राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विकासनगर में जनसभा को किया संबोधित..
उत्तराखंड: आज गुरुवार के दिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उत्तराखंड के चुनाव प्रचार को गरमाएंगे। पिथौरागढ़ में जनसभा के बाद, उन्होंने साढ़े चार बजे विकासनगर का दौरा किया। यहां वे टिहरी लोकसभा के प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह के समर्थन में जनसभा को संबोधित करेंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, गणेश जोशी, टिहरी लोकसभा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, विधायक सहसपुर सहदेव सिंह पुंडीर, पूर्व जिला पंचायत सदस्य रामशरण नौटियाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, भाजपा प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम उपस्थित हैं।
जेपी नड्डा की बाबूगढ़ स्थित हाईवे मैदान पर होने वाली चुनाव सभा को देखते हुए भारी वाहनों का रूट डायवर्ट किया गया है। एक बजे से ही डाकपत्थर और कालसी की ओर से आने वाले भारी वाहनों को मुख्य बाजार विकासनगर में प्रवेश नहीं दिया गया। ये वाहन सैयद रोड होते हुए निकाले गए। हरबर्टपुर की ओर से आने वाले भारी वाहनों को हरबर्टपुर चौक से हरिपुर कैनाल रोड पर डायवर्ट किया गया। इस उपाय के प्रति लोगों में चिंता और असंतोष की भावना है, क्योंकि इससे यातायात में बड़ी असुविधा हो रही है और दुकानदारों को भी नुकसान हो रहा है।
बीजेपी में शामिल हुए गौरव वल्लभ, कहा, मैं सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकता..
देश-विदेश: गौरव वल्लभ ने कांग्रेस से आज सुबह ही इस्तीफा दिया था। इस्तीफा देते समय उन्होनें कहा था कि मैं सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकता। वहीं अब गौरव वल्लभ ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। बीजेपी मुख्यालय पहुंचक उन्होनें पार्टी की सदस्यता ली। पार्टी के महासचिव विनोद तावड़े ने उन्हें पार्टी में शामिल कराया। बीजेपी में शामिल होने से पहले अपने एक्स हैंडल से पोस्ट कर वल्लभ ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा हूं। मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह- शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।
सनातन विरोधी बयानों से नाराज..
वहीं गौरव वल्लभ ने गठबंधन सहयोगियों के सनातन विरोधी बयानों पर पार्टी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए लिखा कि अयोध्या में भगवान राम की प्रतिष्ठा पर कांग्रेस पार्टी के रूख से मैं परेशान हूं। जन्म से हिंदू और पेशे से शिक्षक होने के नाते, पार्टी का यह रूख पार्टी और उसके गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन धर्म के खिलाफ बोलते हैं और इस मामले पर पार्टी की चुप्पी अप्रत्यक्ष स्वीकृति देने जैसी है।
कौन है गौरव वल्लभ?
गौरव वल्लभ 42 साल के है और जोधपुर जिले के पीपाड़ गांव के रहन वाले हैं। पीपाड़ में प्रारंभिक शिक्षा के बाद गौरव ने पाली के बांगड़ कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद महर्षि दयानन्द सरस्वती यूनिवर्सिटी अजमेर से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और राजस्थान यूनिवर्सिटी जयपुर से पीएचडी की। एजुकेशन के दौरान गौरव वल्लभ मेधावी छात्र रहे। कॉलेज के दिनों मे हर तरह के कॉम्पिटिशन मे वे हिस्सा लेते और अव्वल आते थे। बाद में गौरव जमशेदपुर के एक्सएलआरआई कॉलेज में प्रोफेसर बन गए। गौरव वल्लभ अर्थव्यवस्था के अच्छे जानकार हैं। वे कांग्रेस से जुड़कर राजनीति में आए। प्रखर वक्ता होने और तर्कशक्ति की नॉलेज के चलते उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होनें जमशेदपुर पूर्व सीट से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। हालांकि वे चुनाव जीत नहीं पाए।
अकाली दल से नहीं बनी बात, भाजपा ने पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने का किया ऐलान..
देश-विदेश: पंजाब की सभी 13 सीटों पर बीजेपी अकेले चुनाव लड़ेगी। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने इसकी जानकारी एक्स पर दी। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के गठबंधन की अटकलें लगाई जा रही थीं। मगर सुनील जाखड़ ने इन अटकलों पर विराम लगा दिया है। एक्स पर जारी एक वीडियो में जाखड़ ने कहा कि भाजपा पंजाब में अकेली ही लोकसभा चुनाव लड़ेगी। सुनील जाखड़ का कहना हैं कि भारतीय जनता पार्टी पंजाब में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही है। उन्होनें कहा कि लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक के बाद भारतीय जनता पार्टी ने यह फैसला लिया है। जाखड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने जो काम किए हैं, वे किसी से छिपे नहीं हैं। भाजपा नेता ने यह भी कहा कि पिछले 10 वर्षों में किसानों की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी गई है।
सीएम केजरीवाल से इस्तीफे की मांग, दिल्ली में BJP कार्यकर्ताओं का जोरदार प्रदर्शन..
देश-विदेश: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग को लेकर भाजपा ने दिल्ली मे विरोध प्रदर्शन किया। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल के सीएम पद से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा का कहना है कि वे शराब घोटाले से ध्यान भटकाना चाहते हैं, वे कहते रहते हैं कि उन्हें (जेल से) आदेश मिल रहे हैं। केजरीवाल ईडी की हिरासत में ड्रामा कर रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल को इस्तीफा देना होगा..
उन्होंने कहा कि मैंने एलजी और ईडी निदेशक को लिखित शिकायत दी है कि उन्होंने जो झूठा पत्र पेश किया है, उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए। जिस तरह से गैंगस्टर और जबरन वसूली करने वाले जेल से गिरोह संचालित करते हैं, वे सीएम कार्यालय को संचालित करना चाहते हैं। अरविंद केजरीवाल जैसा भ्रष्ट व्यक्ति सीएम नहीं बन सकता। उन्हें इस्तीफा देना होगा।
हरिद्वार सीट पर बसपा ने जिसे बनाया था उम्मीदवार, उसी ने ज्वाइन की BJP..
उत्तराखंड: हरिद्वार में बहुजन समाज पार्टी को बड़ा झटका लगा है। हरिद्वार लोकसभा सीट से प्रत्याशी भावना पांडे ने बसपा से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कुछ समय पहले ही भावना पांडे ने बसपा ज्वाइन की थी। जिसके बाद उन्हें हरिद्वार सीट से मैदान में उतारा था। जानकारी के अनुसार भावना पांडे ने होली पर बीजेपी प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत से होली पर मुलाकात के बाद बसपा छोड़ने का फैसला लिया है। बता दें 22 मार्च को बसपा के प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में भावना ने बसपा ज्वाइन की थी।
वहीं सोमवार को भावना पांडे ने होली के मौके पर भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वह आज भाजपा ज्वाइन कर सकती हैं। जिसके बाद वे त्रिवेंद्र सिंह रावत के समर्थन में उतरेंगी। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी शीशपाल ने जानकारी दी की जॉइनिंग के बाद से भावना पांडे पार्टी नेताओं के संपर्क में नहीं हैं और ना ही किसी का फोन उठा रही हैं। बसपा प्रदेश अध्यक्ष का कहना हैं कि उनके पास नेताओं की कमी नहीं है। जल्द ही नए प्रत्याशी की घोषणा की जाएगी।
सूत्रों की मानें तो बसपा से एक मुस्लिम उम्मीदवार का नाम तय कर लिया गया है। जिसकी जल्द ही घोषणा की जाएगी। भावना पांडे के बसपा में शामिल होने के बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि वो मुस्लिम वोट बैंक में उतनी ज्यादा सेंध नहीं लगा पाएंगी। उल्टा भावना पांडे पार्वती वोट बैंक में सेंधमारी कर सकती हैं। जिसका नुकसान सीधे तौर पर भाजपा को होना था। लेकिन बसपा से इस्तीफा देने के बाद से समीकरण में बड़ा बदलाव होने की उम्मीद है। बता दें बीते दिनों पहले बसपा के वरिष्ठ नेता हरिदास व उनके बेटे आदित्य बृजवाल ने बसपा छोड़ भाजपा का दामन थामा था।
शराब घोटाले में क्या है गड़बड़ी, कैसे शुरू हुई जांच और कितने लोग हुए गिरफ्तार..
देश-विदेश: एक तरफ देश लोकसभा चुनावों की तैयारी कर रहा है तो दूसरी तरफ दिल्ली की सियासत में एक बड़ा उफान देखने को मिला है। इस बार ये गाज दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के ऊपर गिरी है। शराब घोटाले में सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है। आजाद भारत में ऐसा कम ही हुआ है जब किसी मुख्यमंत्री को इस तरह से गिरफ्तार किया गया हो। वहीं इससे पहले आप पार्टी को दो बड़े नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह पहले ही जेल जा चुके हैं। और अब अरविंद केजरीवाल से पूछताछ की जा रही है। जहां केजरीवाल की गिरफ्तारी को आप के कार्यकर्ता भाजपा की साजिश बता रहे हैं तो वहीं कांग्रेस के भी कुछ नेताओं ने केजरीवाल को अपना समर्थन दिया है। देश भर में आप के कार्यकर्ता अपने मुखिया की गिरफ्तारी से नाराज है और जगह जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। आइये जानते हैं कि शराब घोटाला क्या है।
क्या है दिल्ली की नई शराब नीति..
दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति को 17 नवंबर 2021 को लागू किया था।
इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं।
इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं।
नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया।
इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं।
नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
इसी के साथ एक और परिवर्तन देखने को यह मिला कि नई नीति के बाद शराब की दुकान के लिए जो लाइसेंस लगता था, उसकी फीस कई गुना बढ़ गई थी। तकनीकी भाषा में उसे एल 1 लाइसेंस कहते हैं जिसके लिए कोई दुकानदार पहले 2 लाख रुपये देते थे, बाद में पांच करोड़ तक देने पड़ रहे थे। लेकिन फिर विवाद इसलिए खड़ा हुआ क्योंकि नीति लागू होने के बाद राजस्व में भारी कमी के आरोप लगने लगे।
कैसे हुई मामले में जांच?
ये बात है साल 2022 की जब दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने आबकारी नीति में अनियमितता होने के संबंध में एक रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपी थी। इसमें नीति में गड़बड़ी होने के साथ ही तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
इस रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने नई आबकारी नीति (2021-22) के क्रियान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देकर 22 जुलाई,2022 को सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस पर सीबीआई ने सिसोदिया समेत 15 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इस आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
सीबीआई और ईडी का आरोप..
वहीं सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया। इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया। इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
वहीं मामले में जांच की सिफारिश करने के बाद 30 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी थी।
दिल्ली शराब घोटाले में कौन-कौन गिरफ्तार.
वहीं अब तक इस मामले में जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई है उनमें विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली, समीर महेंद्रू, पी सरथ चंद्रा, बिनोय बाबू, अमित अरोड़ा, गौतम मल्होत्रा, राघव मंगुटा, राजेश जोशी, अमन ढाल, अरुण पिल्लई, मनीष सिसोदिया, दिनेश अरोड़ा, संजय सिंह, के. कविता हैं । वहीं अब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है।
गिरफ्तारी से देशभऱ में प्रदर्शन..
केजरीवाल की गिरफ्तारी से देशभऱ में प्रदर्शन हो रहे हैं। उनके समर्थक खासा नाराज हैं। इस बीच दिल्ली के आईटीओ पर विरोध प्रदर्शन कर रहे आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
वित्त मंत्री ने लोकसभा में अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र पेश किया, जानिए क्या होता है श्वेत पत्र..
देश-विदेश: आज संसद में श्वेत पत्र पेश किया गया है। बता दें कि एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के दौरान कहा था कि मोदी सरकार यूपीए सरकार की नाकामियों पर श्वेत पत्र लेकर आएगी। इसी ऐलान के बाद आज संसद में श्वेत पत्र पेश कर दिया गया है। श्वेत पत्र एक सरकारी दस्तावेज होता है। इसके जरिए सरकार अपनी नीतियों और उपलब्धियों को हाई लाइट करने का प्रयास करेगी और उनका रिएक्शन जानने की कोशिश भी करेगी। श्वेत पत्र संभवत: फिस्कल पॉलिसी, मॉनेटरी पॉलिसी, ट्रेड पॉलिसी नीति और एक्सचेंज रेट पॉलिसी जैसे विभिन्न विषयों को कवर करते हुए पिछले कुछ सालों में भारत सरकार की ओवर ऑल इकोनॉमिक पॉलिसी का वर्णन मूल्यांकन और विश्लेषण करेगा।
श्वेत पत्र के जरिए यूपीए और एनडीए सरकार के कार्यकाल में हुए कार्यों की तुलना की जाएगी। साथ ही सरकार अपने कार्यकाल में उठाए गए सकारात्मक कदमों के बारे में भी बताएगी। श्वेत पत्र एक रिपोर्ट होती है, जिसके जरिए सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताया जाता है। श्वेत पत्र में शामिल दस्तावेज कई रंगों में होते हैं। इन्हीं रंगों के हिसाब से दस्तावेजों का वितरण किया जाता है।
कौन जारी करता है श्वेत पत्र?
सरकार के अलावा कोई भी कंपनी, या संस्था श्वेत पत्र ला सकती है। आमतौर पर कंपनियां इसके जरिए अपनी स्थिति के बारे में बताती है। इससे कंपनी के ग्राहकों और उत्पादों के बारे में विस्तृत जानकारी भी मिलती है। रिपोर्ट्स के अनुसार साल 1922 में ब्रिटेन में पहली बार श्वेत पत्र लाया गया था। अंतरिम बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया था कि साल 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली, तब भारतीय अर्थव्यवस्था क्राइसिस में थी। इस स्थिति के लिए उन्होनें मनमोहन सरकार के मिस मैनेजमेंट को जिम्मेदार ठहराया।
2045 में भारत की ऊर्जा जरूरतें दोगुनी होंगी- पीएम मोदी..
देश-विदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा में इंडिया एनर्जी वीक 2024 का उद्घाटन कर दिया। इस दौरान अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘दुनियाभर के विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। ऊर्जा क्षेत्र देश के विकास में बेहद अहम है। भारत पहले से ही तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है। साथ ही तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता, तीसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता देश है। हम दुनिया में चौथा सबसे बड़ा एलपीजी आयात करते हैं। चौथा सबसे बड़ा रिफाइनरी मार्केट हमारा है और ऑटोमोबाइल सेक्टर भी हमारा ही चौथा सबसे बड़ा है। आज देश में दोपहिया वाहनों और कारों की रिकॉर्ड बिक्री हो रही है। ईवी की मांग भी बढ़ रही है। ऐसा अनुमान है कि भारत में 2045 तक ऊर्जा की मांग दोगुनी हो जाएगी।
भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था’..
प्रधानमंत्री का कहना हैं कि ‘इंडिया एनर्जी वीक का आयोजन बेहद अहम समय में हो रहा है। इस वित्तीय वर्ष के बीते छह महीने में भारत की जीडीपी दर 7.5 फीसदी की दर से बढ़ रही है। यह दर वैश्विक अनुमान से भी ज्यादा है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है और हाल ही में आईएमएफ ने अनुमान जताया है कि हम इसी रफ्तार से आगे बढ़ेंगे।
ओएनजीसी के सी सर्वाइवल सेंटर का किया उद्घाटन..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले गोवा में ओएनजीसी के सी सर्वाइवल सेंटर का उद्घाटन किया। ओएनजीसी सी सर्वाइवल इको-सिस्टम सेंटर को ग्लोबल स्टैंडर्ड के साथ तैयार किया गया है। यहां हर साल 10-15 हजार कर्मियों को समुद्र में काम करने के दौरान आने वाली चुनौतियों से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी। अपने दौरे पर पीएम मोदी गोवा को कुल 1330 करोड़ रुपये की योजनाओं की सौगात देंगे। प्रधानमंत्री गोवा में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के नए स्थायी कैंपस को भी देश को समर्पित करेंगे। प्रधानमंत्री विकसित भारत, विकसित गोवा 2047 कार्यक्रम को भी संबोधित करेंगे।
6-9 फरवरी तक गोवा में आयोजित हो रहा है इंडिया एनर्जी वीक..
इंडिया एनर्जी वीक 2024, 6 फरवरी से 9 फरवरी तक गोवा में आयोजित किया जा रहा है। इंडिया एनर्जी वीक 2024 भारत का सबसे बड़ा एनर्जी एग्जीबिशन और सम्मेलन है। जिसमें पूरी एनर्जी वैल्यू चेन साथ आएगी। प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक तेल और गैस कंपनियों के सीईओ और विशेषज्ञों के साथ बैठक करेंगे। इंडिया एनर्जी वीक में विभिन्न देशों के 17 ऊर्जा मंत्री और 35 हजार से ज्यादा दर्शक और 900 से ज्यादा प्रदर्शनी लगाई जाएंगी। एनर्जी वीक में कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका के पैवेलियन हैं। एक विशेष भारत पैवेलियन भी होगा, जिसमें भारतीय एमएसएमई और ऊर्जा सेक्टर की प्रमुख कंपनियों के इनोवेटिव सॉल्यूशन को प्रदर्शित किया जाएगा।
लोकसभा में पीएम मोदी ने कसा विपक्ष पर तंज..
देश-विदेश: पीएम मोदी ने आज सोमवार को लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया है। इस दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। पीएम मोदी ने विपक्ष पर परिवारवार से लेकर कई अन्य मुद्दों पर हमला बोला। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर भी निशाना साधा।
पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि एक ही प्रोडक्ट बार-बार लांट करने के चक्कर में कांग्रेस फेल हो गई। कांग्रेस की दुकान पर ताला लगाने की नौबत आ गई। बीजेपी एक परिवार की पार्टी नहीं है। लेकिन कांग्रेस की पार्टी है। कांग्रेस एक परिवार में उलझी है। एक ही प्रोडक्ट को बार-बार लॉन्च करने की कोशिश की जा रही है। पीएम मोदी ने लोकसभा में कहा कि जो मैंने 10 साल में किया, कांग्रेस को 100 साल लगते। 5 पीढ़िया गुजर जाती। हमने 80 लाख पक्के मकान शहरी गरीबों के लिए बनाएं। हमने 17 करोड़ गैस कनेक्शन दिए। कांग्रेस की चाल से इस काम में 60 साल लगते। कांग्रेस ने हमेशा खुद को शासक और जनता को छोटा माना।
– नरेन्द्र सहगल
वरिष्ठ स्तंभकार
चिर सनातन अखण्ड भारत की सर्वांग स्वतंत्रता के लिए कटिबद्ध राष्ट्रीय स्वयंसेवक के संस्थापक डॉ. हेडगेवार स्वतंत्रता संग्राम के एक ऐसे अज्ञात सेनापति थे, जिन्होंने अपने तथा अपने संगठन के नाम से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में अपना सब कुछ भारत माता के चरणों में अर्पित कर दिया था. बाल्यकाल से लेकर जीवन की अंतिम श्वास तक भारत की स्वतंत्रता के लिए जूझते रहने वाले इस महान स्वतंत्रता सेनानी ने न तो अपनी आत्मकथा लिखी और न ही इतिहास और समाचार पत्रों में अपना तथा अपनी संस्था का नाम प्रकट करवाने का कोई प्रचलित हथकंडा ही अपनाया.
डॉ. हेडगेवार तो लोकमान्य तिलक, लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल, त्रलोक्यनाथ, सरदार भगत सिंह, वीर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस, रासबिहारी बोस, श्याम जी कृष्ण वर्मा जैसे असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों की श्रेणी के महापुरुष थे, जिन्हें स्वाधीनता प्राप्ति के बाद सत्ता पर बैठने वाले शासकों ने पूर्णतया दरकिनार कर स्वतंत्रता संग्राम का पट्टा अपने नाम लिखवा लिया. आजाद हिंद फौज, अभिनव भारत, गदर पार्टी, अनुशीलन समिति, हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक सेना, हिन्दू महासभा, आर्य समाज और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसी संस्थाओं के योगदान को धत्ता बताकर स्वतंत्रता संग्राम को एक ही नेता और एक ही दल के खाते में जमा कर देना एक राजनीतिक अनैतिकता और ऐतिहासिक अन्याय नहीं तो और क्या है?
उपरोक्त संदर्भ में सबसे अधिक घोर अन्याय डॉ. हेडगेवार के साथ हुआ, जिसने सशस्त्र क्रांति से लेकर सभी अहिंसक आंदोलनों एवं सत्याग्रहों में न केवल अग्रणी भूमिका ही निभाई, अपितु स्वतंत्रता संग्राम को राष्ट्रीय दिशा देने का भरपूर प्रयास भी किया. डॉ. हेडगेवार की इस महत्वपूर्ण पार्श्व भूमिका को स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में समझना वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है. इस ऐतिहासिक सच्चाई से कौन इंकार करेगा कि सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात समस्त भारत में तेज गति से हो रहे हिन्दुत्व के जागरण, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुर्नस्थापन, चातुर्दिक क्रांतिकारी गतिविधियों, भारतीयों की स्वातंत्र्य प्राप्ति के लिए उत्कट इच्छा को कुचलकर उसे दिशा भ्रमित करने के लिए एक कट्टरपंथी ईसाई नेता ए.ओ. ह्यूम ने 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की थी.
ये प्रारम्भिक कांग्रेस अंग्रेज हुकूमत का सुरक्षा कवच (सेफ्टी वाल्व) था. अतः अंग्रेजों की इसी कुटिल चाल को विफल करने, भारतीयता को विदेशी और विधर्मी षड्यंत्रों से बचाने और स्वतंत्रता संग्राम को राष्ट्रीय सनातन आधार प्रदान करने के लिए डॉ. हेडगेवार ने 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी. यह संघ भारत की सनातन राष्ट्रीय पहचान ‘हिन्दुत्व’ का सुरक्षा कवच था और है. राष्ट्र की सर्वांग स्वतंत्रता एवं सर्वांग सुरक्षा के लिए देशभक्त स्वतंत्रता सेनानियों का शक्तिशाली संगठन.
डॉ. हेडगेवार की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि सैन्य पौरुष, ज्ञान विज्ञान, अतुलनीय समृद्धि, गौरवशाली संस्कृति इत्यादि सब कुछ होते हुए भी हम परतंत्र क्यों हुए? परतंत्रता के कारणों को जाने बिना स्वतंत्रता प्राप्ति के सभी प्रयासों का परिणाम अच्छा नहीं होगा, यही हुआ भी. सदियों पुराने राष्ट्र का दुखित विभाजन और आधी-अधूरी राजनीतिक स्वतंत्रता.
डॉ. हेडगेवार ने तत्कालीन सभी राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं एवं आंदोलनों में भागीदारी करने के बाद मंथन में से यह निष्कर्ष निकालकर स्वतंत्रता सेनानियों, नेताओं, संतों महात्माओं सहित सभी भारतवासियों के सामने रखा – ‘‘हमारे समाज और देश का पतन मुस्लिम हमलावरों या अंग्रेजों के कारण नहीं है. अपितु, राष्ट्रीय भावना शिथिल होने पर व्यक्ति और समष्टि के वास्तविक संबंध बिगड़ गये तथा इस प्रकार की असंगठित व्यवस्था के कारण ही एक समय दिग्विजय का डंका दसों दिशाओं में बजाने वाला हिन्दू (भारतीय) समाज सैकड़ों वर्षों से विदेशियों की आसुरिक सत्ता के नीचे पददलित है’’. डॉ. हेडगेवार मानते थे कि भारत के वैभव, पतन, संघर्ष और उत्थान का इतिहास हिन्दुओं के सामाजिक उतार चढ़ाव के साथ जुड़ा हुआ है. अर्थात भारत की परतंत्रता के लिए हिन्दुओं में व्याप्त हो चुका जातिवाद, अंतर्कलह, एक दूसरे को नीचा दिखाने की मनोवृत्ति, असंगठित व्यवस्था और छुआछूत की भयंकर बीमारी इत्यादि ही देश की पतन अवस्था के लिए जिम्मेदार हैं.
इसलिए देश को स्वतंत्र करने एवं बाद में स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने के लिए देश के बहुसंख्यक प्राचीन राष्ट्रीय समाज हिन्दू को संगठित, शक्तिशाली, चरित्रवान, स्वदेशी, स्वाभिमानी बनाना अति आवश्यक है. डॉ. हेडगेवार के इसी चिंतन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जन्म दिया. अद्भुत कार्यपद्धति की सर्वोत्तम विशेषता यही है कि उन्होंने हिन्दू संगठन और स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी के दोनों मुख्य काम एक साथ करने में सफलता प्राप्त की.
डॉ. हेडगेवार द्वारा प्रदत हिन्दुत्व की कल्पना और अवधारणा में सभी भारतवासी शामिल हैं. जो भी भारतवर्ष को अपनी मातृभूमि, पितृभूमि और पुण्य भूमि मानता है, वह व्यक्ति हिन्दू ही है. हिन्दुत्व किसी जाति मजहब का परिचायक न होकर भारत की सनातन काल से चली आ रही राष्ट्रीय जीवन व्यवस्था है. देश के भूगोल और संस्कृति की पहचान है हिन्दुत्व. कथित रूप से कहे जाने वाले अल्पसंख्यक समाज इसी राष्ट्रीय पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं. इसलिए हिन्दुत्व ही वह आधार है, जिस पर सभी भारतवासियों की एकता सम्भव है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना किसी विशेष मजहब, जाति या दल के विरोध में नहीं हुई. भारत को स्वतंत्र करवाना और स्वतंत्रता को सुरक्षित रखना संघ का एकमात्र लक्ष्य था और आज भी है. संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने बाल्यकाल से ही अंग्रेजी साम्राज्य का विद्रोह शुरू कर दिया था. उनके बचपन की तीन घटनाएं उनके द्वारा भविष्य में स्थापित होने वाले शक्तिशाली संगठन और उसके महान उद्देश्य का शिलान्यास थीं. बाल केशव हेडगेवार द्वारा स्कूल में महारानी विक्टोरिया के जन्मदिन पर बंटने वाली मिठाई को यह कहकर कूड़ेदान में फैंक दिया गया – ‘‘मैंने अंग्रेजी साम्राज्य को कूड़ेदान में फेंक दिया है, विदेशी राजा के जन्मदिन पर बांटी गई मिठाई को मैं नहीं खा सकता’’. नागपुर के सीताबर्डी किले पर लगे यूनियन जैक (अंग्रेजों का झंडा) के स्थान पर भगवा ध्वज लहराने के लिए घर के एक कमरे में ही अपने बाल सखाओं के साथ सुरंग खोदने का काम शुरु कर देना.
नागपुर के नीलसिटी हाई स्कूल में पढ़ते समय वंदे मातरम गीत पर लगे प्रतिबंध को तोड़कर सभी कक्षाओं में बच्चों द्वारा वंदे मातरम के उद्घोष करवाना, आदि घटनाएं उनके भीतर जन्म ले चुके अंग्रेज विरोध तथा स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए प्रत्येक प्रकार का बलिदान करने की दृढ़ता को दर्शाता है. वंदेमातरम गायन पर लगे प्रतिबंध को तोड़ने की सजा मिली ‘स्कूल से निष्काष्न’. किसी तरह पुणे में जाकर विद्यालय की शिक्षा पूरी की. तत्पश्चात उस समय के राष्ट्रीय नेताओं की योजना तथा व्यवस्थानुसार कलकत्ता के नेशनल मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया. उद्देश्य था – उस समय के सबसे बड़े क्रांतिकारी संगठन ‘अनुशीलन समिति’ का सदस्य बनकर देश भर के सभी क्रांतिकारियों से संबंध स्थापित कर लेना. वे इस महान कार्य में सफल हुए और 6 वर्ष के बाद डॉक्टरी की डिग्री और सशस्त्र क्रांति का प्रशिक्षण व अनुभव लेकर नागपुर लौट आए. परन्तु डॉक्टरी का व्यवसाय नहीं किया और न ही विवाह किया. अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया.
1915 में प्रथम विश्व युद्ध के बादल मंडराने लगे थे. डॉ. हेडगेवार ने इस अवसर पर पूरे देश में विप्लव करके अंग्रेजों को उखाड़ फैंकने की योजना पर कार्य किया. देश भर में क्रांतिकारियों को तैयार करने, प्रत्येक स्थान पर हथियार भेजने एवं क्रांति का बिगुल बजाने की तैयारी हो गई. परन्तु उस समय के कांग्रेस नेताओं का साथ न मिलने से यह योजना साकार नहीं हो सकी. तो भी देश की स्वतंत्रता के लिए गहन चिंतन और परिश्रम जारी रहा. सभी मार्गों का अनुभव लेने, उनमें भागीदारी करने और उनके संचालन के लिए वे सदैव तत्पर रहते थे. डॉ. हेडगेवार कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन में भी गए, उन्हें मध्यप्रदेश कांग्रेस का सह-सचिव का पद भी सौंपा गया. नागपुर में सम्पन्न हुए कांग्रेस के अखिल भारतीय अधिवेशन में मुख्य व्यवस्थापकों में भी थे. उन्होंने इस अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव भी रखा था जो पारित नहीं हो पाया.
डॉ. हेडगेवार ने कांग्रेस के भीतर रहकर अखंड भारत, सर्वांग स्वतंत्रता और शक्तिशाली हिन्दू संगठन की आवश्यकता का वैचारिक आधार तैयार करने का पूरा प्रयास किया था. वे कांग्रेस के मंचों पर अंग्रेजों के विरुद्ध उग्र भाषण देने लगे. ऐसे ही एक उग्र भाषण पर डॉ. हेडगेवार को गिरफ्तार कर लिया गया. उन पर मई 1921 में राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया. इसके एकतरफा फैसले में डॉक्टर जी को एक वर्ष के कठोर सश्रम कारावास की सजा दी गई. कारावास में भी पूर्ण स्वतंत्रता का चिंतन चलता रहा. जेल से लौटने के पश्चात भी महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में आयोजित होने वाले सभी सत्याग्रहों एवं आंदोलनों में भाग लेते रहे.
डॉ. हेडगेवार ने विजयदशमी 1925 में नागपुर में संघ की स्थापना की. उस समय संघ के स्वयंसेवकों ने एक प्रतिज्ञा लेनी होती थी – ‘मैं अपने राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए तन-मन-धन पूर्वक आजन्म और प्रमाणिकता से प्रयत्नरत रहने का संकल्प लेता हूं.’ डॉ. हेडगेवार ने घोषणा की – ‘हमारा उद्देश्य हिन्दू राष्ट्र की पूर्ण स्वतंत्रता है, संघ का निर्माण इसी महान लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए हुआ है.’ जब कांग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वाधीनता का प्रस्ताव पारित किया तो डॉ. हेडगेवार ने संघ की सभी शाखाओं पर 26 जनवरी, 1930 को सायंकाल 6 बजे स्वतंत्रता दिवस मनाने का आदेश दिया. सभी शाखाओं के स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश पहनकर नगरों में पथ संचलन निकाले और स्वतंत्रता संग्राम में बढ़चढ़कर भाग लेने की प्रतिज्ञा दोहराई. ध्यान दें कि संघ ऐसी पहली संस्था थी, जिसने सबसे पहले पूर्ण स्वतंत्रता का उद्देश्य रखा था.
1930 से पहले कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता का नाम तक नहीं लिया. यह दल हाथ में कटोरा लेकर अंग्रेजों से आजादी की भीख मांगता रहा. तो भी डॉ. हेडगेवार ने महात्मा गांधी जी के सभी सत्याग्रहों और आंदोलनों में स्वयंसेवकों को भाग लेने की अनुमति दी. गांधी जी के नेतृत्व में आयोजित असहयोग आंदोलन में स्वयं डॉ. हेडगेवार ने 6 हजार से अधिक स्वयंसेवकों के साथ ‘जंगल सत्याग्रह’ में भाग लिया था. उन्हें 9 मास के सश्रम कारावास की सजा हुई थी. इसी प्रकार 1942 में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में सम्पन्न ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन’ में संघ के स्वयंसेवकों ने सरसंघचालक श्री गुरुजी के आदेशानुसार भाग लिया था. इतना ही नहीं कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं को संघ के कार्यकर्ताओं ने अपने घरों में शरण भी दी थी. उदाहरणार्थ, दिल्ली के उस समय के प्रांत संघचालक हंसराज गुप्त जी के घर में अरुणा आसफ अली और जय प्रकाश नारायण ठहरे थे.
राष्ट्रीय अभिलेखागार में गुप्तचर विभाग की एक रिपोर्ट सुरक्षित रखी हुई है. इस रिपोर्ट में संघ के अनेक कार्यकर्ताओं के नाम भी मिलते हैं, जो १९४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन में भागीदारी करने के कारण विभिन्न स्थानों पर हिरासत में लिए गए और जेलों में सजा भुगती. इन रिपोर्टों से यह भी पता चलता है कि विदर्भ के चिमूर आश्थी नामक स्थान पर संघ के कार्यकर्ताओं ने स्वतंत्र सरकार की स्थापना भी कर ली थी. संघ के स्वयंसेवकों ने अंग्रेज पुलिस के अमानवीय अत्याचारों का सामना किया. गुप्तचर विभाग की रिपोर्टों से पता चलता है कि अपनी सरकार स्थापित करने के बाद सरकारी आदेशों से हुए लाठीचार्ज/गोलीबारी में एक दर्जन से ज्यादा स्वयंसेवक बलिदान हुए थे.
नागपुर के निकट रामटेक में संघ के नगर कार्यवाह रमाकांत केशव देशपांडे उपाख्य बालासाहब देशपांडे को 1942 “अंग्रेजों भारत छोड़ो” के आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने पर मृत्युदंड की सजा सुनाई गयी थी. परन्तु बाद में उन्हें इस सजा से मुक्त कर दिया गया. इन्हीं बालासाहब देशपांडे ने बाद में वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना की थी.
उल्लेखनीय है कि डॉ. हेडगेवार ने द्वितीय महायुद्ध के मंडराते बादलों को भांप कर देश में एक सशक्त क्रांति करने की योजना पर सुभाष चंद्र बोस, वीर सावरकर और त्रलोक्यनाथ चक्रवर्ती के साथ गहन चर्चा की थी. इसी चर्चा में से सेना में नौजवानों की भर्ती, सेना में विद्रोह और आजाद हिंद फौज के गठन का विचार उत्पन्न हुआ था. सारी योजना तैयार हो गई और काम शुरु हो गया. नौजवान योजनाबद्ध फौज में भर्ती हुए और सुभाष चंद्र बोस द्वारा विदेशों में जाकर आजाद हिंद फौज का नेतृत्व संभाल लिया और इधर अभिनव भारत, हिन्दू महासभा, आर्य समाज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सभी सशस्त्र क्रांतिकारी संगठनों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति का बिगुल बजाने के लिए शक्ति अर्जित करनी प्रारम्भ कर दी.
आखिर वह समय आया जब फौज में विद्रोह हुआ और आजाद हिंद फौज भी इम्फाल तक पहुंच गई. अंग्रेजों को भय लगा, इस भयंकर विकट परिस्थिति से निपटने में अपने को असमर्थ पाकर अंग्रेजों ने अपने पहले फैसले को बदलकर 10 महीने पहले ही 15 अगस्त, 1947 को देश के विभाजन की घोषणा कर दी. पहले फैसले के अनुसार विभाजन की तिथि 8 जून, 1948 थी. यह देश का और स्वतंत्रता सेनानियों का दुर्भाग्य ही था कि कांग्रेस के नेताओं ने 1200 वर्षों से चले आ रहे स्वतंत्रता संग्राम और लाखों बलिदानी हुतात्माओं के ‘‘अखण्ड भारत की सर्वांग स्वतंत्रता’’ के उद्देश्य को ध्वस्त करते हुए देश का विभाजन स्वीकार करके आधी-अधूरी आजादी प्राप्त कर ली. यदि एक वर्ष और ठहर जाते तो स्वतंत्रता भी मिलती और भारत का विभाजन भी न होता.
विभाजन के बाद महात्मा गांधी जी ने एक पत्र लिखकर कांग्रेस के नेताओं को सुझाव दिया था कि अब कांग्रेस को समाप्त करके इसे एक सेवादल में परिवर्तित कर दो. महात्मा गांधी जी की इस इच्छा को ठुकरा दिया गया. उधर, संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ने स्वयंसेवकों को तेज गति से अपनी शक्ति बढ़ाने का आदेश दिया. उन्होंने कहा कि ‘डॉ. हेडगेवार का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ, उनका उद्देश्य था अखण्ड भारत की सर्वांग स्वतंत्रता और सर्वांगीण विकास. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 1947 के बाद भी सक्रिय रहा. कश्मीर की सुरक्षा के लिए स्वयंसेवकों ने बलिदान दिया. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने श्रीनगर में जाकर अपनी कुर्बानी दी. स्वयंसेवकों ने हैदराबाद और गोवा की स्वतंत्रता के लिए सत्याग्रह और संघर्ष किया.
यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है कि इन सभी संघर्षों में संघ के स्वयंसेवकों ने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की छत्रछाया में और तिरंगे की रक्षा के लिए बलिदान दिए हैं. उल्लेखनीय है कि डॉ. हेडगेवार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अंतिम उद्देश्य है – परम वैभवशाली अखंड हिन्दू राष्ट्र. परम वैभवशाली अर्थात : सर्वांग स्वतंत्रता, सर्वांग संगठित, सर्वांग विकसित और सर्वांग सुरक्षित राष्ट्र.