उत्तराखंड सरकार ने कोरोना काल में उपजी परिस्थितियों के मद्देनजर उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि. (उपनल) के माध्यम से होने वाली नियुक्तियों के द्वार सबके लिए खोल दिए हैं। इससे पहले उपनल से सिर्फ पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को ही आउटसोर्स के आधार पर रोजगार मिलता रहा है। प्रदेश मंत्रिमंडल ने विगत 4 सितम्बर को इस महत्वपूर्ण फैसले को स्वीकृति दी थी। बुधवार को प्रदेश की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा इस सम्बन्ध में आदेश जारी कर दिए गए हैं।

सरकार ने कोरोना काल में बेरोजगारों को राहत देने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया है। लॉकडाउन के कारण बड़े स्तर पर प्रवासी उत्तराखंड वापस लौटे हैं। प्रदेश सरकार उनके लिए रोजगार के साधन खोजने में लगी हुई है। इसके लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना समेत अनेक कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। इसी क्रम में सरकार ने उपनल के माध्यम से ऑउटसोर्सिंग के आधार पर होने वाली नियुक्तियों में अन्य लोगों को भी रोजगार देने के लिए यह कवायद की है। स्वास्थ्य, हाउसकीपिंग, हॉस्पिटेलिटी और तकनीकी क्षेत्रों में सरकारी व निजी क्षेत्र की मांग के मुताबिक कई बार पूर्व सैनिक उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। ऐसे में सरकार के इस आदेश के बाद यह समस्या नहीं रहेगी।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने मंगलवार को सचिवालय में वर्ष 2021 में हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर बैठक की और कुम्भ मेले के कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और आवश्यक सामग्रियों की पुख्ता व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली जाएं।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि कुम्भ मेले के आयोजन के लिए कम समय रह गया है। सभी कार्याें को समयबद्ध तरीके से किया जाए। साथ ही कार्यों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए। इसके लिए लगातार माॅनिटरिंग की जाए। उन्होंने डाम कोठी के जीर्णोद्धार के कार्य को समय से पूरा करने को कहा। निर्देश दिए कि मेला क्षेत्र में सीवर, पेयजल व विद्युत लाईन आदि के लिए सम्बन्धित विभागों से समन्वय बनाते हुए, पूर्व नियोजित तरीके से कार्य किए जाएं।
उन्होंने कहा कि आस्था पथ पर बाढ़ सुरक्षा कार्य को नदी में पानी का स्तर कम होते ही शुरू करने के निर्देश दिए और काँवड़ पटरी की ब्लैक टाॅपिंग का कार्य 15 नवम्बर तक पूर्ण करने के को कहा। उन्होंने कहा कि अस्थायी पुलों का निर्माण प्राथमिकता पर लेते हुए, इन्हें किसी भी दशा में 31 दिसम्बर तक तैयार करने को कहा। साथ ही कुम्भ मेले के लिए प्रस्तावित बस स्टैंड के लिए आवश्यक फाॅरेस्ट क्लीयरेंस लेकर कार्य तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कोविड-19 के दृष्टिगत कुम्भ मेले में विशेष व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने और चिकित्सकों एवं अन्य आवश्यक स्टाफ की तैनाती समय पर किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए 500 बेड की व्यवस्था रखी जाए। साथ ही पेशेंट केयर एवं टेस्टिंग की भी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली जाएं। उन्होंने कहा कि कुम्भ मेले के लिए आवश्यक स्टाफ, मेला अधिकारी, उप मेला अधिकारी, सूचना अधिकारी, पुलिस फोर्स एवं होम गार्ड की तैनाती की प्रक्रिया भी शीघ्र पूर्ण कर ली जाए।
बैठक में प्रमुख सचिव आनन्द वर्धन, सचिव आर.के. सुधांशु, शैलेश बगोली, नीतेश झा, राधिका झा, सौजन्या, मेलाधिकारी दीपक रावत व अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री सलाहकार समूह की प्रथम बैठक आयोजित की गई। राज्य में नवाचार और उद्यमिता (innovation and entrepreneurship) को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने स्टार्टअप, नवाचार और उद्यमिता पर मुख्यमंत्री सलाहकार समूह स्थापित किया है। राज्य में स्टार्टअप ईकोसिस्टम विकसित करने के लिए इस समूह द्वारा नवाचार और उद्यमिता के लिए राज्य में एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने, अनुसंधान और नये उत्पादों, सेवाओं, व्यापार मॉडल के विकास को प्रोत्साहित करने, उपयुक्त पॉलिसी योजनाओं और आवश्यक समर्थन प्रणाली को विकसित करने हेतु परामर्श देना है। इसके अलावा पाठ्यक्रम, मॉड्यूल प्रशिक्षण, कार्यशालाओं और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में नवाचार और उद्यमशीलता के बारे में जागरूकता, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निकायों और एजेंसियों के साथ आवश्यक साझेदारी हेतु सलाह देना है।
ये बनाये गए हैं सदस्य
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बनाये गये मुख्यमंत्री सलाहकार समूह में 07 सरकारी एवं 06 गैर सरकारी सदस्य शामिल हैं। सरकारी सदस्यों में मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव उद्योग, सचिव वित्त, सचिव सूचना प्रौद्योगिकी, सचिव मुख्यमंत्री, महानिदेशक उद्योग, एवं निदेशक उद्योग शामिल हैं। जबकि गैर सरकारी सदस्यों में इंडियन एंजल नेटवर्क के फाउण्डर डॉ. सौरभ श्रीवास्तव, सम्पर्क फाउण्डेशन के फाउण्डर विनीत नायर, क्वात्रो ग्लोबल सर्विस के चैयरमेन एवं प्रबंध निदेशक रमन रॉय, कन्ट्री हेड एच.एस.बी.सी नैना लाल किदवई, इन्फो एज के वाइस चैयरमेन संजीव बिखचंदानी एवं सन मोबिलिटी प्रा. लि. के वाइस चैयरमेन चेतन मणि शामिल है।
उद्यमिता, नवाचार एवं स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए राज्य में यह नई पहल
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि आत्मनिर्भरता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोकल के लिए वोकल बनने की जो बात कही गई यह उस दिशा में प्रयास है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड विविध जैव विविधताओं वाला राज्य है, यहां कि जैव विविधता का फायदा लेते हुए इस दिशा में अनेक कार्य हो सकते हैं। राज्य में इन्वेस्टर समिट के दौरान सवा लाख करोड़ के एमओयू हस्ताक्षरित किये गये। जिसमें से 25 हजार करोड़ के कार्यों की ग्राउंडिंग हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड 19 के जिस दौर से हम गुजर रहे हैं, उससे औद्योगिक गतिविधियां जरूर प्रभावित हुई हैं। इस दौर दिक्कतें भी आई हैं और नई संभावनाएं भी विकसित हुई हैं। उन्होंने कहा कि ग्रुप के सभी सदस्यों के सुझावों पर गम्भीरता से कार्य किया जायेगा।
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से विशेषज्ञों के सुझाव
इस अवसर पर वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से इंडियन एंजल नेटवर्क के फाउण्डर डॉ. सौरभ श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि राज्य में उद्यमिता के विकास के लिए जो भी योजना बने राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से बने। स्टार्टअप के तहत जॉब क्रियेशन पर विशेष ध्यान दिया जाय। उत्तराखण्ड के उत्पादों की अलग ब्रांडिंग हो, वैल्यू एडिशन पर विशेष ध्यान दिया जाय। हैल्थ केयर में मेडिकल टूरिज्म पर ध्यान देने की जरूरत है।
नैना लाल किदवई ने कहा कि रूरल टूरिज्म एवं होम स्टे को बढ़ावा दिया जाय। एग्रो प्रोसेसिंग एवं फोरेस्टरी सेक्टर में अनेक कार्य किये जा सकते हैं। विनीत नायर ने कहा कि मेंटल हैल्थ के क्षेत्र में अनेक कार्य हो सकते हैं। हमें सबसे पहले बच्चों के मेंटल हैल्थ पर फोकस करना होगा। स्टार्टअप का भविष्य साइंस और तकनीक पर आधारित है। इस दिशा में पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। रमन रॉय ने कहा कि लाईवलीहुड बिजनेस पर ध्यान देने की जरूरत है। राज्य बिजनेस के कल्चर को प्रमोट करने की जरूरत है। विभिन्न सेक्टर में कार्य करने के लिए प्रत्येक सेक्टर के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने होंगे। संजीव बिखचंदानी ने कहा कि राज्य में कुछ बड़े उद्योग स्थापित करने होंगे। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत अनेक कार्य किये जा सकते हैं।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि राज्य में औद्योगिक विकास के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं। कोरोना काल में साढ़े चार लाख से अधिक प्रवासी वापस उत्तराखण्ड आये हैं। उनको स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की गई है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रवीन्द्र दत्त, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, सचिव आईटी आर.के. सुधांशु, सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा, सचिव कौशल विकास डॉ. रणजीत कुमार सिन्हा, महानिदेशक उद्योग एस.ए. मुरूगेशन, अपर सचिव कौशल विकास आर राजेश कुमार, अपर सचिव मुख्यमंत्री ईवा श्रीवास्तव, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल आदि उपस्थित थे।
हड़ताली प्रदेश की छवि बना चुका उत्तराखंड वर्तमान में उत्तराखंड जनरल ओबीसी एम्प्लायज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष व सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी के विरुद्ध जांच के विरोध में कर्मचारी आंदोलन से जूझ रहा है। जोशी के विरुद्ध शासन ने बिना सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के मीडिया में राज्य सरकार तथा उसकी नीतियों का विरोध करने के आरोप में जांच बैठायी है। जोशी पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अपने पदीय कर्तव्यों एवं दायित्वों से इतर जाकर प्रदेश सरकार पर टिप्पणी व वक्तव्य दिए हैं। इन आरोपों के क्रम में शासन ने उनके विरुद्ध उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली- 2002 के विभिन्न नियमों के तहत कार्रवाई करते हुए आरोप पत्र जारी किया है और अपर सचिव, गृह के पद पर तैनात आईपीएस अधिकारी कृष्ण कुमार वीके को जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
उत्तराखंड की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा पहली सितम्बर को जारी इस आदेश में जांच अधिकारी को एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सचिवालय प्रशासन विभाग को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। आदेश के जारी होने के बाद से प्रदेश के विभिन्न कर्मचारी संगठन आंदोलनरत हैं। कर्मचारी संगठनों की और से ‘उग्र आंदोलन’ और ‘आर-पार की लड़ाई’ जैसी धमकियां प्रदेश सरकार को दी जा रही हैं। कर्मचारियों ने गत दिवस इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से गुहार लगाई थी। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव ओम प्रकाश को इस मामले को देखने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव सोमवार को प्रकरण से संबंधित पत्रावलियों को देखेंगे और कर्मचारी संगठनों से बातचीत करेंगे। मुख्य सचिव इस मामले में क्या निर्णय लेंगे, यह सोमवार को ही पता चलेगा।
मगर, दीपक जोशी प्रकरण के बहाने कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब बात-बेबात में आंदोलन पर उतारू रहने वाले कर्मचारी संगठनों और कर्मचारियों की छोटी-मोटी व जायज समस्याओं की अनदेखी करने वाले नौकरशाहों को देना ही चाहिए। इन सवालों पर बात करने से पहले यहां केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की वर्ष 2016 की एक रिपोर्ट की चर्चा करना प्रासंगिक होगा। रिपोर्ट वर्ष 2016 में देश भर में हुए विभिन्न आंदोलनों पर आधारित थी। रिपोर्ट में आंदोलनों के मामले में उत्तराखंड ने देश के बड़े राज्यों को पछाड़ कर पहले स्थान पर कब्जा जमा लिया था। दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक कर्मचारियों के ताबड़तोड़ आंदोलन ने राज्य को देश में पहले स्थान पर पहुंचा दिया था। कर्मचारियों के आंदोलन ने राजनीतिक व छात्र आंदोलनों को भी कोसों दूर छोड़ दिया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में उत्तराखंड के कर्मचारी सर्वाधिक असंतुष्ट दिख रहे थे। यह आकड़ें भले वर्ष 2016 के हों। मगर परिस्थितियों में आज भी कोई अंतर नहीं है।
अब सवालों की बात करते हैं। शासन ने दीपक जोशी के विरुद्ध उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली- 2002 के विभिन्न नियमों के तहत जाँच शुरू की है। यह नियमावली सरकारी कार्मिकों हेतु सरकारी सेवक के तौर पर उन्हें ईमानदारी व सत्यनिष्ठा के साथ पदीय कर्तव्यों के निर्वहन के लिए एक ‘आचार संहिता’ है। आम तौर पर नियमावली के अधिकांश प्राविधानों का न तो कार्मिक पालन करते हैं और न ही सरकार इस मामले में सख्ती बरतती है। शासन ने जोशी को नियमावली के तमाम नियमों के तहत आरोप पत्र जारी किया है। जिसके बचाव में कर्मचारी संगठनो की और से यह तर्क दिया जा रहा है कि जोशी ने एक कर्मचारी संगठन के नेता के रूप में अपनी अपने वक्तव्य दिए हैं और एक संगठन के नेता के रूप में उन्हें यह अधिकार हासिल है।

मगर, ऐसे तर्क देने वालों से ये सवाल पूछा जाना जरुरी है कि क्या कर्मचारी नेता होने के नाते किसी को भी अपनी मांगों या समस्याओं से इतर जाकर कुछ भी बोलने का अधिकार मिल जाता है ? शासन द्वारा जोशी को दिए गए आरोप पत्र में क्या-क्या बिंदु शामिल किये गए हैं, यह पता नहीं चल सका है। मगर उनका उत्तराखंड को केंद्र शासित प्रदेश बनाये जाने की मांग को लेकर दिया गया बयान काफी चर्चाओं में रहा था। यह बयान सीधे-सीधे कर्मचारी आचरण नियमावली के बिलकुल विपरीत तो है ही, साथ ही यह भी सवाल खड़ा कर रहा है की ऐसे बयानों का कर्मचारी संगठनों की मांग से क्या सम्बन्ध है? अथवा यह बयान किसी राजनीति से प्रेरित से है ?
प्रदेश में कर्मचारी संगठनों की बात की जाए तो कई प्रमुख कर्मचारी संगठनों में सेवानिवृत कर्मचारी कमान संभाले हुए हैं। यह कर्मचारी संगठनों के लिए तय मानकों के विपरीत है। मगर इसके बावजूद लगातार ऐसा चल रहा है तो इसके पीछे क्या कारण है ? क्या यह कर्मचारी संगठनों की मंशा पर सवाल उठाने के लिए काफी नही है ? कर्मचारी संगठन आंदोलनों के बल पर प्रदेश की सरकारों को वोट बैंक के दवाब में लेकर अपनी जायज-नाजायज मांगों को मनवाने में भले ही सफल हो जाते हों। मगर उनकी हड़ताल पर हड़ताल से प्रदेश के विकास पर जो दुष्प्रभाव पड़ता है, उसकी भरपाई शायद ही कभी हो सकेगी। ऐसे में यह एक बड़ा सवाल है कि हड़ताली प्रदेश की छवि से कब मुक्त होगा उत्तराखंड ?
बहरहाल, प्रदेश में कर्मचारियों के लगातार आंदोलन के पीछे अफसरशाही भी कम दोषी नहीं है। उदाहरण के तौर पर पदोन्नति की बात की जाए। अफसरों की पदोन्नति में एक दिन का भी विलंब नहीं होता है। इसके विपरीत तमाम कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत हो जाते हैं। कर्मचारियों की पदोन्नति की फाइल विभागों व सचिवालय की अंधेरी गलियों में गुम हो जाती हैं। यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि यदि अधिकांश कर्मचारियों को तय समय पर पदोन्नति दे दी जाए, तो इससे सरकार पर किसी प्रकार का वित्तीय भार भी नहीं पड़ता है, क्योंकि अधिकांश कार्मिक पदोन्नति पर जाने वाले पद के अनुरूप वेतन ले रहे होते हैं। उनके लिए पदोन्नति एक सम्मान होता है, जो कार्मिकों की कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रदेश सचिवालय की कार्यप्रणाली को चुस्त-दुरस्त करने और कार्मिकों के रवैये में सुधार लाने के लिए पिछले दिनों कई सख्त फैसले लेने पड़े थे। मगर सचिवालय के कुछ कार्मिकों ने तो शायद यह ठान रखी है कि चाहे कुछ भी हो जाए, वो सुधरेंगे नहीं। वर्तमान में एक प्रकरण वन विभाग से जुड़ा हुआ सामने आया है, जिसमें वन अनुभाग के कार्मिकों की गैर जिम्मेदाराना हरकत के कारण शासन की फजीहत हो गयी। वन अनुभाग के कार्मिकों ने उत्तराखंड वन निगम में प्रतिनियुक्ति से संबंधित एक मामले के आदेश की प्रति प्रमुख सचिव के हस्ताक्षर हुए बिना ‘लीक’ कर दी।
दरअसल, मई माह में उत्तराखंड वन विकास निगम के के प्रबंध निदेशक मोनिष मल्लिक ने प्रदेश के मुख्य वन सरंक्षक, मानव संसाधन विकास एवं कार्मिक प्रबंधन मनोज चंद्रन को एक पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने वन निगम में विभिन्न अधिकारियों के सेवानिवृत होने के फलस्वरूप रिक्त पड़े पदों के कार्य संचालन में हो रही कठिनाइयों का उल्लेख किया और वन विभाग से 10 राजि अधिकारी स्तर के कार्मिकों को प्रतिनियुक्ति पर भेजने का अनुरोध किया।
वन निगम के पत्र पर तत्काल कार्रवाई करते हुए मनोज चंद्रन ने मुख्य वन सरंक्षक, गढ़वाल और कुमायूं को निगम के पत्र का हवाला देते हुए प्रतिनियुक्ति हेतु वन क्षेत्राधिकारियों, प्रभारी वन क्षेत्राधिकारियों तथा वरिष्ठ उप वन क्षेत्राधिकारियों से आवेदन पत्र एक निर्धारित प्रारूप पर भेजने को कहा। इस क्रम में इच्छुक कार्मिकों द्वारा विभागीय माध्यम से अपने आवेदन पत्र भेज दिए गए। वन मुख्यालय ने अपने स्तर से आवश्यक कार्रवाई कर इस प्रकरण को शासन को भेज दिया।
मामला तब चर्चा में आया, जब विभागीय मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के अनुमोदन के बाद फाइल वापस सचिवालय में पहुंची। सचिवालय पहुंचते ही फाइल से प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले कार्मिकों के आदेश की प्रति वन विभाग व वन निगम के कार्मिकों के व्हाट्सएप पर घूमने लगी। मजेदार बात ये है कि इस आदेश पर विभाग के प्रमुख सचिव के हस्ताक्षर भी नहीं हुए थे।


वन निगम के कार्मिकों को आदेश की जानकारी लगने पर उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया। वन निगम के जूनियर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने तर्क दिया की वन विभाग से जिन कार्मिकों को प्रतिनियुक्ति पर लिया जा रहा है, वो कनिष्ठ श्रेणी के हैं और उनको निगम में वरिष्ठ श्रेणी के पदों पर तैनाती देना उचित नहीं होगा। उन्होंने इस संबंध में प्रमुख सचिव (वन) आनंद वर्धन को अपना लिखित ज्ञापन भी सौंपा।
प्रमुख सचिव आनंद वर्धन ने विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बावजूद आदेश को जारी होने से रोक दिया और इस पर वन निगम के प्रबंध निदेशक मल्लिक से आख्या मांगी। प्रबंध निदेशक ने निगम के कार्मिकों की मांग के अनुरूप अपनी आख्या शासन को भेज दी। प्रबंध निदेशक की आख्या के बाद प्रमुख सचिव आनंद वर्धन ने शुक्रवार को वन क्षेत्राधिकारी स्तर के पांच कार्मिकों को प्रतिनियुक्ति पर भेजने की स्वीकृति दे दी।
इधर, वन विभाग के कार्मिकों का कहना है इस मामले में वन निगम के कार्मिकों का विरोध औचित्यहीन है। वन निगम में प्रतिनियुक्ति हेतु जिस स्तर के कार्मिक मांगे गए थे, उनके विभाग के कार्मिक उस लिहाज से कहीं कनिष्ठ नहीं हैं। वन निगम में स्केलर पद से पदोन्नति पाए कर्मचारी वरिष्ठ पदों पर कब्ज़ा जमाए हुए हैं और प्रभारी के रूप में चार्ज लिए हुए हैं। वन विभाग के वन क्षेत्राधिकारी, प्रभारी वन क्षेत्राधिकारी तथा वरिष्ठ उप वन क्षेत्राधिकारियों की वरिष्ठता व वेतनमान में प्रतिनियुक्ति हेतु मांगे गए पद में बहुत अंतर नहीं है।
बहरहाल, यह प्रकरण वन विभाग व वन निगम के कार्मिकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। सवाल उठ रहा है कि क्या जब प्रतिनियुक्ति के लिए नियम तय किये गए, तब विभागीय अधिकारियों और शासन को वरिष्ठता-कनिष्ठता का पता नहीं था? या फिर वन निगम के प्रबंधक निदेशक अपने कर्मचारी संगठन के दवाब में आ गए ? जब फाइल शासन में विभिन्न स्तरों पर गुजरी तब भी किसी स्तर पर आपत्ति क्यों नहीं लगाई गई ? सवाल यह भी हो रहा है कि विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद क्या विभागीय प्रमुख सचिव मामले में आपत्ति लगा सकते हैं ? और सबसे बड़ा सवाल कि सचिवालय के जिन कार्मिकों ने बिना हस्ताक्षरों के आदेश को लीक कर शासन की गोपनीयता भंग की और इस मामले को विवादित बना दिया, उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई होगी ?
भारत-चीन सीमा विवाद की तनातनी के बीच शुक्रवार को भारतीय वायु सेना की सेंट्रल एयर कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (AOC-in-C) एयर मार्शल राजेश कुमार ने शुक्रवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भेंट की। उन्होंने चीन सीमा से जुड़े उत्तराखंड में सामरिक महत्व के दृष्टिगत वायु सेना की विभिन्न गतिविधियों के संचालन के लिए भूमि की व्यवस्था के संबंध में मुख्यमंत्री से चर्चा की।
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार एयर मार्शल राजेश कुमार ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री से पंतनगर, जौलीग्रान्ट व पिथौरागढ़ हवाई अड्डे के विस्तार के साथ ही चौखुटिया में एयरपोर्ट हेतु भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि देश के उत्तर पूर्व क्षेत्र की भांति, उत्तराखण्ड के चमोली, पिथौरागढ़ तथा उत्तरकाशी क्षेत्र में रडार की स्थापना हेतु भूमि की उपलब्धता होने से सुविधा रहेगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में उत्तराखण्ड जैसे सीमांत क्षेत्र में उपयुक्त स्थलों पर रडार एवं एयर स्ट्रिप की सुविधा जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने वायु सेना की अपेक्षानुसार उत्तराखण्ड में भूमि की उपलब्धता के लिये एयर फोर्स एवं शासन स्तर पर नोडल अधिकारी नामित करने के निर्देश दिये। ये अधिकारी संयुक्त रूप से आवश्यकतानुसार भूमि चिन्हीकरण आदि के संबंध में त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड सैनिक बाहुल्य प्रदेश है। सेना को सम्मान देना यहां के निवासियों की परम्परा रही है। सैन्य गतिविधियों के लिये भूमि की उपलब्धता के लिये राज्य वासियों का सदैव सहयोगात्मक रवैया रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंतनगर एयरपोर्ट को ग्रीन फील्ड एयर पोर्ट तथा जौलीग्रांट को अंतराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से युक्त बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी चौखुटिया में एयर पोर्ट के निर्माण हेतु सैन्य अधिकारियों ने उस स्थान को उपयुक्त बताया गया था। उन्होंने कहा कि राज्य में एयर फोर्स को उसकी गतिविधियों के संचालन हेतु भूमि की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित की जायेगी।
इस अवसर पर प्रदेश के नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर, राजस्व सचिव सुशील कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव नागरिक उड्डयन आशीष चौहान, एयर कमोडोर एस.के. मिश्रा, विंग कमांडर डी.एस जग्गी आदि उपस्थित थे।
उत्तराखंड भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 70 वें जन्मदिन को सेवा सप्ताह के रूप में मनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस क्रम में बुधवार को पार्टी के राष्ट्रीय सह-महामंत्री (संगठन) शिव प्रकाश ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों, सांसदों, मंत्रियों, विधायकों, सरकार में विभिन्न निगमों-बोर्डों के अध्यक्ष व उपाध्यक्षों और संगठन के जिलाध्यक्षों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद स्थापित किया।
राष्ट्रीय सह-महामंत्री (संगठन) शिव प्रकाश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनीति में एक नये युग की शुरुआत की है। मोदी ने विकासपरक राजनीति की अवधारणा को जन्म दिया है और राजनीति को समाज सेवा से जोड़ कर उसमें गुणात्मक परिवर्तन करके दिखाया है।

उन्होंने कहा कि 17 सितम्बर को प्रधानमंत्री मोदी का 70 वां जन्मदिवस है। उनके जन्मदिवस को देखते हुए भाजपा ने 14 से 20 सितंबर तक सेवा सप्ताह के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस दौरान प्रदेश से लेकर जिला, मंडल व बूथ स्तर तक कोविड-19 के मानकों का पालन करते हुए कार्यक्रम आयोजित करने हैं।
उन्होंने कहा कि सेवा सप्ताह के प्रथम दिन दिव्यांगों को कृत्रिम अंग वितरण, दूसरे दिन गरीबों व अस्पतालों में मरीजों को फल वितरण, तीसरे दिन भाजपा युवा मोर्चा की ओर से रक्तदान व प्लाज्मा डोनेशन कैम्प लगाकर कोरोना की लड़ाई में सहभाग करने का कार्यक्रम आयोजित करने को कहा। सप्ताह के चौथे दिन वृक्षारोपण, पांचवे दिन प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण, छठे दिन स्वच्छता कार्यक्रम और अंतिम दिन मोदी सरकार की उपलब्धियों का सोशल मीडिया के माध्यम से जनता में व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए योजना बनाकर क्रियान्वित करने को कहा।

इसके साथ उन्होंने 25 सितम्बर को एकात्म मानववाद के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती को बूथ स्तर पर तक आयोजित किए जाने की बात कही। उन्होंने बताया कि पार्टी ने पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती 25 सितम्बर से महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री की जयंती 2 अक्टूबर तक आत्मनिर्भर भारत सप्ताह के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए उन्होंने कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाकर प्रदेश भर में कार्यक्रम आयोजित करने को कहा। उन्होंने कहा कि इन सभी कार्यक्रमों में कार्यकर्ताओं से लेकर विधायक,सांसद व मंत्रियों तक की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित होनी चाहिए ।
इस अवसर पर प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार ने पार्टी के आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की और सभी कार्यकर्ताओं से कार्यक्रमों की सफलता के लिए जुटने की अपील की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा श्री बदरीनाथ धाम के प्रस्तावित मास्टर प्लान का प्रस्तुतीकरण किया गया। साथ ही श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की जानकारी भी प्रधानमंत्री को दी गई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने निर्देश दिए कि बद्रीनाथ धाम की आध्यात्मिकता व पौराणिकता बरकरार रखते हुए इसे स्पिरिचुअल सिटी के रूप में विकसित किया जाए।

वीडियो कांफ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम के प्रस्तावित मास्टर प्लान में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि वहां का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व बना रहे। बद्रीनाथ धाम को मिनी स्मार्ट व स्पिरीचुअल सिटी के रूप में विकसित किया जाए। वहां होम स्टे भी विकसित जा सकते हैं। निकटवर्ती अन्य आध्यात्मिक स्थलों को भी इससे जोड़ा जाए। बदरीनाथ धाम के प्रवेश स्थल पर विशेष लाइटिंग की व्यवस्था हो जो आध्यात्मिक वातावरण के अनुरूप हो। मास्टर प्लान का स्वरूप पर्यटन पर आधारित न हो बल्कि पूर्ण रूप से आध्यात्मिक हो। प्रधानमंत्री ने श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम व श्री केदारनाथ धाम के विकास कार्यों में स्थानीय लोगों का सहयोग मिल रहा है। निकटवर्ती गांवों में होम स्टे पर काम किया जा रहा है। सरस्वती व अलकनंदा के संगम स्थल केशवप्रयाग को भी विकसित किया जा सकता है। बदरीनाथ धाम में व्यास व गणेश गुफा का विशेष महत्व है। इनके पौराणिक महत्व की जानकारी भी श्रद्धालुओं को मिलनी चाहिए। बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर काम करने में भूमि की समस्या नहीं होगी। केदारनाथ की तरह बद्रीनाथ में भी 12 महीने कार्य किए जाएंगे।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना और चारधाम राजमार्ग परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। इससे श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा काफी सुविधाजनक हो जाएगी।
श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान का प्रस्तुतीकरण करते हुए अधिकारियों ने बताया कि इसमें 85 हैक्टेयर क्षेत्र लिया गया है। देवदर्शिनी स्थल विकसित किया जाएगा। एक संग्रहालय व आर्ट गैलेरी भी बनाई जाएगी। दृश्य एवं श्रव्य माध्यम से दशावतार के बारे में जानकारी दी जाएगी। बदरीनाथ मास्टर प्लान को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मास्टर प्लान को पर्वतीय परिवेश के अनुकूल बनाया गया है।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि आदि शंकराचार्य जी के समाधि स्थल का काम तेजी से चल रहा है। सरस्वती घाट पर आस्था पथ का काम पूरा हो गया है। दो ध्यान गुफाओं का काम इस माह के अंत तक पूर्ण हो जाएगा। ब्रह्म कमल की नर्सरी के लिए स्थान चिन्हित कर लिया गया है। नर्सरी के लिए बीज एकत्रीकरण का कार्य किया जा रहा है। गरुड़ चट्टी में ब्रिज का पुनर्निर्माण कर लिया गया है।
उत्तराखंड सरकार टिहरी बांध झील को विश्वस्तरीय पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने में लगातार जुटी हुई है। सरकार की कोशिश है कि इसे नए पर्यटक स्थल के रूप में तैयार कर यहां साल भर पर्यटक गतिविधियां संचालित हों।
इस क्रम में सोमवार को मुख्य सचिव ओम प्रकाश की अध्यक्षता में सचिवालय में टिहरी जलाशय के चारों ओर प्रस्तावित रिंग रोड के निर्माण के सम्बन्ध में बैठक हुई। बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि यह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की घोषणाओं में सम्मिलित एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। उन्होंने इस सम्बन्ध में फीजिबिलिटी स्टडी एवं वायबिलिटी स्टडी शीघ्र करवा कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि टिहरी झील को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल बनाने के लिए सभी सम्बन्धित विभागों को हर सम्भव प्रयास करने होंगे।

बैठक में सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि टिहरी बाँध जलाशय लगभग 42 वर्ग कि.मी. में विस्तारित है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित रिंग रोड की कुल लम्बाई 234.60 कि.मी. है। टिहरी झील को देखने के लिए वर्षभर देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। रिंग रोड के निर्माण सहित जलाशय के चारों ओर पर्यटन विकास हेतु आवश्यक मूलभूत ढांचागत सुविधाओं के विकास से इस क्षेत्र के आस-पास के कई गांव तथा आबादी क्षेत्र प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे। यह रिंग रोड भविष्य में पर्यटन को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में कारगर सिद्ध होगी।

उल्लेखनीय है, कि वर्ष 2018 में त्रिवेंद्र सरकार टिहरी में फ्लोटिंग मरीना में बैठ कर झील में प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित कर चुकी है। बैठक में सरकार ने पर्यटन गतिविधियों को उद्योग का दर्जा देने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। टिहरी झील के ऊपर कैबिनेट बैठक करने के पीछे प्रदेश सरकार की मंशा इसे एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की थी।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओमप्रकाश व पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने शनिवार को केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने शंकराचार्य समाधि, दिव्यशिला से समाधि तक पैसेज मार्ग, एमआई-26 हेलीपैड और सरस्वती व मन्दाकिनी घाट आदि का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कार्यदायी संस्थाओं को कार्य मे तेजी लाने व गुणवत्ता परक कार्य कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हर हाल में तय समय सीमा के भीतर पुनर्निर्माण कार्य पूर्ण किए जाए। उन्होंने एमआई-26 हेलिपैड पर क्षतिग्रस्त गढ़वाल मंडल विकास निगम के कॉटेज को 10 दिन के भीतर हटाने के निर्देश लोक निर्माण विभाग को दिए। एमआई-26 हेलीपेड वर्तमान में 50×40 आकार का है, जिसका विस्तारीकरण वायु सेना के चिनूक हेलीकाप्टर हेतु 50×100 का किया जाना है। चिनूक हेलीकाप्टर के जरिए केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों के लिए भारी सामान पहुंचाया जाना है।

मुख्य सचिव ने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमऐ) द्वारा गरुड़चट्टी तक पहुंचने के लिए बनाये जा रहे पुल का निर्माण भी हर हाल में 31 दिसंबर तक करने के निर्देश दिए। केदारनाथ में जिंदल ग्रुप द्वारा तीर्थ पुरोहितों के 05 भवन निर्माण किये जाने थे, जिसमें से 02 भवनों को पूर्ण कर जिला प्रशासन को सौप दिए गए हैं। उन्होंने अवशेष भवनों को 15 अक्टूबर तक पूर्ण कर जिला प्रशासन को सौंपने के निर्देश दिए। साथ ही ध्यान गुफा के लंबित कार्यों को भी तय समय के भीतर पूर्ण करने को कहा। इस अवसर पर जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग वंदना समेत विभिन विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।