निर्देशों के बावजूद कर्मचारियों की समयबद्ध पदोन्नति ना किये जाने के मामले में प्रदेश सरकार ने सख्त रूख दिखाया है। सरकार ने समयबद्ध तरीके से पदोन्नति की कार्रवाई नहीं किये जाने पर नाराजगी जताते हुए इसे अनुचित करार दिया है। शासन की ओर से सोमवार को कर्मचारियों की पदोन्नति के सम्बन्ध में शीघ्रातिशीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिएअनुस्मारक जारी किया है।
प्रदेश की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा राज्याधीन सेवाओं, शिक्षण संस्थानों, सार्वजनिक उद्यमों, निगमों व स्वायत्तशासी संस्थाओं में पदोन्नति के संबंध में जारी किये गए अनुस्मारक पत्र में शासन के इस वर्ष 18 मार्च व 20 मई को जारी शासनादेशों का हवाला दिया गया है, जिसके तहत समस्त विभागों में पदोन्नति के रिक्त पदों पर प्रत्येक दशा में एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। अनुस्मारक पत्र में कहा गया है कि विभिन्न कर्मचारी संगठनों द्वारा शासन के संज्ञान में लाया गया है कि अभी तक कई विभागों में पदोन्नतियां लंबित हैं और विभागों द्वारा समयबद्ध रूप से कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सवाल – आखिर क्यों नहीं होती समयबद्ध पदोन्नति ?
गौरतलब है, कि प्रदेश में विभिन्न विभागों में लम्बे समय से पदोन्नतियां लटकी पड़ी हैं। विभागाध्यक्ष अथवा शासन स्तर पर कर्मचारियों की पदोन्नति के मामले में अधिकारी रूचि नहीं लेते हैं। इसे विडंबना ही कहना चाहिए कि जहाँ एक ओर अधिकारियों के पदोन्नति के प्रकरणों में एक दिन की भी देरी नहीं होती है, वहीं कर्मचारियों के प्रकरण में वर्षों तक कोई कार्रवाई नहीं होती है। कार्मिकों की पदोन्नति की फाइलें विभागों व सचिवालय की अंधेरी गलियों में गुम होकर रह जाती हैं और कई कार्मिक बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं। यहाँ इस तथ्य का उल्लेख करना भी जरुरी होगा, कि अधिकांश मामलों में कर्मचारियों की पदोन्नति के फलस्वरूप सरकार पर किसी प्रकार से राजस्व का अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ता है। अधिकांश कार्मिक वरिष्ठता के कारण पदोन्नत होने वाले पद के समतुल्य अथवा उससे अधिक वेतन पा रहे होते हैं। इन कार्मिकों को पदोन्नति का लाभ वरिष्ठ पद के सम्मान से जुड़ा होता है। मगर उच्च अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते कर्मचारी पदोन्नति से वंचित ही नहीं होते हैं, अपितु उनके मनोबल व कार्यक्षमता पर भी इसका सीधा असर पड़ता है। नतीजन, कर्मचारी संगठनों को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ता है।
यदि आप मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में हाथ आजमाना चाहते हैं और इसके उत्पादन के बारे में तकनीकी ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपके पास एक अच्छा अवसर है। आप घर बैठे ऑनलाइन मशरूम की खेती का प्रशिक्षण ले सकते हैं।
उत्तराखंड के पंतनगर स्थित गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मशरूम अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा मशरूम की खेती पर 9 से 11 सितम्बर तक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में बटन, ढिंगरी पुआल मशरूम व दूधिया मशरूम की खेती की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने के इच्छुक अभ्यर्थियों को पांच सौ रूपये बतौर पंजीकरण शुल्क 5 सितम्बर तक जमा करना होगा।
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ये है विश्वविद्यालय की वेबसाइट
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अलग राज्य निर्माण के आंदोलन से लेकर राज्य के विकास तक में हमारी मातृ शक्ति का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि महिला शक्ति की भागीदारी के बिना राज्य की आर्थिकी में सुधार की कल्पना नहीं की जा सकती। मातृ शक्ति के सहयोग से ही आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड की परिकल्पना सम्भव है।
यह वक्तव्य मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने उत्तराखण्ड के विकास में महिला शक्ति की भूमिका विषय पर आयोजित वेबनार में दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, महिला कल्याण और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। बड़ी संख्या में महिला स्वयं सहायता समूह बेहतरीन काम कर रहे हैं। राज्य में स्थापित किये गये ग्रोथ सेंटरों में भी महिलाएं अच्छा काम कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के दौरान आशा, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, महिला स्वास्थ्य कर्मियों व महिला पुलिस कर्मियों की भूमिका की विशेष सराहना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शासन में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। ई-ऑफिस, ई-कैबिनेट, सीएम डैशबोर्ड, सीएम हेल्पलाईन सुशासन की दिशा में बड़ा कदम है। स्कूलों में वर्चुअल क्लासेज प्रारंभ की गई है। टेलीमेडिसीन, टेलीरेडियोलाजी बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है। हर गांव को इंटरनेट से जोड़ने पर काम चल रहा है। पिछले तीन वर्ष में उत्तराखण्ड फिल्म शूटिंग के केन्द्र के रूप मे उभर कर सामने आया है। राज्य को बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का अवार्ड मिला है।
वेबिनार में इनकी रही भागीदारी
वेबिनार में हंस फाउंडेशन की प्रमुख माता मंगला, विधायक ऋतु खण्डूड़ी, प्रसिद्ध लेखिका व फिल्म स्क्रिप्ट राइटर अद्वैता काला, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव सौजन्या, पेटीएम की सीनियर वाईस प्रेसीडेंट रेणु सती, क्रिकेटर एकता बिष्ट, पत्रकार श्रेया ढौंडियाल सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं ने प्रतिभाग किया और अपने विचार रखे।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी के उत्तराखंड व दिल्ली प्रदेश के प्रभारी श्याम ज़ाजू का कहना है कि आम आदमी पार्टी (आप) को सपने देखने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि आप नेताओं को बड़े-बड़े दावे करने की पुरानी आदत है। उन्होंने कहा कि अगले विधान सभा चुनावों में उत्तराखंड में फिर से भाजपा की सरकार बनेगी
विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने देहरादून पहुंचे श्याम जाजू ने मीडिया कर्मियों से अनौपचारिक बातचीत में यह वक्तव्य दिया। पत्रकारों ने उनसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा उत्तराखंड की सभी 70 विधान सभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा पर सवाल पूछा था। केजरीवाल ने कुछ मीडिया संस्थानों को दिए साक्षात्कारों में दावा किया है कि उनकी पार्टी ने 2022 में होने वाले उत्तराखंड विधान सभा चुनावों को लेकर कराए सर्वेक्षण में 62 प्रतिशत लोगों ने आप के प्रति समर्थन व्यक्त किया है।
केजरीवाल के इस दावे को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में जाजू ने कहा कि जहां तक उत्तराखंड का सवाल है, अगले विधानसभा चुनाव में यहां भारी बहुमत से पुनः भाजपा की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है। प्रदेश सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में तमाम जन कल्याणकारी योजनाओं को संचालित किया है।
भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हैं और चुनाव लड़ना या पार्टी का विस्तार करने का सबको अधिकार है। लेकिन जहां तक आप पार्टी द्वारा उत्तराखंड को लेकर किए गए दावों का सवाल है तो आप के नेताओं द्वारा बड़ी-बड़ी बातें व दावे करना उनकी पुरानी आदत है। इसी आम आदमी पार्टी के नेता पंजाब, गोवा, हरियाणा व महाराष्ट्र को लेकर बड़े दावे करते थे, पर क्या हुआ?
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में तीसरी शक्ति के उभरने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। यहां भाजपा व कांग्रेस ही मुख्य दल हैं और अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा अपनी सरकार के कार्यों के आधार पर पुनः भारी बहुमत से जीतेगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की मदद से उत्तराखंड में बड़े-बड़े कार्य चल रहे हैं। उत्तराखंड के लोग राष्ट्रवादी हैं और उनका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पूरा विश्वास है।
आगामी चुनावों में मीडिया व सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका
इधर, भाजपा प्रदेश कार्यालय में पार्टी के मीडिया व सोशल मीडिया टीम के साथ बैठक में श्याम जाजू ने कहा कि आने वाले चुनाव में मीडिया व सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। जिसके लिए अभी से रणनीति बनाकर एक टीम वर्क के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रैली करने वाला भाजपा पहला राजनीतिक दल है। भाजपा ने बिहार चुनाव में सबसे पहले डिजिटल रैली का आयोजन कर 27 लाख लोगों को एक साथ संबोधित किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पैदा हुई परिस्थितियों में आने वाले समय में डिजिटल माध्यम ही संवाद का सशक्त रूप लेगा।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की आय दुगनी करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आत्मनिर्भर कृषि योजना कृषि क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भारत सरकार द्वारा कृषि विकास के सम्बन्ध में हाल ही में किए गए प्रयासों के सम्बन्ध में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं कृषि मंत्रियों के साथ बैठक की। इस मोके पर उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र द्वारा इसके लिए एक के बाद एक कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकारों ने भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य कृषि अवसंरचनाओं के विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित करना है। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। कृषि क्षेत्र में निजी निवेश को गांवों और खेतों तक पहुंचाना हमारा उद्देश्य है। कृषि अवसंरचनाओं के विकास में एक लाख करोड़ का यह पैकेज एक बड़ा कदम साबित होगा।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम को गति देने के लिए राज्यों को एक सेमिनार का आयोजन करना चाहिए, जिसमें कृषि अवसंरचनाओं के विकास और संभावनाओं पर चर्चा की जाए। एक सर्वेक्षण करा कर कृषि क्षेत्र में गैप्स ढूंढ कर उनके लिए योजनाएं बनायी जानी चाहिए। किसानों को सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए ताकि किसान अपने उत्पाद को लंबे समय तक एवं उचित मूल्य मिलने तक सुरक्षित रख सकें। उन्होंने कहा कि हमने 10 हजार फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (एफपीओ) बनाने का लक्ष्य रखा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों की आय को बढ़ाने के लिए शुरू की गयी आत्मनिर्भर कृषि योजना के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने में यह योजना मील के पत्थर की भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा केंद्र द्वारा प्रत्येक जनपद में दो-दो एफपीओ बनाए जाने हेतु दिए गए लक्ष्य को हम समय पूरा कर लेंगे। अन्य मैदानी राज्यों की तुलना में हमारे पर्वतीय राज्यों की परिस्थितियां अलग हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का अधिकांश भूभाग पर्वतीय है। जहां पर अलग-अलग प्रकार की क्लाइमेट कंडीशन है। उन्होंने पर्वतीय राज्यों के लिए अलग से नीति बनाई जाने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड मैं बेमौसमी फल-सब्जियों की अपार संभावना है। इनके उत्पादन में फोकस करके किसानों की आय को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में जड़ी बूटियों की अत्यधिक संभावना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को रू. 3 लाख तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, इसके साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहों को भी रू. A bonus may be marked as: new bonuses, waiting bonuses, http://vozhispananews.com/super-mario-bros-2-slot-machine-trick/ active bonuses, and accepted bonuses. 5 लाख तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्यमंत्री ने दी 238 करोड़ की पेयजल योजनाओं को मंजूरी
इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने आज जनपद देहरादून की विभिन्न पेयजल योजनाओं के लिये लगभग 238 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की है। जिन पेयजल योजनाओं के लिये मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है, उनमें जनपद देहरादून की विश्व बैंक पोषित गुमानीवाला पेयजल योजना निर्माण हेतु रूपये 16.50 करोड़ एवं संचालन व रखरखाव हेतु रूपये 4.81 करोड़, जीवनगढ़ पेयजल योजना के निर्माण कार्य हेतु रूपये 48. By the way, wagering means https://www.fontdload.com/la-rotonde-casino-le-lyon-vert-la-tour-de-salvagny/ depositing money and spending it on games. 90 करोड़ एवं संचालन व रख रखाव हेतु रूपये 15.30 करोड़, ऋषिकेश देहात पेयजल योजना के निर्माण कार्यों हेतु रूपये 67. Clicking on any link may result in the webmaster earning income. https://nikel.co.id/chef-richard-burr-of-the-akwesasne-mohawk-casino/ 25 करोड़ एवं संचालन तथा रख-रखाव हेतु रूपये 15. Deposit https://www.fontdload.com/el-sorro-de-la-casina-new-mexico/ casino 10 euros however, like the offers from Play SugarHouse. 00 करोड़, नत्थनपुर पेयजल योजना के निर्माण कार्यों के लिये रूपये 54. The jackpot size on these pokies increases each time someone places https://tpashop.com/downstream-casino-hotel-check-in-time/ a bet. 77 करोड़ एवं संचालन तथा रख-रखाव हेतु रूपये 15.85 करोड़ की धनराशि शामिल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों में लम्बे समय से पेयजल समस्या के समाधान हेतु मांग उठाई जाती रही है, अब इन योजनाओं की स्वीकृति से इन क्षेत्रों से पर्याप्त पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
गुरुवार को जारी स्वच्छ सर्वेक्षण -2020 के परिणाम उत्तराखण्ड के लिए सुखद रहे हैं। उत्तराखंड ने राष्ट्रीय स्तर पर तीन श्रेणियों में पुरस्कार प्राप्त किए। जिन राज्यों में 100 से कम शहरी निकाय हैं, उस श्रेणी में बेस्ट परफॉर्मिंग स्टेट में तीसरा स्थान प्राप्त किया। एक लाख से कम आबादी वाली देशभर की निकायों में नंदप्रयाग की नगर पंचायत ने सिटिजन फीड बैक श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया। छावनी क्षेत्र श्रेणी में अल्मोड़ा ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
गुरुवार को स्वच्छ सर्वेक्षण – 2020 के परिणामों तथा स्वच्छ सर्वेक्षण – 2021 का टूलकिट जारी करते हुए केन्द्रीय आवास व शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पुरस्कार वितरित किए। कोविड -19 संक्रमण के कारण पैदा हुई परिस्थितियों में इस आयोजन को वर्चुअल प्लेटफार्म पर ऑनलाईन आयोजित किया गया। उत्तराखंड के हिस्से में आए पुरस्कार मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने प्राप्त किये।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले निकायों को बधाई देते हुए कहा कि निकायों को इसी मनोयोग से आगे कार्य करना होगा। स्वच्छता के क्षेत्र में अभी बहुत सुधार की गुंजाईश है। उन्होंने कहा कि राज्य के शहरों एवं निकायों की रैंकिंग में अच्छा सुधार हुआ है। इसमें और बेहतर प्रदर्शन किये जाने पर उन्होंने बल दिया। मुख्यमंत्री कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन अभियान को आगे बढ़ाने के लिए स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। स्वच्छता के बल पर हम अनेक बीमारियों से बचाव सकते हैं।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र के नेतृत्व में राज्य सरकार नगरीय क्षेत्रों हेतु अत्यधिक गंभीरता से कार्य कर रही है। नगर निकायों को और भी अधिकार सम्पन्न बनाने एवं उनकी आय अर्जन के नए स्रोतों के विकास हेतु राज्य में लगातार प्रयास किए गए हैं। हमने निकायों को कहा कि स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखते हुए कार्य किए जाएं। यहां तक कि 14वें और 15वें वित्त आयोग के तहत निकायों को प्रदान किए जाने वाले अनुदान को भी सबसे पहले स्वच्छता कार्यों हेतु उपलब्ध करवाने संबंधी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए। इसका सीधा असर स्वच्छ सर्वेक्षण में हमारे प्रदर्शन पर पड़ा है।
रैंकिंग में लगातार सुधार
एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में उत्तराखण्ड का स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में लगातार सुधार हुआ है। वर्ष 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में देहरादून का स्थान 384, रूड़की का 281, काशीपुर का 304, हल्द्वानी का 350, हरिद्वार का 376 एवं रूद्रपुर का 403वां स्थान था। जबकि 2020 में देहरादून का 124वां, रूड़की का 131वां, काशीपुर का 139, हल्द्वानी का 229, हरिद्वार का 244 एवं रूद्रपुर का 316 स्थान आया है। 50 हजार से अधिक एवं एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगरों में रामनगर का नार्थ जोन के शहरों में 18वां, जसपुर का 56वां एवं पिथौरागढ़ का 58वां स्थान आया है। 25 हजार से 50 हजार से तक की जनसंख्या वाले नगरों की श्रेणी में नार्थ जोन में नैनीताल का 68वां एवं सितारगंज को 106वां स्थान प्राप्त हुआ है। 25 हजार से कम जनसंख्या वाले नगरों की श्रेणी में मुनि कि रेती का 12वां, उखीमठ का 41वां, भीमताल का 50वां एवं नरेन्द्रनगर का 58वां स्थान आया है। देश भर के कुल 92 गंगा निकायों में उत्तराखण्ड से गौचर ने तीसरा, जोशीमठ ने चौथा, रूद्रप्रयाग ने पांचवा, श्रीनगर ने छठवां गोपेश्वर ने आठवां, मुनि कि रेती ने 11 वां, बड़कोट ने 12वां , कर्णप्रयाग ने 13 वां, कीर्तिनगर ने 18वां, देवप्रयाग ने 20 वां, नन्दप्रयाग ने 22वां व टिहरी ने 28 वां स्थान प्राप्त किया।
राज्यस्तरीय PMU टीम भी सम्मानित
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने राज्य की निकायों को बेहतर मार्गदर्शन करने तथा स्वच्छ सर्वेक्षण – 2020 में उत्कृष्ट कार्य करने वाली राज्य स्तरीय PMU टीम को भी पुरस्कार प्रदान किया। अपर निदेशक शहरी विकास अशोक कुमार पाण्डे, संयुक्त निदेशक कमलेश मेहता, अधीक्षण अभियंता रवि पाण्डेय, राज्य मिशन प्रबंधक रवि शंकर बिष्ट, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं IEC विशेषज्ञ कमल भट्ट, MIS विशेषज्ञ राकेश कुमार, कनिष्ठ सहायक उपेन्द्र सिंह तड़ियाल एवं अनुज गुलाटी को यह पुरस्कार प्रदान किए गए।
उत्तराखंड के राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को मंगलवार 18 अगस्त से 20 अगस्त तक भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना को देखते हुए अलर्ट मोड में रहने के निर्देश जारी किए हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र द्वारा आज इस संबंध में पत्र जारी किया गया है। पत्र के अनुसार मौसम विज्ञान विभाग द्वारा आज अपराह्न 1 बजे जारी पूर्वानुमान में 18-19 अगस्त को प्रदेश के पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जिलों के कुछ स्थानों में भारी से बहुत भारी वर्षा व कहीं-कहीं अत्यधिक भारी वर्षा के साथ ही आकाशीय बिजली गिरने की संभावना जताई गई है।
मौसम विभाग ने 20 अगस्त को पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जनपदों में कहीं-कहीं तीव्र दौर के साथ भारी से बहुत भारी वर्षा होने और कहीं-कहीं आकाशीय बिजली गिरने की आशंका जताई है।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान को देखते हुए आपातकालीन परिचालन केंद्र ने लोगों को कहा है कि प्रत्येक स्तर पर तत्परता के साथ सावधानी, सुरक्षा और इधर-उधर आने जाने में नियंत्रण रखें।
आदेश में कहा गया है कि इस दौरान आपदा प्रबन्धन आईआरएस प्रणाली के नामित समस्त अधिकारी हाई अलर्ट में रहेंगे। किसी मोटर मार्ग के बाधित होने पर सम्बन्धित विभाग उसे तत्काल खुलवाना सुनिश्चित करेंगे। राजस्व उप निरीक्षक, ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम पंचायत अधिकारी अपने क्षेत्रों में उपस्थित रहेंगे। समस्त चौकी व थाने आपदा संबंधी उपकरणों व वायरलेस सेट के साथ अलर्ट रहेंगे।
यह भी निर्देश दिए गए हैं कि इस दौरान किसी भी कर्मचारी व अधिकारी के मोबाइल फोन स्विच ऑफ नहीं रहेंगे।
अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि किसी भी प्रकार की आपदा की सूचना राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष के फोन नंबरों पर देना सुनिश्चित करें।
0135 – 2710334
फैक्स 0135 – 2710335
टोल फ्री नंबर – 1077
9557444486
8266055523
सीमा सड़क संगठन (BRO) ने लगातार भूस्खलन और भारी बारिश के बावजूद तीन हफ्तों से भी कम समय में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के जौलजीबी सेक्टर में 180 फुट के बेली ब्रिज का निर्माण किया है। रक्षा मंत्रालय ने विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी है।
उल्लेखनीय है कि विगत 27 जुलाई को बादल फटने की घटना से आई बाढ़ और नदी-नालों के उफनने से यहां पहले से बना 50 मीटर लम्बा कंक्रीट का पुल पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। क्षेत्र में भूस्खलन की घटना की वजह से भी कई लोग भी हताहत हुए थे और सड़क संपर्क पूरी तरह से टूट गया था।
BRO ने तुरंत इस क्षेत्र में पुल बनाने के लिए अपने संसाधन जुटाए। लगातार भूस्खलन और भारी बारिश के बीच जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ से पुल निर्माण के लिए आवश्यक सामग्रियों को इस दूरस्थ क्षेत्र तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती थी। इसके बावजूद BRO ने चुनौतियों को स्वीकार कर पुल निर्माण का काम रविवार को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया। पुल बन जाने से बाढ़ प्रभावित गाँवों तक संपर्क सुविधा उपलब्ध हो गई और जौलजीबी फिर से मुनस्यारी से जुड़ गया।
इस पुल के निर्माण से पिथौरागढ़ जिले के 20 गांवों के लगभग 15 हजार से अधिक की आबादी को बड़ी राहत मिलेगी। पुल बनने के बाद सीमांत जौलजीबी से मुनस्यारी तक 66 किलोमीटर लम्बी सड़क पर यातायात फिर से शुरू हो गया है।
स्थानीय सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने पुल टूटने के बाद क्षेत्र में संपर्क सुविधा के ध्वस्त होने पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। नया बना यह पुल इस इलाके में भू -स्खलन से प्रभावित गांवों में पुनर्वास कार्यों में तेजी लाने में भी मददगार साबित होगा।
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर ऐतिहासिक पहल कर चुके उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस मुद्दे पर फ्रंट फुट पर खेलते दिखाई दे रहे हैं। आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने पहले अस्थाई राजधानी देहरादून और फिर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधान भवन में ध्वजारोहण कर इतिहास ही नहीं रचा, अपितु गैरसैंण को लेकर ताबड़तोड़ घोषणाएं कर विपक्षियों पर भी बढ़त कायम कर ली। त्रिवेंद्र ने आज गैरसैंण को लेकर की गईं घोषणाओं और वहां ध्वजारोहण कर राजधानी के मुद्दे को लेकर अपने इरादों को भी साफ़ कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि, उत्तराखण्ड राज्य के गठन से पहले से ही गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाए जाने की मांग उठती रही है। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के समय भी गैरसैंण को ही राज्य की प्रस्तावित राजधानी माना गया। गैरसैंण को तब अधिक महत्व मिला, जब वर्ष 1991 में उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार गठित हुई और कल्याण सरकार ने गैरसैंण में अपर शिक्षा निदेशक के कार्यालय का उद्घाटन किया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कल्याण सिंह सरकार ने ही उत्तराखंड पृथक राज्य निर्माण के संबंध में उत्तर प्रदेश विधान सभा में संकल्प प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था।
अलग राज्य निर्माण को लेकर उत्तराखंड के साथ कई अजीब विडंबना भी जुड़ी रही हैं। वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह यादव सरकार ने प्रस्तावित राज्य की राजधानी निर्माण के मुद्दे का राजनीतिक लाभ लेने के लिए अपने कैबिनेट मंत्री रमाशंकर कौशिक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की। इस समिति ने गैरसैंण को प्रस्तावित राज्य की राजधानी के रूप में अपनी संस्तुति दी। मुलायम सरकार ने एक ओर जहां राज्य निर्माण के बिना ही राजधानी मामले में अपनी सक्रियता प्रदर्शित की, वहीं दूसरी तरफ राज्य निर्माण की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों के साथ मुजफरनगर में जघन्य व घृणित कांड को अंजाम दिया।
केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में सरकार के गठन के बाद उत्तराखंड राज्य के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ। 9 नवम्बर, 2000 को उत्तराखण्ड को अलग राज्य के रूप में मान्यता मिली। केंद्र सरकार ने राजधानी के मुद्दे पर जन भावनाओं और आधारभूत ढांचे को ध्यान में रखकर देहरादून को अस्थाई राजधानी के रूप में घोषित किया। मगर राज्य निर्माण के बाद गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने की मांग विभिन्न स्तरों पर उठती रही।
वर्ष 2001 में उत्तराखंड की नित्यानंद स्वामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने जस्टिस वीरेंद्र दीक्षित की अध्यक्षता में राजधानी के मुद्दे को लेकर एक आयोग का गठन किया। अगले वर्ष प्रदेश में पहली बार विधान सभा चुनाव हुए। चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार गठित हुई। कांग्रेस सरकार के पूरे पांच साल के दौरान आयोग विस्तार पाता रहा और उसने कोई रिपोर्ट नहीं दी। वर्ष 2007 के विधान सभा चुनावों में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। एक सदस्यीय दीक्षित आयोग ने राजधानी पर अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपी, जिसे 17 अगस्त 2008 को विधानसभा में पेश किया गया। दीक्षित आयोग ने देहरादून तथा काशीपुर को राजधानी के लिए योग्य पाया था।
मगर जन भावनाओं के चलते दीक्षित आयोग की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई। गैरसैंण को राजधानी बनाने के पक्षधर यह मानते हैं कि पहाड़ी राज्य की राजधानी अगर पहाड़ में स्थित होगी तो वहां के विकास को नयी गति मिलेगी। गैरसैंण भावनात्मक मुद्दा होने के साथ ही राजनीतिक रंग भी लेता रहा। वर्ष 2012 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण में एक कैबिनेट बैठक का आयोजन किया। इसके बाद बहुगुणा सरकार ने गैरसैंण से लगभग 12 किमी दूर स्थित भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन, सचिवालय, ट्रांजिट हॉस्टल और विधायक आवास का शिलान्यास किया। विधान सभा आदि के निर्माण के बावजूद गैरसैंण को लेकर असमंजस बरक़रार रहा। इस बीच वहां विधान सभा के सत्र भी आयोजित होते रहे।
गैरसैंण के इतिहास में इस वर्ष 4 मार्च का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान उसे राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में घोषित कर दिया। गैरसैंण में ही आयोजित हुए बजट सत्र में जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को राजधानी बनाने की घोषणा की थी तो उन्होंने भावुक होकर कहा था कि “ये फैसला काफी सोच-समझकर लिया गया है”। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप विगत 8 जून को प्रदेश सरकार ने ग्रीष्मकालीन राजधानी को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी। त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के साथ- साथ इसे ई-राजधानी के रूप में विकसित करने की योजना भी बनाई है, ताकि गैरसैंण में विधान सभा सत्र के आयोजन के दौरान फाइलों को अनावश्यक रूप से इधर-उधर नहीं ढोना पढ़े।
इस बीच कोरोना महामारी के कारण उपजी परिस्थितियों के चलते प्रदेश सरकार गैरसैंण को लेकर अपनी योजनाओं को गति नहीं दे सकी, तो कांग्रेस ने मौके का फायदा उठाते हुए मुद्दे को लपकने की कोशिश की। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गैरसैंण की यात्रा कर भाजपा सरकार पर सवाल दागे। मगर तब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने अपने अंदाज में उनसे यही सवाल किया कि जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने राजधानी के विषय पर कोई निर्णय क्यों नहीं लिया ? मगर आज स्वतंत्रता दिवस के दिन त्रिवेंद्र ने गैरसैंण व आसपास के क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं व अन्य तमाम घोषणाएं कर राजनीतिक तौर पर बढ़त हासिल कर दी है। मुख्यमंत्री ने गैरसैण को लेकर घोषणाएं राजधानी देहरादून में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में की और इसके बाद वे विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल समेत अन्य प्रमुख लोगों के साथ गैरसैंण पहुंचे। गैरसैंण में विधान सभा भवन के सम्मुख ध्वजारोहण कर उन्होंने कई योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने आज ट्वीट कर इस अवसर को ऐतिहासिक बताया। मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को लेकर जो प्रमुख घोषणाएं की, उनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गैरसैंण में 50 बेड्स के सब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की स्थापना, विधानसभा परिसर में मिनी सचिवालय की स्थापना, स्थानीय हॉस्पिटल में टेलीमेडिसिन की सुविधा, क्षेत्र में पंपिंग पेयजल पाइप लाइन का निर्माण, जियो ओएफसी नेटवर्किंग का विस्तार, कोल्ड स्टोरेज की स्थापना आदि प्रमुख हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा मंगलवार को सचिवालय की व्यवस्थाओं को लेकर की गई समीक्षा बैठक को कई मायनों में अहम जा सकता है। मुख्यमंत्री ने शासन के “पावर हाउस” की ओवरहालिंग की जो कवायद शुरू की है, उसकी जरुरत लम्बे समय से महसूस की जा रही थी। जनाकांक्षाओं का केंद्र समझे जाने वाले सचिवालय की कार्यप्रणाली कई बार “जन” से दूर होकर अधिकारियों-कर्मचारियों की गुटबाजी, राजनीति, अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन व कई अन्य विवादों तक ही सिमट कर रह जाती है। बेवजह फाइलों को दबाए रखना और उन्हें घुमाना जैसे आरोप सचिवालय की कार्यप्रणाली के लिए सामान्य बात है।
उत्तराखंड के सचिवालय की यह कार्यप्रणाली मुख्यमंत्री को भी खटक गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सचिवालय जन आकांक्षाओं का भी केन्द्र होता है। जनहित से जुड़ी योजनाओं की स्वीकृति में तेजी आने से उसका लाभ आम आदमी को समय पर मिल सकेगा और जन कल्याण के लिये समर्पित सरकार का सन्देश आम जनता तक पहुंचेगा। मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सचिवालय में मुख्य सचिव ओम प्रकाश, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार के साथ ही सभी सचिवों एवं प्रभारी सचिवों के साथ सचिवालय की कार्य प्रणाली में सुधार एवं ई- फाइलिंग आदि से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर व्यापक चर्चा की तथा इस सम्बंध में सभी से सुझाव भी प्राप्त किये।
फाइल लटकाने वालों के खिलाफ कार्रवाई
समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने सचिवालय के विभिन्न अनुभागों में पत्रावलियों के निस्तारण में आवश्यक विलम्ब के लिये उत्तरदायी कार्मिक के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने के निर्देश उच्चाधिकारियों को दिए। मुख्यमंत्री ने ऐसे प्रकरणों में मात्र स्थानान्तरण को ही पर्याप्त नहीं बताया, बल्कि कार्रवाई भी जरुरी बताई। सचिवालय में पत्रावलियों का निस्तारण समयबद्धता के साथ हो, इसके लिये मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण, सिंचाई, आवास, खनन, आबकारी एवं पेयजल जैसे मलाईदार अनुभागों में निर्धारित अवधि से अधिक समय तक कार्यरत कार्मिकों को एक सप्ताह के अन्दर स्थानान्तरित करने के निर्देश सचिव सचिवालय प्रशासन को दिये।
उच्च स्तर से सीधे अनुभाग में जाएगी फाइल
अनावश्यक देरी से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि फाइल अनुभाग स्तर से निर्धारित प्रक्रिया के तहत उच्चाधिकारियों को प्रस्तुत की जाए। मगर वापसी में फाइल को उच्च स्तर से सीधे सेक्शन को सन्दर्भित कर दिया जाए। एक अनुभाग अधिकारी एवं समीक्षा अधिकारी को एक ही विभाग का कार्य सौंपा जाए। कार्मिकों को सभी विभागों की कार्य प्रणाली की जानकारी रहे। इसकी व्यवस्था करने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित अधिकारियों को दिये हैं।
शुरू होगी ई-फाईलिंग
मुख्यमंत्री ई- फाईलिंग को सीएम डैशबोर्ड से लिंक किये जाने, लम्बित प्रकरणों का निर्धारित समय सीमा के अन्दर निस्तारण करने के निर्देश देते हुए एक लक्ष्य लेकर पहले लो.नि.वि, सिंचाई, ऊर्जा, कार्मिक एवं गृह विभाग की ई- फाइलिंग तैयार करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने सचिवालय मैनुअल के पुनर्मूल्यांकन के भी निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि सचिवालय मैनुअल परिणामकारी हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस सम्बन्ध में मैनुअल रिफॉर्म हेतु गठित समिति से शीघ्र अपनी अनुशंसा उपलब्ध कराने को कहा।
अनुभागों में लगेंगे CCTV कैमरे
मुख्यमंत्री ने सचिवालय के अनुभागों के पर्यवेक्षण की कारगर व्यवस्था बनाने और सचिव स्तर के अधिकारियों को माह में एक दिन अनुभागों का निरीक्षण करने को कहा। उन्होंने कार्मिकों की उपस्थिति की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। इसके साथ ही अनुभागों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने और उच्चाधिकारियों के स्तर पर इसकी निगरानी करने को कहा।
वीडियो कांफ्रेंसिंग पर जोर
मुख्यमंत्री ने विभागीय/निदेशालय स्तर के अधिकारियों को अनावश्यक सचिवालय न आना पड़े, इसके लिये वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था अमल में लाने को कहा है। जनहित में कोई नीति बनायी जाती है तो उसकी ड्राफ्ट पॉलिसी को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाए। पब्लिक प्लेटफार्म में जाने पर इसमें जनता के सुझाव भी प्राप्त हो सकेंगे तथा एक व्यावहारिक नीति बनाने में मदद मिलेगी।
अच्छे कार्मिक होंगे पुरुष्कृत
मुख्यमंत्री ने कार्मिकों के हित तथा विभागीय कार्यों में गति लाने के लिये विभागों में समय पर डीपीसी करने के निर्देश दिये। उन्होंने प्रत्येक माह के अन्तिम दिवस को डीपीसी के लिये निर्धारित करने के निर्देश दिये। कार्मिकों का वार्षिक मूल्यांकन जरूरी किये जाने और बेहतर कार्य करने वाले कार्मिकों को पुरस्कृत किये जाने की व्यवस्था करने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।