UKD: 26 विधानसभा सीटों पर अभी तक उम्मीदवारों का इंतजार..
उत्तराखंड: नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने में चंद दिन ही शेष हैं। इसके बावजूद उक्रांद अभी तक सभी सीटों पर टिकट फाइनल नहीं कर पाई है। उक्रांद को अभी 26 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा करनी है। उक्रांद अभी तक उम्मीदवारों की तीन सूची जारी कर चुकी है। पहली सूची में 16 जबकि दूसरी और तीसरी सूची में 14-14 प्रत्याशियों की घोषणा की गई। उक्रांद कुछ सीटें वामदलों समेत दूसरे सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ेगी।
ऐसे में कुल शेष 26 में से कितनी सीटों पर उक्रांद चुनाव लड़ेगा, ये भी तय नहीं है। इस पर मंगलवार को स्थिति साफ होगी। पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में प्रत्याशियों की घोषणा में देरी से नाराजगी है। इसी के चलते दूसरी सूची जारी होने के दौरान पार्टी मुख्यालय में हंगामे की स्थिति पैदा हो गई थी। केंद्रीय पदाधिकारियों को बंधक बना लिया गया था। उक्रांद अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी का कहना है कि सहयोगी दलों से सीटों पर मंगलवार को फाइनल बात हो जाएगी। इसके बाद तत्काल शेष सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाएगी।
भूकंप के झटको से हिला पिथौरागढ़, घरों से बाहर निकले लोग..
उत्तराखंड: प्रदेश में एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए। पिथौरागढ़ और आसपास के इलाके में 4.3 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप रात 1 बजकर 9 मिनट पर महसूस किया गया। उत्तरकाशी, ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून में भी इसका असर महसूस किया गया। बताया जा रहा है कि भूकंप का केंद्र जमीन की सतह के करीब 10 किलोमीटर नीचे रहा।
उत्तराखंड में इस महीने 4 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। हालांकि पहले वाले भूकंपों की तीव्रता उतनी नहीं रही लेकिन इस बार वाले भूकंप के झटके से लोग घरों से बाहर निकल आए। हालांकि इस बार भी किसी जनहानि की खबर नहीं है। आपको बता दें कि भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड को बेहद संवेदनशील जोन 5 और 4 में रखा गया है। अति संवेदनशील जोन 5 में बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी जिले आते हैं। इसके अलावा नैनीताल, ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार, चंपावत, पौड़ी और अल्मोड़ा जोन नंबर 4 में हैं।
कोरोना के बढ़ते के केसों के बीच 31 जनवरी तक स्कूल बंद..
उत्तराखंड : उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल सभी आंगनबाड़ी और 12वीं तक के स्कूल 31 जनवरी तक बंद रखने का निर्णय लिया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कोविड 19 को लेकर नई एसओपी जारी की है। इसके तहत उक्त अवधि में राजनीतिक रैलियां और धरना-प्रदर्शन पर भी रोक रहेगी। राज्य में 16 जनवरी को जारी एसओपी की अवधि रविवार को समाप्त हो गई।
प्राधिकरण के सीईओ और मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु के अनुसार, कोविड के तहत लागू प्रतिबंधों को 31 जनवरी तक बढ़ा दिया गया है। नाइट कर्फ्यू, व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए तय समयावधि पूर्व की तरह लागू रहेगी। सियासी दलों के किसी भवन में होने वाले कार्यक्रमों में सभागार की क्षमता के 50 अथवा 300 लोगों तक, जो भी कम होगा वहीं मान्य होगा। उधर, शिक्षा सचिव आर.मीनाक्षीसुंदरम के अनुसार स्कूल बंद रहने की अवधि में ऑनलाइन पढ़ाई जारी रहेगी। अधिकारियों को इस बाबत दिशानिर्देश दे दिए गए हैं।
भाजपा की टीम-22 पर दिखी सीएम धामी की छाप..
उत्तराखंड : विधानसभा चुनाव-22 के लिए गुरुवार को घोषित भाजपा की टीम पर सीएम पुष्कर सिंह धामी की युवा छाप साफ-साफ झलक रही है। पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के ओएसडी और धामी के करीबी रहे सुरेश गढ़िया, दुर्गेश्वर लाल समेत 15 युवाओं पर भाजपा ने मैदान में उतारा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी युवा नेतृत्व के प्रतीक के रूप में खुद खटीमा से चुनाव मैंदान में हैं।
भाजपा शुरू से धामी को युवा नेतृत्व के रूप में पेश करती आ रही है। धामी को धाकड़ बल्लेबाज की उपमा दे चुके भाजपा हाईकमान ने उम्मीदवार तय करने में धामी को युवा चेहरे चुनने की पूरी छूट दी। सूत्रों के अनुसार पार्टी द्वारा कराए गए सर्वें में कई टिकट काटने की सिफारिश की गई थी।
भाजपा ने बुजुर्गो के टिकट काटने में भले ही देर नहीं लगाई, लेकिन युवाओं पर कैंची चलाने में हिचकी है। कपकोट में गढिया पहली बार चुनाव मैदान में उतर रहे है। जबकि भाजपा ने युवा दुर्गेश लाल पर विश्वास जताते हुए उसे पार्टी से टिकट दिया है। 2017 में वे निर्दलीय चुनाव लड़े थे। इसके बाद कुछ समय पहले ही कांग्रेस ने अपनी पार्टी में ज्वाइन कराया था।
कांग्रेस से टिकट न मिलता देख वे गुरुवार को ही भाजपा में शामिल हुए और टिकट ले गए। द्वाराहाट से उम्मीदवार बनाए गए अनिल शाही ने भी चौंकाया है। शाही को भी भाजपा ने युवा चेहरे के रूप में आगे बढ़ाया है। भाजपा के युवा उम्मीदवारों में अगला नाम देवप्रयाग से विनोद कंडारी और सितारगंज सौरभ बहुगुणा का नाम है।
वर्ष 2017 की जंग में कामयाब रहे कंडारी और बहुगुणा पर भाजपा ने दोबारा विश्वास जताया है। इस कड़ी आगे वर्तमान विधायक भेल रानीपुर से आदेश चौहान, रुड़की से प्रदीप बत्रा, श्रीनगर से धन सिंह रावत, लैंसडौन से दिलीप रावत, भीमताल राम सिंह कैड़ा भी धामी की यूथ टीम का हिस्सा है।
उत्तराखंड में ओमिक्रॉन पकड़ रहा रफ्तार..
उत्तराखंड : में ओमिक्राॅन वैरिएट से संक्रमित 25 नए मरीज मिले हैं। इसके साथ ही राज्य में इस वैरिएंट से संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 118 हो गई है। ओमिक्राॅन से संक्रमित सभी मरीजों की स्थिति सामान्य है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ तृप्ति बहुगुणा ने बुधवार को बताया कि दून मेडिकल कॉलेज की लैब से बुधवार को आई रिपोर्ट के अनुसार 25 सैंपल ओमिक्राॅन वैरिएंट से संक्रमित मिले हैं। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही राज्य में ओमिक्राॅन से संक्रमितों की संख्या बढ़कर 118 हो गई है और इनमें से कोई भी मरीज गंभीर नहीं है।
उनका कहना हैं कि ओमिक्राॅन से घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नए वैरिएंट से संक्रमित हो रहे अधिकांश लोगों को अस्पतालों की जरूरत नहीं पड़ रही है। उन्होंने कहा कि अभी तक इस वैरिएंट से संक्रमित लोगों की संख्या 93 थी जिसमें से अधिकांश लोग ठीक हो चुके हैं। उन्होंने लोगों से कोरोना संक्रमण से बचने के लिए ऐहतियात बरतने की अपील की है। साथ ही कोविड एप्रोपिएट विहेवियर अपनाने को भी कहा गया है।
दिल्ली-यूपी सहित पड़ोसी राज्यों के मिले 111 पर्यटक कोविड पॉजिटिव
तीर्थनगरी ऋषिकेश क्षेत्र में कोरोना की रफ्तार नहीं थम रही है। बुधवार को लक्ष्मणझूला, मुनिकीरेती में दिल्ली-यूपी सहित पड़ोसी राज्यों के 111 पर्यटक समेत कोरोना के 194 नए मामले आए हैं। पॉजिटिव आए स्थानीय लोगों को दवा किट देकर होमआइसोलेट कर दिया है। मुनिकीरेती कोविड नोडल अधिकारी डा. जगदीश जोशी ने बताया कि तपोवन चेकपोस्ट में हुए एंटीजन रैपिड टेस्ट में 17 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है।
यमकेश्वर ब्लॉक के कोविड नोडल अधिकारी डा. राजीव कुमार ने बताया कि लक्ष्मणझूला घूमने आए 111 पर्यटकों की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। सभी दिल्ली,यूपी, हरियाणा के रहने वाले हैं। इसके अलावा 110 स्थानीय लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि हुई है। वहीं, ऋषिकेश सरकारी अस्पताल के स्वास्थ्य पर्यवेक्षक एसएस यादव ने बताया कि अस्पताल में 278 लोगों ने कोरोना जांच कराई थी, जिसमें 56 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। इसमें ऋषिकेश शहर के 20 लोग शामिल हैं। सभी को कोविड किट देकर होमआउसोलेट कर दिया गया है।
उत्तराखंड में एक बार फिर बदलेगा मौसम,बारिश-बर्फबारी का अलर्ट..
उत्तराखंड : उत्तराखंड के पर्वतीय जिंलों में 19, 20 और 21 जनवरी को बारिश और बर्फबारी की संभावना है। इस दौरान 2500 से 3000 मीटर उससे अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में बर्फबारी हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार, 21 के बाद अगले दो दिनों में बारिश में तेजी आ सकती है। मंगलवार की शाम से राज्य में पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के चलते एक बार फिर मौसम बदलता दिख रहा है।
मौसम विभाग के ताजा पूर्वानुमान के मुताबिक मंगलवार को प्रदेश में मौसम शुष्क रहेगा, मैदानी क्षेत्रों के कुछ भागों विशेषकर हरिद्वार व उधमसिंहनगर जिले में उथला से मध्यम कोहरा छाए रहने की संभावना है। 19 जनवरी से उत्तरकाशी रुद्रप्रयाग चमोली पिथौरागढ़ जिलों में कहीं-कहीं बहुत हल्की हल्की बारिश बर्फबारी हो सकती है।
19 को ही 3000 मीटर व उससे अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फवारी की अधिक संभावना है, जबकि 20 और 21 को पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश, बर्फवाती का क्रम जारी रह सकता है। 2500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में बर्फबारी हो सकती है। 22 और 23 को प्रदेश में बारिश में वृद्धि होगी। कोहरे और ठंड को लेकर एक बार फिर मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक मैदानी क्षेत्रों में घना कोहरा लगने से ड्राइविंग की मुश्किल स्थिति बनेगी। हवाई अड्डे में न्यूनतम सीमा से कम दृश्यता विमान लैंडिंग को प्रभावित कर सकती है। मौसम विभाग ने यात्रियों से अपनी यात्रा निर्धारण के लिए एयरलाइन, रेलवे, राज्य परिवहन के संपर्क में रहने का सुझाव दिया है। कोहरे में चलते समय फोग लाइट के इस्तेमाल का सुझाव दिया है।
उत्तराखंड में कांग्रेस बनाएगी सरकार-हरक सिंह..
उत्तराखंड : भाजपा से निष्कासित होने के बाद भी हरक सिंह रावत के तेवर नरम नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा उत्तराखंड में कांग्रेस ही सरकार बनाएगी। रावत ने कहा कि वह कांग्रेस के लिए अब पूरी तन-मन से काम करेंगे। आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत पक्की है। आपको बता दें कि बीजेपी ने हरक को रविवार देर रात पार्टी से निष्कासित कर अंतिम समय में ही सही सरकार से बर्खास्त कर उनके बगावती तेवरों से हो रहे नुकसान की भरपाई करने का प्रयास किया है।
भाजपा सरकार में हरक सिंह रावत पहले ही दिन से असहज नजर आ रहे थे। लेकिन अंतिम साल में उन्होंने अपने बयानों और मेल मुलाकातों से भाजपा को ही असहज करके रखा हुआ था। अब चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरु होने से चंद घण्टे पहले उनकी कांग्रेस में वापसी की प्रबल संभावना को देखते हुए आखिरकार भाजपा को आखिरकार उनसे अपने रिश्ते फिर से परिभाषित करने पड़ गए हैं।
इसी क्रम में सीएम पुष्कर सिंह धामी को उन्हें सरकार से बर्खास्त करने के साथ ही पार्टी ने भी उन्हें निलंबित कर दिया है। जबकि अब तक हर बार पार्टी उनकी मनोव्वल करती आ रही थी। हरक के तेवरों के आगे नरम पड़ती पार्टी के रवैये से भाजपा का मूल कैडर भी हैरान था, इस कारण पार्टी ने अब तकरीबन बेअसर हो चुकी इस कार्यवाही से अपने कैडर की भावनाओं पर मरहम लगाने का प्रयास किया है।
1991 पौड़ी से भाजपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित
1991 कल्याण सिंह सरकार में सबसे युवा मंत्री बने
1993 में फिर पौडी सीट से निर्वाचित हुए
1995 विवादों के बीच भाजपा का साथ छोड़ा
1997 मायावती के नेतृत्व वाली बसपा में शामिल
1997 यूपी खादी ग्रामोद्योग में उपाध्यक्ष बने
2002 कांग्रेस से लैंसडाउन के विधायक बन
2002 तिवारी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने
2003 जेनी प्रकरण में इस्ती़फा देना पड़ा
2007 फिर से लैंसडाउन के विधायक बने
2007 में कांग्रेस से नेता विपक्ष बनाए गए
2012 रुद्रप्रयाग से विधायक निर्वाचित हुए
2016 कांग्रेस से इस्तीफा दिया, भाजपा में वापसी
2017 भाजपा से कोटद्वार से विधायक बने
2017 भाजपा सरकार में फिर मंत्री बनाए गए
2022 भाजपा सरकार से बर्खास्त किए गए
हरक सिंह रावत के निष्कासन की ये हैं प्रमुख वजह:
भाजपा के अनुशासन की बार बार मखौल उड़ा रहे थे हरक
कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत पिछले पाँच सालों से बार बार भारतीय जनता पार्टी के अनुशासन की मखौल उड़ा रहे थे। यही कारण रहा कि अब कांग्रेस में जाने की चर्चाओं के बीच भाजपा को उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा। दरअसल डॉ हरक सिंह रावत पिछले पांच सालों में कई बार पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर चुके थे। डॉ हरक सिंह रावत को लेकर भाजपा के ग्रास रुट कार्यकर्ताओं में पहले से ही नाराजगी थी। उनके साथ ही कॉंग्रेस से आये नेताओ को पार्टी में ज्यादा ही तवज्जो दिए जाने से पार्टी में अंदरखाने खासी नाराजगी थी।
आम कार्यकार्ता बाहर से आए नेताओं को कभी भी तवज्जो नहीं चाहते थे। इसके बावजूद डॉ हरक सिंह रावत और उनके सहयोगी पार्टी को पांच सालों तक चलाते रहे। भाजपा नेतृत्व ने हर सम्भव कोशिश की की हरक सिंह रावत को पार्टी से जोड़ा रखा जाए लेकिन अब पानी सर से ऊपर होने और उनके कांग्रेस में शामिल होने के निर्णय के बाद पार्टी को उनके खिलाफ कदम उठाना पड़ा।
कैबिनेट छोड़ इस्तीफा देकर निकल गए थे..
डॉ हरक सिंह रावत कुछ दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित हो रही कैबिनेट की बैठक छोड़ निकल गए थे। उनकी नाराजगी का कारण उस समय कोटद्वार मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव न आना था लेकिन जानकारों का कहना है कि हरक उस वक्त भी लैंसडाउन सीट से अपनी बहू के लिए टिकट की मांग कर रहे थे। हरक की नाराजगी की वजह से भाजपा में हडकंप मच गया था और 24 घंटे तक हरक को मानाने के प्रयास किए जाते रहे। मुख्यमंत्री और हरक के बीच वार्ता के बाद उस मामले का अंत हो पाया था।
बहू के लिए टिकट मांग दिखा रहे थे बागी तेवर..
अपने साथ लैंसडोन से बहू अनुकृति गुसाईं के लिए टिकट की मांग को लेकर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत लगातार बागी तेवर अपनाए हुए थे। भाजपा कोर कमेटी की बैठक में पहुंचने की बजाय दिल्ली के चक्कर काट रहे थे। पार्टी पर लगातार दबाव बनाए हुए थे। हरक सिंह रावत हमेशा दबाव की राजनीति के लिए जाने जाते रहे हैं।वह भाजपा पर लगातार हर बार किसी न किसी चीज के लिए दबाव बनाए हुए थे। पहले उन्होंने कोटद्वार मेडिकल कालेज के नाम पर कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने की धमकी देकी र भाजपा को असहज किया।
हालांकि उस दौरान हरक को मना लिया गया। मेडिकल कालेज को मंजूरी देने के साथ 25 करोड़ की स्वीकृति भी दी गई। इसके बाद भी हरक पार्टी पर दबाव बनाए हुए थे। इस बार दबाव अपने लिए केदारनाथ सीट और बहू अनुकृति गुसाईं के लिए लैंसडोन सीट का बनाया जा रहा था। भाजपा में बात न बनती देख, वो कांग्रेस में बहू के लिए विकल्प तलाशने लगे। उनकी यही तलाश उन पर भारी पड़ी।
भाजपा का कड़ा संदेश..
भाजपा के इस फैसले के अनुशासन के लिहाज से कड़ा संदेश माना जा रहा है। पिछले काफी समय से हरक बगावती तेवर अपनाए हुए थे। पिछले दिनों कैबिनेट बैठक में इस्तीफे की धमकी दे चुके रावत लगातार कांग्रेस नेताओं के संपर्क में भी थे। हरक के आगे हर बार घुटने टेकने से खुद भाजपा के भीतर पसंद नहीं किया जा रहा था। हरक को बर्खास्त कर भाजपा ने साफ कर दिया है कि अब वो किसी दबाव में आने वाली नहीं है।
पूर्व सीएम हरीश रावत खुद चुनाव लड़ेंगे या लड़ाएंगे, बड़ा सवाल..
उत्तराखंड : कांग्रेस विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों को तय करने के अंतिम दौर में आ चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही कांग्रेस अपनी पहली लिस्ट जारी कर देगी। प्रत्याशियों के चयन के बीच आज भी सबसे बड़ा सवाल यही है कि कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पूर्व सीएम हरीश रावत खुद भी चुनाव लड़ेंगे या फिर चुनाव लड़वाएंगे..
उत्तराखंड में बीते कई महीने से न केवल कांग्रेस बल्कि भाजपा समेत बाकी दल भी इस सवाल का जवाब जानने को बेकरार हैं। रावत हर बार इस सवाल को बेहद सफाई से टाल जाते हैं। रावत शुरू से कहते आ रहे हैं कि उनका चुनाव लड़ना या न लड़ना हाईकमान और प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ही तय करेंगे। वो जहां से कहेंगे, मैं चुनाव लडने के लिए मैदान में उतर जाऊंगा।
रावत के पत्ते न खोलने के पीछे अहम वजह भी हैं। पहला तर्क यह दिया जा रहा है कि रावत के समर्थक उनके लिए ऐसी सीट तलाश रहे हैं जो अपेक्षाकृत सरल हो और उसके साथ ही उसका प्रभाव आसपास की अन्य सीटों पर भी पड़े। इसमें फोकस मैदान के बजाए पहाड़ की सीट पर ही ज्यादा है।
चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष होने के नाते रावत को प्रदेशभर में पार्टी के लिए प्रचार भी संभालना है। ऐसे में उनकी अपनी सीट पर असर नहीं पड़ना चाहिए। इससे भविष्य में कांग्रेस के सत्ता में आने की स्थिति में आगे रणनीतिक रूप से फायदेमंद होगा। हालांकि दूसरा तर्क यह भी कि फिलहाल रावत चुनाव लड़ाने पर पूरी ताकत लगाएं। बाद में जरूरत पड़ने पर वो अपने सीट भी खाली करा सकते हैं।
रावत जी प्रदेश के सबसे सीनियर नेता है। 10 से ज्यादा सीटों पर पार्टी नेताओं ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित किया है। रावत चुनाव लड़ेंगे और कहां से लड़ेंगे, यह पार्टी का रणनीतिक फैसला है। समय आने पर तस्वीर साफ हो जाएगी।
उत्तराखंड : भाजपा ने श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति के गठन के मुद्दे को चुनाव आयोग में ले जाने और इस पर हो- हल्ला मचाने पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि इससे कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता एक बार फिर उजागर हो गई है। पार्टी ने कहा कि इससे यह भी स्पष्ट हुआ है कि कांग्रेस की मंशा आगामी चारधाम यात्रा में रोड़ा अटकाने की है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि कांग्रेस हमेशा मठ- मंदिरों के सनातनी कार्यों और परम्पराओं में रोड़ा अटकाती रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बद्रीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति का गठन पूर्ण वैधानिक तरीके से गया है। विगत दिनों उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने के पश्चात प्रदेश सरकार द्वारा मंदिर समिति के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। चुनाव आचार संहिता के लागू होने से पहले इसका गठन कर दिया गया था।
मगर मंदिर समिति का गठन करना कांग्रेस को रास नहीं आ रहा है। मंदिर समिति को लेकर कांग्रेस का चुनाव आयोग में शिकायत करने के पीछे उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ चार धाम यात्रा की प्रक्रिया में विध्न डालना है। सभी जानते हैं कि देवस्थानम बोर्ड भंग होने के बाद से मंदिर समिति की व्यवस्था को शीघ्र पुनः लागू करना जरूरी था। क्योंकि आगामी 5 फरवरी को बसंत पंचमी से कपाट खुलने की आधिकारिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
यही वजह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही चार धामयात्रा के सुचारु संचालन हेतु अजेंद्र अजय की अध्यक्षता में मंदिर समिति का गठन किया है, ताकि यात्रा का संचालन कार्य सुचारू ढंग से हो सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से विगत वर्ष कोरोना काल में भी चारधाम यात्रा ऐतिहासिक रही। श्रद्धालुओं की संख्या ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। इससे प्रदेश की आर्थिकी को भी मजबूती मिली है।
उन्होने खुला आरोप लगाया कि सनातन धर्म के कामों में रोड़ा अटकाए बिना कांग्रेस को चैन नहीं आता है। मंदिर समिति के गठन को लेकर हो – हल्ला मचाए जाने से यह आभास हो रहा है कि कांग्रेस नहीं चाहती है कि आगामी यात्रकाल में व्यवस्थाएं चुस्त – दुरुस्त हों।
उन्होंने कहा कि इससे यह भी स्पष्ट हुआ है कि कांग्रेस पार्टी अपने राजनीतिक लाभ के लिए प्रदेश की आर्थिकी और हिंदू मान्यताओं व परंपराओं से छेड़छाड़ करने से भी नहीं चूकती है। उन्होंने कहा कि यात्रा व्यवस्था को लेकर प्रदेश सरकार के प्रयासों को संकीर्ण राजनीति में घसीटना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि धार्मिक कारण से ही नहीं, बल्कि प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ होने की वजह से भी चारधाम यात्रा बेहद महत्वपूर्ण है। ग्रीष्मकाल में मंदिरों के कपाट खुलने से कई महिनों पहले ही यात्रा को लेकर सभी तैयारियां पूरी करनी पड़ती है। इस सबको पूरा करने के लिए मंदिर समिति का आधिकारिक रूप में कार्य करना अतिआवश्यक है। यही वजह है कि इस दैवीय यात्रा को निष्कंटक और सुगम बनाने के प्रयासों के तहत ही प्रदेश सरकार ने नियमों के अनुसार समिति का गठन किया है।
रुद्रप्रयाग में “ओमिक्राॅन“ वैरिएंट के नियंत्रण को लेकर गाइडलाइन जारी..
रुद्रप्रयाग। कोविड-19 के दृष्टिगत जारी दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारी मनुज गोयल ने जनपद स्तरीय अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि कोविड-19 के नए वैरिएंट “ओमिक्राॅन“ के नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन का अनिवार्य रूप से पालन किया जाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि कोविड को लेकर जारी गाइडलाइन के अनुसार जनपद के अंतर्गत रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक कोविड कफ्र्यू प्रभावी रहेगा। इनमें कोविड से संबंधित कार्य करने वाले व्यक्तियों, दुकानों, कार्यालयों आदि को छूट दी गई है। इसी तरह समस्त व्यापारिक प्रतिष्ठान सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक ही खुले रह सकेंगे। जनपद में स्थापित खेल संस्थान, स्टेडियम व खेल के मैदान खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोले जाएंगे।
16 जनवरी तक सभी तरह की राजनैतिक रैली, धरना प्रदर्शन आदि पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि अन्य राज्यों से जनपद में आने वाले व्यक्तियों को आरटीपीसीआर कोविड नैगेटिव टेस्ट रिपोर्ट के बाद ही प्रवेश की अनुमति मिल सकेगी। वहीं सार्वजनिक स्थलों में सामाजिक दूरी व मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करने के साथ ही सार्वजनिक स्थलों में थूकने व पान, गुटखा, तंबाकू आदि के सेवन को भी प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को जारी दिशा-निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करने के लिए निर्देशित करते हुए कहा कि उल्लंघन करने पर कार्यवाही अमल में लाई जाए।