आरएसएस प्रमुख ने ‘उद्योगवर्धिनी’ के मंच से दिए महिला सशक्तिकरण के संदेश
महाराष्ट्र। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने महिला सशक्तिकरण को देश की प्रगति का आधार बताते हुए कहा कि महिलाओं को सामाजिक बेड़ियों और रूढ़ियों से मुक्त करना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। वे महाराष्ट्र के सोलापुर में ‘उद्योगवर्धिनी’ संस्था द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि महिलाएं समाज की रीढ़ होती हैं। वे सिर्फ घर और परिवार का ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के संस्कार और सोच का भी निर्माण करती हैं। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल सामाजिक सुधार नहीं, बल्कि देश के समग्र विकास की कुंजी है।
भागवत ने यह भी स्पष्ट किया कि महिलाओं को ऊपर उठाने की बात करना पुरुषों का अहंकार है। उन्होंने कहा, “महिलाओं को सिर्फ स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए, ना कि उन्हें निर्देशित करने की कोशिश करनी चाहिए। जब एक महिला आगे बढ़ती है, तो समाज अपने आप आगे बढ़ता है।”
इस मौके पर उन्होंने ‘उद्योगवर्धिनी’ संस्था द्वारा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे प्रयास देश में सकारात्मक बदलाव की नींव रखते हैं।
आस्था और विरासत को आतंकवाद से जोड़ना निंदनीय, समाज की एकता को किया जा रहा चोटिल
उत्तर प्रदेश। वाराणसी में आयोजित बिरसा मुंडा राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सामाजिक और धार्मिक आयोजनों को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम व सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने विशेष रूप से कांवड़ यात्रा को लेकर हो रही आलोचनाओं को भारत की सांस्कृतिक विरासत और आस्था का अपमान बताया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांवड़ यात्रा भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, जिसमें समाज के सभी वर्ग—श्रमिक से लेकर उच्च वर्ग तक—बिना किसी जातीय या क्षेत्रीय भेदभाव के सम्मिलित होते हैं। उन्होंने इस यात्रा को लेकर सोशल मीडिया और कुछ वर्गों द्वारा की जा रही आलोचना को निंदनीय बताते हुए कहा कि कांवड़ियों को “उपद्रवी” और “आतंकवादी” कहना भारत की परंपरा और आस्था का अपमान है।
सीएम योगी ने कहा, “जो लोग कांवड़ यात्रा को बदनाम करते हैं, वही लोग जनजातीय समुदाय को देश से अलग करने की साजिशें रचते आए हैं। वे सोशल मीडिया के फेक अकाउंट से जातीय तनाव फैलाने की कोशिश करते हैं। हमें इस मानसिकता से सावधान रहना होगा, ताकि समाज और राष्ट्र की एकता को मजबूत किया जा सके।”
उन्होंने बिरसा मुंडा के जीवन और संघर्ष को प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि उनकी विरासत हमें सामाजिक न्याय और एकता की राह दिखाती है। ब्रिटिश शासन और जमींदारी के खिलाफ उनका आंदोलन आज भी प्रासंगिक है।
मुख्यमंत्री ने जौनपुर की एक घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि जब कुछ लोग नियमों की अवहेलना कर ताजिया निकालने का प्रयास कर रहे थे और हाईटेंशन तार की चपेट में आकर हादसे का शिकार हो गए, तब प्रशासनिक निर्णय लेने की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने कहा, “ये लातों के भूत हैं, जो बातों से नहीं मानते।”
सीएम ने आम नागरिकों से अपील की कि वे किसी भी विवाद में जबरन हस्तक्षेप न करें। “अगर आप दारोगा की भूमिका में उतरेंगे तो पिट सकते हैं,” उन्होंने कहा। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार का अराजकता फैलाने का प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और प्रशासन इसे सख्ती से नियंत्रित करेगा।
125 यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा पर AAP का वार
AAP नेता अनुराग ढांडा बोले — पार्टी की एंट्री से बदली राज्य की राजनीति की दिशा
नई दिल्ली। बिहार में आम आदमी पार्टी की सक्रियता के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पहली बार 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की घोषणा को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने इस फैसले को ‘केजरीवाल मॉडल’ की लोकप्रियता का असर बताया है। उन्होंने कहा कि बिहार में अब चुनाव बुनियादी मुद्दों पर लड़ा जाएगा।
आम आदमी पार्टी के नेता अनुराग ढांडा ने कहा कि जैसे ही पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की, पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं ने जनसंपर्क अभियान चलाकर जनता की बुनियादी जरूरतों को प्रमुखता से उठाया। इसके बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के 1.67 करोड़ उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की घोषणा की। ढांडा का दावा है कि यह बदलाव आम आदमी पार्टी के बढ़ते जनाधार और असर का नतीजा है।
उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने देश की राजनीति को नई दिशा दी है, जहां मुफ्त बिजली, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं जनता की प्राथमिकता बन गई हैं। अब बिहार में भी केजरीवाल मॉडल की झलक दिखने लगी है।
नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि 20 वर्षों के शासन के बावजूद बिहार की कानून-व्यवस्था दयनीय है और राज्य आज भी विकास की दौड़ में पिछड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीएम नीतीश पूरी तरह भाजपा के नियंत्रण में हैं और ‘सुशासन बाबू’ की छवि अब कमजोर पड़ चुकी है।
ढांडा ने कहा कि बिहार में आम आदमी पार्टी जनता के मूलभूत अधिकारों को चुनावी मुद्दा बनाएगी और एक मजबूत विकल्प के रूप में सामने आएगी। पार्टी शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी और ‘केजरीवाल मॉडल’ को जन-जन तक पहुंचाएगी।
4500 से अधिक शहरों के बीच हुए सर्वेक्षण में इंदौर का प्रदर्शन रहा शानदार
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा आयोजित स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 के नतीजों में इंदौर ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। इस बार भी इंदौर को देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया, जो कि लगातार आठवीं बार इस खिताब पर कब्जा जमाने वाला पहला शहर बन गया है। गुजरात का सूरत दूसरे स्थान पर रहा। इस उपलब्धि ने इंदौर को सुपर लीग श्रेणी में भी शीर्ष पर पहुंचा दिया है।
सुपर लीग में 23 शहरों की टक्कर, इंदौर फिर सबसे आगे
स्वच्छ सर्वेक्षण की सुपर लीग में उन 23 शहरों को शामिल किया गया था, जो पिछले वर्षों में पहले, दूसरे या तीसरे स्थान पर रह चुके हैं। इंदौर ने इस श्रेणी में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए स्वच्छता की कसौटी पर बाकी सभी शहरों को पीछे छोड़ दिया।
राष्ट्रपति ने विजेताओं को किया सम्मानित
गुरुवार को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वच्छता पुरस्कार प्रदान किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल ने की। इस अवसर पर कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
4,500 से अधिक शहरों की हुई परख
सरकार द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, इस बार के स्वच्छ सर्वेक्षण में देशभर के 4,500 से अधिक शहरों का मूल्यांकन किया गया। स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, नागरिक भागीदारी और सेवा वितरण जैसे 10 प्रमुख मापदंडों और 54 सूचकों के आधार पर यह सर्वे किया गया। यह सर्वेक्षण न केवल सफाई की स्थिति को दर्शाता है, बल्कि शहरी जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नागरिकों की सक्रिय भूमिका को भी उजागर करता है।
कार और बाइक की टक्कर के बाद वाहन नहर में गिरे, दो लोग गंभीर रूप से घायल
नासिक। महाराष्ट्र के नासिक जिले में देर रात एक दर्दनाक सड़क हादसे में सात लोगों की जान चली गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह दुर्घटना डिंडोरी कस्बे के पास वाणी-डिंडोरी रोड पर उस समय हुई जब एक कार और मोटरसाइकिल के बीच जबरदस्त टक्कर हो गई।
पुलिस के अनुसार, हादसे की जानकारी उन्हें रात करीब 11:57 बजे मिली। घटना वाणी-डिंडोरी रोड पर एक नर्सरी के पास घटी, जहां टक्कर के बाद दोनों वाहन सड़क किनारे एक नहर में जा गिरे। सूचना मिलते ही पुलिस और आपदा राहत टीमें मौके पर पहुंचीं और तुरंत बचाव कार्य शुरू किया गया।
मलबे से कुल सात लोगों के शव निकाले गए, जबकि दो अन्य घायलों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस का कहना है कि मृतकों की पहचान की जा रही है और हादसे के कारणों की जांच भी जारी है।
स्थानीय प्रशासन ने घटना को बेहद दुखद बताया है और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई है। फिलहाल, दुर्घटना को लेकर मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
सीएम सरमा बोले-‘जो खुद जमानत पर हैं, वो दूसरों को जेल भेजेंगे?’
असम। असम की राजनीति में बयानबाजी ने नया मोड़ ले लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक कथित बंद कमरे वाले बयान को लेकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। राहुल गांधी के इस बयान में सरमा को जेल भेजने की बात कही गई थी, जिसे लेकर मुख्यमंत्री ने एक्स पर पलटवार करते हुए इसे राजनीतिक दुर्भावना करार दिया है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी हाल ही में असम दौरे पर थे, जहां उन्होंने पार्टी की राज्य स्तरीय राजनीतिक मामलों की समिति के साथ एक बंद बैठक की। इस दौरान मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने कथित रूप से कहा कि “लिखकर ले लीजिए, हिमंत बिस्वा सरमा को जेल भेजा जाएगा।”
इस बयान को लेकर मुख्यमंत्री सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी खुद कई आपराधिक मामलों में जमानत पर हैं और अब दूसरों को जेल भेजने की बात कर रहे हैं। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए तंज कसा—”असम की मेहमाननवाजी का आनंद लीजिए, आप सिर्फ मुझे जेल भेजने की बात करने के लिए आए हैं?”
मुख्यमंत्री ने इस बयान को राजनीतिक मंच का दुरुपयोग और व्यक्तिगत प्रतिशोध की भावना से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां लोकतांत्रिक विमर्श को कमजोर करती हैं।
इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। कांग्रेस जहां असम सरकार को भ्रष्टाचार और तानाशाही के आरोपों में घेर रही है, वहीं भाजपा कांग्रेस पर परिवारवाद और कानून उल्लंघन के आरोप लगा रही है।
मुख्यमंत्री सरमा ने राहुल गांधी पर दर्ज मामलों का भी जिक्र किया, जिसमें सबसे प्रमुख “मोदी सरनेम” टिप्पणी वाला मानहानि का केस है। इस मामले में राहुल को दो साल की सजा सुनाई गई थी, हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई। इसके अलावा, राहुल गांधी पर अन्य कानूनी मामले भी लंबित हैं।
मानेकशॉ सेंटर में रक्षा स्वदेशीकरण पर खास प्रदर्शनी
नई दिल्ली। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को स्पष्ट किया कि 10 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान की ओर से ड्रोन और हथियारबंद तकनीकों का प्रयोग किया गया, लेकिन भारतीय सुरक्षा बलों की तत्परता के चलते कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। इस ऑपरेशन ने ड्रोन हमलों से निपटने में स्वदेशी तकनीकों की अहमियत को रेखांकित किया।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक वर्कशॉप और प्रदर्शनी के दौरान कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने यह साबित कर दिया है कि भारत को अपनी सुरक्षा के लिए विदेशी तकनीक पर निर्भर रहने की बजाय स्वदेशी समाधान विकसित करने होंगे। उन्होंने बताया कि 10 मई को हुए इस ऑपरेशन में पाकिस्तान ने निहत्थे ड्रोन और गोला-बारूद का इस्तेमाल किया, लेकिन इनमें से ज्यादातर को भारतीय सुरक्षा बलों ने सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया। कुछ ड्रोन सही हालत में जब्त भी किए गए।
जनरल चौहान ने कहा, “इस तरह के हमले दिखाते हैं कि अब समय आ गया है कि हम काउंटर-यूएएस (Counter-UAS) तकनीकों को अपने दम पर विकसित करें। यह हमारी सुरक्षा नीति का हिस्सा होना चाहिए।”
ड्रोन की भूमिका पर उन्होंने कहा कि युद्ध के परिदृश्य में ड्रोन अब एक क्रांतिकारी उपकरण बन चुके हैं। उन्होंने कहा, “ड्रोन का विकास तकनीकी रूप से भले ही क्रमिक हो, लेकिन युद्धक्षेत्र में इनका इस्तेमाल बेहद क्रांतिकारी रहा है। हमारी सेनाएं अब तेजी से इन्हें रणनीतिक अभियानों में शामिल कर रही हैं।”
प्रदर्शनी का उद्देश्य:
मानेकशॉ सेंटर में आयोजित यह प्रदर्शनी और वर्कशॉप इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ मुख्यालय और सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज (CENJOWS) के संयुक्त प्रयास से आयोजित की गई। इसका मकसद रक्षा क्षेत्र में आयातित तकनीकों की जगह स्वदेशी विकल्पों को बढ़ावा देना है।
इस पहल से न सिर्फ भारत की रणनीतिक आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि घरेलू रक्षा उद्योगों को अनुसंधान और निर्माण में नई ऊर्जा भी मिलेगी। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों को भी मजबूती प्रदान करेगा।
मुंबई में खुला पहला शोरूम, कीमत 60 लाख से शुरू, सितंबर से शुरू होगी डिलीवरी
नई दिल्ली। टेस्ला ने भारत में अपने पहले शोरूम की लॉन्चिंग के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में धूम मचा दी है। कंपनी ने अपनी प्रीमियम इलेक्ट्रिक ‘Model Y’ को भारत में आधिकारिक रूप से लॉन्च कर दिया है, जिसकी कीमत लगभग 60 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) तय की गई है। मुंबई के बीकेसी स्थित मैक्सिटी मॉल में टेस्ला का पहला शोरूम खुल चुका है, और डिलीवरी सितंबर 2025 से शुरू होगी।
बुकिंग हुई शुरू
टेस्ला ने अपनी वेबसाइट पर Model Y की बुकिंग शुरू कर दी है, जो फिलहाल मुंबई, दिल्ली और गुरुग्राम में उपलब्ध होगी। खास बात यह है कि जो ग्राहक फुल-सेल्फ ड्राइविंग (FSD) फीचर वाला वेरिएंट लेना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए अतिरिक्त 6 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।
वेरिएंट्स और परफॉर्मेंस
Tesla Model Y को भारत में दो वेरिएंट्स में उतारा गया है:
लॉन्ग रेंज RWD:
यह वेरिएंट सिंगल इलेक्ट्रिक मोटर से लैस है, जो 295 हॉर्सपावर और 420 Nm टॉर्क पैदा करता है। यह कार एक बार चार्ज करने पर 500 किमी तक चल सकती है और सिर्फ 5.6 सेकंड में 0 से 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ लेती है।
लॉन्ग रेंज AWD:
ड्यूल मोटर से लैस इस वेरिएंट की रेंज 622 किमी है। इसमें 384 bhp की पावर और 510 Nm का टॉर्क मिलता है। इसकी टॉप स्पीड 217 किमी प्रति घंटा है और यह मात्र 4.6 सेकंड में 0-100 किमी/घंटा की रफ्तार पकड़ लेती है।
चार्जिंग टेक्नोलॉजी
Model Y को टेस्ला की फास्ट चार्जिंग तकनीक से लैस किया गया है। कंपनी का दावा है कि यह केवल 15 मिनट में 238 किमी की दूरी तय करने लायक चार्ज हो सकती है।
सेफ्टी फीचर्स
सभी वेरिएंट्स में लेवल-2 ADAS तकनीक दी गई है, जिसमें फॉरवर्ड कोलिजन वार्निंग, ऑटोमैटिक इमर्जेंसी ब्रेकिंग, लेन कीप असिस्ट और स्पीड लिमिट असिस्ट जैसे एडवांस फीचर्स शामिल हैं। साथ ही, कार में 6 स्टैंडर्ड एयरबैग्स भी दिए गए हैं।
डिजाइन और इंटीरियर
Tesla Model Y भारत में कुल 7 एक्सटीरियर कलर ऑप्शन और 2 इंटीरियर ट्रिम्स के साथ उपलब्ध होगी। इसमें 15.4 इंच का फ्रंट टचस्क्रीन, 8 इंच का रियर डिस्प्ले, पावर-एडजेस्टेबल सीट्स और स्टीयरिंग कॉलम, डुअल-जोन क्लाइमेट कंट्रोल, 19-इंच क्रॉसफ्लो व्हील्स, ग्लास रूफ और पावर रियर लिफ्टगेट जैसे प्रीमियम फीचर्स मिलते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने FSSAI को फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग लागू करने का दिया निर्देश
नई दिल्ली– सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को सभी पैक्ड खाद्य उत्पादों पर फ्रंट-ऑफ-पैक न्यूट्रिशन लेबलिंग (FOP) को अनिवार्य रूप से लागू करने का निर्देश दिया है। यह फैसला उपभोक्ताओं को स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों की जानकारी सरलता से उपलब्ध कराने और देश में तेजी से बढ़ रही मोटापे की समस्या से निपटने के प्रयास के तहत लिया गया है। इस निर्णय की जानकारी शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की।
क्या है FSSAI और FOP लेबलिंग?
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) एक स्वायत्त संस्था है, जो देश में खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों की निगरानी करती है। फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें पैक्ड खाद्य उत्पादों के सामने स्पष्ट पोषण संबंधी जानकारी दी जाती है, जैसे वसा, चीनी और नमक की मात्रा। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को यह जानने में मदद करना है कि कोई उत्पाद स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद या हानिकारक है।
देवड़ा की सलाह: सिंगापुर मॉडल अपनाने पर जोर
मिलिंद देवड़ा ने FSSAI को सिंगापुर की A-to-D न्यूट्री-ग्रेड प्रणाली अपनाने की सिफारिश की है। इस प्रणाली में खाद्य उत्पादों को उनके पोषण स्तर के आधार पर A (सबसे अच्छा) से D (सबसे खराब) तक ग्रेड दिया जाता है। उनका कहना है कि इससे उपभोक्ताओं को जागरूक फैसले लेने में मदद मिलेगी और FSSAI को जल्द अनुपालन सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम मिलेगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय की नई पहल
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर में स्वस्थ खानपान की आदतों को बढ़ावा देने के लिए चीनी और तेल जागरूकता बोर्ड लगाने का प्रस्ताव भी रखा है। ये बोर्ड स्कूलों, दफ्तरों और सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जाएंगे, जिनमें दृश्यात्मक चेतावनी के ज़रिए यह बताया जाएगा कि आम खाद्य पदार्थों में कितनी मात्रा में वसा और चीनी छिपी हो सकती है।
भारतीय पारंपरिक स्नैक्स भी निशाने पर
देवड़ा ने यह भी कहा कि भारत को केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादों तक सीमित न रहकर समोसा, जलेबी जैसे पारंपरिक भारतीय स्नैक्स के पोषण मूल्य की भी निगरानी करनी चाहिए। उन्होंने इसे स्वास्थ्य मंत्रालय की राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम की दिशा में एक आवश्यक कदम बताया, जिससे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे जैसी बीमारियों की रोकथाम संभव हो सकेगी।
सोशल मीडिया के ज़रिए दिल्ली के पर्यटन स्थलों का प्रचार करने वाले युवाओं को मिलेगी ₹50,000 मासिक सहायता
नई दिल्ली। दिल्ली को एक वैश्विक पर्यटन हब बनाने की दिशा में सरकार ने एक नई पहल की शुरुआत की है। दिल्ली सरकार अब उन युवाओं को प्रोत्साहन राशि देगी, जो राजधानी के ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों का प्रचार-प्रसार डिजिटल माध्यमों से करेंगे। इस योजना के तहत चयनित युवाओं को हर महीने ₹50,000 की आर्थिक सहायता और एक साल के इस प्रोग्राम के अंत में प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।
योजना का उद्देश्य: दिल्ली को इंटरनेशनल टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाना
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक कार्यक्रम में बताया कि सरकार “टूरिज्म एंड हेरिटेज फेलोशिप प्रोग्राम” के तहत दिल्ली को विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना चाहती है। इसके लिए ऐसे युवाओं की तलाश की जा रही है जो सोशल मीडिया, डिजिटल प्लेटफॉर्म और कंटेंट क्रिएशन के जरिए दिल्ली की विरासत को वैश्विक मंच पर प्रमोट कर सकें।
पहले चरण में 40 युवाओं का चयन
इस योजना को दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (DTTDC) के माध्यम से लागू किया जाएगा। पहले चरण में 40 युवाओं का चयन किया जाएगा। चयनित प्रतिभागियों को न केवल दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों का प्रचार करना होगा, बल्कि वीडियो निर्माण, पर्यटन से जुड़े शोध, और इन स्थलों के संचालन जैसे कार्यों में भी सक्रिय भागीदारी करनी होगी।
योजना की पात्रता
इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उम्मीदवार की आयु 35 वर्ष से कम होनी चाहिए और उसमें डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया और कंटेंट क्रिएशन की अच्छी समझ होनी चाहिए। योजना एक साल तक चलेगी, जिसके अंत में युवाओं को अनुभव प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।