प्रधानमंत्री मोदी का उत्तराखंड दौरा तय..
उत्तराखंड: 2022 चुनाव को लेकर बीजेपी ने तैयारियां तेज कर ली हैं इसी कड़ी में भाजपा के कई बड़े नेताओं के कार्यक्रम भी उत्तराखंड आने के लगाए गए हैं पीएम नरेंद्र मोदी अक्टूबर और नवम्बर में उत्तराखंड के दौरे पर आएंगे, वही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी उत्तराखंड का दौरा करेंगे,बीजेपी प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार का कहना हैं कि सरकारी कार्यक्रम के साथ ही भाजपा संगठन के कार्यक्रम में भी पीएम व गृह मंत्री शिरकत करेंगे।
उनका कहना हैं कि 16 और 17 अक्टूबत को गृह मंत्री अमित शाह आएंगे।। वही पीएम 2 अक्टूबर या 14 अक्टूबर में से किसी एक दिन उत्तराखंड आ सकते है इसके साथ ही नवम्बर में राज्य स्थापना दिवस 9 नवंबर को भी पीएम उत्तराखंड का दौरा कर सकते है।।पीएम मोदी की अक्टूबर या नवंबर में 1 लाख लोगों की रैली को संबोधित भी करेंगे।
बिना ई पास के यात्रा करने में श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी..
उत्तराखंड: इस बार राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट में ऑनलाइन ई-पास के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया है। यानी इसके बिना तीर्थयात्री बद्रीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री,यमुनोत्री धाम के दर्शन नहीं कर सकते हैं। वेबसाइट पर क्लिक करने पर आसानी से ई-पास पंजीकरण नहीं होने से तीर्थयात्रियों को दिक्कत आ रही है।
व्यवहारिक परेशानी के चलते कई यात्री यात्रा स्थगित कर वापस घर लौट रहे हैं। चारधाम यात्रा के प्रवेशद्वार तीर्थनगरी ऋषिकेश के चारधाम यात्रा बस टर्मिनल कंपाउंड में इस तरह का मामला सामने आया। यहां पर कुछ यात्री पहुंचे और संयुक्त यात्रा रोटेशन व्यवस्था समिति के बुकिंग काउंटर पर केदारनाथ धाम के लिए जानकारी ली।
बुकिंग क्लर्क आशुतोष तिवारी ने संबंधित वेबसाइट पर पहले ई-पास के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करने की सलाह दी। करीब डेढ़ घंटे प्रयास करने के बाद ऑनलाइन पंजीकरण नहीं हुआ। वेबसाइट पर ई-पास पंजीकरण का स्लॉट 6 अक्तूबर तक पैक होना दिखाता रहा।
आखिरकार इन यात्रियों को ई-पास पंजीकरण नहीं होने पर यात्रा स्थगित कर घर लौटना पड़ा। इस दौरान यात्रियों ने उत्तराखंड सरकार से ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया को सुधारने की मांग करते हुए कहा कि इससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है। बिना ई-पास के यात्रा पर नहीं जा सकते। देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइड फुल चल रही है, जिससे नए ई-पास का पंजीकरण नहीं हो रहा है।
कई यात्रियों का कहना हैं कि उत्तराखंड सरकार को इस बात की जानकारी पहले ही देनी चाहिए थी। कुछ यात्रियों को यह आने के बाद पता चल रहा हैं कि यात्रा पर आने के लिए ई पास भी होना चाहिए।जब वहा ई पास बनाने जा रहे हैं तो वहां पर उन्हें स्लॉट 15, 20 दिनों तक फुल बताया जा रहा हैं। जिसके चलते यात्रियों को मायूस होकर यात्रा स्थगित कर घर लौटना पड रहा हैं।
भाजपा नेता व पूर्व दर्जाधारी अजेंद्र अजय ने प्रदेश के धर्मस्व सचिव हरीश चंद्र सेमवाल से फोन पर बात कर चार धामों के दर्शन के लिए निर्धारित की गई श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि इस अनुमति के लिए प्रदेश शासन को हाई कोर्ट से अनुरोध करना चाहिए।
अजेंद्र ने कहा कि इस वर्ष अब चार धाम यात्रा को लगभग एक माह का समय ही शेष रह गया है। नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा श्रद्धालुओं की संख्या सीमित किए जाने से जहां एक ओर अनेक लोग यात्रा करने से वंचित रह जाएंगे, वहीं दूसरी तरफ यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों को लॉकडाउन के कारण हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई में कठिनाई पैदा होगी। उन्होंने सचिव धर्मस्व को सुझाव दिया कि प्रदेश शासन इस विषय में नैनीताल उच्च न्यायालय से अनुरोध करे, ताकि चारों धामों में अधिक संख्या में यात्रियों को दर्शनों की अनुमति मिल सके।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के अनुरोध पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने चारों धामों में कुछ शर्तों के साथ यात्रा की अनुमति दी है। न्यायालय ने बद्रीनाथ के लिए 1000, केदारनाथ के लिए 800, गंगोत्री के लिए 600 व यमुनोत्री के लिए 400 यात्रियों को प्रतिदिन दर्शन करने की अनुमति दी है।
कोविड काल के दौरान चार धाम यात्रा के पूरी तरह से ठप हो जाने के कारण अर्थ व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। इसके मददेनजर प्रदेश सरकार ने चार धाम यात्रा शुरू कराने को लेकर न्यायालय में प्रभावी तरीके से अपना पक्ष रखा।
न्यायालय ने यात्रा शुरू कराने की अनुमति तो दी। मगर यात्रियों की संख्या सीमित करने से यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों के अलावा इन धामों की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं।
हरक सिंह रावत को हरीश धामी ने कहा कुछ ऐसा…
उत्तराखंड: प्रदेश में चुनावी माहौल शुरू होते ही नेताओ के एक दूसरे पर व्यंग्य औऱ टीका टिप्पणी शुरू हो गई हैं। आपको बता दें कि हाल ही में भाजपा के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत औऱ मंत्री हरक सिंह के बीच तीखी तकरार हो गई थी । जिसके बाद दोनों ने एक दूसरे पर व्यक्तिगत टिप्पणी भी की थी। बता दें कि इस बार भी व्यंग के घेरे में मंत्री हरक सिंह रावत ही हैं।
अब कांग्रेस के हरीश धामी ने मंत्री हरक सिंह रावत पर व्यंग्य कसते हुए कहा है कि कांग्रेस का प्रिंसिपल भाजपा में जाकर एलकेजी का स्टूडेंट् बन गया है। आगे उन्होंने कहा कि जिस तरह की बयानबाजी हरक सिंह कर रहे हैं उससे स्पष्ट हो गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उन्हें ढेंचा ढेंचा कहकर ढेंचू बना दिया है। हरीश धामी का कहना हैं कि हरक सिंह रावत कांग्रेस में प्रिंसिपल की भूमिका में थे उनकी हालत आज भाजपा में एक एलकेजी स्टूडेंट् की तरह है।
सीएम धामी बोले, उत्तराखंड में पटरी पर लौट रही चारधाम यात्रा..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। इससे चारधाम से जुड़े तीर्थ पुरोहितों, व्यवसायियों की उम्मीद भी बढ़ गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना हैं कि चारधाम यात्रा प्रांरभ होने से कोविड की दूसरी लहर के बाद बंद पड़े कारोबार को संजीवनी मिलेगी। शनिवार से अब तक चारों धामों में साढ़े पांच हजार लोग दर्शन कर चुके हैं, जबकि 42 हजार से अधिक व्यक्तियों को ई-पास जारी किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कुछ समय पहले कोविड संक्रमण के कारण आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे चारधाम यात्रा व पर्यटन से जुड़े कारोबारियों के लिए दो सौ करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया। इसके तहत चारधाम यात्रा मार्गों से जुड़े होटल, रेस्टोरेंट, टैक्सी संचालकों समेत अन्य व्यक्तियों के साथ ही पर्यटन से जुड़े व्यक्तियों को एकमुश्त सहायता राशि उपलब्ध कराई जा रही है।
पर्यटन विभाग की ओर से ही अब तक 15 हजार व्यक्तियों को सात करोड़ की राशि दी जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रा से जुड़े व्यवसायियों, तीर्थ पुरोहितों की परेशानियों को दूर करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उनका कहना हैं कि चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों के मन में उठ रहे संशय को दूर करने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है।
समिति में चारों धामों से दो-दो तीर्थ पुरोहितों को भी शामिल किया जा रहा है। तीर्थ पुरोहितों की बात सुनकर समिति सरकार के समक्ष रिपोर्ट रखेगी। फिर इसके आधार पर फैसला लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि चारधाम से जुड़े तीर्थ पुरोहितों व हक-हकूकधारियों के हित किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होने दिए जाएंगे।
केदारनाथ हेली सेवा के लिए रोजाना जारी होंगे 200 ई-पास..
उत्तराखंड: केदारनाथ धाम के लिए एक अक्तूबर को हेली सेवा का संचालन किया जाएगा। नागरिक उड्डयन विभाग की ओर से देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को हेली सेवा शुरू करने के बारे में प्रस्ताव भेजा गया है। साथ ही 200 ई-पास हेली सेवा से जाने वाले तीर्थ यात्रियों को प्रतिदिन जारी किए जाएंगे।
केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए पैदल चलने में असमर्थ यात्रियों को एक अक्तूबर से हेली सेवा की सुविधा मिलेगी। इसके लिए नागरिक उड्डयन विभाग ने तैयारियां कर ली है। गुप्तकाशी, सिरसी और फाटा हेलीपैड से नौ एविएशन कंपनियों को अनुमति दी है। हेली सेवा का संचालन करने से पहले डीजीसीए की ओर से तीनों स्थानों के हेलीपैड पर सुरक्षा मानकों का निरीक्षण किया जाएगा। आने वाले कुछ दिनों तक मौसम खराब रहने के कारण केदारनाथ के लिए हेली सेवा का संचालन संभव नहीं है।
देवस्थानम बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन का कहना हैं कि केदारनाथ के लिए हेली सेवा का संचालन एक अक्तूबर से करने का प्रस्ताव मिला है। जिसमें हेली सेवा से जाने वाले यात्रियों को 200 ई-पास जारी किए जाएंगे। आपको बता दें कि पूर्व में चारधाम यात्रा पर रोक लगने के लिए 1100 हेली सेवा की बुकिंग रद्द की गई थी। उत्तराखंड सिविल एविएशन प्राधिकरण ने बुकिंग करने वाले यात्रियों को पैसा वापस लौटाए थे।
बाबा केदार के दर्शन के लिए देश के विभिन्न राज्यों के साथ ही स्थानीय श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। सोमवार शाम चार बजे तक सोनप्रयाग से 631 श्रद्धालु धाम के लिए रवाना हुए जबकि 789 श्रद्धालुओं ने दर्शन का पुण्य अर्जित किया। सोनप्रयाग चौकी प्रभारी रवींद्र कौशल का कहना हैं कि सोनप्रयाग में सुबह 5 बजे से श्रद्धालु पंजीकरण के लिए काउंटर पर एकत्रित होने लगे थे। सुबह 7 बजे तक यहां काफी लंबी लाइन लग गई थी। उधर, केदारनाथ में देवस्थानम बोर्ड के यात्रा प्रभारी वाईएस पुष्पवाण ने कहना हैं कि 789 श्रद्धालु अब तक दर्शन कर चुके हैं। संध्या आरती तक श्रद्धालुओं को दर्शन कराए जा रहे हैं।
उत्तराखंड में पांच अक्तूबर तक बढ़ाया गया कोविड कर्फ्यू..
उत्तराखंड: प्रदेश सरकार ने कोरोना कर्फ्यू 15 दिन के लिए और बढ़ा दिया है। अब प्रदेश में कर्फ्यू की बंदिशें पांच अक्तूबर तक के लिए लागू रहेंगी। मुख्य सचिव एवं राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सुखबीर सिंह संधू ने कोविड कर्फ्यू के संबंध में सोमवार को नई एसओपी (मानक परिचालन प्रक्रिया) जारी कर दी है। एसओपी में इस बार कोई राहत नहीं दी गई है। वही पुरानी बंदिशें भी बरकरार रहेंगी।
एसओपी में चारधाम यात्रा और प्राइमरी तक के स्कूलों को खोलने को लेकर यह स्पष्ट किया गया है कि उनकी अलग-अलग एसओपी का पालन सभी जिलों को सुनिश्चित करना होगा। वेडिंग हॉल की क्षमता के आधे लोग शादी समारोह में शामिल हो पाएंगे, लेकिन इसके लिए भी जिला प्रशासन से अनुमति लेनी आवश्यक होगी। साथ ही कोरोना की जांच रिपोर्ट दिखानी होगी। प्रदेश में रात्रि कर्फ्यू जारी रहेगा। बाजार सुबह आठ बजे से रात नौ बजे तक खुलेंगे। नगरीय क्षेत्रों में स्थित होटल रेस्तरां, भोजनालय व ढाबे रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक बंद रहेंगे।
ये बंदिशें हैं बरकरार..
1- बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों को कोरोना वैक्सीन की डबल डोज का प्रमाणपत्र न होने की स्थिति में 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखाने पर ही राज्य में प्रवेश मिलेगा।
2- बाहरी राज्यों से उत्तराखंड आने वाले सभी यात्रियों को स्मार्ट सिटी के http://smartcitydehradun.uk.gov.in पर पंजीकरण करना अनिवार्य होगा।
3- शवयात्रा में भी 50 से अधिक लोग शामिल नहीं हो सकेंगे।
4- सभी तरह की सामाजिक, राजनीतिक, मनोरंजन, सांस्कृति और बड़ी सभाएं प्रतिबंधित रहेंगी।
5- दूसरे राज्यों से अपने पैतृक गांव लौटने वाले प्रवासियों के लिए ग्राम प्रधान की निगरानी में आवश्यकतानुसार सात दिन क्वारंटीन सेंटर में एकांतवास में रहना अनिवार्य होगा।
प्रदेश में सभी स्पा और सैलून खोलने की अनुमति है। सभी स्पा व सैलून 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खुलेंगे। इसके साथ ही जिम, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल व स्वीमिंग पूल, मनोरंजन पार्क, थियेटर, ऑडिटोरियम व इनसे संबंधित सभी गतिविधियां 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने की अनुमति है। वहीं, सरकार ने होटलों में स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल, स्पा व जिम को भी 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दी है।प्रदेश में 18 वर्ष से ऊपर के प्रशिक्षुओं के लिए सरकारी और गैरसरकारी प्रशिक्षण संस्थान कोविड प्रोटोकॉल के अनुपालन के साथ खोलने की अनुमति है।
चमोली के नारायणबगड़ में बादल फटने से मची तबाही..
उत्तराखंड: लगातार हो रही बारिश के कारण उत्तराखंड में तबाही मची हुई हैं। आये दिन यहां पर बादल फटने की खबर सामने आ रही हैं। ऐसी ही खबर उत्तराखंड के चमोली जिले से भी सामने आयी हैं। जहां सोमवार तड़के बादल फटने की घटना से तबाही मच गई है। जिले के नारायणबगड़ में तड़के बादल फटने की घटना में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के मजदूरों के करीब 15 टेंट मलबे में दब गए।
वहीं मलबे से कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे भी बंद हो गया है। मार्ग को खोलने का काम शुरू कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह नारायणबगड़ के पंती कस्बे के ऊपरी भाग में करीब 6 बजे बादल फटने से मंगरीगाड़ में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है।
गधेरे (बरसाती नाले) के सैलाब से कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे के किनारे बीआरओ के मजदूरों के करीब 10 से 15 टेंट मलबे में दब गए। जब मलबा आया मजदूर अपने टेंट के अंदर थे। लेकिन जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ। मजदूरों के परिजनों और स्थानीय लोगों ने तत्परता दिखाते हुए सभी बच्चों और महिलाओं को सैलाब से बचा लिया। ये सभी मजदूर नेपाल और झारखंड के रहने वाले हैं। मलबे से कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे बंद हो गया है, जिसे खोलने के प्रयास जारी हैं।
नारायणबगड़ क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील..
घटना के दौरान वह पर मौजूद लोगों का कहना हैं कि कई दोपहिया वाहन व कार भी मलबे में दबे हुए हैं। प्रशासन मौके पर पहुंच गया है। बचाव व राहत के कार्य शुरू कर दिए गए हैं। मजदूरों और उनके बच्चों को गांव के लोगों ने अपने घरों में सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है। बादल फटने की घटना से पूरे क्षेत्र के लोग खौफजदा हैं। स्थानीय जानकारों का कहना है कि नारायणबगड़ क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील है। जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदकिशोर जोशी के मुताबिक घटना में जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है। कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे को खोलने का काम शुरू कर दिया गया है। प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई है।
आज से शुरू हुआ ऋषिकेश में राफ्टिंग का सफर..
उत्तराखंड: टिहरी प्रशासन की ओर से गंगा में राफ्टिंग के लिए हरी झंडी मिल गई है। जिससे राफ्ट संचालकों के चेहरे खिल उठे हैं। पितृ पक्ष शुरू होने से पूर्व राफ्ट संचालकों ने खारास्रोत में गंगा पूजन कर दिया है। गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण रविवार को राफ्ट का संचालन शुरू नहीं हो पाया था। आपको बता दे कि शनिवार को देहरादून से आई एक तकनीकी टीम ने गंगा नदी में रैकी किया। रैकी टीम ने नदी का जलस्तर एक मीटर बढ़ा हुआ बताया। रीवर राफ्टिंग करने के लिए गंगा का जलस्तर 137 मीटर होना चाहिए। जबकि उस समय नदी का जलस्तर 138 मीटर था। जो एक मीटर बढ़ा हुआ था।
बीते दिनों नदी का जलस्तर सामान्य हो गया था। लेकिन जैसे ही पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश हो रही है। उससे गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है। रैकी टीम ने अब जलस्तर सामान्य बताया है। जिसके बाद से राफ्टिंग को टिहरी प्रशासन की ओर से इसे हरी झंडी मिल गई है।
राफ्टिंग का संचालन करीब 20 दिन देर से शुरू..
कोरोनाकाल से पहले वर्ष भर में केवल दो महीने जुलाई और अगस्त में राफ्टिंग का संचालन बंद होता था। 1 सितंबर से लेकर 30 जून तक राफ्टिंग संचालित होती थी। लेकिन इस बार कोरोनाकाल और गंगा के जलस्तर के कारण राफ्टिंग का संचालन करीब 20 दिन देर से शुरू हो रहा है।
इन स्थानों से होगी राफ्टिंग की शुरूआत..
1- कौडियाला से रामझूला, नीमबीच -35 किमी
2- कौडियाला से शिवपुरी -20 किमी
3- मरीन ड्राइव से शिवपुरी-10 किमी
4- मरीन ड्राइव से रामझूला, नीमबीच – 25 किमी
5- शिवपुरी से रामझूला, नीमबीच- 15 किमी
6- ब्रह्मपुरी से रामझूला, नीमबीच – 9 किमी
7- क्लब हाउस से रामझूूला, नीमबीच- 9 किमी
ग्राफिक एरा से हिंदी में कीजिए बीटेक, मिलेगी 50 फीसद स्कालरशिप..
उत्तराखंड: देहरादून के ग्राफिक एरा की सोशल वेलफेयर कमेटी ने हिंदी माध्यम से बीटेक करने वाले छात्र-छात्राओं को 50 फीसद तक स्कालरशिप देने का फैसला लिया है। हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए यह एक बड़ी राहत है।
हिंदी माध्यम के विद्यालयों से आने वाले छात्र-छात्राओं को इंजीनियरिंग में कठिनाई पेश आती है। इसी को ध्यान में रखते हुए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने इस सत्र से ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में भी हिंदी माध्यम से बीटेक पाठ्यक्रम शुरू करने को मंजूरी दी है। इसके तहत ग्राफिक एरा में कंप्यूटर साइंस, मैकेनिकल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन से हिंदी में बीटेक की पढ़ाई कराई जाएगी।
ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डा. कमल घनशाला का कहना हैं कि सोशल वेलफेयर कमेटी के इस फैसले से हिंदी भाषी छात्र-छात्राओं को काफी राहत मिलेगी। अंग्रेजी में अच्छी पकड़ नहीं होने के चलते दूसरे क्षेत्रों में जाना उनकी मजबूरी नहीं बनेगा। विवि में हिंदी माध्यम से कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने के लिए 75 फीसद और मैकेनिकल इंजीनियरिंग व इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन के लिए 60 फीसद न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता होगी।
इन तीनों कोर्स में 60-60 सीट रखी गई हैं। यह छूट देश के हर क्षेत्र के युवाओं को दी जाएगी। ऐसे युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए अंग्रेजी की विशेष कक्षाएं भी चलाई जाएंगी, ताकि उन्हें कारपोरेट जगत की जरूरतों के अनुरूप ढाला जा सके।