खरगे का आरोप- जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है सरकार
नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस को बड़ी कानूनी राहत मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने धनशोधन के आरोपों से जुड़ी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। अदालत के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध की राजनीति करार दिया है, वहीं पार्टी नेताओं ने कहा कि कानून ने अपना काम किया है और आरोपों में कोई ठोस आधार नहीं पाया गया।
कांग्रेस ने बताया राजनीतिक उत्पीड़न का मामला
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नेशनल हेराल्ड मामला शुरू से ही राजनीतिक बदले और उत्पीड़न की कहानी रहा है। उन्होंने कहा कि अदालत का रुख यह स्पष्ट करता है कि शोर-शराबे के बजाय कानून तथ्यों के आधार पर निर्णय करता है।
खरगे का आरोप—जांच एजेंसियों का हो रहा दुरुपयोग
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि केंद्र सरकार ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर विपक्षी नेताओं को बदनाम करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि गांधी परिवार को निशाना बनाने के लिए इस तरह के मामले खड़े किए गए हैं, जबकि इनमें कोई ठोस एफआईआर तक दर्ज नहीं है। खरगे ने दावा किया कि कई कांग्रेस नेताओं पर इसी तरह दबाव बनाने की कोशिश की गई है।
सोनिया और राहुल गांधी को मिली बड़ी राहत
अदालत के फैसले से कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को राहत मिली है। कोर्ट ने ईडी द्वारा दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार करते हुए कहा कि फिलहाल आरोप तय करने का आधार नहीं बनता। ईडी ने दोनों नेताओं पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) से जुड़ी करीब 2000 करोड़ रुपये की संपत्तियों के कथित दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
हालांकि, अदालत ने ईडी को जांच जारी रखने की अनुमति दी है और स्पष्ट किया है कि एजेंसी आगे तथ्यों और साक्ष्यों को एकत्र कर सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ईडी का मामला किसी प्राथमिकी पर नहीं, बल्कि एक निजी शिकायत और मजिस्ट्रेट के समन आदेश पर आधारित है।
नेशनल हेराल्ड मामला क्या है?
एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की स्थापना 1937 में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों का प्रकाशन करना था। एजेएल के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज प्रकाशित होते थे। यह कंपनी किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि हजारों स्वतंत्रता सेनानियों की हिस्सेदारी वाली संस्था थी। समय के साथ अखबार आर्थिक संकट में आ गए और 2008 में प्रकाशन बंद करना पड़ा। इसके बाद कंपनी की संपत्तियों और कर्ज को लेकर विवाद खड़ा हुआ।
2012 में दर्ज हुआ था मामला
वर्ष 2012 में भाजपा नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कई कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज कराया। स्वामी ने आरोप लगाया कि यंग इंडिया लिमिटेड के माध्यम से एजेएल की बहुमूल्य संपत्तियों को गलत तरीके से हासिल किया गया।
स्वामी का दावा था कि एजेएल पर कांग्रेस पार्टी का करीब 90 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसे नाममात्र की राशि में अपने अधिकार में लिया गया। वहीं कांग्रेस का कहना है कि पूरा मामला राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है और इसमें कोई आपराधिक तत्व नहीं है।
अदालत के ताजा फैसले के बाद यह मामला एक बार फिर राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गया है, जबकि कानूनी प्रक्रिया अपने स्तर पर आगे बढ़ती रहेगी।
एनसीआर में भी हालात गंभीर, नोएडा सबसे ज्यादा प्रदूषित
नई दिल्ली। मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों और हवा की बेहद धीमी गति के चलते राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में आ गई है। रविवार को लगातार दूसरे दिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर पर बनी रही, जिससे यह मौजूदा सीजन का अब तक का सबसे प्रदूषित दिन रिकॉर्ड किया गया। देशभर के प्रदूषित शहरों की सूची में भी दिल्ली शीर्ष तीन में शामिल रही।
सुबह के समय घना कोहरा और स्मॉग की परत छाई रही, जिसने पूरे दिन शहर को अपनी गिरफ्त में रखा। कई इलाकों में दृश्यता इतनी कम हो गई कि सड़कों पर वाहनों की रफ्तार थम सी गई। हवाई यातायात पर भी असर पड़ा। सफदरजंग एयरपोर्ट पर सुबह दृश्यता घटकर 200 मीटर और पालम एयरपोर्ट पर 350 मीटर दर्ज की गई, जिससे उड़ानों के संचालन में दिक्कतें आईं।
सांस लेना हुआ मुश्किल
प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच लोग मजबूरी में एन95 मास्क पहनकर घरों से निकलते नजर आए। आंखों में जलन, गले में खराश और सांस फूलने की शिकायतें आम रहीं। खासकर दमा और सांस से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई। रविवार को दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 461 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है और एक दिन पहले की तुलना में अधिक खराब रहा।
एनसीआर में भी बिगड़े हालात
दिल्ली के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अन्य शहरों में भी प्रदूषण का स्तर चिंताजनक बना रहा। नोएडा सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा, जहां AQI 466 रिकॉर्ड किया गया। गाजियाबाद में यह 459, ग्रेटर नोएडा में 435 और गुरुग्राम में 291 रहा। फरीदाबाद में AQI 218 दर्ज किया गया, जो खराब श्रेणी में जरूर है, लेकिन अन्य एनसीआर शहरों से अपेक्षाकृत बेहतर रहा।
मौसम बना प्रदूषण की बड़ी वजह
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, रविवार को हवा पश्चिम दिशा से मात्र 5 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चली। वातावरण की मिश्रण गहराई कम रहने के कारण प्रदूषक ऊपर नहीं जा सके और निचले स्तर पर ही जमा होते गए। दोपहर तक पीएम10 और पीएम2.5 का स्तर सामान्य से कई गुना अधिक दर्ज किया गया।
अगले कुछ दिन और मुश्किल
प्रदूषण विशेषज्ञों का अनुमान है कि सोमवार और मंगलवार को भी वायु गुणवत्ता बेहद खराब बनी रह सकती है। ऐसे में लोगों को सांस लेने में तकलीफ, खांसी, आंखों में जलन, सिरदर्द और त्वचा से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अगले तीन से चार दिनों तक हवा की रफ्तार में खास सुधार की संभावना नहीं है।
क्यों नहीं मिल रही राहत
स्काईमेट के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से हवा की गति कमजोर बनी हुई है। ठंड के मौसम में वाहनों का धुआं, निर्माण गतिविधियों की धूल और अन्य प्रदूषक जमीन के पास ही फंसे रहते हैं। हवा के तेज बहाव के अभाव में ये कण वातावरण में जमा होते जाते हैं, जिससे दिल्ली की हवा और अधिक जहरीली होती जा रही है।
राजधानीवासियों के लिए फिलहाल साफ हवा का इंतजार लंबा होता नजर आ रहा है।
कोरोना काल में शुरू हुआ हाई-टेक साइबर रैकेट, विदेश से हो रहा था संचालन
नई दिल्ली। साइबर फ्रॉड मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बड़ी कार्रवाई की है। एजेंसी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय साइबर ठगी नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए 17 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, जिनमें चार चीनी नागरिक भी शामिल हैं। इसके साथ ही 58 कंपनियों को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि इस नेटवर्क ने शेल कंपनियों के जरिए एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की ऑनलाइन ठगी को अंजाम दिया।
अंतरराष्ट्रीय साइबर रैकेट का खुलासा
CBI की जांच में सामने आया है कि यह संगठित गिरोह निवेश, लोन, नौकरी और ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर लोगों को ठगता था। ठगों द्वारा फर्जी निवेश स्कीम, पोंजी मॉडल, मल्टी-लेवल मार्केटिंग, नकली पार्ट-टाइम जॉब ऑफर और डिजिटल गेमिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर लोगों को जाल में फंसाया जाता था। इस नेटवर्क का खुलासा अक्टूबर में हुआ था, जिसके बाद जांच का दायरा लगातार बढ़ता गया।
शेल कंपनियों के जरिए पैसों की हेराफेरी
जांच एजेंसी के अनुसार, गिरोह ने 111 से अधिक शेल कंपनियां बनाईं, जिनके जरिए ठगी की रकम को अलग-अलग बैंक खातों में घुमाया गया। म्यूल खातों के माध्यम से करीब 1,000 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया। इनमें से एक ही खाते में कुछ ही समय में 152 करोड़ रुपये जमा होने की पुष्टि हुई है। इन कंपनियों को फर्जी निदेशकों, नकली पते और झूठे कारोबारी दस्तावेजों के आधार पर पंजीकृत कराया गया था।
डिजिटल भुगतान माध्यमों का दुरुपयोग
CBI ने बताया कि इन शेल कंपनियों का उपयोग बैंक अकाउंट और डिजिटल पेमेंट गेटवे जैसे UPI, फोन-पे और अन्य फिनटेक प्लेटफॉर्म पर अकाउंट खोलने के लिए किया गया। इसके बाद ठगी की रकम को तेजी से अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर उसके असली स्रोत को छिपाने की कोशिश की गई।
कोरोना काल में शुरू हुआ नेटवर्क
जांच में सामने आया कि इस साइबर ठगी नेटवर्क की शुरुआत वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान हुई थी। इसे चार चीनी नागरिक—जोउ यी, हुआन लिउ, वेइजियान लिउ और गुआनहुआ—द्वारा संचालित किया जा रहा था। इनके भारतीय सहयोगियों ने अवैध रूप से लोगों के पहचान दस्तावेज हासिल कर शेल कंपनियों और म्यूल खातों का नेटवर्क खड़ा किया, ताकि ठगी से कमाए गए धन को सफेद किया जा सके।
विदेश से हो रहा था संचालन
CBI ने यह भी खुलासा किया है कि नेटवर्क का नियंत्रण अब भी विदेशी नागरिकों के हाथ में था। दो भारतीय आरोपियों से जुड़े बैंक खातों की UPI आईडी अगस्त 2025 तक विदेश से सक्रिय पाई गईं, जिससे यह साफ हुआ कि ठगी का संचालन रियल टाइम में विदेशी लोकेशन से किया जा रहा था।
हाई-टेक तरीके से दिया जाता था वारदात को अंजाम
इस रैकेट में आधुनिक तकनीक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया। गूगल विज्ञापन, बल्क SMS, सिम-बॉक्स, क्लाउड सर्वर, फिनटेक प्लेटफॉर्म और सैकड़ों म्यूल खातों के जरिए पूरी ठगी की श्रृंखला को इस तरह डिजाइन किया गया था कि असली लोगों की पहचान छिपी रहे और जांच एजेंसियों तक सुराग न पहुंचे।
I4C की सूचना से शुरू हुई जांच
इस मामले की जांच भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) से मिली जानकारी के आधार पर शुरू हुई थी। शुरुआत में अलग-अलग शिकायतें सामने आईं, लेकिन विस्तृत विश्लेषण में फंड ट्रांसफर पैटर्न, डिजिटल फुटप्रिंट और पेमेंट गेटवे में समानता पाई गई, जिससे एक संगठित साजिश का खुलासा हुआ।
अक्टूबर में तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद CBI ने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, झारखंड और हरियाणा में 27 स्थानों पर छापेमारी कर डिजिटल उपकरण और वित्तीय दस्तावेज जब्त किए, जिनकी फोरेंसिक जांच की गई।
देशभर से 5.17 लाख वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण पूरा, 2.16 लाख को मंजूरी
नई दिल्ली। देशभर की वक्फ संपत्तियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एकीकृत करने के लिए बनाए गए UMEED पोर्टल पर पंजीकरण प्रक्रिया अब पूरी हो चुकी है। छह महीने के भीतर चालू किए गए इस पोर्टल पर कुल 5.17 लाख वक्फ संपत्तियां दर्ज हुई हैं, जिनमें से 2.16 लाख संपत्तियों को औपचारिक मंजूरी भी मिल चुकी है। यह जानकारी केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने नवीनतम आंकड़ों के साथ साझा की है।
केंद्र सरकार ने 6 जून 2025 को अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी और डेवलपमेंट (UMEED) पोर्टल लॉन्च किया था, जिसके तहत वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण और पारदर्शी प्रबंधन को बढ़ावा दिया जाना था। मंत्रालय के अनुसार, निर्धारित छह महीने की समयसीमा 6 दिसंबर 2025 को रात 11:59 बजे पूरी हो गई। इस अवधि में 10,869 संपत्तियां सत्यापन प्रक्रिया में खारिज कर दी गईं।
समयसीमा समाप्त होने से पहले अंतिम सप्ताह में संपत्तियों के पंजीकरण की गति तेज हो गई थी। प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए केंद्र ने कई समीक्षा बैठकें, ऑनलाइन-ऑफलाइन प्रशिक्षण सत्र और विशेष वर्कशॉप आयोजित कीं। दिल्ली में वक्फ बोर्ड और विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों को दो दिवसीय प्रशिक्षण भी दिया गया, ताकि पोर्टल पर संपत्ति अपलोड करने की तकनीकी प्रक्रिया स्पष्ट की जा सके। साथ ही हेल्पलाइन नंबर और सपोर्ट टीम लगातार सक्रिय रही।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां उत्तर प्रदेश से दर्ज की गईं, जिनकी संख्या 92,830 है। इनमें 86,345 सुन्नी समुदाय और 6,485 शिया समुदाय ने पंजीकृत कराई हैं। इसके बाद महाराष्ट्र में 62,939, कर्नाटक में 58,328 और पश्चिम बंगाल में 23,086 संपत्तियों का पंजीकरण हुआ।
वहीं, पंजीकरण अवधि बढ़ाने की मांग पर मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि समयसीमा में कोई विस्तार नहीं किया जाएगा। हालांकि, जिन आवेदकों ने प्रक्रिया शुरू कर दी थी लेकिन दस्तावेज़ अपलोड पूरे नहीं कर सके, उन्हें तीन महीने का अतिरिक्त समय दिया गया है। सरकार का कहना है कि समयसीमा बढ़ाने से पोर्टल की पारदर्शिता और उद्देश्य पर प्रभाव पड़ सकता था।
UMEED पोर्टल का लक्ष्य देशभर की वक्फ संपत्तियों को डिजिटल रिकॉर्ड में लाकर प्रबंधन, निगरानी और विकास कार्यों को अधिक प्रभावी बनाना है। सरकार का दावा है कि यह पहल वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उपयोगिता को एक नई संरचना प्रदान करेगी।
सीएम प्रमोद सावंत घटनास्थल पर पहुंचे, कहा—दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई
पणजी/गोवा। उत्तर गोवा के अर्पोरा गांव में स्थित एक नाइटक्लब में देर रात हुए सिलिंडर ब्लास्ट से बड़ा हादसा हो गया। विस्फोट के बाद लगी भीषण आग से कम से कम 25 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई अन्य घायल बताए जा रहे हैं। गोवा के पुलिस महानिदेशक आलोक कुमार ने जानकारी दी कि हादसे में जान गंवाने वालों में 14 क्लब कर्मचारी, 4 पर्यटक और 7 अज्ञात व्यक्ति शामिल हैं। मौके से प्राप्त साक्ष्य बताते हैं कि आग का स्रोत सिलिंडर में हुआ जोरदार विस्फोट ही था।
प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक, प्रभावितों के लिए मुआवजे का ऐलान
अर्पोरा में हुई इस त्रासदी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में हादसे को हृदयविदारक बताया और कहा कि उनकी संवेदनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है।
पीएमओ के अनुसार, प्रधानमंत्री ने मृतकों के परिजनों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। पीएम ने गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत से बात कर राहत और बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री सावंत ने लिया घटनास्थल का जायजा, कहा– “केंद्र सरकार हर मदद के लिए तैयार”
हादसे की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और स्थानीय विधायक माइकल लोबो तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। सीएम सावंत ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को राहत कार्य की पूरी जानकारी दी है और केंद्र से उन्हें हरसंभव सहयोग मिल रहा है।
लोबो ने बताया कि शुरुआती सूचनाओं में पर्यटकों के हताहत होने की पुष्टि नहीं हुई है। वहीं प्रशासन ने राहत व बचाव दलों को रातभर मौके पर लगाया, ताकि आग पर काबू पाया जा सके और अंदर फंसे लोगों तक पहुंचा जा सके।
सावंत ने बताया—“अवैध संचालन व लापरवाही बनी हादसे की वजह”
मुख्यमंत्री ने घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि जिन लोगों ने नियमों को ताक पर रखकर क्लब चलाया, उनके कारण यह बड़ा नुकसान हुआ। उन्होंने संकेत दिया कि शुरुआती जांच में क्लब प्रबंधन द्वारा सुरक्षा मानकों का पालन न किए जाने की बात सामने आई है।
सावंत ने कहा कि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी और आग लगने की वास्तविक वजह की विस्तृत जांच होगी।
प्रारंभिक जांच में आग सुरक्षा नियमों की अनदेखी की पुष्टि
अधिकारियों के अनुसार, नाइटक्लब ने आग सुरक्षा और लाइसेंसिंग से जुड़े कई अनिवार्य नियमों को पूरा नहीं किया था। पुलिस ने बताया कि यह क्लब पिछले साल ही शुरू हुआ था और राजधानी पणजी से लगभग 25 किमी दूर स्थित है।
फायर ब्रिगेड और पुलिस टीमों ने रातभर अभियान चलाया और मलबे में फंसे लोगों को निकालने तथा आग बुझाने का काम जारी रखा।
मृतक तिपन्ना तलाक देने को तैयार नहीं था, पत्नी हसीना ने करवाया कत्ल
ठाणे। महाराष्ट्र के ठाणे जिले में वैवाहिक विवाद ने एक दिल दहला देने वाली वारदात का रूप ले लिया। तलाक को लेकर चल रहे तनाव के बीच एक महिला ने अपने पति की हत्या की साजिश रच डाली। पुलिस को मुंबई–नासिक राजमार्ग के पास झाड़ियों में एक जला हुआ और सड़ा हुआ शव मिला, जिसकी पहचान बाद में कर्नाटक के बेल्लारी निवासी तिपन्ना के रूप में हुई। मामले की जांच आगे बढ़ी तो पुलिस ने पत्नी सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
जांच में खुलासा हुआ कि तिपन्ना और उसकी पत्नी हसीना महबूब शेख के बीच लंबे समय से घरेलू विवाद चल रहा था, जिसके चलते दोनों अलग-अलग रह रहे थे। हसीना तलाक चाहती थी, लेकिन तिपन्ना इसके लिए तैयार नहीं था। इसी विवाद ने हत्या का रूप ले लिया।
भाई और साथियों के साथ रची साजिश
पुलिस के अनुसार, आरोपी महिला ने अपने भाई फैयाज जाकिर हुसैन शेख (35) और उसके दो साथियों के साथ मिलकर पति की हत्या की योजना बनाई। 17 नवंबर को ये तीनों तिपन्ना को घुमाने के बहाने शाहपुर के पास एक जंगली इलाके में ले गए, जहां उसकी हत्या कर दी गई। आरोपियों ने सबूत मिटाने के लिए शव को जलाने की कोशिश की और बाद में उसे राजमार्ग के किनारे फेंक दिया।
25 नवंबर को शव मिलने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और सुरागों के आधार पर आरोपियों तक पहुँची। पूछताछ के दौरान फैयाज ने स्वीकार किया कि उसने बहन के कहने पर ही हत्या को अंजाम दिया।
शाहपुर पुलिस ने हसीना, उसके भाई और दो साथियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 103(1) (हत्या) और 238 (साक्ष्य नष्ट करने) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अब वारदात की हर कड़ी की गहन जांच कर रही है।
सोनिया गांधी ने कहा- प्रदूषण की वजह से बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर विपक्षी दलों ने गुरुवार को संसद भवन परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। खराब होती हवा और बिगड़ते AQI को देखते हुए विपक्ष ने सरकार से तुरंत ठोस कदम उठाने की मांग की। मकर द्वार के बाहर आयोजित इस प्रदर्शन में सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया और हाथों में प्लेकार्ड लेकर नारे लगाए।
सोनिया गांधी ने कहा कि प्रदूषण की वजह से बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं, इसलिए सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। कई सांसद मास्क पहनकर प्रदूषण की गंभीरता का प्रतीकात्मक संदेश दे रहे थे।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि वायु प्रदूषण कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य का संकट है, इसलिए इसपर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर ठोस समाधान तलाशने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि हर साल हालात बिगड़ रहे हैं, लेकिन सिर्फ बयानबाजी होती है, ठोस कदम नहीं उठाए जाते।
सांसद मनीष तिवारी ने संसद में ‘काम रोको प्रस्ताव’ भी दिया और कहा कि दिल्ली–एनसीआर का AQI लगातार 400 के आसपास बना हुआ है, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातस्थिति बताते हुए सदन में विस्तृत चर्चा की मांग की।
अश्विनी वैष्णव बोले – डीपफेक वीडियो लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा
नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण, आईटी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि फर्जी खबरें और एआई से बने डीपफेक वीडियो लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा हैं। उन्होंने इन पर रोक लगाने और फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
मंत्री वैष्णव ने कहा कि फेक न्यूज और एआई-जनरेटेड डीपफेक वीडियो केवल झूठी जानकारी नहीं हैं, बल्कि ये लोकतांत्रिक संस्थाओं और समाज में भ्रम फैलाने वाला बड़ा खतरा हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग और समूह ऐसी सामग्री फैलाते हैं, वे भारतीय कानून का पालन नहीं करते, इसलिए उन पर कार्रवाई अनिवार्य है।
वैष्णव ने संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष निशिकांत दुबे द्वारा दी गई सिफारिशों की सराहना की और कहा कि समिति के सुझावों के आधार पर सरकार नए नियम तैयार कर रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फेक न्यूज पर नियंत्रण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।
मंत्री ने ऑनलाइन सट्टेबाजी और मनी गेम्स पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने इसे रोकने के लिए कड़ा कानून बनाया है। उन्होंने कहा कि ऐसे अवैध कार्यों के खिलाफ कदम उठाने से सरकार कभी पीछे नहीं हटती। इसके अलावा, कुछ टीवी चैनलों द्वारा झूठी खबरें दिखाने के आरोपों पर उन्होंने बताया कि सरकार और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया शिकायतों की जांच करते हैं और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई भी की जाती है।
अंत में, वैष्णव ने फेक न्यूज और डीपफेक वीडियो के खिलाफ एक मजबूत निगरानी और नियंत्रण प्रणाली बनाने के लिए सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया।
35 साल से लगातार जीतते आ रहे भाजपा नेता डॉ. प्रेम कुमार, अब बने विधानसभा अध्यक्ष
पटना। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और लगातार नौ बार विधायक चुने गए डॉ. प्रेम कुमार को बिहार की 18वीं विधानसभा का नया अध्यक्ष निर्विरोध चुना गया। सोमवार को प्रोटेम स्पीकर के समक्ष विधायक पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष के रूप में अपना कार्यभार ग्रहण किया। पहले से ही यह स्पष्ट था कि इस पद को लेकर एनडीए की सहयोगी पार्टियों—जेडीयू और भाजपा—के बीच किसी तरह का मतभेद नहीं है।
नई जिम्मेदारी संभालने के बाद डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि एनडीए नेतृत्व ने उन पर जो भरोसा जताया है, वह उसके लिए आभारी हैं। उन्होंने कहा कि जनता की सेवा और सदन की मर्यादा बनाए रखना उनकी प्राथमिकता रहेगी। लगातार नौवीं बार गया टाउन सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रेम कुमार ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के प्रति भी धन्यवाद व्यक्त किया।
प्रेम कुमार का राजनीतिक और व्यक्तिगत परिचय
गया शहर के नई सड़क इलाके में उनका आवास है। चंद्रवंशी समुदाय के कहार जाति से आने वाले प्रेम कुमार का राजनीतिक सफर बिहार की सबसे स्थिर पहचान में से एक माना जाता है। परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं। दोनों बच्चे शादीशुदा हैं। उनका बेटा भारतीय जनता युवा मोर्चा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
अपने सरल स्वभाव और जनता से निरंतर संपर्क बनाए रखने की वजह से ही वह 1990 से अब तक एक बार भी चुनाव नहीं हारे हैं।
गया टाउन का राजनीतिक इतिहास और प्रेम कुमार का वर्चस्व
गया टाउन विधानसभा क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन 1990 में पहली बार इस समीकरण को डॉ. प्रेम कुमार ने बदल दिया। बिहार की राजनीति में उस समय भाजपा अपने विस्तार की कोशिश कर रही थी और गया टाउन सीट पर मिली जीत पार्टी के लिए अहम साबित हुई।
इसके बाद से पिछले 35 वर्षों में न तो पार्टी ने अपना प्रत्याशी बदला और न ही जनता ने अपने प्रतिनिधि को।
सीपीआई, कांग्रेस और अन्य दलों ने कई बार उम्मीदवार बदले, लेकिन प्रेम कुमार की बढ़त हर चुनाव के साथ और मजबूत होती चली गई। 2015 से अब तक कांग्रेस लगातार प्रत्याशी दे रही है, लेकिन जीत का अंतर ही सिर्फ बढ़ा है—विधायक वही बने रहे।
कई इलाकों में AQI अभी भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर जहरीली धुंध की चपेट में है। सप्ताहांत पर प्रदूषण स्तर में मामूली सुधार के बावजूद हालात अभी भी चिंताजनक बने हुए हैं। इंडिया गेट, कर्तव्य पथ और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण स्तर ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया, जबकि आनंद विहार और आईटीओ जैसे इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स ‘बहुत खराब’ श्रेणी के पार पहुंच गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार कई जगहों पर धुंध की मोटी परत दिनभर छाई रही।
24 दिन बाद हवा में हल्की राहत, फिर भी हालात गंभीर
लगातार 24 दिनों तक एक्यूआई 350+ के बीच रहने के बाद दिल्ली की हवा कुछ हद तक सुधरी। औसत एक्यूआई गिरकर 279 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है लेकिन गंभीर स्थिति से थोड़ी राहत देता है। एनसीआर में भी यही रुझान दिखा—नोएडा का एक्यूआई 279, ग्रेटर नोएडा 268, गाजियाबाद 256 और गुरुग्राम 245 रहा। वहीं फरीदाबाद अपेक्षाकृत कम प्रदूषण के साथ 176 एक्यूआई पर दर्ज किया गया।
प्रदूषण के प्रमुख स्रोत क्या रहे?
दिल्ली की डिसीजन सपोर्ट सिस्टम रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी में हवा को खराब करने में सबसे बड़ा योगदान वाहनों का रहा।
वाहन उत्सर्जन: 18.614%
पराली प्रदूषण: 0.967%
निर्माण गतिविधियाँ: 2.805%
पेरिफेरल उद्योग: 3.679%
आवासीय इलाकों से प्रदूषण: 4.574%
रविवार को उत्तर-पश्चिम दिशा से लगभग 5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली। अनुमानित अधिकतम मिश्रण गहराई 1000 मीटर रही, जबकि वेंटिलेशन इंडेक्स 7000 m²/s दर्ज किया गया—जो प्रदूषण फैलाव की क्षमता को दर्शाता है।
दोपहर 4 बजे पीएम10 का स्तर 224.7 µg/m³ और पीएम2.5 का स्तर 119.1 µg/m³ दर्ज किया गया, जो सुरक्षित मानकों से कहीं ज्यादा है।
अगले 24 घंटे मुश्किल, प्रदूषण और बढ़ सकता है
सीपीसीबी के पूर्वानुमान के अनुसार, हवा की गुणवत्ता फिर से ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंचने की आशंका है। इससे
सांस के मरीजों,
एलर्जी पीड़ितों,
बुजुर्गों और बच्चों को
अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों ने लोगों को अनावश्यक बाहरी गतिविधियों से बचने, मास्क पहनने और एयर प्यूरीफायर का प्रयोग करने की सलाह दी है।
