प्रधानमंत्री को सात सूत्रीय ज्ञापन भेजकर समाधान की मांग..
रुद्रप्रयाग। भारत की कम्युष्टि पार्टी (माक्र्सवादी) की ओर से महंगाई को लेकर बसुकेदार और ऊखीमठ तहसील में धरना दिया। साथ ही उप जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को सात सूत्रीय ज्ञापन प्रेषित किया गया।
तयशुदा कार्यक्रम के तहत सोमवार को माकपा कार्यकर्ता तहसील ऊखीमठ व बसुकेदार में एकत्रित हुए, जिसके बाद कार्यकर्ताओं ने महंगाई समेत सात सूत्रीय मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन कर नारेबाजी भी की। इसके के बाद दोनों स्थानों पर सांकेतिक धरना भी दिया गया। इस अवसर पर पार्टी के जिला मंत्री बीरेन्द्र गोस्वामी ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार चन्द पूंजीपतियों च कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए देश में कमरतोड मंहगाई कर दी है।
जिससे देश की आम जनता का जीना मुहाल हो गया है। लगातार विगत आठ वर्षो से मोदी सरकार द्वारा देश की जनता के साथ छलवा किया जा रहा है। कहा कि जहां प्रदेश में आलवेदर रोड़ के नाम ढिंढोरा पीटा जा रहा है। वहीं कुंड-ऊखीमठ-चोपता मोटरमार्ग पर एक माह से ठीक नहीं हो सका है। जिससे आम जनता एवं यात्रियों को आवाजाही में दिक्कतें उठानी पड़ रही है। जंगली जानवरों के आतंक पर रोक लगाने के साथ ही किसानों को मुआवजा की पर्याप्त व्यवस्था करने की मांग भी की गई।
इसके अलावा श्रम कानून में संशोधन, केदारनाथ यात्रा में पूर्व की भांति स्थानीय लोगों को शामिल करने, घरेलू गैस सिलेंडर व तेल की कीमतों पर लगाम लगाने, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को श्रम कानून के तहत न्यूनम मानदेय का भुगतान करने की मांग की गई। धरने में दौलत सिंह, खीमानंद गोस्वामी, गीता देवी, प्रतापसिंह, सुमन देवी, सुरेशी देवी, कुसुम देवी, आशीष सेमवाल, मुन्ना भटट समेत कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।
बच्चों को नहीं मिलीं निशुल्क किताबें, वेतन रोकने के आदेश..
उत्तराखंड: प्रदेश में नया शिक्षा सत्र एक अप्रैल से शुरू हो गया, लेकिन अभी तक तमाम स्कूूलों में बच्चों तक किताबें नहीं पहुंच पाई हैं। इस पर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा ने नाराजगी जताते हुए खुद सहित प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन रोकने के आदेश दिए हैं। महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी की ओर से गूगल मीट के माध्यम से जिलों के साथ नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तकों के वितरण की अद्यतन प्रगति की समीक्षा की गई। इस मौके पर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा ने स्पष्ट कहा कि छात्रों को निशुल्क पुस्तकें जब तक नहीं मिलती, तब तक वह स्वयं के साथ ही इस प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन पर रोक रहेगी।
महानिदेशक का कहना हैं कि जिन विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को पुस्तकें प्राप्त नहीं हुई हैं, उन जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारी यह सुनिश्चित कर लें कि एक सप्ताह के भी सभी बच्चों को घर-घर जाकर इनका वितरण किया जाए। विद्यालयी शिक्षा के तहत प्रदेशभर के स्कूलों में आठ लाख 79 बच्चे पंजीकृत हैं। बैठक में बताया गया कि कक्षा एक से 12 तक की लगभग 95 प्रतिशत पुस्तकें विद्यालयों को वितरित की जा चुकी हैं।
हरिद्वार और पौड़ी जिलों की ओर से बताया गया कि राजकीय विद्यालयों के साथ अशासकीय विद्यालयों के लिए त्रुटिवश डिमांड भेजे जाने के कारण जिलों को पाठ्य पुस्तकें अधिक प्राप्त हो गई थीं, जो अवशेष बची हैं। इस क्रम में मंडलों को निर्देशित किया गया है पाठ्य पुस्तकों को जिन जिलों से अतिरिक्त मांग की जा रही है, वहां भेजा जाए। इस काम को एक सप्ताह में पूरे करने के निर्देश दिए गए।
अनुसूचित जाति की भोजनमाता के हाथों से बना खाना नहीं खा रहे बच्चे..
उत्तराखंड: चम्पावत के सूखीढांग के जीआईसी में मध्यान्ह भोजन योजना (एमडीएम) विवाद एक बार फिर से शुरू हो गया है। छठीं से आठवीं कक्षा के सात से दस बच्चे अनुसूचित जाति की भोजनमाता के हाथों बनाया खाना नहीं खा रहे हैं। बताया जा रहा हैं कि ये बच्चे जातिगत कारणों से भोजन का बहिष्कार कर रहे हैं। जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने चेतावनी देते हुए कुछ बच्चों की टीसी (स्थानांतरण प्रमाणपत्र) भी काटी। इस मामले को सुलझाने के लिए प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने गुरुवार को अभिभावकों की बैठक बुलाई लेकिन इसमें कोई नतीजा नहीं निकला।
जानकारी मिलने पर प्रधानाचार्य और कुछ शिक्षकों ने बच्चों को समझाने का प्रयास किया लेकिन बच्चों ने घरेलू कारणों की दलील देकर खाना खाने से मना कर दिया। नाम काटने की धमकी देते हुए कुछ बच्चों की टीसी भी काटी गई। स्कूल प्रशासन ने छात्रों को अभिभावकों के आने और भोजन न करने तक स्कूल आने से रोक लगा दी। बता दे कि स्कूल में दो सवर्ण और एक दलित भोजनमाता है।
प्रधानाचार्य का पक्ष
कुछ दिनों से सात से दस बच्चे अनुसूचित जाति की भोजनमाता के हाथ का बना खाना नहीं खा रहे हैं जबकि दूसरी भोजनमाता के हाथों से बनाया खाना ये बच्चे खाते रहे हैं। यह स्थिति न स्कूल के नियमों के अनुकूल है और न ही सामाजिक सौहार्द्र के हिसाब से ठीक है।किसी भी बच्चे का नाम नहीं काटा गया है। बल्कि चेतावनी देने के लिए कुछ बच्चों को टीसी दी गई थी। साथ ही पूरे मामले की जानकारी विभागीय उच्चाधिकारियों को दे दी गई है।
रूड़की में जेठ ने किया महिला के साथ दुष्कर्म..
उत्तराखंड: रुड़की के भगवानपुर से एक शर्मशार कर देने वाला मामला सामने आया है जहाँ एक व्यक्ति ने अपने ही छोटे भाई की पत्नी के साथ दुष्कर्म कर दिया। बता दे कि महिला के पति ने उसे तलाक दे दिया था जिसके बाद मौके का फायदा उठाते हुए जेठ ने महिला के साथ ना सिर्फ दुष्कर्म किया बल्कि उसे बुरी हालत में जंगल में फेंक कर फरार हो गया हैं। इस मामले में स्थानीय पुलिस ने पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है।
आपको बता दे कि भगवानपुर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी युवती की शादी 13 जुलाई 2020 को पथरी थाना क्षेत्र निवासी जावेद से हुई थी। शादी के बाद ससुराल वाले महिला पर दहेज के लिए दबाव बनाने लगे। महिला ने इसका विरोध किया तो उसके साथ मारपीट की गई। महिला का आरोप है कि एक दिन उसे घर में अकेला देखकर जेठ परवेज ने उसके साथ रेप करने की कोशिश की इस बात की जानकारी महिला ने अपने ससुराल वालों को दी तो उसके साथ मारपीट की गई।
महिला का आरोप है कि 14 दिसंबर 2021 को ससुराल वालों ने उसके साथ मारपीट की और गांव के पास फेंक कर फरार हो गए। आरोप है कि इस दौरान पति ने उसे तीन तलाक भी दे दिया। महिला ने पति पर अप्राकृतिक संबंध बनाने का आरोप लगाया। भगवानपुर थाना प्रभारी निरीक्षक अमरजीत सिंह का कहना हैं कि पुलिस ने इस मामले में पति जावेद, ससुर मेहरबान, सास मुनीरा, जेठ मोहसिन, जेठ परवेज के खिलाफ मामला दर्ज किया हैं। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
देहरादून में अचानक गर्जना और आंधी के साथ हुई तेज बारिश..
उत्तराखंड: अगर आप चारधाम यात्रा के लिए जा रहे हैं तो अपने पास छाता या बरसाती का इंतजाम अवश्य कर लें, क्योंकि मौसम विभाग ने बुधवार को चारधाम रूट सहित पर्वतीय इलाकों में गरज के साथ बौछार होने की संभावना जताई है। वहीं मैदानी इलाकों में आंधी चलने का यलो अलर्ट जारी किया गया है।
मौसम विभाग के अलर्ट के बीच बुधवार को सुबह साढ़े दस बजे देहरादून में घने बादल छा गए और गर्जना के साथ तेज आंधी चलने लगी। जिसके बाद बारिश शुरू हो गई। वही मसूरी में घने बादल छाए हुए हैं, बारिश की संभावना बनी हुई है।
भाजपा सरकार का मेगा इवेंट आज,हर विस के लिए 12 लाख रुपये की व्यवस्था..
उत्तराखंड: आचार संहिता लागू होने से पहले शुक्रवार को राज्य की भाजपा सरकार का मेगा इवेंट होगा। राज्य के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में सरकारी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें राज्य सरकार की उपलब्धियों को पांच साल तक साझा किया जाएगा। साथ ही हर विधानसभा विकास कार्य का शिलान्यास व उद्घाटन भी होगा।
आपको बता दे कि मुख्यमंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र खटीमा के कार्यक्रम में होंगे, जबकि हर विधानसभा में कार्यक्रम की अध्यक्षता पार्टी के विधायक करेंगे। जहां पार्टी का कोई विधायक नहीं है, वहां जिलाधिकारी अपने विवेक से एक जन प्रतिनिधि से कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। इस मेगा इवेंट के आयोजन के लिए राज्य सरकार ने 8.40 करोड़ रुपये का बजट भी प्रावधान किया है।
इसके साथ ही प्रत्येक विधानसभा के कार्यक्रम पर 12 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। कार्यक्रम के आयोजन के लिए सरकार की ओर से सभी जिलाधिकारियों को दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। कार्यक्रम स्थल पर मुख्यमंत्री के लाइव संबोधन की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री खटीमा से संबोधित करेंगे। जो कि सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में सुना जाएगा। प्रत्येक विधानसभा में आयोजन स्थल पर एलईडी लगाई जाएगी।
कांग्रेस के उम्मीदवारों को टिकट के लिए ढीली करनी होगी जेब, 11 हजार रुपये के साथ जमा होंगे आवेदन
देश-विदेश: अगले साल उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं इसके तहत सभी पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं। इस बीच कांग्रेस पार्टी के यूपी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सूचना जारी की है कि जिन लोगों को कांग्रेस का टिकट चाहिए वह आवेदन के साथ 11000 रुपये जमा कर दे।
सभी आवेदनकर्ताओं को यूपी विधानसभा की टिकट पाने के लिए 25 सितंबर तक आवेदन कर देना होगा। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तरह से जो ज्ञापन जारी किया गया है उसमें लिखा है, आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए आवेदन-पत्र जमा करने हेतु जिला मुख्यालय पर जिला/शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों एवं प्रदेश स्तर पर संजय शर्मा और विजय बहादुर को अधिकृत किया गया गया है। सभी आवेदक जिला या प्रदेश स्तर पर उक्त अधिकृत लोगों के पास अपना आवेदन-पत्र सहयोग राशि 11 हजार रुपये के आरटीजीएस अथवा डिमांड ड्राफ्ट या पे ऑर्डर से 25 सितंबर तक जमा कर पावती प्राप्त कर सकेंगे।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के पश्चात प्रारंभ हुई हिंसा का आलम यह है कि देश की सीमाओं पर तैनात रक्षकों के घरों को भी नहीं बख्शा गया है। सीमा पर तैनात रक्षकों के घरों पर भी हमले हो रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के गुंडों ने दो अलग-अलग स्थानों पर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के जवानों के घरों पर हमले किए और तोड़फोड़, आगजनी व मारपीट की घटना को अंजाम दिया। जवानों या उनके घरवालों पर हमला किया गया। उनका कसूर केवल इतना, कि परिवार ने भाजपा का समर्थन किया।
वरिष्ठ पत्रकार बृजेश कुमार सिंह ने घटनाओं के संबंध में सिलसिलेवार ट्वीट किए हैं। पहला मामला जलपाईगुड़ी जिले के रानीरहाट क्षेत्र का है, जहां छुट्टी पर आए बीएसएफ के जवान कमल सेन के घर पर टीएमसी से जुड़े गुंडों ने हमला बोला। कमल और परिवार वालों के साथ मारपीट कर उन्हें घायल किया। घर, ट्रैक्टर और बाइक में आग लगा दी। घायल जवान सिलिगुड़ी के अस्पताल में भर्ती है।
सरहद की रक्षा करने वाली @BSF_India के जवान सुशांत बर्मन के कूचबिहार वाले घर की ये तस्वीरें है, जहां जमकर तोड़फोड़ की गई है, लूट मचाई गई है। सुशांत का भाई बीजेपी का समर्थक है, इसलिए टीएमसी के हिंसक कार्यकर्ताओं के तांडव का शिकार उसका परिवार हुआ है और घर छोड़कर भागने को मजबूर है। https://t.co/mNOqcLRxHV pic.twitter.com/oFk6MbFnJq
— Brajesh Kumar Singh (@brajeshksingh) May 5, 2021
दूसरी घटना कूचबिहार की है, जहां सुशांत बर्मन नामक बीएसएफ जवान के घर पर हमला किया गया है और लूटपाट की गई है। इस कारण जवान के परिवार के सदस्य जान बचाने के लिए घर छोड़कर चले गए हैं, उनकी जान को ख़तरा है। हमले का कारण यह था कि जवान का भाई भाजपा समर्थक है, इसलिए ये हमला किया गया। इस मामले में शिकायत भी दर्ज हुई है।
दोनों घटनाएं ये बताने के लिए काफी हैं कि पश्चिम बंगाल में हालात क्या हैं। अगर सीमा पर तैनात रक्षकों का परिवार और मकान ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम आदमी की कौन सुनेगा। सीमा पर तैनात जवान लफंगों, गुंडों और घुसपैठियों से देश को बचाते हैं, पर आज उनके अपने घर सुरक्षित नहीं हैं।
बृजेश कुमार सिंह के अनुसार बीएसएफ के उच्चाधिकारियों ने दोनों ही मामलों में स्थानीय प्रशासन और पुलिस से कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। देखना ये होगा कि ममता बनर्जी के बंगाल में खुद सीमा रक्षकों के परिवारों को न्याय मिलेगा या नहीं, वो भी अगर हमले करने वाले उनकी खुद की पार्टी TMC के कार्यकर्ता हों।
जौहर विश्वविद्यालय की भूमि से संबंधित मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खां को शनिवार को रामपुर के एडीएम कोर्ट से करारा झटका लगा। कोर्ट ने जौहर विवि की 70.05 हेक्टेयर जमीन उत्तर प्रदेश सरकार के नाम दर्ज करने का आदेश दिया है। यह जमीन अभी तक आजम खां के जौहर ट्रस्ट के नाम पर थी।
जौहर ट्रस्ट के नाम पर 2005 से लेकर अब तक लगभग 75.0563 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई थी। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार ने कैबिनेट के फैसले में जौहर ट्रस्ट द्वारा खरीदे जाने वाली जमीन पर स्टांप शुल्क से छूट दी थी। ट्रस्ट के नाम पर जो 70.005 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई, उसके लिए स्टांप शुल्क का भुगतान नहीं किया गया। कैबिनेट से पारित प्रस्ताव में शर्त थी कि ट्रस्ट की ओर से लोकहित से जुड़े कार्य कराने होंगे। अल्पसंख्यक, गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देनी होगी। लेकिन, शर्तों का उल्लंघन हुआ।
करीब साल भर पहले रामपुर डीएम के आदेश पर एसडीएम सदर ने जौहर ट्रस्ट की इस जमीन की जांच की, जिसमें पाया गया कि जौहर ट्रस्ट ने जौहर विवि के लिए खरीदी 70.005 हेक्टेयर जमीन में शासन की शर्तों का उल्लंघन किया है। कोर्ट में जौहर ट्रस्ट की ओर से उनके अधिवक्ता ने दलील दी थी कि आरोप निराधार हैं।
जिला शासकीय अधिवक्ता अजय तिवारी ने बताया कि वर्ष 2005 में शासनादेश के तहत साढ़े बारह एकड़ से अधिक भूमि खरीदने की अनुमति सरकार ने प्रदान की थी। शासनादेश में जो शर्तें थीं, उसमें एक शर्त यह भी थी कि शासनादेश की किसी शर्त का उलंघन किया जाता है तो यह भूमि राज्य सरकार में निहित मानी जाएगी। एसडीएम की जांच में शासनादेश में दी गई शर्तों का उल्लंघन पाया गया।
अजय तिवारी ने बताया कि जमीन की खरीद के लिए शर्त थी कि इसका उपयोग चैरिटी के कार्यों के लिए होगा, जिसका उल्लंघन हुआ। इस मामले में एडीएम कोर्ट ने संबंधित भूमि राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए हैं। एसडीएम सदर को आदेश दिए हैं कि वह इस भूमि पर कब्जा लेकर इसे अभिलेखों में इंद्राज कराएं।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, जौहर ट्रस्ट की इस जमीन पर जौहर विश्वविद्यालय का काम चल रहा है, लेकिन पिछले दस वर्षों में चैरिटी का कोई कार्य न होने की बात भी सामने आई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ट्रस्ट को एक सीमा के तहत ही जमीन आवंटित की जा सकती है, लेकिन इस मामले में नियम-कायदों का उल्लंघन किया गया। तत्कालीन एसडीएम सदर ने जौहर ट्रस्ट मामले में जांच की थी। इस पर एडीएम कोर्ट में वाद दायर कराया गया था।
उत्तर प्रदेश के बाद अब मध्य प्रदेश भी लव जिहाद के विरुद्ध सख्त कानून बनाएगा। इस क्रम में शनिवार को मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने ‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2020’ को स्वीकृति दे दी। प्रदेश में अब लव जिहाद करने वाले आरोपी को 10 वर्ष की जेल होगी साथ ही इस कृत्य में उसका साथ देने वाले सहयोगियों के लिए भी सजा का प्रावधान इस क़ानून में है। सरकार ने इस क़ानून में लव जिहाद कराने वाले मौलवी और पादरी को भी 5 साल की सजा का प्रावधान किया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की वर्चुअल बैठक में लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित बिल के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी गई है। अब इसे 28 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।
कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम को कठोर बनाने के साथ कुछ ऐसे प्रावधान किए गए है जो देश के किसी भी राज्य में अब तक नहीं है।
बिल की ख़ास बातें
जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा। धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा।
बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा और एक लाख रूपये तक के जुर्माने का देना पड़ेगा। यह अपराध गैर जमानती होगा। धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है।
सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी। इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा।
बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा। पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान किया गया है। आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा। (वीएसके इनपुट साथ हिमदूत ब्यूरो)