केदारनाथ यात्रा के लिए लाइन व्यवस्था लागू, उमड़ रही भीड़ के चलते लिया फैसला..
उत्तराखंड: केदारनाथ धाम की यात्रा को सुव्यवस्थित करने के लिए पुलिस और प्रशासन ने सोनप्रयाग से लाइन व्यवस्था को लागू किया है। बता दें कि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए ये फैसला लिया गया है। केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सोनप्रयाग से लाइन व्यवस्था को लागू किया गया है। जिसमें श्रद्धालु गौरीकुंड से शटल पार्किंग का उपयोग कर सकें। यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए ये फैसला लिया गया है। सोनप्रयाग शटल पार्किंग जाने के लिए पुलिस यात्रियों को अपनी लाइन में लगने के लिए अनाउंसमेंट करने के साथ ही लाइन लगवा रही थी। इस बीच कुछ यात्री लाइन में न लगते हुए सीधे आगे बढ़ने लगे। तभी ड्यूटी पर नियुक्त पुलिसकर्मी ने यात्रियों को रोकने का प्रयास किया। इस दौरान श्रद्धालु पुलिसकर्मियों के साथ अभद्रता और मारपीट पर उतारू हो गए। किसी तरह श्रद्धालुओं को वहां मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों ने शांत करवाया।
केदारनाथ यात्रा- हेली सेवा की बुकिंग के लिए अब यहां करना होगा रजिस्ट्रेशन..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा की तैयारियां तेज है। प्रशासन यात्रा की तैयारियों में जुटा हुआ है। 10 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुल रहे हैं। इसी दिन से सिरसी, फाटा और गुप्तकाशी से हेली सेवा का संचालन शुरू हो जाएगा। लेकिन इस बार केदारनाथ यात्रा के लिए आपको ज्यादा पैसे देने होंगे। जी हां बताया जा रहा है कि केदारनाथ हेली सेवा के किराये में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी। इतना ही नहीं केदारनाथ हेली सेवा से जाने के लिए यात्रियों का पंजीकरण अनिवार्य होगा। बिना पंजीकरण के यात्री हेली सेवा की ऑनलाइन टिकट बुकिंग नहीं कर पाएंगे।
मिली जानकारी के अनुसार केदारनाथ हेली सेवा के लिए उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण ने एविएशन कंपनियों के साथ तीन साल का अनुबंध किया है। अनुबंध की शर्तों के अनुसार, इस बार हेली कंपनियां किराये में पांच प्रतिशत तक बढ़ोतरी करेगी। इस बार भी टिकटों की बुकिंग आईआरसीटीसी के माध्यम से टिकटों की बुकिंग की जाएगी। चारधाम यात्रा में केदारनाथ हेली सेवा से जाने के लिए यात्रियों का पंजीकरण अनिवार्य होगा। बिना पंजीकरण के यात्री हेली सेवा की ऑनलाइन टिकट बुकिंग नहीं कर पाएंगे। साथ ही एक बार में एक व्यक्ति अपनी आईडी से अधिकतम छह सीटों की बुकिंग कर सकेगा, जबकि समूह में यात्रा करने वाले यात्री एक बार में 12 सीट बुक कर सकते हैं।
बताया जा रहा है कि पिछले यात्रा सीजन में पवन हंस, कैट्रल एविएशन, हिमालयन हेली, एयरो एविएशन समेत अन्य कंपनियों से हेली सेवा का संचालन किया था। यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर से केदारनाथ जाने के लिए टिकटों की मारामारी रहती है। पिछली यात्रा में 1.50 लाख से अधिक तीर्थयात्री हेलीकॉप्टर से केदारनाथ धाम पहुंचे थे।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध के बाद प्रदेश सरकार ने विगत विधानसभा चुनाव से पहले इसे भंग कर श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) को पुनर्जीवित कर दिया था। प्रदेश सरकार ने बीकेटीसी की कमान निर्विवादित व स्वच्छ छवि वाले वरिष्ठ भाजपा नेता अजेंद्र अजय को सौंपी। पूर्व में केदारनाथ आपदा घोटाला और प्रदेश में लैंड जिहाद जैसे मुद्दों को उठा कर चर्चाओं में रहे अजेंद्र अजय बीकेटीसी के अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद से फिर से न केवल खुद चर्चाओं में बने हुए हैं, बल्कि बीकेटीसी भी लगातार चर्चाओं में बनी हुई है। दरअसल, मंदिर समिति में दीमक की तरह लगे हुए कुछ लोगों ने वर्षों से ऐसी परंपरा कायम की हुयी है कि वो नए अध्यक्ष के आने पर उसे अपनी करबट में लेने की कोशिश करते हैं। यदि अध्यक्ष उनके अनुसार नहीं चलता है तो उसे घेरने और दबाब बनाने की कोशिश करते हैं। अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए बिना वजह के मुद्दों पर विवाद भी खड़ा करा देते हैं। अजेंद्र ने धामों में निजी स्वार्थों के लिए कार्य कर रहे कुछ लोगों के संगठित गिरोह पर भी चोट की और व्यवस्थाओं में परिवर्तन लाने का प्रयास किया है। इस कारण अजेंद्र लगातार स्वार्थी तत्वों के निशाने पर भी हैं और उन्हें घेरने की लगातार कोशिश की जा रही है। मगर अजेंद्र इन सब की परवाह किये बगैर लगातार मंदिर समिति में सुधारों को जारी रखे हुए हैं।
अध्यक्ष का कार्यभार संभालते ही अजेंद्र ने सबसे पहले बीकेटीसी की कार्यप्रणाली में बदलाव के प्रयास किए। वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय गठित हुई बीकेटीसी में कर्मचारियों व अधिकारियों के ट्रांसफर अपवादस्वरूप ही होते रहे हैं। अजेंद्र ने कर्मचारियों व अधिकारियों के स्थानांतरण कर बीकेटीसी में हड़कंप मचा दिया था।। कुछ कार्मिकों ने अध्यक्ष द्वारा किये गए ट्रांसफरों को धता बताने की कोशिश भी की, किन्तु अध्यक्ष के सख्त रूख के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। अध्यक्ष ने कार्मिकों की कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया। वर्षों से पदोन्नत्ति की मांग कर रहे कार्मिकों मुराद पूरी की और वेतन विसंगति का सामना कर रहे 130 से अधिक कार्मिकों के वेतन में वृद्धि भी की।
अजेंद्र ने लगभग 11 वर्षों से बीकेटीसी में मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर कुंडली जमाये बैठे विवादित अफसर बीडी सिंह को भी चलता किया। भाजपा हो अथवा कांग्रेस हर सरकार में बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर जमे रहने वाले बीडी सिंह ने मंदिर समिति से हटते ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ही ले ली थी। अजेंद्र ने बीकेटीसी में पारदर्शिता व भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए भी कई कदम उठाये। मंदिर समिति में वित्तीय पारदर्शिता कायम करने के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित कर शासन से वित्त अधिकारी की नियुक्ति कराई गयी। केदारनाथ धाम में दान चढ़ावे की गिनती के लिए पारदर्शी ग्लास हॉउस निर्मित कराया गया। अन्य भी कई नयी पहल शुरू की गयीं, जिनसे बीकेटीसी की आय में भी वृद्धि हुई है।
आजादी से पूर्व गठन होने के बावजूद बीकेटीसी में अभी तक कार्मिकों की सेवा नियमावली नहीं है। इस कारण कई विसंगतियां पैदा होती रही हैं। बीकेटीसी बोर्ड ने विगत माह बैठक में कार्मिकों की सेवा नियमावली का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, जिस पर शासन स्तर पर तेजी से कार्रवाई चल रही है। अजेंद्र ने सचिवालय की तर्ज पर बीकेटीसी में अलग से सुरक्षा संवर्ग तैयार करने की पहल भी की है। यह प्रस्ताव भी शासन में विचाराधीन है। बीकेटीसी का सुरक्षा संवर्ग गठित होने पर केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में मंदिरों की आंतरिक सुरक्षा पूरी तरह से बीकेटीसी के हाथों में रहेगी। अजेंद्र के कार्यकाल में बीकेटीसी में अवैध नियुक्तियों पर भी रोक लगी। अब तक अधिकांश अध्यक्षों के कार्यकाल में बीकेटीसी में बड़ी संख्या में कार्मिकों की अवैध रूप से नियुक्तियां की गयीं। इस कारण बीकेटीसी को सात सौ से भी अधिक कर्मचारियों का बोझ उठाना पड़ रहा है। आधे कार्मिकों के पास कोई काम तक नहीं है। पहली बार अजेंद्र के कार्यकाल में एक भी कर्मचारी की अवैध नियुक्ति नहीं हुयी।
अजेंद्र ने मंदिरों के जीर्णोद्वार, विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की दिशा में भी ठोस पहल की। उनके कार्यकाल में सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित किया जाना रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देख रेख में यह प्रक्रिया पूर्ण कराई। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। अजेंद्र ने बाबा केदारनाथ व भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन गद्दी स्थल उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के विकास व विस्तारीकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना पर भी काम शुरू किया। इस कार्य के लिए स्थानीय जनता द्वारा करीब तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है और पूर्व में कई मुख्यमंत्रियों द्वारा इसका शिलान्यास भी किया गया था।
आपदा में ध्वस्त हो चुके केदारनाथ मंदिर के समीप स्थित ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण भी अजेंद्र के कार्यकाल की उपलब्धि है। आपदा के इतने वर्षों पश्चात गत वर्ष इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। एक वर्ष के भीतर मंदिर का निर्माण कार्य करा कर इसकी प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी गयी। केदारनाथ धाम में बीकेटीसी कार्मिकों के आवास व कार्यालय भवन इत्यादि के कार्य भी विगत वर्ष ही शुरू हुए हैं। वर्तमान में बीकेटीसी द्वारा गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ परिसर में स्थित भैरव मंदिर निर्माण के साथ-साथ तुंगनाथ मंदिर व त्रियुगीनारायण मंदिर के विकास व सौंदर्यीकरण की योजना पर भी काम किया जा रहा है। बहरहाल, अजेंद्र ने मंदिर समिति में बदलावों और सुधारों के लिए मुहिम जारी रखी हुयी है। मगर उनके प्रयासों की हवा निकालने के लिए मंदिर समिति के बाहर व भीतर के कुछ लोग लगातार अभियान छेड़े हुए हैं। मंदिर समिति में सुधारों की कवायद कितना परवान चढ़ पाती है, यह भविष्य के गर्भ में है।
केदारनाथ यात्रा के दौरान कुंड से गुप्तकाशी के बीच लगता है घंटो का जाम..
डीएम मयूर दीक्षित ने अधिकारियों के साथ किया हाईवे का निरीक्षण..
रुद्रप्रयाग। केदारघाटी और केदारनाथ यात्रा की लाइफलाइन कहे जाने वाले रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर चारधाम यात्रा के दौरान जाम की स्थिति से तीर्थयात्री बेहद ही परेशान रहते हैं। ऐसे में यात्रा मार्ग के कुंड से गुप्तकाशी के जिन स्थानों में जाम की स्थिति बनी रहती है, उन स्थानों का जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने अधिकारियों के साथ स्थलीय निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग राजबीर सिंह चैहान एवं संबंधित ठेकेदार को निर्देश दिए कि यात्रा मार्ग के सेमी से गुप्तकाशी तक जिन स्थानों पर रोड़ संकरा है और जाम की स्थिति बनी रहती है। ऐसे स्थानों को यात्रा शुरू होने से पूर्व दुरूस्त किया जाए। उन्होंने सेमी के पास चल रहे रोड कटिंग के कार्यों को तीव्र गति से करने के निर्देश दिए, जिसके लिए उन्होंने श्रमिकों की संख्या बढ़ाने को कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि जिन स्थानों पर भू-धंसाव की स्थिति हो रही है, उन पर तत्परता से पुश्ता लगाया जाए तथा पानी की निकासी के लिए नाली निर्माण कार्य भी किया जाए। डीएम ने रोड कटिंग के कार्य को तत्परता से करने को कहा। साथ ही साफ तौर पर निर्देश दिए कि किसी की सूरत में यात्रा के दौरान जाम की स्थिति पैदा न हो और ट्रैफिक निरंतर संचालित होता रहे।
यात्रा में तैनात अधिकारी एवं कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण देने के दिए निर्देश..
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा को सुव्यवस्थित ढंग से संचालित करने को लेकर बद्री-केदार मंदिर समिति अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि समय पर केदारनाथ यात्रा की तैयारियां पूरी कर ली जांए। जो गलतियां पिछले यात्रा सीजन में रह गई हैं, उन गलतियों को सुधारा जाए। जिससे देश-विदेश से यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को असुविधा का सामना न करना पड़े।
जिला कार्यालय के एनआईसी कक्ष में अधिकारियों की बैठक लेते हुए बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष ने कहा कि केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। यात्रा को सुव्यवस्थित एवं सफल संचालन के लिए जिस स्तर से व्यवस्थाएं एवं तैयारियां की जानी है, वह सभी व्यवस्थाएं 15 अप्रैल से पूर्व ही पूरी कर ली जांए।
उन्होंने कहा कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर बर्फ हटाने का कार्य त्वरित गति से शुरू किया जाए और जहां पर भी मार्ग क्षतिग्रस्त है, उसका मरम्मत कार्य शीघ्रता से किया जाए। उन्होंने कहा कि केदारनाथ यात्रा व्यवस्थाओं को संपादित करने के लिए तैनात किए जाने वाले सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाए, ताकि यात्रा व्यवस्थाओं को संचालित करने में किसी प्रकार की काई परेशानी न हो। उन्होंने पुलिस अधीक्षक को भी निर्देश दिए कि यात्रा के दौरान यातायात व्यवस्था को संचालित करने में काफी परेशानी होती है, इसके लिए उचित पार्किंग एवं यातायात प्लान तैयार किया जाए।
उन्होंने केदारनाथ धाम सहित यात्रा मार्ग में उचित स्वास्थ्य सुविधाएं, साफ-सफाई व्यवस्था, पर्याप्त शौचालयों की व्यवस्था तथा संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों के लिए उचित पानी की व्यवस्था और यात्रा मार्ग में विद्युत सहित अन्य सभी व्यवस्थाओं को दुरस्त रखने के भी निर्देश दिए।
बैठक में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने अध्यक्ष को बताया कि केदारनाथ यात्रा के सफल संचालन के लिए तैनात किए गए अधिकारियों एवं कार्मिकों को उचित प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है और उन्हें सौंपे गए दायित्वों एवं कार्यों के बारे में पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि यात्रा व्यवस्था में किसी प्रकार की कोई समस्या न आने पाए।
उन्होंने कहा कि केदारनाथ यात्रा मार्ग को सुचारू करने के लिए बर्फ हटवाने का कार्य सोमवार से ही शुरू किया जायेगा तथा यात्रा मार्ग में जिन स्थानों में वर्तमान में बर्फ नहीं है उस क्षेत्र के क्षतिग्रस्त मार्ग को ठीक कराने के निर्देश डीडीएमए को दिए गए हैं। उन्होेंने यह भी बताया कि यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चरों के साथ किसी प्रकार की कोई क्रूरता न हो तथा बीमार व कमजोर घोड़े-खच्चरों का किसी भी दशा में संचालन न किया जाए। इसकी निगरानी के लिए 20 पीआरडी जवानों की तैनाती की गई है। जिन्हें उचित प्रशिक्षण उपलब्ध कराते हुए यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चरों की निगरानी के लिए विभिन्न यात्रा पड़ावों में तैनात किए जाएंगे।
बैठक में पुलिस अधीक्षक डाॅ. विशाखा अशोक भदाणे, मुख्य विकास अधिकारी नरेश कुमार, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी केदारनाथ योगेंद्र सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. एचसीएस मार्तोलिया, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ. आशीष रावत, अधिशासी अभियंता प्रवीण कर्णवाल, जिला पर्यटन अधिकारी सुशील नौटियाल, मंदिर समिति से आरसी तिवारी, नगर पालिका अध्यक्ष गीता झिंक्वाण, अध्यक्ष नगर पंचायत अगस्त्यमुनि अरुणा बेंजवाल, तिलवाड़ा संजू जगवाण सहित संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।
केदारनाथ जाने का पारंपरिक मार्ग फिर से शुरू होगा..
उत्तराखंड: केदारनाथ के परंपरागत मार्ग को दोबारा शुरू करने की उम्मीद जगी है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने रास्ते के निर्माण के लिए चिन्हित क्षेत्र का सर्वेक्षण कर केंद्र सरकार को भेज दिया है। स्वीकृति के बाद जमीन का हस्तांतरण होगा। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो पारंपरिक रास्ते पर निर्माण यात्रा सीजन के दौरान शुरू हो जाएगा।
आपदा के बाद 2016 से केदारनाथ यात्रा को प्रतिवर्ष नया आयाम मिल रहा है। यात्रा में वृद्धि के कारण पारंपरिक मार्ग को पुनर्जीवितकरने के लिए बीते तीन वर्ष से प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई की जा रही है जो अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। केदारनाथ के वन्य जीवों के भू-सर्वेक्षण का प्रस्ताव राज्य स्तरीय स्वीकृति मिलने के बाद अब शासन को भेजा गया है।
अगले दो महीनों में इसे मंजूरी मिलने की उम्मीद है। वन भूमि के हस्तानांतरण के बाद स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से रास्ता निर्माण की कार्रवाई की जाएगी। इस रास्ते के पुनर्जीवित होने से केदारनाथ की पैदल यात्रा भी आसान हो जाएगी। अधिकारियों की मानें तो आने वाले वर्षों में परंपरागत रास्ते के अस्तित्व में आने पर यात्राकाल में घोड़ा-खच्चरों का संचालन इसी रास्ते से कराया जाएगा।
आपदा में ध्वस्त हो गया था पैदल मार्ग
आपदा में गौरीकुंड-रामबाड़ा-केदारनाथ पैदल मार्ग रामबाड़ा से केदारनाथ तक कई जगहों पर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। मार्च 2014 में मंदाकिनी नदी के दाहिनी ओर रामबाड़ा से केदारनाथ तक एक नया रास्ता बनाया गया, जिस पर वर्तमान में यात्रा संचालन हो रही है। मार्ग पर जहां रामबाड़ा से लिनचोली तक तीखे मोड़ व चढ़ाई है वहीं यह पूरा क्षेत्र एवलांच जोन है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ इंद्र सिंह नेगी का कहना हैं कि पारंपरिक मार्ग के जीर्णोद्धार के लिए भू- सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है। साथ ही प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। उम्मीद है कि अप्रैल तक स्वीकृति मिल जाएगी।
पीएम मोदी की तपस्थली फिर होगी गुलजार..
आपको बता दे कि परंपरागत रास्ता बनने से पीएम मोदी की तपस्थली गरूड़चट्टी दो तरफा जुड़ जाएगा। साथ ही यात्राकाल में यहां काफी संख्या में यात्री रात्रि विश्राम भी कर सकेंगे। केदारनाथ से गरूड़चट्टी को जोड़ने के लिए बीते वर्ष मंदाकिनी नदी पर स्टील गार्डर पुल बनकर तैयार हो चुका है।
केदारनाथ यात्रा में 8 साल बाद श्रद्धालुओं को नजर आएगी ये खास बात..
उत्तराखंड: हिंदुओं का सबसे बड़ा आस्था का केंद्र केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख तय हो गई हैं। केदारनाथ मंदिर के कपाट छह मई को खुलेंगे। श्रद्धालुओं के लिए 6 मई 2022 को सुबह 6 बजकर 25 मिनट अमृत बेला पर मंदिर के कपाट खुलेंगे। केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख तय होने के साथ ही उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2022 की तैयारियां भी प्रारंभ हो गयी। उम्मीद की जा रही है कि इस बार चारधाम यात्रा-2022 में रिकॉर्ड तोड़ यात्री उत्तराखंड पहुंचेंगे। चुनाव खत्म होने के बाद प्रशासन और अन्य संस्थाएं चारधाम यात्रा की तैयारियों को बेहतर बनाने में जुट जाएंगी। चुनाव परिणाम जारी हो चुका है, अब शासन-प्रशासन का पूरा फोकस चारधाम यात्रा पर रहेगा।
केदारनाथ धाम में भी रिकॉर्ड यात्रियों के पहुंचने की संभावनाएं हैं। केदारनाथ धाम आने वाले यात्री आठ साल बाद फिर से आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि के दर्शन भी कर सकेंगे। बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समाधि का पहले ही लोकापर्ण किया जा चुका है। यह पहला मौका होगा जब यात्री बाबा केदार के दर्शन के साथ ही आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि के दर्शन भी पहले दिन से कर सकेंगे
इस संभावना यहां भी जताई जा रही है कि 2019 में आए 9,98956 यात्रियों से कई अधिक यात्री केदारनाथ धाम आ सकते हैं। जीएमवीएन और निजी होटल स्वामियों के पास एडवांस बुकिंगें आने लगी हैं। इस बार 60 प्रतिशत बुकिंग हो चुकी है। जिलाधिकारी मनुज गोयल का कहना हैं कि केदारनाथ धाम में पूर्व सालों में 5 हजार यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था बहाल रहती थी, इसे हर हाल में बढ़ाने के प्रयास होंगे। चुनाव आचार संहित खत्म होते ही सीधे केदारनाथ यात्रा पर पूरा फोकस किया जाएगा। बीकेटीसी के सीईओ बीडी सिंह का कहना हैं कि मंदिर के अंदर यात्री व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए जाएंगे, ताकि यात्रियों को समय पर दर्शन करवाए जा सकें। इस सीजन में रिकॉर्ड यात्रियों के आने की संभावना है।