सिलक्यारा सुरंग निर्माण को केंद्र सरकार से मिली मंजूरी..
भूस्खलन हादसे के बाद से बंद था काम..
उत्तराखंड: सिल्यक्यारा सुरंग निर्माण को केंद्र सरकार से मंजूरी मिल गई है। भूस्खलन हादसे के बाद से सुरंग निर्माण का कार्य बंद था। कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से निर्माण कार्य को स्वीकृति मिलने की पुष्टि की है। एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक का कहना हैकि सिलक्यारा छोर से निर्माण शुरू करने से पहले सुरक्षात्मक कार्य किए जाएंगे। इसमें 10 से 15 दिन का समय लग सकता है। जबकि बड़कोट छोर से जल्दी कार्य शुरू किया जाएगा। आपको बता दे कि 12 नवंबर की सुबह सुरंग के सिलक्यारा की ओर वाले सिरे में करीब 56 मीटर तक मलबा आने के बाद 41 मजदूर भीतर फंस गए थे। केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों ने बमुश्किल 17वें दिन उन्हें सकुशल बाहर निकाल दिया था। इसके बाद से सुरंग निर्माण के भविष्य को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे।
भूगर्भीय जांच रिपोर्ट पाई गई थी गलत..
सिलक्यारा सुरंग की डीपीआर में जो भूगर्भीय जांच की रिपोर्ट लगी हुई है, वह गलत निकली। निर्माण से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट में इस पहाड़ में हार्ड रॉक बताई गई थी, लेकिन जब निर्माण शुरू हुआ तो भुरभुरी मिट्टी निकली। इसी वजह से अब दोबारा जियो सर्वे कराया जाएगा। सिलक्यारा सुरंग से मजदूरों को बचाव के लिए राज्य सरकार ने वैज्ञानिकों की एक टीम को जांच सौंपी थी, जिसने अपनी रिपोर्ट दे दी थी। उस रिपोर्ट को संज्ञान में लेकर ही बचाव अभियान चला था। परिवहन मंत्रालय की ओर से इस सुरंग से संबंधित कोई जांच अभी तक नहीं बैठाई गई है। जांच में लापरवाही करने वालों की जिम्मेदारी भी स्पष्ट हो पाएगी।
483 मीटर बचा हुआ है हिस्सा..
बता दे कि सिलक्यारा सुरंग 4500 मीटर (4.5 किमी) लंबी है। सिलक्यारा की ओर से करीब 2,350 और दूसरे बड़कोट छोर से करीब 1,600 मीटर तक सुरंग खोदी जा चुकी है। बीच का करीब 483 मीटर हिस्सा ही बचा हुआ है। इसकी खोदाई पूरी होने के बाद सुरंग आरपार हो जाएगी। इस सुरंग का निर्माण 853.79 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है।