नाबालिग बच्ची के उत्पीड़न के आरोप में निलंबित चल रही हरिद्वार (Haridwar) की सिविल जज (सीनियर डिवीजन) दीपाली शर्मा को नैनीताल हाई कोर्ट (High Court of Uttarakhand) के आदेश पर उत्तराखंड सरकार ने बर्खास्त कर दिया है। प्रदेश की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है।
शासन ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ द्वारा 14 अक्टूबर को पारित संकल्प के आधार पर शासन को प्रेषित संस्तुति के क्रम में निलंबित सिविल जज (सीनियर डिवीजन) दीपाली शर्मा की उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील), 2003 के प्रावधानों के तहत सेवा समाप्त की है।
यह था मामला
वर्ष 2018 को नैनीताल हाईकोर्ट को एक पत्र मिला था। पत्र के आधार पर हाई कोर्ट ने हरिद्वार के तत्कालीन जिला जज राजेंद्र सिंह चौहान और एसएसपी कृष्ण कुमार वीके को जज दीपाली शर्मा आवास पर छापा मारने के आदेश दिए थे। इस टीम ने दीपाली शर्मा के जजेज कॉलोनी स्थित आवास में छापा मारकर एक किशोरी को मुक्त कराया था।
जिला जज की मौजूदगी में जिला अस्पताल में किशोरी का मेडिकल कराया गया था। इस दौरान किशोरी के शरीर पर चोट के 20 निशान पाए गए थे। हाई कोर्ट के निर्देश पर दीपाली शर्मा के विरुद्ध पुलिस में मामला दर्ज किया गया था और बाद में उन्हें निलंबित कर दिया था। दीपाली शर्मा ने इस मामले में राहत पाने के लिए न्यायालय की शरण भी ली थी। मगर उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में आए दिन लोगों पर भालुओं (Bear) के हमले को देखते हुए प्रदेश सरकार दो रेस्क्यू सेंटर बनाएगी। इसके साथ ही किसानों की फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए जंगलों में फलदार पेड़ लगाए जाएंगे।
यह जानकारी मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राजधानी देहरादून में वन मुख्यालय में ई-ऑफिस कार्यप्रणाली के शुभारम्भ के लिए आयोजित कार्यक्रम में दी। उन्होंने घोषणा की कि चमोली एवं पिथौरागढ़ में भालुओं के लिए एक-एक रेस्क्यू सेंटर बनाया जाएगा। इसके अलावा बंदरों के लिए चार रेस्क्यू सेंटर बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि अगले वर्ष हरेला पर्व पर एक करोड़ फलदार वृक्ष लगाए जाएंगे। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि इसके लिए अभी से तैयारियां शुरू की जाएं। फलदार वृक्ष जंगलों में भी लगाए जाएंगे, जिससे जंगली जानवरों को आहार की उपलब्धता जंगलों में ही पूरी हो और वह किसानों की फसलों को नुकसान ना पहुंचा सकें।
मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि ई-ऑफिस प्रणाली को जल्द ही जिला एवं क्षेत्रीय कार्यालयों में भी विस्तारित किया जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यों में तेजी और पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल इंडिया की जो शुरूआत की उसके बेहतर परिणाम आज सबके सम्मुख हैं। राज्य में ई-कैबिनेट की शुरूआत की गई है। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जा रहा है। 37 कार्यालय ई-ऑफिस प्रणाली से जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल कार्यप्रणाली की ओर हम जितने तेजी से बढ़ेंगे, उतनी तेजी से जन समस्याओं का निदान होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में पिरूल पर जो कार्य हो रहा है, इसे और विस्तार देने की जरूरत है। पिरूल एकत्रीकरण पर राज्य सरकार द्वारा 02 रूपये प्रति किग्रा एवं विकासकर्ता द्वारा 1.5 रूपये प्रति किग्रा एकत्रकर्ता को दिया जा रहा है। इसका उपयोग ऊर्जा के लिए तो किया ही जायेगा, लेकिन इसका सबसे ज्यादा फायदा वन विभाग को होगा। वनाग्नि और जंगली जानवरों की क्षति को रोकने में यह नीति बहुत कारगर साबित होगी। स्थानीय स्तर पर गरीबों के लिए स्वरोजगार के लिए पिरूल एकत्रीकरण का कार्य एक अच्छा माध्यम बन रहा है।
इस अवसर पर वन विभाग के सलाहकार व ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डाॅ. एस.एस.नेगी, मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रवींद्र दत्त, वन पंचायत सलाहकार समिति के अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह बिष्ट, मुख्य वन संरक्षक जयराज, पीसीसीएफ रंजना काला, विनोद कुमार सिंघल, मुख्य वन संरक्षक आईटी नरेश कुमार एवं वन विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड सरकार ने नैनीताल (Nainital) की सुंदरता में चार चांद लगाने वाली नैनी झील (Naini Lake) के सौंदर्य और सरंक्षण के लिए विशेष प्रयास शुरु किए हैं। सोमवार को अपने एक दिवसीय नैनीताल भ्रमण के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Chief Minister Trivendra Singh Rawat) ने नैनी झील में एक करोड़ की लागत से यूनडीपी (UNDP) के सहयोग से स्थापित दिव्य नैनी झील जल गुणवत्ता आंकलन प्रणाली का लोकापर्ण किया।
इस प्रणाली के तहत झील की जल गुणवत्ता के सतत मापन हेतु दो प्रोटियएस सेंसर स्थापित किए गए हैं। जिनसे झील के पानी की गुणवत्ता संबंधी आंकड़ों को एलईडी स्क्रीन पर आम जनमानस के लिए प्रसारित किया जा रहा है। झील की गुणवत्ता संबंधित आंकड़ों के सतत प्रदर्शन से स्थानीय लोगों व पर्यटकों को झील को स्वच्छ रखने हेतु जागरुकता बढ़ेगी। साथ ही जल गुणवत्ता के विस्तृत आंकड़ों एवं चेतावनी एसएमएस एवं मोबाइल ऐप द्वारा लोगों को प्रसारित की जाएगी। इन सेंसरों के जरिए झील का पूर्ण रासायनिक विश्लेषण किया जाएगा। इससे झील के अन्तर्जलीय वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं हेतु अनुकूल पर्यावरण विकास एवं प्रबंधन हो सकेगा और झील के सरंक्षण में सहयोग मिलेगा।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि नैनी झील अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए दुनिया भर मे जानी जाती है और सदैव से ही पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। उन्होंने कहा नैनी झील हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने सभी से नैनीझील को स्वस्थ व स्वच्छ रखने की अपील भी की। उन्होंने उम्मीद जताई कि झील के लिए स्थापित की गई जल गुणवत्ता प्रणाली जल संरक्षण के साथ ही जल की निर्मलता भी बनाए रखेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रदेश की नदियों, झीलों, तालाबों और जल स्रोतों को पुर्नजीवित करने के लिए व्यापक जन अभियान शुरु किया गया है, जिसमें सफलता मिली है। प्रदेश की कोसी, गगास, रिस्पना, शिप्रा नदियों में व्यापक वृक्षारोपण का कार्य किया गया है। सौंग व जमरानी बांध बनने से 125 करोड़ की बिजली बचत होगी। उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा में तड़ाग ताल के पुर्नजीवन एवं संरक्षण हेतु 10 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं।
इस अवसर पर स्थानीय विधायक संजीव आर्य ने क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं को मुख्यमंत्री के सम्मुख रखा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने कुमायूं दौरे के दूसरे दिन शनिवार को बागेश्वर में जिले के अधिकारियों के साथ विभिन्न योजनाओं व कार्यों की समीक्षा बैठक की। उन्होंने शासकीय योजनाओं की अद्यतन प्रगति की जानकारी प्राप्त करते हुए विकास कार्यों में और तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विकास एवं जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से प्रदेश की जनता को लाभान्वित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि वर्तमान समय में कोविड-19 से निपटने के लिए हम सभी को सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे। इसमें किसी भी प्रकार का शिथिलता न बरती जाए। इस कार्य में पुलिस को एक्टिव होकर कार्य करना होगा तथा बिना मास्क व नियमों का पालन न करने वालों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई करते हुए जुर्माना वसूला जाए। उन्होंने सभी लोगों तक मास्क की उपलब्धता बनी रहे, इसके लिए महिला समूह के माध्यम से मास्क बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि दवाईयों की कमी नहीं होनी चाहिए और मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। कोरोना संक्रमण वायरस के नियंत्रण व रोकथाम के लिए लगातार प्रचार-प्रसार किया जाए।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना की समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि इस योजना से लाभार्थियों को लाभान्वित करने के लिए विभाग निरंतर बैंकों के साथ समन्वय स्थापित करें। लाभार्थियों की परेशानियों को दूर करने के लिए बैंकों के साथ मेले का आयोजन करें और इसके लिए जनपद स्तर पर एक नोडल अधिकारी की तैनाती हो। कोविड-19 के कारण जनपद में वापस आये प्रवासियों की सफलता की कहानी पर मुख्यमंत्री ने प्रशंसा व्यक्त करते हुए कहा कि विभाग लोगों से वार्ता करें तथा वे जिस काम में रूचि रखते है उस कार्य के लिए उन्हें प्रेरित किया जाए।
मुख्यमंत्री घोषणा के संबंध में उन्होंने कहा कि जो कार्य शासन स्तर पर लम्बित है उन्हें चिन्हित कर तत्काल शासन को प्रेषित किया जाए। सिंचाई विभाग द्वारा बागेश्वर के घाट निर्माण के संबंध में उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों में स्थानीय पत्थरों का उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि जिला योजना का 40 प्रतिशत व्यय रोजगारपरक योजनाओं पर अनिवार्य रूप से करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा प्रत्येक व्यक्ति को रोजगारपरक योजनाओं से लाभान्वित करना है। इसलिए स्थानीय आवश्यकताओं के दृष्टिगत स्थानीय प्रशासन निर्णय ले, ताकि आम जनमानस को योजनाओं का वास्तिवक लाभ मिल सके।
बैठक से पूर्व मुख्यमंत्री ने जनपद में ई-ऑफिस का शुभारम्भ किया। इस संबंध में जिलाधिकारी विनीत कुमार ने अवगत कराया कि इस प्रक्रिया को जिला कार्यालय से शुरु किया जा रहा है। इसके बाद मुख्य विकास अधिकारी, पुलिस अधीक्षक तथा तहसील कार्यालयों में प्रारम्भ किया जाएगा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने ग्राम्या, ग्राम्य विकास विभाग, आजीविका सहयोग परियोजना तथा जिला उद्योग केन्द्र द्वारा लगाए गए स्टॉलों का निरीक्षण कर उनके उत्पादों की प्रशंसा की।
बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देवी, विधायक चन्दन राम दास, व बलवन्त सिंह भौर्याल, भाजपा जिलाध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट, सहित जनपदस्तरीय अधिकारी मौजूद रहे। इससे पहले, प्रातः मुख्यमंत्री ने बागनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरुवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भेंट की और राज्य से संबंधित विभिन्न मामलों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से कैंपा योजना के तहत राज्य द्वारा भेजे गए 262 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को स्वीकृति देने का अनुरोध किया।
जावड़ेकर से भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के कारण लाखों की संख्या में उत्तराखण्ड के लोग वापस अपने राज्य में आए हैं। राज्य सरकार ने इनके रोजगार के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना सहित अनेक कदम उठाए हैं। कैंपा के तहत भी 10 हजार लागों को रोजगार देने के लिए योजना बनाई गई है। राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष और वनाग्नि पर प्रभावी रोक लगाने के लिए कैम्पा के तहत 2020-21 के लिए 262 करोड़ 49 लाख रूपए की अतिरिक्त धनराशि का प्रस्ताव भारत सरकार के वन मंत्रालय को भेजा गया है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से इस प्रस्ताव की स्वीकृति का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में जंगली जानवरों द्वारा विशेष तौर पर बंदर, सूअर और मैदानी क्षेत्रों में नील गाय खेती को नुकसान पहुंचाते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों पर लेपर्ड द्वारा हमले की घटनाओं और जंगली जानवरों द्वारा खेती को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर स्थापित किए जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर को वानिकी गतिविधियों के रूप में परिभाषित किया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मुख्यमंत्री के अनुरोध पर अपनी सैद्धांतिक स्वीकृति दी।
मुस्लिम महिलाओं के लिए अभिशाप समझे जाने वाले तीन तलाक की कुप्रथा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली सायरा बानो (Shayara Bano) को उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने मंगलवार को प्रदेश महिला आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया। सरकार ने उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिया है। सायरा बानो ने विगत 11 अक्टूबर को देहरादून में भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में पार्टी की सदस्य्ता ग्रहण की थी। सायरा बानो के अलावा दो अन्य पार्टी नेत्रियों ज्योति शाह व पुष्पा पासवान को भी महिला आयोग में उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
उत्तराखंड के काशीपुर (ऊधमसिंह नगर) निवासी सायरा बानो ने वर्ष 2016 में तीन तलाक के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने तीन तलाक के साथ ही बहुविवाह व निकाह हलाला को भी चुनौती दी थी। उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने ऐतिहासिक निर्णय देते हुए तीन तलाक को अवैधानिक घोषित किया था। वर्ष 2019 में संसद ने भी तीन तलाक को गैर कानूनी घोषित कर इसे दंडनीय अपराध बना दिया। इस कानून के द्वारा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सायरा बानो का विवाह वर्ष 2002 में प्रयागराज के रिजवान अहमद से हुई थी। शुरुआती दिनों में तो ससुराल में सब ठीक-ठाक रहा। मगर कुछ समय बाद पति और ससुराली उसे परेशान करने लगे। दो बच्चे होने के बावजूद सायरा के साथ मारपीट की जाती थी और बात-बात पर घर से निकालने की धमकी दी जाती। वर्ष 2015 में सायरा बानो कुछ दिनों के लिए अपने मायके आई तो पति ने टेलीग्राम पर तीन तलाक लिखकर उसे हमेशा के लिए छोड़ दिया। सायरा ने परिस्थितियों से हार मानने के बजाय अन्याय के विरुद्ध लड़ाई लड़ने की ठानी। उन्होंने इसे न्यायालय में चुनौती दी और मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में एक निर्णायक व ऐतिहासिक जीत हासिल की।
सायरा ने जब विगत दिवस भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी, तो तब से यह माना जा रहा था कि उन्हें पार्टी अथवा सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी। सायरा बानो के अलावा रानीखेत की वरिष्ठ महिला नेत्री ज्योति शाह व गोपेश्वर की पुष्पा पासवान को भी राज्य महिला आयोग में उपाध्यक्ष बनाया गया है। आयोग के अध्यक्ष पद पर पूर्व में ही नियुक्ति की जा चुकी है। प्रदेश की पूर्व कैबिनेट मंत्री विजया बड़थ्वाल अध्यक्ष के पद पर तैनात हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को ग्रोथ सेंटरों की समीक्षा की। उन्होंने उत्तराखण्ड के उत्पादों के लिए एक अम्ब्रेला ब्रांड बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सभी ग्रोथ सेंटर, बिक्री और मुनाफे का लक्ष्य निर्धारित कर काम करें। उन्होंने जिलाधिकारियों को भी निर्देश दिए कि वे ग्रोथ सेंटरों में स्वयं जाकर वहां आने वाली समस्याओं का निस्तारण करें। उन्होंने उत्पादों की ऑनलाईन मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा।
ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों का स्किल डेवलपमेंट हो
मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारियों के साथ ग्रोथ सेंटरों की समीक्षा करते हुए कहा कि देहरादून के थानो व नैनीताल के कोटाबाग के एलईडी ग्रोथ सेंटरों को क्वालिटी डिजायनर उपलब्घ कराए जाएं। हरिद्वार में प्रसाद निर्माण से जुड़े सेंटर आगामी कुम्भ को देखते हुए अपनी तैयारियां करें। सभी ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों के स्किल डेवलपमेंट की भी व्यवस्था की जाए।
नियमित बिक्री की व्यवस्था हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रोथ सेंटरों के उत्पादों की सीजनल ही नहीं, बल्कि नियमित बिक्री सुनिश्चित की जाए। आसपास के कुछ ग्रोथ सेंटरों को मिलाकर एक पिकअप वाहन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा सकती है। इससे यातायात लागत कम होगी।
ग्रोथ सेंटर आत्मनिर्भर भारत और वोकल फोर लोकल का अच्छा उदाहरण
त्रिवेंद्र ने कहा कि ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों विशेष तौर पर महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। इस आत्मविश्वास को और बढ़ाना है। जिलाधिकारी ग्रोथ सेंटरों में खुद जाकर वहां आने वाली समस्याओं का निस्तारण करें। ग्रोथ सेंटर आत्मनिर्भर भारत और वोकल फोर लोकल का अच्छा उदाहरण हैं।
उत्तराखण्ड के उत्पादों के लिए एक अम्ब्रेला ब्रांड बने
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के उत्पादों के लिए एक अम्ब्रेला ब्रांड बनाया जाए। इसके अंतर्गत अन्य ब्रांड भी चलते रहेंगे। इसके लिए दक्ष विशेषज्ञों की सहायता ली जाए। इसके लिए उत्तराखण्ड के उत्पादों की विशेषता, सम्भावित मार्केट आदि का पूरा अध्ययन किया जाए। ब्रांड का नाम इस प्रकार हो जिसमें उत्तराखण्ड की फीलिंग आए। उद्योग विभाग इसे क्रियान्वित करेगा।
ग्रोथ सेंटरों ने मुख्यमंत्री को दिया फीडबैक
मुख्यमंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से विभिन्न ग्रोथ सेंटरों के संचालक स्वयं सहायता समूहों से बात की और उनसे फीडबैक लिया। बताया गया कि ग्रोथ सेंटर प्रारम्भ होने से उनसे जुड़े ग्रामीणों और महिलाओं की आय में बढ़ोतरी हुई है। धीरे-धीरे उत्पादों को बाजार भी मिलता जा रहा है। स्थानीय लोग ग्रोथ सेंटरों से जुड़ने के लिए आगे आ रहे हैं। लोहाघाट के स्वयं सहायता समूह द्वारा बताया गया कि मशीने मिलने के बाद लोहे की कढ़ाई के निर्माण में काफी वृद्धि हुई है। इससे उनकी आय भी बढ़ी है। चमोली के उर्गम के स्वयं सहायता समूह ने बताया कि बदरी गाय के दूध व घी की अच्छी कीमत मिल रही है। दर्जनों ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों ने मुख्यमंत्री को ग्रोथ सेंटर योजना के लिए आभार व्यक्त करते हुए ग्रेाथ सेंटरों की कार्यविधि की जानकारी दी।
अभी तक 104 ग्रोथ सेंटर स्वीकृत, 72 क्रियाशील
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने बताया कि अभी तक कुल 104 ग्रोथ सेंटर स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 72 क्रियाशील हो चुके हैं। अन्य भी जल्द ही शुरू हो जाएंगे। इन ग्रोथ सेंटरों से लगभग 30 हजार लोग लाभान्वित हो रहे हैं। स्वीकृत किए गए ग्रोथ सेंटरों में एग्री बिजनेस आधारित 38, बेकरी आधारित 04, डेयरी व दुग्ध उत्पाद आधारित 05, मत्स्य 11, आर्गेनिक ऊन 10, प्रसाद 05, मसाला 04, फल प्रसंस्करण 05, शहद व मौन पालन 04, एलईडी 02, शिल्प आधारित 05, आईटी 02, पर्यटन 02, हथकरघा व क्विल्ट आधारित 02, पशुआहार 01 और एरोमा आधारित 04 ग्रोथ सेंटर हैं। बताया गया कि सितम्बर 2020 तक क्रियाशील ग्रोथ सेंटरों की कुल बिक्री धनराशि 6 करोड़ 09 लाख रूपए रही जबकि लाभ की राशि 60 लाख रूपए से अधिक रही। ग्रोथ सेंटरों के टर्नओवर और मुनाफे में लगातार वृद्धि हो रही है। ग्रोथ सेंटरों की ऑनलाईन मार्केटिंग के लिए वेबसाईट बनाई जा रही है। इनका थर्ड पार्टी मूल्यांकन भी कराया जाएगा।
बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, उत्तराखण्ड ग्राम्य विकास और पलायन आयेाग के उपाध्यक्ष डा.एसएस नेगी, मुख्यमंत्री के सलाहकार आलोक भट्ट, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन, सचिव आरके सुधांशु, आर मीनाक्षी सुन्दरम, राधिका झा, हरबंस सिंह चुघ, डा.रणजीत सिन्हा, एसए मुरूगेशन, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड में आजकल सौर ऊर्जा की खेती चर्चा में है। प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार ने कोरोना काल में घर वापस लौटे प्रवासियों व अन्य बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना शुरु की है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद जिस तरह से इस योजना की अक्सर चर्चा कर रहे हैं, उससे यह अंदाज लगाना कठिन नहीं है कि वो खुद इसको लेकर कितने उत्साहित हैं। मुख्यमंत्री निरंतर इस योजना की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं और उन्होंने इसे अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया हुआ है। अगर योजना वास्तविक धरातल पर उतरती है, तो यह स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।
योजना की खास बात
प्रदेश सरकार ने विगत दिवस 8 अक्टूबर को इस योजना का औपचारिक शुभारम्भ किया। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल इस योजना को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचालित किया जा रहा है। इस योजना के तहत प्रदेश सरकार ने 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित करने का लक्ष्य रखा है। राज्य के स्थायी निवासी अपनी निजी या लीज की भूमि पर सोलर पॉवर प्लांट स्थापित कर सकते हैं। कोई भी उद्यमशील युवा, बेरोजगार, किसान इस योजना के लिए पात्र होगा। सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करने के लिए डेढ़ से दो नाली यानी 300 वर्ग मीटर भूमि की जरुरत होगी।
योजना पर व्यय
25 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयत्र पर लगभग दस लाख रुपये का खर्च होगा। योजना की कुल लगत का 70 प्रतिशत तक लाभार्थी को ऋण के रूप में मिलेगा। शेष 30 प्रतिशत की राशि लाभार्थी को मार्जिन मनी के रूप में वहन करना होगा। चयनित लाभार्थियों को सहकारी बैंकों के माध्यम से आठ प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। यह ऋण 15 वर्ष की अवधि के लिए होगा। योजना का आवंटन जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी।
प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे। – त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री
प्रतिवर्ष 38 हजार यूनिट बिजली उत्पादन
राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है।
प्रतिमाह 15 हजार रूपये की आय होगी
योजना के अंतर्गत आवंटित परियेाजना से उत्पादित बिजली को उत्तराखंड ऊर्जा कार्पोरेशन (UPCL) द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (PPA) किया जाएगा। ऊर्जा निगम लाभार्थियों से साढ़े चार रुपए की दर पर बिजली खरीदेगा। इस प्रकार लाभार्थी को 15 हजार रूपये प्रतिमाह तक का आर्थिक लाभ हो सकेगा।
सोलर फार्मिंग से एग्रो फार्मिंग
सरकार ने सोलर फार्मिंग को एग्रो फार्मिंग से जोड़ा है। प्लांट लगाने वाली भूमि पर जलवायु के अनुकूल जड़ी-बूटी व सगंध पौधों के बीज निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही मधुमक्खी पालन, अदरक आदि का उत्पादन किया जा सकता है। इससे जहां बंजर खेतों में फिर से हरियाली लहलहाने लगेगी, वहीं रोजगार के अवसर बढ़ने से पलायन पर भी अंकुश लग सकेगा।
जिलाधिकारियों की जवाबदेही तय
योजना के शुभारम्भ के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखेंगे। इसके साथ ही भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
देशभर में सामाजिक कार्यों में जुटे हंस फाउंडेशन की प्रेरक माता मंगला के जन्मदिन पर उत्तराखंड को 105 करोड़ की योजनाओं की सौगात मिली है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने सरकारी आवास में हंस फाउंडेशन की इन विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ किया।
हंस फाउंडेशन द्वारा माता मंगला के जन्मदिन के अवसर पर शुरू की गई इन योजनाओं में ‘हंस जल धारा’ के तहत लगभग 200 गांव में शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजना प्रमुख है। जिसकी लागत लगभग 50 करोड़ रूपये है। इस योजना को दो से तीन साल में पूरा किया जाना है।
कोविड-19 संक्रमण के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी पहाड़ लौटे हैं। इन लोगों के लिए हंस फाउंडेशन द्वारा 25 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है, जिसके माध्यम से पहाड़ लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध करवाने में मदद की जाएगी। इसी के साथ राज्य में लगभग 200 गांव में आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण किया जाना है। जिनकी लागत लगभग 30 करोड़ रूपये है।
मुख्यमंत्री ने की सुदीर्घ जीवन की कामना
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने माता मंगला के सुदीर्घ जीवन की कामना की। उन्होंने कहा कि माता मंगला के जीवन संघर्ष और उनकी सेवा भाव की विचारधारा हम सभी को प्रेरित करती है। उनका जीवन गरीबों की निस्वार्थ सेवा में समर्पित है। राज्य सरकार को भी हमेशा उनका सहयोग मिला है। माता मंगला व भोले महाराज समाज सेवा की भारतीय संस्कृति की महान परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। जिससे लाखों लोगों के जीवन में रोशनी फैल रही है।
आज राज्य को माता मंगला के जन्मदिवस पर 105 करोड़ रुपये की योजनाओं की सौगात मिली है। यह निश्चित तौर पर हमारे राज्य को विकास के पथ पर लेकर जाएगा। इससे पहले हंस फाउंडेशन राज्य को भोले जी महाराज के जन्मदिवस पर 100 करोड़ रूपये की योजनाओं का तोहफा दे चुका है।
रुद्रप्रयाग जिला चिकित्सालय को एंबुलेंस दी
माता मंगला के जन्मदिन के अवसर पर हंस फाउंडेशन ने रूद्रप्रयाग के जिला अस्पताल को एम्बुलेंस (टाटा विंगर), सक्शन मशीन, नेबुलिज़र मशीन, लाइफ सपोर्ट डिवाइस डिफाइब्रिलेटर मशीन, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर,एक्स रे मशीन एवं ईसीजी मशीन प्रदान की है।
हरिद्वार में भी आयोजित हुआ कार्यक्रम
उधर, हरिद्वार में भारत माता मंदिर में भी आध्यात्म और सेवा की प्रतिमूर्ति माता मंगला का जन्मोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर श्रीमहंत ललिता नंद गिरि महाराज ने कहा कि माता मंगला आध्यात्मिक विभूति हैं और निरंतर सेवा भाव से मानव मात्र की सेवा कर रही है। उनका आशीर्वाद एवं उनकी प्रेरणा हम सभी को निरंतर मिलती रहे, यह हमारे लिए प्रसन्नता का विषय है। अनेक वर्षों से पूरे देश में भोले जी महाराज व माता मंगला की प्रेरणा से हंस फाउंडेशन जनसेवा का कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश सरकार द्वारा स्वरोजगार के लिए संचालित की जा रही विभिन्न योजनाओं के सफल क्रियान्वयन पर जोर दिया है। उन्होंने इस सम्बन्ध में गुरुवार को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की और उन्हें कई निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सरकार की इन महत्वाकांक्षी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में जिलाधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने बिजली चोरी को रोकने के लिए सभी जनपदों में सघन अभियान चलाने को कहा और दोषियों के विरुद्ध सख्त कारवाई के निर्देश दिए।
त्रिवेंद्र ने अधिकारियों को कहा कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना, सौर ऊर्जा व पिरूल ऊर्जा नीति से रोजगार के अवसर बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाए। एलईडी ग्राम लाईट योजना के तहत जिन स्थानों पर प्रोडक्शन का कार्य शुरु हो चुका है, उन स्थानों पर जिलों के मुख्य विकास अधिकारी एवं सबंधित विभागीय अधिकारी जाकर महिला स्वयं सहायता समूहों से उनको कार्य करने में आ रही समस्याओं की जानकारी लें। इससे उनकी समस्याओं का शीघ्रता से निवारण हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि एलईडी ग्राम लाईट योजना के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को उचित प्रशिक्षण, राॅ मेटिरियल एवं सप्लाई चेन की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए राज्य में कुछ क्षेत्र हब के रूप में विकसित करने होंगे। स्थानीय स्तर पर लोगों की आय में वृद्धि के लिए सुनियोजित तरीके से कार्य किए जाएं। त्योहारों के सीजन के दृष्टिगत स्थानीय स्तर पर निर्मित सामग्री की मार्केंटिंग के लिए स्वयं सहायता समूहों को सहयोग दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पिरूल नीति से 40 हजार से अधिक लोगों के आय के संसाधन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए जिलाधिकारियों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इससे बिजली उत्पादन के साथ ही अनेक पर्यावरणीय लाभ भी हैं। पिरूल एकत्रीकरण से स्थानीय स्तर पर महिलाओं के आय के संसाधन बढ़े हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने विद्युत विभाग की भी समीक्षा की। उन्होंने बिजली चोरी को रोकने के लिए सभी जनपदों में सघन अभियान चलाने को कहा और निर्देश दिए कि दोषियों पर सख्त कारवाई की जाए। साथ ही इसमें विद्युत विभाग के अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय की जाए। उन्होंने विद्युत लाईनों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस योजना बनाने को भी कहा और निर्देश दिए कि विद्युत लाईनों की नियमित जांच तथा आवश्यकतानुसार अंडर ग्राउण्ड केबलिंग की व्यवस्था की जाए।
उन्होंने विद्युत लाईनों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं पर निर्धारित मानकों के अनुरूप क्षतिपूर्ति एक सप्ताह के अन्दर देने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बरदाश्त नहीं की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाए कि दुर्घटना के कारणों की जांच रिपोर्ट सबंधित क्षेत्र के विद्युत विभाग के अधिकारियों से शीघ्र उपलब्ध हो। बिजली के बिल की रशीद लोगों तक नियमित रूप से पहुंचे।
सचिव ऊर्जा राधिका झा ने कहा कि विभागों को की-परफार्मेंस इंडिकेटर दिए जाने से ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति हुई है। विद्युत उत्पादन में वृद्धि हुई है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत उपलब्धता की स्थिति बहुत अच्छी है। इस अवसर पर एमडी यूपीसीएल डाॅ. नीरज खैरवाल, अपर सचिव कैप्टन आलोक शेखर तिवारी आदि उपस्थित थे।