नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के नवीनतम संस्करण में देश के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही प्रगति, खेल उपलब्धियों, सांस्कृतिक आयोजनों और उभरती जीवनशैली प्रवृत्तियों पर विस्तार से चर्चा की। पीएम ने कहा कि भारत में इन दिनों एंड्युरेंस स्पोर्ट्स का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है और युवा बड़ी संख्या में ऐसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें शारीरिक व मानसिक क्षमता की बड़ी परीक्षा होती है।
उन्होंने बताया कि देशभर में हर महीने 1500 से अधिक एंड्यूरेंस ईवेंट आयोजित हो रहे हैं। इसी प्रवृत्ति का उदाहरण देते हुए उन्होंने ‘आयरनमैन’ जैसे कठिन मुकाबले का ज़िक्र किया, जिसमें तैराकी, साइकलिंग और मैराथन—तीनों को एक ही दिन पूरा करना होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं की ऐसी चुनौतियों में बढ़ती भागीदारी भारतीय फिटनेस संस्कृति को नई दिशा दे रही है।
खेलों में भारत का शानदार प्रदर्शन—कई विश्वस्तरीय उपलब्धियाँ
पीएम मोदी ने कहा कि बीते महीने खेलों के लिहाज़ से भारत के लिए बेहद सफल रहा।
महिला टीम के वर्ल्ड कप जीतने,
बधिर ओलंपिक में 20 पदक हासिल करने,
महिला कबड्डी टीम के विश्व कप चैंपियन बनने,
और बॉक्सिंग में 20 पदक जीतने
जैसी सफलताओं ने पूरे देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने विशेष रूप से ब्लाइंड महिला टीम का उल्लेख किया, जिसने बिना कोई मैच गंवाए वर्ल्ड कप अपने नाम किया। प्रधानमंत्री ने इन जीतों को देश के जज़्बे, समर्पण और टीमवर्क का प्रतीक बताया।
उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी भारत को मिलने की घोषणा को भी एक बड़ी उपलब्धि बताया।
वोकल फॉर लोकल की फिर अपील—G20 नेताओं को दिए स्थानीय कारीगरों के उपहार
प्रधानमंत्री ने कहा कि वोकल फॉर लोकल केवल एक अभियान नहीं, बल्कि देश की आर्थिक और सांस्कृतिक आत्मनिर्भरता की नई ताकत बन रहा है।
उन्होंने बताया कि जी20 सम्मेलन के दौरान उन्होंने अन्य देशों के नेताओं को भारतीय कारीगरों द्वारा बनाए गए उपहार भेंट किए, जैसे—
जापान की प्रधानमंत्री को भगवान बुद्ध की चांदी की प्रतिमा,
इटली की प्रधानमंत्री को करीमनगर की पारंपरिक कला।
उन्होंने कहा कि त्योहारों की खरीदारी में देशवासियों ने भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता देकर इस अभियान को और मजबूत बनाया है। पीएम ने आगामी त्योहारों में भी स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की अपील की।
भूटान यात्रा और बुद्ध अवशेषों की वैश्विक प्रशंसा
हाल ही में भूटान यात्रा का अनुभव साझा करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि वहां उन्हें भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष भेजे जाने के लिए भारत की ओर से किए गए प्रयासों की सराहना सुनने को मिली। उन्होंने कहा कि कई अन्य देशों ने भी इसी प्रकार आभार व्यक्त किया है।
भारत में विंटर टूरिज्म की बढ़ती लोकप्रियता
प्रधानमंत्री ने कहा कि सर्दियों के मौसम में भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विशेष रूप से उत्तराखंड को उन्होंने विंटर टूरिज्म का उभरता केंद्र बताया।
उन्होंने जानकारी दी कि—
हाल ही में आदि कैलाश क्षेत्र में पहली हाई एल्टीट्यूड मैराथन का आयोजन हुआ,
60 किमी की यह चुनौती भरी रन सुबह 5 बजे, कड़ाके की ठंड में आयोजित की गई,
और अब जहां पहले दो हजार पर्यटक आते थे, वही संख्या अब 30 हजार तक पहुंच चुकी है।
काशी तमिल संगमम की शुरुआत और राष्ट्रीय एकता पर जोर
पीएम मोदी ने बताया कि 2 दिसंबर से काशी तमिल संगमम का नया संस्करण शुरू हो रहा है, जो भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण मंच है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना और मजबूत होती है।
सुरक्षा, नौसेना दिवस और नए नौसैनिक जहाज
प्रधानमंत्री ने भारतीय नौसेना की प्रगति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने आईएनएस माहे के लॉन्च को राष्ट्र की आत्मनिर्भरता के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। 4 दिसंबर को होने वाले नौसेना दिवस पर जवानों के साहस और सेवा को नमन किया।
कुरुक्षेत्र में गीता महोत्सव और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का ज़िक्र करते हुए पीएम ने कहा कि इस आयोजन में यूरोप और मध्य एशिया सहित कई देशों की सक्रिय भागीदारी रही। इस वर्ष पहली बार सऊदी अरब में भी गीता की प्रस्तुति की गई।
इतिहास, संस्कृति और विज्ञान—तीनों में भारत की पहचान मज़बूत
पीएम ने जामनगर के महाराजा द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदी बच्चों को शरण देने के ऐतिहासिक प्रसंग का उल्लेख किया और कहा कि भारत की संस्कृति हमेशा से करुणा और मानवता को सर्वोपरि मानती है।
उन्होंने चंद्रयान मिशनों में वैज्ञानिकों के समर्पण को याद करते हुए कहा कि चंद्रयान-2 की असफलता के अगले ही दिन वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 की सफलता की कहानी लिखनी शुरू कर दी थी।
कृषि, स्पेस और शहद उत्पादन में नई उपलब्धियाँ
प्रधानमंत्री ने कहा कि—
सुंदरबनी के सुलाई शहद को जीआई टैग मिलने के बाद इसकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी है,
भारत का शहद उत्पादन अब 1.5 लाख मीट्रिक टन पार कर चुका है,
और इससे किसानों की आमदनी में बड़ा फायदा हुआ है।
इसके अलावा,
स्काईरूट के ‘इनफिनिटी कैंपस’ से भारत के निजी स्पेस सेक्टर को नई गति मिली है,
और देश ने इस वर्ष 3.57 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन कर नया रिकॉर्ड बनाया है।
संविधान दिवस और राष्ट्रीय आयोजनों पर भी चर्चा
पीएम मोदी ने कहा कि नवंबर का महीना देश को कई प्रेरणाएं देता है—चाहे संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम हों, वंदे भारत की नई पहलें हों या अयोध्या में राम मंदिर परिसर में धर्मध्वजा का आरोहण।
उन्होंने बताया कि ‘मन की बात’ अब 22 भारतीय भाषाओं, 29 बोलियों और 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित होती है।
मोहन भागवत बोले— झगड़ा भारत का स्वभाव नहीं, समरसता हमारी संस्कृति की पहचान
नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारत की मूल पहचान सदैव भाईचारे, सहअस्तित्व और सामाजिक सद्भाव की रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विवाद और टकराव भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं रहे हैं, बल्कि संवाद और आपसी समझ हमारी परंपरा की आधारशिला हैं।
“भारत की परंपरा संघर्ष नहीं, समरसता की रही है” – भागवत
अपने संबोधन में भागवत ने कहा कि भारतीय समाज किसी से टकराव की भावना नहीं रखता। उन्होंने कहा, “हमारी किसी से बहस नहीं होती। हम विवादों से दूर रहते हैं। झगड़ा करना हमारे देश का स्वभाव ही नहीं है। मिल-जुलकर रहना और भाईचारे को बढ़ावा देना ही हमारी परंपरा है।”
आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि दुनिया के कई क्षेत्रों में संघर्ष की परिस्थितियों से समाज विकसित हुआ, जहां एक विचार हावी होने पर अन्य विचारों को पूरी तरह नकार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों पर विविध सोच के लिए जगह नहीं होती और उन्हें अक्सर ‘…इज्म’ कहकर सीमित कर दिया जाता है।
“भारतीय राष्ट्र का विचार पश्चिमी सोच से भिन्न है”
मोहन भागवत ने अपने भाषण में भारतीय राष्ट्रीयता की अवधारणा पर भी विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि पश्चिमी दुनिया अक्सर भारत के राष्ट्र संबंधी विचार को समझ नहीं पाती, इसलिए उसे ‘राष्ट्रवाद’ कहकर परिभाषित कर देती है।
भागवत ने कहा, “भारत प्राचीन काल से एक राष्ट्र रहा है। हमारे यहाँ राष्ट्र का भाव गर्व या अहंकार से नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, संस्कृति और प्रकृति के साथ सहअस्तित्व से उपजा है। हम ‘राष्ट्रीयता’ शब्द का उपयोग करते हैं, ‘राष्ट्रवाद’ का नहीं।”
उन्होंने कहा कि अत्यधिक राष्ट्रवादी गौरव से दुनिया दो विश्वयुद्ध झेल चुकी है, इसलिए कुछ लोग इस शब्द को लेकर आशंकित रहते हैं। वहीं भारत का राष्ट्रीय बोध शांत, समावेशी और संतुलित विचारों पर आधारित है।
राम माधव बोले- इस बम धमाके ने आतंकवाद को लेकर बने कई पुराने भ्रमों को तोड़ दिया
नई दिल्ली। दिल्ली में हाल ही में हुए बम धमाके पर राम माधव ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि इस घटना ने आतंकवाद को लेकर बने कई पुराने भ्रमों को तोड़ दिया है। उन्होंने दावा किया कि वैश्विक स्तर पर फैलाए गए कई विचार—जैसे आतंकवाद का धर्म या वैचारिक प्रेरणा से संबंध न होना—इस घटना के संदर्भ में टिक नहीं पाते।
आतंकवाद और वैचारिक प्रेरणा पर टिप्पणी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि आतंकवाद को सिर्फ गरीबी, शिक्षा की कमी या सामाजिक स्थिति से जोड़कर देखना स्थिति का सरलीकरण है। उन्होंने कहा कि कई बार आतंकी घटनाओं के पीछे धार्मिक या वैचारिक प्रेरणा की भूमिका होती है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
धार्मिक संदर्भ और आरोप
अपने बयान में उन्होंने यह भी दावा किया कि धमाकों से जुड़े मुख्य आरोपी ने अपने कदमों को सही ठहराने के लिए धार्मिक ग्रंथों का हवाला दिया। उन्होंने बौद्धिक वर्ग और उदारवादी समुदाय से अपील की कि वे ऐसे विषयों पर स्पष्ट रूप से बात करें, ताकि स्थिति की वास्तविकता सामने आए।
विदेशों में लॉबिंग के आरोपों पर सफाई
अमेरिका में आरएसएस द्वारा लॉबिंग किए जाने संबंधी आरोपों पर उन्होंने कहा कि संगठन ने कभी कोई लॉबिंग एजेंसी नियुक्त नहीं की। उन्होंने बताया कि आरएसएस भारत के बाहर कार्य नहीं करता, न ही विदेशी धन लेता है, और इसके सभी ट्रस्ट पंजीकृत हैं जिनका नियमित ऑडिट होता है।
राहुल गांधी पर प्रतिक्रिया
राहुल गांधी द्वारा हाल में लगाए गए आरोपों पर उन्होंने कहा कि उनकी शिकायतों को जनता ने गंभीरता से नहीं लिया और बढ़ी हुई मतदान प्रतिशत इसका संकेत है।
एसआईआर प्रक्रिया को लेकर बयान
चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) पर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों को उन्होंने निराधार बताया। उन्होंने कहा कि यह एक नियमित प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य वोटर लिस्ट से फर्जी या डुप्लीकेट प्रविष्टियों को हटाना है, और बिहार में इस दौरान बड़ी संख्या में गलत प्रविष्टियां पाई गईं।
प्रशांत किशोर को लेकर टिप्पणी
बिहार राजनीति पर पूछे गए सवाल में उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर द्वारा पार्टी बनाकर चुनाव से ठीक पहले पीछे हट जाना चौंकाने वाला कदम है। उनका कहना था कि यदि नेतृत्व ही सक्रिय न रहे तो संगठन को टिकाए रखना मुश्किल होता है।
बीजेपी का गंभीर आरोप—भारत की छवि बिगाड़ने के लिए कांग्रेस ले रही विदेशी ताकतों का सहारा
नई दिल्ली। भाजपा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर विदेश से संचालित सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए भारत की छवि धूमिल करने का गंभीर आरोप लगाया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि 2014 से अब तक कांग्रेस और उससे जुड़े कुछ प्रमुख नेता देश के प्रधानमंत्री और भारतीय लोकतंत्र को निशाना बनाने के लिए लगातार विदेशी मंचों और बाहरी प्रभावों का सहारा ले रहे हैं।
पात्रा के अनुसार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X में हाल ही में आए लोकेशन फीचर से कई कांग्रेस नेताओं के अकाउंट विदेशों से संचालित होते दिखे हैं। उन्होंने दावा किया कि पवन खेड़ा का अकाउंट अमेरिका, महाराष्ट्र कांग्रेस का आयरलैंड और हिमाचल कांग्रेस का अकाउंट थाईलैंड से जुड़ा हुआ दिखाई देता है। पात्रा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस विदेशों से नैरेटिव सेट करके भारत की राजनीतिक छवि को नुकसान पहुँचाने का प्रयास कर रही है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस नेता विदेश जाकर केवल बयानबाज़ी ही नहीं करते, बल्कि विदेशों में बैठी टीमों के जरिए भारत के खिलाफ माहौल तैयार करने की रणनीति भी बनाई जाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि “वोट चोरी”, “ऑपरेशन सिंदूर” और प्रधानमंत्री व सेना को कमजोर दिखाने जैसी कथित ऑनलाइन कैंपेन विदेशी लोकेशन से संचालित हुए, जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, पश्चिम एशिया और यूरोप में बैठे लोग शामिल बताए गए।
पात्रा ने कहा कि संघ, सरकार और प्रधानमंत्री को बदनाम करने का अभियान भी विदेश से चलाया गया और कांग्रेस इससे पीछे नहीं हट रही है, चाहे इसके लिए उसे किसी भी विदेशी ताकत का सहारा क्यों न लेना पड़े।
धर्मध्वज फहरते ही राम नगरी में गूंजे ‘जय श्रीराम’ के नारे
अयोध्या। अयोध्या राम मंदिर में एतिहासिक क्षण सामने आया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बटन दबाते ही धर्मध्वज धीरे-धीरे मंदिर के मुख्य शिखर पर आरोहित हो गया। जैसे-जैसे केसरिया ध्वज ऊपर उठता गया, पूरा वातावरण ‘जय श्री राम’ के नारों से गूंज उठा। इस दौरान प्रधानमंत्री भावुक नजर आए और मंदिर परिसर में मौजूद साधु-संत भी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके। समारोह में देश-विदेश से आए लगभग आठ हजार श्रद्धालु उपस्थित रहे।
शुभ मुहूर्त में धर्मध्वज फहराया, वैदिक मंत्रोच्चार से गूंजा परिसर
निर्धारित शुभ मुहूर्त में मंदिर शिखर पर ध्वजारोहण से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विस्तृत पूजा-अर्चना और यज्ञ सम्पन्न हुआ। यज्ञकुंडों से उठती आहुतियों की सुगंध और नगाड़ों की गूंज ने पूरे समारोह को भव्यता प्रदान की। ध्वज के लहराते ही श्रद्धालुओं में उत्साह की लहर दौड़ गई और परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा। प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक ध्वजारोहण को सनातन परंपरा की अखंडता और सांस्कृतिक स्वाभिमान का संदेश बताया।
पीएम मोदी बोले—“सदियों पुराने घाव भरने शुरू हुए, रामलला का सपना साकार”
ध्वजारोहण के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि आज करोड़ों देशवासियों का सपना पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि “हम ऐसा समाज बनाएं, जहां कोई गरीब न हो, कोई पीड़ित न हो।” प्रधानमंत्री ने राम मंदिर निर्माण से जुड़े हर कारीगर, दानवीर, योजनाकार और श्रमिक का अभिनंदन किया।
उन्होंने कहा कि अयोध्या की धरती वह पवित्र स्थान है, जहां से प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन का आदर्श पथ शुरू किया था।
प्रधानमंत्री ने बताया कि मंदिर परिसर में सप्त मंदिर, निषादराज का मंदिर, जटायु जी और गिलहरी की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं, जो छोटे-से-छोटे प्रयास की महत्ता का संदेश देती हैं।
मोहन भागवत का भावुक संबोधन—“जिन्होंने प्राण दिए, उनकी आत्मा आज तृप्त होगी”
समारोह में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि यह दिन उन सभी बलिदानियों को समर्पित है, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में अपना जीवन न्योछावर किया। उन्होंने कहा कि आज राम राज्य का वह ध्वज फिर अयोध्या में फहरा रहा है, जो कभी रघुकुल की सत्ता और मर्यादा का प्रतीक था। भागवत ने बताया कि ध्वज पर अंकित कोविदार वृक्ष रघुकुल की सत्ता और त्याग का चिह्न है—जो स्वयं धूप में खड़े रहकर दूसरों को छाया देता है।
उन्होंने कहा कि मंदिर बिल्कुल उसी स्वप्न जैसा बना है, बल्कि उससे भी अधिक भव्य स्वरूप में स्थापित हुआ है।
सीएम योगी बोले—“न बदली आस्था, न रुकी यात्रा; रामलला आए और मंदिर भी वहीं बना”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मंदिर शिखर पर फहराता केसरिया ध्वज नए भारत, नई ऊर्जा और नई आस्था का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि 500 वर्षों में समय बदला, सत्ता बदली, नेतृत्व बदला, लेकिन देश की आस्था कभी नहीं डिगी।
सीएम ने कहा—
“जब आंदोलन की कमान आरएसएस के हाथ में आई, तो एक ही संकल्प गूंजा था— रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। आज वह संकल्प भव्य स्वरूप में साकार हो चुका है।”
रामलला के दर्शन के बाद पीएम करेंगे ध्वजारोहण, सात हजार अतिथि बनेंगे साक्षी
अयोध्या। अयोध्या एक बार फिर ऐतिहासिक आध्यात्मिक उत्सव का केंद्र बनने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राम मंदिर के शिखर पर स्वर्णमय भगवा ध्वज फहराकर मंदिर निर्माण की पूर्णता का औपचारिक संदेश देंगे। निर्धारित शुभ मुहूर्त 11:58 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक रहेगा, जो भगवान श्रीराम के जन्म नक्षत्र अभिजीत के विशेष योग से मेल खाता है। पूरे शहर में आध्यात्मिक माहौल, सुरक्षा व्यवस्था और सांस्कृतिक रंगों का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है।
ध्वजारोहण समारोह के लिए 21 नवंबर से चल रहे हैं वैदिक अनुष्ठान। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला के गर्भगृह और राम दरबार में दर्शन–पूजन कर अपने आधिकारिक कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे। इसके बाद वह सप्तऋषि मंदिर और माता अन्नपूर्णा मंदिर में प्रार्थना कर मुख्य ध्वजारोहण समारोह में शामिल होंगे।
चार से पांच मिनट तक चलने वाले ध्वजारोहण अनुष्ठान में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रधानमंत्री इलेक्ट्रॉनिक तंत्र से ध्वज फहराएंगे। समारोह में लगभग सात हजार आमंत्रित उपस्थित रहेंगे, जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विभिन्न धर्माचार्य, सामाजिक वर्गों के प्रतिनिधि, किन्नर समुदाय, दलित समाज और व्यापार जगत के प्रमुख लोग शामिल होंगे।
इस अवसर पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भव्य मंगल–स्वस्ति गान की विशेष प्रस्तुति तैयार की है। देशभर के विख्यात कलाकार श्रीरामचरितमानस के चयनित प्रसंगों और विविध संत–परंपराओं के मंगलमय काव्यों का सामूहिक गायन करेंगे, जिससे पूरा परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर होगा।
राम मंदिर में प्रवेश और ध्वजारोहण कार्यक्रम
राम मंदिर के निर्माण प्रभारी गोपाल राव के अनुसार, प्रधानमंत्री और संघ प्रमुख सुबह 10 बजे मंदिर परिसर पहुंचेंगे। यहां वह क्रमशः सप्तऋषि मंदिर, शेषावतार मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, रामलला और राम दरबार के दर्शन करेंगे। दर्शन और परिसर भ्रमण के बाद वह ध्वजारोहण समारोह में शामिल होंगे, जो शुभ मुहूर्त—11:58 बजे से 1 बजे—के बीच सम्पन्न होगा। समारोह के बाद प्रधानमंत्री का सार्वजनिक संबोधन भी प्रस्तावित है। दोपहर 1:30 बजे वह पुनः एयरपोर्ट के लिए रवाना होंगे।
स्वर्णमय ध्वज दंड बना आकर्षण
ध्वजारोहण के लिए तैयार किए गए 161 फीट ऊंचे ध्वज दंड पर लगभग 21 किलो सोना मढ़ा गया है, जिसे मुंबई से आए कारीगरों ने तैयार किया है। यह वही स्थल है, जहाँ 5 अगस्त 2020 को भूमि पूजन हुआ था। नाभि दंड की कुल ऊंचाई भूमि तल से 211 फीट है, जिसमें ऊपर का हिस्सा स्वर्ण पत्र से सजाया गया है। मंदिर के पश्चिमी हिस्से से इस ध्वज दंड का स्वर्णमय स्वरूप स्पष्ट दिख रहा है।
चिकित्सा प्रबंधन पूरी तरह तैयार
प्रधानमंत्री और आरएसएस प्रमुख के काफिलों के साथ तीन–तीन एंबुलेंस और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम तैनात की गई है। श्रीराम अस्पताल में 40 बेड का विशेष वार्ड, जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में 60 बेड आरक्षित किए गए हैं। मेडिकल कॉलेज में बनाए गए सेफ हाउस में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम चौबीसों घंटे उपलब्ध है।
लंबे समय से बीमार चल रहे थे धर्मेंद्र
मुंबई। बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और करोड़ों दिलों की धड़कन धर्मेंद्र अब इस दुनिया में नहीं रहे। सोमवार, 24 नवंबर को 89 वर्ष की आयु में मुंबई के जुहू स्थित आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे धर्मेंद्र को कुछ सप्ताह पहले सांस लेने में दिक्कत के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें 12 नवंबर को ब्रीच कैंडी अस्पताल से घर लाया गया, जहां परिवार की देखरेख में उनका उपचार जारी रहा। आज उनके निधन की खबर ने परिवार समेत उनके सभी फैन्स को बड़ा सदमा दे दिया है।
धर्मेंद्र का जाना हिंदी सिनेमा के एक स्वर्णिम अध्याय के अंत जैसा है। संयोग यह भी रहा कि जिस दिन उनका निधन हुआ, उसी दिन उनकी आगामी फिल्म ‘इक्कीस’ का मोशन पोस्टर जारी किया गया। करीब एक महीने से वह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ रहे थे, लेकिन उम्र और बीमारी के आगे उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति भी टिक न सकी।
पांच दशक से अधिक लंबे फिल्मी करियर में धर्मेंद्र ने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और हर चरित्र में अपनी सादगी, ऊर्जा और सच्चाई को जिया। ‘शोले’ के वीरू से लेकर ‘चुपके चुपके’ के प्रोफेसर परिमल तक—उन्होंने हर भूमिका को दिल से निभाया और दर्शकों की यादों में हमेशा के लिए दर्ज हो गए।
मिट्टी की खुशबू से जुड़े, सरल स्वभाव वाले धर्मेंद्र सिर्फ पर्दे के हीरो नहीं थे, बल्कि असल जिंदगी में भी उतने ही भावुक और इंसानियत से भरे हुए व्यक्ति थे। पद्म भूषण से सम्मानित यह महान कलाकार जल्द ही अपनी अंतिम फिल्म ‘इक्कीस’ में नजर आएंगे, जो 25 दिसंबर को रिलीज होने वाली है।
धर्मेंद्र की विदाई ने भारतीय सिनेमा को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है—एक ऐसा सितारा बुझ गया है जिसकी चमक हमेशा दिलों में मौजूद रहेगी।
9 फरवरी 2027 तक रहेगी जस्टिस सूर्यकांत की कार्यकाल अवधि
नई दिल्ली। हरियाणा के हिसार जिले के पेटवाड़ गांव में साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से उठकर अपने सपनों को मुकाम तक पहुंचाने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस औपचारिक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल सहित कई वरिष्ठ गणमान्य मौजूद रहे। नए CJI की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा 30 अक्टूबर 2025 को अनुमोदित की गई थी, जिसके बाद आज वे आधिकारिक रूप से पदभार ग्रहण कर चुके हैं। उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा।
संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत, सेवानिवृत्ति से पूर्व CJI बी.आर. गवई ने सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के रूप में जस्टिस सूर्यकांत के नाम की अनुशंसा की थी। लंबे समय से चली आ रही परंपरा के अनुसार, वरिष्ठता के आधार पर उन्हें अगला मुख्य न्यायाधीश चुना गया। पूर्व CJI बी.आर. गवई 65 वर्ष की आयु पूर्ण करने के कारण पद से सेवानिवृत्त हुए। विदाई से पूर्व उन्होंने औपचारिक रूप से नए CJI को उत्तराधिकारी घोषित किया, जिससे न्यायपालिका में नेतृत्व का सुचारु हस्तांतरण सुनिश्चित हुआ।
साधारण परिवार से शुरू हुआ सफर
10 फरवरी 1962 को हिसार के पेटवाड़ गांव में जन्मे सूर्यकांत के पिता मदनगोपाल शास्त्री संस्कृत शिक्षक थे और माता शशि देवी गृहिणी। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे सूर्यकांत ने सीमित परिस्थितियों में शिक्षा पाई। पिता चाहते थे कि वे एलएलएम करें, लेकिन उन्होंने एलएलबी के बाद ही पेशेवर जीवन शुरू करने का फैसला लिया। उनके भाई-बहनों में से अधिकांश शिक्षण और चिकित्सा सेवा से जुड़े रहे।
कानूनी करियर की शुरुआत और विकास
सूर्यकांत ने 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून की डिग्री ली। 1984 में हिसार जिला अदालत से वकालत की शुरुआत करने के बाद वे 1985 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने चंडीगढ़ चले गए। न्यायाधीश रहते हुए उन्होंने 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर भी पूरा किया।
सिर्फ 38 वर्ष की उम्र में, 7 जुलाई 2000 को वे हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता बने। 2004 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज बने और 14 वर्ष तक वहां सेवाएं देने के बाद 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए। 2019 में वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।
महत्वपूर्ण फैसलों में निभाई अहम भूमिका
अपने न्यायिक कार्यकाल में जस्टिस सूर्यकांत कई बड़े मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं, जिनमें शामिल हैं—
बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने पर चुनाव आयोग से ब्योरा सार्वजनिक कराने का निर्देश।
अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र के फैसले को सही ठहराने वाली संविधान पीठ का हिस्सा।
वन रैंक वन पेंशन (OROP) को संवैधानिक वैधता प्रदान करने और सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए समान अवसर का समर्थन।
असम से जुड़े नागरिकता विवाद पर धारा 6A की वैधता को मंजूरी देने वाली पीठ में सहभागिता।
दिल्ली आबकारी नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को जमानत देने वाली पीठ के सदस्य, हालांकि गिरफ्तारी को उचित माना।
परिवार और निजी जीवन
1980 में उनकी शादी सविता शर्मा से हुई, जो शिक्षिका रहीं और बाद में कॉलेज की प्रिंसिपल बनीं। उनकी दोनों बेटियां कानून में मास्टर्स कर रही हैं और पिता के मार्ग पर आगे बढ़ रही हैं।
कविता, पर्यावरण और पत्रकारिता से लगाव
न्यायमूर्ति सूर्यकांत अपनी कानूनी पहचान के साथ ही संवेदनशील कवि भी हैं। कॉलेज के दिनों में उनकी कविता ‘मेंढ पर मिट्टी चढ़ा दो’ काफी चर्चित रही। वे पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय रहते हैं—गांव के एक पुराने तालाब के पुनर्जीवन के लिए उन्होंने निजी धन से योगदान दिया और आसपास पौधरोपण भी कराया।
प
त्रकारिता में विशेष रुचि रखते हुए वे मामलों की गहराई तक जांच करने को महत्व देते हैं और इसी जुनून के चलते उन्होंने 1988 में ‘Administrative Geography of India’ पुस्तक भी लिखी।
विवादों में भी आया नाम
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में कार्यरत रहते हुए उन पर कुछ गंभीर आरोप लगे—2012 में एक रियल एस्टेट एजेंट ने आर्थिक लेन-देन का आरोप लगाया और 2017 में एक कैदी ने जमानत के लिए रिश्वत लेने की शिकायत की। हालांकि, इनमें से कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हो सका।
नई दिल्ली- जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के हालिया बयान ने राष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। बयान सामने आते ही विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएँ देनी शुरू कर दीं। कांग्रेस की ओर से नेता Udit Raj ने मदनी के रुख का समर्थन किया, जबकि भाजपा Janata Party ने इसे आड़े हाथों लेते हुए तीखी आपत्ति जताई।
कांग्रेस नेता उदित राज ने आरोप लगाया कि देश में सिर्फ मुसलमान ही नहीं, बल्कि दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग भी नियुक्तियों में उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात तो करती है, लेकिन व्यवहार में सिर्फ चुनिंदा समुदायों को प्राथमिकता दी जा रही है। उदित राज के अनुसार, केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली 48 विश्वविद्यालयों में एक भी मुस्लिम, दलित या ओबीसी समुदाय का वाइस-चांसलर नहीं है और देश के 159 प्रतिष्ठित संस्थानों में भी इन वर्गों का प्रतिनिधित्व नदारद है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विभिन्न संस्थानों में वही लोग नियुक्त किए जा रहे हैं जो संघ और भाजपा की विचारधारा से मेल खाते हैं। अल फलाह यूनिवर्सिटी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति पर आतंकवादी गतिविधियों का संदेह है, तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन पूरे विश्वविद्यालय को कठघरे में खड़ा करना उचित नहीं है। वहीं हाल ही में हुई ‘लैटरल एंट्री’ आईएएस नियुक्तियों को लेकर भी उदित राज ने कहा कि इनमें एक भी उम्मीदवार दलित, आदिवासी या पिछड़े वर्ग से नहीं था, जिससे स्पष्ट है कि सरकार इन समुदायों को मुख्यधारा से दूर रख रही है।
बाबरी मस्जिद की नींव रखने के दावे पर भाजपा ने लगाया तुष्टिकरण का आरोप
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। टीएमसी के एक विधायक द्वारा मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखने का दावा सामने आने के बाद प्रदेश में सियासी टकराव तेज हो गया है। विधायक की घोषणा के बाद भाजपा ने तीखी आपत्ति जताते हुए इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया है।
टीएमसी के भरतपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हुमायूं कबीर ने कहा है कि 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण की आधारशिला रखी जाएगी, जिसमें बड़ी संख्या में लोग और कई प्रमुख शख्सियतें शामिल होंगी। उन्होंने दावा किया कि मस्जिद का निर्माण लगभग तीन वर्षों में पूरा होगा। कबीर के इस बयान ने बंगाल की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है।
भाजपा ने तत्काल इस ऐलान पर कड़ा विरोध जताया। भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने कहा कि बाबर एक विदेशी हमलावर था और उसके नाम पर किसी भी प्रकार का निर्माण स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि मस्जिद निर्माण की कोशिश हुई तो भाजपा उस स्थान पर राम मंदिर की स्थापना की मांग करेगी।
भाजपा नेताओं ने टीएमसी पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया। पार्टी प्रवक्ता अग्निमित्रा पॉल का कहना है कि किसी भी धार्मिक स्थल के निर्माण पर उन्हें आपत्ति नहीं, लेकिन टीएमसी इसे राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है। वहीं भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि मस्जिद या मंदिर का निर्माण उचित स्थान पर होना चाहिए और इसका राजनीतिकरण कर समुदाय विशेष को गुमराह नहीं किया जाना चाहिए।
कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और समानता के मुद्दों पर राजनीति करती है और चुनाव भी इन्हीं मुद्दों पर लड़े जाने चाहिए। कांग्रेस सांसद उदित राज ने कहा कि मंदिर की नींव रखी जा सकती है तो मस्जिद की रखे जाने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, और इस विषय को बेवजह विवाद का रूप दिया जा रहा है।
इधर, 6 दिसंबर को टीएमसी द्वारा कोलकाता में एक बड़ी रैली आयोजित करने की तैयारी है, जिसे ‘समहति दिवस’ नाम दिया गया है। यह रैली आमतौर पर पार्टी का अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ आयोजित करता है, लेकिन इस बार इसकी जिम्मेदारी छात्र और युवा विंग को सौंपी गई है। संभावना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी इसमें संबोधित करेंगे।
राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इस बीच एसआईआर (Special Summary Revision) को लेकर पहले से ही तनाव बढ़ा हुआ है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण को धांधली बताया और चेतावनी दी कि वैध मतदाताओं के नाम हटे तो इसके गंभीर राजनीतिक परिणाम होंगे। ऐसे में बाबरी मस्जिद मुद्दा भी आगामी चुनावी माहौल पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
