राज्य योजनाओं की मॉनिटरिंग से लेकर कर्मियों की समस्याओं पर हुई विस्तृत चर्चा
देहरादून। मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में सचिव समिति की बैठक आयोजित हुयी। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने राज्य एवं जनहित से जुड़ी योजनाओं सहित राज्य सरकार के कर्मियों की समस्याओं एवं मुद्दों पर चर्चा करते हुए विभिन्न दिशा निर्देश दिए।
ई-डीपीआर मॉड्यूल से की जाए सभी डीपीआर तैयार- मुख्य सचिव
मुख्य सचिव ने सभी सचिवों को अपने विभागों के अन्तर्गत किए जाने वाले कार्यों के लिए ई-डीपीआर मॉड्यूल को लागू किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ई-डीपीआर के माध्यम से डीपीआर तैयार किए जाने से लेकर सरकार तक पहुंचने तक की गतिविधि ई-डीपीआर के माध्यम से की जाए। उन्होंने कहा कि ई-डीपीआर का क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग को शत-प्रतिशत रूप से ऑनलाईन किया जाए।
प्रत्येक कर्मचारी का सर्विस बुक डाटा किया जाए अपडेट
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि यूकेपीएफएमएस के माध्यम से सभी कर्मियों की सर्विस बुक डाटा को अपडेट किया जाए। उन्होंने कहा कि आईएफएमएस डेटा का डिजिटाईजेशन शीघ्र किया जाए। इसके लिए आईएफएमएस मैकेनिज्म को मजबूत किए जाने की भी आवश्यकता है। उन्होंने सभी विभागाध्यक्षों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों एवं वाहन चालकों के जीपीएफ सम्बन्धी डेटा को भी लगातार अपडेट किए जाने के निर्देश दिए हैं।
ई-ऑफिस और बायोमैट्रिक को विभागों एवं जनपदों में किया जाए 100 प्रतिशत लागू
मुख्य सचिव ने सभी सचिवगणों को अपने-अपने विभागों के अंतर्गत 100 प्रतिशत ई-ऑफिस शीघ्र लागू किए जाने के निर्देश दोहराए। उन्होंने जनपद स्तरीय कार्यालयों को भी शीघ्र ई-ऑफिस पर शिफ्ट किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, विभागों में 100 प्रतिशत बायोमैट्रिक उपस्थिति लागू किए जाने के भी निर्देश दिए हैं।
जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिर्फ शुक्रवार सायं
मुख्य सचिव ने कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा जिलाधिकारियों को अलग-अलग दिन अलग-अलग समय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आयोजित कर के अनावश्यक रूप से व्यस्त रखा जाता है। इस समस्या के निस्तारण एवं जिलाधिकारियों को अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए मुक्त रखे जाने हेतु शुक्रवार सायंकाल का समय निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थितियों के अतिरिक्त जिन भी विभागों को जिलाधिकारियों के साथ बैठक करनी हैं, वे प्रत्येक शुक्रवार सायंकाल जिलाधिकारियों के साथ आयोजित होने वाली बैठक में अपनी बात रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी बैठकों के एजेण्डा पॉइन्ट्स पूर्व में ही जिलाधिकारियों को साझा किए जाएं।
आईएएस अधिकारी शीघ्र लें अपने प्रथम नियुक्ति के कार्यस्थलों को गोद
मुख्य सचिव ने शीघ्र ही भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों द्वारा प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय नियुक्ति के कार्यक्षेत्र (विकासखण्ड, तहसील और जिला मुख्यालय) को गोद लेने की प्रक्रिया में तेजी लाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी अधिकारियों को अपने विभागों के अंतर्गत केन्द्र एवं राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं की लगातार समीक्षा किए जाने के भी निर्देश दिए हैं।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगौली, नितेश कुमार झा, श्रीमती राधिका झा, सचिन कुर्वे, दिलीप जावलकर, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, चंद्रेश कुमार यादव, डॉ. नीरज खैरवाल, विनय शंकर पाण्डेय, दीपेन्द्र कुमार चौधरी, डॉ. सुरेन्द्र नारायण पाण्डेय, विनोद कुमार सुमन, रणवीर सिंह चौहान एवं धीराज सिंह गर्ब्याल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
टिहरी में जाजल फकोट के पास हुआ हादसा, चार गंभीर घायल एम्स रेफर
टिहरी। उत्तराखंड के टिहरी जनपद में ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर जाजल और फकोट के बीच दर्दनाक हादसा हो गया। कांवड़ यात्रियों से भरा एक ट्रक अनियंत्रित होकर सड़क पर पलट गया, जिसमें एक श्रद्धालु की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य कई घायल हो गए।
ऋषिकेश से गंगोत्री की ओर जा रहे कांवड़ यात्रियों का ट्रक जाजल फकोट के बीच हादसे का शिकार हो गया। ट्रक में कुल 15 यात्री सवार थे। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी बृजेश भट्ट ने जानकारी दी कि हादसे में एक यात्री की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 14 घायल हो गए हैं।
गंभीर रूप से घायल चार यात्रियों को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया है, जहां उनका उपचार चल रहा है। आठ घायलों को नरेंद्र नगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया है, जबकि एक यात्री का प्राथमिक उपचार फकोट स्वास्थ्य केंद्र में किया जा रहा है। एक अन्य यात्री को हल्की चोटें आई हैं।
कांवड़ यात्रा के दौरान बढ़ती भीड़ और ट्रैफिक को देखते हुए प्रशासन लगातार सतर्कता बरत रहा है, बावजूद इसके यह हादसा कई सवाल खड़े करता है।
बुजुर्ग दंपत्ति को 3080 वर्ग फुट की संपत्ति मिली वापस, डीएम अदालत से मिला त्वरित न्याय
देहरादून — जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में जिला प्रशासन ने एक बार फिर असहायों को त्वरित न्याय दिलाकर प्रशासनिक संवेदनशीलता का परिचय दिया है। गिफ्ट डीड की शर्तों का उल्लंघन करने पर डीएम न्यायालय ने बुजुर्ग दंपत्ति की संपत्ति वापस उनके नाम करते हुए पुत्र को बड़ा झटका दिया है।
प्रकरण के अनुसार, बुजुर्ग परमजीत सिंह ने अपनी 3080 वर्ग फुट की संपत्ति, जिसमें दो बड़े हॉल शामिल हैं, गिफ्ट डीड के माध्यम से अपने पुत्र गुरविंदर सिंह के नाम कर दी थी। डीड की शर्तों के तहत गुरविंदर सिंह को अपने माता-पिता का भरण-पोषण करने, उनके साथ निवास करने और पोते-पोती को दादा-दादी से मिलने से न रोकने का वादा किया गया था।
हालांकि, संपत्ति अपने नाम होते ही पुत्र ने बुजुर्ग माता-पिता से न केवल दूरी बना ली, बल्कि बच्चों को भी दादा-दादी से मिलने से रोक दिया। निराश और उपेक्षित बुजुर्ग दंपत्ति ने न्याय के लिए जिलाधिकारी की शरण ली।
जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय में मामले की विधिवत सुनवाई की गई। विपक्षी गुरविंदर सिंह को कई बार नोटिस भेजे गए और सार्वजनिक विज्ञप्तियों के माध्यम से भी सूचना दी गई, परंतु उनकी ओर से कोई आपत्ति दाखिल नहीं की गई और न ही वे न्यायालय में उपस्थित हुए।
प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं और पर्याप्त अवसर के उपरांत, जिलाधिकारी सविन बंसल ने गिफ्ट डीड को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया और पूरी 3080 वर्ग फुट की संपत्ति पुनः बुजुर्ग परमजीत सिंह और उनकी पत्नी अमरजीत कौर के नाम कर दी।
इस फैसले के बाद जिला अधिकारी न्यायालय में ही बुजुर्ग दंपत्ति की आंखों से आंसू छलक पड़े। वर्षों की उपेक्षा और थानों, तहसीलों व अधीनस्थ अदालतों की दौड़ के बाद उन्हें पहली बार त्वरित न्याय मिला।
डीएम बंसल ने “भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम” की विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह निर्णय सुनाया। इस फैसले से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया कि जिला प्रशासन समाज में कमजोर वर्गों की सहायता के लिए सजग और सक्रिय है।
श्रद्धा और आस्था के महापर्व कांवड़ यात्रा 2025 को लेकर उत्तराखंड सरकार ने कमर कस ली है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा निर्देशों में स्वास्थ्य विभाग ने एक सख्त और समर्पित कार्ययोजना तैयार की है, जिसके तहत लाखों श्रद्धालुओं को शुद्ध और सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराने के लिए व्यापक निगरानी अभियान चलाया जाएगा।
कानूनी कार्रवाई व ₹2 लाख तक का जुर्माना
कांवड़ यात्रा 2025 के दौरान श्रद्धालुओं को शुद्ध और सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराने के लिए शासन ने सख्त व्यवस्था लागू कर दी है। स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन डॉ आर. राजेश कुमार ने कहा इस संबंध में यात्रा मार्गों पर मौजूद सभी होटल, ढाबा, ठेली, फड़ व अन्य खाद्य कारोबारियों को कुछ जरूरी निर्देश दिए गए हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है, हर खाद्य कारोबारी को अपने फूड लाइसेंस या पंजीकरण प्रमाणपत्र की एक साफ-सुथरी प्रति अपने प्रतिष्ठान में प्रमुख जगह पर लगानी होगी, ताकि उपभोक्ता उसे आसानी से देख सकें। छोटे व्यापारियों व ठेले-फड़ वालों को भी अपना पंजीकरण प्रमाण पत्र अपने पास रखना और प्रदर्शित करना जरूरी होगा। होटल, भोजनालय, ढाबा और रेस्टोरेंट में ’फूड सेफ्टी डिस्प्ले बोर्ड’ भी साफ-साफ दिखाई देने वाले स्थान पर लगाया जाना चाहिए, जिससे ग्राहक को यह पता चल सके कि खाने की गुणवत्ता की जिम्मेदारी किसकी है। जो कारोबारी ये निर्देश नहीं मानेंगे, उनके खिलाफ खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 की धारा 55 के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें ₹2 लाख तक का जुर्माना लग सकता है। सभी संबंधित अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि इन आदेशों का कड़ाई से पालन हो। श्रद्धालुओं की सेहत के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन डॉ आर. राजेश कुमार ने कहा कांवड़ यात्रा के दौरान पंडालों, भंडारों और अन्य भोजन केंद्रों पर परोसे जा रहे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। मिलावटखोरों और मानकों से खिलवाड़ करने वालों के विरुद्ध तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यात्रियों की सेहत हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
खाद्य पदार्थों की सघन जांच का अभियान
अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन श्री ताजबर सिंह जग्गी ने कहा खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की विशेष टीमें हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, पौड़ी और उत्तरकाशी जिलों में तैनात की गई हैं। ये टीमें नियमित रूप से पंडालों से दूध, मिठाई, तेल, मसाले, पेय पदार्थ आदि के नमूने लेंगी और जांच के लिए प्रयोगशालाओं में भेजेंगी। अगर कोई नमूना मानकों पर खरा नहीं उतरता तो संबंधित स्थल को तत्काल बंद कर दिया जाएगा। अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन श्री ताजबर सिंह जग्गी ने कहा सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिना लाइसेंस खाद्य व्यवसाय करने वालों के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। मिलावट या नियम उल्लंघन करने वालों को आर्थिक दंड के साथ-साथ आपराधिक कार्रवाई का भी सामना करना पड़ेगा।
जागरूकता और शिकायत व्यवस्था
अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन ताजबर सिंह जग्गी ने कहा आईईसी (सूचना, शिक्षा एवं संचार) माध्यमों से जनता और संचालकों को शुद्ध भोजन की पहचान, खाद्य नियमों और उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके लिए बैनर, पोस्टर, पर्चे और सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है। सरकार द्वारा जारी टोल फ्री नंबर दृ 18001804246 पर कोई भी व्यक्ति खाद्य सामग्री की गुणवत्ता को लेकर शिकायत दर्ज कर सकता है। शिकायत पर प्रशासनिक टीमें तुरंत मौके पर जाकर कार्रवाई करेंगी।
नियमित रिपोर्टिंग और अधिकारी जिम्मेदार
अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन ताजबर सिंह जग्गी ने बताया हर जिले से प्रतिदिन की गई कार्रवाई की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। वरिष्ठ अधिकारियों को निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। किसी भी स्तर पर लापरवाही पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आस्था के पर्व में स्वास्थ्य का संकल्प
उत्तराखंड शासन ने सभी धार्मिक संस्थाओं, भंडारा संचालकों और खाद्य विक्रेताओं से अपील की है कि वे श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करते हुए केवल शुद्ध, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण भोजन परोसें। सरकार की मंशा है कि श्रद्धा और स्वास्थ्य दोनों का संतुलन इस पावन यात्रा में बना रहे।
उत्तराखंड में वनों के संरक्षण को मिलेगी रफ्तार, सीएम धामी ने दिए कैंपा फंड के बेहतर उपयोग के निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में उत्तराखण्ड कैंपा (क्षतिपूर्ति वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण) शासी निकाय की बैठक हुई। बैठक में कैंपा निधि के अंतर्गत संचालित योजनाओं की प्रगति की विस्तृत समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि कैंपा फंड का उपयोग राज्य में वनों के सतत प्रबंधन, वानिकी विकास, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने तथा वनों पर आश्रित समुदायों के कल्याण के लिए किया जाए। उन्होंने कहा कि देहरादून शहर में ग्रीन कवर बढ़ाने हेतु, कैम्पा फंड इस्तेमाल किए जाने के लिए केंद्र सरकार के स्तर से भी अनुमति प्राप्त करने की कार्यवाई की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में जलस्रोतों के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए प्रभावी योजना तैयार की जाए। वन क्षेत्रों में जलस्रोतों के संरक्षण और पुनर्जीवीकरण को शीर्ष प्राथमिकता में रखा जाए। इसके लिए वन विभाग के साथ पेयजल, जलागम, ग्राम्य विकास और कृषि विभाग संयुक्त रूप से कार्ययोजना तैयार करें। उन्होंने वनाग्नि रोकथाम के लिए आधुनिक तकनीक और सामुदायिक भागीदारी के जरिए व्यापक रणनीति बनाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वृक्षारोपण के कार्य में केवल पौधे लगाने तक सीमित न रहकर पौधों के सर्वाइवल रेट पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कैंपा निधि से संचालित परियोजनाओं की गुणवत्ता, समयबद्धता एवं प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए नियमित समीक्षा बैठक करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि हरेला पर्व पर प्रदेश में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया जाए। इसमें फलदार, औषधीय गुणों से युक्त पौधे अधिक लगाये जाएं। उन्होंने कहा कि पौधारोपण के लिए जन सहभागिता सुनिश्चित की जाए और लोगों को एक पेड़ मां के नाम लगाने के लिए प्रेरित किया जाए। मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि गौरा देवी की जन्म शताब्दी पर वन विभाग द्वारा सभी डिविजन में फलधार पौधे लगाये जाएं।
वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि स्थानीय लोगों को वन संरक्षण के कार्यों से जोड़ने के लिए स्वरोजगार और आजीविका आधारित कार्यक्रम चलाए जाएं ताकि वन संपदा के सतत उपयोग और संरक्षण में उनकी भागीदारी बढ़ाई जा सके।
बैठक में विधायक भूपाल राम टम्टा, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव वन आर.के. सुधांशु, प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुदंरम, प्रमुख वन संरक्षक समीर सिन्हा, सचिव श्रीमती राधिका झा, चन्द्रेश कुमार, एस एन.पाण्डेय, श्रीधर बाबू अदांकी और वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में अलकनंदा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे निचले इलाकों में स्थित छोटे मंदिर और शिव प्रतिमाएं जलमग्न हो गई हैं। इससे क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोगों के साथ-साथ यात्रियों की चिंता भी बढ़ गई है।
इधर, मौसम की अनिश्चितता के बावजूद केदारनाथ यात्रा सोमवार सुबह से पुनः शुरू की गई। अपराह्न 3 बजे तक कुल 7936 श्रद्धालुओं ने सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान किया, जिनमें से अधिकांश देर शाम तक धाम पहुंच गए। वहीं, 8400 श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर सकुशल सोनप्रयाग लौटे।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के आधार पर शासन ने सोमवार सुबह चारधाम यात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया था, लेकिन सुबह 8 बजे गढ़वाल कमिश्नर द्वारा इस आदेश को निरस्त कर दिया गया। उन्होंने जिलाधिकारियों को स्थानीय मौसम की स्थिति के अनुसार यात्रा संचालन के निर्देश दिए।
भूस्खलन और बारिश बनी चुनौती
जिलाधिकारी प्रतीक जैन के निर्देश पर सुबह 9 बजे से यात्रा को दोबारा शुरू किया गया। हालांकि, गौरीकुंड हाईवे पर मुनकटिया और शटल पार्किंग क्षेत्र में सक्रिय भूस्खलन जोन के कारण यात्रियों को पुलिस सुरक्षा के बीच सावधानीपूर्वक रास्ता पार कराया गया।
सोनप्रयाग चौकी प्रभारी निरीक्षक राकेंद्र सिंह कठैत ने बताया कि रुक-रुककर हो रही बारिश से हाईवे और पैदल मार्ग कई स्थानों पर अति संवेदनशील हो गए हैं। इससे यात्रा संचालन में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है।
प्रदेश में भारी बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग ने देहरादून, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, नैनीताल और बागेश्वर जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश और तेज गर्जन की चेतावनी जारी की है। अन्य जिलों में भी तेज बारिश और बिजली गिरने का येलो अलर्ट है। अगले कुछ दिनों तक—विशेषकर 6 जुलाई तक—प्रदेश भर में भारी बारिश के आसार जताए गए हैं।
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मौसम की जानकारी लेकर ही यात्रा के लिए प्रस्थान करें और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
उत्तराखंड को फार्मास्युटिकल सेक्टर का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत देहरादून स्थित खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन मुख्यालय में उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। यह बैठक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर बुलाई गई, जिसकी अध्यक्षता राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने की।
बैठक में प्रदेश की 30 से अधिक फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधि, औषधि विनिर्माण संघ और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए। मुख्य एजेंडा था — अधोमानक दवाओं की घटनाओं की समीक्षा, औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और राज्य की औद्योगिक साख को सुरक्षित रखना।
उद्योग की चिंता: ड्रग अलर्ट से छवि पर असर
फार्मा प्रतिनिधियों ने चिंता जताई कि कई बार बिना पूरी जांच प्रक्रिया के ड्रग अलर्ट जारी कर दिए जाते हैं, जिससे कंपनियों की छवि और राज्य की विश्वसनीयता पर नकारात्मक असर पड़ता है। उदाहरणस्वरूप, हाल ही में Buprenorphine Injection को अधोमानक घोषित किया गया, जबकि वह दवा उत्तराखंड में बनी ही नहीं थी।
निर्माताओं ने स्पष्ट किया कि कानून के तहत धारा 18(A) में पुष्टि अनिवार्य है और 25(3) के अंतर्गत उन्हें रिपोर्ट को चुनौती देने का अधिकार है, लेकिन समय पर रिपोर्ट न मिलने से यह अधिकार निष्प्रभावी हो जाता है।
सरकार का रुख: गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं
राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि सरकार उद्योगों के साथ खड़ी है, लेकिन दवा की गुणवत्ता को लेकर कोई ढील नहीं दी जाएगी। सभी इकाइयों को GMP मानकों का पालन करने, हर चरण में दस्तावेज़ीकरण और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
कड़ी कार्रवाई के निर्देश
बैठक में निर्णय लिया गया कि अधोमानक औषधियों का निर्माण करने वाली इकाइयों या व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। दोषी पाए जाने पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें दंडित किया जाएगा।
गुणवत्ता की ओर मजबूत कदम
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि उत्तराखंड में वर्तमान में 285 फार्मा यूनिट्स सक्रिय हैं, जिनमें से 242 WHO सर्टिफाइड हैं। ये इकाइयाँ देश की 20% दवाओं का निर्माण करती हैं और 20 से अधिक देशों को निर्यात कर रही हैं।
देहरादून में अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित की गई है जहाँ दवाओं के साथ मेडिकल डिवाइसेज़ और कॉस्मेटिक्स की भी जांच होगी। इसे शीघ्र ही NABL से मान्यता मिलने की उम्मीद है।
विश्वस्तरीय फार्मा केंद्र की दिशा में राज्य
सरकार का लक्ष्य केवल उद्योग को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि गुणवत्ता की ऐसी मिसाल कायम करना है जिससे उत्तराखंड, भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण औषधियों का भरोसेमंद केंद्र बन सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास से भीमगोडा, हरिद्वार में जगदीश स्वरूप विद्यानन्द आश्रम ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ-श्रीमद् भागवत कथा को वर्चुअली सम्बोधित किया।
भागवत कथा में उपस्थित परमपूज्य जगद्गुरु आचार्य गरीबदास जी महाराज, ब्रह्मसागर महाराज भूरी वाले, परमपूज्य स्वामी अमृतानन्द जी महाराज, युवा संत स्वामी पूज्य राम महाराज एवं कथा व्यास पूज्य इन्द्रेश उपाध्याय और सभी संतगणों, श्रद्धालुओं का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संतों का समागम और हरि कथा, दोनों ही दुर्लभ हैं और ये दोनों सौभाग्य से ही प्राप्त होते हैं। श्रीमद्भागवत महापुराण कोई सामान्य ग्रंथ नहीं, अपितु स्वयं श्रीकृष्ण की दिव्य वाणी का साकार रूप है। इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और धर्म इन चारों पुरुषार्थों का उत्कृष्ट वर्णन मिलता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के दौर में जब मनुष्य भौतिकता की दौड़ में मानसिक और आत्मिक रूप से अशांत है, तो ऐसे समय में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण हमें आंतरिक शांति, समाधान और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग दिखाता है। आज आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सनातन संस्कृति की पताका संपूर्ण विश्व में लहरा रही है। आज चाहे अयोध्या जी में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो, बद्रीनाथ और केदारनाथ धामों का पुनर्निर्माण हो, बाबा विश्वनाथ के गलियारे का विस्तार हो या महाकाल लोक का निर्माण हो | हमारी धार्मिक धरोहरों को संजोया और संवारा जा रहा है वो न भूतो न भविष्यति है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हमारी सरकार भी देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। हम जहां एक ओर केदारखंड और मानसखंड के मंदिर क्षेत्रों के सौंदर्यीकरण के लिए अनेकों कार्य कर रहे हैं। वहीं हरिपुर कालसी में यमुनातीर्थ स्थल के पुनरुद्धार की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं। हरिद्वार ऋषिकेश कॉरिडोर के साथ-साथ शारदा कॉरिडोर के निर्माण की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। हमने भारतीय संस्कृति, दर्शन और इतिहास के गहन अध्ययन के लिए दून विश्वविद्यालय में ‘सेंटर फॉर हिन्दू स्टडीज’ की स्थापना भी की है। हमारी सरकार देवभूमि उत्तराखंड के सांस्कृतिक मूल्यों और डेमोग्राफी को संरक्षित रखने के प्रति पूर्ण रूप से संकल्पबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रदेश में लैंड जिहाद, लव जिहाद और थूक जिहाद जैसी घृणित मानसिकताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है, साथ ही, हमने प्रदेश में एक सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून भी लागू किया है। समाज में व्याप्त असमानताओं को समाप्त करने तथा सभी के लिए समान अधिकार एवं न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमने देश में सबसे पहले “समान नागरिक संहिता” कानून को लागू करने साहसिक कार्य भी किया है
हरिद्वार में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास-पूज्य इन्द्रेश उपाध्याय, स्वामी श्री राम जी महाराज, स्वामी भूपेन्द्र गिरी महाराज,स्वामी सतदेव महाराज, महामण्डलेश्वर निर्मला बा , गुजरात, स्वामी ऋषेश्वरानन्द महाराज, स्वामी हीरा योगी महाराज,आचार्य विशोकानन्द महाराज,आचार्य रामचन्द्र दास महाराज, योगी आशुतोष महाराज,सुप्रसिद्ध गायक बी०प्राक मौजूद रहे |
उत्तराखंड के सिलाई बैंड क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के चलते सड़क पूरी तरह बह चुकी है। सड़क के टूटने से जहां राहत और पुनर्निर्माण कार्यों में विभाग को गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं सात लापता मजदूरों की खोज में भी खराब मौसम लगातार बाधा बन रहा है।
बारिश के चलते मलबा और पानी लगातार सिलाई बैंड क्षेत्र में जमा हो रहा है, जिससे सड़क निर्माण का कार्य बार-बार रुक जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, ओजरी के समीप सड़क बहने के कारण गीठ पट्टी क्षेत्र के कई गांव लगातार दूसरे दिन भी जनपद और तहसील मुख्यालय से कटे हुए हैं। इससे न केवल आवागमन बाधित हुआ है, बल्कि ग्रामीणों को आवश्यक सुविधाएं और राहत सामग्री पहुंचाना भी मुश्किल हो गया है।
प्रशासन की ओर से स्थिति पर नजर रखी जा रही है, लेकिन मौसम की मार के चलते राहत कार्यों में अपेक्षित गति नहीं आ पा रही है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि प्रभावित क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर या वैकल्पिक रास्तों से राहत सामग्री पहुंचाई जाए और लापता मजदूरों की तलाश तेज की जाए।
देहरादून- गर्मियों की छुट्टियों के बाद मंगलवार से स्कूल दोबारा खुल गए हैं, लेकिन राज्य के 942 स्कूल भवनों की जर्जर हालत बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रही है। कहीं छतें टपक रही हैं तो कहीं पानी भरने से फर्श फिसलन भरा हो गया है। कई स्कूलों में सुरक्षा दीवारें न होने के कारण भूस्खलन का खतरा भी बना हुआ है।
बारिश में खतरे के साए में शिक्षा
देहरादून जिले के रायपुर, विकासनगर, चकराता और कालसी क्षेत्रों में कई स्कूल बेहद जर्जर स्थिति में हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र रावत के अनुसार, शहरी क्षेत्र के कई स्कूल परिसरों में भी जलभराव की गंभीर समस्या बनी हुई है।
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने बताया कि बरसात के मौसम में जलभराव और भूस्खलन से बच्चों की जान को खतरा रहता है। उन्होंने मांग की कि खराब हालत वाले स्कूलों की मरम्मत जल्द की जाए और जून की छुट्टियों को जुलाई में स्थानांतरित किया जाए, जिससे बरसात में छात्रों और शिक्षकों को परेशानी न हो।
भवन ध्वस्तीकरण और निर्देश जारी
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने बताया कि माध्यमिक स्तर पर 19 स्कूल भवनों की स्थिति बेहद खराब थी, जिनमें से कुछ को तोड़कर नए भवन बनाए जा चुके हैं। साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे भवनों में बच्चों को न बैठाया जाए।
जिलावार आंकड़े
राज्य के विभिन्न जिलों में जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति इस प्रकार है:
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पिथौरागढ़ – 163
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अल्मोड़ा – 135
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टिहरी – 133
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नैनीताल – 125
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पौड़ी – 107
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देहरादून – 84
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ऊधमसिंहनगर – 55
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हरिद्वार – 35
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रुद्रप्रयाग – 34
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चमोली – 18
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चंपावत – 16
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बागेश्वर – 06
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उत्तरकाशी – 12
सुरक्षा के विशेष निर्देश
शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि छात्रों को किसी भी हालत में खस्ताहाल भवन, कक्ष या दीवार के पास न बैठाया जाए। बरसात के दौरान विद्यालय के आसपास यदि नाला हो, तो छात्रों के आवागमन में विशेष सावधानी बरती जाए। साथ ही, स्कूल परिसरों में जलभराव रोकने के लिए तत्काल उपाय किए जाएं।