देहरादून। भारतीय सेना ने एक नवाचारी जनसंपर्क पहल के रूप में ‘CARAVAN TALKIES’ अभियान की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को सेना में उज्जवल करियर के लिए प्रोत्साहित करना है।
इस अभियान में एक विशेष रूप से डिज़ाइन की गई मोबाइल वैन का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें एलईडी डिस्प्ले स्क्रीन, एक सार्वजनिक संबोधन प्रणाली (पब्लिक एड्रेस सिस्टम), प्रेरणादायक पोस्टर और बैनर लगे हुए हैं। इस यात्रा के दौरान, भारतीय सेना के प्रतिनिधि छात्रों और इच्छुक अभ्यर्थियों से सीधे संवाद करेंगे तथा भर्ती प्रक्रिया, पात्रता मानदंड, प्रशिक्षण और सेना में करियर की संभावनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।
युवाओं में जोश और उत्साह को और अधिक बढ़ाने के लिए इस अभियान में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं, इंटरैक्टिव गेम्स और देशभक्ति से जुड़ी गतिविधियाँ भी शामिल की गई हैं, ताकि युवाओं से प्रभावी और भावनात्मक जुड़ाव स्थापित किया जा सके।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में सफलता पूर्वक कार्यक्रम आयोजित करने के पश्चात, ‘CARAVAN TALKIES’ अब 15 जुलाई 2025 को हरिद्वार पहुंचेगा। इसके अंतर्गत निम्नलिखित विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थानों का भ्रमण किया जाएगा:
सीओईआर यूनिवर्सिटी – बेलड़ा
ओम आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज – ग्नोरवाला
केयर कॉलेज बहादराबाद, हरिद्वार – रुहालकी किशनपुर
हरिद्वार यूनिवर्सिटी – रहमतपुर
पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज – मैदोसपुर माज़रा
श्री स्वामी भुमानंद कॉलेज ऑफ नर्सिंग – अलीपुर इब्राहिमपुर
उत्तराखंड चरण का समन्वय एवं पर्यवेक्षण आर्मी रिक्रूटमेंट ऑफिस, लैंसडाउन (उत्तराखंड) के निदेशक द्वारा किया जा रहा है।
डीएम सविन बंसल के निर्देश पर मृतक आश्रित को नौकरी देने की प्रक्रिया शुरू
देहरादून। देहरादून जिला प्रशासन जनसेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लगातार मजबूत करता जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के “जनसेवा सर्वोपरि” संकल्प से प्रेरित होकर जिलाधिकारी सविन बंसल अपने प्रशासनिक कोर टीम के साथ जनहित में लगातार त्वरित निर्णय ले रहे हैं। इससे आम जनता में प्रशासन की नीतियों के प्रति विश्वास और भरोसा बढ़ रहा है।
ऐसा ही एक उदाहरण 7 जुलाई को आयोजित जनता दर्शन कार्यक्रम में देखने को मिला, जब विधवा रेनू ने जिलाधिकारी के समक्ष अपनी पीड़ा साझा की। उन्होंने बताया कि उनके पति सुरेन्द्र सिंह, जो नगर निगम देहरादून में पर्यावरण मित्र के पद पर स्थायी रूप से कार्यरत थे, 17 अप्रैल 2025 को निधन हो गया था। उनके पीछे दो बेटियां हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है।
रेनू ने नगर निगम में मृतक आश्रित कोटे से नौकरी के लिए आवेदन किया था और सभी आवश्यक दस्तावेज भी जमा कर दिए थे, परंतु अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर डीएम सविन बंसल ने तुरंत नगर निगम के अधिकारियों और तहसीलदार को तलब कर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए। उन्होंने सख्त लहजे में पूछा कि जब मृतक कोटे से नियुक्ति का स्पष्ट प्रावधान है, तो नियुक्ति में देरी का कारण क्या है। डीएम ने नाराजगी जाहिर करते हुए नगर आयुक्त (एमएनए) को विधवा रेनू की नियुक्ति शीघ्र करने के निर्देश दिए।
डीएम द्वारा तहसील से नगर निगम को आख्या भी तुरंत भिजवाई गई, जिससे अब रेनू को अपने दिवंगत पति के स्थान पर नौकरी मिलने की उम्मीद जगी है।
जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक सोमवार को आयोजित किए जा रहे जनता दर्शन कार्यक्रम में दूर-दराज से लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंच रहे हैं। यह कार्यक्रम अब न केवल राजस्व विभाग तक सीमित रह गया है, बल्कि अन्य विभागों, निजी कंपनियों और संस्थानों से संबंधित शिकायतें भी सामने आ रही हैं, जिनका प्रशासन गंभीरता से समाधान कर रहा है।
जनता दर्शन के माध्यम से डीएम सविन बंसल की सक्रियता और संवेदनशीलता आम जनमानस के लिए न्याय और राहत का प्रतीक बन चुकी है।
97 केंद्रों पर होगी उत्तराखंड बोर्ड की सुधार परीक्षा, हरिद्वार से सबसे ज्यादा छात्र
देहरादून। उत्तराखंड बोर्ड ने फेल होने वाले हजारों छात्रों को बड़ी राहत दी है। 10वीं और 12वीं में एक या दो विषयों में असफल रहे 19 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को अब सप्लीमेंट्री परीक्षा के जरिए पास होने का मौका मिलेगा। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद ने इसके लिए परीक्षाफल सुधार परीक्षा का कार्यक्रम जारी कर दिया है।
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (UBSE) के सचिव वी.पी. सिमल्टी ने जानकारी दी कि हाईस्कूल के वे छात्र जो दो विषयों में फेल हुए हैं, और इंटरमीडिएट के वे छात्र जो एक विषय में असफल हुए हैं—उन्हें यह विशेष अवसर दिया गया है। यह परीक्षा 4 अगस्त से 11 अगस्त के बीच आयोजित की जाएगी।
बोर्ड ने परीक्षा के लिए प्रदेशभर में कुल 97 परीक्षा केंद्र बनाए हैं। परीक्षा सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक आयोजित होगी। रामनगर से मिली जानकारी के अनुसार, हाईस्कूल में 8,400 और इंटरमीडिएट में 10,706 छात्र-छात्राएं इस सुधार परीक्षा में शामिल होंगे।
हरिद्वार जिले से सबसे अधिक 4,658 छात्र परीक्षा देंगे, जबकि चंपावत जिले से सबसे कम 316 छात्र। छात्र संख्या को ध्यान में रखते हुए हरिद्वार के बहादराबाद और ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर में दो-दो परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं।
वैज्ञानिकों ने जताई 7.0 तीव्रता वाले भूकंप की आशंका
देहरादून समेत 169 स्थानों पर लगे भूकंप अलर्ट सेंसर
देहरादून। उत्तराखंड और पूरे हिमालयी क्षेत्र में भूकंप का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। देश के अग्रणी भूवैज्ञानिकों ने ताजा अध्ययनों में यह आशंका जताई है कि क्षेत्र में दो भूगर्भीय प्लेटों के टकराव और “लॉकिंग जोन” के कारण अब किसी भी वक्त तीव्रता 7.0 या उससे ऊपर का भूकंप आ सकता है। जून में देहरादून में हुए भूवैज्ञानिक सम्मेलनों में इस बात पर गंभीर मंथन हुआ, जहां वाडिया इंस्टिट्यूट और एफआरआई में “हिमालयन अर्थक्वेक्स” और “रिस्क असेसमेंट” जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
भूगर्भीय वैज्ञानिकों ने बताया कि कमजोर झटकों की बढ़ती आवृत्ति किसी बड़े भूकंप की चेतावनी हो सकती है। 4.0 तीव्रता के मुकाबले 5.0 तीव्रता वाला भूकंप 32 गुना ज्यादा ऊर्जा छोड़ता है, और यही ऊर्जा फिलहाल धरती के अंदर लगातार जमा हो रही है।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार, बीते छह महीनों में उत्तराखंड में 22 बार हल्के भूकंप आ चुके हैं, जिनका केंद्र चमोली, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और बागेश्वर जैसे संवेदनशील ज़िलों में रहा।
कब, कहां और कितना – भूकंप के रहस्य
भूकंप से जुड़ी तीन अहम बातें – समय, स्थान और तीव्रता – में से वैज्ञानिक फिलहाल सिर्फ संभावित क्षेत्र का अनुमान ही लगा सकते हैं। उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में लगाए गए जीपीएस डिवाइस यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि किस क्षेत्र में ऊर्जा का जमाव सबसे अधिक है। हालाँकि, वैज्ञानिकों की मानें तो अनुमान लगाना अभी भी बेहद जटिल प्रक्रिया है।
मैदानी इलाकों में ज़्यादा तबाही की आशंका
वाडिया में हुई कार्यशाला में बताया गया कि यदि पहाड़ और मैदान दोनों में एक जैसी तीव्रता के भूकंप आते हैं, तो मैदानों में ज्यादा तबाही होगी। इसकी वजह यह है कि अधिकांश बड़े भूकंप धरती की सतह से केवल 10 किलोमीटर गहराई में आते हैं और इस वजह से उनकी प्रभावशीलता अधिक होती है।
देहरादून की ज़मीन पर विशेष अध्ययन
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के प्रमुख शहरों में ज़मीन की संरचना और मजबूती का विशेष अध्ययन कराने का निर्णय लिया है, जिसकी जिम्मेदारी सीएसआईआर बेंगलूरू को दी गई है। देहरादून का चयन इस परियोजना में इसलिए हुआ है क्योंकि यह भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है।
बचाव के लिए सतर्कता जरूरी
आपदा प्रबंधन विभाग ने प्रदेश में 169 स्थानों पर अर्ली वॉर्निंग सेंसर लगाए हैं, जो 5.0 तीव्रता से अधिक भूकंप आने की स्थिति में 15 से 30 सेकंड पहले अलर्ट जारी कर देंगे। लोगों को मोबाइल पर “भूदेव एप” के जरिए चेतावनी मिल सकेगी।
वैज्ञानिकों की राय
“उत्तराखंड में भूगर्भीय प्लेटें लॉक हो चुकी हैं, जिससे अंदर टेक्टोनिक तनाव बढ़ रहा है। यह वही स्थिति है जो नेपाल में विनाशकारी भूकंप से पहले देखी गई थी।”
— डॉ. विनीत गहलोत, निदेशक, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी
“पूरे हिमालयी क्षेत्र में बड़ी मात्रा में ऊर्जा एकत्र है, जो कभी भी अचानक निकल सकती है। यह भविष्यवाणी करना बेहद कठिन है कि यह कब होगा।”
— डॉ. इम्तियाज परवेज, वरिष्ठ वैज्ञानिक, सीएसआईआर, बेंगलूरू
गैरसैंण को लेकर हरीश रावत का बड़ा वादा
देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने गैरसैंण को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अगर जनता 2027 में कांग्रेस को सत्ता में लाती है, तो गैरसैंण को स्थायी राजधानी बना दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में ही गैरसैंण में आधारभूत ढांचा विकसित किया गया था, जहां कभी रात में 20 लोग भी नहीं ठहर सकते थे, आज वहां 2500 लोगों के ठहरने की व्यवस्था हो चुकी है।
हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा, “जो लोग पूछते हैं कि मेरे पास मौका था तो राजधानी क्यों नहीं बनाई, उनसे कहना चाहता हूं कि 2027 में कांग्रेस को मौका दीजिए, गैरसैंण को राजधानी बना कर दिखाऊंगा।”
उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद राज्य को संकट से उबारने के साथ-साथ गैरसैंण के विकास पर भी काम हुआ। कांग्रेस सरकार ने भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन की आधारशिला रखी और 57 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत कर निर्माण कार्य शुरू कराया। यहां पांच हजार लोगों की आवासीय क्षमता का प्रोजेक्ट भी शुरू हुआ।
पूर्व मुख्यमंत्री ने तंज कसते हुए राज्य सरकार को गन्ना मूल्य पर घेरा। उन्होंने कहा कि पहले मूल्य निर्धारण में देरी होती थी, लेकिन इस बार तो सरकार ने अब तक पिछली फसल का ही रेट तय नहीं किया है। उन्होंने चेताया कि बरसात के बाद गन्ने की कटाई शुरू हो जाएगी, लेकिन किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा।
उन्होंने बताया कि सरकार चीनी मिलों को पुराने रेट पर भुगतान करने का निर्देश दे रही है, जबकि किसान 450 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान की मांग कर रहे हैं।
चार बेटियों की मां को बीमित ऋण के बावजूद बैंक कर रहा था प्रताड़ित
देहरादून। जिला प्रशासन देहरादून आमजन के अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार कठोर और त्वरित फैसले ले रहा है। इसी क्रम में एक ताजा मामला प्रकाश में आया है, जिसमें एक विधवा महिला को बीमित ऋण के बावजूद बैंक द्वारा परेशान किया जा रहा था। जिलाधिकारी सविन बंसल के संज्ञान में आए इस प्रकरण में प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए संबंधित बैंक प्रबंधक के विरुद्ध 6.50 लाख रुपये की वसूली प्रमाण पत्र (RC) जारी कर दी है। तय समयसीमा में धनराशि जमा न करने की स्थिति में बैंक शाखा को सील कर वसूली की जाएगी।
मामला प्रिया नामक विधवा महिला से जुड़ा है, जिनके पति स्व. विकास कुमार ने सीएसएल फाइनेंस लिमिटेड से गृह ऋण लिया था। ऋण के साथ टाटा एआईए इंश्योरेंस कंपनी से बीमा भी कराया गया था। सभी मेडिकल जांच और औपचारिकताएं पूरी कर बीमा स्वीकृत किया गया था। लेकिन 12 जुलाई 2024 को विकास कुमार की मृत्यु हो जाने के बावजूद बैंक और बीमा कंपनी ने न तो बीमा क्लेम पास किया और न ही ऋण माफ किया। इसके उलट, बैंक ने विधवा महिला को लगातार मानसिक प्रताड़ना दी।
प्रिया की ओर से जिलाधिकारी को की गई शिकायत पर संज्ञान लेते हुए डीएम सविन बंसल ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बैंक प्रबंधक की 6.50 लाख रुपये की आरसी जारी की। साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि राशि निर्धारित समय में जमा नहीं की गई, तो बैंक की कुर्की एवं सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी।
इससे पूर्व भी प्रशासन ने शिवानी गुप्ता नामक एक पीड़िता के मामले में बैंक की मनमानी पर सख्त कार्रवाई करते हुए 15.50 लाख की आरसी जारी कर बैंक को सील किया था, जिसके बाद बैंक अधिकारी स्वयं पीड़िता के घर संपत्ति के कागजात लौटाने पहुंचे थे।
अब प्रिया के मामले में भी प्रशासनिक तेवर से बैंकिंग संस्थानों में हड़कंप मच गया है। चार बेटियों की मां प्रिया पिछले एक वर्ष से न्याय के लिए दर-दर भटक रही थीं, लेकिन अब उन्हें जिला प्रशासन का सहारा मिला है।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि, “मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जनहितकारी नीतियों से प्रेरित होकर जिला प्रशासन जनमानस को अनावश्यक रूप से प्रताड़ित करने वालों पर कठोर कार्रवाई करने के लिए संकल्पित है। अब कमजोर व असहाय लोगों की आवाज को दबाया नहीं जा सकेगा।”
मुख्यमंत्री ने बल्लीवाला में आयोजित सम्मान समारोह में दिलाई भ्रष्टाचार विरोधी शपथ
मुख्यमंत्री ने बताया – भ्रष्टाचार, लव जिहाद, लैंड जिहाद और नकली पहचान पर सरकार की सख्त कार्रवाई जारी
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को बल्लीवाला, देहरादून में ‘भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड’ के लिए मुख्यमंत्री द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी को भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड की शपथ भी दिलाई।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश को भ्रष्टाचार से मुक्त बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी और जनता के समर्थन को इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत बताया। उन्होंने कहा कि यह अभिनंदन समारोह केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के सपने को साकार करने का उत्सव है। यह सम्मान उत्तराखंड की सवा करोड़ जनता का है, जो ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही के मूल्यों के साथ राज्य के विकास की दिशा में अग्रसर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई व्यक्तिगत विजय नहीं, बल्कि यह जनता के विश्वास, ईमानदारी की ताकत और युवाओं की उम्मीदों की जीत है। राज्य सरकार ने ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के तहत पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए तकनीक का व्यापक उपयोग किया है, जिसमें ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया, परीक्षा प्रणाली की निगरानी और जन शिकायत निवारण के लिए सीएम हेल्पलाइन 1905 और भ्रष्टाचार की शिकायतों के लिए 1064 जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भर्ती परीक्षाओं में अनियमितता, ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार और योजनाओं में कमीशनखोरी जैसे मामलों में कठोर कार्रवाई की गई। पिछले तीन वर्षों में भ्रष्टाचार में लिप्त 200 से अधिक लोगों को जेल भेजा गया है। पिछले चार वर्षों में राज्य में 24 हजार से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने, सख्त नकल विरोधी कानून बनाने, लैंड जिहाद व लव जिहाद के विरुद्ध कार्रवाई तथा धर्मांतरण और दंगारोधी कानूनों के माध्यम से शासन व्यवस्था को मज़बूती प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि इन कदमों ने यह प्रमाणित किया है कि यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो किसी भी चुनौती का सामना सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में छद्म वेशधारियों की मूल पहचान उजागर करने के लिए “ऑपरेशन कालनेमि” चलाया जा रहा है। अब तक 200 से अधिक संदिग्धों को पकड़ा गया है, जिनमें कुछ बांग्लादेशी घुसपैठिए भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की कि ऐसे तत्वों की जानकारी तुरंत पुलिस को दें। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा” के मंत्र को अपनाते हुए राज्य सरकार पारदर्शी, जवाबदेह और जनहितकारी शासन व्यवस्था के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है।
इस अवसर पर विधायक खजान दास, स्वामी चिदानंद सरस्वती, किशन गिरी महाराज, राकेश ऑबेरॉय, पंकज गुप्ता एवं विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
देहरादून। प्रदेशभर के पूर्व सैनिकों से आव्हान करते हुए सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा कि वे हरेला पर्व के वृक्षारोपण अभियान में सक्रिय सहभागिता निभाएं और पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाएं। इस बाबत उन्होंने रविवार को पूर्व सैनिकों के साथ हरेला पर्व के संबंध में बैठक की।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि इस बार हरेला पर्व के अवसर पर पूर्व सैनिकों द्वारा प्रदेशभर में दो लाख से अधिक पौधे रोपे जाएंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की इस पारंपरिक पर्व को न केवल सांस्कृतिक पहचान से जोड़ना है, बल्कि इसे हरियाली और पर्यावरण जागरूकता का सशक्त माध्यम भी बनाना है। इस दौरान सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने 16 जुलाई को हरेला पर्व के अवसर पर एक पेड़ मां के नाम अभियान के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों में अधिक से अधिक संख्या में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने का आव्हान भी किया।
उन्होंने कहा कि यह अभियान सामाजिक चेतना, पर्यावरण सरंक्षण और राष्ट्र सेवा का प्रतीक बनेगा। मंत्री ने कहा कि पूर्व सैनिकों ने राष्ट्र की रक्षा के लिए जो सेवा दी है, अब उसी समर्पण भाव से वे प्रकृति की रक्षा के लिए भी आगे आ रहे हैं। उन्होंने सभी से हरेला पर्व को हरित क्रांति के रूप में बदलने का संकल्प हम सभी को लेना होगा।
बैठक में सैनिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष कर्नल (सेनि) रघुवीर सिंह भंडारी, कर्नल (सेनि) रविन्द्र सिंह रांगडा, पीबीआरओ अध्यक्ष शमशेर सिंह बिष्ट, सूबेदार राकेश प्रसाद, हवलदार विक्रम सिंह, सोबन सिंह रावत, जसपाल, राजे सिंह रावत सहित कई पूर्व सैनिक उपस्थित रहे।
दमकल की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद पाया आग पर काबू, लाखों का हुआ नुकसान
मसूरी। पहाड़ों की रानी मसूरी में सोमवार सुबह उस समय अफरा-तफरी मच गई जब मॉल रोड पर स्थित गढ़वाल टैरेस रेस्टोरेंट के सामने एक आइसक्रीम की दुकान में अचानक भीषण आग लग गई। कुछ ही मिनटों में आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और मॉल रोड धुएं के गुबार और लपटों से घिर गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक आग इतनी तेजी से फैली कि दुकान में रखा सारा सामान पलभर में जलकर राख हो गया। आसपास की दुकानों को भी इससे नुकसान पहुंचा। स्थानीय व्यापारियों ने तत्काल फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद मसूरी पुलिस और अग्निशमन विभाग की टीमें मौके पर पहुंचीं। करीब तीन घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद आग पर काबू पाया जा सका।
फायर ब्रिगेड अधिकारियों का कहना है कि आग का प्राथमिक कारण शॉर्ट सर्किट प्रतीत हो रहा है, हालांकि विस्तृत जांच जारी है। अधिकारियों ने बताया कि जब तक दमकल की गाड़ियां पहुंचीं, तब तक दुकान पूरी तरह से खाक हो चुकी थी।
दुकान में फ्रिज, कूलर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और भारी मात्रा में खाद्य सामग्री मौजूद थी, जो सब कुछ जल गया। दुकान मालिक के अनुसार, आग से लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। फिलहाल प्रशासन नुकसान के आकलन में जुटा हुआ है।
स्थानीय व्यापारियों ने प्रशासन से मांग की है कि मॉल रोड जैसे संवेदनशील क्षेत्र में अग्निशमन व्यवस्था को और बेहतर किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
मुख्य सचिव को निर्देश – खेल अधोसंरचना का हो स्थायी और सतत उपयोग, खिलाड़ियों को मिले निरंतर प्रशिक्षण और सुविधाएं
देहरादून। उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों की अभूतपूर्व सफलता के बाद अब राज्य सरकार खेलों को लेकर नई दृष्टि और रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के खिलाड़ियों को निरंतर उच्च स्तरीय प्रशिक्षण और सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय खेलों के दौरान निर्मित और उन्नत किए गए खेल ढांचे का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने हेतु मुख्य सचिव को शीघ्र कार्ययोजना तैयार करने और उस पर तेजी से अमल करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 38वें राष्ट्रीय खेल केवल एक आयोजन नहीं थे, बल्कि यह उत्तराखंड की खेल यात्रा में ऐतिहासिक मोड़ सिद्ध हुए हैं। पहली बार राज्य ने 100 से अधिक पदक जीतकर पदक तालिका में सातवां स्थान प्राप्त किया और अपने प्रदर्शन से पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि “खेलों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और खिलाड़ियों की मेहनत ने मिलकर यह असाधारण उपलब्धि संभव बनाई है।”
लिगेसी प्लान: खेल ढांचे का बेहतर और स्थायी उपयोग
राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए तैयार की गई अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं अब राज्य के खिलाड़ियों के लिए प्रशिक्षण केंद्र के रूप में उपयोग होंगी। देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज और हल्द्वानी के इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया गया है। इसके साथ ही राज्य के आठ शहरों में 23 खेल अकादमियों की स्थापना की योजना भी लिगेसी प्लान का हिस्सा है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि खेल ढांचे को निष्क्रिय नहीं रहने दिया जाएगा, बल्कि इसका अधिकतम उपयोग किया जाएगा ताकि राज्य के युवा प्रतिभाओं को अपने घर के पास ही उच्च स्तरीय प्रशिक्षण मिल सके।
नई खेल नीति से खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2021 में लागू नई खेल नीति के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। इसमें खिलाड़ियों को उनकी उपलब्धियों के अनुसार आकर्षक प्रोत्साहन राशि, सरकारी नौकरी, छात्रवृत्तियां और सम्मान देने का प्रावधान किया गया है। ओलंपिक स्तर के पदक विजेताओं को दो करोड़ रुपये तक की राशि देने की घोषणा से खिलाड़ियों में नया उत्साह आया है।
खेल विश्वविद्यालय का निर्माण – दूरदृष्टि से लिया गया फैसला
हल्द्वानी में बनने वाला खेल विश्वविद्यालय राज्य की खेल संस्कृति को संस्थागत रूप देगा। यह न केवल प्रशिक्षण और रिसर्च का केंद्र बनेगा, बल्कि कोचिंग, खेल विज्ञान, फिजियोथेरेपी, मैनेजमेंट आदि में भी युवाओं को अवसर प्रदान करेगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा,
“उत्तराखंड को आज खेल भूमि के रूप में देखा जा रहा है, यह पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है। राष्ट्रीय खेलों की सफलता ने एक नई चेतना जागृत की है। सरकार खेल और खिलाड़ियों के सर्वांगीण विकास के लिए पूरी तन्मयता से जुटी हुई है। मैदानों से लेकर पहाड़ों तक हर जगह खेल प्रतिभाओं के लिए एक नया और उज्जवल भविष्य आकार ले रहा है।”