मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन व राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और राज्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान गडकरी ने बताया कि रुद्रप्रयाग में राष्ट्रीय राजमार्ग पर टनल निर्माण के लिए 225 करोड़ की स्वीकृति दे दी गई है।
गडकरी से भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में रोड़ कनेक्टविटी के विकास में महत्वपूर्ण सहयोग के लिए केंद्रीय मंत्री का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री के अनुरोध पर केंद्रीय मंत्री ने आईएसबीटी, देहरादून की सड़क परियोजना के लिए 48 करोड़ रूपए की स्वीकृति पर सहमति दी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि रूद्रप्रयाग में टनल निर्माण के लिए लगभग 225 करोड़ रूपए स्वीकृत हो गए हैं। इस पर आवश्यक कार्यवाही शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही उत्तराखण्ड में नए राष्ट्रीय राजमार्ग में बाईपास की गई पुरानी सड़कों के सुदृढ़ीकरण के लिए भी 69 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने हरिद्वार-देहरादून एनएच पर जोगीवाला में जाम की समस्या को दूर करने पर सहमति व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से इसका प्रस्ताव जल्द भेजने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषिकेश-भानियावाला मोटर मार्ग चारधाम यात्रा में शोर्ट लिक मार्ग है। जौलीग्राट एयरपोर्ट भी ऋषिकेश भानियावाला के मध्य स्थित है । वर्तमान में यह केवल दो लेन मार्ग है। इस मार्ग के व्यापक महत्व को देखते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से इसे राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में केंद्रीय सड़क व अवस्थापना निधि के अंतर्गत मंत्रालय को प्रेषित 219 करोड़ रूपए के प्रस्तावों की शीघ्र स्वीकृति का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने उत्तराखण्ड में 6 राजमार्गो (कुल लम्बाई 524 किमी) को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए जाने की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है। इनमें लक्ष्मणझूला-दुगड्डा-नैनीडाडा-मोहन- रानीखेत(274किमी), पाण्डुआखाल -नागचूलाखाल उफरैखाल-बैजरो (64 किमी), खैरना-रानीखेत (34 किमी), बुआखाल-देवप्रयाग (49 किमी), देवप्रयाग-गजा-खाड़ी (70 किमी), बिहारीगढ़-रोशनाबाद (33 किमी) शामिल है। मुख्यमत्री ने केंद्रीय मंत्री से इन्हें जल्द से जल्द राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में अधिसूचित किये जाने का अनुरोध किया।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव राधिका झा, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डा.पराग मधुकर धकाते व केंद्र सरकार के अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भेंट कर उन्हें विगत दिवस जोशीमठ क्षेत्र में आई आपदा में सरकार द्वारा चलाए जा रहे राहत व बचाव कार्यों की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने शाह से राज्य में हिमनद एवं जल संसाधन शोध केन्द्र की स्थापना, राज्य के दुर्गम-अति दुर्गम आपदा संभावित क्षेत्रों और अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं की निरंतर देखरेख एवं निगरानी हेतु हैलीकॉप्टर उपलब्ध कराने तथा आपदा प्रबंधन व सीमा प्रबंधन के दृष्टिगत गैरसैंण में आईआरबी बटालियन की स्थापना की स्वीकृति का अनुरोध किया। साथ ही आगामी हरिद्वार कुंभ के दृष्टिगत, एन्टी ड्रोन तकनीक से संयोजित एक विशेष टीम की तैनाती की मांग भी की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य पुलिस को और अधिक प्रभावी व आधुनिक बनाए जाने के लिए राज्य पुलिस बल आधुनिकीकरण योजना में प्रतिवर्ष 20 से 25 करोड़ का बजट उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने राज्य में समय-समय पर तैनात सुरक्षा बलों की तैनाती के फलस्वरूप देय धनराशि रू0 36.46 करोड़ की छूट तथा भविष्य के लिए पूर्वोत्तर राज्यों/विशेष श्रेणी के राज्य की भांति 90ः10 के अनुपात में भुगतान की व्यवस्था निर्धारित करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री से चमोली के नीति घाटी तथा उत्तरकाशी के नेलांग घाटी को बेहतर सीमा प्रबंधन हेतु इनर लाईन परमिट की व्यवस्था समाप्त किए जाने का आग्रह किया, ताकि इन क्षेत्रों के गांवों में पर्यटन से आर्थिक गतिविधियों का विस्तार हो सके। केंद्रीय गृह मंत्री ने उक्त सभी बातों पर सैद्धांतिक सहमति देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखण्ड को हर संभव सहयोग दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने देर सांय भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से भी शिष्टाचार भेंट की। इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय शहरी विकास व उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी से भी भेंट की।
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में भारत नेट 2.0 प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है । इसके तहत उत्तराखंड के 12 हजार ग्राम इंटरनेट से जुड़ेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद से भेंट की। वार्ता में चारधाम क्षेत्र की डिजिटल कनेक्टिविटी को मज़बूत बनाने पर सहमति बनी। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि बॉर्डर एरिया में इन्टरनेट कनेक्टिविटी के सुदृढ़ीकरण के लिये प्रोजेक्ट बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण सहयोग से उत्तराखण्ड में बड़े पैमाने पर विकास कार्य हो रहे हैं। उत्तराखंड की कठिन भौगोलिक, महत्वपूर्ण सामरिक स्थिति और आपदा के प्रति संवेदनशीलता का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतनेट परियोजना की स्टेट-लेड माॅडल में समयबद्धता के साथ क्रियान्विति बहुत जरूरी है। परियोजना में अनावश्यक विलम्ब न हो, इसके लिए प्रशासनिक एंव वित्तीय अनुमोदन जल्द से जल्द दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘इंडिया एंटरप्राइज आर्किटेक्चर’ परियोजना में उत्तराखण्ड को भी शामिल किया जाए ताकि कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे विभागों की कार्यप्रणाली को राज्यव्यापी कम्प्यूटरीकृत किया जा सके। कोरोना संकट से सीख लेते हुए ऐसा किया जाना बहुत आवश्यक है।
केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को हर सम्भव सहयोग के प्रति आश्वस्त किया।
राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ ने कोविड सम्मान प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान राशि देने में सरकार पर आयुष चिकित्सकों एवं कार्मिकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। संघ का कहना है कि सरकार द्वारा सिर्फ़ एलोपैथिक विभाग के कार्मिकों के लिए ही कोविड सम्मान प्रशस्ति पत्र एवं कोविड सम्मान राशि के रूप में 11 हजार रूपये देने की घोषणा की गई है।
राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ, उत्तराखण्ड (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ० डी० सी० पसबोला ने कहा कि कोरोना काल में प्रत्येक आयुष चिकित्सक एवं स्टाफ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रोगियों को ओपीडी में देखने, सैंपल लेने से लेकर कोरोना के खौफ से डरे लोगों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने हेतु काउंसलिंग तक के कामों में आयुष चिकित्सक व कार्मिक भी जुटे रहे। यहां तक कि चैक पोस्टों में बाहर से आने वाले यात्रियों का परीक्षण, आईशोलेशन केंद्रों और होम आईशोलेशन में भी उनके द्वारा योगदान दिया गया।

उन्होंने कहा कि बावजूद इसके सरकार द्वारा कोविड सम्मान राशि देते समय फ्रंटलाइन आयुष चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के योगदान को भुला देना दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही, साथ में उनके मनोबल को भी गिराने वाला कदम है। आयुष प्रदेश में सरकार के इस भेदभावपूर्ण निर्णय से समस्त आयुष चिकित्सकों एवं कर्मचारियों में आक्रोश एवं हताशा व्याप्त है।
डॉ० पसबोला द्वारा बताया गया कि इस सम्बन्ध में संघ के प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ० के० एस० नपलच्याल द्वारा निदेशक, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं डॉ० वाई० एस० रावत को पत्र लिखकर आयुर्वेदिक चिकित्सकों एवं कर्मचारियों को भी कोविड सम्मान पत्र एवं राशि प्रदान किए जाने की मांग की है। जिसकी प्रतियां आयुष सचिव, आयुष मंत्री डॉ० हरक सिंह रावत एवं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को भी भेजी गयी है।
सरकार के इस पक्षपात पूर्ण निर्णय की उपाध्यक्ष डॉ० अजय चमोला द्वारा भी कठोर शब्दों में भर्त्सना की गयी। वहीं महासचिव डॉ० हरदेव रावत द्वारा भी इस सम्बन्ध में आगे कार्यवाही करने की बात कही गयी है।
प्रान्तीय होम्योपैथिक संघ द्वारा भी सरकार के इस निर्णय का विरोध किया गया है एवं शासन को पत्र लिखा गया है।
केंद्र सरकार ने सिमली-ग्वालदम-बागेश्वर-जौलजीबी मोटर मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।
230 किमी लंबा यह राष्ट्रीय राजमार्ग भारतमाला परियोजना के तहत डबल लेन का निर्मित होगा। मोटर मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए जाने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस महत्वपूर्ण राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित होने से राज्य की बड़ी मांग पूरी हुई है। राज्य को सड़क मरम्मत आदि में होने वाली बड़ी राशि की भी इससे बचत हुई है। उन्होंने कहा कि यह मार्ग सीमांत क्षेत्रों को जोड़ने वाली प्रमुख सड़क थी।
उन्होंने कहा कि भारतमाला परियोजना के तहत इस सड़क के डबल लेन बनने से आवागमन में भी सुविधा होगी और साथ ही भविष्य में इसकी मरम्मत आदि में होने वाला व्यय भी भारत सरकार द्वारा वहन किया जायेगा।
उत्तराखंड में आगामी सत्र में कार्मिकों के तबादले वार्षिक स्थानांतरण अधिनयम के प्रावधानों के तहत ही होंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्मिक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
पिछले साल 20-21 में वार्षिक स्थानांतरण सत्र को शून्य किया गया था। वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम की धारा-27 के अधीन गठित समिति की 3 फरवरी, 21 को हुई बैठक में शून्य सत्र को समाप्त किए जाने का निर्णय लिया गया था। मुख्य सचिव ने प्रस्ताव में बताया कि आगामी वर्ष में विधानसभा के निर्वाचन भी होने हैं। इस कारण निर्वाचन की आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। आम तौर पर निर्वाचन कार्य में संलग्न सभी विभागों के कार्मिकों के लिए एक स्थान पर 3 साल से अधिक रहने का निषेध है। इसलिए आगामी सत्र को शून्य नहीं किया जा सकता। इसमें वित्तीय दृष्टिकोण से 10 फीसदी या आदर्श चुनावी आचार संहिता के अनुरूप वांछित स्थानांतरण ही किए जाने की व्यवस्था की गई है।
इस प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष लाया गया था। इस पर मुख्यमंत्री ने अनुमोदन दे दिया है। साथ ही आगामी सत्र के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम के प्राविधान ही लागू किए जाने और स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू करने के प्रस्ताव पर भी मोहर लगा दी है।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने चमोली जिले के सीमांत क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा से प्रभावित इलाके का दौरा किया और क्षेत्र में बीआरओ द्वारा चलाए जा रहे बचाव, राहत एवं पुनर्वास कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में आपदा प्रभावित क्षेत्र में काम कर रहे बीआरओ की टीम की हौंसला अफजाई भी की।
विगत 7 फरवरी को चमोली जिले के सीमांत रैणी गांव के पास हिमस्खलन से धौली गंगा व ऋषि गंगा के जलस्तर में अचानक वृद्वि हो गई थी और इसने भीषण बाढ़ का रूप ले लिया था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस आपदा में 204 व्यक्ति लापता हुए हैं, जिनमें से 40 लोगों के शव बरामद हो गए हैं। आपदा में निजी क्षेत्र के ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट समेत NTPC जल विद्युत परियोजनाओं को भी नुक्सान पहुंचा। इसके अलावा ऋषिगंगा नदी पर रैणी गांव के पास जोशीमठ-मलारी रोड पर बीआरओ का 90 मीटर आरसीसी पुल भी बह गया । यह पुल चीन सीमा के निकट स्थित नीति घाटी तक पहुंचने का एकमात्र लिंक था।

प्रभावित क्षेत्र के भ्रमण के दौरान बीआरओ के महानिदेशक जनरल चौधरी ने बताया कि आपदा के बाद उनके संगठन ने राहत व बचाव कार्यों में 100 से अधिक वाहनों/उपकरणों व संयंत्रों को शामिल किया गया। बीआरओ ने भारतीय वायु सेना की सहायता से महत्वपूर्ण उपकरणों को भी अपने अभियान में शामिल किया है । प्रोजेक्ट शिवालिक के तहत 21 बीआरटीएफ की लगभग 20 टीमों को बचाव और पुनर्वास उद्देश्यों के लिए तैनात किया गया है।
प्रारंभिक निरीक्षण के बाद बीआरओ ने सभी आवश्यक मोर्चों पर कनेक्टिविटी को फिर से स्थापित करने के लिए काम शुरू किया है। सुदूर किनारे पर खड़ी चट्टानों और दूसरी तरफ 25-30 मीटर ऊंचे मलबे/ कीचड़ के कारण यह स्थल बहुत चुनौतीपूर्ण था, हालांकि बीआरओ ने इन चुनौतियों को दूर कर लिया है और युद्धस्तर पर कार्य जारी है।
जनरल चौधरी ने विपरीत परिस्थितियों में कार्य कर रहे बीआरओ के जवानों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि मौसम की चुनौतियों के बीच बीआरओ की टीम चौबीसों घंटे काम कर रही है, ताकि क्षेत्र में जल्द से जल्द कनेक्टिविटी को फिर से स्थापित किया जा सके। उन्होंने बीआरओ को आवश्यक सहयोग प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को धन्यवाद भी दिया।
उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं को अब एक ही पोर्टल के माध्यम से सभी सरकारी पदों पर होने वाली भर्तियों की सूचना मिल सकेगी। इसके लिए प्रदेश सरकार ने एकीकृत भर्ती पोर्टल शुरू किया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में एक बैठक में एकीकृत भर्ती पोर्टल http://irp.uk.gov.in का शुभारम्भ किया।
पोर्टल पर खाली पदों के विवरण से लेकर भर्ती प्रक्रिया की जानकारी तक होगी। अभ्यर्थी को भर्ती पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करना होगा। इसके बाद सरकारी क्षेत्र में किसी भी भर्ती की सूचना उनको एसएमएस द्वारा प्राप्त हो जाएगी। इस पोर्टल के माध्यम से समस्त विभागों, उत्तराखंड लोक सेवा आयोग, उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग एवं उत्तराखण्ड मेडिकल बोर्ड को जोड़ा गया है। एकीकृत भर्ती पोर्टल में रोस्टर बनाने में समय भी कम लगेगा और त्रुटियों की संभावनाएं भी बहुत कम होगी। अधियाचन का लगभग 90 प्रतिशत भाग पोर्टल द्वारा स्वतः ही भरा हुआ मिलेगा, जिससे विभागों को अधियाचन भरने में कम समय लगेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विभिन्न विभागों में रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जाय। विभागों का ढांचा वर्तमान की आवश्यकताओं एवं भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखकर होना चाहिए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि समान प्रकृति वाले पदों की भर्ती प्रक्रिया एक साथ की जाय। ताकि उन पदों पर विभागों की मांग के अनुसार नियुक्तियां दी जा सके।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी ने जानकारी दी कि आयोग को वर्ष 2019 से अभी तक 7250 पदों के लिए अधियाचन मिला है। जिसमें से 5163 पद विज्ञापित हो चुके हैं। 942 पदों पर परीक्षा पूर्ण हो चुकी है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर.के.सुधांशु, अमित नेगी, नितेश झा, राधिका झा, दिलीप जावलकर, शैलेश बगोली, सौजन्या, सुशील कुमार, दीपेन्द्र चौधरी आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को एक कार्यक्रम में दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण कृषि ऋण योजना का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम आज प्रदेश के सभी 95 विकास खण्डों समेत पांच अन्य स्थानों पर भी आयोजित किया गया। इस योजना के तहत 25 हजार लोगों को कृषि एवं कृषि यंत्रों, मत्स्य पालन, जड़ी-बूटी उत्पादन, मुर्गी पालन कुक्कुट पालन, मौन पालन आदि प्रयोजनों हेतु तीन लाख रूपये का ब्याज रहित ऋण वितरण किया जाएगा।
राजधानी देहरादून के रेसकोर्स में स्थित बन्नू स्कूल में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने 11 लाभार्थियों को 03-03 लाख के चेक वितरित किए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने खेती और बागवानी के क्षेत्र में सराहनीय कार्यों के लिए इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने गए किसान प्रेमचन्द्र शर्मा को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों की आर्थिकी में सुधार के लिए अनेक प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश के विकास के लिए जवानों और किसानों का सम्मान बहुत जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों के हित में जो नए कृषि सुधार कानून लाये गये हैं, उनसे किसानों को आने वाले समय में बहुत फायदा होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एम.एस. स्वामीनाथन की सिफारिशों को धरातल पर लाने का कार्य किया है। किसानों को डेढ़ गुना एमएसपी दी जा रही है।
इस अवसर पर सहकारिता एवं उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विधायक विनोद चमोली, हरवंश कपूर, गणेश जोशी, खजानदास, मुन्ना सिंह चौहान, सहदेव पुण्डीर, उमेश शर्मा काऊ, एंग्लो इण्डियन विधायक जार्ज आईवन ग्रेगरी मैन, मेयर सुनील उनियाल गामा, सचिव सहकारिता आर.मीनाक्षी सुंदरम आदि उपस्थित थे।
शनिवार से प्रदेश में शुरू हुए इस ऋण वितरण कार्यक्रम में विभिन्न स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, सुबोध उनियाल, डॉ. हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, अरविन्द पाण्डेय, राज्य मंत्री रेखा आर्या, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश एवं संबधित क्षेत्रों के विधायकगण उपस्थित रहे।
केंद्र सरकार के सहयोग से देहरादून में 173 करोड़ रुपए की लागत से साइंस सिटी की स्थापना होगी। इसके लिए शुक्रवार को राज्य सरकार व केंद्र सरकार के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
मुख्यमंत्री आवास में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की उपस्थित में साइंस सिटी के लिए प्रदेश सरकार की ओर से उत्तराखण्ड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (यूकॉस्ट) और केंद्र सरकार की तरफ से राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद् (एनसीएसएम ) के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल एवं सचिव एनसीएसएम ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एनसीएसएम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की एक स्वायत्तशासी संस्था है जो देश में विज्ञान संग्रहालयों का निर्माण तथा संचालन करती है। देहरादून में स्थापित होने वाली साइंस सिटी झाझरा स्थित विज्ञान धाम में विकसित होगी।
साइंस सिटी लगभग चार वर्षों में बनकर तैयार हो जाएगी। 173 करोड़ रूपये की इस परियोजना के लिए 88 करोड़ रूपये केन्द्र सरकार एवं 85 करोड़ रूपये राज्य सरकार वहन करेगी।
इस अवसर पर त्रिवेंद्र ने कहा कि देहरादून में बनने वाले साइंस सिटी सबके आकर्षण का केन्द्र बने इसके लिए विशेष प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने निर्देश दिए कि इसे निर्धारित समयावधि से पूर्व पूर्ण करने के प्रयास किये जाएं। उन्होंने कहा कि भारत की वैज्ञानिक संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा। राज्य सरकार का प्रयास होगा कि उत्तराखण्ड के वैशिष्ट्य को लोग साइंस सिटी के माध्यम से देख सकें।
प्रस्तावित साइंस सिटी में खगोल एवं अंतरिक्ष विज्ञान, रोबोटिक्स, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विरासत, भू-गर्भीय जीवन, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी, वर्चुअल रियलिटी, ऑग्मेंटेड रियलिटी, आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स के साथ स्पेस थियेटर सहतारामंडल, हिमालय की जैवविविधता पर डिजिटल पैनोरमा, सिम्युलेटर, एक्वेरियम, उच्च वोल्टेज व लेजर, आउटडोर साइंस पार्क, थीम पार्क, बायोडोम, बटरफ्लाई पार्क, जीवाश्म पार्क एवं मिनिएचर उत्तराखंड आदि होंगे।
साथ ही अन्य सुविधाओं के रूप में कन्वेंशन सेंटर तथा प्रदर्शनी हॉल आदि भी साइंस सिटी का हिस्सा होंगे। साइंस सिटी प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संचार, लोकव्यापीकरण तथा नवप्रवर्तन की दिशा में विद्यार्थियों, शिक्षकों, आम नागरिकों एवं पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण तथा आकर्षण का केन्द्र होगी।
इस अवसर पर विधायक सहदेव सिंह पुण्डीर, ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आर.के सुधांशु, एनसीएसएम के भूतपूर्व महानिदेशक गंगा सिंह रौतेला, निदेशक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम डॉ. अजंन रे, अपर सचिव विजय यादव, अपर प्रमुख वन संरक्षक डॉ. समीर सिन्हा, डॉ. प्रकाश चौहान आदि उपस्थित थे।