केशव मौर्य के खिलाफ अनुप्रिया पटेल की बहन लड़ेंगी चुनाव..
सपा ने बदली स्वामी प्रसाद की सीट..
देश – विदेश : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच जुबानी जंग तेज होती जा रही है। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। पढ़िए सूबे की राजनीति से जुड़े पल-पल के अपडेट्स…
सपा ने तीन प्रत्याशियों का एलान किया..
समाजवादी पार्टी ने बुधवार को तीन और प्रत्याशी घोषित किए हैं। सरोजनीनगर से पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा को टिकट दिया गया है। भाजपा के बागी मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य इस बार फाजिलनगर से चुनाव लड़ेंगे। इसी तरह डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ सिराथू से अपना दल (कमेरा) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल की बेटी और मोदी की मंत्री अनुप्रिया पटेन की बहन पल्लवी पटेल को मैदान में उतारा गया है।
पीएम मोदी ने बजट की तारीफ की..
पीएम मोदी ने कहा कि कल निर्मला सीतरमण ने बहुत ही खूबसूरती से, बहुत ही अच्छे ढंग से बजट के कुछ पहलुओं को हमारे सामने रखा है। बजट स्पीच में पूरा बजट संभव नहीं होता है क्योंकि बजट में बहुत बड़ा दस्तावेज होता है, बारीकियां होती हैं और सदन में ये सब बोलना संभव भी नहीं होता है।
पीएम मोदी बोले- पूरी दुनिया हमें मजबूत देखना चाहती है..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था पर वर्चुअल रैली को संबोधित कर रहे हैं। बजट 2022 पर उन्होंने अपनी राय रखी। कहा कि आज कोरोना के चलते पूरी दुनिया एक चौराहे पर खड़ी हो गई है। आगे की दुनिया वैसी नहीं रहेगी, जैसा कोरोना से पहले थी। भारत आज मजबूत स्थिति में है। भारत को लेकर पूरी दुनिया का नजरिया बदला है। अब पूरी दुनिया हमें मजबूत देखना चाहती है।
खुशी दुबे की बहन ने किया नामांकन..
कानपुर के बिकरू कांड के आरोपी अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे की बहन नेहा तिवारी ने बुधवार को कानपुर के कल्याणपुर विधानसभा सीट से नामांकन किया। बिकरू कांड से कुछ दिन पहले ही खुशी की शादी अमर से हुई थी। पुलिस ने खुशी को भी इस मामले में आरोपी बनाया और जेल भेज दिया। बिकरू कांड के दौरान खुशी नाबालिक थी। खुशी के परिवार वालों ने आरोप लगाया कि ब्राह्मण होने के चलते उन्हें सरकार ने परेशान किया है। कांग्रेस ने खुशी की मां गायत्री तिवारी को टिकट दिया था, लेकिन वोटर लिस्ट में उनका नाम ही नहीं था। बाद में गायत्री की जगह उनकी बेटी नेहा तिवारी को टिकट मिल गया।
रीता बहुगुणा जोशी के बेटे को सपा दे सकती है टिकट..
लखनऊ कैंट से भाजपा का टिकट न मिलने के बाद अब भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी समाजवादी पार्टी का दामन थाम सकते हैं। सूत्रों के अनुसार सपा की तरफ से उन्हें लखनऊ कैंट का टिकट दिया जा सकता है। इसके लिए पहले से तय प्रत्याशियों के नामों में बदलाव हो सकता है।
जयंत चौधरी बोले- मुझे हेमा मालिनी नहीं बनना..
योगेश अभी आ जा, तेरा हेमा मालिनी बना दूंगा और ना जाने कैसी-कैसी बातें मेरे लिए भी कह रहे हैं। कोई प्यार नहीं, कोई लगाव नहीं है हमारे लिए। मैं कह रहा हूं मुझे खुश करके क्या मिल जाएगा? मुझे तो नहीं बनना है हेमा मालिनी। जनता के लिए क्या किया? वो सातों किसानों के परिवार के लिए क्या किया आपने? टेनी जी मंत्री क्यों बने बैठे हैं?
सपा विधायक के बिगड़े बोल, भाजपा का पलटवार..
समाजवादी पार्टी के विधायक रफीक अंसारी का एक विवादित वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वह सभा को संबोधित करते हुए बोल रहे हैं, ‘पांच साल से हिंदूगर्दी मचाई हुई है। हर थाने में हिंदूगर्दी मचाई है। मैं पूछना चाहता हूं कि अगर फिर से इनकी सरकार बन गई… ये तो गुंडा बन जाएगा। ये तो बदमाश हो जाएगा। यकीन मानिए दोस्तों… मेरठ का मुसलमान, मेरठ का युवा इनसे कभी दबा नहीं।’
विधायक के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने पलटवार किया है। शहजाद ने कहा, ‘ये जिन्ना प्रेमी और हिंदुओं से नफरत करने वाली समाजवादी पार्टी का असली चेहरा है।’
पश्चिमी यूपी में वर्चुअल रैलियों से माहौल बनाएंगे पीएम मोदी..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल रैलियों के जरिये पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का चुनावी माहौल बनाएंगे। पहली वर्चुअल रैली की सफलता के बाद पार्टी ने 4, 6, 7 और 10 फरवरी को प्रधानमंत्री की वर्चुअल रैलियां प्रस्तावित है। वहीं, बरेली में पीएम की वर्चुअल रैली आज है। सुबह 11 बजे ब्रज क्षेत्र के सभी विधानसभा क्षेत्रों में वर्चुअल रैली करेंगे। हर विधानसभा क्षेत्र में बड़ी स्क्रीन के जरिये वह मतदाताओं से रूबरू होंगे। रैली में बरेली, शाहजहांपुर और बदायूं के मतदाता जुड़ेंगे। सोशल मीडिया के सभी माध्यमों पर भी इसका सीधा प्रसारण होगा।
बसपा सुप्रीमो मायावती आज आगरा में..
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती आज आगरा के कोठी मीना बाजार मैदान में मंडल स्तरीय चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगी। बसपा जिलाध्यक्ष धीरज बघेल ने बताया कि बसपा सुप्रीमो सुबह 11 बजे सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय जनसभा में पार्टी अध्यक्ष मायावती प्रत्याशियों के लिए वोट मांगने आ रही हैं। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने के साथ चुनावी जनसभा की जाएगी।
केशव मौर्य के खिलाफ अनुप्रिया पटेल की बहन लड़ेंगी चुनाव, सपा ने बदली स्वामी प्रसाद की सीट..
मुख्यमंत्री योगी आज मथुरा में..
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को मथुरा, छाता, गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभाएं कर वोट मांगेंगे। भाजपा के महानगर संयोजक राजू यादव और जिला मीडिया प्रभारी सचिन चतुर्वेदी ने बताया कि सेठ बीएन पोद्दार स्कूल में दो फरवरी को मुख्यमंत्री भाजपा प्रत्याशी श्रीकांत शर्मा के पक्ष में जनसभा को संबोधित करेंगे। इससे पहले स्वामी बाबा का मैदान तरौली गांव में 11 बजे और दोपहर एक बजे गोवर्धन के बाचे लाला का मैदान में मतदाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे।
अहमदाबाद शहर में 26 जुलाई, 2008 को 70 मिनट के भीतर हुए 21 बम विस्फोटों में कमामले में आज आ सकता है फैसला..
77 आरोपियों पर चला था मुकदमा..
देश-दुनिया : अहमदाबाद शहर में 26 जुलाई, 2008 को 70 मिनट के भीतर हुए 21 बम विस्फोटों में कम से कम 56 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए थे। पुलिस ने दावा किया था कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के गुट इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) से जुड़े लोग विस्फोट में शामिल थे।
अहमदाबाद में 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 13 साल से अधिक समय बाद फैसला आने की संभावना है। अहमदाबाद की एक विशेष अदालत मंगलवार को अपना फैसला सुना सकती है। इस विस्फोट में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 78 आरोपियों पर मुकदमा चलाया गया था।
विशेष लोक अभियोजक अमित पटेल ने कहा कि विशेष न्यायाधीश एआर पटेल ने पिछले साल सितंबर में 13 साल से अधिक पुराने मामले में लगभग चार महीने की सुनवाई के बाद पहली बार फैसले की तारीख मंगलवार (एक फरवरी) तय की थी।
अहमदाबाद शहर में 26 जुलाई, 2008 को 70 मिनट के भीतर हुए 21 बम विस्फोटों में कम से कम 56 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए थे। पुलिस ने दावा किया था कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के गुट इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) से जुड़े लोग विस्फोट में शामिल थे।
आरोप लगाया गया कि इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों ने गुजरात में 2002 के गोधरा दंगों का बदला लेने के लिए विस्फोट की साजिश रची और उन्हें अंजाम दिया, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोग मारे गए थे।
अहमदाबाद में सिलसिलेवार धमाकों के कुछ दिनों बाद पुलिस ने सूरत के अलग-अलग हिस्सों से बम बरामद किए थे, जिसके बाद अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अदालत द्वारा सभी 35 प्राथमिकी को एक में मिलाने के बाद मुकदमा चलाया गया। 78 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ और उनमें से एक के सरकारी गवाह बनने के बाद यह संख्या घटकर 77 हो गई। इस मामले में आठ से नौ आरोपी अब भी फरार हैं।
अहमदाबाद में आतंकी हमलों के एक साल बाद दिसंबर 2009 में लंबी कानूनी कार्यवाही शुरू हुई। 77 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाया गया, जिसके लिए अभियोजन पक्ष ने 1,100 से अधिक गवाहों का परीक्षण किया गया। आरोपियों के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत भी मामला दर्ज किया गया।
विशेष अदालत ने शुरू में सुरक्षा कारणों से साबरमती सेंट्रल जेल के अंदर से मामले की सुनवाई की और बाद में ज्यादातर वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यवाही की गई।जब मुकदमा चल रहा था, तब कुछ आरोपियों ने 2013 में जेल में 213 फीट लंबी सुरंग खोदकर कथित तौर पर भागने की कोशिश की थी। जेल तोड़ने के प्रयास का मुकदमा अभी भी लंबित है।
नामांकन के लिए निकले अखिलेश यादव पार्टी नेताओं ने किया जगह-जगह स्वागत..
देश – विदेश: सपा मुखिया अखिलेश यादव पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। करहल की सीट इस बार उत्तर प्रदेश के चुनाव में हॉट सीट बन गई है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मैनपुरी जनपद में करहल विधानसभा सीट से आज नामांकन दाखिल कर रहे हैं। सैफई से सोमवार की सुबह नामांकन दाखिल करने के लिए अखिलेश निकले तब जगह-जगह उनका कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। अखिलेश यादव करहल कस्बा होते हुए मैनपुरी पहुंचेंगे और कलक्ट्रेट में दोपहर करीब 12 बजे के नामांकन दाखिल करेंगे। अखिलेश यादव के साथ में करहल से मौजूदा विधायक सोबरन सिंह यादव व मैनपुरी के पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव मौजूद हैं। अखिलेश ने नामांकन के लिए निकलने के समय एक ट्वीट भी किया है।
किशनी और भोगांव से सपा प्रत्याशी भी दाखिल करेंगे नामांकन..
अखिलेश यादव के साथ ही मैनपुरी की दो अन्य सीटों से भी सपा प्रत्याशी सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। भोगांव सीट से आलोक शाक्य जहां नामांकन पत्र दाखिल करेंगे तो वहीं किशनी से बृजेश कठेरिया नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। मैनपुरी सदर सीट से सपा प्रत्याशी राजकुमार यादव शुक्रवार को ही नामांकन दाखिल कर चुके हैं।
भाजपा ने नहीं उतारा है करहल सीट पर प्रत्याशी..
नामांकन में अब केवल दो दिन का ही समय शेष है। इसके बाद भी भाजपा ने अब तक यहां अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव करहल से ही चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में भाजपा यहां कोई मजबूत प्रत्याशी लाने का प्रयास कर रही है। सूत्रों के अनुसार अब तक भाजपा को सफलता हाथ नहीं लगी है। अगर 31 जनवरी तक कोई प्रत्याशी नहीं मिलता है तो पूर्व में चर्चा में रहे एक क्षेत्रीय नेता पर ही भाजपा अपना दांव खेलेगी।
सपा जिलाध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव ने बताया कि सोमवार को सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव करहल सीट से नामांकन पत्र दाखिल करने आ रहे हैं। करहल की जनता उन्हें प्रचंड मतों से जीत दिलाएगी। उनके साथ ही भोगांव और किशनी सीट से सपा प्रत्याशी भी नामांकन दाखिल करेंगे।
मौनी अमावस्या 2022: इस बार दो दिन होगा अमावस्या का स्नान..
देश – विदेश : मौनी अमावस्या के दिन ही सृष्टि के आदि पुरुष महाराज मनु का जन्म हुआ था। इस कारण भी इसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
इस बार मौनी अमावस्या का योग दो दिन 31 जनवरी और एक फरवरी को पड़ रहा है। दो दिन मौनी अमावस्या होने के कारण स्नान के लिए विशेष योग पड़ रहा है। इस दिन स्नान, दान, तर्पण, पितृ यज्ञ आदि करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
सोमवार व मंगलवार को पड़ने पर महत्व खास..
आईआईटी स्थित सरस्वती मंदिर के पुजारी आचार्य राकेश शुक्ल ने बताया कि 31 जनवरी को सोमवती और एक फरवरी को भौमवती का योग सामान्य दिनों की अपेक्षा सोमवार व मंगलवार को पड़ने पर इसका महत्व खास हो जाता है। माघ कृष्ण अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
पितृ दोष से मिलती है मुक्ति..
शास्त्रों के अनुसार इस दिन मौन रहकर स्नान करने का विधान है। 31 जनवरी को अमावस्या तिथि दोपहर 2.15 बजे से शुरू होगी। इसके बाद एक फरवरी को 11.15 बजे तक रहेगी। उन्होंने बताया कि माघ कृष्ण अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। मौनी अमावस्या के दिन दान, तर्पण, पितृ यज्ञ करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
इस दिन पितरों के निमित्त जलांजलि देने से घर में सुख-सृमद्धि आती है। मौनी अमावस्या के दिन ही सृष्टि के आदि पुरुष महाराज मनु का जन्म हुआ था। इस कारण भी इसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
इस दिन यदि कोई गंगा तट पर नहीं पहुंच पाता है तो वो घर के बाहर किसी नदी में, तालाब में या घर पर ही स्नान कर ले तो उसे पूरा पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन गरम कपड़े, घी, तिल, चावल, कंबल, दूध आदि का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
सालभर में 30 हजार बांग्लादेशियों के बनाए फर्जी आधार कार्ड..
गाजियाबाद में बड़े गिरोह का भंडाफोड़..
देश – विदेश : गाजियाबाद कोतवाली पुलिस और साइबर सेल ने शुक्रवार को नेपाल और बांग्लादेशियों के फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया। मामले में दो युवतियों समेत 8 लोगों को गिरफ्तार किया ।
फर्जी आधार कार्ड बनाने का यह गोरखधंधा किराना मंडी पुलिस चौकी के पास स्थित एक्सप्रेस मार्केट में चल रहा था। आरोपी फर्जी मुहर से जाली-नाम पते तस्दीक कर आधार कार्ड बनाते थे। गिरोह सालभर में 30 हजार से अधिक फर्जी आधार कार्ड बना चुका है।
सीओ प्रथम स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि अंबेडकर रोड पर एक्सप्रेस मार्केट स्थित यमनोत्री मार्केट में फर्जी आधार बनाने की सूचना मिली थी। साइबर सेल, सर्विलांस सेल और नगर कोतवाली पुलिस ने छापामारी की तो वहां फर्जी आधार कार्ड बनते मिले। मौके से अंकित गुप्ता, शिवम, मोनू गुप्ता, सचिन, विशाल रघुवंशी, लक्ष्य शर्मा, पूजा रावत तथा सुजीता को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने भारी संख्या में आधार कार्ड बनाने वाले उपकरण और दस्तावेज बरामद किए हैं। पुलिस के मुताबिक बीएससी पास अंकित गुप्ता गिरोह का सरगना है। आरोपी फर्जी मुहर से जाली-नाम पते तस्दीक कर आधार कार्ड बनाते थे।
फर्जी मुहर से जाली-नाम पते करते थे सत्यापित..
आरोपी असम के फर्जी आधार कार्ड बनाकर यूआईडीएआई से खुद व साथियों को सुपरवाइजर व ऑपरेटर बना देते थे। इससे उन्हें यूआईडीएआई का लॉगिन पासवर्ड मिल जाता था। वह ऑपरेटरों और सुपरवाइजरों के रबर के फिंगर प्रिंट और आई रेटिना स्कैनर बना लेते। इनका इस्तेमाल कर एक ही आईडी को कई जगह लॉगिन करके फर्जी आधार कार्ड बनाते थे।
असम का आधार कार्ड बनवा लॉगिन आईडी ली..
आधार कार्ड बनाने का सेंटर लेने के लिए एनएसईआईटी परीक्षा पास करनी होती है। इसके बाद असम की असूजा कंपनी सर्टिफिकेट और लॉगिन आईडी उपलब्ध कराती है। पूछताछ में अंकित ने बताया कि उसकी मुलाकात फ्रंटेक सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नाम की फर्म की जया चौहान से हुई थी। यह कंपनी असूजा कंपनी की सबऑर्डिनेट कंपनी है। उसके कहने पर उसने अपना असम का फर्जी आधार कार्ड बनवाया और असम में आधार कार्ड बनाने की आईडी और लॉगिन पासवर्ड ले लिया। उसने गैंग के मोनू गुप्ता और सुजीता का भी असम का फर्जी आधार कार्ड बनाकर लॉगिन आईडी ले ली।
डेढ़ दर्जन से अधिक सेंटर..
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में उनके डेढ़ दर्जन से अधिक सेंटर हैं, जहां फर्जी आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। इनके निशाने पर नेपाल और बांग्लादेश के लोग रहते हैं। वह उनके फर्जी नाम-पते तस्दीक कर उनके फर्जी आधार कार्ड तैयार करते। आधार कार्ड बनाने की एवज में 5 हजार रुपये और पता बदलने की एवज में दो से तीन हजार रुपये वसूलते थे। सालभर में वह 30 हजार से अधिक फर्जी आधार कार्ड बना चुके हैं। पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने फर्जी आधार कार्ड के अलावा पैन कार्ड बनाने की बात भी कबूल की है। आरोपियों द्वारा संचालित आधार कार्ड सेंटरों पर पुलिस की टीमें दबिश दे रही हैं।
यह माल हुआ बरामद..
आरोपियों के कब्जे से 30 लैपटॉप, 9 मोबाइल, 5 आई स्कैनर, 3 थंब स्कैनर, 6 फिंगर स्कैनर, 11 मॉनिटरयुक्त सीपीयू, 8 मुहर, 25 नई आधार रसीद, 67 अपडेट अधार रसीद, 1 प्रिंटर, 137 आधार कार्ड, 30 ब्लैक आधार कार्ड, 9 गलो स्टिक, 1 ग्लू गन, 209 रबर के अंगूठा निशान, 5 चेक बुक, 5 पास बुक, 22 आधार कार्ड, 61 आई रेटीना क्लोन (सफेद पेपर पर छपे), 2 डिब्बे विजिटिंग कार्ड, 33 आधार कार्ड और यूआईडीएआई युक्त सुपरवाईजर फॉर्म सीट और एनएसई सर्टीफिकेट बरामद हुए हैं।
‘9/11 के आतंकी हमले जैसे थे दिल्ली दंगे, उमर खालिद ने रची थी साजिश..
धर्मनिरपेक्ष विरोध को ‘मुखौटा’ बनाकर किए गए प्रदर्शन..
देश – विदेश : दिल्ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए फरवरी 2020 के साम्प्रदायिक दंगों की कथित साजिश की तुलना अमेरिका में 9/11 के आतंकवादी हमले से की है।
विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान खालिद पर साजिश रचने के लिए बैठक आयोजित करने और नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ प्रदर्शन स्थल की निगरानी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष विरोध को एक ‘मुखौटा’ बनाकर कहीं भी प्रदर्शन की योजना बनाई गई और उसका टेस्ट किया गया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष उमर की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अभियोजक ने कहा कि 9/11 होने से ठीक पहले इसमें जुड़े सभी लोग एक विशेष स्थान पर पहुंचे और ट्रेनिंग ली। उससे एक महीने पहले वे अपने-अपने स्थानों पर चले गए। इस मामले में भी यही चीज हुई है।
उन्होंने आगे कहा कि 9/11 प्रकरण का संदर्भ बहुत प्रासंगिक है। 9/11 के पीछे जो व्यक्ति था, वह कभी अमेरिका नहीं गया। मलेशिया में बैठक कर साजिश की गई थी। उस समय वाट्सऐप चैट उपलब्ध नहीं थे। आज हमारे पास दस्तावेज उपलब्ध हैं कि वह समूह का हिस्सा था। यह दिखाने के लिए आधार है कि हिंसा होने वाली थी।
प्रसाद ने अदालत से आगे कहा कि 2020 के विरोध प्रदर्शन का मुद्दा सीएए या राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) नहीं बल्कि सरकार को शर्मिंदा करने और ऐसे कदम उठाने का था कि यह अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियों में आ जाए।
सुनवाई की आखिरी तारीख पर अभियोजक ने अदालत को बताया कि सभी विरोध स्थलों को मस्जिदों से निकटता के कारण चुना गया था, लेकिन इसे एक मकसद से धर्मनिरपेक्षता का नाम दिया गया था। खालिद और कई अन्य लोगों पर गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया और उन पर दंगों के ‘मास्टरमाइंड’ होने का आरोप लगाया गया था। दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे।
बिहार में छात्रों ने ट्रेनों को पहुंचाया नुकसान..
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर सजा भी मिल सकती है..
देश – विदेश : रेलवे ने कुछ दिनों पहले बयान जारी कर कहा है कि ‘जो भी अभ्यर्थी रेलवे स्टेशनों पर हिंसा और तोड़फोड़ में शामिल होते हैं और वीडियो में उनकी पहचान होती है तो उन्हें आजीवन रेलवे में नौकरी नहीं दी जाएगी।’
रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) की नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटिगरी (एनटीपीसी) परीक्षा के रिजल्ट में धांधली का आरोप लगाते हुए छात्रों ने बुधवार को यूपी से बिहार तक तीसरे दिन भी जमकर हंगामा किया। बिहार में एक ट्रेन में आग लगा दी गई। यार्ड में खड़ी कई पैसेंजर ट्रेन को भी आग के हवाले कर दिया। साथ ही गया रेलवे स्टेशन में चलती ट्रेन पर पत्थरबाजी की गई। गया के एससपी आदित्य कुमार के मुताबिक शरारती तत्वों ने ट्रेन की बोगी में आग लगाई है। इसके लिए कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है।
पिछले तीन दिनों से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में रेलवे भर्ती परीक्षा के उम्मीदवारों की ओर से किए जा रहे आंदोलन को देखते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पांच सदस्यों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर गिया गया है। सभी अभ्यर्थी अपनी-अपनी शिकायत-सुझाव तीन हफ्तों के भीतर दर्ज करा सकते हैं। इसी आधार पर समाधान निकाला जाएगा। रेल मंत्री ने आंदोलनकारी छात्रों से यह अपील भी है कि वे सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट नहीं करे। इससे पहले रेलवे ने कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को आजीवन रेलवे में नौकरी नहीं दी जाएगी।
छात्रों के इस आंदोलन और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की खबरों के बीच इस बात को लेकर बहस एक बार फिर तेज हो गई है कि आंदोलन करना छात्रों का या किसी का भी मौलिक अधिकार है लेकिन आन्दोलनों के प्रभाव और उसके परिणामस्वरूप सामान्य जीवन में व्यवधान होने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचने पर उन्हें सजा के दायरे में लाया जाए या नहीं?
2020 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और जनता को असुविधा पहुंचाने के आरोप में 450 लोगों को दंडित किया जिसे लेकर खूब राजनीति भी हुई थी। 2019 में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत देशभर में चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान कई जगहों पर हिंसा भड़की थी और उपद्रवी जगह-जगह सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान भी पहुंचा रहे थे।
कितना होता है नुकसान..
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को सजा देने का तर्क देने वालों का कहना है कि आंदोलन करना लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि बंद, विरोध या आंदोलनों में जब सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है तो आयोजकों और भाग लेने वाले ज्यादातर लोगों को कुछ घंटों की हिरासत के बाद छोड़ दिया जाता है, जबकि सार्वजनिक संपत्ति जिसे बनाने में जनता के ही करोड़ों रूपये खर्च होते हैं, उसको भारी नुकसान पहुंचाया जाता है।
एसोचैम का अनुमान है कि 2016 में हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान 1,800-2,000 करोड़ रुपये की सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। इसी तरह जनवरी 2020 में जैसे ही सरकार ने संसद में नागरिकता संशोधन विधयेक पेश किया पश्चिम बंगाल भड़क उठा। अनुमान है कि राज्य में भड़के विद्रोह से भारतीय रेलवे ने चार दिनों में 80 करोड़ की संपत्ति खो दी।
बीते कुछ सालों में सार्वजनिक संपत्ति को और कब-कब पहुंचाया गया नुकसान..
2015 में गुजरात में पाटीदार आंदोलन के दौरान भी तोड़फोड़ में 660 सरकारी वाहनों और 1,822 सार्वजनिक भवनों को आग लगा दी गई थी।
कर्नाटक में 2016 कावेरी दंगों में 30 से अधिक राज्य परिवहन बसों को क्षतिग्रस्त किया गया था।
2018 में जब केरल में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विरोध चल रहा था तब भी 49 सरकारी बसें क्षतिग्रस्त हो गईं थीं।
राजस्थान में 2017 में फिल्म पद्मावत की रिलीज के आसपास और 2019 में गुर्जर समुदाय के आरक्षण आंदोलन के दौरान भी तोड़फोड़ और आगजनी की कई घटनाएं देखी गईं।
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की वजह क्या..
सुप्रीम कोर्ट के वकील और कानूनी जानकार विराग गुप्ता छात्रों के आंदोलन के संदर्भ में मानते हैं कि कानून और संविधान के अलावा छात्रों के आंदोलन और हिंसा के कई और पहलू हैं। आजादी के पहले अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की जो परंपरा शुरू हुई वह आजादी के बाद भी जारी रही। जेपी आंदोलन हो या अन्य आंदोलन, उनमें छात्रों की विशेष भूमिका थी।
उनका कहना है ‘छात्र आंदोलनों को लोकतंत्र के भीतर विरोध का माध्यम भी बताया जाता है। परीक्षाओं में हो रही संस्थागत और सामूहिक गड़बड़ी को दूर करने के लिए सरकारों ने ठोस सुधार नही किया। इसलिए हिंसा और सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसलिए यह आंदोलनकारियों के साथ सरकार की भी संवैधानिक विफलता को दर्शाता है।’
बहरहाल, यह जानना जरूरी है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर किसी व्यक्ति को क्या सजा मिल सकती है? लेकिन पहले समझिए कि सार्वजनिक संपत्ति के दायरे में क्या-क्या आता है?
किसी भी ऐसे भवन या स्थान को सार्वजनिक संपत्ति माना जाता है जिसका इस्तेमाल पानी, बिजली या ऊर्जा के उत्पादन और वितरण के लिए किया जाता है। टेलिकॉम और ऑयल इंस्टॉलेशन की संपत्ति, सीवेज वर्क, माइन्स, फैक्ट्री या सार्वजनिक परिवहन के साधन जैसे सरकारी बस और रेल को भी सार्वजनिक संपत्ति माना जाता है।
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर क्या सजा हो सकती है..
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से बचाने के लिए सार्वजनिक संपत्ति रोकथाम अधिनियम, 1984 जैसा कानूनी प्रावधान है। इसके तहत दोषी पाए जाने वाले को कम से कम छह महीने और पांच साल तक की जेल की सजा हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी भरना होगा। बशर्ते प्रदर्शन के दौरान आगजनी और भीड़ को हिंसा के लिए उकसाने के जिम्मेदार की पहचान हो जाए और उसका गुनाह कोर्ट में साबित कर दिया जाए।
इस कानून के मुताबिक आग या विस्फोटक पदार्थ से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले शरारती तत्व को धारा 3 की उप-धारा (1) या उप-धारा (2) के तहत कठोर कारावास की सजा मिल सकती है जो एक साल से कम नहीं होगी लेकिन उसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है। लेकिन इस कानून में नुकसान की वसूली का कोई प्रावधान नहीं है।
इस संबंध में अदालतों के निर्देश क्या हैं..
आंदोलन या अन्य किसी वजहों से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के संबंध में 2009 के सुप्रीम कोर्ट ने एक दिशा-निर्देश बनाया है।
इसके अनुसार, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर विद्रोहियों को इसका जम्मेदार ठहराया जा सकता है।
2007 में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस केटी थॉमस की अध्यक्षता वाली समिति ने 1984 के कानून में कुछ सख्त प्रावधान भी जोड़े। नियम बने कि विद्रोहों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की घटनाओं के लिए उसके नेता को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
वहीं, आंध्र प्रदेश के एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में निर्देश दिए कि ‘अगर किसी विरोध प्रदर्शन में बड़े स्तर पर सार्वजनिक संपत्तियों की तोड़फोड़ की जाती है और उसे नुकसान पहुंचाया जाता है तो हाई कोर्ट स्वतः संज्ञान लेते हुए घटना व नुकसान की जांच के आदेश दे सकता है। साथ ही ऐसा अपराध करने वाले उपद्रवियों को भी जिम्मेदार ठहरा सकता है।’
कितनों पर होती है कार्रवाई..
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में देशभर में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने के करीब 8 हजार मामले दर्ज किए गए।एनसीआरबी की रिपोर्ट यह भी कहती है कि 2020 में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर 4,524 मामले दर्ज किए गए थे लेकिन केवल 868 पर ही आरोप साबित हो सके।
यानी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की पहचान और उन पर दोष सिद्ध कर पाना इस कानून की सबसे बड़ी चुनौती है। यही वजह है कि 2017 के आखिर तक सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान के 14,876 केस देश की कई अदालतों में लंबित थे।
वजह क्या..
इसके पीछे दो बड़ी वजहें बताई जाती हैं। एक तो ऐसे जन आंदोलनों में उनका नेतृत्व या संचालन करने वालों का कोई निश्चित चेहरा नहीं होता। प्रदर्शनों के दौरान किसने क्या उपद्रव किया और किसने तोड़-फोड़ और आगजनी की, यह साबित करना मुश्किल हो जाता है।
जहां ऐसे आंदोलनों का नेतृत्व करने वाले का चेहरा और नाम स्पष्ट है, वहां भी कोर्ट में यह बात आसानी से साबित नहीं हो पाती है कि उन्होंने ही हिंसा भड़ाकने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की बात कही थी।
एक आंकड़े के अनुसार, पहचान न हो पाने के कारण सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर महज 29.8 फीसदी मामलों में ही दोषियों को सजा मिल पाती है। विराग गुप्ता के मुताबिक मान लीजिए कि अगर किसी के ऊपर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज भी हो जाता है, तो पुलिस के लिए उसके खिलाफ सबूत जुटाना मुश्किल काम हो जाता है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों ने भीड़ की वजह से फैली हिंसा या सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली के लिए भी नए कानून बनाए हैं लेकिन उसे कारगार बनाने की दिशा में अभी भी कई चुनौतियां हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की उत्तर प्रदेश वसूली विधेयक, 2021 पारित किया। इस कानून के तहत, प्रदर्शनकारियों को सरकारी या निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के दोषी पाए जाने पर एक साल की कैद या 5,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।
उपाय क्या..
माना जाता है कि चेहरे की पहचान तकनीक, सार्वजनिक स्थानों और सार्वजनिक संपत्तियों पर सीसीटीवी कैमरे की संख्या बढ़ाने और कुछ मामलों में पुराने डेटाबेस के आधार पर पुलिस ऐसे लोगों की पहचान कर सकती है जो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं।
अमेरिका की तरह सख्त कानून बने
सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ के लिए कड़ी दंडात्मक कार्रवाई का एकमात्र उदाहरण डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ मिलता है, पंथ के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की गिरफ्तारी के बाद उनके अनुयायियों ने 2017 में पूरे हरियाणा और पंजाब में संपत्तियों को नष्ट कर दिया था। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि संपत्ति के सभी नुकसान डेरा से वसूल किए जाएंगे।
कुछ जानकार आंदोलन की प्रवृति को देखते हुए भारत में अमेरिका की तरह प्रदर्शनकारियों के लिए सख्त कानून बनाने की मांग करते हैं। अमेरिका में ट्रैफिक को अवरुद्ध करने वाले प्रदर्शनकारियों के लिए हुए कठोर दंड का प्रावधान है। साथ ही कानून प्रवर्तन एजेंसियों को राष्ट्र के ‘महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे’ को नुकसान पहुंचाने या बाधित करने वाले प्रदर्शनकारियों से लागत वसूलने के भी अधिकार हासिल हैं। महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के तौर पर सार्वजनिक उपयोगिताओं में तेल और गैस पाइपलाइन, बिजली टावर, रेलवे और सार्वजनिक परिवहन वाहन शामिल है।
हरीश रावत की बदली सीट , अब रामनगर नहीं लड़ेंगे चुनाव..
पांच सीटों पर बदले गए टिकट..
देश – विदेश : कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत लाल कुआं से, पूर्व विधायक रणजीत रावत सल्ट से, महेश शर्मा कालाढूंगी से और पूर्व सांसद महेंद्र पाल रामनगर से उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में जारी बगावत और असंतोष के परिणाम लगता है आने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत की सीट बदल गई है।
कांग्रेस ने पांच सीटों पर टिकट बदल दिए हैं। डोईवाला से मोहित उनियाल का टिकट कटा। गौरव चौधरी को मिला। चौबट्टाखाल से केसर सिंह नेगी। नरेंद्रनगर से ओम गोपाल रावत और ज्वालापुर से बरखारानी का टिकट बदल कर रवि बहादुर को दिया। टिहरी पर अब भी सस्पेंस बना हुआ है।
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत लाल कुआं से, पूर्व विधायक रणजीत रावत सल्ट से, महेश शर्मा कालाढूंगी से और पूर्व सांसद महेंद्र पाल रामनगर से उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। उन्होंने बताया कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है। रामनगर विधानसभा सीट पर हरीश रावत के कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर घोषित किए जाने के बाद ही इस सीट पर बगावत होने लगी थी।
कांग्रेस में परिवारवाद की छाया..
टिकटों में बदलाव को लेकर पार्टी में परिवारवाद की बात भी उठने लगी है। हरीश रावत, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, स्व. इन्दिरह रद्देश और संसद केसी सिंह बाबा के परिवार के सदस्यों को टिकट मिला है।
हरक की पुत्रवधू अनुकृति को लैंसडौन से, पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के बेटे को काशीपुर से, इंदिरा के बेटे सुमित ह्रदयेश को हल्द्वानी से और हरीश रावत की बेटी अनुपमा को हरिद्वार ग्रामीण से उम्मीदवार बनाया गया है। यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य नैनीताल से हैं प्रत्याशी।
पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी ऋतु खंडूड़ी को डोईवाला से उतारेगी भाजपा..
देश – विदेश : भाजपा डोईवाला और कोटद्वार सीट को लेकर ऋतु खंडूड़ी के नाम पर भी विचार कर रही है। बताया जा रहा है कि भाजपा मंगलवार तक फैसला करने के बाद 11 प्रत्याशियों की सूची जारी कर देगी।
भाजपा ने अभी 11 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है। इनमें से डोईवाला और कोटद्वार विधानसभा सीट पर सबसे अधिक पेच है।
सूत्रों ने बताया कि डोईवाला और कोटद्वार को लेकर पहले पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत के भाई कर्नल विजय रावत को लेकर चर्चा हुई लेकिन उनके चुनाव लड़ने को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। उसके बाद भाजपा की ओर से सीडीएस जनरल रावत की बेटियों के नाम पर भी चर्चा की गई।
सूत्रों का कहना है कि अब पार्टी कोटद्वार और डोईवाला सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी व यमकेश्वर से विधायक ऋतु खंडूड़ी के नाम पर चर्चा कर रही है।
कोटद्वार के लिए ऋतु अभी सहमत नहीं हुई हैं। हालांकि पार्टी की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। विधायक ऋतु खंडूड़ी ने इस संदर्भ में जानकारी होने से इनकार किया है। उन्होंने बताया कि वे दिल्ली में हैं और पार्टी ने अभी इस संदर्भ में उनकी राय नहीं ली है। उन्होंने कहा कि यदि उनसे पूछा जाएगा तो जरूर वह अपनी राय दे देंगी।
नामांकन पत्र निरस्त होने से नाराज AAP प्रत्याशी ने कलेक्ट्रेट में तेल डालकरकिया आत्मदाह का प्रयास..
देश – विदेश : यूपी विधानसभा चुनाव से पहले मुजफ्फनगर में आप प्रत्याशी का हाईवोल्डेज ड्रामा सामने आया है। आप प्रत्याशी ने अपने ऊपर तेल डालकर खुद को जलाने का प्रयस किया। हालांकि इससे पहले ही कलेक्ट्रेट में मौजूद पुलिस कर्मी ने प्रत्याशी को आत्मदाह करने से रोक लिया। विधानसभा चुनाव को लेकर पहले और दूसरे चरण के चुनाव को लेकर इन दिनों नामांकन हो रहे हैं। प्रथम चरण में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जनपद मुजफ्फरनगर की 6 विधानसभा सीटों पर करीब 97 प्रत्याशी ने नामांकन किया है। सोमवार सुबह इन नामांकन पत्रों की जांच शुरू हुई।
मीरापुर विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी जोगिंदर सिंह का नामांकन प्रशासन ने निरस्त कर दिया है। जोगिंदर सिंह ने कलेक्ट्रेट में आत्मदाह की चेतावनी दी है। जोगिंदर सिंह ने बताया कि वह आर्मी में सूबेदार मेजर रहे हैं। रिटायर होने के बाद जनता की सेवा में लगे हैं। मीरापुर विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी से नामांकन दाखिल किया था। नामांकन पत्र में निराश्रित का कॉलम खाली छोड़ने पर उनका नामांकन पत्र निरस्त कर दिया ।उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन दबाव में कार्य कर रहा है या फिर तानाशाही दिखा रहा है। अधिकारियों का अनुचित कृत्य का विरोध किया जाएगा। उसके बाद फिर से जोगिंदर सिंह रिटर्निंग ऑफिसर के पास पहुंचे।
आरोप है कि रिटर्निंग ऑफिसर ने उनकी कोई बात नहीं सुनी। रिटर्निंग ऑफिसर ने जोगिंदर सिंह से कहा कि उनका नामांकन पत्र निरस्त हो चुका है। इस बात से खफा जोगिंदर सिंह ने बाहर आकर अपने ऊपर पेट्रोल छिड़क दिया और आत्मदाह करने का प्रयास किया। मौके पर मौजूद पुलिस ने जोगिंदर सिंह के आत्मदाह को विफल कर दिया। कचहरी में हंगामे की सूचना मिलने पर एडीएम प्रशासन मौके पर पहुंचे। पीड़ित प्रत्याशी जोगिंदर सिंह ने एडीएम प्रशासन को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। एडीएम प्रशासन ने जोगिंदर सिंह को समझा कर शांत किया। उसके बाद जोगिंदर सिंह अपने अधिवक्ता के साथ डीएम से मिलने के लिए पहुंचे और डीएम को पूरे मामले की जानकारी दी।