उत्तराखंड की चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी, जो सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है, अपने विस्तार और उन्नयन की राह देख रही है। यह हवाई पट्टी भारत-चीन सीमा, चारधाम यात्रा और आपदा प्रबंधन के लिहाज से बेहद उपयोगी हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया दौरे से स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इसके विकास और कायाकल्प का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
इतिहास और विकास की मांग
. 1992-93: उत्तर प्रदेश सरकार ने चिन्याली, नागणी, धनपुर और श्यामपुर के किसानों से 776 नाली भूमि अधिग्रहित की।
. 2013: उत्तराखंड सरकार ने 46 करोड़ रुपये के बजट से रनवे विस्तार (1165 मीटर लंबाई और 30 मीटर चौड़ाई) सहित एटीसी टॉवर, टर्मिनल भवन और विद्युत स्टेशन का निर्माण किया।
. अधूरे कार्य: टैक्सी स्टैंड, रनवे समतलीकरण और अन्य सुविधाएं अब भी लंबित हैं।
सामरिक और चारधाम यात्रा के लिए महत्वपूर्ण
. वायुसेना का अभ्यास केंद्र – लड़ाकू और मालवाहक विमानों की लैंडिंग और टेकऑफ का अभ्यास किया जाता है।
. सेना और हेलिकॉप्टर संचालन – सेना के महत्वपूर्ण हेलिकॉप्टर यहां उतरते हैं।
. चारधाम यात्रा के लिए हवाई सेवा की मांग – स्थानीय लोग हवाई पट्टी को चारधाम यात्रा के लिए इंटर-स्टेट हवाई सेवा केंद्र के रूप में विकसित करने की उम्मीद कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों की मांग और उम्मीदें
चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे के अधूरे कार्यों को पूरा करने और इसे चारधाम यात्रा व सामरिक उद्देश्यों के लिए विकसित करने की मांग लंबे समय से उठ रही है। पूर्व प्रमुख बलबीर सिंह बिष्ट, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शूरवीर रांगड़, पूर्ण सिंह बिष्ट और सतपाल बिष्ट ने सरकार से इसे शीघ्र विकसित करने की अपील की है।
पीएम मोदी के शीतकालीन प्रवास के दौरान मुखबा में उनकी यात्रा से यह उम्मीद और प्रबल हो गई है कि चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी जल्द ही एक पूर्ण विकसित हवाई अड्डे में तब्दील होगी, जिससे चारधाम यात्रा और सामरिक दृष्टिकोण को मजबूती मिलेगी।