स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उत्तराखंड को सात पुरस्कार मिले हैं। ‘‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’’ अभियान में ऊधमसिंह नगर जिले को देश के सर्वश्रेष्ठ 10 जिलों में चुना गया। उत्तराखंड को खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दूसरी बार कृषि कर्मण प्रशंसा पुरस्कार दिया गया। जैविक इंडिया अवार्ड 2018 के साथ ही मनरेगा में देशभर में सर्वाधिक 16 राष्ट्रीय पुरस्कार राज्य को मिले। मातृत्व मृत्यु दर में सर्वाधिक कमी के लिए उत्तराखण्ड को भारत सरकार से पुरस्कृत किया गया है।
लोक कल्याणकारी सरकार
आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आंगनबाड़ी सहायिका, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्री के मानदेय में बढ़ोतरी की गई है। वृद्धावस्था, विधवा और दिव्यांगजन पेंशन की राशि को 1000 रूपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 1200 रूपए प्रतिमाह किया गया। ग्राम प्रहरियों का मानदेय रूपए 2000 हजार प्रतिमाह किया गया। दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया। उत्तराखण्ड पहला राज्य है, जहां अनाथ बच्चों की चिंता करते हुए उनके लिए सरकारी सेवाओं में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। दुर्घटना राहत राशि को मृत्यु पर 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख, गम्भीर घायल होने पर 20 हजार से बढ़ाकर 40 हजार और साधारण घायल होने पर 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार रूपए किया है। शहीद सैनिकों के परिवार के एक सदस्य को उसकी योग्यता अनुसार सरकारी नौकरी दी जा रही है। विशिष्ट सेवा पदक से अलंकृत सैनिकों को अनुमन्य राशि में कई गुना बढ़ोतरी की है।
कोविड-19 से लड़ाई, हेल्थ सिस्टम को मजबूती
उत्तराखण्ड में सभी के सहयोग से कोविड-19 से लड़ाई लड़ी जा रही है। परिस्थितियों के अनुसार निर्णय ले रहे हैं। सर्विलांस, सेम्पलिंग, टेस्टिंग पर फोकस किया जा रहा है। राज्य में हेल्थ सिस्टम को मजबूत किया गया है। पर्याप्त संख्या में कोविड अस्पताल, आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, आक्सीजन सपोर्ट बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। राज्य के सभी जनपदों में आई0सी0यू0 स्थापित किए जा चुके हैं। मार्च में राज्य में कोरोना संक्रमण की टेस्टिंग सुविधा नहीं थी। वर्तमान में 5 सरकारी और विभिन्न प्राईवेट लेब में कोविड-19 के सेम्पल की जांच की जा रही है। वर्तमान में 481 आईसीयू बेड, 543 वेंटिलेटर, 1846 आक्सीजन सपोर्ट बेड, 30500 आईसोलेशन बेड उपलब्ध हैं। रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में भी मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं। पिछले लगभग तीन साल में पर्वतीय क्षेत्रों में डाक्टरों की संख्या में पहले से लगभग ढाई गुना वृद्धि की गई है। टेलीमेडिसीन और टेलीरेडियोलोजी भी लाभदायक साबित हो रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस को लेकर आयोजित ‘सेवा सप्ताह’ के तहत गुरुवार को उत्तराखंड में भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदेश भर में सेवा कार्यक्रम आयोजित किये। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राजधानी देहरादून में भाजपा महानगर कार्यालय में प्रधानमंत्री मोदी के जीवन और कार्यों पर आधारित प्रदर्शनी का उदघाटन किया और पार्टी द्वारा लॉकडाउन के दौरान किये गए सेवा कार्यों को लेकर तैयार की गई ई-बुक का भी लोकार्पण किया।
उल्लेखनीय है कि सेवा सप्ताह के तहत पार्टी द्वारा कार्यक्रमों का सिलसिला 14 सितम्बर को शुरू किया गया था। यह कार्यक्रम 20 सितम्बर तक चलेंगे। सेवा सप्ताह के तहत भाजपा कार्यकर्ताओं ने दिव्यांगों को विभिन्न प्रकार के कृत्रिम अंगों, उपकरणों और गरीबों को चश्मों का वितरण किया। विभिन्न स्थानों में वृक्षारोपण से लेकर सार्वजानिक स्थानों पर स्वच्छता कार्यक्रम, रक्तदान शिविर आदि आयोजित किए। गुरुवार को गरीब बस्तियों व चिकित्सालयों में फलों के वितरण आदि के कार्यक्रम आयोजित हुए।
राजधानी देहरादून में महानगर भाजपा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने प्रधानमंत्री मोदी के स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की कामना की और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने आज पूरे विश्व में एक अलग सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि मोदी एक ऐसे कर्मयोगी हैं, जिन्होंने अपने जीवन का एक-एक क्षण देश को समर्पित किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा उनके जन्मदिवस को सेवा सप्ताह के रूप में मना रही है। प्रदेश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस दौरान सभी स्थानों पर सेवा कार्य चलाए हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं ने सेवा कार्य के माध्यम से जन सहयोग कर सराहनीय कार्य किया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने इस दौरान प्रदेश सरकार के कार्यकाल की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को राज्य में भाजपा सरकार के साढ़े तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं। इन तीन वर्षों में प्रदेश सरकार ने जनता से किये गये वायदों को पूरा करने के लिए सभी प्रयास किये हैं। राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा है। उन्होंने कोरोना महामारी को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की चर्चा की और कहा कि राज्य सरकार सभी स्थितियों से निपटने में सक्षम है।
मुख्यमंत्री ने फिर दोहराया कि कोविड-19 से बचाव के लिए सावधानी ही सबसे बेहत्तर उपाय है। उन्होंने अपील की, कि सभी लोग सामाजिक दूरी का पालन और मास्क का उपयोग करें। इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत, विधायक खजानदास, मेयर सुनील उनियाल गामा, महानगर अध्यक्ष सीता राम भट्ट एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
महिला कल्याण आश्रम और कोरोनेशन अस्पताल में फल वितरण
प्रधानमंत्री मोदी के जन्म दिन के अवसर पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत, वरिष्ठ नेता नरेश बंसल ने राजधानी स्थित महिला कल्याण आश्रम और कोरोनेशन अस्पताल में फल वितरण किए।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को कुपोषण मुक्त उत्तराखण्ड के लिए विगत वर्ष शुरू किये गए ‘गोद अभियान’ के तहत कुपोषण मुक्त हुए बच्चों के अभिभावकों को सम्मानित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अति कुपोषित बच्चों को गोद लेने का जो अभियान शुरू किया गया था, इसके अच्छे परिणाम रहे। इस दिशा में स्वयं सेवी संस्थाओं, जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उनको कुपोषण मुक्त करने की दिशा में अच्छा कार्य किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्म दिवस है। प्रधानमंत्री ने कुपोषण मुक्त भारत का अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के जन्मदिवस के अवसर पर रक्तदान, प्लाज्मा डोनेट, अस्पतालों में फल वितरण के कार्यक्रम किये जा रहे हैं। देश भर में यह पूरा सप्ताह सेवा सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने में माँ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बच्चों की नियमित एवं संतुलित खान-पान से कुपोषित बच्चे जल्द सामान्य श्रेणी में आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि किसी बच्चे के कुपोषित होने पर उसका नुकसान न केवल बच्चे के माता-पिता पर पड़ता है, बल्कि पूरे समाज को इसका नुकसान होता है। कुपोषण मुक्त भारत बनाने के लिए हम सबको प्रयास करने होंगे।
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विकास विभाग की सचिव सौजन्या ने कहा कि कुपोषण मुक्त उत्तराखण्ड के लिए शुरू किये गये गोद अभियान को आगे भी जारी रखा जायेगा। पिछले वर्ष जब यह अभियान शुरू हुआ था, तब राज्य में 1700 अति कुपोषित एवं 12 हजार कुपोषित बच्चे थे। इस अभियान के तहत 9 हजार 177 बच्चों को गोद लिया गया। जिसमें से 2349 बच्चों के ग्रेड में सुधार हुआ है। बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के माध्यम से टेक होम राशन का घरों में वितरण किया जा रहा है। सरकार द्वारा अतिकुपोषित एवं कुपोषित बच्चों को प्रति सप्ताह दो-दो दिन अण्डा, केला एवं दूध दिया गया। इससे भी बच्चों को कुपोषण से सामान्य श्रेणी में लाने में मदद मिली।
इस अवसर पर सचिव दिलीप जावलकर, देहरादून के जिलाधिकारी डाॅ. आशीष श्रीवास्तव, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के निदेशक डाॅ. वी.षणमुगम आदि उपस्थित थे।
उत्तराखंड सरकार ने कोरोना काल में उपजी परिस्थितियों के मद्देनजर उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि. (उपनल) के माध्यम से होने वाली नियुक्तियों के द्वार सबके लिए खोल दिए हैं। इससे पहले उपनल से सिर्फ पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को ही आउटसोर्स के आधार पर रोजगार मिलता रहा है। प्रदेश मंत्रिमंडल ने विगत 4 सितम्बर को इस महत्वपूर्ण फैसले को स्वीकृति दी थी। बुधवार को प्रदेश की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा इस सम्बन्ध में आदेश जारी कर दिए गए हैं।
सरकार ने कोरोना काल में बेरोजगारों को राहत देने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया है। लॉकडाउन के कारण बड़े स्तर पर प्रवासी उत्तराखंड वापस लौटे हैं। प्रदेश सरकार उनके लिए रोजगार के साधन खोजने में लगी हुई है। इसके लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना समेत अनेक कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। इसी क्रम में सरकार ने उपनल के माध्यम से ऑउटसोर्सिंग के आधार पर होने वाली नियुक्तियों में अन्य लोगों को भी रोजगार देने के लिए यह कवायद की है। स्वास्थ्य, हाउसकीपिंग, हॉस्पिटेलिटी और तकनीकी क्षेत्रों में सरकारी व निजी क्षेत्र की मांग के मुताबिक कई बार पूर्व सैनिक उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। ऐसे में सरकार के इस आदेश के बाद यह समस्या नहीं रहेगी।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने मंगलवार को सचिवालय में वर्ष 2021 में हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर बैठक की और कुम्भ मेले के कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और आवश्यक सामग्रियों की पुख्ता व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली जाएं।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि कुम्भ मेले के आयोजन के लिए कम समय रह गया है। सभी कार्याें को समयबद्ध तरीके से किया जाए। साथ ही कार्यों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए। इसके लिए लगातार माॅनिटरिंग की जाए। उन्होंने डाम कोठी के जीर्णोद्धार के कार्य को समय से पूरा करने को कहा। निर्देश दिए कि मेला क्षेत्र में सीवर, पेयजल व विद्युत लाईन आदि के लिए सम्बन्धित विभागों से समन्वय बनाते हुए, पूर्व नियोजित तरीके से कार्य किए जाएं।
उन्होंने कहा कि आस्था पथ पर बाढ़ सुरक्षा कार्य को नदी में पानी का स्तर कम होते ही शुरू करने के निर्देश दिए और काँवड़ पटरी की ब्लैक टाॅपिंग का कार्य 15 नवम्बर तक पूर्ण करने के को कहा। उन्होंने कहा कि अस्थायी पुलों का निर्माण प्राथमिकता पर लेते हुए, इन्हें किसी भी दशा में 31 दिसम्बर तक तैयार करने को कहा। साथ ही कुम्भ मेले के लिए प्रस्तावित बस स्टैंड के लिए आवश्यक फाॅरेस्ट क्लीयरेंस लेकर कार्य तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कोविड-19 के दृष्टिगत कुम्भ मेले में विशेष व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने और चिकित्सकों एवं अन्य आवश्यक स्टाफ की तैनाती समय पर किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए 500 बेड की व्यवस्था रखी जाए। साथ ही पेशेंट केयर एवं टेस्टिंग की भी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली जाएं। उन्होंने कहा कि कुम्भ मेले के लिए आवश्यक स्टाफ, मेला अधिकारी, उप मेला अधिकारी, सूचना अधिकारी, पुलिस फोर्स एवं होम गार्ड की तैनाती की प्रक्रिया भी शीघ्र पूर्ण कर ली जाए।
बैठक में प्रमुख सचिव आनन्द वर्धन, सचिव आर.के. सुधांशु, शैलेश बगोली, नीतेश झा, राधिका झा, सौजन्या, मेलाधिकारी दीपक रावत व अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।