संस्कृत में बात करेंगे डिम्मर गांव के लोग..
उत्तराखंड: राज्य सरकार की मुहिम रंग लाई तो अब डिम्मर गांव की महिलाएं अहम खेत्रम गच्छामी, तत्र घासम गृहणामी..(मैं खेत जा रही हूं, वहां से घास लेकर घर आऊंगी) इसी तरह संस्कृत भाषा में आपस में बातें करेंगी। बता दे कि प्रदेश के संस्कृत निदेशालय ने राज्य के 13 जिलों में 13 आदर्श संस्कृत ग्राम बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
इसी के तहत चमोली जिले के डिम्मर गांव को आदर्श संस्कृत ग्राम के रूप में चुना गया है। गांव में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित सभी को संस्कृत भाषा सिखाई जाएगी। इसके लिए गांव में एक संस्कृत प्रशिक्षित व्यक्ति का चयन किया जाएगा जो ग्रामीणों को संस्कृत भाषा बोलनी सिखाई जाएगी। इसके लिए उसे 12000 रुपये प्रतिमाह मानदेय भी दिया जाएगा।
डिम्मर गांव कर्णप्रयाग से 7 किलोमीटर की दूरी पर कर्णप्रयाग-सिमली मोटरमार्ग पर स्थित है। 500 परिवारों के इस गांव में करीब 250 ब्राह्मण, 150 राजपूत और 100 अनुसूचित जाति के परिवार रहते हैं। डिम्मर गांव के डिमरी ब्राह्मण बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना का जिम्मा संभालते हैं। साथ ही वह माता मूर्ति से लेकर जोशीमठ नृसिंह मंदिर में भी पूजा का दायित्व संभालते हैं।
संस्कृत शिक्षा विभाग करेगा माॅनिटरिंग
डिम्मर गांव से बद्रीनाथ धाम का गाडू घड़ा का संचालन भी होता है। इसके साथ ही बद्रीनाथ के रावल बद्रीनाथ धाम की यात्रा संपन्न होने के बाद पूजा के लिए डिम्मर गांव में लक्ष्मी नारायण मंदिर जाते हैं। इन सब धार्मिक कार्यक्रमों में अधिकाधिक संस्कृत का प्रयोग होता है। इसलिए इस योजना के तहत डिम्मर गांव का चयन किया गया है। इसके तहत अब गांव के सभी वर्गों के लोगों को संस्कृत भाषा बोलना सिखाया जाएगा। साथ ही गांव में संस्कृत स्थानीय शिक्षा समिति भी गठित की जाएगी। समिति की ओर से प्रतिमाह संस्कृत भाषा पर चर्चा की जाएगी। इसकी माॅनिटरिंग संस्कृत शिक्षा विभाग करेगा।
वर्ष 1918 से हो रहा डिम्मर गांव में संस्कृत महाविद्यालय का संचालन
डिम्मर गांव में वर्ष 1918 से संस्कृत महाविद्यालय का संचालन हो रहा है। पूर्व में डिमरी ब्राह्मणों की ओर से ही महाविद्यालय का संचालन किया जाता था। मौजूदा समय में महाविद्यालय को श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से संचालित किया जाता है। यहां कक्षा छह से आचार्य तक की कक्षाओं का संचालन होता है। डिमरी परिवारों ने महाविद्यालय के संचालन के लिए अपनी 30 नाली भूमि भी दान में दी थी और यहां एक छात्रावास भी है।
1918 से डिम्मर गांव में संस्कृत महाविद्यालय संचालित हो रहा है। कॉलेज का संचालन पहले केवल डिमरी ब्राह्मणों द्वारा किया जाता था। वर्तमान में श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति कॉलेज की देखरेख करती है। यहां छठी कक्षा से लेकर आचार्य तक के छात्रों के लिए पाठ्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। डिमरी परिवारों ने कॉलेज संचालन के लिए अपनी 30 नाली जमीन दान में दी थी और इस स्थान में एक छात्रावास भी हैं।