सांसद ने 2011 के अमेरिकी दस्तावेज के आधार पर पार्टी पर लगाए विदेशी फंडिंग के आरोप
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए द्वारा 2011 में सार्वजनिक किए गए एक दस्तावेज का हवाला देते हुए दावा किया कि दिवंगत कांग्रेस नेता एच.के.एल. भगत के नेतृत्व में 150 से अधिक कांग्रेस सांसदों को सोवियत रूस से फंडिंग मिली थी और उन्होंने रूस के एजेंट के तौर पर काम किया था।
दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “कांग्रेस, भ्रष्टाचार और गुलामी का प्रतीक बन चुकी है।” उन्होंने दावा किया कि उस दौर में रूस की खुफिया एजेंसियों ने भारतीय पत्रकारों और नीति-निर्माताओं पर भी प्रभाव डाला था। उन्होंने यह भी कहा कि रूस की सहायता से भारत में करीब 16,000 समाचार प्रकाशित कराए गए थे और लगभग 1100 रूसी एजेंट देश में सक्रिय थे, जो विभिन्न क्षेत्रों में प्रभाव बना रहे थे।
इसके अलावा दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस की नेता सुभद्रा जोशी ने चुनाव के दौरान जर्मन सरकार से फंडिंग ली थी और हार के बाद इंडो-जर्मन फोरम की अध्यक्ष बनीं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह सब देशहित में था या किसी विदेशी एजेंडे का हिस्सा? साथ ही उन्होंने कांग्रेस से जवाब मांगते हुए इस पूरे मामले की जांच की मांग की है।
एनएच-44 पर सुरक्षा एजेंसियों ने तैनात किए अतिरिक्त बल और निगरानी दल
2 जुलाई को भगवती नगर से रवाना होगा पहला जत्था
जम्मू। अमरनाथ यात्रा की शुरुआत से पहले सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है। 3 जुलाई से शुरू हो रही इस वार्षिक तीर्थयात्रा को लेकर सीआरपीएफ ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-44) पर निगरानी कड़ी कर दी है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए के-9 डॉग स्क्वॉड और अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है, खासकर उधमपुर सेक्टर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में।
पहला जत्था 2 जुलाई को भगवती नगर आधार शिविर से रवाना होगा। इसको लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक में पुलिस, धार्मिक संगठनों, होटल व व्यापार संघों सहित अन्य हितधारकों के सुझावों को शामिल किया गया। कमिश्नर रमेश कुमार ने बताया कि यात्रियों के ठहराव, खानपान, बिजली और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
आधार शिविरों में एसी हॉल, लंगर सेवा, मोबाइल शौचालय जैसी व्यवस्थाएं की गई हैं। लखनपुर से बनिहाल तक यात्रा मार्ग में सभी विश्राम केंद्रों पर यात्रियों को समान सुविधाएं मिलेंगी। साथ ही 1 जुलाई से यात्रियों के लिए ऑफलाइन पंजीकरण की सुविधा शुरू होगी, जबकि ऑनलाइन पंजीकरण पहले से ही चालू है।
सुरक्षा और सुविधा के दृष्टिगत जम्मू, कठुआ, सांबा, उधमपुर और रामबन जिलों में 52 लंगर और 60 आरएफआईडी केंद्र बनाए गए हैं। रेलवे के बजाय यात्रा सड़क मार्ग से ही कराई जाएगी। यात्रियों को मार्गदर्शन और सहायता के लिए कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है।
प्रधानमंत्री ने विशाखापत्तनम से लेकर हिमालय तक योग की व्यापकता का किया उल्लेख
पीएम मोदी ने गिनाई सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की उपलब्धियां
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 123वें संस्करण में देशवासियों से संवाद करते हुए योग दिवस की वैश्विक सफलता, आपातकाल की भयावह यादें, सामाजिक सुरक्षा के बढ़ते दायरे, देशभर में चल रहे सांस्कृतिक और खेल आयोजनों की चर्चा की। इसके अलावा उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए आम नागरिकों की प्रेरणादायक पहल और पूर्वोत्तर भारत की खासियतों को भी उजागर किया।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की भव्य झलकियां
प्रधानमंत्री ने बताया कि इस बार योग दिवस की भव्यता देश के हर कोने और दुनिया के कई देशों में देखने को मिली। विशाखापत्तनम में तीन लाख लोगों ने एकसाथ योग किया, वहीं 2000 से अधिक आदिवासी छात्रों ने 108 मिनट तक सूर्य नमस्कार किए। हिमालय की ऊंचाइयों से लेकर नौसेना के जहाजों तक योग के प्रति समर्पण दिखा।
आपातकाल की काली छाया और लोकतंत्र की जीत
पीएम मोदी ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर उस दौर को याद किया जब संविधान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला गया। उन्होंने कहा कि लाखों लोगों ने संघर्ष कर लोकतंत्र को पुनर्जीवित किया, और वह दौर देश के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।
सामाजिक सुरक्षा में जबरदस्त विस्तार
प्रधानमंत्री ने बताया कि आज भारत के 95 करोड़ नागरिक किसी न किसी सामाजिक सुरक्षा योजना से लाभान्वित हो रहे हैं, जबकि 2015 में यह संख्या सिर्फ 25 करोड़ थी। उन्होंने इसे ‘समावेशी विकास’ की दिशा में बड़ा कदम बताया।
बोडोलैंड में खेल के माध्यम से बदलाव
असम के बोडोलैंड में आयोजित CEM Cup फुटबॉल टूर्नामेंट में 70 हजार खिलाड़ियों की भागीदारी को पीएम ने सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक बताया। उन्होंने खिलाड़ियों को नई पीढ़ी की प्रेरणा बताया, जो अब देश के मंच पर अपनी पहचान बना रहे हैं।
पूर्वोत्तर और पर्यावरण पर विशेष फोकस
मेघालय के ‘एरी सिल्क’ को जीआई टैग मिलने को सांस्कृतिक धरोहर की मान्यता बताया गया। वहीं, ‘सिंदूर वन’ और पुणे के रमेश खरमाले जैसे लोगों के प्रयासों को पर्यावरण के लिए प्रेरणास्रोत बताया गया, जो समाज को स्वेच्छा से हरियाली की ओर मोड़ रहे हैं।
तीर्थ यात्राओं की आध्यात्मिक और सामाजिक भूमिका
प्रधानमंत्री ने धार्मिक यात्राओं को सेवा, अनुशासन और एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने रथयात्रा जैसे आयोजनों में लगे सेवा कार्यकर्ताओं की सराहना की और उन्हें शुभकामनाएं दीं।
वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक पहल
भगवान बुद्ध के अवशेषों को वियतनाम भेजने की घटना को उन्होंने भारत और वियतनाम के सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा कि भारत की यह पहल दुनियाभर में सम्मान और विश्वास बढ़ा रही है।
डॉक्टरों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को सलाम
पीएम मोदी ने 1 जुलाई को मनाए जाने वाले डॉक्टर दिवस और सीए दिवस पर इन पेशों से जुड़े लोगों का आभार जताया और उन्हें समाज के मजबूत स्तंभ बताया।
संविधान पर संघ के बयान के बीच थरूर बोले– अब बदल चुका है RSS
थरूर के बयान से पार्टी के भीतर उठे सवाल
नई दिल्ली। देश में संविधान को लेकर छिड़ी राजनीतिक बहस के बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर के ताज़ा बयान ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा को जन्म दे दिया है। थरूर ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अब पहले जैसे नहीं रहे और संभवतः वे अपनी पुरानी विचारधारा से आगे बढ़ चुके हैं। यह बयान ऐसे समय आया है जब कांग्रेस और विपक्षी दल लगातार आरएसएस-बीजेपी पर संविधान की मूल आत्मा से छेड़छाड़ के आरोप लगा रहे हैं।
सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्दों को हटाने पर बवाल
हाल ही में आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना से ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ जैसे शब्दों को हटाने की पैरवी की थी। इस बयान के बाद राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज हो गई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर निशाना साधते हुए कहा कि आरएसएस और बीजेपी ‘संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहते हैं’ और वे बहुजन व वंचित वर्गों से उनके अधिकार छीनना चाहते हैं।
थरूर की टिप्पणी: संतुलन या विचलन?
राहुल गांधी के तीखे बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शशि थरूर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी एक ऐतिहासिक तथ्य की ओर इशारा कर रहे थे। थरूर ने कहा, “संविधान निर्माण के समय गोलवलकर जैसे नेताओं ने मनुस्मृति की झलक न होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था, लेकिन मेरा मानना है कि आरएसएस अब उस सोच से आगे निकल चुका है। हालांकि उनकी मौजूदा सोच क्या है, यह वही स्पष्ट कर सकते हैं।”
पार्टी के भीतर मतभेद की आहट
थरूर की टिप्पणी कांग्रेस के भीतर ही असहमति का कारण बन गई है। पार्टी सांसद सुखदेव भगत ने कहा कि जब आरएसएस खुद संविधान के मूल शब्दों को हटाने की बात कर रहा है, तब थरूर का रुख भ्रम पैदा करने वाला है। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा, “थरूर जी का सम्मान है, लेकिन यह बयान सियासी बहानेबाज़ी की तरह लगता है, जो मुद्दे को भटका सकता है।”
राजनीतिक रणनीति पर उठे सवाल
विश्लेषकों के अनुसार, थरूर ने जहां एक ओर ऐतिहासिक सच्चाई को स्वीकार किया, वहीं सीधे तौर पर आरएसएस-बीजेपी पर हमला करने से बचने की कोशिश की। कांग्रेस की आक्रामक रणनीति के बीच थरूर का यह ‘मध्यमार्गी रुख’ पार्टी के समन्वय और संदेश रणनीति पर सवाल खड़े करता है। अब निगाहें इस बात पर हैं कि कांग्रेस नेतृत्व इस आंतरिक विरोधाभास को कैसे सुलझाता है और बीजेपी इस बयान को राजनीतिक हथियार के तौर पर कैसे भुनाती है।
मतदाता सूची में बदलाव पर ओवैसी की चेतावनी – ‘लाखों वोटर हो सकते हैं बाहर’
नई दिल्ली/पटना – ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि आयोग बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले गुपचुप तरीके से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) जैसी प्रक्रिया को लागू कर रहा है। ओवैसी ने इस कदम को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए दावा किया कि इससे हजारों भारतीय नागरिकों को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
ओवैसी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि अब मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए नागरिकों को जन्म और जन्मस्थान से जुड़े दस्तावेज देने होंगे, साथ ही माता-पिता के जन्म की जानकारी भी देनी होगी। उन्होंने इसे गरीब और दस्तावेजविहीन लोगों के साथ “क्रूर मजाक” बताया।
उन्होंने खासतौर पर सीमांचल क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि वहां बाढ़ और गरीबी से जूझ रहे लोग अपने दस्तावेज जुटा ही नहीं सकते। ऐसे में यह प्रक्रिया उन्हें वोट के अधिकार से दूर करने जैसी है।
ओवैसी ने यह भी सवाल उठाया कि जब चुनाव नजदीक हैं तो इतनी बड़ी कवायद निष्पक्ष तरीके से कैसे हो पाएगी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के लाल बाबू हुसैन बनाम चुनाव आयोग मामले का हवाला देते हुए कहा कि पहले से सूची में मौजूद नागरिक को उचित प्रक्रिया के बिना हटाया नहीं जा सकता।
वहीं, चुनाव आयोग की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
चिंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में पहुंचे राजनाथ सिंह
एससीओ बैठक में राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री के बीच हुई अहम बातचीत
चिंगदाओ/नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने चीन के चिंगदाओ शहर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून के साथ द्विपक्षीय बातचीत की, जिसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी। यह यात्रा करीब छह साल बाद दोबारा शुरू की जा रही है।
राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून के साथ रचनात्मक और दूरदर्शी चर्चा हुई। लगभग छह वर्षों बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा की पुनः शुरुआत को लेकर खुशी हुई।”
रूस और बेलारूस के रक्षा मंत्रियों से भी की मुलाकात
रक्षा मंत्री ने रूस और बेलारूस के अपने समकक्षों से भी द्विपक्षीय मुलाकात की। उन्होंने बेलारूस के रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल विक्टर ख्रेनिन से बातचीत की, जिसे उन्होंने “सार्थक” बताया। इससे पहले, रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव से भी उन्होंने मुलाकात की और रक्षा सहयोग को और मजबूत बनाने पर चर्चा की।
उल्लेखनीय है कि भारत और रूस के बीच रक्षा क्षेत्र में लंबे समय से सहयोग है, जो ‘आईआरआईजीसी-एम एंड एमटीसी’ तंत्र के तहत संचालित होता है।
शहरी हाउसिंग सिस्टम को लेकर सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने देश में घरों की लगातार बढ़ती कीमतों पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब गरीबों से सिर्फ संसाधन ही नहीं, बल्कि अपने सपने देखने का अधिकार भी छीना जा रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि जब देश के सबसे अमीर 5% लोग भी मुंबई में घर खरीदने के लिए सौ साल से ज्यादा की बचत नहीं कर पा रहे, तो गरीबों की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि यह आर्थिक विकास आखिर किसके लिए हो रहा है?
राहुल गांधी ने अपने व्हाट्सएप चैनल पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए लिखा कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में घर खरीदना आम लोगों के लिए असंभव होता जा रहा है। रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने दावा किया कि मुंबई जैसे शहरों में देश के शीर्ष 5 प्रतिशत अमीर शहरी परिवारों को भी घर खरीदने के लिए अपनी आय का 30 प्रतिशत लगातार 109 वर्षों तक बचाना होगा।
उन्होंने कहा, “अगर सबसे अमीर भी 109 साल में घर नहीं खरीद सकते, तो गरीबों से उनके सपनों का अधिकार ही छीन लिया गया है। ये सिर्फ आकड़े नहीं, एक असहनीय सच्चाई हैं।”
राहुल ने कहा कि ज्यादातर मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों को विरासत में संपत्ति नहीं, जिम्मेदारियां मिलती हैं—बच्चों की शिक्षा, इलाज, माता-पिता की देखभाल और सिर पर एक छत की चिंता। उन्होंने कहा कि आज भी करोड़ों भारतीयों के दिलों में “एक दिन अपना घर होगा” का सपना ज़िंदा है, लेकिन जब वह सपना वास्तविकता से 109 साल दूर हो, तो यह न सिर्फ निराशाजनक है, बल्कि अन्यायपूर्ण भी।
राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा, “जब अगली बार कोई आपसे जीडीपी की बात करे, तो उसे अपने घरेलू बजट की हकीकत दिखाएं—तभी पूछ पाएंगे कि ये अर्थव्यवस्था किसके लिए फल-फूल रही है।”
चुनाव आयोग से पारदर्शिता की मांग, कांग्रेस ने भेजा विस्तृत पत्र
नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर चुनाव आयोग से पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की है। पार्टी ने आयोग को भेजे गए पत्र में मतदाता सूची की डिजिटल और मशीन-पठनीय प्रति तथा मतदान दिवस की वीडियो रिकॉर्डिंग साझा करने की अपील की है। यह मांग कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों के आधार पर की गई है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर जनता का भरोसा बहाल किया जा सके।
कांग्रेस ने पत्र में स्पष्ट किया है कि महाराष्ट्र और हरियाणा की वोटर लिस्ट की डिजिटल कॉपी एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराई जाए। साथ ही, मतदान के दिन की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग भी सार्वजनिक की जाए। पार्टी का कहना है कि ये मांगें कोई नई नहीं हैं, बल्कि लंबे समय से इन पर जोर दिया जा रहा है। इससे न केवल राजनीतिक दलों को विश्वास मिलेगा बल्कि आम जनता का भरोसा भी कायम रहेगा।
कांग्रेस ने यह भी संकेत दिए हैं कि जैसे ही आयोग इन बिंदुओं पर कार्यवाही करता है, पार्टी का शीर्ष नेतृत्व आयोग से औपचारिक बैठक के लिए तैयार है। इस बैठक में पार्टी चुनावी प्रक्रिया में पाए गए कथित अनियमितताओं से जुड़े आंकड़े और विश्लेषण आयोग के समक्ष रखेगी।
गौरतलब है कि हालिया चुनावों में कांग्रेस ने बार-बार आरोप लगाए हैं कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ियाँ, वोटिंग के दौरान पारदर्शिता की कमी और प्रशासनिक लापरवाही देखने को मिली। अब पार्टी ने इन मुद्दों को औपचारिक रूप से उठाते हुए चुनाव आयोग से खुली बातचीत का रास्ता अपनाया है।
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने
नई दिल्ली। देश में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी का आरोप है कि बीते 11 वर्षों से भारत एक ‘अघोषित आपातकाल’ से गुजर रहा है, जिसमें लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों पर व्यवस्थित और खतरनाक तरीके से हमले किए जा रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बयान में कहा कि, “सरकार के आलोचकों को निशाना बनाया जा रहा है। देश में नफरत और कट्टरता को बढ़ावा मिल रहा है। किसानों को खालिस्तानी बताया जा रहा है, जातिगत जनगणना की मांग करने वालों को शहरी नक्सली कहा जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय डर के माहौल में जी रहा है, जबकि दलितों और अन्य वंचित वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है। रमेश ने आरोप लगाया कि नफरती भाषण देने वाले मंत्रियों को इनाम मिल रहे हैं, और महात्मा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन किया जा रहा है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
यह बयान उस समय आया है जब केंद्र सरकार ‘संविधान हत्या दिवस’ मना रही है। भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने पलटवार करते हुए कहा कि “कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से आपातकाल के लिए माफी नहीं मांगी। गांधी-वाड्रा परिवार को देश से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उन्होंने 1975 में लोकतंत्र और संविधान की हत्या की।”
विपक्ष के सुर में सुर
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने इंदिरा गांधी के फैसले को संवैधानिक करार देते हुए कहा, “आपातकाल लोकतंत्र के भीतर लिया गया संवैधानिक निर्णय था। इंदिरा गांधी लोकतंत्र की रक्षक थीं।”
वहीं, सपा नेता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि वर्तमान समय की स्थिति 1975 के आपातकाल जैसी ही है। “प्रेस पर दबाव है, सरकार विरोधी आवाजें दबाई जा रही हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी हो रही है।”
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर पीएम मोदी का कांग्रेस पर बड़ा हमला
आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों को पीएम मोदी ने किया नमन
नई दिल्ली। आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को लोकतंत्र के महत्व की याद दिलाई और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने 25 जून 1975 को लागू हुए आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय बताते हुए कहा कि यह वो समय था जब सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने संविधान और संस्थाओं का दमन किया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजादी के बाद भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 25 जून 1975 सबसे दुखद दिन के रूप में याद किया जाता है। उस दिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आपातकाल लागू कर संविधान की मूल आत्मा को कुचलने की कोशिश की थी। संसद की आवाज को दबाया गया, मीडिया पर सेंसरशिप लगाई गई और न्यायपालिका को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि 42वां संविधान संशोधन उस दमनकारी सोच का सबसे बड़ा उदाहरण है।
पीएम मोदी ने कहा कि आपातकाल के दौरान गरीबों, वंचितों, दलितों और अल्पसंख्यकों को सबसे ज्यादा उत्पीड़न झेलना पड़ा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए देशभर से लोग एकजुट हुए और कांग्रेस सरकार को चुनाव कराने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसमें उन्हें करारी हार मिली।
प्रधानमंत्री ने उन सभी लोकतंत्र सेनानियों को नमन किया जिन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और देश के लोकतांत्रिक ढांचे को बचाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि वे हर क्षेत्र, हर विचारधारा से थे लेकिन उनका मकसद एक था — लोकतंत्र की बहाली।
मोदी ने बताया कि उस समय वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक युवा प्रचारक थे और आपातकाल के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय रूप से जुड़े थे। इस अनुभव ने उन्हें लोकतंत्र के मूल्य और नागरिक स्वतंत्रता की अहमियत सिखाई। उन्होंने बताया कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक द इमरजेंसी डायरीज में उनकी यात्रा को दर्ज किया गया है, जिसकी प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने लिखी है।
प्रधानमंत्री ने नागरिकों से आग्रह किया कि अगर उनके या उनके परिवारों के पास आपातकाल से जुड़े अनुभव हैं, तो वे उन्हें सोशल मीडिया पर साझा करें, ताकि युवाओं को उस दौर की भयावहता के बारे में जागरूक किया जा सके।
अंत में उन्होंने कहा कि आज की सरकार संविधान की भावना को सशक्त बनाने, लोकतंत्र को मजबूत करने और गरीबों-वंचितों के सपनों को साकार करने के लिए लगातार प्रयासरत है।