BKTC ने पहली बार नियुक्ति किये दो उपाध्यक्ष..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के नवनियुक्त अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने मंगलवार को अपने-अपने पदों का पदभार संभाल लिया। इस अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के कई वरिष्ठ नेता भी उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम विशेष रूप से महत्व का था, क्योंकि दोनों नए पदाधिकारियों को मंदिर समिति के संचालन और तीर्थ यात्रा की व्यवस्थाओं में अहम भूमिका निभानी है। नवनियुक्त अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने पदभार ग्रहण करते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा और मंदिर की बेहतर सेवा सुनिश्चित करने के लिए अपने कार्यों की प्राथमिकताएं साझा की। यह बदलाव तीर्थ स्थल की संचालन व्यवस्था को और बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के नवनियुक्त अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी और उपाध्यक्ष विजय कपरवाण ने मंगलवार को पदभार ग्रहण किया। पदभार ग्रहण करने से पहले दोनों ने हवन-पूजन करवाया, जो एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा था। इस खास मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे, जो इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का हिस्सा बने। बता दे कि इस बार केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर समिति में पहली बार दो उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं, जो समिति के कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेंगे। दोनों नवनियुक्त पदाधिकारी श्रद्धालुओं की सुविधा और मंदिर संचालन में सुधार के लिए अपने कार्यों को प्राथमिकता देने का संकल्प लेकर पदभार ग्रहण किए।
हेमन्त द्विवेदी (पौड़ी) को अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि ऋषि प्रसाद सती (चमोली) और विजय कपरवाण (रूद्रप्रयाग) को बद्रीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति को उपाध्यक्ष बनाया गया है। दो उपाध्यक्षों की नियुक्ति का निर्णय तीर्थ क्षेत्रों के व्यापक संचालन, बेहतर समन्वय और तीर्थयात्रियों को अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लिया है
यौन अपराध पीड़ित बच्चों को मिलेगा भावनात्मक और कानूनी सहारा, हर जिले में बनाए जा रहे सहायक पैनल..
उत्तराखंड: सरकार ने यौन अपराधों का शिकार हुए बच्चों के लिए एक सार्थक और मानवीय कदम उठाया है। अब ऐसे बच्चों को अस्पताल में इलाज से लेकर अदालत में पूरी कार्यवाही तक भावनात्मक सहायता प्रदान करने के लिए विशेष सहायक उपलब्ध कराए जाएंगे। राज्य सरकार का यह निर्णय POCSO एक्ट के तहत पीड़ित बच्चों को बेहतर संरक्षण और सहयोग देने के उद्देश्य से लिया गया है। सहायक की भूमिका होगी कि वह बच्चे के साथ मानसिक सहारा, संवाद और विश्वास का वातावरण बनाए रखे, जिससे बच्चा प्रक्रिया के दौरान असहज या भयभीत न महसूस करे। इस व्यवस्था के तहत पीड़ित बच्चों को चिकित्सा, पुलिस प्रक्रिया, न्यायिक बयान, और कोर्ट ट्रायल के दौरान एक प्रशिक्षित, सहानुभूतिपूर्ण व्यक्ति का साथ मिलेगा जो उसे भावनात्मक रूप से संभाल सके।
इसके लिए महिला एवं बाल कल्याण विभाग सभी जिलों में सहायकों का पैनल तैयार कर रहा है। विभाग के निदेशक प्रशांत आर्य का कहना हैं कि यह पहल खासकर उन बच्चों के लिए है जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं। अक्सर उनके अभिभावक अस्पताल, पुलिस और अदालत की प्रक्रिया को समझ नहीं पाते, जिससे पीड़ित को समुचित मदद नहीं मिल पाती। अब सहायक इन सभी प्रक्रियाओं में बच्चे और उसके परिवार को मार्गदर्शन और सहारा देंगे।सहायकों को इस प्रकार प्रशिक्षित किया जाएगा कि वे संवेदनशीलता के साथ बच्चे की मानसिक स्थिति को संभाल सकें, और उसे न्याय प्रणाली से डरने की बजाय उससे सहयोग करने में सहज अनुभव हो। यह पैनल बच्चों को सिर्फ भावनात्मक सहयोग ही नहीं देगा, बल्कि उनके लिए आवश्यक चिकित्सा, पुलिस रिपोर्टिंग, कानूनी बयान, और अदालत में उपस्थिति जैसी प्रक्रियाओं में भी सहायक भूमिका निभाएगा।
वह पूरी प्रक्रिया में सक्रिय नहीं रह पाते या पर्याप्त समय नहीं दे पाते। इसलिए सरकार ने पॉक्सो पीड़ित सभी बच्चों को जिले की ओर से सहायक उपलब्ध कराने का फैसला किया है, जो चिकित्सा सुविधाएं दिलाने से लेकर पुलिस जांच और फिर अदालती कार्यवाही पूरी होने तक पीड़ित बच्चे का साथ देंगे। सहायकों की नियुक्ति के लिए जनपदों में विज्ञापन निकाले जा रहे हैं।
चार चरणों में मिलेगा मानदेय..
विभाग की उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी अंजना गुप्ता का कहना हैं कि सहायक को चार चरणों में कुल 20 हजार रुपये का मानदेय दिया जाएगा। प्रथम चरण में नियुक्ति और रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर दूसरे चरण में साक्ष्य दर्ज होने पर तीसरे चरण में केस की मासिक रिपोर्ट देने पर और अंतिम चरण में अदालत का फैसला आने पर पांच-पांच हजार रुपयों का भुगतान किया जाएगा।
हर जिले में बनेगा पैनल, यह योग्यता होगी..
हर जिले में सहायकों का पैनल बनाकर अलग-अलग केसों की जिम्मेदारी दी जाएगी, हालांकि प्रत्येक सहायक एक समय में अधिकतम पांच केस का संचालन कर सकेगा। सहायकों में उन युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जो गैर-राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता हों। उनके पास सामाजिक कार्य, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान या बाल विकास में स्नातकोत्तर डिग्री हो या फिर बाल शिक्षा व विकास में तीन वर्ष के अनुभव के साथ स्नातक डिग्री हो। पैनल का चयन जनपद स्तरीय चयन समिति करेगी, जिसकी अवधि तीन साल होगी। संतोषजनक सेवा के आधार पर उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। इस कार्य को पार्ट टाइम में कर सकेंगे। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की मॉडल गाइडलाइन्स को उत्तराखंड में अपनाते हुए सहायक व्यक्तियों की नियुक्ति की जा रही है, जो पीड़ित बच्चों को कानूनी प्रक्रिया, भावनात्मक समर्थन और पुनर्वास में मदद करेंगे।
ईको टूरिज्म को मिलेगी दिशा, वार्षिक कैलेंडर और नई गतिविधियों की रूपरेखा तय..
उत्तराखंड: सरकार ने राज्य में पर्वतारोहण और ट्रेकिंग जैसी साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब इन गतिविधियों के लिए सभी आवश्यक अनुमतियों की प्रक्रिया को आसान बनाने हेतु सिंगल विंडो सिस्टम विकसित किया जाएगा। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने वन विभाग को इस नई व्यवस्था को शीघ्र लागू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली इस प्रकार तैयार की जाए कि देश और विदेश से आने वाले पर्यटक केवल एक बार आवेदन करके सभी आवश्यक मंजूरी प्राप्त कर सकें। सरकार का उद्देश्य है कि पर्वतीय पर्यटन को प्रोत्साहन मिले और उत्तराखंड को एक सुरक्षित व व्यवस्थित साहसिक पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित किया जा सके। वह शुक्रवार को सचिवालय में ईको टूरिज्म गतिविधियों को बढ़ावा देने के संबंध में अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। मुख्य सचिव ने कहा कि सभी गतिविधियों को निर्धारित समय पर शुरू किया जा सके इसके लिए वार्षिक कैलेंडर तैयार किया जाए और इसे योजनाओं के कैलेंडर के अनुसार संचालित किया जाए।
पर्यटकों की संख्या एवं राजस्व के लक्ष्यों को बड़ा रखने के निर्देश..
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रकृति से बिना छेड़छाड़ किए, फॉरेस्ट वॉकिंग और नेचर ट्रेल्स जैसी गतिविधियों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने शुक्रवार को सचिवालय में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में कहा कि छोटे-छोटे प्रयासों से भी ईको टूरिज्म को मजबूती दी जा सकती है। इसके लिए वन विभाग को कैंपिंग साइट्स की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि पर्यटक प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षित और रोमांचकारी अनुभव प्राप्त कर सकें।
मुख्य सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में ईको टूरिज्म को एक राजस्व सृजन के मजबूत स्रोत के रूप में विकसित किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को पर्यटकों की संख्या और राजस्व के लक्ष्यों को बड़ा रखने की बात कही, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सके और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी बढ़ें। राज्य सरकार के इन प्रयासों से उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों को न केवल प्राकृतिक सुंदरता का आनंद मिलेगा, बल्कि स्थानीय संस्कृति और जैवविविधता का भी अनुभव होगा।
कहा कि आने वाले समय में योजनाएं लक्ष्यों के अनुरूप बनाई जाएं। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि अलग-अलग प्रभागों में अलग-अलग संचालित हो रही पर्यटन गतिविधियों अथवा योजनाओं के लिए अलग-अलग वेबसाइट्स के बजाय एक एकीकृत वेबसाइट तैयार की जाए ताकि पर्यटकों को एक ही जगह पर सभी सभी पर्यटन गतिविधियों की संपूर्ण जानकारी मिल सके।
2000 ग्रेड-पे वाले कर्मियों को EO की कुर्सी, निकायों में नियमों की अनदेखी पर उठे सवाल..
उत्तराखंड: नगर निकायों को लेकर एक चौंकाने वाला प्रशासनिक फैसला सामने आया है, जहां संवर्ग और ग्रेड-पे के मानकों को दरकिनार करते हुए ऐसे कर्मचारियों को अधिशासी अधिकारी (EO) का जिम्मा सौंपा गया है, जो नियमों के अनुसार कभी इस पद के योग्य नहीं थे। पालिका लेखा सेवा के कर्मचारियों को भी EO का प्रभार ‘रेवड़ी’ की तरह बांट दिया गया है। यह नियुक्ति प्रक्रिया योग्यता और सेवा नियमों की पूरी तरह अनदेखी करती नजर आ रही है।
उत्तराखंड सरकार ने पिछले पांच वर्षों में 15 से अधिक नए नगर निकायों का गठन किया है। इन निकायों को काफी बड़ा बजट भी आवंटित किया गया है, लेकिन इतनी महत्वपूर्ण संस्थाओं की बागडोर प्रभारी अधिशासी अधिकारियों (EO) के हवाले कर दी गई हैं। जिनमें कई नियमित संवर्ग के बाहर से अनुभव और योग्यता से परे नियुक्त किए गए हैं। वर्तमान में 46 नगर निकाय ऐसे हैं, जहां स्थायी अधिशासी अधिकारियों की जगह प्रभारी व्यवस्था चल रही है।करोड़ों के बजट, विकास योजनाओं और संसाधनों की जिम्मेदारी ऐसे अधिकारियों को सौंप दी गई है, जिनकी नियुक्ति प्रक्रियाएं प्रशासनिक नियमों पर सवाल खड़े करती हैं। निकायों में यह प्रभारी व्यवस्था नीतिगत पारदर्शिता, वित्तीय अनुशासन और स्थानीय प्रशासनिक जवाबदेही को प्रभावित कर रही है।
नगर निकायों में प्रभारी अधिशासी अधिकारियों (EO) की नियुक्ति को लेकर अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि 2000 ग्रेड-पे वाले उन कर्मचारियों को भी EO की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो अपने पूरे सेवा काल में पदोन्नति के बाद भी इस पद तक नहीं पहुंच सकते। EO जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद जिन पर निकायों का बजट, विकास और नीतिगत फैसलों की ज़िम्मेदारी होती है, अब ऐसे कर्मचारियों को सौंपे जा रहे हैं जो संवर्गीय रूप से अयोग्य हैं। इससे न केवल सेवा नियमों की अवहेलना हो रही है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी सवाल उठ रहे हैं। प्रभारी व्यवस्था को “रेवड़ी वितरण” की तरह लागू करने पर अब अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच भ्रांतियां और असंतोष भी सामने आ रहा है।
उत्तराखंड को मिला भूमि सुधार का नया कानून, राज्यपाल ने दी विधेयकों को स्वीकृति..
उत्तराखंड: प्रदेश में सशक्त भू कानून विधेयक को आखिरकार राजभवन से मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही 9 अन्य विधेयकों पर भी राज्यपाल ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। ये सभी विधेयक फरवरी माह में विधानसभा सत्र के दौरान पारित हुए थे और अब इन पर राज्यपाल की औपचारिक स्वीकृति के बाद ये कानून बनने की प्रक्रिया में प्रवेश कर चुके हैं। यह मंजूरी राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, खासकर भू कानून के संदर्भ में, जिसे लेकर लंबे समय से जनजागरण और मांगें उठती रही हैं।
ये विधेयक हुए पारित..
उत्तराखंड निरसन विधेयक, 2025
उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन तथा विकास (संशोधन) विधेयक, 2025.
उत्तराखंड लोक सेवा (कुशल खिलाड़ियों के लिये क्षैतिज आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2025
उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025
उत्तराखंड निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025
उत्तराखंड माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025
उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959) (संशोधन) विधेयक, 2024 प्रवर समिति द्वारा मूलरूप में यथासंस्तुत
उत्तराखंड में हज यात्रियों के लिए जिलावार टीकाकरण शिविर शुरू, स्वास्थ्य सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता..
उत्तराखंड: उत्तराखंड से हज यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए राहत भरी खबर है। राज्य हज समिति ने हज यात्रा 2025 के दृष्टिगत यात्रियों की स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक विशेष टीकाकरण अभियान शुरू किया है। अभियान के तहत हज यात्रियों को मैनिनजाइटिस, सीजनल इन्फ्लूएंजा और ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) के टीके लगाए जा रहे हैं। समिति का कहना हैं कि यह टीकाकरण सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और नामित हज कैंप स्थलों पर निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य हज समिति के अनुसार इस पहल का उद्देश्य हज यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को संभावित संक्रमणों से सुरक्षित रखना और सामूहिक स्वास्थ्य जोखिम को कम करना है। सभी यात्रियों को टीकाकरण के लिए निर्धारित समय और स्थान की जानकारी एसएमएस, कॉल और जिला स्तर पर सूचना केंद्रों के माध्यम से दी जा रही है।
राज्य हज समिति के अधिशासी अधिकारी ने इस संबंध में महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को पत्र भेजकर आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। यह टीकाकरण अभियान विगत वर्षों की तरह इस बार भी राज्य के विभिन्न जिलों में आयोजित किया जा रहा है। जिनमें डॉक्टरों की टीम, मेडिकल स्टाफ, वैक्सीन बैच नंबर, एक्सपायरी डेट और हेल्थ कार्ड पर मोहर जैसी हर बारीकी का ध्यान रखा जाएगा।
जानिए कब और कहा लगेंगे वैक्सीनेशन कैंप..
ऊधमसिंहनगर जिले के जसपुर, काशीपुर और बाजपुर क्षेत्र के 202 हज यात्रियों के लिए टीकाकरण 3 मई 2025 को होटल कार्बेट, मुरादाबाद रोड, डिज़ाइन सेंटर के पास, काशीपुर में आयोजित होगा।
रामनगर (नैनीताल) क्षेत्र के 30 हज यात्रियों का टीकाकरण 3 मई 2025 को ईदगाह, वार्ड संख्या 11, मोहल्ला खताड़ी, रामनगर में किया जाएगा।
हल्द्वानी, अल्मोड़ा, बागेश्वर और चंपावत क्षेत्र के 63 यात्रियों का टीकाकरण 4 मई को हल्द्वानी में होगा।
हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल के 325 हज यात्रियों का टीकाकरण 6 मई 2025 को हज हाउस, पिरान कलियर, रुड़की में आयोजित होगा।
देहरादून के 304 हज यात्रियों का टीकाकरण 7 मई 2025 को मदरसा जामिया उल उलूम, प्रीति एन्क्लेव, माजरा, देहरादून में किया जाएगा।
चारधाम यात्रा को लेकर तीर्थयात्रियों में उत्साह, जीएमवीएन की बुकिंग सात करोड़ के पार..
उत्तराखंड: अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर चारधाम यात्रा 2025 का विधिवत शुभारंभ हो गया है। इस अवसर पर पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। मंत्री सतपाल महाराज का कहना हैं कि चारधाम यात्रा उत्तराखंड की संस्कृति, अध्यात्म और आस्था का प्रतीक है। मैं सभी श्रद्धालुओं के लिए मंगलमय यात्रा की कामना करता हूँ। बता दे कि चारधाम यात्रा के अंतर्गत गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम आते हैं, और इसका शुभारंभ हर वर्ष अक्षय तृतीया से होता है। इस पवित्र यात्रा के साथ ही पूरे उत्तराखंड में धार्मिक उत्सव और आस्था का वातावरण बन गया है।
महाराज का कहना हैं कि चारधाम यात्रा के लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) के गेस्ट हाउसों में अब तक 7,85,85,579 ऑनलाइन और ऑफलाइन बुकिंग हो चुकी हैं, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या में से एक मानी जा रही है। श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस वर्ष पंजीकरण प्रक्रिया को और अधिक सरल और बहुविकल्पीय बना दिया हैं। चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन, ऑफलाइन पंजीकरण, मोबाइल एप से पंजीकरण के साथ-साथ इस वर्ष आधार नंबर से भी पंजीकरण की सुविधा प्रदान की गई है। ऑफलाइन पंजीकरण 28 अप्रैल 2025 से शुरू कर दिए गए हैं।
यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं में अभी तक ऑनलाइन एवं ऑफलाइन काउंटरों के माध्यम से कुल 22,67,190 यात्रियों ने पंजीकरण कराया है। मंत्री महाराज ने कहा कि चारधाम यात्रा में सुरक्षा और ट्रैफिक पर नजर रखने के लिए 18 ड्रोन सक्रिय हैं। इसके अलावा 2000 सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। यात्रा मार्ग पर 15 सुपर जोन, 136 पार्किंग और 56 होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं। यातायात का ज्यादा प्रेशर देखते हुए होल्डिंग एरिया में श्रद्धालुओं को रोका जाएगा और यहीं पर उन्हें सभी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
चारधाम यात्रा- 39 बसों से 1400 तीर्थयात्री हुए रवाना, तीर्थयात्रियों का माल्यार्पण कर हुआ स्वागत..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा का शुभारंभ आज गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ हो गया। इसी क्रम में चारधाम यात्रा संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति की ओर से 39 बसों में करीब 1400 तीर्थयात्री रवाना हुए। सभी यात्री ऋषिकेश की विभिन्न धर्मशालाओं में ठहरे हुए थे, जहां से उनका यात्रा पंजीकरण भी कराया गया। तीर्थयात्रियों को गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए रवाना किया गया, जहां आज विधिवत श्रद्धालुओं के लिए कपाट खुल गए है। यात्रा समिति द्वारा समन्वय के साथ सुरक्षित और व्यवस्थित यात्रा संचालन सुनिश्चित किया गया। श्रद्धालुओं में यात्रा को लेकर उत्साह और श्रद्धा का वातावरण देखा गया। प्रशासन और यात्रा समिति ने यात्रियों से अपील की है कि वे सभी दिशा-निर्देशों का पालन करें और किसी भी सहायता के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।
चारधाम यात्रा पर रवाना हो रहे तीर्थयात्रियों का ट्रांसपोर्ट यूनियन की ओर से माल्यार्पण कर भव्य स्वागत किया गया। धर्मशालाओं में ठहरे श्रद्धालु भोले बाबा के भजनों से वातावरण को भक्तिमय बना रहे हैं। मंगलवार सुबह ऋषिकेश पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों का तुरंत पंजीकरण किया गया, ताकि उनकी यात्रा में कोई विलंब न हो। पंजीकरण के बाद सभी श्रद्धालु नियमानुसार चारधाम यात्रा के लिए रवाना हुए। रोटेशन यात्रा समिति के मीडिया प्रभारी नवीन तिवारी का कहना हैं कि इस बार प्रशासन द्वारा व्यवस्थाएं बेहतर की गई हैं, जिससे यात्रियों में खासा उत्साह और संतोष देखने को मिल रहा है। शहर की धर्मशालाएं भक्ति संगीत और हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठी हैं, जिससे चारधाम यात्रा का आरंभ अत्यंत भावपूर्ण हो गया। प्रशासन और समिति की ओर से यह सुनिश्चित किया गया है कि श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान हर सुविधा उपलब्ध हो और वे सुरक्षित व सुगम यात्रा का अनुभव कर सकें।
चारधाम यात्रा- उत्तरकाशी प्रशासन पूरी तरह अलर्ट, श्रद्धालुओं के स्वागत को हर स्तर पर तैयारी..
उत्तराखंड: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा पर आ रहे तीर्थयात्रियों को इस बार, पार्किंग से लेकर साफ सफाई की शानदार व्यवस्था देखने को मिलेगी। इस बार आठ स्थानों पर स्मार्ट टॉयलेट कॉम्प्लेक्स के साथ ही कई जगह पार्किंग सुविधा विकसित की गई है। यात्रा शुरु होने से एक दिन पहले जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए कहा कि यात्री सुविधाओं को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते यात्रा मार्ग पर शौचालय, पार्किंग और यातायात प्रबंधन को सुदृढ़ किया गया है। चारधाम यात्रा 2025 के सुगम, सुरक्षित और सफलतापूर्वक संचालन को लेकर जिला प्रशासन द्वारा व्यापक तैयारी की गई है। यात्रियों की बढ़ती संख्या और वाहनों के बढ़ते दबाव को देखते हुए प्रमुख मार्गों को सुगम और सुरक्षित बनाने का प्रयास किया गया है।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर खरसाली, जानकीचट्टी, बड़कोट और नौगांव सहित कई प्रमुख स्थानों पर पार्किंग सुविधाओं को सुदृढ़ किया गया है। वहीं गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर हीना में सरफेस पार्किंग, उत्तरकाशी मुख्यालय में मल्टी स्टोरी पार्किंग, गंगोत्री में मल्टी स्टोरी पार्किंग एवं रामलीला मैदान, जोशियाड़ा और बंदरकोट जैसे क्षेत्रों में सरफेस पार्किंग स्थलों का विस्तार किया गया है।
जिलाधिकारी का कहना हैं कि यात्रा मार्गों पर मूलभूत सुविधाएं जैसे बिजली, पानी और शौचालय आदि की व्यवस्थाएं दुरुस्त की गई हैं। यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जानकीचट्टी में आधुनिक शौचालय का निर्माण किया गया है, जिससे स्वच्छता और सुविधा दोनों सुनिश्चित हो सके। यात्रा मार्ग पर आठ स्मार्ट टॉयलेट काम्प्लेक्स संचालित किए जा रहे हैं।
इस बार बद्रीनाथ धाम में दिखेगा बदलाव, श्रद्धालुओं को दिखेगा नया रूप..
उत्तराखंड: इस बार बद्रीनाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए पहले से कहीं अधिक खुले और व्यवस्थित रूप में नजर आएगा। बद्रीनाथ मास्टर प्लान के तहत जो पुनर्विकास कार्य किए जा रहे हैं, उनका उद्देश्य धाम को आध्यात्मिक गरिमा के साथ-साथ आधुनिक सुविधाओं से भी युक्त बनाना है। मंदिर क्षेत्र से अव्यवस्थित भवनों और अतिक्रमण को हटाया गया है, जिससे मंदिर अब खुला और भव्य नजर आता है। वही बद्रीनाथ बाजार क्षेत्र में निर्माण और सौंदर्यीकरण कार्य तेजी से चल रहे हैं। तीर्थयात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए पार्किंग, वॉशरूम, विश्राम गृह, और पैदल मार्गों को बेहतर बनाया जा रहा है। बद्रीनाथ महायोजना मास्टर प्लान के तहत धाम में युद्धस्तर पर निर्माण और भवनों के ध्वस्तीकरण का काम चल रहा है। ताकि चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
धाम में मास्टर प्लान के दूसरे चरण के कार्य चल रहे हैं। अराइवल प्लाजा का निर्माण अंतिम चरण में पहुंच गया है। इस पर नक्काशीदार पत्थर और लकड़ी लगाकर आकर्षक रूप दिया जा रहा है। बदरीश झील और शेषनेत्र झील के किनारे आकर्षक पत्थर बिछाए गए हैं और आकर्षक लाइट लगा दी गई है। बद्रीनाथ मंदिर के करीब 75 मीटर हिस्से में भवनों का ध्वस्तीकरण कार्य भी तेजी से चल रहा है। दूर से ही मंदिर खाली-खाली नजर आ रहा है। दर्शनों की लाइन के दोनों ओर के सभी भवनों को ध्वस्त कर दिया गया है। बदरीनाथ के शुरुआत देव दर्शनी में तीर्थयात्रियों के लिए व्यू प्वाइंट बनाया जा रहा है।
प्राकृतिक सौंदर्य को निहार सकेंगे..
यहां से यात्री दूर से ही बद्रीनाथ मंदिर और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को निहार सकेंगे। यहां एक विशाल गेट भी बनाया जा रहा है। लोनिवि पीआईयू के अधिशासी अभियंता योगेश मनराल ने कहा कि मास्टर प्लान के कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। बरसात से पहले अधिकांश काम पूर्ण कर लिए जाएंगे। बद्रीनाथ क्षेत्र में अलकनंदा के दोनों ओर से रिवर फ्रंट का काम भी तेजी से चल रहा है। कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग पीआईयू बरसात से पहले यहां अधिक से अधिक कार्यों को पूरा करने पर जोर दे रही है। इसके लिए यहां करीब 400 मजदूर लगाए गए हैं। रिवर फ्रंट के कार्यों से अलकनंद अस्त-व्यस्त नजर आ रही है। नदी में जगह-जगह मलबे के ढेर पड़े हैं। मलबे के कारण नदी का रुख गांधी घाट और ब्रह्मकपाल की ओर ओर हो गया है। यदि मलबे का जल्द निस्तारण नहीं किया गया तो बरसात में नदी का पानी ब्रह्मकपाल से तप्तकुंड तक घुस जाएगा।