सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद राजस्व उपनिरीक्षक नागचन्द को किया गया निलंबित
देहरादून — देहरादून जिले के त्यूनी तहसील परिसर में जुआ खेलते हुए राजस्व कर्मियों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जिलाधिकारी सविन बंसल ने त्वरित संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई की है। जांच में दोषी पाए गए राजस्व उपनिरीक्षक नागचन्द को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
वायरल वीडियो में तहसील त्यूनी परिसर के मुख्य द्वार पर कुछ राजस्व कर्मी ताश खेलते हुए नजर आ रहे थे। इस वीडियो की पुष्टि के लिए जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारी चकराता, कालसी और त्यूनी से संयुक्त रूप से जांच कराई। जांच में यह पाया गया कि राजस्व उपनिरीक्षक नागचन्द, क्षेत्र रायगी, जुए में मुख्य रूप से शामिल थे।
प्रकरण को गंभीर मानते हुए जिलाधिकारी ने नागचन्द को उत्तराखण्ड राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली का उल्लंघन करने का दोषी पाया और तत्काल प्रभाव से निलंबन के आदेश जारी किए। निलंबन अवधि के दौरान उन्हें तहसीलदार चकराता के कार्यालय से सम्बद्ध किया गया है।
साथ ही, तहसीलदार त्यूनी को मामले की विस्तृत जांच का जिम्मा सौंपा गया है ताकि अन्य संभावित संलिप्त कर्मियों की भूमिका का भी खुलासा किया जा सके।
यह कार्रवाई प्रशासन की शून्य सहनशीलता नीति और अनुशासनहीनता के प्रति स्पष्ट संदेश मानी जा रही है।
मुख्य सचिव ने STF को सौंपी जिम्मेदारी, नशे के खिलाफ कार्रवाई के पूरे अधिकार
देहरादून। मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में राष्ट्रीय नार्काे समन्वय पोर्टल (एन्कॉर्ड) की बैठक ली। मुख्य सचिव ने प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में युवाओं में बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति पर गहरी चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने युवाओं पर नशे के बढ़ते प्रकोप पर काबू करने के लिए कड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए डीएम एसएसपी को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
मुख्य सचिव ने नशे की बिक्री को रोकने के लिए प्रवर्तन को बढ़ाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नशे को रोकने के लिए पुलिस विभाग को कड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने इसके लिए एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह को नशे के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने हेतु पूरी छूट देते हुए सिंगल पॉइन्ट नोडल अधिकारी नामित किया। उन्होंने कहा कि नशे की जड़ों को काटने के लिए उन्हें जो भी आवश्यकता है, उपलब्ध करायी जाएगी। उन्होंने कहा कि नशे के लिए बने इस ईको सिस्टम को तोड़ने के लिए पूरे प्रदेश में एक साथ अभियान चलाया जाए, जिसमें प्रत्येक सम्बन्धित विभाग को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को ड्रग इंस्पेक्टर को भी इस अभियान में शामिल किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि डिमांड और सप्लाइ की चैन को तोड़ने में प्रत्येक अधिकारी को अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभानी होगी। सही तरीके से काम नहीं कर पा रहे अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय की जाए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि सभी जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक अपने जनपदों में शिक्षण संस्थानों और हॉस्टल आदि के प्रमुखों से वार्ता कर उन्हें अपने संस्थानों में मेडिकल टेस्ट करने हेतु राजी करें। उन्होंने कहा कि इसके लिए उपकरण एवं टेस्ट मैटीरियल की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग की ओर से की जाएगी। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को भी इसमें सहयोग करने की आवश्यकता है। उन्होेंने विद्यार्थियों का मेडिकल टेस्ट कराए जाने हेतु लगातार अभियान चलाए जाने की बात कही।
मुख्य सचिव ने वृहद स्तर पर राज्य एवं जनपदों में जागरूकता अभियान संचालित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने इसके लिए गृह विभाग, सूचना विभाग, उच्च शिक्षा, विद्यालयी शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग को एक दिन निर्धारित करते हुए वृहद स्तर पर जागरूकता अभियान संचालित किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि जागरूकता गतिविधियों में सोशल मीडिया एवं सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर को भी शामिल किया जाए। प्रदेश भर में लगातार इस प्रकार के जागरूकता अभियान संचालित किए जाएं।
मुख्य सचिव ने कहा कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण एवं जिला स्तरीय समन्वय समिति की प्रत्येक माह बैठकें आयोजित करायी जाएं। उन्होंने प्रदेश में संचालित हो रहे सरकारी नशा मुक्ति केन्द्रों एवं मानसिक स्वास्थ्य केन्द्रों की क्षमता बढ़ाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उपयोग में नहीं आ रहे सरकारी भवनों को भी नशा मुक्ति एवं मानसिक स्वास्थ्य केन्द्रों के रूप में संचालित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रायवाला में ओल्ड एज होम के लिए बनाए गए भवन सहित अन्य तैयार हो चुके भवनों में अगले एक माह में नशा मुक्ति केन्द्र शुरू किए जाएं। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को अपने-अपने जनपदों में खाली पड़े सरकारी भवनों की रिपोर्ट तैयार कर शासन को उपलब्ध कराए जाने के भी निर्देश दिए, ताकि इन भवनों में आवश्यकता के अनुसार अन्य जनहित के कार्य शुरू किए जा सकें।
मुख्य सचिव ने प्रदेश में संचालित हो रहे प्राईवेट नशामुक्ति केन्द्रों का भौतिक निरीक्षण किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जो प्राईवेट संस्थान मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं, उन पर नियमानुसार कार्यवाही की जाए। उन्होंने कहा कि नशे की गिरफ्त में आ चुके युवाओं को सकारात्मक गतिविधियों से जोड़े जाने की आवश्यकता है, ताकि वे जल्दी से जल्दी अपनी नशे की लत को छोड़ सकें।
मुख्य सचिव ने कहा कि एनसीसी, एनएसएस और महिला मंगल दलों को भी नशे के खिलाफ लड़ाई में शामिल किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों में वार्षिक हेल्थ चैकअप को बढ़ावा दिया जाए।
इस अवसर पर सचिव शैलेश बगोली, डॉ. आर. राजेश कुमार, डॉ. रंजीत सिन्हा, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर डॉ. वी. मुरूगेशन, आईजी लॉ नीलेश भरने, अपर सचिव गृह श्रीमती निवेदिता कुकरेती, अपर सचिव श्रीमती रंजना राजगुरू एवं एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
देहरादून। प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्व, संस्कृति, लोकनिर्माण, सिंचाई, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण एवं जलागम, मंत्री सतपाल महाराज ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से शिष्टाचार भेंट कर प्रदेश के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्व, संस्कृति, लोक निर्माण, सिंचाई, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण एवं जलागम, मंत्री सतपाल महाराज ने गुरुवार को एफआईआर में पहुंच कर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से शिष्टाचार भेंट की इस दौरान उन्होंने प्रदेश के विभिन्न मुद्दों सहित राज्य में निर्माणाधीन सड़कों की कनेक्टिविटी में वन विभाग के द्वारा आ रही दिक्कतों पर चर्चा करने के साथ-साथ बाधाओं को भी दूर करने का भी उनसे अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री जनपदों में आयोजित होने वाले तहसील एवं थाना दिवस के दौरान किसी एक जनपद में औचक रूप से होंगे शामिल
राज्य में सबसे पहले टीबी मुक्त होने वाले तीन जनपदों को किया जाएगा सम्मानित
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सीएम हेल्पलाइन 1905 में 180 दिन से अधिक समय से लंबित शिकायतों के समाधान के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। 06 माह से अधिक लंबित शिकायतों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि प्रकरणों का समयबद्धता से निस्तारण नहीं करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होने अनावश्यक रूप से जन शिकायतें फोर्स क्लोज न किये जाने के निर्देश देते हुए कहा कि सीएम हेल्पलाइन को राज्य की बेस्ट प्रैक्टिस में लाने के लिए और प्रभावी प्रयास किए जाएं।
गुरूवार को सचिवालय में सीएम हेल्पलाइन 1905 के समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि एक दिन पूरे राज्य में तहसील दिवस का आयोजन किया जाए। मुख्यमंत्री तहसील दिवस के दिन किसी एक जनपद में औचक रूप से प्रतिभाग करेंगे। इसी तरह एक दिन पूरे राज्य में थाना दिवस का आयोजन भी किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि जन समस्याओं के शीघ्र निस्तारण के लिए जनता दर्शन, तहसील दिवस और बीडीसी का नियमित आयोजन किया जाए। पुलिस और प्रशासन द्वारा मिलकर अतिक्रमण और वेरिफिकेशन अभियान और प्रभावी रूप से चलाए जाएं। प्रत्येक जनपद में दो-दो गांवों को आदर्श ग्राम बनाने की दिशा में तेजी से कार्य किए जाएं, इसके लिए सभी जनपदों में शीघ्र नोडल अधिकारी बनाए जाएं।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश में जहां भी बिजली के पोल और ट्रांसफार्मर की स्थिति खराब है, उन्हें शीघ्र बदला जाए। सभी ट्रांसफार्मरों का सेफ्टी ऑडिट भी किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि कहीं कम वोल्टेज और बिजली के तार लटकने की समस्या न आए, ऐसे प्रकरण पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने सभी प्राधिकरणों से जुड़े अधिकारियों को निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि लोगों के घरों के नक्शे पास करने में पेंडेंसी न हो। उन्होंने कहा कि सबसे पहले टीबी मुक्त होने वाले तीन जनपदों को सम्मानित किया जाएगा।
सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतों के निस्तारण में अच्छा कार्य करने पर मुख्यमंत्री ने परिवहन, कृषि, समाज कल्याण, आबकारी एवं ऊर्जा विभाग की सराहना की। लोक निर्माण विभाग, भू-विज्ञान और खनन, राजस्व, गृह एवं वित्त विभाग को शिकायतों के निवारण में और तेजी लाने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए। सीएम हेल्पलाइन में पेयजल, स्ट्रीट लाइट के रख-रखाव, जल जीवन मिशन के तहत कनेक्शन, बिजली कटौती और बिजली के बिल से संबंधित शिकायतें अधिक आ रही हैं।
मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान सीएम हेल्पलाइन के शिकायतकर्ताओं से बात भी की। उत्तरकाशी के उपेन्द्र सिंह रावत की पेयजल लाइन की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी उत्तरकाशी को एक सप्ताह के अंदर उनकी समस्या का समाधान करवाने के निर्देश दिए। हरिद्वार से आलम ने स्ट्रीट लाइट से संबंधित शिकायत की थी, उनकी समस्या का समाधान हो चुका है। देहरादून के हृदेश नेगी ने कहा कि उनकी पुलिया के निर्माण संबंधी शिकायत पर कार्य शुरू हो चुका है। चमोली के गौरव नौटियाल की पेयजल संबंधी शिकायत का भी समाधान हो चुका है। नैनीताल से देवेंद्र ने कम वोल्टेज की शिकायत का भी समाधान किया जा चुका है।
बैठक में उत्तराखंड अवस्थापना अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष विश्वास डाबर, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, डीजीपी दीपम सेठ, सचिवगण, अपर सचिवगण, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष और वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।
हल्द्वानी में तीन आंगनबाड़ी केंद्रों के नवनिर्मित भवनों का लोकार्पण किया
हल्द्वानी। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने गुरुवार को हल्द्वानी नगर क्षेत्र में तीन आंगनबाड़ी केंद्रों के नवनिर्मित भवनों का लोकार्पण किया।
यह आंगनबाड़ी केंद्र हल्द्वानी नगर निगम क्षेत्र में राजेंद्र नगर प्रथम (राजपुरा), सुभाष नगर चतुर्थ और दमुवाढूंगा मल्ली बमौरी में बनाए गए हैं। इनमें प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र भवन की लागत 18.57 लाख रुपए आई है।
इस अवसर पर महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र कोई सामान्य भवन नहीं है बल्कि बच्चों को स्वस्थ, शिक्षित और संस्कारी बनाकर उत्तराखंड के भविष्य को संवारने का माध्यम भी है। उन्होंने कहा कि बच्चों को उचित पोषण और शिक्षा देने की शुरुआती जिम्मेदारी आंगनबाड़ी केदो पर ही है। अगर बच्चों का बचपन स्वस्थ रहेगा तो प्रदेश को ज्यादा कुशल मानव संसाधन उपलब्ध होगा।
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि हाल ही में 7000 से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की नियुक्ति होने के बाद निश्चित रूप से आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्य कुशलता में बढ़ोतरी होगी।
इस अवसर पर भाजपा अनुसूचित मोर्चा अध्यक्ष रविंद्र बाली, रजनी बाली, पार्षद प्रीति आर्या, भरत वल्दिया, हेमंत साहू, वीरेंद्र जायसवाल, हीरालाल साहू, पार्षद पंकज त्रिपाठी, पूर्व पार्षद राजेंद्र भाकुनी, पार्षद नेहा अधिकारी, दिनेश वर्मा, विक्रम अधिकारी आदि उपस्थित रहे।
एकल महिला स्वरोजगार योजना पर करें फोकस
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं से एकल महिला स्वरोजगार योजना के प्रचार पर फोकस करने को कहा। मंत्री ने कहा कि इस योजना के बारे में अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा पात्र महिलाओं तक इसकी जानकारी पहुंचाएं जिससे वह सरकारी सहायता प्राप्त करके अपना रोजगार खड़ा कर सके।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने छात्र संसद कार्यक्रम को किया सम्बोधित
देहरादून। प्रदेश के कृषि एवं कृषक कल्याण, सैनिक कल्याण एवं ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने जीरोऑर फाउंडेशन द्वारा आयोजित छात्र संसद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि जब भारत के युवा देश की नीतियों, शासन प्रणाली और समाज के निर्माण में रुचि लेने लगते हैं, तो देश की दिशा और दशा बदलनी शुरू हो जाती है। उन्होंने आहवान किया कि छात्र संसद भ्रमण के बाद उत्तराखण्ड से वापस लौटने के बाद उत्तराखंड से सिर्फ यादें नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण लेकर जाएं कि नीति, शासन और नवाचार सिर्फ किताबों में नहीं, जमीन पर भी ज़रूरी हैं।
वीरवार को देहरादून के एक निजी होटल में आयोजित कार्यक्रम में छात्र संसद इंडिया द्वारा आयोजित ‘नेशनल गवर्नेंस टूर’ में शामिल प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को सम्बोधित किया। इस भ्रमण यात्रा में देश भर के प्रमुख संस्थानों एवं प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के प्रतिभाशाली छात्र-छात्राएँ भाग ले रहे हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को नीति निर्माण, शासन प्रणाली और लोकतांत्रिक मूल्यों की गहराई से समझ देना है।
काबीना मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य है, यहाँ की भौगोलिक चुनौतियाँ, कृषि की विषमताएँ और रोजगार के अवसरों की सीमाएँ, सबकुछ हमें रचनात्मक और व्यावहारिक समाधान खोजने को प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा कि कृषि सिर्फ किसान की चिंता नहीं है यह राष्ट्र की आत्मनिर्भरता का आधार है और सीएम धामी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार पहाड़ी कृषि को जैविक, तकनीक-सम्मत और बाजार-उन्मुख बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि कौशल विकास केवल नौकरी के लिए नहीं, बल्कि रोजगार देने की शक्ति पैदा करने का माध्यम है। उन्होंने आहवान किया कि युवा ‘नौकरी खोजने वाले’ नहीं, ‘नौकरी देने वाले’ बनें। उन्होंने ग्राम्य विकास पर बल देते हुए कहा कि गांव भारत की शक्ति है और भारत का भविष्य शहरों में नहीं अपितु गांवों में बसता है।
इस अवसर पर जीरोऑर फाउंडेशन से कुनाल ठाकुर, मानस तिवारी, शशांक शेखर तिवारी, विधि शर्मा आदि उपस्थित रहे।
जिलाधिकारी की मॉनिटरिंग में हो रहा काम, बरसात से पहले कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य
देहरादून— जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देशों पर ऋषिकेश शहर में जलभराव की समस्या के स्थायी समाधान के लिए प्रशासन सक्रिय हो गया है। इसी क्रम में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिनव शाह ने आज अमित ग्राम गुमानीवाला क्षेत्र में लोनिवि (लोक निर्माण विभाग) द्वारा कराए जा रहे ड्रेनेज कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने कार्य की धीमी प्रगति पर नाराजगी जताते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी कार्य शीघ्रता से पूर्ण किए जाएं ताकि बरसात में आमजन को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने गत दिनों ऋषिकेश में भारी जलभराव की शिकायतों पर अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी स्थिति में शहर को जलमग्न न होने दिया जाए। उन्होंने मौके पर ही ड्रेनेज कार्यों के लिए बजट स्वीकृत करते हुए तुरंत खुदाई व सफाई शुरू कराने को कहा था।
मुख्य विकास अधिकारी ने निर्देशित किया कि गुमानीवाला चौक क्षेत्र में पुराने ह्यूम पाइप को हटाकर नया एलाइनमेंट तय किया जाए और पाइप की सफाई शीघ्र पूरी की जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिलाधिकारी स्वयं इन कार्यों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बरसात के दौरान जलजमाव की गंभीर समस्या को देखते हुए जिलाधिकारी ने जल निगम को भी ठोस योजना के साथ काम करने के निर्देश दिए हैं। नालियों की सफाई, पुनर्संरचना और जलनिकासी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए संयुक्त प्रयास किए जा रहे हैं।
निरीक्षण के दौरान लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता समेत अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
स्थानीय लोगों और पुलिस ने चलाया राहत अभियान
देहरादून। उत्तराखंड के कालसी-चकराता मोटर मार्ग पर एक दर्दनाक सड़क हादसा हो गया। जजरेड खड्ड के पास एक कार अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरी, जिसमें तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया।
स्थानीय लोगों ने तुरंत राहत-बचाव कार्य शुरू किया और घायल व्यक्ति को उप जिला अस्पताल विकासनगर पहुंचाया, जहां से उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। सूचना मिलने पर पुलिस और आपदा राहत दल मौके पर पहुंचे और मृतकों के शव खाई से बाहर निकालने का कार्य शुरू किया गया।
थाना प्रभारी कालसी दीपक धारीवाल ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि तीन लोगों की मृत्यु हो चुकी है और मृतकों की पहचान की प्रक्रिया जारी है। स्थानीय प्रशासन ने हादसे के कारणों की जांच शुरू कर दी है।
देहरादून। उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन में ‘कम्प्लीट वैल्यू चेन’ प्रणाली लागू होने से फेडरेशन की व्यावसायिक गतिविधियों में भारी सुधार देखने को मिला। फेडरेशन के द्वारा रेशम उत्पादन, धागा निर्माण, डिजाइनिंग, पैकेजिंग और विपणन पर फोकस करते हुये वित्तीय वर्ष 2024-25 में ‘दून सिल्क’ ब्रांड नाम से 2.34 करोड़ के रेशमी उत्पाद और धागों का विक्रय किया। जिससे फेडरेशन ने एक करोड़ से अधिक का शुद्ध लाभ कमाया, जो कि रेशम फेडरेशन की बड़ी उपलब्धि है।
सूबे के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन के चलते उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। रेशम फेडरेशन में कम्प्लीट वैल्यू चेन प्रणाली लागू होने से फेडरेशन की व्यावसायिक गतिविधियों को बल मिला, जिससे रेशमी उत्पादों के निर्माण व विक्रय में खासी वृद्धि हुई। इसके अलावा कम्प्लीट वैल्यू चेन के जरिये धागा निर्माण, डिजाइनिंग, पैकेजिंग और विपणन आदि क्षेत्रों पर भी फोकस किया गया। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि फेडरेशन के तहत विगत वर्ष 1500 किलो रेशम धागा का उत्पादन किया गया। इसके साथ ही बुनकरों, टिविस्टरों व समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर रेशम वस्त्रों का उत्पादन किया गया। जिन्हें फेडरेशन ने अपने ब्रांड ‘दून सिल्क’ के रिटेल काउंटरों पर बेचा गया। विभाग के मुताबिक पिछले वित्तीष वर्ष में फेरडेशन द्वारा लगभग 2.34 करोड़ के रेशमी उत्पाद व धागों का विक्रय किया गया, जिससे फेडरेशन ने एक करोड़ से अधिक का मुनाफा कमाया, जो कि फेडरेशन की बड़ी उपलब्धि है।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक फेडरेशन के माध्यम से प्रदेशभर में 6500 से अधिक शहतूती रेशन कीटपालक कीटपालन का काम कर रहे हैं, जिसमें से फेडरेशन के प्राथमिक सहाकारी समितियों के 80 फीसदी कीटपालकों के द्वारा प्रतिवर्ष 3 लाख किलो रेशम कोया उत्पादित किया जा रहा है। कम्प्लीट वेल्यू चेन प्रणाली के तहत सेलाकुई ग्रोथ सेंटर में कीटपालकों से क्रय कोया से रेशमी धागों का उत्पादन कर स्थानीय बुनकरों के माध्यम से हैण्डलूम, पावरलूम व अन्य बुनाई विधाओं से विभिन्न प्रकार के रेशमी वस्त्रों का उत्पादन किया जाता है, जिन्हें फेडरेशन के द्वारा दून सिल्क ब्रांड नाम से बाजार में बेचा जा रहा है। वर्तमान में फेडरेशन के तहत 5501 लाभार्थी काम कर रहे हैं, जिसमें 5030 कीटपालक, 286 बुनकर, 12 उत्पाद फिनिशिंग, 24 धागा उत्पादक, 38 सहकारी समितियां, 13 स्वयं सहायता समूह और 98 यार्न बैंक लाभान्वित बुनकर शामिल है। जिनके माध्यम से फेडरेशन उच्च गुणवत्ता के रेशमी धागे और रेशम वस्त्रों का उत्पादन किया जा रहा है।
फार्म टू फेब्रिक परियोजना
इस योजना के तहत फेडरेशन द्वारा जनपद देहरादून व हरिद्वार में 200 लाभार्थियों का चयन किया गया है। परियोजना के तहत शहतूती वृ़क्षारोपण से लेकर रेशम वस्त्रों का उत्पादन तक लाभार्थियों को सम्मिलित किया गया है। जिसमें लाभार्थियों को कीटपालन गृह निर्माण हेतु शत-प्रतिशत सब्सिडी के रूप में 1.12 लाख की धनराशि दी जा रही है, साथ ही वृ़क्षारोपण हेतु 300 पौध निःशुल्क उपलब्ध कराये जा रहे हैं। साथ ही चयनित लाभार्थियों को शतप्रतिशत आवश्यक कीटपालन उपकरण भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं। इस योजना का मकसद शहतूती वृक्षों का रोपण कर रेशम उत्पादन को बढ़ावा देना है।
वेस्ट से बेस्ट योजना
इस योजना के तहत धागाकरण के उपरांत खराब रेशम कोयों की खपत सुनिश्चित करना है और कटघई के माध्यम से हैण्ड स्पन धागे का उत्पादन करना है। जिससे एक ओर जहां फेडरेशन के उत्पादन प्रक्रिया में अनुपयोगी खराब रेशम कोयों को उपयोग में लाया जायेगा वहीं दूसरी ओर जनजातीय समुदायों की महिलाओं को रोजगार भी प्राप्त होगा। इससे प्राप्त होने वाले धागे से बने मफलर एवं मिश्रित शॉल का उत्पादन किया जायेगा, जिसकी बाजार में भारी डिमांड है।
बयान- उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन में कम्पलीट वेल्यू चेन प्रणाली लागू करने से फेडरेशन की व्यावसायिक गतिविधियां तेजी से बढ़ी है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में फेडरेशन द्वारा 2.34 करोड़ के रेशमी उत्पाद बेचे गये, जिससे फेडरेशन को एक करोड़ से अधिक का शुद्ध मुनाफा हुआ। यह उपलब्धि सहकारिता प्रणालियों को सशक्त बनाने को राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। – डॉ. धन सिंह रावत, सहकारिता मंत्री, उत्तराखंड।
देहरादून में एनएफडीसी और यूएफडीसी की संयुक्त कार्यशाला, नीतिगत सुधारों और प्रोत्साहन योजनाओं पर हुआ मंथन
देहरादून। उत्तराखंड को फिल्म निर्माण के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में आयोजित हुई एक दिवसीय कार्यशाला। सहस्त्रधारा रोड स्थित होटल में यह कार्यशाला नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NFDC) और उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद (UFDC) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई। कार्यशाला का विषय “उत्तराखंड में फिल्मिंग इकोसिस्टम के विकास” रखा गया।
कार्यशाला का शुभारंभ यूएफडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बंशीधर तिवारी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. नितिन उपाध्याय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार की फिल्म निदेशक सुश्री शिल्पा राव और एनएफडीसी के महाप्रबंधक अजय धोके द्वारा दीप प्रज्वलन द्वारा किया गया।
इस अवसर पर फिल्म उद्योग से जुड़े प्रमुख निर्माता, नीतिगत विशेषज्ञ, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और विभिन्न हितधारकों ने भाग लिया। चर्चा का केंद्र बिंदु राज्य में फिल्म निर्माण हेतु नीतिगत सुधार, अवसंरचना विकास और प्रतिभा संवर्धन रहा।
यूएफडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बंशीधर तिवारी ने कहा, “मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं भारत सरकार के मार्गदर्शन में उत्तराखंड को फ़िल्म निर्माण हब के रूप में स्थापित करने के प्रयास जारी हैं । यह कार्यशाला राज्य और केंद्र की नीतियों के बीच समन्वय स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बंशीधर तिवारी, महानिदेशक सूचना एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, UFDC ने कहा कि उत्तराखंड की फिल्म नीति क्षेत्रीय भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भी बनाई गई है। उन्होंने बताया, “अब क्षेत्रीय सिनेमा को दी जाने वाली सब्सिडी ₹25 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ तक कर दी गई है। इस नीति के तहत अब तक 20 से 25 गुणवत्तापूर्ण क्षेत्रीय फिल्में बन चुकी हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य के कम चर्चित स्थलों पर शूटिंग करने पर कुल फ़िल्म निर्माण लागत का 5% अतिरिक्त प्रोत्साहन सब्सिडी दी जाती है। साथ ही, उत्तराखंड में स्थानीय कलाकारों को काम देने वाले निर्माताओं को भी विशेष सब्सिडी दी जा रही है। राज्य में एकल स्क्रीन सिनेमा हॉल की स्थापना के लिए ₹25 लाख की एकमुश्त सब्सिडी की व्यवस्था भी की गई है, जिसका उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों में सिनेमा हॉल की संख्या बढ़ाना है। UFDC स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं, कलाकारों, संसाधनों और परिवहन सुविधाओं की एकीकृत सूची तैयार कर रहा है ताकि फिल्म निर्माताओं को राज्य में काम करने में आसानी हो।
उन्होंने बताया कि एनएफडीसी के सहयोग से राज्य का अपना फिल्म फेस्टिवल और उत्तराखंड राज्य फिल्म पुरस्कार शुरू करने पर गंभीरतापूर्वक कार्य किया जा रहा है। साथ ही, क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों को ओटीटी मंचों तक पहुंचाने के लिए प्रसार भारती के WAVES OTT से समन्वय स्थापित किया जाएगा। तिवारी ने यह भी बताया कि स्थानीय युवाओं के कौशल विकास हेतु नियमित रूप से कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
उन्होंने राज्य में फिल्म निर्माण से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारियों—जैसे शूटिंग लोकेशन, उपकरण, कलाकार, लॉजिस्टिक्स आदि—को एकीकृत करने हेतु एक समर्पित डिजिटल पोर्टल विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। “हम सभी सुझावों के लिए खुले हैं और उत्तराखंड को एक फिल्म-निर्माता अनुकूल गंतव्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं,” उन्होंने जोड़ा।
सुश्री शिल्पा राव, निदेशक (फिल्म्स), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार ने भारत को वैश्विक सिनेमा हब के रूप में विकसित करने की दिशा में गुणवत्तापूर्ण कंटेंट, प्रतिभा और तकनीक को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसीलिए भारत सरकार ने वेव्स समिट किया । वेव्स बाज़ार डॉट कॉम पर फ़िल्म निर्माण से जुड़े लोग अपने लिए अवसर देख सकते हैं। इंडियन सिने हब का एकीकृत पोर्टल फ़िल्म निर्माताओं के लिए वन स्टॉप सॉल्यूशन है। उन्होंने यह भी कहा कि आज मोबाइल स्क्रीन पर व्यक्तिगत रूप से फिल्में देखने का चलन बढ़ा है, ऐसे में समुदाय स्तर पर सामूहिक फिल्म प्रदर्शन की संस्कृति को पुनर्जीवित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कम लागत वाले सिनेमा हॉल को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है , जिससे ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में समुदाय-आधारित फिल्म देखना बढ़े।
महाप्रबंधक एनएफडीसी अजय ढोके ने एनएफडीसी के कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। बैठक में इंडियन सिने हब के अधिकारियों द्वारा भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली फ़िल्म सब्सिडी सहित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी ।
यूएफडीसी के संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. नितिन उपाध्याय ने उत्तराखंड की नवाचारपूर्ण फिल्म नीति पर एक विशेष प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने “प्रतिभा, प्रशिक्षण और तकनीक” को उत्तराखंड के फिल्म निर्माण मॉडल के तीन आधार स्तंभ बताते हुए कहा, “हम केवल बाहरी निर्माताओं को ही नहीं, बल्कि स्थानीय कहानीकारों और तकनीशियनों को भी मंच देना चाहते हैं जिससे क्षेत्रीय सिनेमा को नई ऊर्जा मिले।”
डॉ. उपाध्याय ने नीति के अंतर्गत उपलब्ध सुविधाओं जैसे उत्पादन सब्सिडी, लोकेशन पर सहयोग, फिल्म संस्थानों की स्थापना, मल्टीप्लेक्स और सिनेमा स्क्रीन के निर्माण, तथा वन एवं सार्वजनिक स्थलों पर फिल्मांकन के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस की भी जानकारी साझा की।
इंडिया सिने हब के सहायक वाईस प्रेसिडेंट राम कुमार विजयन ने ‘इंडियन सिने हब’ पोर्टल की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह मंच राज्य सरकारों, केंद्रीय एजेंसियों और स्थानीय नोडल अधिकारियों से अनुमतियाँ प्राप्त करने की प्रक्रिया को एकीकृत और सरल बनाता है। उन्होंने पोर्टल पर उपलब्ध समग्र संसाधन निर्देशिका की भी जानकारी दी।
कार्यशाला के समापन पर आयोजित प्रश्नोत्तर सत्र में प्रतिभागी फिल्म निर्माताओं और फ़िल्म निर्माण से जुड़े अन्य लोगों की विभिन्न नीतिगत जिज्ञासाओं का समाधान एनएफडीसी और यूएफडीसी के अधिकारियों द्वारा किया गया।
इससे पूर्व, NFDC और UFDC के वरिष्ठ अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें राज्य को एक सशक्त फिल्म निर्माण केंद्र के रूप में विकसित करने, सिनेमा हॉल अवसंरचना को विस्तार देने, क्षेत्रीय फिल्मों को प्रोत्साहन देने और रचनात्मक अर्थव्यवस्था को गति देने हेतु अनुकूल नीतिगत पहलों पर विस्तृत विमर्श किया गया। बैठक में फ़िल्म निर्माण, क्षेत्रीय सिनेमा, स्क्रीन की उपलब्धता और प्रोत्साहन योजनाओं जैसे विषयों पर भी गहन चर्चा हुई।
इस अवसर पर कई वरिष्ठ अधिकारी जिनमें प्रमुख रूप से सुश्री शिल्पा राव (निदेशक फिल्म्स , सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय), अजय धोके (महाप्रबंधक, एनएफडीसी), आशीष त्रिपाठी अपर निदेशक सूचना सुश्री श्रुति राजकुमार (उपाध्यक्ष एवं प्रमुख, इंडिया सिने हब), मयूर पटेल (प्रबंधक, फिल्म बाजार, एनएफडीसी), नचिकेत शिरोलकर (सलाहकार, अंतरराष्ट्रीय प्रचार एवं फिल्म महोत्सव, एनएफडीसी), अभय कुमार (प्रोजेक्ट मैनेजर, यूनीकॉप्स) उपस्थित रहे।